लेखक-  सतपाल सिंह, डा. गोपाल सिंह एवं डा. आरएस सेंगर

मशरूम एक उच्चवर्गीय कवक है, जो औषधि और भोजन दोनों के रूप में प्रयोग किया जाता है. भिन्नभिन्न ऋतु में विभिन्न प्रकार की मशरूम की खेती की जाती है. वर्षा ऋतु में मुख्यत: मिल्की और ऋषि मशरूम की खेती की जाती है, जिन की खेती के लिए उच्च तापक्रम और अंधकार की आवश्यकता होती है. कुछ मशरूम के लिए कम तापक्रम और अधिक आर्द्रता की आवश्यकता होती है, जिन्हें शरद ऋतु में उगाया जाता है.

मशरूम को अंधेरे कमरे में उगाया जा सकता है और इस से गांव के गरीब किसान अपनी आय को आसानी से बढ़ा सकते हैं. मशरूम का बाजार में मूल्य 100 रुपए से ले कर 250 रुपए प्रति किलोग्राम होता है, जबकि औषधीय मशरूम का मूल्य लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक होता है

मशरूम उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से अनेक परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिन के माध्यम से देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को मुफ्त प्रशिक्षण देते हैं.

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मशरूम मुख्यत: सड़ीगली चीजों पर वर्षा ऋतु में उगता है. इस में क्लोरोफिल नहीं पाया जाता, इसलिए इस का रंग हरा नहीं होता.

यह भोजन की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. इस में पौष्टिक और औषधीय दोनों गुण होने के कारण इस का बहुतायत में उपयोग किया जा रहा है. इस में कार्बोहाइड्रेट और वसा कम मात्रा में पाई जाती है. इस में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. साथ ही, इस में विटामिन और खनिज लवण भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.

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