इन दिनों दुनियाभर में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाए जाने के साथ ही किसानों की आमदनी को दोगुना किए जाने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन यह तभी मुमकिन है जब किसान उत्पादन बढ़ाने वाले तरीकों को आजमाने के लिए खुद आगे आएं, क्योंकि सरकारों के भरोसे कभी भी किसानों का भला नहीं हो सकता है.

ऐसे दौर में किसानों को उत्पादन के साथ ही अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए उन्नत खाद, बीज और तकनीकी का सहारा लेने की जरूरत है. किसान जब तक किसान के साथ ही एक बनिए के रूप में अपनी सोच नहीं विकसित कर लेगा, तब तक उसे खेती में घाटा उठाना ही पड़ेगा, इसलिए किसानों को चाहिए कि वे व्यावसायिक और नकदी फसलों पर ज्यादा जोर दें.

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ऐसी ही एक नकदी फसल है पंखिया सेम, जो सेम की आम प्रजातियों से अलग हट कर है. इस में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व सेहत के लिहाज से भी अच्छे माने जा रहे हैं, इसलिए यह किसानों के लिए आमदनी के एक नए विकल्प के रूप में उभर कर सामने आ सकती है. वैसे, सेम को दलहनी फसल में शामिल किया गया है, लेकिन इस की फलियों को सब्जियों के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

अगर पंखिया सेम की बात की जाए तो देश में इस प्रजाति की खेती अभी बहुत कम की जाती है, जबकि इस वैरायटी की खासीयत इस के बाजार की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा देती है.

देश में पंखिया सेम की वैरायटी को ले कर अभी भी लगातार शोध चल रहे हैं, जिस में से भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने इस की उन्नत प्रजाति को विकसित करने में कामयाबी पाई है.

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