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एक बार फिर साथ दिखेंगे बिग बॉस 13 फेम सिद्धार्थ शुक्ला, रश्मि देसाई और शहनाज गिल

बिग बॉस 13 का नाम लेते ही सभी केमन में रश्मि देसाई, सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल का चेहरा सभी के सामने आ जाता है. इन दोनों की लड़ाई ने तो बिग बॉस के टीआरपी को धमाकेदार बना दिया था. वहीं अगर बात करें शहनाज गिल की तो उनके रोमांस ने जमकर सभी को एंटरटेन किया था.

जिस तरह शहनाज गिल सिद्धार्थ शुक्ला के आग पीछे घूमती थी उसे देखने के लिए फैंस भी बेताब रहते थें. शहनाज की चुलबुली अदा सभी को पसंद आती थी.

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बिग बॉस 13 सबसे ज्यादा विवादों में भी छाया रहा था. बता दें कि रश्मि देसाई और सिद्धार्थ शुक्ला की लड़ाई भी खूब फेमस हुई थी बिग बॉस में इस शो के खत्म होने के बाद से तीनों को कभी साथ में नहीं देखा गया.

अब इनके फैंस के लिए खुशखबरी है कि एकबार फिर ये तीनों एक साथ दिखने वाले हैं. इस खबर को जानकर फैंस भी खुशी से झूम उठेंगे.

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एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सिद्धार्थ शुक्ला ,रश्मि देसाई और शहनाज गिल एक बार फिर से साथ में नजर आने वाले हैं कलर्स टीवी के शो में. इसमें इनकी केमेस्ट्री एक साथ दिखने को मिलेगी. खबर है कि कलर्स टीवी के शो शानदार रविवार में ये साथ में नजर आने वाले हैं.

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इस शो को मनीष पॉल और भारती सिंह होस्ट करने वाले हैं. शहनाज गिल, सिद्धार्थ शुक्ला और रश्मि देसाई भारती सिंह के इस शो में मेहमान बनकर आएंगे. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बिग बॉस 13 की पुरानी यादें एक बार फिर ताजा हो जाएंगी.

बिग बॉस के घर से बाहर आने के बाद सिद्धार्थ शुक्ला जल्द ही अपने इस शो की शूटिंग करने वाले हैं. फैंस जानकारी मिलने के बाद से ही इस शो को देखने के लिए बेताब हैं. फैंस के लिएयह बहुत खुशी की बात है क वह अपने प्रिय कलाकार को एक साथ फिर से देख पाएंगे.

इंसानियत का दूत-भाग 3 : आशीष और शीतल की अनोखी कहानी

आशीष अपने इतिहास के बारे में बतातेबताते वर्तमान में आ चुका था कि तभी नमिता ने आग्रह किया, ‘‘क्या हम लोग बाकी बातें डाइनिंग टेबल पर बैठ कर नहीं कर सकते? ये लोग सिटी से आए हैं, भूख लग रही होगी.’’

ललित तुरंत मान गए और खाने के लिए बैठतेबैठते उन्होंने कहा, ‘‘बेटा आशीष, इस के बाद का तो हम लोगों को भी मालूम है और हम लोग तुम दोनों से ही बड़े खुश हैं.’’ ललित और नमिता इस बात की चर्चा आपस में पहले भी कर चुके थे कि कितनी अच्छी तरह आशीष ने पार्थ को अपने बेटे की तरह अपनाते हुए शीतल के जीवन में फिर से खुशियां भर दी थीं. शीतल ने भी आशीष के जीवन में भरपूर मिठास भर दी थी, उस की मनपसंद पत्नी के रूप में.

‘‘तो अब बताओ, अभी क्या हुआ?’’ ललित ने कौर मुंह में डालते हुए पूछा.

‘‘अंकल, फेसबुक ने गड़बड़ कर दी,’’ शीतल ने कहा.

‘‘फेसबुक ने? क्या मतलब?’’ नमिता और ललित चकित हुए.

‘‘बल्कि यों कहिए कि मैं ने गड़बड़ कर दी,’’ शीतल बोली.

हुआ यों था कि आशीष पार्थ और शीतल को ले कर गोवा गया हुआ था. उस ने बड़े ही उत्साह और शौक से औफिस से छुट्टी ले कर यह कार्यक्रम बनाया था. शीतल ने तमाम तसवीरें फेसबुक में पोस्ट कर दीं जिन में पतिपत्नी की नजदीकियां और एक अत्यंत सुखी परिवार की झलकियां स्पष्ट नजर आती थीं.

नौशीन, जिस का पिछले डेढ़ साल से कुछ अतापता नहीं था लेकिन जो शायद आशीष की फ्रैंड्स लिस्ट में अभी भी थी, इन तस्वीरों को देख कर भड़क गई.

आशीष के पास उस का फोन आया और फोन में उस ने साफसाफ कह दिया, ‘आशीष, मुझे छोड़ कर तुम ने दूसरी शादी कर ली है और तुम्हारा एक बच्चा भी है, और तसवीरों में तुम्हारे चेहरे पर कितनी खुशी और कितना सुख दिख रहा है. मैं यह कतई नहीं सह सकती.’

यों तो नौशीन ने पुरानी जिंदगी को भुला कर अपनी जिंदगी को अपनी तरह जीना सीख लिया था लेकिन आशीष की खुशी देख कर जैसे उस के अंदर की दबी हुई आग भड़क सी गईर् हो और उस दिन के बाद से शीतल और आशीष की अच्छीखासी चल रही जिंदगी में परेशानियां ही परेशानियां आ गईं.

लखनऊ के आलमबाग थाने से आशीष के पास फोन आया और उसे थाने में बुलाया गया. निर्धारित तिथि पर ही आशीष झांसी से ट्रेन से लखनऊ पहुंचा और सीधे आलमबाग थाने में गया. थाने के एक बड़े अधिकारी ने आशीष को विस्तार से नौशीन द्वारा दर्ज शिकायत पढ़ कर सुनाई और बताया कि यह मामला गंभीर हो सकता है और भलाई इसी में है कि आपसी बातचीत से सुलझा लिया जाए. दूसरे ही दिन फैमिली कोर्ट के एक अधिकारी ने दोनों को बुलवाया और उन की काउंसिलिंग शुरू की.

किंतु नौशीन कहां मानने वाली थी. एक घायल शेरनी की तरह, फेसबुक की कुछ तसवीरों का विवरण देती हुई और क्रोध में आ कर, वह एक ही बात दोहरा रही थी कि ‘या तो ये वापस आ जाएं मेरे पास, या फिर अदालत इन को जेल में बंद कर दे.’

और धीरेधीरे आशीष के लाख मनाने के बावजूद नौशीन के वकील ने धारा 494, धारा 504 इत्यादि लगा कर आशीष पर दहेज की मांग, अत्याचार, घरेलू हिंसा के इल्जाम लगा दिए.

आशीष और शीतल ने भी मामले के लिए एक वकील को तय किया. वकील को पता चला कि इस मामले में आशीष का पक्ष काफी कमजोर है, क्योंकि बिना किसी तलाकनामे के उस की दूसरी शादी नहीं हो सकती थी.

बहरहाल, आशीष के  वकील ने यह  तर्क  दिया कि उस की पहली शादी भी कानूनी नहीं थी, इसलिए तलाक का प्रश्न ही कहां उठता है. लेकिन इस तरह  के मामलों में महिला पक्ष को हमेशा प्राथमिकता मिलती है. कोर्ट की तारीखें, सुनवाईर् और तारीखों के मुल्तवी होने का सिलसिला शुरू हो गया. मुसीबतें इतनी बढ़ती गईं कि आशीष और शीतल को पुलिस के छापे के डर से झांसी में 2 बार अपने किराए के घर को बदलना पड़ा.

और आज उन दोनों का ललित श्रीवास्तव के घर में आने का मकसद यही था कि वो सारा सामान, वो सारे दस्तावेज जो ये साबित कर सकते हैं कि शीतल, आशीष के साथ रहती है, कहीं और रखवा दिए जाएं.

‘‘हूं,’’ ललित ने लंबी हुंकार भरी और कहा, ‘‘बेटा, तुम लोग डेजर्ट तो लो, तुम ने तो खाना भी ठीक से नहीं खाया, चावल तो लिए ही नहीं.’’

दरअसल, ललित खुद सोचविचार में पड़ गए थे. उन्हें आशीष और शीतल को देने के लिए उपयुक्त सलाह तुरंत नहीं सूझ रही थी. औपचारिक बातें कर के अपने मन को सोचने का कुछ समय देना चाह रहे थे. बोले, ‘‘आशीष, कानूनी रास्ते से मुझे कुछ समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है. फिर भी अपने खास मित्र, जो कि वकील हैं, से विचारविमर्श कर के देख लेता हूं.’’

इस बात को 4 ही दिन हुए होंगे कि ललित अपनी निजी कार ले कर आशीष को फोन से इत्तिला कर के उस के घर पर पहुंच गए. तुरंत काम की बात पर आते हुए बोले ‘‘देखो बेटा, मैं ने अपने मित्र से काफी विस्तार में बात की है. कानूनी रास्ते से हम थोड़ा समय अवश्य खरीद सकते हैं लेकिन केस जीत नहीं सकते, समय और पैसे की बरबादी अलग.’’

‘‘तो अंकल, और कोई रास्ता है?’’ आशीष ने पूछा

‘‘अवश्य, कोई न कोई रास्ता तो निकलेगा ही. अच्छा यह बताओ और जरा सोच कर बताओ कि नौशीन को जीवन में सब से ज्यादा क्या अच्छा लगता था? या कोई ऐसी ख्वाहिश जो वह पूरी करना चाहती थी मगर हो नहीं पा रही थी?’’

‘‘अंकल, नौशीन का एक जबरदस्त सपना था कि वो भारत से दूर विदेश में जा कर जीवन बसर करे. हमारी शादी के बाद भी वह कई बार इस बात को बोलती थी कि हम किसी तरह से अमेरिका या यूरोप में चले जाएं और संपन्नता के साथ वहां जीवन बसर करें. मैं ने इस दिशा में प्रयास भी किया लेकिन मेरी फील्ड में बाहर नौकरी मिलनी मुश्किल थी.’’

ललित उठे और उन्होंने चेहरे पर एक सीमित सी मुसकान ओढ़ ली कि मानो कुछ खोजप्राप्ति हुई हो. फिर जातेजाते बोले, ‘‘आशीष, हम लोगों को कुछ काम करना होगा.’’

उस दिन के बाद से ललित अत्यंत व्यस्त हो गए. सरकारी कार्य के अलावा उन्होंने मानो एक प्रोजैक्ट की परिकल्पना की और फिर उस को पूरा करने के लिए पूरी तरह से जुट गए. आशीष और शीतल इस प्रोजैक्ट में उन के सहायक बन गए. नमिता भी समयसमय पर अपनी सलाह देती रहती थीं. सब यही सोच कर चकित रहते थे कि कैसे इतने ऊंचे ओहदे में रहते हुए भी वे किसी की सहायता के लिए समय निकाल लेते थे.

उन्होंने शादी डौट कौम में नौशीन जैसी एक लड़की की प्रोफाइल पंजीकृत कर दी और फिर तलाश में लग गए. सर्च के लिए जो मानदंड उन्होंने निर्धारित किए वो थे ‘अमेरिका’, ‘मुसलिम’, ‘उच्च वेतन श्रेणी’.

अथक प्रयास का परिणाम, 2 बहुत ही अच्छी प्रोफाइलें ललित और आशीष ने शौर्टलिस्ट कर लीं. फोन पर ललित ने ही बात की, लड़की के चाचा के रूप में.

बात करने से ही ललित ने अंदाजा कर लिया कि शहजाद नाम के एक विधुर पुरुष से बातचीत आगे बढ़ाना ठीक रहेगा. हालांकि उस की और नौशीन की उम्र में करीब 10-12 साल का अंतर होगा लेकिन उस की परिपक्वता और उस की एक मुसलिम समाज से बीवी खोजने की बेकरारी देखते हुए, ललित ने शहजाद पर ही दांव लगाना ठीक समझा.

शहजाद को सलाह दी गई कि वह नौशीन से सीधे फोन पर बात करे, अपनी इच्छा जाहिर करे और उस से भारत आ कर मिलने का कार्यक्रम बनाए.

निशाना शायद सही जगह पर लगा था. 2 महीने के अंतराल में शहजाद, जिस का सैनफ्रांसिस्को में खुद का व्यवसाय था, ने भारत के

2 चक्कर लगा लिए. शहजाद और ललित के बीच में बात तय हो चुकी थी कि शहजाद उसे इस अंकल के बारे में तभी बताएगा जब उस का नौशीन से संबंध भलीभांति स्थपित हो जाएगा. और ऐसा ही हुआ अब शहजाद और नौशीन ने एकदूसरे के साथ बंधने का फैसला लिया, शहजाद ने नौशीन की बेसब्री तोड़ और अंकल ललित के बारे में बतलाया.

शहजाद ने न केवल नौशीन की बात ललित अंकल से करवाई बल्कि मोबाइल की उसी बातचीत में ललित को उन के निकाह पर आने का न्योता भी दे दिया. और कुछ ही रोज के बाद नौशीन का शहजाद के साथ लखनऊ के आलमबाग स्थित एक घर में मुसलिम रीति के साथ निकाह हुआ. ललित वहां मौजूद थे. उन्होंने दोनों को मुबारकबाद भी दी और जीवनभर प्यार से साथ रहने की सलाह भी.

नौशीन ने पूछ ही लिया, ‘‘अंकल, अब तो बता दीजिए कि आप कौन हैं? और हमारी मदद क्यों करना चाहते थे.’’

‘‘मैं बस तुम्हारी और आशीष की जिंदगी में खूब सारी खुशियां भर देने के लिए आया हूं. और किसी को खुशियां बांटने के लिए वक्त वजह नहीं ढूंढ़ा करता,’’ ललित ने हलकी सी मुसकराहट के साथ कहा.

‘‘तो आप वो महान शुभचिंतक हैं,’’ नौशीन बोली.

‘‘नहीं बेटा, मैं एक सामान्य इंसान हूं और कोशिश करता रहता हूं कि इंसानियत कायम रहे,’’ यह कह कर ललित वहां से चल दिए.

कुछ ही दिनों में नौशीन ने एक खत लिख कर आशीष को अपनी बंदिशों से मुक्त कर दिया. उसे नौशीन के वकील से भी एक पत्र मिला जिस के द्वारा वह कानूनीतौर से भी सभी इल्जामों से मुक्त हो गया.

नौशीन अपनी आगे की जिंदगी जीने को अमेरीका रवाना हो गई, आशीष और शीतल की खुशियां फिर से वापस आ गईं हमेशा के लिए.

 

इंसानियत का दूत-भाग 2 : आशीष और शीतल की अनोखी कहानी

‘देखिए नंदनजी, मैं ने अपने पिछले विवाह की हर बात शीतल को बता दी है. मैं तलाक के पेपर्स भी फाइल करने वाला हूं. और वैसे भी, पिछले 1-2 सालों से मेरी उस से कोईर् बात नहीं हुई है, आशीष का उत्तर था.

आशीष के हंसमुख स्वभाव ने सभी का मन जीत लिया था. सुरेखा और नंदन ने इस मुलाकात के बाद फौरन ललित को फोन किया. सुरेखा ने कहा, ‘डैडी, देयर इज अ गुड न्यूज. शीतल दी ने एक लड़का पसंद कर लिया है, बहुत अच्छा है, आप की क्या राय है?’

‘बेटी, बहुत अच्छी बात है, लेकिन सबकुछ सोचसमझ लेना चाहिए,’ ललित का नपेतुले अंदाज में उत्तर था. फिर बापबेटी ने काफी देर इस विषय पर बात की.

कुछ वक्त और गुजर गया और महज इत्तफाक की बात कि आशीष का तबादला झांसी में हो गया. सुरेखा के लिए यह बहुत अच्छी खबर थी. जहां एक जोर शीतल व नंदन के मातापिता कुछ भी निर्णय लेने में हिचकिचा सा रहे थे, सुरेखा को पूरा विश्वास था कि उस के डैडी आशीष से मिलने के बाद एकदम सही सलाह और मार्गदर्शन देंगे.

हुआ भी यही. ललित ने आशीष को घर पर बुला कर उस से मुलाकात की और उन की सलाह पर सभी लोग इस बात पर राजी हो गए कि इन दोनों की शादी जल्दी ही कर देनी चाहिए.

ललित ने यह भी प्रस्ताव दे दिया कि विवाह पारीछा में आयोजित हो क्योंकि आशीष स्वयं भी अब झांसी में रहता था और पारीछा बिजली संयंत्र झांसी से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

जल्दी ही आशीष ने अपने मातापिता को झांसी में बुलवा लिया. ललित के पास साधनों की कमी नहीं थी. सभी लोगों के ठहरने की व्यवस्था पारीक्षा में आसानी से हो गई और जल्दी ही आशीष व शीतल का विवाह रीतिरिवाज के साथ संपन्न हुआ. पार्थ के बचपन को अब पिता की कमी नहीं रही.

ललित और उस की पत्नी नमिता दोनों ही विचारों में जैसे खोए से हुए थे कि अचानक नमिता जैसे नींद से चौंक कर उठती हुई बोल पड़ी, ‘‘अरे उठिए, वक्त का अंदाजा है आप को, वो लोग आते ही होंगे. दोनों तुरंत ही गतिशील हुए और जल्दी फ्रैश हो कर अपनी चिरपरिचित अभिवादन की मुद्रा में बैठ गए. जल्दी ही आशीष, पत्नी शीतल उन के घर पहुंच गए. आशीष के साथ एक बड़ा सा सूटकेस और एक दस्तावेजों का फोल्डर था.

आरंभिक औपचारिकताओं के तुरंत बाद आशीष ने प्रार्थनास्वरूप कहा, ‘‘अंकल, यह सूटकेस हमें आप के घर में रखवाना है और ये कुछ दस्तावेज हैं जो आप को अपने पास संभाल कर रखने हैं.’’

‘‘बेटा, यह आप का ही घर है. जो सामान रखवाना है रखो, किंतु अचानक, बात क्या है?’’ ललित ने कहा.

‘‘अंकल, मेरे ऊपर पुलिस केस हो गया है और शायद वारंट भी इश्यू हो गया हो. और ये सब नौशीन ने किया है, मेरी पहली पत्नी. मुझे आप से सलाह भी लेनी है,’’ आशीष ने कहा.

आश्चर्यचकित होते हुए ललित ने अपने सधे हुए अंदाज में कहा, ‘‘देखो आशीष बेटे, मैं ने तुम से पहले कभी नहीं पूछा किंतु आज जब यह समस्या आ खड़ी हुई है तो मुझे ठीक तरह से और सिलसिलेवार अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सबकुछ बताओ.’’

आशीष ने लंबी सांस ली और अपनी कहानी बताने लगा :

उस की कहानी के अनुसार, नौशीन 21 बरस की एक मुसलिम लड़की थी. सुंदर, छरहरी लेकिन मिजाज की काफी बिगड़ी हुई. देखने में टीवी सीरियलों की सुंदर अभिनेत्री से कम नहीं लगती थी. उस का शादी डौट कौम के माध्यम से आशीष से परिचय होता है. कुछ रोज दोनों एकदूसरे से मिलतेमिलाते हैं और फिर एकदूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं. एक तरह की आसक्ति या यह कहें कि प्रेमांधता में, दोनों शादी का फैसला कर लेते हैं.

नौशीन और आशीष आर्य समाज मंदिर में जाते हैं और वहां उन का विवाह हो जाता है. मात्र विवाह के उद्देश्य से नौशीन ऊपरी तौर पर हिंदू धर्म अपना लेती है.

हनीमून और शुरुआत के कुछ दिन ठीक गुजरते हैं लेकि फिर उन के आपसी संबंधों में कड़वाहट आनी शुरू हो जाती है. दोनों के परिवारों में भी इस संबंध को ले कर तनाव सा रहता था. आशीष के मातापिता ने तो इस संबंध को अपने बेटे की खुशी के लिए स्वीकार कर लिया था लेकिन नौशीन के पिता ने बिलकुल भी नहीं, खासतौर से उस की मां इस रिश्ते से बिलकुल खुश नहीं थी. वह जिद पर अड़ी हुई थी कि मुसलिम रीति से निकाह होना चाहिए.

आशीष एक सुलझा हुआ, हंसमुख और व्यावहारिक व्यक्ति था. नौशीन और उस की मां के सारे नखरे व झल्लाहटों को सहन करते हुए जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाता जा रहा था. इस तरह से करीब 4 साल निकल गए और फिर एक दिन आशीष ने घुटने टेक दिए और मुसलिम रीति के अनुसार निकाह होने के बाद शब्बीर अली के नाम से निकाहनामा तैयार हो गया.

एकदो वर्ष और बीत गए लेकिन उन के रिश्ते में मिठास अभी भी न आ सकी. नौशीन एक झक्की और जिद्दी लड़की की तरह पेश आती थी और उस की मां गरम तेल में पानी के छीटे फेंकने का काम करती रहती थी. आखिरकार उन्होंने अलगअलग रहने का फैसला कर लिया.

करीब डेढ़ साल के अंतराल से आशीष का जीवनसाथी डौट कौम के माध्यम से शीतल नाम की एक विधवा लड़की से संपर्क हुआ. यह लड़की एक बहुत ही संतुलित व पढ़ीलिखी थी जिस का एक बेटा भी था.

इंसानियत का दूत-भाग 1 : आशीष और शीतल की अनोखी कहानी

ललित हमेशा की तरह अपने चैंबर में कुरसी पर बैठे काम में तल्लीन थे. उन की नजरें कभी लैपटौप की स्क्रीन पर तो कभी साथ में रखी फाइल के पन्नों पर पड़ रही थीं. उंगलियां कौर्डलैस माउस को कभी इधरउधर खिसकातीं तो कभी किसी कमांड को क्लिक करतीं. ऐसा लगता था कि मानो वे किसी खोई हुई जानकारी को ढूंढ़ रहे हों. शायद किसी लंबे व जरूरी ईमेल का जवाब तैयार कर रहे  थे. चेहरे पर थोड़ा सा तनाव. तभी पास में रखा हुआ उन का फोन बज उठा.

आशीष का फोन था. और कोई होता तो शायद ‘कैन आई कौल यू लैटर’ वाले बटन को दबा कर अपने काम में व्यस्त हो जाते, लेकिन आशीष को उत्तर देना उन्होंने ठीक समझा.

दरअसल, आशीष, ललित की बेटी सुरेखा का बहनोई था. बात ऐसी थी कि ललित एक बहुत ही सुलझे हुए जीवंत व्यक्तित्व के मालिक और कैरियर की सीढ़ी में खूब ही सफल व्यक्ति थे. रुड़की आईआईटी से विद्युत यांत्रिकी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड में सहायक अभियंता के पद पर नियुक्त हुए थे. और फिर अपने कैरियर की तमाम सीढि़यां जल्दीजल्दी फांदते हुए और उस यात्रा में अलगअलग स्थानों में अनुभव प्राप्त करते आज झांसी के निकट स्थित परीछा बिजली संयंत्र के सब से बड़े अधिकारी, यानी मुख्य अभियंता के पद पर आसीन थे. उन को 30 वर्षों से भी अधिक कार्य करने का अनुभव प्राप्त था.

ललित फोन उठाते ही बोले, ‘‘हैलो आशीष, क्या हाल हैं, कैसे याद किया?’’

‘‘हैलो अंकल, अंकल, आई होप आई एम नौट डिस्टरबिं यू, आर यू इन औफिस अंकल?’’ आशीष का उत्तर था.

ललित तपाक  से बोले, ‘‘मैं औफिस में हूं, लेकिन डिस्टरबैंस की कोई बात नहीं है. बोलो, क्या कोई खास बात? सब ठीक तो है?’’

आशीष ने कहा, ‘‘अंकल कोई खास बात तो नहीं, मुझे अपना कुछ सामान आप के घर में रखवाना है.’’

ललित ने तुरंत ही कहा, ‘‘हांहां, क्यों नहीं, पर अचानक? हुआ क्या है?’’

आशीष बताना शुरू करता है, फिर अपनेआप ही सलाह देते हुए अंकल से अनुमति लेता है कि क्या वह और उस की पत्नी शीतल, शाम को उन के घर आ कर सब बातें विस्तार से बता सकते हैं.

ललित उस की बात फौरन ही मान लेते हैं और उन्हें डिनर साथ करने का न्योता भी दे देते हैं. उस दिन ललित घर थोड़ा जल्दी पहुंच जाते हैं और अपनी पत्नी नमिता को आशीष के फोन का जिक्र करने के साथ डिनर की तैयारी करने का अनुरोध करते हुए यह भी कहते हैं कि आज मुझे आशीष की आवाज में थोड़ी सी घबराहट छिपी दिखी, हालांकि मैं गलत भी हो सकता हूं.

थोड़ी सी देर इस विषय पर बातचीत करतेकरते दोनों पतिपत्नी अपने में ही पिछले 4-5 वर्षों की घटनाओं का स्मरण करते विचारमग्न हो जाते हैं.

दरअसल, ललित और नमिता की एक ही बेटी थी सुरेखा. वह बहुत ही लाड़प्यार से पली थी. उन्होंने अपनी बेटी का विवाह बड़ी ही धूमधाम से डैस्टिनेशन वैडिंग के तौर पर उदयपुर से किया था. शीतल, सुरेखा के पति नंदन की एकमात्र बहन थी जो पहले से विवाहित थी और एक प्यारे से पुत्र की मां थी. विवाह बहुत ही अच्छे से संपन्न हुआ. लेकिन विवाह के अगले दिन ही, सुरेखा की विदाई से पहले शीतल के पति अमित का उदयपुर में ही एक कार ऐक्सिडैंट में निधन हो गया. इस अजीब सी घटना से जहां एक ओर शीतल, उस का भाई नंदन और कानपुर निवासी उन के वृद्ध मातापिता दुख के सागर में डूब गए, वहीं सुरेखा दुख के साथसाथ एक गिल्ट की भावना भी अपने अंदर महसूस करने लगी. ऐसी स्थिति में सुरेखा के पिता ललित और पति नंदन ने बड़े धैर्य के साथ और सूझबूझ से समय को संभाला. विदाई की रस्म जैसेतैसे संपन्न हुई और शीतल अपने मातापिता व पुत्र पार्थ के साथ कानपुर आ गई. नंदन एवं सुरेखा लखनऊ आ बसे अपने नए विवाहित जीवन को बसर करने. नंदन लखनऊ में बैंक की एक शाखा में प्रबंधक के पद पर आसीन था.

शीतल के मातापिता ने उस को और उस के 1 वर्ष के पुत्र पार्थ को बहुत ही लाड़ और दुलार के साथ रखा. बेटी के दुख और उस के सिर पर आई एक नई जिम्मेदारी को उन्होंने खूब ही समझदारी के साथ बांटा और पार्थ को पिता के नहीं होने का आभास नहीं होने दिया. इस तरह से वक्त गुजरता गया. नंदन और सुरेखा जब तब लखनऊ से आ जाते और शीतल व पार्थ के साथ समय गुजारते.

यों तो परिवार के हर सदस्य के मन में यह प्रश्न आता ही था कि क्या शीतल को दूसरे विवाह के बारे में सोचना चाहिए. किंतु सुरेखा इस प्रश्न को उजागर करती रहती थी. शायद कहीं अपराधबोध शीतल के मन में अनावश्यक तौर पर प्रवेश कर गया था कि यह दुर्घटना उस के इस परिवार में आने से हुई.

‘मैं दूसरे विवाह के बारे में सोच भी कैसे सकती हूं, अमित का चेहरा हर समय मेरी आंखों के सामने रहता है,’ शीतल अपना तर्क देती थी.

लेकिन, जैसा कहा गया है, समय हर दर्द के ऊपर मरहम का कार्य करता ही रहता है. इसी तरह 4 साल गुजर गए और अनायास एक दिन शीतल ने सुरेखा को फोन पर बताया, ‘मैं जीवनसाथी डौट कौम में यों ही सर्च कर रही थी तो मुझे एक लड़का पसंद आया.’

‘हां, हां, फिर?’ सुरेखा ने और बताने के लिए कहा.

‘सुरेखा, पता नहीं सही है कि गलत, मैं उस लड़के से मिल भी चुकी हूं और हम ने एकदूसरे के साथ जीवनसाथी बनने का वादा भी कर लिया है.’

‘दीदी, यह तो बहुत ही अच्छी खबर है, जल्दी से बताओ न, कौन है वह, क्या करता है, कहां रहता है, नाम क्या है?’ सुरेखा अपना उतावलापन रोक नहीं पा रही थी.

‘बताती हूं, बताती हूं, अरे भई, मुंबई में रहता है, एक प्राइवेट कंपनी में काफी अच्छी जौब करता है और देखने में भी अच्छाखासा है, हैंडसम है और नाम है आशीष,’ कह कर शीतल ने अपने मन की सारी बातें सुरेखा को बता दीं.

सुरेखा कहां रुकने वाली थी, उस ने उसी शाम अपने पति नंदन को बताया. और थोड़ी देर विचारविमर्श करने के बाद दोनों झटपट कानपुर के लिए रवाना हो गए. कानपुर में नंदन ने इस बात का खुलासा अपने माता और पिताजी को किया और फिर शीतल को बीच में बिठा कर सब ने प्रश्नों की झड़ी लगा दी.

नंदन ने पूछा, ‘दीदी, तुम ने सबकुछ ठोकबजा कर देख लिया है न? उस की पहली शादी क्यों टूटी, यह पता लगाया?’

शीतल ने कहा, ‘हांहां, अपनी समझ से सबकुछ पूछ लिया है. उस की पहली पत्नी एक मुसलिम लड़की है जो कि मिजाज की बहुत चिड़चिड़ी थी. अपने जिद्दीपन और तुनकमिजाजी के कारण उस ने आशीष का जीना हराम कर रखा था. अब 1-2 वर्ष हो गए, आशीष अलग ही रहते हैं.’

‘दीदी, लेकिन कानूनी तौर पर तलाक लिया हुआ है कि नहीं?’ नंदन ने पूछा, ‘और फिर पार्थ का क्या होगा?’ सभी प्रश्नों का उत्तर शीतल ने धैर्य के साथ दिया. उस ने बताया कि आशीष तलाक की कोशिश में लगे हैं और वह हो ही जाएगा. और जहां तक पार्थ का प्रश्न है, आशीष ने उसे पूरी तरह आश्वास्त किया हुआ था कि वह उसे बेटे की तरह अपना लेगा. उस ने यह भी बताया कि अगले महीने आशीष मुंबई से लखनऊ किसी काम से आ रहे हैं और यदि सब को मंजूर हो तो वह नंदन के घर जा कर सब से मिलने के लिए भी तैयार है.

और ऐसा ही हुआ. आशीष के लखनऊ आते ही नंदन ने फोन कर के उसे अपने घर डिनर पर बुला लिया. शीतल कानपुर से पहले ही आ गई थी. नंदन और सुरेखा आशीष से मिल कर अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने उस से वे सभी प्रश्न पूछ डाले जो शीतल के अच्छे भविष्य को सुनिश्चित कर सकते थे.

‘आशीषजी, आप ने कानूनीतौर पर तलाक नहीं लिया है तो आगे चल कर कोई परेशानी तो नहीं होगी?’ नंदन का प्रश्न था.

पंखिया  सेम आमदनी का नया विकल्प

इन दिनों दुनियाभर में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाए जाने के साथ ही किसानों की आमदनी को दोगुना किए जाने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन यह तभी मुमकिन है जब किसान उत्पादन बढ़ाने वाले तरीकों को आजमाने के लिए खुद आगे आएं, क्योंकि सरकारों के भरोसे कभी भी किसानों का भला नहीं हो सकता है.

ऐसे दौर में किसानों को उत्पादन के साथ ही अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए उन्नत खाद, बीज और तकनीकी का सहारा लेने की जरूरत है. किसान जब तक किसान के साथ ही एक बनिए के रूप में अपनी सोच नहीं विकसित कर लेगा, तब तक उसे खेती में घाटा उठाना ही पड़ेगा, इसलिए किसानों को चाहिए कि वे व्यावसायिक और नकदी फसलों पर ज्यादा जोर दें.

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ऐसी ही एक नकदी फसल है पंखिया सेम, जो सेम की आम प्रजातियों से अलग हट कर है. इस में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व सेहत के लिहाज से भी अच्छे माने जा रहे हैं, इसलिए यह किसानों के लिए आमदनी के एक नए विकल्प के रूप में उभर कर सामने आ सकती है. वैसे, सेम को दलहनी फसल में शामिल किया गया है, लेकिन इस की फलियों को सब्जियों के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

अगर पंखिया सेम की बात की जाए तो देश में इस प्रजाति की खेती अभी बहुत कम की जाती है, जबकि इस वैरायटी की खासीयत इस के बाजार की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा देती है.

देश में पंखिया सेम की वैरायटी को ले कर अभी भी लगातार शोध चल रहे हैं, जिस में से भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने इस की उन्नत प्रजाति को विकसित करने में कामयाबी पाई है.

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पंखिया सेम दूसरी किसानों से अलग हट कर है.  फलियों की लंबाई 15 से 20 सैंटीमीटर तक की होती है और इस की फलियां किस्मों के आधार पर हरे, गुलाबी या बैगनी रंग की होती हैं.

पंखिया सेम एक ऐसी उन्नत प्रजाति है, जिस का फल, फूल, पत्ता, तना और बीज के साथ जड़ को भी खाया जाता है. पंखिया सेम कोलैस्ट्रौल घटाने में कारगर होने के साथसाथ प्रोटीन और खनिज का अच्छा स्रोत है. एंटीऔक्सीडैंट के साथ इस में प्रोटीन की भी भरपूर मात्रा उपलब्ध है. इस के अलावा इस में कार्बोहाइड्रेट, वसा, आयरन, गंधक, तांबा, खनिज पदार्थ, पोटैशियम, कैलशियम, मैंगनीशियम, कैलोरी व फाइबर की भरपूर मात्रा उपलब्ध है.

उन्नत किस्में

अभी तक देश में पंखिया सेम की ज्यादा किस्में विकसित नहीं हुई हैं. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी इस की नई किस्म पर काम कर रहा है, लेकिन जिस किस्म  का प्रचलन देश में सब से ज्यादा है, उस का नाम आरएमबीडब्लूबी-1 है.

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मिट्टी और खेत की तैयारी

पंखिया सेम की बोआई उसी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, जैसे सेम की दूसरी किस्मों की बोआई की जाती है. इस के लिए पानी के निकास वाली अच्छे जीवांशयुक्त बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सब से सही मानी जाती है. इस की फसल के लिए ज्यादा क्षारीय और ज्यादा अम्लीय जमीन बाधक होती है.

इस की बोआई के पहले खेत की जुताई कल्टीवेटर, हैरो से कर के मिट्टी को भुरभुरा बना कर पाटा लगा देना चाहिए. यह ध्यान रखें कि बोआई के समय खेत में सही मात्रा में नमी उपलब्ध हो.

बीज की मात्रा, बोआई का उचित समय व बोआई विधि

सेम की फसल लेने के लिए एक हेक्टेयर खेत में 20 से ले कर 30 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. बीज को खेत में बोने के पहले बीज को कार्बंडाजिम या थिरम 2 ग्राम  मात्रा प्रति किलोग्राम ले कर शोधित कर लेना चाहिए.

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पंखिया सेम की बोआई साल में 2 बार की जा सकती है. इस की अगेती फसल फरवरीमार्च में बोई जाती है, जबकि वर्षाकालीन फसल जून से ले कर अगस्त तक बोई जा सकती है.

पंखिया सेम की बोआई उठी हुई क्यारियों में होनी चाहिए, जिस की लाइन से लाइन की दूरी 1 मीटर से ले कर डेढ़ मीटर होनी सही रहेगी और पौध की दूरी डेढ़ फुट से ले कर 2 फुट होनी चाहिए. अच्छे जमाव के लिए बीज को  2-3 सैंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए.

पंखिया किस्म की फलियां दूसरी किस्मों के बजाय ज्यादा लंबी और नरम होती हैं. ऐसे में खेत की मिट्टी का इस की फलत पर असर पड़ता है, इसलिए अच्छे उत्पादन के लिए इस के पौधों को सहारा देना ज्यादा मुफीद होता है. इस से पौधों में अच्छी फलत आने के साथ ही पौधों का विकास भी अच्छा होता है, इसलिए पौधे की लताओं को बांस की बल्लियों से सहारा दे कर चढ़ाने से पौधों की अच्छी बढ़वार होती है. ऐसे में पौधों के पास बांस गाड़ कर उस पर रस्सी या तार बांध देना चाहिए. इस से सेम की लता इस के सहारे ऊपर चढ़ कर फलत देती है.

खाद व उर्वरक

बढ़ रही बीमारियों को ध्यान में रख कर खाद्यान्न फसलों में कम से कम रासायनिक खादों का प्रयोग करना चाहिए. रासायनिक खादों की मात्रा में कमी लाने के लिए हमें जैविक खादों के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है.

अगर आप जैविक खाद से फसल लेना चाहते हैं तो एक हेक्टेयर खेत में 10 टन से  15 टन गोबर की सड़ी खाद को खेत की तैयारी के समय ही खेत में मिला दें. इस के साथ ही  20 किलोग्राम नीम की खली व 50 किलोग्राम अरंडी की खली की बोआई भी करें.

अगर आप के पास गोबर की खाद या जैविक खाद उपलब्ध नहीं है, तो ऐसी अवस्था में आप बोआई के समय 50 किलोग्राम डीएपी,

50 किलोग्राम म्यूरेट औफ पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जमीन में मिला देनी चाहिए. इस के बाद बोआई के तकरीबन 20-25 दिन बाद

30 किलोग्राम और 50-55 दिन बाद फसल में यही मात्रा डालें.

सिंचाई व खरपतवार नियंत्रण

अगेती फसल में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करते रहना चाहिए, जबकि बरसात  के मौसम में सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. जब फसल में फूल और फलियां आ रही  हों, तो खेत में नमी बनाए रखें. इस के लिए जरूरत पड़े तो सिंचाई करते रहें.

फसल की अच्छी बढ़वार और पैदावार के लिए खरपतवार को निराईगुराई कर के निकाल लेना चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग करना ज्यादा फायदेमंद होता है. इस से न केवल खरपतवार नियंत्रित होता है, बल्कि नमी भी देर तक बनी रहती है. इस से सिंचाई पर आने वाले खर्च पर कमी आती है.

कीट पर नियंत्रण

कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती में वैज्ञानिक फसल सुरक्षा डा. प्रेम शंकर के अनुसार, सब्जियों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए जैवनाशियों का इस्तेमाल करना चाहिए. अंतिम समय में रासायनिक कीटनाशकों और फफूंदीनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन इस के छिड़काव के एक हफ्ते बाद ही सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए.

बीन का बीटल

डा. प्रेम शंकर के मुताबिक, यह कीट सेम के पौधे के कोमल भागों को खाता है. इस के चलते सेम के पौधे विकास नहीं कर पाते और सूख जाते हैं. इस कीट का रंग तांबे जैसा होता है. शरीर के कठोर आवरण पर 16 निशान होते हैं.

इस कीट का असर फसल पर न होने पाए, इस के लिए नीमारिन का इस्तेमाल  1 लिटर पानी में 10 मिलीलिटर की मात्रा  के हिसाब से करना चाहिए. इस की ढाई  लिटर मात्रा का इस्तेमाल 1 हेक्टेयर में करना चाहिए.

अगर फसल में बीन बीटल का प्रकोप हो गया हो, तो ऐसी अवस्था में फिवोनिल की  2 मिलीग्राम मात्रा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. एक हेक्टेयर के लिए इस की एक से सवा लिटर मात्रा का प्रयोग किया  जाता है.

माहू

ये कीड़े पौधे के पूरे भाग में फैल कर पौधों का रस चूसते हैं, जिस से नमी की कमी के चलते पौधा अंत में सूख जाता है.

इस कीट की रोकथाम के लिए एजाडिरेक्टिन 5 फीसदी की आधा मिलीलिटर मात्रा प्रति लिटर पानी में घोल कर 10 दिन

के अंतराल पर 2 से ढाई लिटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सेम की खड़ी फसल पर छिड़काव करें.

फली छेदक

यह कीट सेम की फली में छेद कर के घुस जाता है और पौधे के कोमल भागों को खाता है, जिस से फलियां खोखली हो जाती हैं.

इस की रोकथाम के लिए बैसिलस थियुरिनजिनेसिस यानी बीटी प्रति हेक्टेयर 500 से 1,000 ग्राम मात्रा को 600 से 800 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. फसलों  में यह सूंडि़यों के नियंत्रण की सब से अच्छी दवा है.

पत्ती में सुरंग बनाने वाला कीड़ा या लीफ माइनर

यह कीट हरी पत्तियों को खा कर नष्ट कर देता है. इस के नियंत्रण के लिए नीम तेल का नीमारिन का इस्तेमाल 1 लिटर पानी में 10 मिलीलिटर की मात्रा का प्रयोग करें. 1 हेक्टेयर में ढाई लिटर का इस्तेमाल करना चाहिए.

बीमारियों का नियंत्रण

कालर रौट : इस रोग के प्रभाव में आ कर पौधों में जमीन की सतह से सड़न आ जाती है और पौधे नष्ट हो जाते हैं. इस रोग के जीवाणु मिट्टी में जीवित रहते हैं और सही वातावरण मिलने पर दोबारा सक्रिय हो जाते हैं.

इस बीमारी से बचने के लिए बीज का उपचार ट्राइकोडर्मा से किया जा सकता है. ट्राइकोडर्मा एक जैव फफूंदीनाशक दवा है. इस को भूमि शोधन में प्रति हेक्टेयर ढाई किलोग्राम को 50 किलोग्राम से 60 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर प्रयोग करना चाहिए.

फसल को रोग से बचाने के लिए बोआई के 20 दिन बाद ट्राइकोडर्मा के घोल से  10 ग्राम प्रति लिटर पानी को जड़ों में छिड़काव करना चाहिए. यह ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग किया जाता है.

अगर फसल में रोग का असर दिखाई पड़ रहा है, तो इस के नियंत्रण के लिए शाम के समय जड़ के समीप कौपर औक्सीक्लोराइड

4 ग्राम प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए. एक हेक्टेयर में इस की  2.5 किलोग्राम मात्रा की जरूरत पड़ती है.

रस्ट : यह फफूंद से होने वाला रोग है, जो पौधों के सभी ऊपरी भाग पर छोटे, हलके उभरे हुए धब्बे के रूप में दिखाई देता है. तने पर आमतौर पर लंबे उभरे हुए धब्बे बनते हैं.

इस रोग का असर दिखाई देने पर फ्लूसिलाजोल या हैक्साकोनाजोल या बीटरटेनौल या ट्राईआडीमेफौन 1 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी की दर से 1 हेक्टेयर में 5 से 7 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. इसे 125 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग किया जाता है.

विषाणु रोग (गोल्डन मोजैक) : यह विषाणु से होने वाला रोग है जो सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. इस रोग से संक्रमित पौधों की पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और पौधों की वृद्धि रुक जाती है. इस बीमारी के रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस पाउडर 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज थायोमेथाजाम

70 डब्ल्यूएस का 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति किलोग्राम से बीज शोधन करना चाहिए.

फसल को इस बीमारी से बचाने के  लिए बोई गई फसल के खेत के चारों तरफ मक्का, ज्वार और बाजरा लगाना चाहिए, जिस से सफेद मक्खी का प्रकोप फसल में न  हो सके.

फिर भी फसल में रोग का प्रकोप दिखाई पड़ने पर इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल का  1 मिलीलिटर प्रति 1 लिटर पानी के घोल से पौधों की जड़ों में छिड़क कर फसल को बचाया जा सकता है. इस के अलावा डाईमेथोएट 30 ईसी 2 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में मिला कर जरूरत के मुताबिक छिड़काव करना चाहिए. इसे 325 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग किया जाता है.

तना सड़न : इस रोग में संक्रमित पौधों के तनों में सड़न पैदा हो जाती है. अगर इस रोग का प्रकोप दिखाई पड़े, तो प्रभावित पौधे हटा कर फसल में फूल आने की दशा में कार्बंडाजिम 12 प्रतिशत व मैंकोजेब 63 प्रतिशत 1 ग्राम प्रति लिटर छिड़काव किया जाना उचित होता है. एक हेक्टेयर में इस की 1 किलोग्राम मात्रा की जरूरत पड़ती है.

बैक्टीरियल ब्लाइट्स : यह पंखिया सेम की फसल में लगने वाला एक जीवाणुजनित रोग है, जिस में बड़े धब्बे के समान लक्षण पत्तियों पर दिखते हैं. बरसात में फलियों पर भी छोटे धब्बे बनते हैं. इस बीमारी से फसल को बचाने के लिए बोआई के पहले ही बीज को स्ट्रेप्टोसाइक्लीन घोल में 30 मिनट के लिए डुबोने के बाद बोआई करें.

फलियों की तुड़ाई व उत्पादन

पंखिया सेम की फलियों की तुड़ाई कोमल अवस्था में ही कर लेनी चाहिए, क्योंकि तुड़ाई देर से करने पर फलियां कठोर हो जाती हैं और रेशे आ जाते हैं, जिस के कारण बाजार मूल्य उचित नहीं मिल पाता है.

पंखिया सेम की फसल 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर फली, 40 क्विंटल बीज व 80 क्विंटल तक जड़ की उपज हासिल होती है.

सामाजिक बदलाव के लिए नेहा धूपिया और ‘जियो सावन’के पाॅडकास्ट ‘नो फिल्टर नेहा’’ने ‘सेव द चिल्ड्रेन’से मिलाया हाथ

देश की आजादी के 73 वर्ष बाद,21 वीं सदी में भी हमारे देश में बाल विवाह,भू्रण हत्या सहित कई कुरीतियां और औरतों के मासिक धर्म को लेकर कई तरह की भ्रांतियां  फैली हुई हैं.इन पर अंकुश  लगाने के सरकारी कानून भी असफल सा नजर आ रहे हैं.तो वहीं कुछ युवा इन सभी अपने अपने स्तर पर अपने गांव या छोटे शहरों में गलत भ्रातियों व कुरीतियों के लिए लड़ाई लड़कर जागरूकता लाने का काम भी कर रहे हैं.मगर इनके पास सीमित साधन हैं.ऐसे ही युवा सामज सेवियों की सफलता व इनके कर्म की कहानियों को प्रसारित कर पूरे देश की युवा पीढ़ी तक पहुॅचाते हुए युवा पीढ़ी के बीच जागरूकता लाने के मकसद से देश की दक्षिण एशिया की मशहूर आडियो संगीत स्ट्ीमिंग सर्विस ‘‘जियो सावन’’ और नेहा धूपिया के प्रोडक्षन हाउस ‘‘बिग गर्ल प्रोडक्षंस’’के पाॅडकास्ट ‘‘नो फिल्टर नेहा’’( #NoFilterNeha )के पांचवे सीजन से सेव द चिल्ड्रन की ड्रीम एक्सीलरेटर पहल के साथ जुड़कर एक नई पहल शुरू की है.जिसका नाम है ‘‘नो फिल्टर नेहा केअर्स’’ (#NFNCares ). यह पहल उन बच्चों के साथ भागीदारी को मजबूत करने पर केन्द्रित है,जो बच्चे सशक्त हैं और सामाजिक बदलाव के लिए स्वतंत्र परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं.

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इसके माध्यम से ‘सेव द चिल्ड्रन’के साथ भागीदारी में यह नया ऑडियो शो यंग लीडर्स को आगे लाएगा.हमेशा की तरह अपनी दमदार कहानियों और बेहतरीन बातचीत के साथ #NFNCares का लक्ष्य श्रोताओं को आगे आने और इन लोगों को सहयोग देने के लिये प्रोत्साहित करना है.#NFNCares देशभर में बदलाव के युवा चैम्पियंस की कहानियों को सामने लाने पर फोकस करता है. ऐसे बच्चों से बात करेंगी,जो अपनी क्षमता से समाज में बदलाव लेकर आए हैं,उनके द्वारा मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को तोड़ने से लेकर गांवों में बाल विवाह रोकने तक और ऐसे कई काम किए गए हैं.जियोसावन के यूजर्स और इस शो के प्रशंसक एप पर रुछथ्छब्ंतमे बैनर को टैप कर इस नेक कार्य में दान देकर पहल में भाग ले सकते हैं.
इस संबंध में ‘सेव द चिल्ड्रन’ की कैम्पेन हेड प्रज्ञा वत्स ने कहा-‘‘बच्चों के सपनों को पंख देने के हमारे प्रयास में हम नेहा धूपिया और जियो सावन का साथ पाकर उत्साहित है.हमारी ड्रीम एक्सीलरेटर पहल बदलाव लाने वाले युवाओं के साथ भागीदारी करती है,उन्हें सशक्त और प्रेरित करती है, ताकि उनका बदलाव प्रभावी हो.हम उनमें निवेश कर और उनकी आवाज को बुलंद कर बदलाव लाने वालों की एक नई पीढ़ी बना सकते हैं,जो सबसे वंचित समुदायों का प्रतिनिधित्व करे #NFNCares के साथ हर किसी के पास भारत के भविष्य के लीडर्स केसपनों को गति देने का मौका है.’’
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इस नई पहल की चर्चा करते हुए नेहा धूपिया कहती हैं-‘‘यह पहल सकारात्मक विकास में योगदान देने का हमारा तरीका है.बच्चे देश का भविष्य हैं और उनके दिमाग में ताजगी होती है.इसलिए वह बेहतर कल के लिए अच्छा काम कर सकते हैं. हमारा मानना है कि ‘सेव द चिल्ड्रन’ की ‘ड्रीम एक्सीलरेटर’पहल के साथ जुड़कर हम इन बच्चों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने में अपना योगदान दे रहे हैं.हम सभी जानते हैं कि भारत के 12 राज्यों और विश्व के 120 देशों में ‘सेव द चिल्ड्रन’’(ूूूwww-savethechildren.in dरता है. पाॅंच सीजनों मंे ‘‘नो  फिल्टर नेहा’’ (#NoFilterNeha ) को मजबूती से सहयोग देने वाले श्रोताओं से मेरा आग्रह है कि वह भी अपना योगदान दें और अच्छे भविष्य के लिये मिलकर काम करें.मेरी ओर से यह आश्वासन है कि ‘नो फिल्टर नेहा’ ( #NoFilterNeha ) में कोई फिल्टर मीटर नहीं होगा!’’
जियो सावन में कम्युनिकेशंस और सस्टेनेबिलिटी की लीड लाइजेल नोरोन्हा ने कहा-‘‘जियोसावन में हम अपने लाखों यूजर्स के लिये आशा से भरी और अनोखी आवाजों और कहानियों को आगे लाने में अपनी भूमिका निभाते हैं.‘एनएफएनकेअर्स(   रुछथ्छब्ंतमे) के माध्यम से हमारे देश में सामाजिक बदलाव के पाँच नन्हे चैम्पियंस और चेंजमेकर्स की व्यक्तिगत कोशिशों पर चर्चा होगी. हमें इस अनूठी पहल के लिए नेहा और सेव द चिल्ड्रन के साथ काम करके खुशी हो रही है.’’
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फिलहाल पॉडकास्ट में निम्न लोग आने वाले हैं
1-मुंबई की गोवंडी क्षेत्र में बसी झुग्गी बस्ती में रह रही सलेहा देश में मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को तोड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं.उनकी कहानी भारत के 11 राज्यों से आने वाले बदलाव के चेंजमेकर्स पर एक नई किताब ‘वी आर द चैम्पियंस’ की 15 कहानियों में शामिल है.
2-बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले षैलेंद्र राजस्थान के टोंक जिले के अपने गांव में बालविवाहों को रोका और बच्चों को बालश्रम से मुक्ति दिलाई है।उन्होंने स्कूलों में शारीरिक दंड का निडरता से विरोध किया है और बच्चों को पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया है.
3-दैनिक वेतनभोगी मजदूरों और कुशल कर्मियों के परिवार से आने वाली फरहाना ने लॉकडाउन के दौरान अपने समुदाय को भूख से बचाने के लिए अपने जैसे बच्चों के ग्रुप के साथ सफल कार्य किया.
4-हरियाणा से बुलंद उड़ान की लीडर अंजू अब तक 700 से ज्यादा बच्चों का स्कूलों में नामांकन कराने क ेअलावा कई बाल विवाह रोके हैं.अंजू ने यौन शोषण के मामलों में भी दखल दिया और कन्या भ्रूण हत्याएं रोकीं.न केवल एक सफल सामाजिक कार्यकर्ता हैं,बल्कि एक टेडएक्स स्पीकर भी हैं.
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5-सार्वजनिक और सरकारी वकालत में प्रशिक्षित अजहरूद्दीन ने झुग्गियों में रहने वाले समुदायों की समस्याओं को आवाज दी है.उन्होंने अम्फान चक्रवात और कोविड-19 संकट के दौरान आगे रहकर काम किया.
सुनिये #NoFilterNeha सीजन पांच केवल जियोसावन परःNFN Cares

बिग बॉस 14- रुबीना दिलाइक के सपोर्ट में आई काम्या पंजाबी , कही ये बात

सलमान खान का सबसे ज्यादा चर्चित शो बिग बॉस 14 का आगाज हो चुका है. इस शो को शुरू हुए कुछ दिन भी हो गए इसके बाद से अब इस शो में विवाद होने और कंटेस्टेंट अपनी- अपनी बातों को रखने लगे हैं. इस विवादित शो में बीते दिनों रुबीना दिलाइक की एक कही हुई बात उनपर भी भारी पड़ जाएगी यह उन्हें बिल्कुल भी पता नहीं था.

दरअसल, रुबीना रोज मिलने वाली 7 चीजों की प्रक्रिया में बदलाव चाह रही थीं. रुबीना ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि सलवार सूट और चुन्नी एक साथ ही पहने जाते हैं. इस पर शो में बतौर सीनियर्स सदस्य के रूप में हिस्सा ले चुकी हिना खान उनसे नाराज हो गई.

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और दो जूतों को अलग- अलग करने का फरमान जारी कर दिया. जिससे सभी घर वाले भड़क गए औऱ रुबीना दिलाइक घर वालों के निशाने पर आ गई. अब भले ही घर वाले रुबीना दिलाइक को जमकर कोस रहे हो लेकिन उनकी दोस्त काम्या पंजाबी उनके सपोर्ट में उतर आई हैं.

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उन्होंने रुबीना को सपोर्ट करते हुए लिखा है कि रुबीना आइटम्स पर समझदारी से काम कर रही थी. लेकिन कुछ लोगों का इगो क्लेश हो गया शबाश रुबीना  मैं  तुम्हारे साथ हूं.

बता दें कि काम्या पंजाबी हर साल बिग बॉस सीजन को बड़े ध्यान से देखती हैं और हर बार अपनी बातों को रखती हैं. बता दें कि काम्या पंजाबी बिग बॉस सीजन 7 का हिस्सा भी रही हैं. इसलिए वह गेम को बहुत ज्यादा बारीकी से समझती हैं.

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शो को देखने के बाद इस पर इनपुट देना बिल्कुल नहीं भूलती हैं.

नीतू सिंह ने घाघरा सॉन्ग पर लगाया ठुमका,फैंस बोले रणबीर आलिया के संगीत की तैयारी

नीतू सिंह का एक डांस वीडियो सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब वायरल हो रहा है. जिसमें वह अपने बेटे रणबीर कपूर के गाने घाघरा पर डांस करती नजर आ रही हैं. ऋषि कपूर के मौत के बाद से यह नीतू सिंह का पहला डांस वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है डिसे देखकर फैंस काफी ज्यादा खुश हो रहे हैं. इस वीडियो में नीतू सिंह काफी ज्यादा खुश  लग रही हैं.

फैंस इस वीडो को देखने के बाद लगातार नीतू सिंह से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या आप इसलिए डांस सीख रही हैं क्योंकि आप रणबीर और आलिया के शादी में डांस करना चाह रही हैं. बता दें कि रणबीर और आलिया काफी लंबे वक्त से एक- दूसरे को डेट कर रहे हैं. खबर यह भी आ रही है कि वह दोनों जल्द ही एक-दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. इसलिए इस वीडियो को रणबीर आलिया के शादी से भी जोड़ा जा रहा है.

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Amazing dance choreo with the one and only my favourite @neetu54 ?

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बता दें रणबीर कपूर के पिता ऋषि कपूर की कुछ महीनों पहले ही मृत्यु हुई है जिसके बाद से उनका पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ था. ऋषि कपूर काफी लंबे वक्त से बीमार चल रहे थें. जिस वजह से उनका इलाज काफी समय तक विदेश में भी चला था.

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जहां उनसे मिलने रणबीर कपूर अपनी गर्लफ्रेंड आलिया भट्ट के साथ मिलने पहुंचे थे. जिसके बाद से इनके रिश्ते पर मोहर लगा दी गई थी.

विदेश से इलाज कराकर वापस आने के बाद ऋषि कपूर पूरी तरह से बडल चुके थें. उनका चेहरा भी चेंज हो गया था. खैर ऋषि कपूर अपने एकलौते बेटे रणबीर कपूर की शादी को देखना चाहते थें. इसलिए रणबीर और आलिया की शादी इस साल के आखिरी में रखी गई थी.

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ऋषि कपूर का यह सपना अधूरा रह गया . इस बात का दुख पूरे कपूर परिवार को है.

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