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GHKKPM: श्रुति और विराट की होगी शादी? सीरियल में आएगा ये ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में लगातार ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों को फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो टीआरपी लिस्ट में भी अपना जगह बनाए हुए है. शो में अब तक आपने देखा कि विराट श्रुति के ऑपरेशन के लिए उन पेपर्स पर साइन कर देता है. जिसके बाद डॉक्टर श्रुति का ऑपरेशन शुरू करते हैं. शो के आने वाले एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के लेटेस्ट एपिसोड के बारे में…

शो में आप देखेंगे कि भवानी श्रुति से हॉस्पिटल में मिलती है. वह श्रुति को खूब खरी-खोटी सुनाती है. इतना ही नहीं, भवानी उसे मरने की बद्दुआ देगी. ऐसे में श्रुति भवानी को सारा सच बताएगी. सच जानने के बाद भवानी को पछतावा होगा.

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भवानी को पता चलेगा कि श्रुति का पति मर चुका है. तो दूसरी तरफ सई भी विराट को छोड़कर जा चुकी है. ऐसे में भवानी माइंड गेम खेलेगी और श्रुति को विराट से शादी करने का ऑफर देगी. तो उधर सई को भी पता चल जाएगा कि विराट ने श्रुति को बचाने के लिए सबसे झूठ बोला था.

 

शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि निनाद ने घरवालों के सामने विराट की बहुत बेइज्जती की. विराट को बेशर्म भी कह दिया. ऐसे में विराट ने चौहान हाउस छोड़ दिया. विराट के जाने के बाद भवानी की तबियत खराब हो गई और उसे अस्पताल में एडमिट कराया गया.

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Satyakatha: उज्बेकिस्तानी सेक्स वर्कर

सौजन्य- सत्यकथा

दक्षिणी दिल्ली का एक पौश इलाका है वसंत कुंज. सुबह के 5 बज चुके थे. वहां के एक पार्क में जौगिंग करने वालों का आना शुरू हो चुका था. हालांकि उन की संख्या पहले की तुलना में काफी कम थी, जबकि एक समय था जब यह पार्क सूर्योदय से एक घंटा पहले ही काफी गुलजार हो जाता था. मार्निंग वौक, जौगिंग या फिर पार्क में एक्सरसाइज करने वालों के अलावा अपने पेट्स को घुमाने वाले आ जाते थे.

रमाकांत शर्मा और सुदर्शन ठाकुर पार्क में रोजाना आते थे. नवंबर की 10 तारीख को भी दोनों समय से पार्क पहुंच गए थे. उन की लंबी दोस्ती थी. वे पार्क आने वाले हर उस व्यक्ति को पहचानते थे, जो रोजाना आते थे. यहां तक कि उन से जानपहचान भी थी. दोनों अभी जौगिंग की शुरुआत करने वाले ही थे कि उन के ठीक बगल से 2 युवतियां तेजी से दौड़ती हुई निकल गईं.

रमाकांत उन के बारे में बोलने को हुए, उस से पहले सुदर्शन बोल पड़े, ‘‘यार ये दोनों नई आई हैं. विदेशी हैं. उन्हें हम ने कल मार्केट में भी कैब ड्राइवर से उलझते देखा था.’’

‘‘लेकिन तुम्हें कैसे मालूम विदेशी हैं, दिखने में तो इंडियन ही लग रही हैं,’’ रमाकांत बोले.

‘‘अरे यार, इन के कलर और नाकनक्श से ही कोई भी पहचान लेगा कि ये विदेशी हैं. और कल यह एक कैब ड्राइवर से जो भाषा बोल रही थीं, वह उसे समझ नहीं पा रहा था. ड्राइवर बारबार बोल रहा था स्पीक इन इंग्लिश,’’ सुदर्शन बोले.

‘‘तो फिर वे कौन सी भाषा बोल रही थीं?’’

‘‘मुझे क्या पता, उन के बीच हुई बहस से सिर्फ इतना पता चला कि पैसे के लेनदेन की बात हो रही थी. वे 20 हजार और बारबार मोनू बोल रही थीं.’’ सुदर्शन ने स्पष्ट किया. उन्होंने आगे बताया, ‘‘…लेकिन यार एक बात बोलूं उन लड़कियों की हरकत कुछ अच्छी नहीं लगी.’’

‘‘अच्छी नहीं लगी का क्या मतलब?’’ रमाकांत ने जिज्ञासवश पूछा.

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‘‘अच्छी नहीं का मतलब उन की देह दिखाने वाली वेशभूषा और बोलचाल का लहजा बाजारू औरतों की तरह लगा था.’’ सुदर्शन बोले.

‘‘यह तुम कैसे कह सकते हो?’’

‘‘देखो, कोई भी अच्छी लड़की इंडियन हो या किसी दूसरे देश की, बोलचाल से उस के संस्कारी और सभ्य होने का पता चल ही जाता है. यही देखो न, दोनों कैसे दौड़ती आ रही हैं. कोई सभ्य लड़की वैसे दौड़ेगी क्या? कपड़े भी उन्होंने कैसे पहन रखे हैं.’’

दौड़ती दोनों लड़कियों की ओर इशारा करते हुए सुदर्शन बोले, जो उन की ओर ही लौट रही थी. देखतेदेखते दोनों पास से गुजर भी गईं.

संयोग से उन की बातें बलराज ने भी सुनीं. वह दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के एएसआई हैं. उन्हें भी सूचना मिली थी कि विदेशी युवतियां वसंत कुंज इलाके में रह कर सैक्स वर्कर का काम रही हैं. इसी सिलसिले में वह पार्क में जौगिंग के बहाने से आए थे. वह चाहते तो वहीं दोनों को हिरासत में ले सकते थे, लेकिन वह उन्हें रंगेहाथ पकड़ना चाहते थे.

पार्क में सुदर्शन और रमाकांत की बातों से बलराज को इतना तो सुराग मिल ही गया था कि उन विदेशी युवतियों का वसंत कुंज के डी ब्लौक में आनाजाना होता है. इस आधार पर उन्होंने सब से पहले कैब ड्राइवर पर नजर रखी. वह अपने मुकाम तक पहुंचना चाहते थे, इसलिए वह वसंत कुंज इलाके से कैब के जरिए इधरउधर आनेजाने लगे.

ड्राइवरों से बातोंबातों में मौजमस्ती वाले अड्डे या विदेशी सैक्स वर्कर की भी बातें करने लगे. जल्द ही उन्हें एक कैब ड्राइवर से मोनू के बारे में जानकारी मिल गई, उन्होंने मोनू के मिलने का ठिकाना और उस का फोन नंबर भी मालूम कर लिया. जब उन्हें कालगर्ल की पक्की जानकारी मिल गई तो उन्होंने यह बात इंसपेक्टर अमलेश्वर राय को बताई.

मामला विदेशी कालगर्ल से संबंधित था, इसलिए इंसपेक्टर अमलेश्वर राय ने यह सूचना डीसीपी (क्राइम) मोनिका भारद्वाज को दी.

इस सूचना के बाद डीसीपी (क्राइम) मोनिका भारद्वाज ने एसीपी एस.के. गुलिया  की देखरेख में एक टीम बनाई. टीम में अमलेश्वर राय, एएसआई बलराज और एसआई गुंजन सिंह को शामिल किया. एएसआई बलराज को एक फरजी ग्राहक बनाया गया.

योजना के अनुसार उन्होंने मोनू से फोन पर संपर्क कर बताया कि उन्हें यह नंबर टोनी ने दिया है. हमें 3-4 विदेशी टैक्सियों की जरूरत है. ‘टैक्सी’ मोनू के धंधे का कोडवर्ड था. इस कोडवर्ड से मोनू समझ गया कि ग्राहक जैनुइन है.

इसलिए मोनू ने कहा कि उस के पास उज्बेकिस्तान की लड़कियां आई हुई हैं. प्रत्येक के 20 से 25 हजार रुपए लगेंगे. बलराज ने हामी भर दी.

उस के बाद 13 नवंबर को मोनू के कहे मुताबिक रोहिणी के सैक्टर-15 स्थित बैंक औफ बड़ौदा के करीब पहुंच कर बलराज ने मोनू को फोन किया. मोनू ने उन्हें एक कैब का नंबर दिया.

थोड़ी देर में ही उसी नंबर वाली कैब में 2 युवतियां आ गईं. उन्हें देखते ही बलराज ने पहचान लिया, दोनों वही थीं, जिन्हें उन्होंने कुछ दिन पहले वसंत कुंज के पार्क में दौड़ लगाते देखा था. फरजी ग्राहक बने बलराज उन की कैब के पास पहुंचे. उस में कैब ड्राइवर समेत 2 विदेशी युवतियां मौजूद थीं.

उन से बलराज ने 20 हजार रुपए में प्रत्येक से सौदा तय कर लिया. सौदा तय होते ही औनलाइन पेमेंट करने के लिए मोबाइल फोन निकाला. पेमेंट करने के बजाए उन्होंने पास में मौजूद पुलिस टीम को वाट्सऐप मैसेज कर दिया. तुरंत टीम के सदस्य वहां पहुंच गए और तीनों को गिरफ्तार कर लिया.

तीनों को हिरासत में ले कर पुलिस थाने आ गई. युवतियों की उम्र 24 और 28 साल थी, जबकि कैब ड्राइवर 47 साल का पूरन सिंह था. पकड़ी गई उज्बेकिस्तानी युवतियों ने बताया कि दोनों टूरिस्ट वीजा ले कर भारत आई हैं. उन का मकसद ही जिस्फरोशी का धंधा करना था.

इस के लिए उन्होंने दलाल के माध्यम से धंधा शुरू कर दिया था. उन्होंने वसंत कुंज में किराए का एक फ्लैट ले लिया था. उन का टूरिस्ट वीजा भी खत्म हो चुका था, फिर भी भारत में रह रही थीं.

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जिस्मफरोशी का धंधा वे एक एजेंट मोनू के माध्यम से करती थीं. उसी ने उसे किराए पर फ्लैट दिलवाया था और वही ग्राहक भी तलाशता था. उन्हें दिल्ली एनसीआर के होटलों या फार्महाउसों के लिए बुक करता था.

रूस, तुर्की और उज्बेकिस्तान की सैक्स वर्कर युवतियों की नजर में भारत सुरक्षित और आमदनी वाला देश है. वहां की लड़कियां टूरिस्ट वीजा ले कर बिजनैस या स्टडी के बहाने से भारत आ कर रहने लगती हैं.

पकड़ी युवतियों ने बताया कि 4-5 महीने पहले वह रमेश नाम के दलाल के संपर्क में आई थीं. उस ने मोनू को बतौर एजेंट शामिल कर दिया था. उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने का काम कैब ड्राइवर पूरन करता था.

जहांगीरपुरी, दिल्ली के रहने वाले ड्राइवर ने स्वीकार किया कि कैब किराए के बदले में उसे प्रत्येक से 2-2 हजार रुपए कमीशन मिल जाता था.

उल्लेखनीय है कि भारत के बड़े शहरों में उज्बेकिस्तानी लड़कियों के सैक्स रैकेट का आए दिन खुलासा होता रहता है. वे पकड़ी भी जाती हैं, उन्हें रेव पार्टी, मसाज पार्लर या हाईप्रोफाइल कालगर्ल बना कर परोसा जाता रहा है.

बैडमिंटन: तसमीन मीर की ऐतिहासिक जीत

देश की तसमीन मीर ने एक इतिहास रच दिया है. बैडमिंटन में वर्ल्ड नंबर वन अंडर-19 बनने वाली खिलाड़ी के रूप में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है. यह कारनामा मात्र 16 वर्ष की उम्र में  करके खेल प्रेमियों और समीक्षकों को चौंकाया  है. वे भारत की पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जिन्होंने इस सूची में नंबर वन पर अपनी जगह बना ली है.

दरअसल, तसनीम बेहद फिट हैं जिसके लिए वह नियमित कड़ी मेहनत करती है. तसनीम मीर उनमें  है जो अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य को संधान करती रहती हैं . विगत वर्ष कोरोना काल में लाकडाउन की घोषणा होने से मात्र दो दिन पहले ही वे ट्रेनिंग के लिए बेस कैंप पहुंच गई थीं ,.

हम आपको बताते चलें कि बैडमिंटन की खेल में दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली इस 16 साल की युवती तसनीम की ट्रेनिंग किसी भी तरह से सरल नहीं होती वह 6 से 8 घंटे प्रतिदिन ट्रेनिंग करनी पड़ती है. वह  जब सिर्फ 7 साल की थीं तभी से उनके पिता ने उन्हें प्रारंभिक ट्रेनिंग देना शुरु कर दी . उनके पिता एक बेहतरीन बैडमिंटन कोच हैं और मेहसाना गुजरात पुलिस में पदस्थ हैं जिस कारण तसनीम  बचपन से ही एक एक्टिव लाइफस्टाइल जी रही थीं.

बैडमिंटन में खुद को परफेक्ट करने के लिए एक खिलाड़ी को कई तरह के वर्कआउट्स करने में पड़ते हैं. इनमें जॉगिंग, स्किपिंग, शैडो प्लेइंग, वेट लिफ्टिंग आदि भी की जाती है. साथ ही, प्रोपर डाइट फॉलो करनी होती है.

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तसनीम मीर ने तोड़ा रिकॉर्ड

बैडमिंटन की दुनिया में तस्लीम अमीर अंडर-19 में दुनिया की नंबर-1 खिलाड़ी बन गई है और देश का नाम रोशन किया है.गुजरात के मेहसाणा की रहने वाली 16 साल की बैडमिंटन खिलाड़ी तसनीम मीर ने आश्चर्य की बात यह है कि वह कर दिखाया है, जो अब तक ओलंपिक मेडलिस्ट साइना नेहवाल और पीवी सिंधु ने भी नहीं किया.

तसनीम जूनियर कैटेगरी की शटलर हैं. वे अंडर-19 की वुमन्स सिंगल्स कैटेगरी में दुनिया की नंबर-1 खिलाड़ी बन गई हैं.

एक जूनियर खिलाड़ी रहते हुए यह उपलब्धि साइना नेहवाल और पीवी सिंधु समेत कोई भी भारतीय महिला शटलर हासिल नहीं कर सकी थीं. तसनीम यह उपलब्धि हासिल करने वाली भारत की पहली जूनियर महिला खिलाड़ी बन गई हैं.

वस्तुत: जूनियर वर्ल्ड रैंकिंग 2011 में शुरू हुई, तब साइना इसमें इलिजिबल ही नहीं थीं.
बड़ी उपलब्धि के बाद चर्चा में आ गई सुपर बैडमिंटन खिलाड़ी ने अपना लक्ष्य कुछ इस तरह बयान किया है  तसनीम मीर ने कहा, ‘मैं काफी खुश हूं, पीवी सिंधु और साइना नेहवाल की तरह आगे बढ़ने की कोशिश में हूं .सीनियर लेवल पर अगले ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने के लक्ष्य से प्रैक्टिस जारी रखूंगी.’
जैसा कि हमारे देश की रिवायत है आर्थिक मुश्किलों से दो-चार होते हुए खिलाड़ी देश का नाम रोशन करते हैं यहां भी यही हुआ.

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इस स्टार प्लेयर ने कहा कि एक समय ऐसा भी आया था कि पिता ने आर्थिक तंगी के चलते मेरा खेल बंद करवा दिया था, लेकिन स्पॉन्सर मिलने के बाद मेरा खेल फिर से शुरू हो पाया . इसी कारण आज इस मुकाम तक पहुंच पाई हूं. तसनीम ने तीन साल गोपीचंद एकेडमी में ट्रेनिंग ली है. इसके बाद वह गुवाहाटी के इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग ले रही हैं. वहीं, तसनीम के पिता ने बताया कि बेटी ने छह साल की उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. तसनीम ने अब तक अलग-अलग कैटेगरी में 22 टूर्नामेंट जीते हैं. सिंगल्स में दो बार एशियन चैम्पियन भी रही हैं.

उत्तर प्रदेश का चुनाव: योगी बनाम अखिलेश

उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव जिस तरह अहम हो गए हैं वह काफी हिम्मत बढ़ाने वाला है. यहां पश्चिमी बंगाल के बाद नरेंद्र मोदी की एक बार और हार देखने को मिलेगी या फिर वह ङ्क्षहदू कार्ड के रास्ते अपनी सत्ता बचा ले जाएंगे यह देखना है.

देश के ज्यादातर किसान इसी उत्तर प्रदेश में हैं और इसीलिए किसानों की नाराजगी को ज्यादा देर तक न पालने के कारण सरकार ने 2 साल पहले बनाए कृषि कानून तो वापिस ले लिए पर वैसे कोर्ई राहत किसानों को दी गई हो लगता नहीं. ये चुनाव साफ दिखाते है कि आज के गांव 20-25 साल पहले जैसे कच्ची गलियों वाले, बदबू से मरे, खुले शौच वाले, बिना नल के पानी वाले, अधपक्के मकानों वाले हैं अपनी सभाओं में भीड़ जमा करने के लिए हर दल को बसों और खानेपीने का इंतजाम करना पड़ता है.

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पंजाब जहां भारतीय जनता पार्टी वैसे भी चुनावों में नहीं है, मैं अगर प्रधानमंत्री सुरक्षा का बहाना बना कर फिरोजपुर की सभा में नहीं शामिल हुए तो इसलिए कि वहां लाई जा रही भीड़ की बसों किसानों  आंदोलनकारियों ने गांवों से ही नहीं निकलने दिया. फिरोजपुर शहर में भी 70000 लोग जमा नहीं हुए क्योंकि उन्हें मोहल्लों से ढोकर लाने वाली बसें आंदोलनकोरियों ने रोक ली.

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से न सिर्फ कई कद्दावर नेता पार्टी छोड़ कर चले गए, पार्टी ङ्क्षहदूमुसलिम झगड़े भी नहीं करवा पा रही है. पाकिस्तान का हैवा भी नहीं खड़ा हो पा रहा है क्योंकि इस बार वे चुनावों में पीछे चीन भी खड़ा है और वह भारत सरकार को पाकिस्तान कार्ड नहीं खेलने दे रहा.

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उत्तर प्रदेश सरकार के पास अपने विकास का ढोल पीटना ही बचा है वर इस में बात वो सिर्फ सडक़ों की जा रही है पर इन सडक़ों पर कब साइकिल, ठेले या स्कूटर वाले चलते हैं. आम जनता को आखिर एक्सप्रेस या यमुना एक्सप्रेस इस्तेमाल आखिर करना क्यों हैं जब उन की जेब में फालतू 50 रुपए तक न हों. उत्तर प्रदेश में आप सस्ती बिजली, गन्ने का बकाया भुगतान, घरों में नल पहुंचाने, टेबलेट देने के बादे सरकारी पार्टी को करने पड़ रहे हैं तो उस का मतलब यही है कि पिछले 5 सालों में राज्य सरकार और 8 सालों में केंद्र सरकार नहीं दे पाई.

भारतीय जनता पार्टी के साथ बड़ी मुसीबत यह भी है कि उस का व्यापारियों से नाता अब अच्छा नहीं रहा. व्यापारी जमात को इन सालों में नोटबंदी, जीएसटी और मंहगाई तो झेलनी ही पड़ी, उसे कोविड की महामारी कोई राहत नहीं मिली. हर बाजार में बीसियों दुकानों पर ‘किराए को खाली है’ के कोई दिख जाएंगे क्योंकि पैसे की किल्लत, औन लाइन खरीदारी, फैक्ट्री के समान को इधर से उधर ले जाने पर बंदिशों को मिलाजुला असर यह है कि व्यापारी जो अपनी दुकानें छोड़ कर भाजपा की राजनीति करने में उतरते थे, अब घरों में बैठे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी पुलिस से भीड़ जमा करने के लिए गिड़गिड़ाना पड़ रहा है.

उत्तर प्रदेश का चुनाव भाजपा के न चाहते हुए भी योगी बनाम अखिलेश हो गया है. कांग्रेस और मायावती दोनों कहीं दूर पिछड़ गई हैं. भाजपा और सपा दोनों चुनाव में आमने सामने होंगे तो भारतीय जनता पार्टी से नाराज लोगों को एक पार्टी चुनने में बड़ा आराम रहेगा, ऐसा दिख रहा है.

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भारत भूमि युगे युगे: 11 लाख की जीभ

कुछ दिन बिहार के मुख्यमंत्री रहते सवर्णपना भोगने के बाद जीतनराम मां?ा के अंदर का व्यथित दलित मानुस बिना किसी कर्मकांड के ही जागृत हो गया है. पटना में मुसहर भुईया परिवार की सभा में वे खूब गरजे कि पहले हम दलितों ने सत्यनारायण की कथा का नाम तक नहीं सुना था और अब घरघर, टोलेटोले सत्यनारायण की कथा हो रही है, ब्राह्मण हमें लूट रहे हैं जबकि वे हमारे घरों का खाना नहीं खाते. जोशजोश में उन्होंने ब्राह्मणों को गाली भी दे डाली.

इस पर कुपित ब्राह्मणों ने नीचे वालों की अदालत का सहारा लिया और एक भाजपा नेता गजेंद्र ?ा ने तो जीतनराम की जीभ पर 11 लाख रुपए इनाम भी रख दिया. अब जो भी हो, मसला चिंतनीय तो है कि क्यों दलित धर्मकर्म के पीछे पगलाए जा रहे हैं. इस से उन की दुर्दशा तो सुधरने से रही, इसलिए बेहतर होगा कि वे धार्मिक पाखंडों से दूर रहते जागरूक बनें.

गाल बने ब्रैंड

बिलाशक हेमा मालिनी एक खूबसूरत महिला हैं लेकिन 73 की उम्र में भी वे 16-18 की दिखती हैं, ऐसा सोचना उम्र के साथ ज्यादती व उन की सुंदरता को ले कर उपजी कुंठा ही कहा जाएगा. मेकअप से जोजो कुछ ढका जा सकता है, गालों की ?ार्रियां उन में से एक हैं. न जाने क्यों देश में जब भी सड़कों की क्वालिटी की बात होती है तो उन की तुलना हेमा मालिनी के गालों से कर दी जाती है. यह रिवाज लालू यादव ने शुरू किया था जिसे हाल ही में महाराष्ट्र के एक मंत्री गुलाबराव पाटिल ने दोहराया, जिस का सार यह है कि सड़कें हों तो हेमा मालिनी के चिकने गालों जैसी, नहीं तो न हों.

उम्मीद के मुताबिक हल्ला मचा जिस में तुक की बात शिवसेना नेता संजय राउत ने कही कि यह तो हेमा मालिनी के गालों का सम्मान करने जैसी बात है. अब जरूरत इस बात की है कि यह सम्मान कैटरीना कैफ और आलिया भट्ट जैसी अभिनेत्रियों को दिया जाए जिन के गाल वाकई वैसे हैं जैसे कि लालू और पाटिल जैसे बूढ़े नेताओं के अवचेतन में हैं.

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चोटी से चिढ़, दाढ़ी से…

खुद कट्टर ब्राह्मण होने के नाते पंडित सतीश मिश्रा ब्राह्मणों के अंदर खाने की प्रामाणिक खबरें रखते हैं जिन में से एक यह भी है कि विष्ट ठाकुर बिरादरी के योगी आदित्यनाथ चोटी वाले ब्राह्मणों को तो अपना दुश्मन सम?ाते हैं. बसपा क्यों इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव में तीसरेचौथे नंबर पर गिनी जा रही है, इसे सम?ाने के लिए उन का वह बयान काफी है जिस में उन्होंने योगीराज में ब्राह्मणों की हत्या और एनकाउंटर्स का भी ब्योरा दिया है. अब वे या मायावती यह नहीं गिनाते कि भाजपा और योगीराज में दलित किस दुर्दशा के शिकार हैं, इसीलिए दलित समुदाय असमंजस में है कि वह किसे वोट दे. तय है सपा और कांग्रेस उस की पहली प्राथमिकता होंगे.

रही बात ब्राह्मणों की, तो वे बेचारे भी अभी तक तय नहीं कर पा रहे कि कौन उन का सच्चा हितैषी है क्योंकि योगी जो कर रहे हैं वह सिर्फ हिंदुओं के लिए है, अलग से दानदक्षिणा के किसी पैकेज की घोषणा नहीं की गई है. अब जब भी दलित राजनीति की समीक्षा की जाएगी तो सतीश मिश्रा को बसपा खत्म करने का पूरा श्रेय और इनाम भी मिलेगा.

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बलात्कार पर बवाल

के आर रमेश कुमार कर्नाटक कांग्रेस के इतने वरिष्ठ विधायक हैं कि भरी विधानसभा में यह कह बैठे कि जब बलात्कार होना तय हो ही जाए तो लेट जाओ और इस का आनंद लो. सलाह देखी जाए तो व्यावहारिक थी क्योंकि बलात्कारी अकसर अपनी मंशा पूरी करने के लिए पीडि़ता को शारीरिक तकलीफ देते ही हैं और कभीकभी तो हत्या तक कर देते हैं. किसी महिला के लिए बलात्कार से ज्यादा तकलीफदेह बात कोई और हो भी नहीं सकती जिसे कोई पुरुष नहीं महसूस कर सकता. यह जरूर सच है कि हिंसा से बचने के लिए समर्पण कर देने से बेहतर रास्ता कोई दूसरा नहीं हो सकता. रमेश के भाव कुछ भी रहे हों लेकिन भाषा घटिया थी जिस से उन्हें बचना चाहिए था.

शाकाहारी बनें बीमारियों से बचें

हर साल 1 नवंबर को दुनियाभर में शाकाहारी जीवन जीने का जश्न विश्व शाकाहारी दिवस (वर्ल्ड वेगन डे) के रूप में मनाया जाता है. पर्यावरण को बचाने के लिए इस दिन इस के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है. साथ ही लोगों की शाकाहारी खाने के प्रति रुचि को बढ़ाना भी इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य है.

यूके वेगन सोसाइटी ने पहली बार

1 नवंबर, 1994 को विश्व शाकाहारी दिवस यानी वर्ल्ड वेगन डे मनाया था. वेगन (शाकाहारी) शब्द डोनाल्ड वाटसन द्वारा दिया गया, जिसे वैजिटेरियन शब्द से लिया गया है.

वर्ष 1944 में ही वेगन सोसाइटी बनाई गई थी. शाकाहारी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर वेगन सोसाइटी के अध्यक्ष ने इसे यादगार बनाने व आम लोगों में शाकाहारी आहार को बढ़ावा देने के लिए वेगन दिवस को हर साल मनाने की घोषणा की. इस के पीछे एक और कारण भी बताया जाता है कि उस समय वेगस को डेयरी उत्पादों का उपभोग करने की अनुमति नहीं थी, इस बात का उन्होंने विरोध किया और विरोध में अंडे का सेवन बंद कर दिया और फिर 1951 में यह एक शाकाहारी आंदोलन बन गया. तब से हर साल 1 नवंबर को पूरी दुनिया में शाकाहार दिवस को एक अभियान व जागरूकता के तौर पर मनाया जाता है.

शाकाहारी होने का अर्थ पर्यावरण को बचाने व लोगों को इस के प्रति जागरूक करने से लिया जाता है. यह शाकाहारी जीवन की खासीयत, बीमारियों से बचाव और पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान खींचता है. मांसाहारी होने से कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं जबकि शाकाहारी लाइफस्टाइल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है.

शाकाहारी बनाम मांसाहारी

हम शाकाहारी बनें या मांसाहारी, इस से पहले यह जान लें कि दोनों में क्या फर्क है?

मुख्य रूप से भोजन के 2 प्रकार होते हैं, शाकाहारी और मांसाहारी. इंसान का शरीर दोनों तरह के भोजन को पचाने की क्षमता रखता है. कुछ लोगों का मानना है कि मांसाहारी भोजन में ज्यादा पोषक तत्त्व मिलते हैं. लेकिन आप को बता दें कि मांसाहारी भोजन में जो तत्त्व मांस खाने से मिलता है ठीक वैसे ही शाकाहारी भोजन में शाकसब्जियों में भी मिलता है.

मांसाहारी व्यक्ति सभी प्रकार के पशुपक्षियों का मांस खाता है. इस के साथसाथ पशुओं से प्राप्त होने वाले अन्य उत्पादों का भी प्रयोग करता है.

इसी प्रकार शाकाहारी व्यक्ति पेड़पौधों एवं अन्य वनस्पतियों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग करता है परंतु शाकाहार के भी अनेक प्रकार हैं, जिन में विभिन्न खाद्य पदार्थ शामिल हैं या हटा दिए गए हैं.

ओवो-लैक्टो : शाकाहार में अंडे, दूध और शहद जैसे प्राणी उत्पाद शामिल हैं.

लैक्टो : शाकाहार में दूध शामिल है, लेकिन अंडे नहीं.

ओवो : शाकाहार में अंडे शामिल हैं लेकिन दूध नहीं.

वेगानिज्म : दूध, शहद, अंडे सहित सभी प्रकार के प्राणी मांस तथा प्राणी उत्पादों का वर्जन करता है.

रौ वेगानिज्म : इस में सिर्फ ताजा तथा बिना पकाए फल, बादाम, बीज और सब्जियां आदि शामिल हैं.

फ्रूटेरियनिज्म : पेड़पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए सिर्फ फल, बादाम आदि बीज और अन्य इकट्ठा किए जा सकने वाले वनस्पति पदार्थ के सेवन की अनुमति देता है.

मैक्रोबायोटिक : इस शाकाहार में आहार में अधिकांशतया साबुत अनाज और फलियां हुआ करती हैं जैसे कि जैन धर्म में सभी प्राणी उत्पादों सहित एलिअम परिवार की सब्जियों (जिन में प्याज और लहसुन गंध की विशेषता हो) प्याज, लहसुन, हरा प्याज या छोटे प्याज को आहार से बाहर रखते हैं.

कट्टर शाकाहारी : कट्टर शाकाहारी ऐसे उत्पादों का त्याग करते हैं जिन्हें बनाने में प्राणी सामग्री का इस्तेमाल होता है या जिन के उत्पादन में प्राणी उत्पादों का उपयोग होता हो, भले ही उन के लेबल में उन का उल्लेख न हो.

उदाहरण के लिए, चीज में प्राणी रेनेट (पशु के पेट की परत से बनी एंजाइम), जिलेटिन (पशु चर्म, अस्थि और संयोजक तंतु से) का उपयोग होता है. कुछ चीनी को हड्डियों के कोयले से सफेद बनाया जाता है (जैसे कि गन्ने की चीनी, लेकिन बीट चीनी नहीं) और अल्कोहल को जिलेटिन या घोंघे के चूरे व स्टर्जिओन से साफ किया जाता है.

अर्धशाकाहारी : कुछ लोग अर्धशाकाहारी आहार का सेवन करते हुए खुद को शाकाहारी के रूप में बताया करते हैं. अन्य मामलों में, वे खुद का वर्णन बस ‘फ्लेक्सीटेरियन’ के रूप में किया करते हैं. ऐसे भोजन वे लोग किया करते हैं जो शाकाहारी आहार में संक्रमण के दौर में या स्वास्थ्य, पर्यावरण या अन्य कारणों से पशु मांस का उपभोग घटाते जा रहे हैं. ‘अर्धशाकाहारी’ शब्द पर अधिकांश शाकाहार समूहों को आपत्ति है, जिन का कहना है कि शाकाहारी को सभी पशु मांस त्याग देना जरूरी है.

अर्धशाकाहारी भोजन में पेसेटेरियनिज्म शामिल है जिस में मछली और कभीकभी समुद्री खाद्य शामिल होते हैं. पोलोटेरियनिज्म में पोल्ट्री उत्पाद शामिल होते हैं.

मैक्रोबायोटिक आहार में अधिकांशतया मोटे अनाज और फलियां शामिल होती हैं लेकिन कभीकभार मछली भी शामिल हो सकती है.

फायदे शाकाहारी के

आज दुनियाभर में शाकाहार पर जोर दिया जा रहा है. इस के पीछे कोई तो वजह होगी. आइए देखते हैं शाकाहारी होने के क्या फायदे हैं.

दिल के लिए फायदेमंद : शाकाहारी होने से आप का दिल स्वस्थ रहता है. अगर आप को दिल की बीमारी है तो शाकाहारी भोजन आप के लिए कारगर हो सकता है. नियमित फल और सब्जियों का सेवन करने से शरीर में कोलैस्ट्रौल को कंट्रोल किया जा सकता है.

डायबिटीज के लिए भी कारगर : शाकाहारी खाना खाने से टाइप 2 डायबिटीज में मदद मिल सकती है. शाकाहारी खाने में सब्जियां, फल और अनाज का सेवन किया जाता है. इस से शरीर में बनने वाले इंसुलिन को कम करने में मदद मिल सकती है.

वजन कम करने में मददगार : अगर आप शाकाहारी हैं तो आप को अपना वजन मैनेज करने में परेशानी नहीं होगी. अगर आप का किसी वजह से वजन बढ़ भी गया है तो आप शाकाहारी भोजन अपना कर अपने वजन को कंट्रोल कर सकते हैं.

पाचन में लाभदायक : पेट के रोगों के साथसाथ शाकाहारी भोजन पाचन में लाभदायक हो सकता है. मांसाहारी खाने की तुलना में वैजिटेरियन खाना पचाने में काफी आसान होता है.

हाई ब्लडप्रैशर में लाभप्रद : शाकाहारी भोजन उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है. आज के दौर में हाई ब्लडप्रैशर की समस्या होना बेहद कौमन है, ऐसे में अगर आप प्याज, लहसुन और अन्य शाकाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन नियमित रूप से करते हैं तो उच्च रक्तचाप से बचा जा सकता है.

लंबी उम्र : शाकाहार से खुशी, करुणा और जीवनवृद्धि की संभावनाओं को बढ़ावा मिलता है.

यों अपनाएं शाकाहार

शाकाहार के इन्हीं गुणों को देखते हुए दुनियाभर में बहुत से सैलिब्रिटीज ने शाकाहार अपनाया है. आप भी शाकाहार को अपना सकते हैं मगर अंधाधुंध व रातोंरात नहीं. शाकाहार अपनाने के लिए आप को कुछ सावधानियां बरतनी होंगी.

अपनी डाइट में मांसाहार को एकदम बंद न करें बल्कि एकएक कर के उन्हें हटाएं. उन्हें हटाने के साथसाथ यह भी ध्यान रखिए कि उन्हें बंद करने से कई पोषक तत्त्व, जैसे विटामिन टी, विटामिन बी-12, प्रोटीन और जिंक आदि मिलने बंद हो जाएंगे तब उन की भरपाई कौन से शाकाहारी खाद्य पदार्थों से होगी.

मांसाहार बंद करने से आप को कुछ शारीरिक व मानसिक परिवर्तनों को भी ?ोलना होगा, जैसे भूख, चिड़चिड़ापन और असंतुलित मानसिक व्यवहार इत्यादि.

शाकाहार को अपनाने से पहले बेहतर होगा कि आप किसी डायटीशियन की सलाह लें. उस से अपना डाइट चार्ट बनवा लें तथा उसी के परामर्श अनुसार खाएंपिएं.

आप को अपने दैनिक भोजन के लिए कुछ सिद्धांत भी अपनाने होंगे, जैसे ताजा हरी सब्जियां, फल, सूखे मेवे, मिश्रित अनाज, बीज इत्यादि खाने पर अधिक जोर देना है. हर शाकाहारी भोजन आप के लिए लाभदायक नहीं हो सकता, इस बात का भी ध्यान रखें.

आप शाकाहारी भोजन से ऊब न जाएं, इस के लिए तरहतरह के शाकाहारी व्यंजनों की जानकारी लेते रहें तथा विशुद्ध वैजिटेरियन रैस्टोरैंटों का भी पता लगाइए.

दरअसल, शाकाहार अपनाने में जिस चीज की सब से अधिक जरूरत है वह है आप का दृढ़ निश्चय. बस, दृढ़ निश्चय के साथ उपरोक्त वर्णित एहतियातों के साथ शाकाहार को अपनाएं तथा स्वस्थ रहें और पर्यावरण को भी संतुलित बनाएं.

पिघलती बर्फ: भाग 3- क्यों स्त्रियां स्वयं को हीन बना लेती हैं?

“बेटा, हमारे समाज में कुछ मान्यताएं ऐसी हैं जिन्हें मानने से किसी का कुछ नुकसान नहीं होता, लेकिन किसी के मन को शांति मिल जाए, तो उसे मानने में क्या बुराई है. मैं ने तेरी जिद के कारण, अपने मन को मार कर तेरी खुशी के लिए तेरे विजातीय विवाह को स्वीकार कर लिया जबकि हमारे खानदान में आज तक ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में तू क्या अपनी मां की छोटी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकती. मैं तेरे भले के लिए कह रही हूं. तेरा भारी मंगल तेरे जयदीप की जान भी ले सकता है,” मां ने अपना आखिरी हथियार आजमाने की कोशिश करते हुए कहा.

“मां, मैं आप से बहुत प्यार करती हूं. आप को दिल से धन्यवाद देती हूं कि आप ने मेरी खुशी के लिए हमारे विवाह की स्वीकृति दी, लेकिन जिन मान्यताओं पर मुझे विश्वास नहीं है, उन्हें मैं कैसे मान लूं. पीपल के वृक्ष से विवाह कर के क्या ताउम्र मैं अपने व्यक्तित्व के अपमान की अग्नि में नहीं जलती रहूंगी? क्या जबजब मुझे अपना यह कृत्य याद आएगा तबतब मुझे ग्लानि या हीनभावना के विषैले डंक नहीं डसेंगे? अगर जयदीप मांगलिक होता और मैं मांगलिक नहीं होती तब क्या जयदीप को भी हमारा समाज पीपल के वृक्ष से विवाह करने के लिए कहता? क्या यह स्त्री के स्त्रीत्व या उस की गरिमा का अपमान नहीं है? स्त्री के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो कोई बात नहीं लेकिन पुरुष के साथ कोई हादसा न हो, इस के लिए ऐसे ढकोसले… हमारा समाज जीवन में आई हर विपत्ति के लिए सदा स्त्री को ही क्यों कठघरे में खड़ा करता है? स्त्री हो कर भी क्या आप ने कभी सोचा है?

“नहीं मां, नहीं. शायद, हम स्त्रियों का तो कोई आत्मसम्मान है ही नहीं. होगा भी कैसे, जब हम स्त्रियों को ही स्वयं पर विश्वास नहीं है. तभी तो हम स्त्रियां अनुमानित विपदा को टालने के लिए व्यर्थ के ढकोसलों- व्रत, उपवास, यह न करो, वह न करो आदि में न केवल स्वयं लिप्त रहतीं हैं बल्कि अपने बच्चों को भी मानने के लिए विवश कर उन के विश्वास को कमजोर करने से नहीं चूकतीं.

“मैं आप की खुशी और आप के मन की शांति के विवाह के लिए 2 वर्ष और इंतजार कर सकती हूं पर पीपल के वृक्ष से विवाह कर स्वयं को स्वयं की नजरों नहीं गिरने दूंगी. मुझे अपने प्यार पर विश्वास है, वह मेरी बात कभी नहीं टालेगा.”

“किंतु तेरे मंगली होने की बात मुझे तेरी सासससुर को बतानी होगी. कहीं ऐसा न हो कि बाद में वे हम पर इस बात को छिपाने का दोष लगा दें.”

“जैसा आप उचित समझें,” कह कर प्राची उठ कर चली गई.

“तुम्हारी जिद्दी बेटी को समझाना बहुत मुश्किल है. पंडितजी सही कह रहे हैं. इस का मंगल उच्च है, तभी इस में इतनी निडरता और आत्मविश्वास है. अगर लड़के वालों को कोई आपत्ति नहीं है, तो कर देते हैं विवाह,” पापा ने उस के उठ कर जाते ही मां से कहा.

“कहीं लड़के का अनिष्ट…” मां के चेहरे पर चिंता की लकीरें झलक आई थीं.

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“कैसी बातें कर रही हो तुम? तुम ही कहतीं थीं कि तुम्हारे पिताजी सदा कहते थे कि अच्छाअच्छा सोचो, तो अच्छा होगा. हमारे नकारात्मक विचार हमें सदा चिंतित तो रखते ही हैं, किसी कार्य की सफलता के प्रति हमारी दुविधा के प्रतीक भी हैं. वहीं, सकारात्मक विचार हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर कर हमारे कार्य को सफल बनाने में सहायक होते हैं. तुम चिंता मत करो, हमारी प्राची में हौसला है, विश्वास है, उस का कभी अनिष्ट नहीं होगा. अब हमें विवाह की तैयारी करनी चाहिए,” पापा ने मां को समझाते हुए कहा.

“जैसा आप उचित समझें, लेकिन अगर हम जयदीप के मातापिता से इस संदर्भ में बात कर लें तो मेरी सारी दुविधा समाप्त हो जाएगी.”

ठीक है, मैं समय ले लेता हूं,” कहते हुए दिनेश फोन करने लगे.

जयदीप के मातापिता से मिलते ही सरिता ने अपने मन की बात कही.

“बहनजी, हम इन बातों को नहीं मानते. मेरा और विजय का विवाह आज से 30 वर्ष पूर्व बिना कुंडली मिलाए हुआ था. हम ने सफल वैवाहिक जीवन बिताया. मेरा तो यही मानना है अगर हमारे विचार मिलते हैं, हमें एकदूसरे पर विश्वास है तो हम जीवन में आई हर कठिनाई का सामना कर सकते हैं. जो होना होगा वह होगा ही, व्यर्थ के ढकोसलों में पड़ कर हम अपने मन को कमजोर ही करते हैं,” शीला ने कहा.

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शीला की बात सुन कर सरिता के मनमस्तिष्क में प्राची के शब्द भी गूंजने लगे- ‘ममा, हम स्त्रियां स्वयं को इतना हीन क्यों बना लेती हैं? जीवन में आई हर विपदा को अपने क्रूर ग्रहों का कारण मान कर सदा कलपते रहना उचित तो नहीं है. एकाएक उस के मन में व्याप्त नकारात्मकता की जगह सकारात्मकता ने ले ली. उस की सकारात्मक सोच ने उस में उर्जा का ऐसा संचार कर दिया था कि अब उसे भी लगने लगा कि व्यक्ति अपनी निष्ठा, लगन, परिश्रम और आत्मविश्वास से कठिन से कठिन कार्य में भी सफलता प्राप्त करने के साथ जीवन में आई हर चुनौती का सामना करने में सक्षम रह सकता है. इस के साथ ही उन के मन पर वर्षो से चढ़ी ढोंग और ढकोसलों की जमी बर्फ पिघलने लगी थी. उन्होंने प्राची और जयदीप के संबंध को तहेदिल से स्वीकार कर विवाह की तैयारियां शुरू कर दीं.

कठपुतली- भाग 3: शादी के बाद मीता से क्यों दूर होने लगा निखिल

कई बार थके होने का बहाना बना कर सोने की कोशिश भी करती, लेकिन निखिल अकसर उस पर दबाव बनाते हुए कहा करता कि इफ यू टेक इंट्रैस्ट यू विल ऐंजौय देम. वह अकसर जब फिल्म लगाता वह नानुकर करती पर निखिल किसी न किसी तरह उसे फिल्म देखने को राजी कर ही लेता. उस की खुशी में ही अपनी खुशी समझती.

कई बार तो वह सैक्स के दौरान भी वही चाहता जो पोर्न स्टार्स किया करतीं. मीता को लगता क्या यही विवाह है और यही प्यार का तरीका भी? उस ने तो कभी सोचा भी न था कि विवाहोपरांत का प्यार दिली प्यार से इतना अलग होगा, लेकिन वह इन 2 बरसों में पूरी तरह से निखिल के मन के सांचे में ढल तो गई थी, लेकिन इस सब के बावजूद निखिल क्यों उखड़ाउखड़ा रहता है.

मीता को मन ही मन दुख होने लगा था कि जिस निखिल के प्यार में वह पगलाई सी रहती है, उसे मीता की जरा भी फिक्र नहीं शायद… माना कि पैसा जरूरी है पर पैसा सब कुछ तो नहीं होता. कल तक हंसमुख स्वभाव वाले निखिल के बरताव में इतना फर्क कैसे आ गया, वह समझ ही न पाई.

निखिल अपने लैपटौप पर काम करता तो मीता उस पर ध्यान देने लगी. उस ने थोड़ा से देखा तो पाया कि वह तो अपने कालेज के सहपाठियों से चैट करता.

एक दिन उस से रहा न गया तो बोल पड़ी, ‘‘निखिल, मैं ने तुम्हारा साथ पाने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी, पर तुम्हें मेरे लिए फुरसत नहीं और पुराने दोस्तों से चैट के लिए फुरसत है.’’

निखिल तो जैसे गुस्से में आगबबूला हो उठा. चीख कर बोला, ‘‘जाओ फिर से कर लो नौकरी… कम से कम हर वक्त की बकबक से पीछा तो छूटेगा.’’

यह सुन मीता बोली, ‘‘तुम ने ही कहा था न मुझे नौकरी छोड़ने के लिए ताकि हम दोनों साथ में ज्यादा वक्त बिता सकें, लेकिन तुम्हें तो शायद मेरा साथ पसंद ही नहीं… पत्नी जो ठहरी… और जब मुझे नौकरी छोड़े 2 वर्ष बीत गए तो तुम कह रहे हो मैं फिर शुरू कर दूं ताकि तुम आजाद रहो.’’

मीता निखिल के बरताव से टूट सी गई थी. सारा दिन इसी उधेड़बुन में लगी रही कि उस की गलती क्या है? आज तक उस ने वही किया जो निखिल ने चाहा. फिर भी निखिल उसे क्यों ठुकरा देता है?

अब मीता अकसर निखिल के लैपटौप पर नजर रखती. कई बार चोरीछिपे उस का लैपटौप भी देखती. धीरेधीरे उस ने समझ लिया कि वह स्वयं ही निखिल के बंधन में जबरदस्ती बंधी है, निखिल तो किसी तरह का बंधन चाहता ही नहीं.

एक पुरुष को जीवन में सिर्फ 3 चीजों की ही तो जरूरत होती है- अच्छा खाना, अच्छा पैसा और सैक्स, जिन में खाना तो वह बना ही देती है वरना बड़ेबड़े रैस्टोरैंट तो हैं ही जिन में वह अपने क्लाइंट्स के साथ अकसर जाता है. दूसरी चीज है पैसा जो वह स्वयं कमा ही रहा है और पैसे के लिए तो उलटा मीता ही निखिल पर निर्भर है. तीसरी चीज है सैक्स. वैसे तो मीता उस के लिए जब चाहे हाजिर है, आखिर उसे तो पत्नी फर्ज निभाना है. फिर भी निखिल को कहां जरूरत है मीता की.

कितनी साइट्स हैं जहां न जाने कितनी तरह के वीडियो हैं, जिन में उन छरहरी पोर्न स्टार्स को देख कर कोई भी उत्तेजित हो जाए. उस के पास तो मन बहलाने के पर्याप्त साधन हैं ही. कहने को विवाह का बंधन प्रेम की डोर से बंधा है, लेकिन हकीकत तो यह है कि यह जरूरत की डोर है, जो इस रिश्ते को बांधे रखती है या फिर बच्चे जो स्वत: ही इस रिश्ते में प्यार पैदा कर देते हैं जिन के लिए निखिल राजी नहीं.

उदास सी खिड़की के साथ बने प्लैटफौर्म पर बैठी थी कि तभी घंटी बजी. उस ने झट से अपने बालों को आईने में देख कर ठीक किया. फिर खुद को सहज करते हुए दरवाजा खोला. सामने वाले फ्लैट की पड़ोसिन अमिता दरवाजे पर थी. बोली, ‘‘मेरे बच्चे का पहला जन्मदिन है, आप सभी जरूर आएं,’’ और निमंत्रणपत्र थमा गई.

अगले दिन मीता अकेली ही जन्मदिन की पार्टी में पहुंच गई. वहां बच्चों के लिए पपेट शो वाला आया था. बच्चे उस का शो देख कर तालियां बजाबजा कर खुश हो रहे थे.

पपेट शो वाला अपनी उंगलियों में बंधे धागे उंगलियों से घुमाघुमा कर लपेटखोल रहा था जिस कारण धागों में कभी खिंचाव पैदा होता तो कभी ढील और उस के इशारों पर नाचती कठपुतली, न होंठ हिलाती न ही अपने मन की करती, बस जैसे उस का मदारी नचाता, नाचती.

आज मीता को अपने हर सवाल का जवाब मिल गया था. वह निखिल के लिए एक कठपुतली ही तो थी. अब तक दोनों के बीच जो आकर्षण और खिंचाव महसूस करती रही, वह उस अदृश्य डोर के कारण ही तो था, जिस से वह निखिल के साथ 7 फेरों की रस्म निभा बंध गई थी और उस डोरी में खिंचाव निखिल की पसंदनापसंद का ही तो था. वह नादान उसे प्यार का आकर्षण बल समझ रही थी. विवाहोपरांत वह निखिल के इशारों पर नाच ही तो रही थी. निखिल ने तो कभी उस के मन की सुध ली ही नहीं.

मीता ने गर्दन हिलाई मानो कह रही हो अब समझी निखिल, अगले दिन उस ने पुराने दफ्तर में फोन पर अपनी बौस से बात की.

बौस ने कहा, ‘‘ठीक मीता, तुम फिर से दफ्तर आना शुरू कर सकती हो.’’

मीता अपनी राह पर अकेली चल पड़ी.

नरेंद्र दामोदरदास मोदी और  टेलीप्रॉन्पटर‌ हंगामा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 17 जनवरी 2022 को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के दावोस एजेंडा समिट में हिस्सा लिया और जब बोलना शुरू किया तो बीच में बाधा उत्पन्न हो गई. जो देश और दुनिया में चर्चा का सबब बन गई है आखिर क्या है इस का सच और क्या है सारा घटनाक्रम यह आपके जानने के लिए आवश्यक है.

दरअसल,यह पहली बार देखने को मिला जब नरेंद्र दामोदरदास मोदी जैसा शख्स मौन हो गया. क्योंकि देश में एक ऐसी छवि बना कर रखी गई है कि नरेंद्र मोदी हर एक विषय के ज्ञाता हैं और जब मंच पर बोलते हैं तो अबाध गति से बोलते हैं उनके ज्ञान की कोई सानी नहीं है. और नरेंद्र मोदी हर एक  विषय पर बोल सकते हैं, बोलते हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी जैसा बोलने वाला भारत भूमि में आज की तारीख में कोई है ही नहीं. उनके सामने कांग्रेस या फिर अन्य कोई विपक्षी पार्टी के नेता सोनिया गांधी हों या प्रियंका गांधी, ममता बनर्जी हो या अखिलेश यादव कोई भी ठहर नहीं पाता  है और नरेंद्र मोदी अद्भुत तरीके से अपनी बात को रखते हैं की जनता मंत्रमुग्ध हो जाती है, तालियां बजाती है मोदी मोदी करने लगती है.

यह एक ऐसा प्रोपेगंडा बना करके रखा गया है 17 जनवरी को टूटता छिन्न-भिन्न हो गया जब नरेंद्र दामोदरदास मोदी बोलते बोलते रूक गए एकदम से बगले झांकने लगे. बड़ी ही चतुराई के साथ बात को संभाला और कहने लगे कि मेरी आवाज आ रही है ना! मगर यह सब रिकॉर्ड हो गया और यह चर्चा सरे राह चल निकली मोदी टेलीप्रॉन्पटर तो बोलते हैं और जब अचानक टेलीप्रॉन्पटर खराब हो गया तो मोदी मौन हो गए.

इस समिट में पीएम मोदी द्वारा दिए गए संबोधन की एक क्लिप को शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस ने उन पर तंज कसा . इसके साथ-साथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधा . कॉन्ग्रेसी इको-सिस्टम के सिपाहसलार विनोद कापड़ी और रोहिणी सिंह जैसे लोगों ने नरेंद्र दामोदरदास मोदी के टेलीप्रॉन्पटर पर व्यवहार का खुलासा देश के सामने कर दिया.

टेलीप्रॉन्पटर पर बोलना अपराध नहीं

हम यहां प्रधानमंत्री पद का बड़े ही सम्मान के साथ, भाव के साथ इस संपूर्ण मामले पर निष्पक्ष रिपोर्ट आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं.

और आपको यह सिर्फ यह जानकारी देना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का टेलीप्रॉन्पटर पर बात करना कोई अपराध नहीं है और अचानक  टेलीप्रॉन्पटर  खराब हो गया तो भी कोई बड़ी बात नहीं है. दुनिया के एक बड़े नेता अपने भाषणों में टेलीप्रॉन्पटर का उपयोग करते ही हैं. यही नहीं यह आज के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के धुरंधरों के लिए भी बहुत उपयोगी है और सेल्यूलाइट अर्थात सिनेमा की दुनिया में भी इसका उपयोग होता है.

मगर नरेंद्र मोदी और उनके समर्थक जिस तरीके से टेलीप्रॉन्पटर के सच को छुपाते रहे हैं और देश के सामने मोदी की छवि कुछ इस तरह प्रस्तुत की जाती है कि वह तो हर सब्जेक्ट पर अबाध गति से बोल सकते हैं, बोलते हैं और उनके समक्ष कोई देश का दूसरा नेता है ही नहीं, वह तो सर्व ज्ञानी है.इस मसले पर हम इस रिपोर्ट में स्पष्ट करना चाहते हैं कि मोदी जी जो भी बोलते हैं उसमें अधिकांश टेलीप्रॉन्पटर का उपयोग होता है. मगर इसे पता नहीं क्यों छुपाया जाता है और एक आभासी विद्वान प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र दामोदरदास मोदी को खड़ा किया जाता है, उनकी छवि बनाई जाती है.

वह सब भूल जाते हैं कि जो चीज गढ़ी जाती है उसका भांडा कभी ना कभी फुट ही जाता है, सच्चाई सच्चाई होती है और झूठ झूठ.

नरेंद्र दामोदरदास मोदी अच्छे भाषण कर्ता है इसमें कोई दो मत नहीं मगर आप हर  एक विषय के विद्वान है यह भाजपा के प्रचार तंत्र का प्रचार प्रसार किसी भी देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में उचित नहीं है.

‘कुंडली भाग्य’ की प्रीता ने पति के साथ किया अंडर वाटर रोमांस, देखें Photos

कुंडली भाग्य (Kundli Bhagya) की प्रीता यानी श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) इन दिनों अपनी शादी को लेकर  सुर्खियों में छायी हुई है. श्रद्धा आर्या की फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. अब श्रद्धा आर्या ने पति संग रोमांटिक फोटोज शेयर की है.

इन फोटोज में वह ब्लैक कलर की बिकिनी और चूड़े में नजर आ रही हैं. श्रद्धा की यह तस्वीरें हनीमून के समय की है, लेकिन फिर से एक्ट्रेस ने इसे शेयर किया है. जिसके बाद ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. श्रद्धा आर्या ने मालदीव घूमते हुए कई तस्वीरें पोस्ट की हैं.

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इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि वह समुंद्र के अंदर पति राहुल के साथ स्कूबा ड्राइविंग करती नजर आ रही हैं. जिसमें अंडर वाटर दोनों तरह-तरह का पोज देते हुए नजर आ रहे हैं.

 

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एक तस्वीर में श्रद्धा और राहुल दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर स्विमिंग करते हुए नजर आ रहे हैं. तो वहीं दूसरे तस्वीर में दोनों हाथों से दिल का शेप बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि श्रद्धा आर्या और राहुल नागल 16 नवंबर को शादी के बंधन में बंध गए.

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श्रद्धा आर्या अपनी शादी में  सबसे ज्यादा खुश दिखाई दे रही थीं. उन्होंने अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड राहुल नागल से शादी की है. शादी के बाद दोनों हनीमून के लिए मालदीव गए हुए थे. जहां से दोनों की तस्वीरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थी.

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