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Anupamaa: वनराज बना ‘शाहरुख’ तो नंदिनी बनी ‘काजोल’, देखें Video

टीवी शो ‘अनुपमा’ टीआरपी लिस्ट में कब्जा जमाए हुए है. शो का हर किरदार घर-घर में मशहूर है. ‘अनुपमा’ के सभी कलाकार सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. और सभी की फैन फॉलोइंग काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. अब वनराज और नंदिनी का एक वीडियो सामने आया है. जिसे फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. आइए बताते हैं, इस वीडियो के बारे में.

‘अनुपमा’ में वनराज शाह का किरदार निभाने वाले एक्टर सुधांशु पांडे ने नंदिनी यानी अनघा भोसले के साथ एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वनराज ने शाहरुख खान का रोल प्ले किया है तो वहीं नंदिनी काजोल का किरदार निभा रही है. दरअसल फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ का एक सीन रीमेक करते नजर आ रहे हैं.

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अनघा (नंदिनी) ने इस वीडियो को इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है. उन्होंने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में #Nanraj लिखा है. अनघा ने नंदिनी और वनराज के नाम को मिलाकर ये हैश टैग बनाया है. अनघा ने ये भी लिखा, टायर पंक्चर करने में मजा ही आ गया. लव यू सुदी पा.

 

अनुपमा सीरियल में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. शो में आपने देखा कि गुस्से में समर नंदिनी के साथ सारे रिश्ते खत्म कर देता है. लेकिन अनुपमा दोनों के रिश्ते को जोड़ने की कोशिश करती है. लेकिन वनराज चाहता है कि समर-नंदिनी का रिश्ता टूट जाए. वनराज कहता है कि नंदिनी शाह परिवार की बहू बनने के लायक ही नहीं है. ऐसे में अनुपमा और वनराज के बीच खूब लड़ाई होती है.

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शो में आपने ये भी देखा कि वनराज मालविका को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करता है. वह उसे इमोशनली ब्लैकमेल करता है. वनराज कहता है कि वो हमेशा मालविका का साथ देगा. अनुपमा ये सारी बातें सुन लेती है. अनुपमा वनराज को मालविका से दूर रहने की सलाह देती है.

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सबको साथ चाहिए- भाग 1: पति की मौत के बाद माधुरी की जिंदगी में क्या हुआ?

Writer- Vinita Rahurikar

सुधीर के औफिस के एक सहकर्मी   रवि के विवाह की 25वीं वर्षगांठ थी. उस ने एक होटल में भव्य पार्टी का आयोजन किया था तथा बड़े आग्रह से सभी को सपरिवार आमंत्रित किया था. सुधीर भी अपनी पत्नी माधुरी और बच्चों के साथ ठीक समय पर पार्टी में पहुंच गए. सुधीर और माधुरी ने मेजबान दंपती को बधाई और उपहार दिया. रविजी ने अपनी पत्नी विमला से माधुरी का और उन के चारों बच्चों का परिचय करवाया, ‘‘विमला, इन से मिलो. ये हैं सुधीरजी, इन की पत्नी माधुरी और चारों बच्चे सुकेश, मधुर, प्रिया और स्नेहा.’’  ‘‘नमस्ते,’’ कह कर विमला आश्चर्य से चारों को देखने लगी. आजकल तो हम दो हमारे दो का जमाना है. भला, आज के दौर में 4-4 बच्चे कौन करता है? माधुरी विमला के चेहरे से उन के मन के भावों को समझ गई पर क्या कहती.

तभी प्रिया ने सुकेश की बांह पकड़ी और मचल कर बोली, ‘‘भैया, मुझे पानीपूरी खानी है. भूख लगी है. चलो न.’’

‘‘नहीं भैया, कुछ और खाते हैं, यह चटोरी तो हमेशा पहले पानीपूरी खिलाने ही ले जाती है. वहां दहीबड़े का स्टौल है. पहले उधर चलो,’’ स्नेहा और मधुर ने जिद की.

‘‘भई, पहले तो वहीं चला जाएगा जहां हमारी गुडि़या रानी कह रही है. उस के बाद ही किसी दूसरे स्टौल पर चलेंगे,’’ कह कर सुकेश प्रिया का हाथ थाम कर पानीपूरी के स्टौल की तरफ बढ़ गया. मधुर और स्नेहा भी पीछेपीछे बढ़ गए.

‘‘यह अच्छा है, छोटी होने के कारण हमेशा इसी के हिसाब से चलते हैं भैया,’’ मधुर ने कहा तो स्नेहा मुसकरा दी. चाहे ऊपर से कुछ भी कह लें पर अंदर से सभी प्रिया को बेहद प्यार करते थे और सुकेश की बहुत इज्जत करते थे. क्यों न हो वह चारों में सब से बड़ा जो था. चारों जहां भी जाते एकसाथ जाते. मजाल है कि स्नेहा या मधुर अपनी मरजी से अलग कहीं चले जाएं. थोड़ी ही देर में चारों अलगअलग स्टौल पर जा कर खानेपीने की चीजों का आनंद लेने लगे और मस्ती करने लगे.

सुधीर और माधुरी भी अपनेअपने परिचितों से बात करने लगे. किसी काम से माधुरी महिलाओं के एक समूह के पास से गुजरी तो उस के कानों में विमला की आवाज सुनाई दी. वह किसी से कह रही थी, ‘‘पता है, सुधीरजी और माधुरीजी के 4 बच्चे हैं. मुझे तो जान कर बड़ा आश्चर्य हुआ. आजकल के जमाने में तो लोग 2 बच्चे बड़ी मुश्किल से पाल सकते हैं तो इन्होंने 4 कैसे कर लिए.’’

‘‘और नहीं तो क्या, मैं भी आज ही उन लोगों से मिली तो मुझे भी आश्चर्य हुआ. भई, मैं तो 2 बच्चे पालने में ही पस्त हो गई. उन की जरूरतें, पढ़ाई- लिखाई सबकुछ. पता नहीं माधुरीजी 4 बच्चों की परवरिश किस तरह से मैनेज कर पाती होंगी?’’ दूसरी महिला ने जवाब दिया.

माधुरी चुपचाप वहां से आगे बढ़ गई. यह तो उन्हें हर जगह सुनने को मिलता कि उन के 4 बच्चे हैं. यह जान कर हर कोई आश्चर्य प्रकट करता है. अब वह उन्हें क्या बताए? घर आ कर चारों बच्चे सोने चले गए. सुधीर भी जल्दी ही नींद के आगोश में समा गए. मगर माधुरी की आंखों में नींद नहीं थी. वह तो 6 साल पहले के उस दिन को याद कर रही थी जब माधुरी के लिए सुधीर का रिश्ता आया था. हां, 6 साल ही तो हुए हैं माधुरी और सुधीर की शादी को. 6 साल पहले वह दौर कितना कठिन था. माधुरी को बड़ी घबराहट हो रही थी. पिछले कई दिनों से वह अपने निर्णय को ले कर असमंजस की स्थिति में जी रही थी.

माधुरी का निर्णय अर्थात विवाह का निर्णय. अपने विवाह को ले कर ही वह ऊहापोह में पड़ी हुई थी. घबरा रही थी. क्या होगा? नए घर में सब उसे स्वीकारेंगे या नहीं.

विवाह को ले कर हर लड़की के मन में न जाने कितनी तरह की चिंताएं और घबराहट होती है. स्वाभाविक भी है, जन्म के चिरपरिचित परिवेश और लोगों के बीच से अचानक ही वह सर्वथा अपरिचित परिवेश और लोगों के बीच एक नई ही जमीन पर रोप दी जाती है. अब इस नई जमीन की मिट्टी से परिचय बढ़ा कर इस से अपने रिश्ते को प्रगाढ़ कर यहां अपनी जड़ें जमा कर फलनाफूलना मानो नाजुक सी बेल को अचानक ही रेतीली कठोर भूमि पर उगा दिया जाए.

प्याज और लहसुन में पौध संरक्षण

हमारे यहां प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से 2 ऐसी फसलें हैं, जिन का सब्जियों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है. देश में इन की खपत काफी है और विदेशी पैसा हासिल करने में इन का बहुत बड़ा योगदान है.

वैसे तो दुनिया में भारत प्याज और लहसुन की खेती में अग्रणी है, लेकिन इन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता दूसरे कई देशों से कम है. इस के लिए दूसरे तमाम उपायों के साथ जरूरी है कि इन फसलों की रोगों व कीड़ों से सुरक्षा. फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले रोगों व कीड़ों की पहचान और उन की रोकथाम करने से काफी हद तक इन फसलों को बचाया जा सकता है.

मुख्य रोग

लक्षण : यह रोग पत्तियों और डंठलों पर छोटेछोटे सफेद और हलके पीले धब्बों के रूप में पाया जाता है, जो बाद में एकदूसरे से मिल कर भूरे रंग के धब्बे में बदल जाते हैं व आखिर में ये धब्बे गहरे भूरे या काले रंग के हो जाते हैं.

धब्बे की जगह पर बीज का डंठल टूट कर गिर जाता है. पत्तियां धीरेधीरे सिरे की तरफ से सूखना शुरू करती हैं और आधार की तरफ बढ़ कर पूरी तरह सूख जाती हैं. अनुकूल मौसम मिलते ही यह रोग बड़ी तेजी से फैलता है और कभीकभी फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है.

रोकथाम : साफसुथरी खेती फसल को निरोग रखती है. वहीं गरमी के महीने में गहरी जुताई और सौर उपचार काफी फायदेमंद रहता है. दीर्घकालीन असंबंधित फसलों का फसलचक्र अपनाना चाहिए.

रोग के लक्षण दिखाई देते ही इंडोफिल एम-45 की 400 ग्राम या कौपर औक्सीक्लोराइड-50 की 500 ग्राम या प्रोपीकोनाजोल 20 फीसदी ईसी की 200 मिलीलिटर प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लिटर पानी में घोल बना कर और किसी चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिला कर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़कें.

बैगनी धब्बा

लक्षण : यह रोग पत्तियों, तनों, बीज स्तंभों व शल्क कंदों पर लगता है. रोगग्रस्त भागों पर छोटेछोटे सफेद धंसे हुए धब्बे बनते हैं, जिन का मध्य भाग बैगनी रंग का होता है.

ये धब्बे जल्दी ही बढ़ते हैं. इन धब्बों की सीमाएं लाल या बैगनी रंग की होती हैं, जिन के चारों ओर ऊपर व नीचे कुछ दूर तक एक पीला क्षेत्र पाया जाता है.

रोग की उग्र अवस्था में शल्क कंदों का विगलन कंद की गरदन से शुरू हो जाता है. रोगग्रस्त पौधों में बीज आमतौर पर नहीं बनते और अगर बीज बन भी गए तो वह सिकुड़े हुए होते हैं.

रोकथाम : इस रोग की रोकथाम भी ?ालसा रोग की तरह ही की जाती है.

आधारीय विगलन

लक्षण : इस रोग के प्रकोप से पौधों की बढ़वार रुक जाती है और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. बाद में पत्तियां ऊपर से नीचे की तरफ सूखना शुरू होती हैं. कभीकभी पौधे की शुरू की अवस्था में इस रोग के कारण जड़ें गुलाबी या पीले रंग की हो जाती हैं और आकार में सिकुड़ कर आखिर में मर जाती हैं.

रोग की उग्र अवस्था में शल्क कंद छोटे रहते हैं और इस रोग का प्रभाव कंदों के ऊपर गोदामों में सड़न के रूप में देखा जाता है.

रोकथाम : आखिरी जुताई के समय रोगग्रस्त खेतों में फोरेट दानेदार कीटनाशी 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं.

दीर्घकालीन असंबंधित फसलों से 2-3 साल का फसलचक्र अपनाएं. कंद को खुले व हवादार गोदामों में रखना चाहिए.

विषाणु

लक्षण : इस रोग के कारण पत्तियों पर हलके पीले रंग की धारियां बनती हैं और पत्तियां मोटी व अंदर का भाग लहरदार हो जाता है. ऐसे हालात में धारियां आपस में मिल कर पूरी पत्ती को पीला कर देती हैं और बढ़वार रुक जाती है.

रोकथाम : चूंकि यह रोग कीड़ों से फैलता है, इसलिए फसलवर्धन काल में जब भी इस रोग के लक्षण दिखें, उसी समय मैटासिस्टौक्स या रोगोर नामक किसी एक दवा का एक मिलीलिटर दवा का प्रति लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. जरूरत पड़ने पर दोबारा छिड़काव करें.

मुख्य कीड़े

इन फसलों को सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले 2 मुख्य कीड़े हैं, थ्रिप्स (चुरड़ा) व लहसुन मक्खी. इन कीड़ों का प्रकोप फरवरी महीने तक होता है.

थ्रिप्स : इस कीड़े के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. प्रौढ़ काले रंग के बहुत ही छोटे, पतले व लंबे होते हैं, जबकि शिशु यानी बच्चे हलके भूरे व पीले रंग के होते हैं. जहां से पत्तियां निकलती हैं, उसी जगह ये कीड़े रहते हैं और नईनई कोमल पत्तियों का रस चूसते हैं.

इन के प्रकोप से पत्ते के सिरे ऊपर से सफेद व भूरे हो कर सूखने व मुड़ने लगते हैं. इस वजह से पौधों की बढ़वार रुक जाती है. ज्यादा प्रकोप होने पर पत्ते चोटी से चांदीनुमा हो कर सूख जाते हैं. बाद की अवस्था में इस कीड़े का प्रकोप होने पर शल्क कंद छोटे रहते हैं और आकृति में भी टूटेफूटे होते हैं. बीज की फसल पर इस कीड़े का बहुत ज्यादा असर पड़ता है.

रोकथाम : इस कीड़े की रोकथाम के लिए बारीबारी से किसी एक कीटनाशक को 200-250 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें.

(क) 1. 75 मिलीलिटर फैनवैलरेट 20 ईसी

  1. 175 मिलीलिटर डैल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी
  2. 60 मिलीलिटर साइपरमेथ्रिन 25 ईसी या 150 मिलीलिटर साइपरमेथ्रिन 10 ईसी

(ख) 1.300 मिलीलिटर मेलाथियान

50 ईसी

प्याज व लहसुन में चुरड़ा कीट की रोकथाम के लिए लहसुन का तेल 150 मिलीलिटर और इतनी ही मात्रा में टीपोल को 150 लिटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ में

3 से 4 छिड़काव करें.

थ्रिप्स की रोकथाम के

समय बरतें सावधानी

* एक ही कीटनाशी का बारबार इस्तेमाल न करें.

* छिड़काव की जरूरत मार्चअप्रैल महीने में पड़ती है, क्योंकि कीड़ा फरवरी से मई महीने तक नुकसान करता है, इसलिए कोई चिपकने वाला पदार्थ घोल में जरूर मिलाएं.

* छिड़काव के कम से कम 15 दिन बाद ही प्याज इस्तेमाल में लाएं.

प्याज व लहसुन मक्खी

कभीकभी इस कीड़े का प्रकोप भी इन फसलों पर देखने में आता है. लहसुन की मक्खी घरों में पाई जाने वाली मक्खी से छोटी होती है. इस के शिशु (मैगट) व प्रौढ़ दोनों ही फसल को नुकसान पहुंचाते हैं.

मादा सफेद मक्खी मटमैले रंग की होती है, जो मिट्टी आमतौर पर बीज स्तंभों के पास मिट्टी में अंडे देती है. अंडों से नवजात मैगट स्तंभों के आधार पर खाते हुए फसल के भूमिगत तने वाले हिस्सों में आक्रमण करते हैं और बाद में कंदों को खाना शुरू कर देते हैं, जिस से पौधे सूख जाते हैं. बाद में इन्हीं कंदों पर आधारीय विगलन रोग का आक्रमण होता है, जिस से बल्ब सड़ने लगते हैं.

रोकथाम : आखिरी जुताई के समय खेत में फोरेट कीटनाशी 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं और बाद में थ्रिप्स में बताई गई कीटनाशियों का इस्तेमाल करें.

Winter 2022: सर्दियों में बनाएं ये 4 टेस्टी और हेल्दी परांठे

सर्दी के मौसम में गर्मागर्म परांठे मिल जाये तो खाने का स्वाद ही बदल जाता है. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं, परांठे की रेसिपी. तो आइए जानते हैं, इस मौसम में आप हेल्दी परांठे घर पर कैसे बनाएं.

  1. मिक्स वेजिटेबल पराठा

समाग्री:

– पत्‍ता गोभी ( बारीक कटी)

– धनिया पत्‍ती (1/4 कप बारीक कटी)

– लाल मिर्च पावडर (1 चम्‍मच)

– हल्‍दी पाउडर (1/4 चम्‍मच)

– गरम मसाला (1 चम्‍मच)

–  धनिया पाउडर (1½ चम्‍मच)

– जीरा (1 चम्‍मच)

– प्‍याज (1 मध्‍यम साइज का कटा हुआ)

– अदरक-लहसुन पेस्‍ट( 1/2 कप)

– फ्रेंच बींस (बारीक कटी)

– मटर (1/4 कप)

– गाजर  (3/4 कप)

– जीरा   (1/2 चम्‍मच)

– नमक (स्‍वादानुसार)

बनाने की  विधि

– एक कटोरे में गेंहू का आटा, नमक और तेल मिक्‍स कर के मुलायम आटा गूथें.

– गरम पानी में प्‍याज, मटर, गाजर, पत्‍तागोभी और फ्रेंच बींस को उबाल कर छान लें.

– उसके बाद उबाली हुई सब्‍जियों में अन्‍य सामग्रियां मिलाएं.

– अब पराठा बनाना शुरु करें.

– पराठे को छोटा सा बेल कर उसके बीच में मिक्‍स सब्‍जियां भरें और उसे बंच कर के बेल लें.

– अब पराठे को तवे पर सेंके औऱ दोंनो साइड तेल लगाएं और गोल्‍डन ब्राउन हो जाने पर सर्व करें.

2. मेथी पराठा, स्वाद में जायकेदार

सामग्री:

– गेहूं का आटा (1 कप)

–  बेसन (1/4 कप)

– लाल मिर्च (1/4 छोटी चम्मच)

– हल्दी पाउडर  (1/4 छोटी चम्मच)

–  अजवायन  (1/4 छोटी चम्मच)

– अदरक (पिसा हुआ, स्वादनुसार)

– लहसुन  (पिसा हुआ, स्वादनुसार)

– नमक (स्वादनुसार)

बनाने की विधि ‍-

– गेहूं के आटे में बेसन और बारीक कटी हुई मैथी डाल सभी मसाले मिलाएं और आटा गूंथ लें.

– आटा गूंथते समय इसमें थोड़ा सा तेल भी डाल लें.

– अब इसकी लोईयां बनाकर पराठे बनाएं और तवे पर सेकें.

– दोनों तरफ हल्का सा सिकने पर तेल लगाएं और फिर से सेकें.

– सही तरीके से सिकने पर चटनी, अचार या सब्जी के साथ परोसें.

3. चीज परांठा

सामग्री

लाल मिर्च पाउडर 4 चुटकी

जीरा पाउडर 1 टी स्पून

हरे धनिये की पत्तियां 1 कप

3 कप गेहूं का आटा

2 कप कसा हुआ चीज़

घी 1/2 कप

नमक 1 टी स्पून

 बनाने की वि​धि

एक बोल में 2 1/2 कप आटे और नमक को मिक्स कर लें. जरूरत के मुताबिक पानी डालकर नरम आटा गूंथ लें.

आटे को गीले कपड़े से ढककर 10-15 मिनट के लिए अलग रख दें. एक दूसरे बोल में चीज़, लाल मिर्च पाउडर, हरी मिर्च, कटा हुआ लहसुन, जीरा और हरे धनिये की पत्तियों को मिक्स कर लें.

आटे के छोटे-छोटे हिस्से करके लोइयां बना लें और बेलन के मदद से थोड़ा सा बेल लें. अब इसमें 2-3 चम्मच चीज़ का भरावन भर लें और साइड्स मोड़कर गोल कर लें. अब सूखा आटा लगाकर चीज़ भरी लोई को चकले पर बेल लें.

तवा मध्यम आंच पर गरम कर लें. परांठे को तवे पर डालकर दोनों तरफ से हल्का भूरा होने तक सेकें. अब परांठे के दोनों साइड घी लगाकर सेंक ले.

घी लगाकर दोनों तरफ से सेकने के बाद परांठा तैयार है. अब इसे अपनी पसंद के मुताबिक सर्व करें.

4. मसाला पराठा

सामग्री-

2 कप गेहूं का आटा

1 चम्मच तेल

¼ चम्मच जीरा

¼ चम्मच अजवाइन

¼ चम्मच कुटी हुई काली मिर्च

¼ चम्मच लाल मिर्च पाउडर

¼ चम्मच हल्दी पाउडर

आधा चम्मच गरम मसाला पाउडर

आधा चम्मच अमचूर पाउडर

¾ 1 कप पानी

घी या तेल

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बनाने की विधि- 

2 कप आटा लें, उसमें सभी मसाले मिक्‍स करें. फिर उसमें 1 चम्‍मच तेल और आधा कप पानी डाल कर साने.

आटा सानते वक्‍त जितने पानी की जरुरत हो, उतना मिलाएं.

आटे को गीले कपड़े से ढंक कर 30 मिनट के लिये रख दें.

फिर इससे लोई ले कर पराठे बनाएं और तवे पर घी या तेल लगा कर दोंनो ओर सेंके.

जब पराठे गोल्‍डन हो जाएं तब गैस बंद कर दें. इसी तरह से सारे पराठे बना लें.

फिर इन्‍हें सब्‍जी या आम के अंचार के साथ सर्व करें. मसाला पराठा, सादे पराठे का ही एक अलग रूप है, जो खाने में काफी टेस्‍टी लगता है.

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परछाई- भाग 2: मायका या ससुराल, क्या था माही का फैसला?

भैयाभाभी कहीं जाते तो थोड़े दिन के लिए मायके आने के बावजूद वह भाई के बच्चों की देखभाल करती, उन्हें अपने साथ घुमाने ले जाती, चौकलेट, आइसक्रीम वगैरह खिलाती पर भाभी उसे फिर भी खास तवज्जो न देतीं. माही उस घर को अभी भी अपना घर समझती. फिर वही पहले वाला हक ढूंढ़ती. पर उस की सारी कोशिशें बेकार हो जातीं. भाभी उस से मतलब का रिश्ता निभातीं, इसलिए उन में आत्मीयता कभी नहीं आ पाई.

वह जबजब भाभी के साथ किचन में कुछ करने की कोशिश करती, तो भाभी उसे साफ जता देतीं कि अब उन को उस का अपने किचन में छेड़खानी करना पसंद नहीं. वह 2-4 दिन के लिए आई है. मां के साथ बैठे और जाए. फिर उस के बच्चे हुए तो सास बुजुर्ग होने की वजह से उस की अधिक देखभाल नहीं कर पाईं पर जेठानी ने अपना तनमन लगा दिया, मां जैसी देखभाल की उन की.

‘देखा माही… भाभी कितना खयाल रखती है तुम्हारा… मैं कहता था न कि उन्हें समझने में तुम गलती कर रही हो.’

जेठानी की देखभाल से वह पिघलने को होती तो विभव की बात से जलभुन जाती. पहले बच्चे के समय जब मां ने बारबार कहा कि अब थोड़े दिन के लिए मायके आ जा तो सवा महीने के बच्चे को ले कर वह मायके चली आई. विभव से कह आई कि बहुत दिनों बाद जा रही हूं, इसलिए आराम से रहूंगी. तुम्हें तो वैसे भी मेरी जरूरत नहीं है.

जेठानी ने जाने की बात सुनी तो मना किया, ‘तुम अभी कमजोर हो माही… खुद की व बच्चे की देखभाल नहीं कर पाओगी… यहीं रहो, थोड़े महीने बाद चली जाना.’

‘मेरी मां व भाभी मेरी देखभाल करेंगी…’ भाभी का स्वभाव जानते हुए भी वह बोली. मायके पहुंची तो खुश थी वह. इस बार लंबे समय के लिए आई थी. जब घर पहुंची तो, भावुक हो कर मां व भाभी से मिलना चाहा पर भाभी का उखड़ा मूड देख कर उत्साह पर पानी फिर गया. मां भी बहुत उत्साहित नहीं दिखीं, लगा मां ने रीतरिवाज निभाने व उस का मन रखने के लिए उसे मायके आने को कहा था. शायद उन्हें सचमुच विश्वास नहीं था कि वह आ जाएगी.

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ससुराल में जेठानी उस के आगेपीछे घूम कर उस का ध्यान रखतीं, बच्चे की पूरी देखभाल करतीं, सास हर समय सब से उस का ध्यान रखने को कहतीं, उस का बेटा सब की आंखों का तारा था वहीं मायके में मां की भी काम के करने की एक सीमा थी, फिर भी उन का पहला ध्यान अपने पोतेपोतियों पर रहता था, नहीं तो बहू की नाराजगी मोल लेनी पड़ती. भाभी को तो उस की देखभाल से मतलब ही नहीं था. जो खाना सब के लिए बनता वही उस के लिए भी बनता.

एक दिन रात में तबीयत खराब होने की वजह से वह बच्चे की देखभाल भी नहीं कर पा रही थी. मां ने रोते हुए बच्चे को उठा लिया पर उस का पेट दर्द रुक नहीं पा रहा था. मां ने हार कर उस के भाई के कमरे का दरवाजा खटखटा दिया. बहुत मुश्किल से भाई की नींद खुली, उस ने दरवाजा खोला.

‘बेटा माही की तबीयत ठीक नहीं है. पेट में दर्द हो रहा है…’

‘क्या मां… तुम भी न. छोटीछोटी बातों के लिए जगा देती हो. अरे परहेज वगैरह वह कुछ करती नहीं… हाजमा बिगड़ गया होगा. कोई दवादे देती. बेकार में नींद खराब कर दी.’

‘सब कुछ कर के देख लिया बेटा, पर दर्द रुक नहीं रहा.’

‘तो दर्द की कोई गोली दे दो. इतनी रात में मैं क्या कर सकता हूं. और तुम भी मां… कहां की जिम्मेदारी ले ली. उसे अपने घर भेजने की तैयारी करो. उन की जिम्मेदारी है वही संभालें. सो जाओ अभी सुबह देखेंगे.’ कह कर भाई ने दरवाजा बंद कर दिया.

मां लौट आईं. न माही ने कुछ पूछा. न मां ने कुछ कहा.

उस ने सब कुछ सुन लिया था. सारी रात वह दर्द से तड़पती रहीं, मां सिराहने बैठी रही, पर भाईभाभी ने सहानुभूति जताने की कोशिश भी न की. सुबह पेट दर्द कम हो गया पर तबीयत फिर भी ठीक नहीं थी लेकिन भैयाभाभी ने यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि रात में तबीयत ठीक नहीं थी अब कैसी है, वह सोच रही थी कि उस की इतनी तकलीफ में तो ससुराल में रात में पूरा घर हिल जाता. यहां तक की बच्चे भी उठ कर बैठ जाते, यहां मां के अलावा सब सो रहे थे.

सोचतेसोचते उस का मन भारी सा हो गया. किस मृगतृष्णा में बंधी हुई वह बारबार यहां आती है और भैयाभाभी के द्वारा अपमानित होती है. क्या खून के रिश्ते ही सब कुछ होते हैं? जेठजेठानी उस पर जान छिड़कते हैं, लेकिन उन्हें वह अपना नहीं समझ पाती, उलटा चाहती है कि उस का पति भी उन्हें अधिक तवज्जो न दे.

वह बिस्तर पर गमगीन सी बैठी हुई थी तभी मां चाय ले कर आ गईं. माही रात की बात से दुखी होगी, यह तो वे जानती थीं पर उन के हाथ में था भी क्या.

‘क्या हुआ माही. अब कैसी तबीयत है तेरी?’ मां स्नेह से उस का सिर सहलाते हुए बोलीं.

‘अब ठीक है मां. आप को भी रात भर सोने नहीं दिया मैं ने.’

‘अरे… कैसी बात कर रही है तू. अच्छा चल मुंहहाथ धो ले और चाय पी ले.’

माही चुपचाप चाय पीने लगी. मां ने अपना कप उठा लिया. दोनों चुप थे पर दोनों के दिल की बातों से परेशान थे.

‘मां, मेरी तबीयत अगर ऐसी ससुराल में खराब होती तो मेरे जेठजेठानी सारा घर सिर पर उठा लेते,’ अचानक माही बोली तो मां समझ गईं कि माही क्या कहना चाहती है. वे धीरे से उस के पास खिसक आईं, ‘माही, तू जिन रिश्तों की जड़ों को सींचना चाह रही है वे खोखली हैं. सूखी हुई हैं बेटा. खून के रिश्ते ही सब कुछ नहीं होते. जितनी कोशिश उन्हें अपनी भाभी के साथ बनाने की करती है, उस का अंशमात्र भी अपने जेठजेठानी के साथ करेगी तो वे रिश्ते लहलहा उठेंगे. जो रिश्ते तेरी तरफ कदम बढ़ा रहे हैं उन्हें थाम. उन का स्वागत कर. जो तुझ से दूर भाग रहे हैं उन के पीछे क्यों भागती है?’ मां उस के और अपने मन के झंझावतों को शब्द देती हुई बोलीं.

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‘‘ये तेरी मृगतृष्णा है कि कभी न कभी भाभी तेरे प्यार को समझेगी और तेरी तरफ कदम बढ़ाएगी. कुछ लोग प्यार की भाषा को कभी नहीं समझ पाते. पर तू प्यार की कीमत समझ माही. अपने जेठजेठानी के प्यार को समेट ले… वही हैं तेरे भैयाभाभी, जो तेरे दुखसुख में काम आते हैं. तेरा खयाल रखते हैं. तेरे अच्छेबुरे व्यवहार को तेरी नादानी समझ कर भुला देते हैं.’

मालविका को इमोशनली टॉर्चर करेगा वनराज, समर-नंदिनी का पैचअप कराएगी Anupamaa?

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है. जिससे दर्शकों को एंटरटेनमेंट का डबल डोज मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि समर, नंदिनी से ब्रेकअप कर लेता है. तो वहीं वनराज समर के इस फैसले से खुश होता है. और वह नंदिनी को खरी-खोटी सुनाता है. शो के अपकमिंग में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं, शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा समर-नंदिनी का पैचअप कराने की कोशिश करेगी. अनुपमा समर को समझाएगी और कहेगी कि जब रिश्ते की डोर टूटती है तो इंसान अंदर से टूट जाता है. जब मेरा और मिस्टर शाह का रिश्ता टूटा था तो सबके सब टूट गए थे.

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तो दूसरी तरफ बापू जी भी समर से कहेंगे कि बचपन में तेरा क्रिकेट बैट टूट गया था. तूने उसे जोड़कर आजकर संभाल कर रखा है. एक खिलौने को जोड़कर रखने वाला समर क्या एक रिश्ते के लिए कोशिश नहीं कर सकता. बा भी बापू जी का साथ देंगी.

 

लेकिन वनराज समर को इस रिश्ते से दोबारा जोड़ने से रोकेगा. वह समर से कहेगा कि बिना प्यार के रिश्ते से सिर्फ तकलीफ होती है. मैं बस यही कहना चाहता हूं कि जो रिश्ता नहीं अच्छा लगे ना उसे मत जोड़ना. अनुपमा वनराज की बातें सुनकर भड़क जाएगी.

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शो में आप ये भी देखेंगे कि वनराज गुस्से में ऑफिस जाएगा. तभी मालविका उसे मनाने के लिए आती है. वनराज मालविका से इमोशनल बातें करता है. वह कहता है कि कोई मुझे समझे ना समझे मुक्कू तुम तो मुझे समझती हो ना. तुमने भी मेरी तरह दो बार चोट खाई है. पहले प्यार करके फिर शादी करके. इसके बाद वनराज मालविका का हाथ पकड़ते हुए कहता है कि तुम्हें तो मैं गलत नहीं लगता ना. तुम मुझ पर भरोसा करती हो ना. ये सुनते ही मालविका भी वनराज का हाथ थाम लेती है. ऐसे में अनुपमा उन दोनों को देख लेती है. शो में अब ये देखना होगा कि अनुपमा वनराज के गलत इरादों का कैसे सामना करती है.

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Kapil Sharma की बेटी अनायरा ने बजाया ड्रम, देखें क्यूट Video

कॉमेडी किंग कपिल शर्मा (Kapil Sharma) अपने पर्सनल लाइफ को लेकर भी सुर्खियों में छाये रहते हैं. फैंस को कपिल शर्मा के फोटोज और वीडियो का बसेब्री से इंतजार रहता है. अब उन्होंने अपनी बेटी अनायरा की क्यूट वीडियो इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर किया है. आइए बताते हैं अनायरा की इस वीडियो के बारे में.

इस वीडियो में अनायरा ड्रम बजाती दिख रही हैं. और वह कपिल से भी ड्रम बजाने के लिए कहती हुई नजर आ रही है. कपिल ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि जैसा पिता वैसी बेटी.

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कपिल शर्मा अक्सर अपने बच्चों की तस्वीरें फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं.  अनायर इस वीडियो में बहुत ही क्यूट आवाज में कपिल से कह रही हैं, पापा आप बजाओ, आप भी बजाओ.

 

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बता दें कि कुछ दिन पहले कपिल के बेटे त्रिशान का वीडियो भी सामने आया था. इस वीडियो में कपिल शर्मा डांस करते नजर आ रहे थे और ड्रम कपिल और मीका बजा रहे थे. मीका ने इस वीडियो को शेयर किया था.

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आपको बता दें कि कपिल शर्मा और गिन्नी की शादी को 3 साल हुए हैं. इनके दो बच्चे हैं, अनायरा और त्रिशान. अनायरा दो साल की हैं तो वहीं त्रिशान एक साल का है. हाल ही में एक वीडियो सामने आया था. जिसमें कपिल की पूरी फैमिली नजर आ रही थी.

 

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वर्कफ्रंट की बात करे तो  कपिल का स्टैंडअप कॉमेडी शो नेटफ्लिक्स पर आने वाला है जिसका नाम है  ‘I Am Not Done yet’. इस शो के कुछ प्रोमोज रिलीज हो चुके हैं.

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Satyakatha: रास न आया कच्ची उम्र का प्यार

सौजन्य- सत्यकथा

रात के लगभग पौने 12 बजे का समय था. पहली मंजिल पर बने कमरे में धर्मेंद्र चारपाई पर आ कर कुछ देर पहले ही लेटा था. अभी उस की आंख लगी ही थी कि अचानक नीचे  के कमरे से छोटे भाई नरेंद्र उर्फ सचिन की चीखें सुन कर वह हड़बड़ा कर उठ गया. वह तेजी से सीढि़यां उतरता हुआ नीचे पहुंचा.

नरेंद्र  के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. घबराए धर्मेंद्र ने भाई नरेंद्र को आवाज दी. इस के बाद उस की पत्नी रीतू को पुकारा. लेकिन कमरे से कोई आवाज नहीं आने पर नरेंद्र के मोबाइल पर काल की, लेकिन किसी ने मोबाइल भी नहीं उठाया.

अंदर से 33 वर्षीय नरेंद्र के 3 साल के बेटे अंश के रोने की आवाज जरूर सुनाई दी. इस बीच परिवार के अन्य सदस्य भी वहां आ गए.

किसी अनहोनी की आशंका पर धर्मेंद्र ने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस को घटना की जानकारी दी. यह घटना 2 जून, 2021 की जनपद फिरोजाबाद के थाना सिरसागंज के गांव गुरैया सोयलपुर की है.

सूचना मिलते ही चौकी इंचार्ज एसआई अजीत मलिक घटनास्थल पर पहुंच गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने थानाप्रभारी गिरीशचंद्र गौतम को घटना की जानकारी दी.

थानाप्रभारी उसी समय पुलिस टीम के साथ थाने से 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव गुरैया सोयलपुर जा पहुंचे. उन्होंने नरेंद्र के कमरे का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई उत्तर नहीं मिला. इस पर थानाप्रभारी ने कमरे की खिड़की के कांच से अंदर झांक कर देखा.

कमरे में अंधेरा था, लेकिन टौर्च की रोशनी डालने पर अंदर एक महिला दिखाई दी. तब सख्त लहजे में उस से गेट खोलने को कहा. गेट न खोलने पर दरवाजा तोड़ने की बात कही.

कमरे में नरेंद्र उर्फ सचिन की पत्नी रीतू और उस का बेटा अंश थे. पति नरेंद्र की आवाज नहीं आ रही थी. काफी समझाने पर रीतू ने खिड़की खोल दी. उस ने कहा कि कोई मुझ से और मेरे बच्चे से कुछ नहीं कहे तो मैं बाहर आ जाऊंगी.

यह बात सुन कर पुलिस के साथ ही नरेंद्र के घर वालों को चिंता होने लगी कि नरेंद्र के साथ कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई. शोर सुन कर रात में ही आसपास के लोग भी आ गए.

रीतू को अपने बच्चे की चिंता सता रही थी. उसे डर था कि ससुराल के लोग उस का बच्चा ले लेंगे. इस पर थानाप्रभारी ने समझाते हुए कहा कि मैं तुम्हें यहां से बच्चे सहित सुरक्षित निकाल कर ले जाऊंगा. तुम से कोई कुछ नहीं कहेगा.

काफी देर समझानेबुझाने के बाद रीतू ने दरवाजा खोला और बच्चे को गोद में लिए हुए बाहर आई, लेकिन कमरे के बाहर ससुरालीजनों के साथ ही पड़ोसियों को देख कर दूसरे ही पल वह फिर से कमरे में चली गई. कहीं रीतू दोबारा कमरा अंदर से बंद न कर ले, इस के लिए अब पुलिस मुस्तैद हो गई थी.

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इस बीच एक ही नजर में मोबाइल की टौर्च से थानाप्रभारी ने कमरे का नजारा देख लिया था. नरेंद्र घायल पड़ा दिखा तो उन्होंने घायल नरेंद्र को ले जाने के लिए गाड़ी मंगाने की बात कही. यह सुन कर परिवार में कोहराम मच गया. महिलाएं रोनेचीखने लगीं. घटना से मोहल्ले के लोग हैरान हो गए.

समझाने व सुरक्षा का आश्वासन देने पर रीतू बच्चे को ले कर कमरे से बाहर आ गई. इस के बाद पुलिस ने कमरे में प्रवेश किया. अंदर का मंजर देखते ही पुलिस और घर वालों की आंखें फटी की फटी रह गईं. पूरी चारपाई खून से सनी हुई थी. यहां तक कि चारपाई के नीचे भी खून दिखाई दे रहा था.

कमरे के फर्श पर नरेंद्र बेहोशी की हालत में खून से लथपथ था. जल्द ही गाड़ी का इंतजाम कर घायल नरेंद्र को सीट पर लिटा दिया गया. उस का चेहरा बुरी तरह से घायल था.

इस के अलावा पूरे शरीर पर चोट के निशान थे. नरेंद्र के साथ ही मासूम अंश के सिर से खून बह रहा था. गाड़ी में रीतू और अंश को भी बैठा कर पुलिस ले गई.

कमरे में ही नुकीली लोहे की रौड पड़ी थी. पुलिस ने रीतू को हिरासत में लेने के साथ ही लोहे की रौड अपने कब्जे में ले ली. घटना की जानकारी होते ही सीओ देवेंद्र सिंह भी मौके पर पहुंच गए और घटनास्थल का निरीक्षण किया. वहीं फोरैंसिक टीम ने पहुंच कर घटनास्थल से सबूत जुटाए.

पूछताछ में बड़े भाई धर्मेंद्र ने पुलिस को बताया कि रोजाना की तरह मां व पिताजी दूसरे घर में सोने चले गए. जबकि वह अपने परिवार के साथ इसी मकान की ऊपरी मंजिल पर चारपाई पर सो रहा था. रात लगभग पौने 12 बजे भाई नरेंद्र की चीख सुन कर आंखें खुल गईं.

वह नरेंद्र उर्फ सचिन के कमरे की ओर दौड़ा. देखा भाई नरेंद्र के 2 साले हृदय मोहन व सोलू तेजी से भागते हुए मकान के गेट से बाहर निकल गए. रीतू के हाथ में लोहे की रौड थी. उस ने मुझे देखते ही कमरा बंद कर लिया. उस ने बताया, शाम को नरेंद्र की अपनी दूसरी पत्नी रीतू के साथ कहासुनी हो गई थी. रीतू ने अपने भाइयों के साथ मिल कर भाई की यह हालत की है.

पुलिस ने घायल बापबेटे को इलाज के लिए सिरसागंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भरती कराया. नरेंद्र की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल फिरोजाबाद के लिए रैफर कर दिया गया. घर वाले नरेंद्र की गंभीर हालत को देखते हुए फिरोजाबाद ले गए. जिला अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने जांच कर नरेंद्र को मृत घोषित कर दिया.

पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया. नरेंद्र की मौत होने की जानकारी मिलते ही गांव में परिवार की महिलाओं में हाहाकार मच गया.

इस संबंध में मृतक नरेंद्र के बड़े भाई धर्मेंद्र ने नरेंद्र की पत्नी रीतू उस के 2 भाइयों हृदयमोहन व सोलू निवासी गुरैया सोयलपुर के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट थाना सिरसागंज में भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत दर्ज कराई.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि नीचे के कमरे में नरेंद्र, उस की पत्नी रीतू व उन का बेटा अंश सो रहे थे. आधी रात को नरेंद्र की चीखें सुन कर वह नीचे उतर कर उसे बचाने आया तो नरेंद्र की पत्नी रीतू के 2 भाई कमरे से निकल कर भागते हुए दिखाई दिए.

उस के तुरंत बाद ही कमरे का दरवाजा बंद हो गया. दरवाजा खुलवाने पर देखा कि रीतू हाथ में नुकीली लोहे की रौड लिए हुए थी. इसी रौड से उस ने भाई नरेंद्र के चेहरे पर ताबड़तोड़ प्रहार कर उसे मरणासन्न कर दिया था.

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इस के साथ ही मासूम अंश के सिर पर भी चोट लगी थी. घरवालों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि रीतू से नरेंद्र की वर्ष 2016 में कोर्टमैरिज हुई थी. दोनों के 3 साल का एक बेटा अंश है.

हिरासत में ली गई रीतू को थाने लाकर पुलिस ने घटना के संबंध में पूछताछ की.

पहले तो रीतू काफी देर तक चुप्पी साधे रही. लेकिन जब महिला सिपाही ने कड़ाई दिखाई तो रीतू टूट गई. उस ने अपने पति नरेंद्र की लोहे की रौड से हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि पति पर प्रहार करते समय पास सोए हुए अंश के सिर में धोखे से रौड लग गई थी. इस संबंध में सीओ देवेंद्र सिंह ने 3 जून को प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस घटना का खुलासा कर दिया.

रीतू मृतक नरेंद्र की दूसरी पत्नी थी. दोनों ने प्रेम विवाह किया था. नरेंद्र उर्फ सचिन की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के गांव गुरैया सोयलपुर निवासी रामप्रकाश यादव के 4 बेटों में मृतक नरेंद्र उर्फ सचिन दूसरे नंबर का था. जबकि धर्मेंद्र सब से बड़ा, तीसरे नंबर का हृदेश व सब से छोटा सुधीर था. पिछले साल अप्रैल में हृदेश की मौत हो गई थी.

मकान के प्रथम तल पर धर्मेंद्र और सुधीर रहते हैं, जबकि नीचे बने एक कमरे में नरेंद्र अपनी पत्नी रीतू व बच्चे अंश के साथ तथा दूसरे कमरे में हृदेश की विधवा पत्नी रहती है. घटना के समय हृदेश की पत्नी मायके में थी.

धर्मेंद्र के साथ ही सभी भाई खेती के साथ ही ट्रैक्टर से खेतों की जुताई व जेसीबी किराए पर देने का काम शामिल रूप से करते थे. पूर्व में धर्मेंद्र अपने छोटे भाइयों के साथ मिल कर ठेकेदारी का काम भी करता था.

2006 में नरेंद्र की पहली शादी इटावा के थाना बसरेहर के गांव संतोषपुर निवासी रीता के साथ हुई थी. रीता से 4 बच्चे हैं, इन में 3 बेटी व एक बेटा है.

शादी के कुछ सालों बाद दोनों के बीच मनमुटाव हो गया और रीता पति नरेंद्र को छोड़ कर बच्चों को साथ ले कर अपने मायके चली गई थी, जहां उस ने नरेंद्र के खिलाफ कोर्ट में मामला डाल दिया था.

गांव के ही रहने वाले ब्रजमोहन बघेल के 5 बच्चों में रीतू सब से बड़ी थी. उस के बाद 3 बेटे व एक बेटी थी. रीतू के पिता ब्रजमोहन बघेल, धर्मेंद्र यादव के प्लांट पर मजदूरी करता था. कभीकभी धर्मेंद्र, छोटे भाई नरेंद्र को ब्रजमोहन को बुलाने उस के घर भेज देता था.

इसी दौरान नरेंद्र और रीतू की नजरें मिल गईं. अभी वह किशोरावस्था में थी. रीतू देखने में सुंदर थी. नरेंद्र को वह पहली नजर में ही भा गई थी.

नरेंद्र कदकाठी का कसा हुआ जवान था. 4 बच्चों का पिता बन जाने के बाद भी वह अपनी उम्र से कम का दिखाई देता था. रीतू भी उस की ओर आकर्षित हो गई. वह नरेंद्र को कनखियों से देखा करती थी. यह आभास नरेंद्र को भी था. वह भी मन ही मन रीतू को चाहने लगा था. जब कभी दोनों की नजरें मिलतीं तो दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे.

धीरेधीरे यह मुलाकात दोस्ती में बदल गई. उस समय नरेंद्र 27 साल का और रीतू 17 साल की थी. फिर दोनों चोरीछिपे मिलने लगे. दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने फोन नंबर दे दिए थे. जब भी नरेंद्र को फुरसत मिलती, दोनों फोन पर बातें करते. कभीकभी नरेंद्र रीतू को गिफ्ट भी ला कर देता था.

हालांकि दोनों की जाति अलगअलग थी. रीतू को यह भी पता था कि नरेंद्र शादीशुदा है और उस के 4 बच्चे हैं. इस के बावजूद भी दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था.

गांव और देहात में प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पातीं. अगर किसी एक व्यक्ति को ऐसी किसी बात की भनक लग जाती है तो कानाफूसी से बात पूरे मोहल्ले में ही नहीं, बल्कि गांव भर में फैल जाती है.

रीतू के घर वालों को भी पता चल गया था कि उस का नरेंद्र के साथ चक्कर चल रहा है, लिहाजा मां और पिता ने रीतू को समझाया कि वह उस लड़के से मिलना बंद कर दे. वे पैसे वाले हैं, तू उस के चक्कर में पड़ कर अपनी जिंदगी क्यों बरबाद करना चाहती है.

जवानी की देहरी पर कदम रख चुकी रीतू के सिर पर तो प्यार का भूत सवार था. समझाने का उस पर कोई असर नहीं हुआ. प्रेमी युगल की मुलाकातों का सिलसिला बदस्तूर जारी  रहा.

जब रीतू पर घर वालों की बातों का कोई असर नहीं हुआ तो रीतू पर पहरा कड़ा कर दिया गया. यह बात जब नरेंद्र को पता चली तो दोनों ने भागने का प्लान बनाया. रीतू के घर वालों को इस बात का पता चल गया. तब उन्होंने रीतू को सैफई के पास पिड़ारी स्थित ननिहाल भेज दिया.

कहते हैं कि प्रेमीप्रेमिका बिना खाए तो रह सकते हैं, लेकिन बिना मिले नहीं रह सकते. हुआ भी यही, रीतू ने नरेंद्र को अपने मामा के घर पिड़ारी में होने की जानकारी दे दी.

बिना पानी के जैसे मछली तड़पती है, उसी तरह तड़प रहे प्रेमी नरेंद्र को जब इस बात की जानकारी हुई तो वह मामा के यहां से चुपचाप रीतू को भगा ले गया. रीतू के नरेंद्र के साथ जाने की जानकारी जब पिता ब्रजमोहन को हुई, वह बदनामी से बचने के लिए अपनी गांव की 2 बीघा जमीन बेच कर गांव छोड़ कर फिरोजाबाद परिवार सहित चला गया. उधर नरेंद्र ने रीतू के साथ कोर्टमैरिज कर ली और कुछ समय बाद उसे ले कर अपने गांव आ गया.

2 जून, 2021 को नरेंद्र अपनी पहली पत्नी रीता से मिलने इटावा गया था. शाम 7 बजे वह घर वापस आया. उस ने अपने घर पर बताया कि वह 2-3 दिन में रीता और बच्चों को ले आएगा.

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रीतू को जब पता चला कि नरेंद्र अपनी पहली पत्नी रीता से मिल कर इटावा से लौटा है तो उस ने रात में नरेंद्र से झगड़ना शुरू कर दिया. दोनों के बीच विवाद होने लगा और बात बढ़ गई. नरेंद्र ने गुस्से में कहा, वह रीता और चारों बच्चों को भी घर लाएगा. सभी लोग इसी घर में रहेंगे.

घर में सौतन के आने की बात सुन कर रीतू बौखला गई. दोनों में काफी देर तक कहासुनी होती रही. इस के बाद नरेंद्र सो गया. रात लगभग पौने 12 बजे गुस्से से भरी रीतू ने सोते हुए नरेंद्र पर लोहे की रौड से उस के चेहरे व सिर पर ताबड़तोड़ प्रहार किए.

अचानक हुए हमले से नरेंद्र बदहवास हो कर जान बचाने को भागा. लेकिन अंधेरा होने व कमरे की कुंडी अंदर से बंद होने और लगातार हो रहे प्रहार से वह अपना बचाव नहीं कर पाया. वह बेदम हो कर वहीं गिर गया.

इस बात की गवाही दरवाजे के पास, चारपाई तथा कमरे में बिखरे खून से मिल रही थी. पति पर हमले के दौरान चारपाई पर सो रहे बेटे अंश के सिर में भी चोट लग गई.

पुलिस ने रीतू को पति नरेंद्र उर्फ सचिन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. मासूम को भी रीतू अपने साथ जेल ले गई. पुलिस घटना में नामजद रीतू के दोनों भाइयों की संलिप्तता की कथा लिखने तक जांच कर रही थी.

कहते हैं कि गुस्सा आदमी की बुद्धि हर लेता है. गुस्से में उठाए गए गलत कदम के बाद सिवाए पछताने के और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता. रीतू के गुस्से से जहां पति और पत्नी के रिश्ते तारतार हो गए. वहीं रीतू अब कहीं की नहीं रही. क्योंकि घर वालों की मरजी के खिलाफ शादी करने से घर वालों ने रीतू से बहुत पहले ही संबंध तोड़ लिए थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जवां पार्टी: कदम लड़खड़ा न जाएं

घटना है उत्तर प्रदेश के पौश इलाके ग्रेटर नोएडा की, तारीख थी 12 दिसंबर, 2021. एक हाई प्रोफाइल सोसाइटी की 7वीं मंजिल से एक लड़की गिर गई. उसे बहुत ज्यादा चोटें आईं.

पुलिस ने बताया कि वह लड़की पश्चिम बंगाल की रहने वाली है और हरियाणा के पानीपत में रहती है. 12 दिसंबर, 2021 को वह ग्रेटर नोएडा में रह रहे अपने एक दोस्त से मिलने आई थी. आधी रात के आसपास लड़की अचानक 7वीं मंजिल से नीचे गिर गई. घायल लड़की को पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया. शुरुआती जांच में पुलिस को यह पता चला है कि वह लड़की नींद और नशे में होने की वजह से खिड़की से नीचे गिर गई.

लड़की के दोस्त ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि लड़की से उस की मुलाकात होती रहती थी. जब भी वह यहां आती थी तो उसी के फ्लैट में रहती थी.

लड़की के दोस्त ने पुलिस को यह भी बताया कि जिस दिन यह घटना हुई, उस रात दोनों ने पार्टी की थी और आधी रात के वक्त जब लड़की बाथरूम गई तो खिड़की से नीचे गिर गई.

इसी तरह 1 दिसंबर, 2021 को बिहार के भागलपुर शहर के आसपास एक घटना घटी. दरअसल, कटिहार के बरारी निवासी शुभम का जन्मदिन था. कुछ दोस्त उस का जन्मदिन मनाने बरारी गए थे और जन्मदिन की पार्टी मना कर कार से नवगछिया लौट रहे थे. राष्ट्रीय राजमार्ग पर रंगरा चौक से 500 मीटर पहले एक ट्रक खड़ा था. रात में अंधेरा होने की वजह से कार ट्रक से टकरा गई.

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इस घटना में एक युवा आशीष मारा गया और उस के 4 दोस्त भागलपुर बरारी निवासी मिल्टन उर्फ सत्यव्रत, इस्माइलपुर भिट्ठा निवासी नीरज कुमार, नयाटोला निवासी ज्योतिष कुमार, कटिहार के बरारी निवासी शुभम कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए.

ये 2 अलगअलग तरह के हादसे हैं. पहले हादसे में 2 जने पार्टी कर रहे थे. वे घर पर थे और लड़की आधी रात को 7वीं मंजिल से गिर गई. जब वह गिरी तब नशे में थी और उस के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था.

संभावना है कि वह लड़की और पार्टी में शामिल लड़का रिलेशनशिप में हों और उन में सैक्स भी हुआ हो और चूंकि लड़की ने किसी तरह का नशा किया था तो वह संभल नहीं पाई और यह हादसा हो गया.

दूसरे मामले में रात का समय था और चंद दोस्त कार से अपने घर लौट रहे थे. वे पार्टी मूड में थे, पर सामने खड़े ट्रक पर ध्यान नहीं दे पाए और कार उस में भिड़ा दी.

पार्टी करना कोई बुराई नहीं है और किसी के घर पर पार्टी करने का मजा भी अलग ही होता है, पर जब हम किसी नशे या लापरवाही के चलते आने वाले खतरे पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, तब उस का नतीजा बहुत भयावह भी हो जाता है.

सड़क पर गाड़ी चलाते हुए दोस्तों की आपसी बातचीत में बहुत से नौजवान सड़क के नियमों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. वे स्पीड में गाड़ी चलाते हैं और अगर नशे में होते हैं तो वह गाड़ी किसी ‘मानव बम’ से कम नहीं होती है. ‘ड्रिंक ऐंड ड्राइव’ के खिलाफ तो ट्रैफिक पुलिस मुहिम भी चलाती है. बारबार यह भी सम?ाया जाता है कि अगर आप किसी पार्टी से रात को घर आ रहे हैं तो नशे में गाड़ी चलाने से बचें या फिर किसी कैब से घर आएं, पर युवा पीढ़ी इस पर अमल करना अपनी शान के खिलाफ सम?ाती है और अकसर बड़ी मुसीबत में फंस जाती है.

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कहने का मतलब यह है कि पार्टी करने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि दोस्तों के साथ चंद पल गुजारने पर आप का मानसिक तनाव कम होता है, पर जब आप के कदम लड़खड़ा रहे हों या आप देररात अपनी गाड़ी से घर लौट रहे हों तो थोड़ा सतर्क रहें और सुरक्षित घर पहुंचें, क्योंकि अगली पार्टी का मजा भी तो आप को लेना है.

औरतों के प्रति कब बदलेगा ये समाज?

औरतों के बारे में हमदर्दी रखने वाले कानूनों और लगातार अदालतों का औरतों की शिकायतों पर आदमियों के जेल में भेज देने से जहां आदमियों के लिए औरतों को खिवाड़ की चीज समझने पर खतरा पैदा कर दिया है, वहीं औरतों का अपनी अपनी जवानी और बदन का इस्तेमाल अपने सुखों को पाने का रास्ता भी बंद कर दिया है. पिछले 10-20 सालों में जिस तरह से औरतें सामाजिक बेइज्जती से डरे बिना  शिकायतें करना शुरू किया है उस से सैंकड़ों लोग देश में जेलों में बंद हैं और छूृृटते हैं तो तब जब शिकायती औरत अपना रवैया बदलती हैं.

एक तरह से तो यह सामाजिक बदलाव अच्छा है और आदमी औरतों को कमजोर नहीं समझ सकते पर दूसरी ओर औरतों के हाथ से अपने बदल का इस्तेमाल कर के अपना काम निकलवाने का मौका भरा गया है. चाहे यह मौका औरतों के अपनी कमजोरियों को पूरा करने में काम आता था पर फिर भी राजनीति, दफ्तरी, छोटी बड़ी नौकरियों में जहां औरतों के पास बदन के अलावा कोई और हुनर नहीं होता वहां कुछ दे देता था. इन कानूनों की वजह से अब औरतों को अपने बदन और अपनी अदाओं से नहीं, अपने काम और गुणों से आदमियों से डील करने की आदत डालनी पड़ेगी.

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जिन लड़कियों को किशोरसन में आदत डाल जाती थी कि एक मुस्कान से वे कुछ पा सकती हैं उन्हें अब सारी मेहनत अपने हुनर को ठीक करने पर लगी होगी. आदमियों के भी एहसास हो गया हैकि औरत कोई कबूतरी नहीं कि कुछ दाने फेंक कर उसे ङ्क्षपतरे में बंद किया जा सकता है. जिन औरतों में योग्यता होगी, हुनर होगा, सिर्फ बदन का इस्तेमाल कर बच्चे पैदा करना आता होगा, वे पीछे रह जाएंगी. मांबाप को अब अपनी सुंदर बेटियों पर नहीं अपनी हुनरमंद लड़कियों पर सिर ऊंचा करना होगा और लडक़ी सांवली है या नारी या सुंदर नहीं है अब बेमतलब का हो गया है.

यह बदलाव उन धर्मग्रंथों के बावजूद हो रहा है जिन में बारबार औरतों के पाप की खान बताया गया है और बेटी के जन्म होते ही घरवालों के मुंह लटक जाते थे. अब बेटियां घरों की शान बनने लगी हैं. क्योंकि वे लडक़ों से ज्यादा मेहनत कर रही हैं. उन्हें मालूम है कि सिर्फ अच्छे बदन और सुंदर चेहरे के बल पर वे अपनी ङ्क्षजदगी नहीं गुजार सकतीं. आदमी अब कानूनों की वजह से भयभीत है और कभी भी कौन सी लडक़ी जो आज छूट दे रही है, कल बिफर जाए, पता नहीं.

अभी दिल्ली में एक बौडी बिल्डर को जेल भेज दिया गया क्योंकि 38 साल की एक बच्चे की विवाहित मां ने आरोप लगा दिया कि उस के साथ न सिर्फ शादी का वायदा कर के सेक्स किया गया, उस की वीडियो बना कर उसे ब्लैकमेल किया गया और इस वजह से वह न पति की रह गर्ई है न प्रेमी ने उसे अपनाया. प्रेमी बौडी बिल्डर जो शायद सोच रहा होगा कि औरत भी उस के शरीर को चाहती है अब जेलों में रहेगा और वकीलों पर अपनी जमापूंजी खर्च करेगा. आधीअधूरी शिकायत के बावजूद प्रेमी की अदालत ने नहीं सुनी.

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आदमियों के लिए तो यह चेतावनी है ही पर औरतें के लिए भी सबक है कि आज के युग में चाहे वे अच्छी प्रेमिका बनना चाहें या अच्छी बीवी, उन्हें बहुत तरीके हुनर अपनाने चाहिए. अपनी पढ़ार्ईपूरी करनी होगी, शादी हो गई तो सब कुछ मिल गया जैसे बातें नहीं चलेंगी. गांवकस्बों में भी यह समझ फैल गर्ई है और लड़कियों ने अब पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है और वे लडक़ों से ज्यादा आगे निकल रही हैं.

आंखें के बदन की खरीदारी जितनी जल्दी खत्म हो उतना अच्छा है क्योंकि पाखंड और अंधश्विास तभी दूर होंगे जब औरतें अपने को भगवान की पाप की गिनती ने नहीं गिनेंगी.

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