सौजन्य- सत्यकथा
रात के लगभग पौने 12 बजे का समय था. पहली मंजिल पर बने कमरे में धर्मेंद्र चारपाई पर आ कर कुछ देर पहले ही लेटा था. अभी उस की आंख लगी ही थी कि अचानक नीचे के कमरे से छोटे भाई नरेंद्र उर्फ सचिन की चीखें सुन कर वह हड़बड़ा कर उठ गया. वह तेजी से सीढि़यां उतरता हुआ नीचे पहुंचा.
नरेंद्र के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. घबराए धर्मेंद्र ने भाई नरेंद्र को आवाज दी. इस के बाद उस की पत्नी रीतू को पुकारा. लेकिन कमरे से कोई आवाज नहीं आने पर नरेंद्र के मोबाइल पर काल की, लेकिन किसी ने मोबाइल भी नहीं उठाया.
अंदर से 33 वर्षीय नरेंद्र के 3 साल के बेटे अंश के रोने की आवाज जरूर सुनाई दी. इस बीच परिवार के अन्य सदस्य भी वहां आ गए.
किसी अनहोनी की आशंका पर धर्मेंद्र ने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस को घटना की जानकारी दी. यह घटना 2 जून, 2021 की जनपद फिरोजाबाद के थाना सिरसागंज के गांव गुरैया सोयलपुर की है.
सूचना मिलते ही चौकी इंचार्ज एसआई अजीत मलिक घटनास्थल पर पहुंच गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने थानाप्रभारी गिरीशचंद्र गौतम को घटना की जानकारी दी.
थानाप्रभारी उसी समय पुलिस टीम के साथ थाने से 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव गुरैया सोयलपुर जा पहुंचे. उन्होंने नरेंद्र के कमरे का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई उत्तर नहीं मिला. इस पर थानाप्रभारी ने कमरे की खिड़की के कांच से अंदर झांक कर देखा.
कमरे में अंधेरा था, लेकिन टौर्च की रोशनी डालने पर अंदर एक महिला दिखाई दी. तब सख्त लहजे में उस से गेट खोलने को कहा. गेट न खोलने पर दरवाजा तोड़ने की बात कही.
कमरे में नरेंद्र उर्फ सचिन की पत्नी रीतू और उस का बेटा अंश थे. पति नरेंद्र की आवाज नहीं आ रही थी. काफी समझाने पर रीतू ने खिड़की खोल दी. उस ने कहा कि कोई मुझ से और मेरे बच्चे से कुछ नहीं कहे तो मैं बाहर आ जाऊंगी.
यह बात सुन कर पुलिस के साथ ही नरेंद्र के घर वालों को चिंता होने लगी कि नरेंद्र के साथ कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई. शोर सुन कर रात में ही आसपास के लोग भी आ गए.
रीतू को अपने बच्चे की चिंता सता रही थी. उसे डर था कि ससुराल के लोग उस का बच्चा ले लेंगे. इस पर थानाप्रभारी ने समझाते हुए कहा कि मैं तुम्हें यहां से बच्चे सहित सुरक्षित निकाल कर ले जाऊंगा. तुम से कोई कुछ नहीं कहेगा.
काफी देर समझानेबुझाने के बाद रीतू ने दरवाजा खोला और बच्चे को गोद में लिए हुए बाहर आई, लेकिन कमरे के बाहर ससुरालीजनों के साथ ही पड़ोसियों को देख कर दूसरे ही पल वह फिर से कमरे में चली गई. कहीं रीतू दोबारा कमरा अंदर से बंद न कर ले, इस के लिए अब पुलिस मुस्तैद हो गई थी.
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इस बीच एक ही नजर में मोबाइल की टौर्च से थानाप्रभारी ने कमरे का नजारा देख लिया था. नरेंद्र घायल पड़ा दिखा तो उन्होंने घायल नरेंद्र को ले जाने के लिए गाड़ी मंगाने की बात कही. यह सुन कर परिवार में कोहराम मच गया. महिलाएं रोनेचीखने लगीं. घटना से मोहल्ले के लोग हैरान हो गए.
समझाने व सुरक्षा का आश्वासन देने पर रीतू बच्चे को ले कर कमरे से बाहर आ गई. इस के बाद पुलिस ने कमरे में प्रवेश किया. अंदर का मंजर देखते ही पुलिस और घर वालों की आंखें फटी की फटी रह गईं. पूरी चारपाई खून से सनी हुई थी. यहां तक कि चारपाई के नीचे भी खून दिखाई दे रहा था.
कमरे के फर्श पर नरेंद्र बेहोशी की हालत में खून से लथपथ था. जल्द ही गाड़ी का इंतजाम कर घायल नरेंद्र को सीट पर लिटा दिया गया. उस का चेहरा बुरी तरह से घायल था.
इस के अलावा पूरे शरीर पर चोट के निशान थे. नरेंद्र के साथ ही मासूम अंश के सिर से खून बह रहा था. गाड़ी में रीतू और अंश को भी बैठा कर पुलिस ले गई.
कमरे में ही नुकीली लोहे की रौड पड़ी थी. पुलिस ने रीतू को हिरासत में लेने के साथ ही लोहे की रौड अपने कब्जे में ले ली. घटना की जानकारी होते ही सीओ देवेंद्र सिंह भी मौके पर पहुंच गए और घटनास्थल का निरीक्षण किया. वहीं फोरैंसिक टीम ने पहुंच कर घटनास्थल से सबूत जुटाए.
पूछताछ में बड़े भाई धर्मेंद्र ने पुलिस को बताया कि रोजाना की तरह मां व पिताजी दूसरे घर में सोने चले गए. जबकि वह अपने परिवार के साथ इसी मकान की ऊपरी मंजिल पर चारपाई पर सो रहा था. रात लगभग पौने 12 बजे भाई नरेंद्र की चीख सुन कर आंखें खुल गईं.
वह नरेंद्र उर्फ सचिन के कमरे की ओर दौड़ा. देखा भाई नरेंद्र के 2 साले हृदय मोहन व सोलू तेजी से भागते हुए मकान के गेट से बाहर निकल गए. रीतू के हाथ में लोहे की रौड थी. उस ने मुझे देखते ही कमरा बंद कर लिया. उस ने बताया, शाम को नरेंद्र की अपनी दूसरी पत्नी रीतू के साथ कहासुनी हो गई थी. रीतू ने अपने भाइयों के साथ मिल कर भाई की यह हालत की है.
पुलिस ने घायल बापबेटे को इलाज के लिए सिरसागंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भरती कराया. नरेंद्र की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल फिरोजाबाद के लिए रैफर कर दिया गया. घर वाले नरेंद्र की गंभीर हालत को देखते हुए फिरोजाबाद ले गए. जिला अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने जांच कर नरेंद्र को मृत घोषित कर दिया.
पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया. नरेंद्र की मौत होने की जानकारी मिलते ही गांव में परिवार की महिलाओं में हाहाकार मच गया.
इस संबंध में मृतक नरेंद्र के बड़े भाई धर्मेंद्र ने नरेंद्र की पत्नी रीतू उस के 2 भाइयों हृदयमोहन व सोलू निवासी गुरैया सोयलपुर के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट थाना सिरसागंज में भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत दर्ज कराई.
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि नीचे के कमरे में नरेंद्र, उस की पत्नी रीतू व उन का बेटा अंश सो रहे थे. आधी रात को नरेंद्र की चीखें सुन कर वह नीचे उतर कर उसे बचाने आया तो नरेंद्र की पत्नी रीतू के 2 भाई कमरे से निकल कर भागते हुए दिखाई दिए.
उस के तुरंत बाद ही कमरे का दरवाजा बंद हो गया. दरवाजा खुलवाने पर देखा कि रीतू हाथ में नुकीली लोहे की रौड लिए हुए थी. इसी रौड से उस ने भाई नरेंद्र के चेहरे पर ताबड़तोड़ प्रहार कर उसे मरणासन्न कर दिया था.
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इस के साथ ही मासूम अंश के सिर पर भी चोट लगी थी. घरवालों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि रीतू से नरेंद्र की वर्ष 2016 में कोर्टमैरिज हुई थी. दोनों के 3 साल का एक बेटा अंश है.
हिरासत में ली गई रीतू को थाने लाकर पुलिस ने घटना के संबंध में पूछताछ की.
पहले तो रीतू काफी देर तक चुप्पी साधे रही. लेकिन जब महिला सिपाही ने कड़ाई दिखाई तो रीतू टूट गई. उस ने अपने पति नरेंद्र की लोहे की रौड से हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि पति पर प्रहार करते समय पास सोए हुए अंश के सिर में धोखे से रौड लग गई थी. इस संबंध में सीओ देवेंद्र सिंह ने 3 जून को प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस घटना का खुलासा कर दिया.
रीतू मृतक नरेंद्र की दूसरी पत्नी थी. दोनों ने प्रेम विवाह किया था. नरेंद्र उर्फ सचिन की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—
उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के गांव गुरैया सोयलपुर निवासी रामप्रकाश यादव के 4 बेटों में मृतक नरेंद्र उर्फ सचिन दूसरे नंबर का था. जबकि धर्मेंद्र सब से बड़ा, तीसरे नंबर का हृदेश व सब से छोटा सुधीर था. पिछले साल अप्रैल में हृदेश की मौत हो गई थी.
मकान के प्रथम तल पर धर्मेंद्र और सुधीर रहते हैं, जबकि नीचे बने एक कमरे में नरेंद्र अपनी पत्नी रीतू व बच्चे अंश के साथ तथा दूसरे कमरे में हृदेश की विधवा पत्नी रहती है. घटना के समय हृदेश की पत्नी मायके में थी.
धर्मेंद्र के साथ ही सभी भाई खेती के साथ ही ट्रैक्टर से खेतों की जुताई व जेसीबी किराए पर देने का काम शामिल रूप से करते थे. पूर्व में धर्मेंद्र अपने छोटे भाइयों के साथ मिल कर ठेकेदारी का काम भी करता था.
2006 में नरेंद्र की पहली शादी इटावा के थाना बसरेहर के गांव संतोषपुर निवासी रीता के साथ हुई थी. रीता से 4 बच्चे हैं, इन में 3 बेटी व एक बेटा है.
शादी के कुछ सालों बाद दोनों के बीच मनमुटाव हो गया और रीता पति नरेंद्र को छोड़ कर बच्चों को साथ ले कर अपने मायके चली गई थी, जहां उस ने नरेंद्र के खिलाफ कोर्ट में मामला डाल दिया था.
गांव के ही रहने वाले ब्रजमोहन बघेल के 5 बच्चों में रीतू सब से बड़ी थी. उस के बाद 3 बेटे व एक बेटी थी. रीतू के पिता ब्रजमोहन बघेल, धर्मेंद्र यादव के प्लांट पर मजदूरी करता था. कभीकभी धर्मेंद्र, छोटे भाई नरेंद्र को ब्रजमोहन को बुलाने उस के घर भेज देता था.
इसी दौरान नरेंद्र और रीतू की नजरें मिल गईं. अभी वह किशोरावस्था में थी. रीतू देखने में सुंदर थी. नरेंद्र को वह पहली नजर में ही भा गई थी.
नरेंद्र कदकाठी का कसा हुआ जवान था. 4 बच्चों का पिता बन जाने के बाद भी वह अपनी उम्र से कम का दिखाई देता था. रीतू भी उस की ओर आकर्षित हो गई. वह नरेंद्र को कनखियों से देखा करती थी. यह आभास नरेंद्र को भी था. वह भी मन ही मन रीतू को चाहने लगा था. जब कभी दोनों की नजरें मिलतीं तो दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे.
धीरेधीरे यह मुलाकात दोस्ती में बदल गई. उस समय नरेंद्र 27 साल का और रीतू 17 साल की थी. फिर दोनों चोरीछिपे मिलने लगे. दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने फोन नंबर दे दिए थे. जब भी नरेंद्र को फुरसत मिलती, दोनों फोन पर बातें करते. कभीकभी नरेंद्र रीतू को गिफ्ट भी ला कर देता था.
हालांकि दोनों की जाति अलगअलग थी. रीतू को यह भी पता था कि नरेंद्र शादीशुदा है और उस के 4 बच्चे हैं. इस के बावजूद भी दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था.
गांव और देहात में प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पातीं. अगर किसी एक व्यक्ति को ऐसी किसी बात की भनक लग जाती है तो कानाफूसी से बात पूरे मोहल्ले में ही नहीं, बल्कि गांव भर में फैल जाती है.
रीतू के घर वालों को भी पता चल गया था कि उस का नरेंद्र के साथ चक्कर चल रहा है, लिहाजा मां और पिता ने रीतू को समझाया कि वह उस लड़के से मिलना बंद कर दे. वे पैसे वाले हैं, तू उस के चक्कर में पड़ कर अपनी जिंदगी क्यों बरबाद करना चाहती है.
जवानी की देहरी पर कदम रख चुकी रीतू के सिर पर तो प्यार का भूत सवार था. समझाने का उस पर कोई असर नहीं हुआ. प्रेमी युगल की मुलाकातों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा.
जब रीतू पर घर वालों की बातों का कोई असर नहीं हुआ तो रीतू पर पहरा कड़ा कर दिया गया. यह बात जब नरेंद्र को पता चली तो दोनों ने भागने का प्लान बनाया. रीतू के घर वालों को इस बात का पता चल गया. तब उन्होंने रीतू को सैफई के पास पिड़ारी स्थित ननिहाल भेज दिया.
कहते हैं कि प्रेमीप्रेमिका बिना खाए तो रह सकते हैं, लेकिन बिना मिले नहीं रह सकते. हुआ भी यही, रीतू ने नरेंद्र को अपने मामा के घर पिड़ारी में होने की जानकारी दे दी.
बिना पानी के जैसे मछली तड़पती है, उसी तरह तड़प रहे प्रेमी नरेंद्र को जब इस बात की जानकारी हुई तो वह मामा के यहां से चुपचाप रीतू को भगा ले गया. रीतू के नरेंद्र के साथ जाने की जानकारी जब पिता ब्रजमोहन को हुई, वह बदनामी से बचने के लिए अपनी गांव की 2 बीघा जमीन बेच कर गांव छोड़ कर फिरोजाबाद परिवार सहित चला गया. उधर नरेंद्र ने रीतू के साथ कोर्टमैरिज कर ली और कुछ समय बाद उसे ले कर अपने गांव आ गया.
2 जून, 2021 को नरेंद्र अपनी पहली पत्नी रीता से मिलने इटावा गया था. शाम 7 बजे वह घर वापस आया. उस ने अपने घर पर बताया कि वह 2-3 दिन में रीता और बच्चों को ले आएगा.
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रीतू को जब पता चला कि नरेंद्र अपनी पहली पत्नी रीता से मिल कर इटावा से लौटा है तो उस ने रात में नरेंद्र से झगड़ना शुरू कर दिया. दोनों के बीच विवाद होने लगा और बात बढ़ गई. नरेंद्र ने गुस्से में कहा, वह रीता और चारों बच्चों को भी घर लाएगा. सभी लोग इसी घर में रहेंगे.
घर में सौतन के आने की बात सुन कर रीतू बौखला गई. दोनों में काफी देर तक कहासुनी होती रही. इस के बाद नरेंद्र सो गया. रात लगभग पौने 12 बजे गुस्से से भरी रीतू ने सोते हुए नरेंद्र पर लोहे की रौड से उस के चेहरे व सिर पर ताबड़तोड़ प्रहार किए.
अचानक हुए हमले से नरेंद्र बदहवास हो कर जान बचाने को भागा. लेकिन अंधेरा होने व कमरे की कुंडी अंदर से बंद होने और लगातार हो रहे प्रहार से वह अपना बचाव नहीं कर पाया. वह बेदम हो कर वहीं गिर गया.
इस बात की गवाही दरवाजे के पास, चारपाई तथा कमरे में बिखरे खून से मिल रही थी. पति पर हमले के दौरान चारपाई पर सो रहे बेटे अंश के सिर में भी चोट लग गई.
पुलिस ने रीतू को पति नरेंद्र उर्फ सचिन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. मासूम को भी रीतू अपने साथ जेल ले गई. पुलिस घटना में नामजद रीतू के दोनों भाइयों की संलिप्तता की कथा लिखने तक जांच कर रही थी.
कहते हैं कि गुस्सा आदमी की बुद्धि हर लेता है. गुस्से में उठाए गए गलत कदम के बाद सिवाए पछताने के और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता. रीतू के गुस्से से जहां पति और पत्नी के रिश्ते तारतार हो गए. वहीं रीतू अब कहीं की नहीं रही. क्योंकि घर वालों की मरजी के खिलाफ शादी करने से घर वालों ने रीतू से बहुत पहले ही संबंध तोड़ लिए थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित