सरदार वल्लभभाई पटेल नैशनल पुलिस एकैडमी, हैदराबाद में वर्ष 2020 बैच के दीक्षांत परेड समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने प्रशिक्षु पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सिविल सोसाइटी चौथी पीढ़ी के युद्ध का औजार है. आईपीएस अधिकारियों को देखना होगा कि इस के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा पैदा न हो.’’

डोभाल ने कहा, ‘‘अब युद्ध का नया मोरचा, जिसे आप युद्ध की चौथी पीढ़ी कहते हैं, सिविल सोसाइटी है. युद्ध अब अपने राजनीतिक या सैन्य लक्ष्यों को हासिल करने के प्रभावी उपाय नहीं रह गए हैं. उन के नतीजों को ले कर अनिश्चितता की स्थिति बन गई है. लेकिन सिविल सोसाइटी को राष्ट्र के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए परास्त और दुष्प्रेरित किया जा सकता है. उस में फूट डाली जा सकती है, उसे बहलाया जा सकता है और आप यह देखने के लिए हैं कि वे पूरी तरह सुरक्षित रहें.’’

जिस दिन जम्मूकश्मीर पुलिस ने एक युवक की हत्या करने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से सवाल पूछने के लिए एक मानवाधिकार कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया, वह वही दिन था जब अजीत डोभाल ने प्रशिक्षु पुलिस अधिकारियों से कहा कि नागरिक समाज (सिविल सोसाइटी ‘युद्ध का चौथा मोरचा’ है. यानी उन्होंने सिविल सोसाइटी को देश के दुश्मन के रूप में रेखांकित करते हुए प्रशिक्षुओं के दिलों में देश के सजग नागरिकों के प्रति एक गांठ डाल दी, अपरोक्ष रूप से यह कहने की कोशिश की कि सत्ता से सवाल पूछने वाला देश का दुश्मन है.

गौरतलब है कि भारत में नागरिक समाज ने हमेशा लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम किया है, चाहे उन की जाति, पंथ, लिंग, समुदाय, जगह या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो. अगर यह नागरिक समाज न होता तो सूचना के अधिकार या रोजगार गारंटी या शिक्षा के बुनियादी अधिकार जैसे कानूनों का बनना कठिन होता. विकास के तर्क के मुकाबले आदिवासियों के पारंपरिक अधिकार या पर्यावरण के संरक्षण के प्रश्न भी इसी नागरिक समाज ने ही उठाए.

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