Top 10 Romantic Story Of 2022: ‘प्यार’ एक ऐसा अहसास है जिसे हर कोई जीना चाहता है. जब हम किसी से प्यार करते हैं तो उसमें केवल खूबियां ही नजर आती हैं, चाहे वह हमारे साथ धोखा ही क्यों न कर रहा हो. लेकिन हर प्यार के रिश्ते में ऐसा नहीं होता. कई लोग तो अपने प्यार की खातिर कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. तो इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं सरिता की Top 10 Romantic Story in Hindi. प्यार और रिश्ते से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जिससे आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा, क्या वाकई में सच्चा प्यार मिल सकता है? तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने का शौक तो पढ़िए Top 10 Romantic Story Of 2022.
- धागा प्रेम का: कहां पहुंच गया था रंभा और आशुतोष का वैवाहिक जीवन
आज सलोनी विदा हो गई. एअरपोर्ट से लौट कर रंभा दी ड्राइंगरूम में ही सोफे पर निढाल सी लेट गईं. 1 महीने की गहमागहमी, भागमभाग के बाद आज घर बिलकुल सूनासूना सा लग रहा था. बेटी की विदाई से निकल रहे आंसुओं के सैलाब को रोकने में रंभा दी की बंद पलकें नाकाम थीं. मन था कि आंसुओं से भीग कर नर्म हुई उन यादों को कुरेदे जा रहा था, जिन्हें 25 साल पहले दफना कर रंभा दी ने अपने सुखद वर्तमान का महल खड़ा किया था.
मुंगेर के सब से प्रतिष्ठित, धनाढ्य मधुसूदन परिवार को भला कौन नहीं जानता था. घर के प्रमुख मधुसूदन शहर के ख्यातिप्राप्त वकील थे. वृद्धावस्था में भी उन के यहां मुवक्किलों का तांता लगा रहता था. वे अब तक खानदानी इज्जत को सहेजे हुए थे.
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2. जीत: पीयूष का परिवार क्या मंजरी को अपना पाया?
वे दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े थे, एकदूसरे की आंखों में झांकते हुए, एकदूसरे का हाथ थामे. मीठी बयार के झोंके उस के रेशमी बालों को छेड़ रहे थे. बारबार लटें उस के गालों पर आ कर झूल जातीं, जिन्हें वह बहुत ही प्यार से पीछे कर देता. ऐसा करते हुए जब उस के हाथ उस के गालों को छूते तो वह सिहर उठती. कुछ कहने को उस के होंठ थरथराते तो वह हौले से उन पर अपनी उंगली रख देता. गुलाबी होंठ और गुलाबी हो जाते और चेहरे पर लालिमा की अनगिनत परतें उभर आतीं.
मात्र छुअन कितनी मदहोश कर सकती है. वह धीरे से मुसकराई. पेड़ से कुछ पत्तियां गिरीं और उस के सिर पर आ कर इस तरह बैठ गईं मानो इस से बेहतर कोमल कालीन कहीं नहीं मिलेगा. उस ने फूंक मार कर उन्हें उड़ा दिया जैसे उन लहराते गेसुओं को छूने का हक सिर्फ उस का ही हो.
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3.टीसता जख्म : उमा के व्यक्तित्व पर अनवर ने कैसा दाग लगाया
अचानक उमा की आंखें खुलती हैं. ऊपर छत की तरफ देखती हुई वह गहरी सांस लेती है. वह आहिस्ता से उठती है. सिरहाने रखी पानी की बोतल से कुछ घूंट अपने सूखे गले में डालती है. आंखें बंद कर वह पानी को गले से ऐसे नीचे उतारती है जैसे उन सब बातों को अपने अंदर समा लेना चाहती है. पर, यह हो नहीं पा रहा. हर बार वह दिन उबकाई की तरह उस के पेट से निकल कर उस के मुंह में भर आता है जिस की दुर्गंध से उस की सारी ज्ञानेंद्रियां कांप उठती हैं.
पानी अपने हलक से नीचे उतार कर वह अपना मोबाइल देखती है. रात के डेढ़ बजे हैं. वह तकिए को बिस्तर के ऊंचे उठे सिराहने से टिका कर उस पर सिर रख लेट जाती है.
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4.अन्यपूर्वा: क्यों राजा दशरथ देव ने विवाह न करने की शपथ ली?
विशाली मयूरपंखी बजरा पद्मा नदी की लहरों को काटता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था. बजरे के पीछे कुछ बड़ी नौकाएं थीं, जिन में शस्त्रधारी सैनिकों के अलावा दासदासियां भी सवार थे. 2 बड़ी नावों पर खाद्य सामग्री लदी हुई थी.
पिछले 12 सालों से वह हर साल दलबल के साथ घूमने निकल पड़ता. राज्य नर्तकियां नृत्य कर उसे लुभाने की, हंसाने की बहुत कोशिश करतीं, किंतु उस का चेहरा गमगीन ही बना रहता. ऐश्वर्य के हर साधन मौजूद होने पर भी वह उन का उपभोग नहीं कर पाता था. वह बंगाल के सोनार गांव का राजा था.
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5. विश्वासघात: जूही ने कैसे छीना नीता का पति
नीला आसमान अचानक ही स्याह हो चला था. बारिश की छोटीछोटी बूंदें अंबर से टपकने लगी थीं. तूफान जोरों पर था. दरवाजों के टकराने की आवाज सुन कर जूही बाहर आई. अंधेरा देख कर अतीत की स्मृतियां ताजा हो गईं…
कुछ ऐसा ही तूफानी मंजर था आज से 1 साल पहले का. उस दिन उस ने जीन्स पर टौप पहना था. अपने रेशमी केशों की पोनीटेल बनाई थी. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. उस ने आंखों पर सनग्लासेज चढ़ाए और ड्राइविंग सीट पर बैठ गई.
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6. नई चादर: कोयले को जब मिला कंचन
शरबती जब करमू के साथ ब्याह कर आई तो देखने वालों के मुंह से निकल पड़ा था, ‘अरे, यह तो कोयले को कंचन मिल गया.’
वैसे, शरबती कोई ज्यादा खूबसूरत नहीं थी, थोड़ी ठीकठाक सी कदकाठी और खिलता सा रंग. बस, इतनी सी थी उस की खूबसूरती की जमापूंजी, मगर करमू जैसे मरियल से अधेड़ के सामने तो वह सचमुच अप्सरा ही दिखती थी.
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7. क्षितिज ने पुकारा: क्या पति की जिद के आगे नंदिनी झुक गई
शुभंकर सर के ड्रामा स्कूल के गेट से निकल कर नंदिनी औटोस्टैंड की ओर बढ़ी ही थी कि पीछे से प्रीतम प्यारे ने आवाज दी, ‘‘कहां चली नंदिनी? रात हो रही है… शायद ही औटो मिले. चलो, मैं छोड़ देता हूं.’’
नंदिनी रुक गई. एक शालीन मनाही की खातिर. बोली, ‘‘नहीं प्रीतम, अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है. 9 ही तो बजे हैं.’’
‘‘तुम्हारी तरफ वाले औटो अब ज्यादा कहां?’’
नंदिनी ने अपनी चलने की गति बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मिल जाएंगे.’’
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8.एक रिश्ता प्यारा सा: माया और रमन के बीच क्या रिश्ता था?
“अरे रमन जी सुनिए, जरा पिछले साल की रिपोर्ट मुझे फॉरवर्ड कर देंगे, कुछ काम था” . मैं ने कहा तो रमन ने अपने चिरपरिचित अंदाज में जवाब दिया “क्यों नहीं मिस माया, आप फरमाइश तो करें. हमारी जान भी हाजिर है.
“देखिए जान तो मुझे चाहिए नहीं. जो मांगा है वही दे दीजिए. मेहरबानी होगी.” मैं मुस्कुराई.
इस ऑफिस और इस शहर में आए हुए मुझे अधिक समय नहीं हुआ है. पिछले महीने ही ज्वाइन किया है. धीरेधीरे सब को जानने लगी हूं. ऑफिस में साथ काम करने वालों के साथ मैं ने अच्छा रिश्ता बना लिया है.
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9. पर्सनल स्पेस: क्यों नेहा के पास जाने को बेताब हो उठा मोहित?
आज औफिस में मैं बिलकुल भी ढंग से काम नहीं कर सका था. इस कारण बौस से तो कई बार डांट खानी पड़ी ही, सहयोगियों के साथ भी झड़प हो गई थी.
आखिर में तंग आ कर मैं ने औफिस से1 घंटा पहले जाने की अनुमति बौस से मांगी, तो उन्होंने तीखे शब्दों में मुझ से कहा, ‘‘मोहित, आज सारा दिन तुम ने कोई भी काम ढंग से नहीं किया है. मुझे छोटीछोटी बातों पर
किसी को डांटना अच्छा नहीं लगता. मुझे उम्मीद है कि कल तुम्हारा चेहरा मुझे यों लटका हुआ नहीं दिखेगा.’’
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10. एहसास: क्या दोबारा एक हो पाए राघव और जूही?
आज सुबह सुबह औफिस जाते हुए जैसे ही राघव की नजर कैलेंडर पर पड़ी, तो आज की तारीख देख कर एक बार उस के मन में जैसे कुछ छन्न से टूट गया. आज 9 जनवरी थी औैर आज ही उस की दुनिया पूरे 1 साल के अकेलेपन की बरसी मना रही थी.
जूही को उस के जीवन से गुजरे आज पूरा 1 साल हो गया था. जूही उस की पत्नी… हां, आज भी तो यह सामाजिक रिश्ता कायम था. कानून और समाज की नजर में जूही और राघव आज भी शादी के बंधन में बंधे थे. लेकिन सिर्फ नाम के लिए ही यह रह गया था. जूही को उस की जिंदगी से गए लंबा अरसा हो गया था. खुद को इस विवाहरूपी बंधन से आजाद करने की कोशिश न तो जूही ने की थी और न ही राघव ही इस मैटर को आगे बढ़ा पाया था.
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