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‘छोटी सरदारनी’ : क्या सरबजीत परम की कस्टडी केस देने के लिए तैयार होगा ?

कलर्स टीवी का शो ‘छोटी सरदारनी’ टीआरपी चार्ट में  टौप पर है. यह शो नंबर वन हो गया है. वैसे पिछले हफ्ते यह शो छठे नंबर पर था. यह शो दर्शकों का फेवरेट शो बना हुआ है.

इस शो में दर्शकों को लगातार महाट्विस्ट देखने को मिल रहे है. जी हां इस शो के ट्विस्ट एंड टर्न को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. तो आइए इस शो के ट्विस्ट एंड टर्न के बारे में जानते हैं.

इस शो के पिछले एपिसोड में आपने देखा कि नीरजा यानी परम की नानी कहती है, परम पुत्र आज नानी मम्मा के पास सोएगा. परम उसे मना कर देता है और कहता है कि मैं मेहर मम्मा के पास सोऊंगा. परम के इस जवाब से नीरजा दुखी हो जाती है और वहां से जाने लगती है. तभी मेहर उसे रोक कर कहती है कि आपसे रिक्वेस्ट थी आज आप यही परम के पास सो जाओ. नीरजा वहां सोने के लिए तैयार हो जाती है और परम को कविता सुनाने के लिए कहती है.

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इस शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि नीरजा परम की  कस्टडी के लिए कोर्ट में केस करना चाहती है. इसी सीलसीले में नीरजा सरब के पास जाती है और कहती है कि हमें परम की कस्टडी के बारे में बात करनी है, जिसे सुनकर सभी चौंक जाते हैं.  अब देखना ये काफी दिलचस्प होगा कि क्या सरबजीत नीरजा को परम की कस्टडी केस देने के लिए तैयार होगा ?

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दूरी : भाग 2

वह समझ नहीं पाती थी कि मां उस से इतनी नफरत क्यों करती है. वह जो भी करती है, मां के सामने गलत क्यों हो जाता है. उस ने तो सोचा था मां को आश्चर्यचकित करेगी. दरअसल, उस के स्कूल में दौड़ प्रतियोगिता हुई थी और वह प्रथम आई थी. अगले दिन एक जलसे में प्रमाणपत्र और मैडल मिलने वाले थे. बड़ी मुश्किल से यह बात अपने तक रखी थी.

सोचा था कि प्रमाणपत्र और मैडल ला कर मां के हाथों में रखेगी तो मां बहुत खुश हो जाएगी. उसे सीने से लगा लेगी. लेकिन ऐसा हो न पाया था. मां की पड़ोस की सहेली नीरा आंटी की बेटी ऋतु उसी की कक्षा में पढ़ती थी. वह भूल गई थी कि उस रोज वीरवार था. हर वीरवार को उन की कालोनी के बाहर वीर बाजार लगता था और मां नीरा आंटी के साथ वीर बाजार जाया करती थीं.

शाम को जब मां नीरा आंटी को बुलाने उन के घर गई तो ऋतु ने उन्हें सब बता दिया था. मां तमतमाई हुई वापस आई थीं और आते ही उस के चेहरे पर एक तमाचा रसीद किया था, ‘अब हमें तुम्हारी बातें बाहर से पता चलेंगी?’

‘मां, मैं कल बताने वाली थी मैडल ला कर.’

‘क्यों, आज क्यों नहीं बताया, जाने क्याक्या छिपा कर रखती है,’ बड़ी हिकारत से मां ने कहा था.

वह अपनी बात तो मां को न समझा सकी थी लेकिन 13 बरस के किशोर मन में एक प्रश्न बारबार उठ रहा था- मां मेरे प्रथम आने पर खुश क्यों नहीं हुई, क्या सरप्राइज देना कोई बुरी बात है? छोटा रवि तो सांत्वना पुरस्कार लाया था तब भी मां ने उसे बहुत प्यार किया था. फिर अगले दिन तो मैडल ला कर भी उस ने कुछ नहीं कहा था. और कल तो हद ही हो गई थी.

स्कूल में रसायन विज्ञान की कक्षा में छात्रछात्राएं प्रैक्टिकल पूरा नहीं कर सके थे तो अध्यापिका ने कहा था, ‘अपनाअपना लवण (सौल्ट) संभाल कर रख लेना, कल यही प्रयोग दोबारा दोहराएंगे.’ सफेद पाउडर की वह पुडि़या बस्ते के आगे की जेब में संभाल कर रख ली थी उस ने. कल फिर अलगअलग द्रव्यों में मिला कर प्रतिक्रिया के अनुसार उस लवण का नाम खोजना था और विभिन्न द्रव्यों के साथ उस की प्रतिक्रिया को विस्तार से लिखना था. विज्ञान के ये प्रयोग उसे बड़े रोचक लगते थे.

स्कूल में वापस पहुंच कर, खाना खा कर, होमवर्क किया था और रोजाना की तरह, ऋतु के बुलाने पर दीदी के साथ शाम को पार्क की सैर करने चली गई थी. वापस लौटी तो मां क्रोध से तमतमाई उस के बस्ते के पास खड़ी थी. दोनों छोटे भाई उसे अजीब से देख रहे थे. मां को देख कर और मां के हाथ में लवण की पुडि़या देख कर वह जड़ हो गई थी, और उस के शब्द सुन कर पत्थर- ‘यह जहर कहां से लाई हो? खा कर हम सब को जेल भेजना चाहती हो?’ ‘मां, वह…वह कैमिस्ट्री प्रैक्टिकल का सौल्ट है.’ वह नहीं समझ पाई कि मां को क्यों लगा कि वह जहर है, और है भी तो वह उसे क्यों खाएगी. उस ने कभी मरने की सोची न थी. उसे समझ न आया कि सच के अलावा और क्या कहे जिस से मां को उस पर विश्वास हो जाए. ‘मां…’ उस ने कुछ कहना चाहा था लेकिन मां चिल्लाए जा रही थी, ‘घर पर क्यों लाई हो?’ मां की फुफकार के आगे उस की बोलती फिर बंद हो गई थी.

वह फिर नहीं समझा सकी थी, वह कभी भी अपना पक्ष सामने नहीं रख पाती. मां उस की बात सुनती क्यों नहीं, फिर एक प्रश्न परेशान करने लगा था- मां उस के बस्ते की तलाशी क्यों ले रही थी, क्या रोज ऐसा करती हैं. उसे लगा छोटे भाइयों के आगे उसे निर्वस्त्र कर दिया गया हो. मां उस पर बिलकुल विश्वास नहीं करती. वह बचपन से नानी के घर रही, तो उस की क्या गलती है, अपने मन से तो नहीं गई थी.

13 बरस की होने पर उसे यह तो समझ आता है कि घरेलू परिस्थितियों के कारण मां का नौकरी करना जरूरी रहा होगा लेकिन वह यह नहीं समझ पाती कि 4 भाईबहनों में से नानी के घर में सिर्फ उसे भेजना ही जरूरी क्यों हो गया था. जिस तरह मां ने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान किया, वह उस पर गर्व करती है.

पुराने स्कूल में वह सब को बड़े गर्व से बताती थी कि उस की मां एक कामकाजी महिला है. लेकिन सिर्फ उस की बारी में उसे अलग करना नौकरी की कौन सी जरूरत थी, वह नहीं समझ पाती थी और यदि उस के लालनपालन का इतना बड़ा प्रश्न था तो मां इतनी जल्दी एक और बेबी क्यों लाई थी और लाई भी तो उसे भी नानी के पास क्यों नहीं छोड़ा. काश, मां उसे अपने साथ ले जाती और बेबी को नानी के पास छोड़ जाती. शायद नानी का कहना सही था, बेबी तो लड़का था, मां उसे ही अपने पास रखेगी, भोला मन नहीं जान पाता था कि लड़का होने में क्या खास बात है.

वह चाहती थी नानी कहें कि इसे ले जा, अब यह अपना सब काम कर लेती है, बेबी को यहां छोड़ दे, पर न नानी ने कहा और न मां ने सोचा. छोटा बेबी मां के पास रहा और वह नानी के पास जब तक कि नानी के गांव में आगे की पढ़ाई का साधन न रहा. पिता हमेशा से उसे अच्छे स्कूल में भेजना चाहते थे और भेजा भी था.

वह 5 बरस की थी, जब पापा ने उसे दिल्ली लाने की बात कही थी. किंतु नानानानी का कहना था कि वह उन के घर की रौनक है, उस के बिना उन का दिल न लगेगा. मामामामी भी उसे बहुत लाड़ करते थे. मामी के तब तक कोई संतान न थी. उन के विवाह को कई वर्ष हो गए थे. मामी की ममता का वास्ता दे कर नानी ने उसे वहीं रोक लिया था. पापा उसे वहां नए खुले कौन्वैंट स्कूल में दाखिल करा आए थे. उसे कोई तकलीफ न थी. लाड़प्यार की तो इफरात थी. उसे किसी चीज के लिए मुंह खोलना न पड़ता था. लेकिन फिर भी वह दिन पर दिन संजीदा होती जा रही थी. एक अजीब सा खिंचाव मां और मामी के बीच अनुभव करती थी.

ज्योंज्यों बड़ी हो रही थी, मां से दूर होती जा रही थी. मां के आने या उस के दिल्ली जाने पर भी वह अपने दूसरे भाईबहनों के समान मां की गोद में सिर नहीं रख पाती थी, हठ नहीं कर पाती थी. मां तक हर राह नानी से गुजर कर जाती थी. गरमी की छुट्टियों में मांपापा उसे दिल्ली आने को कहते थे. वह नानी से साथ चलने की जिद करती. नानी कुछ दिन रह कर लौट आती और फिर सबकुछ असहज हो जाता. उस ने ‘दो कलियां’ फिल्म देखी थी. उस का गीत, ‘मैं ने मां को देखा है, मां का प्यार नहीं देखा…’ उस के जेहन में गूंजता रहता था. नानी के जाने के बाद वह बालकनी के कोने में खड़ी हो कर गुनगुनाती, ‘चाहे मेरी जान जाए चाहे मेरा दिल जाए नानी मुझे मिल जाए.’

…न जाने कब आंख लग गई थी, भोर की किरण फूटते ही पूनम ने उसे जगा दिया था. शायद, अजनबी से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाना चाहती थी. ब्रैड को तवे पर सेंक, उस पर मक्खन लगा कर चाय के साथ परोस दिया था और 4 स्लाइस ब्रैड साथ ले जाने के लिए ब्रैड के कागज में लपेट कर, उसे पकड़ा दिए थे. ‘‘न जाने कब घर पहुंचेगी, रास्ते में खा लेना.’’ पूनम ने एक छोटा सा थैला और पानी की बोतल भी उस के लिए सहेज दी थी. उस की कृतज्ञतापूर्ण दृष्टि नम हो आई थी, अजनबी कितने दयालु हो जाते हैं और अपने कितने निष्ठुर.

जागते हुए कसबे में सड़क बुहारने की आवाजों और दिन की तैयारी के छिटपुट संकेतों के बीच एक रिकशा फिर उन्हें बसअड्डे तक ले आया था. उस अजनबी, जिस का वह अभी तक नाम भी नहीं जानती थी, ने मथुरा की टिकट ले, उसे बस में बिठा दिया था. कृतज्ञ व नम आंखों से उसे देखती वह बोली थी, ‘‘शुक्रिया, क्या आप का नाम जान सकती हूं?’’ मुसकान के साथ उत्तर मिला था, ‘‘भाई ही कह लो.’’

‘‘आप के पैसे?’’

‘‘लौटाने की जरूरत नहीं है, कभी किसी की मदद कर देना.’’

पीएफ घोटाला एक जिम्मेदार दो 

यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड में पीएफ यानी भविष्य निधि में 22 सौ करोड़ के घोटाले के लिये योगी सरकार समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार को मास्टर मांइड बता रही है. यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड में पीएफ घोटाले के दो पहलू है पहला पहलू यह है कि इस घोटाले की नींव अखिलेश सरकार के समय 16 मार्च 2017 को रखी गई थी. 17 मार्च को 18 करोड़ रूपये डीएचएफएल के खाते में जमा करा दी गई थी. सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि मात्र 2 दिन के बाद 19 मार्च को उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कार्यभार संभाल लिया. इसके बाद योगी सरकार के गौरवशाली 30 माह बीत गये सरकार को अपने नाक के नीचे चल रहे इस घाटाले का आभास तक नहीं हुआ.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अशोक मार्ग स्थित शक्ति भवन की जिस आलीशान इमारत से यह सारा गोरखधंधा चल रहा था वहां उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा बैठते थे. इस बात पर कैसे यकीन कर लिया जाये की मंत्री की नाक के नीचे करोड़ो के पीएफ घोटाले की नदी बहती रही और श्रीकांत शर्मा को पता नहीं चला. उत्तर प्रदेश सरकार ने घोटाले को रोकने अपनी तरफ से कोई प्रयास नहीं किया. पीएफ घोटाले का पता तो तब चला जब बाम्बे हाई कोर्ट ने डीएचएफएल के द्वारा भुगतान पर रोक लगा दी. कानून किसी भी सरकार को कर्मचारियों की भविष्य निधि यानी पीएफ के पैसे को प्राइवेट सेक्टर में निवेश करने का हक नहीं है. अगर बाम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला नहीं आता तो पीएफ के पैसे आगे भी बराबर डीएचएफएल के खातें में जमा होते रहते.

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अखिलेश सरकार ने कर्मचारियों के पीएफ का पैसा डीएचएफएल यानी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में जमा कराने का गुनाह किया. योगी सरकार को 30 माह तक इस फैसले का पता क्यों नही चला? क्या कारण थे जिनकी वजह से योगी सरकार मौन धारण किये रही ? अगर बाम्बे हाईकोर्ट ने डीएचएफएल के खातों पर रोक नहीं लगाई होती तो क्या योगी सरकार कोई एक्शन लेती ? यह घोटाले की नदी ऐसे ही बहती रहती ? बाम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद जागी योगी सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से बचने और खुद को पाकसाफ साबित करने के लिये पूरा ठीकरा अखिलेश सरकार पर डाल दिया. वह यह बातने को तैयार नहीं है कि 30 माह पहले इसको रोका क्यों नहीं गया. अगर योगी सरकार ने अपनी सरकार बनते ही इस फैसले पर रोक लगा दी होती तो केवल 18 करोड़ का ही नुकसान होता. 22 सौ करोड़ का नुकसान बच जाता.

अब पूरी तरह से यह मुददा राजनीतिक हो गया है. योगी सरकार इस घोटाले में अखिलेश सरकार के करीबी अफसर एपी मिश्रा को गिरफ्तार कर घोटाले से अखिलेश यादव को जोड़ रही है. अखिलेश यादव इस घोटाले के लिये योगी सरकार के उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को जिम्मेदार मान रहे है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू  2 कदम आगे निकलते हुये श्रीकांत शर्मा की विदेश यात्रा को घोटाले से जोड़ है. श्रीकांत शर्मा इन आरोपों को नकारते हुए कहते है कि वह कभी विदेश यात्रा पर गये ही नहीं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर मानहानि के मुकदमें की धमकी भी देते है. अखिलेश यादव पूरी जांच वर्तमान न्यायाधीशों के पैनल से कराने की मांग कर रहे है. ऐसे में सच तभी सामने आयेगा जब सही तरह से जांच होगी. केवल कुछ अफसरों को जेल भेजने से काम नहीं चलेगा. ऐसे फैसले सरकार के स्तर पर होते है. ऐसे में सरकारी तंत्र पर इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. चाहे वह अखिलेश सरकार के समय की हो या योगी सरकार के समय.

ग्रैंड फैस्टिवल स्पैशल : मंदी में फीका रहा सीजन

फैस्टिव सीजन में कई सैक्टर फलफूल रहे हैं जबकि औटो कंपनियों पर मंदी का असर बना हुआ है. मांग में कमी की वजह से मारुति, टाटा और अशोक लीलैंड जैसी औटो कंपनियों को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है. बिक्री में बीते एक साल से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. डीलरशिप और कारखानों में बड़े पैमाने पर जमा वाहनों की वजह से औटो कंपनियों को कारखाना उत्पादन बंद करने को मजबूर होना पड़ा है.

कार कंपनियों में अगुआ मारुति सुजुकी ने स्टौक एक्सचेंजों को बताया है कि सितंबर में उस ने अपने उत्पादन में 17.5 फीसदी की कटौती की है. कमजोर मांग के चलते लगातार 8वें महीने मारुति को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है. कंपनी ने सितंबर में 1,32,199 वाहनों का उत्पादन किया, जबकि पिछले साल इसी महीने में कंपनी ने 1,60,219 वाहनों का उत्पादन किया था.

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आल्टो, वैगनआर, स्विफ्ट, बलेनो और डिजायर जैसी छोटी और मिनी कारों का उत्पादन सितंबर के दौरान घट कर 98,337 रह गया है, जबकि पिछले महीने इसी दौरान ऐसी कारों की 1,15,576 यूनिट का उत्पादन हुआ था. यानी इस उत्पादन में 14.9 फीसदी की गिरावट आई है.

इसी तरह, मारुति के ब्रेजा, अर्टिगा और एस-क्रौस यूटिलिटी वाहनों का उत्पादन भी 17 फीसदी गिर कर 18,435 यूनिट रह गया. मध्यम आकार की सेडान कार सियाज की बिक्री में 50 फीसदी के करीब गिरावट आई और पिछले साल के 4,739 यूनिट के मुकाबले इस सितंबर में सिर्फ 2,350 यूनिट बिक्री हुई है.

सितंबर महीने में मारुति सुजुकी, हुंडई, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, टोयोटा और होंडा जैसी बड़ी औटो कंपनियों की बिक्री में 2 अंकों की गिरावट देखी गई. त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है और दीवाली पर औटो कंपनियों की बिक्री में कोई बहुत अच्छे संकेत नहीं दिख रहे हैं.

टाटा-अशोक लीलैंड ने भी अपना प्रोडक्शन कम किया है. कंपनी ने घोषणा की है कि वह अक्तूबर में अपने कई कारखानों में 15 दिन तक उत्पादन बंद रखेगी. टाटा मोटर्स की भी सितंबर महीने की बिक्री में 63 फीसदी की गिरावट आई है. कंपनी ने सितंबर 2019 में सिर्फ 6,976 वाहन बेचे हैं, जबकि सितंबर 2018 में कंपनी ने 18,855 वाहन बेचे थे. टाटा मोटर्स ने भी बिना किसी पूर्व योजना के उत्पादन में कटौती की है. जरमन औटो कंपोनैंट कंपनी बौश इंडिया ने भी इस साल अक्तूबर से दिसंबर में अपना उत्पादन 10 दिन तक बंद रखने का ऐलान किया है.

औटो सैक्टर में इस मंदी को देखते हुए सरकार अब खास कदम उठा रही है. सरकार औटो सैक्टर पर लगी जीएसटी की दरों को कुछ कम कर रही है, साथ ही राज्य सरकारें भी अपनेअपने स्तर पर तमाम प्रयास कर रही हैं.

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि 31 दिसंबर तक नए वाहनों की खरीद पर सड़क कर 50 प्रतिशत तक घटाने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. हालांकि 2 पहिया वाहनों की खरीद में कुछ तेजी देखी जा रही है. बजाज औटो और टीवीएस मोटर्स ने खास औफर्स की पेशकश की है. बजाज औटो दीवाली पर पल्सर और एवैंजर रेंज की मोटरसाइकिलों पर 0 फीसदी फाइनैंस की स्कीम पेश कर रही है. वहीं, टीवीएस नए औफर्स के तहत अपने स्कूटर पर दीवाली औफर्स की बौछार कर रही है और 6,999 रुपए के न्यूनतम डाउन पेमैंट के साथ बिक्री कर रही है.

दोपहिया वाहनों पर औफर्स की बौछार

बजाज औटो ने अपने ग्राहकों को डिस्काउंट के साथसाथ कैशबैक का तोहफा दिया है. इस त्योहारी मौसम में कंपनी ने अपनी चुनिंदा बाइक्स पर डिस्काउंट और अन्य औफर्स की पेशकश की है. कंपनी अपनी एंट्री लैवल बाइक सीटी 100 से ले कर प्रीमियम बाइक डोमिनर पर 6,000 रुपए तक का डिस्काउंट औफर दे रही है.

इस के अलावा इन बाइक्स पर 6,000 रुपए तक के डिस्काउंट के साथ 5 फ्री सर्विसेज और 5 साल की वारंटी भी मिल रही है. साथ ही कंपनी ने इन बाइक्स पर लो डाउन पेमैंट का औफर भी दिया है जोकि 3,499 रुपए से शुरू होता है. कंपनी अपनी कुछ बाइक्स पर 2,100 रुपए और प्रीमियम बाइक्स पर 6,400 रुपए का डिस्काउंट भी दे रही है. वी 15 बाइक की कीमत पहले 63,080 रुपए थी जो अब 2,100 रुपए के डिस्काउंट के बाद 61,580 रुपए हो गई है. वहीं पल्सर सीरीज की बाइक्स पर 4,600 रुपए से ले कर 6,400 रुपए तक का कैश डिस्काउंट दिया जा रहा है. प्लेटिना पर 1,500 रुपए जबकि बजाज सीटी 100 (सैल्फ स्टार्ट) पर 1,000 रुपए का फायदा मिल रहा है. मंदी के इस दौर में यह पहली बार है जब बजाज औटो कंपनी इतने अच्छे औफर्स और डिस्काउंट अपने ग्राहकों के लिए ले कर आई है. ऐसे में बजाज लवर्स के लिए अपनी पसंदीदा बाइक खरीदने का यह एक शानदार मौका है.

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हीरो मोटोकौर्प भी अपने ग्राहकों के लिए विशेष औफर्स ले कर आई है. औटो इंडस्ट्री के लिए फैस्टिव सीजन का समय काफी अहम होता है क्योंकि भारत में लोग इस दौरान नया और कीमती सामान खरीदते हैं. ऐसे में कंपनी स्कूटर पर 3,000 रुपए का डिस्काउंट और सरकारी कर्मचारियों को 1,500 रुपए के अतिरिक्त डिस्काउंट का औफर दे रही है. यह डिस्काउंट सभी स्कूटर्स पर दिया जा रहा है.

इस के अलावा 6.99 फीसदी की ब्याज दर, रुपए 3,999 डाउन पेमैंट औफर और 10 हजार का पेटीएम का लाभ भी मिल रहा है.

टीवीएस भी धमाकेदार औफर के साथ बाजार में उतरा है. इस त्योहार सीजन में टीवीएस मोटर ने अपने वाहनों पर 5 साल की वारंटी का औफर पेश किया है, और इस के लिए ग्राहकों को ऐक्स्ट्रा पैसे देने की जरूरत नहीं है. साथ ही डाउन पेमैंट 5,999 रुपए, जीरो फीसदी प्रोसेसिंग फीस, जीरो फीसदी डौक्यूमैंटेशन चार्ज के साथ 8,500 रुपए की बचत का मौका भी दिया जा रहा है.

प्रमुख दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी हीरो मोटोकौर्प इस त्योहारी मौसम में अपने ग्राहकों के लिए शानदार मौका ले कर आई है. कंपनी ने नई स्कीम ‘करोड़ों का त्योहार’ की शुरुआत की है. इस औफर के तहत आप महज 3,999 रुपए दे कर हीरो के शानदार स्कूटर और महज 4,999 रुपए दे कर कंपनी की कंप्यूटर सेग्मैंट की बाइक को घर ला सकते हैं.

हीरो अपने ग्रहकों के लिए बाइक रेंज पर इस त्योहारी मौसम में 1,500 रुपए का फैस्टिव कैश डिस्काउंट भी दे रही है. इस समय कंपनी के कंप्यूटर सेग्मैंट में हीरो प्लेजर, डैस्टिनी और ड्यूएट जैसी गाडि़यां हैं. अगर आप इन में से किसी एक बाइक को फाइनैंस कराते हैं तो आप को महज 4,999 रुपए बतौर डाउन पेमैंट देने होंगे. इस पर महज 6.99 प्रतिशतकी दर से ब्याज लगाया जाएगा. इस की शुरुआती मासिक ईएमआई महज 1,750 रुपए है.

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बहू हो या बेटी : भाग 1

शारदा ने बहू हिना की बेटी की तरह सेवा की. यह उस की सेवा का ही फल था कि मानसिक रूप से अस्वस्थ हिना धीरेधीरे ठीक होने लगी और शारदा के करीब आने लगी. यहां तक कि उस ने अपने अतीत के काले पन्नों को भी उन के सामने खोल कर रख दिया था.

रूबी ताई ने जैसे ही बताया कि हिना छत पर रेलिंग पकड़े खड़ी है तो घर में हलचल सी मच गई.

‘‘अरे, वह छत पर कैसे चली गई, उसे तीसरे माले पर किस ने जाने दिया,’’ शारदा घबरा उठी थीं, ‘‘उसे बच्चा होने वाला है, ऐसी हालत में उसे छत पर नहीं जाना चाहिए.’’

आदित्य चाय का कप छोड़ कर तुरंत सीढि़यों की तरफ दौड़ा और हिना को सहारा दे कर नीचे ले आया. फिर कमरे में ले जा कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.

हिना अब भी न जाने कहां खोई थी, न जाने किस सोच में डूबी हुई थी.

हिना का जीवन एक सपना जैसा ही बना हुआ था. खाना बनाती तो परांठा तवे पर जलता रहता, सब्जी छौंकती तो उसे ढकना भूल जाती, कपड़े प्रेस करती तो उन्हें जला देती.

हिना जब बहू के रूप में घर में आई थी तो परिवार व बाहर के लोग उस की खूबसूरती देख कर मुग्ध हो उठे थे. उस के गोरे चेहरे पर जो लावण्य था, किसी की नजरों को हटने ही नहीं देता था. कोई उस की नासिका को देखता तो कोई उस की बड़ीबड़ी आंखों को, किसी को उस की दांतों की पंक्ति आकर्षित करती तो किसी को उस का लंबा कद और सुडौल काया.

सांवला, साधारण शक्लसूरत का आदित्य हिना के सामने बौना नजर आता.

शारदा गर्व से कहतीं, ‘‘वर्षों खोजने पर यह हूर की परी मिल पाई है. दहेज न मिला तो न सही पर बहू तो ऐसी मिली, जिस के आगे इंद्र की अप्सरा भी पानी भरने लगे.’’

धीरेधीरे घर के लोगों के सामने हिना के जीवन का दूसरा पहलू भी उजागर होने लगा था. उस का न किसी से बोलना न हंसना, न कहीं जाने का उत्साह दिखाना और न ही किसी प्रकार की कोई इच्छा या अनिच्छा.

‘‘बहू, तुम ने आज स्नान क्यों नहीं किया, उलटे कपडे़ पहन लिए, बिस्तर की चादर की सलवटें भी ठीक नहीं कीं, जूठे गिलास मेज पर पडे़ हैं,’’ शारदा को टोकना पड़ता.

फिर हिना की उलटीसीधी विचित्र हरकतें देख कर घर के सभी लोग टोकने लगे, पर हिना न जाने कहां खोई रहती, न सुनती न समझती, न किसी के टोकने का बुरा मानती.

एक दिन हिना ने प्रेस करते समय आदित्य की नई शर्ट जला डाली तो वह क्रोध से भड़क उठा, ‘‘मां, यह पगली तुम ने मेरे गले से बांध दी है. इसे न कुछ समझ है न कुछ करना आता है.’’

उस दिन सभी ने हिना को खूब डांटा पर वह पत्थर बनी रही.

शारदा दुखी हो कर बोलीं, ‘‘हिना, तुम कुछ बोलती क्यों नहीं, घर का काम करना नहीं आता तो सीखने का प्रयास करो, रूबी से पूछो, मुझ से पूछो, पर जब तुम बोलोगी नहीं तो हम तुम्हें कैसे समझा पाएंगे.’’

एक दिन हिना ने अपनी साड़ी के आंचल में आग लगा ली तो घर के लोग उस के रसोई में जाने से भी डरने लगे.

‘‘हिना, आग कैसे लगी थी?’’

‘‘मांजी, मैं आंचल से पकड़ कर कड़ाही उतार रही थी.’’

‘‘कड़ाही उतारने के लिए संडासी थी, तौलिया था, उन का इस्तेमाल क्यों नहीं किया था?’’ शारदा क्रोध से भर उठी थीं, ‘‘जानती हो, तुम कितनी बड़ी गलती कर रही थीं…इस का दुष्परिणाम सोचा है क्या? तुम्हारी साड़ी आग पकड़ लेती तब तुम जल जातीं और तुम्हारी इस गलती की सजा हम सब को भोगनी पड़ती.’’

आदित्य हिना को मनोचिकित्सक को दिखाने ले गया तो पता लगा कि हिना डिप्रेशन की शिकार थी. उसे यह बीमारी कई साल पुरानी थी.

‘‘डिपे्रशन, यह क्या बला है,’’ शारदा के गले से यह बात नहीं उतर पा रही थी कि अगर हिना मानसिक रोगी है तो उस ने एम.ए. तक की पढ़ाई कैसे कर ली, ब्यूटीशियन का कोर्स कैसे कर लिया.

‘‘हो सकता है हिना पढ़ाई पूरी करने के बाद डिप्रेशन की शिकार बनी हो.’’

आदित्य ने फोन कर के अपने सासससुर से जानकारी हासिल करनी चाही तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर कर दी.

शारदा परेशान हो उठीं. लड़की वाले साफसाफ तो कुछ बताते नहीं कि उन की बेटी को कौन सी बीमारी है, और कुछ हो जाए तो सारा दोष लड़के वालों के सिर मढ़ कर अपनेआप को साफ बचा लेते हैं.

‘‘मां, इस पागल के साथ जीवन गुजारने से तो अच्छा है कि मैं इसे तलाक दे दूं,’’ आदित्य ने अपने मन की बात जाहिर कर दी.

घर के दूसरे लोगोें ने आदित्य का समर्थन किया.

घर में हिना को हमेशा के लिए मायके भेजने की बातें अभी चल ही रही थीं कि एक दिन उसे जोरों से उलटियां शुरू हो गईं.

डाक्टर के यहां ले जाने पर पता चला कि वह मां बनने वाली है.

‘‘यह पागल हमेशा को गले से बंध जाए इस से तो अच्छा है कि इस का एबौर्शन करा दिया जाए,’’ आदित्य आक्रोश से उबल रहा था.

शारदा का विरोध घर के लोगों की तेज आवाज में दब कर रह गया.

आदित्य, हिना को डाक्टर के यहां ले गया,  पर एबौर्शन नहीं हो पाया क्योंकि समय अधिक गुजर चुका था.

घर में सिर्फ शारदा ही खुश थीं, सब से कह रही थीं, ‘‘बच्चा हो जाने के बाद हिना का डिप्रेशन अपनेआप दूर हो जाएगा. मैं अपनी बहू को बेटी के समान प्यार दूंगी. हिना ने मेरी बेटी की कमी दूर कर दी, बहू के रूप में मुझे बेटी मिली है.’’

अब शारदा सभी प्रकार से हिना का ध्यान रख रही थीं, हिना की सभी प्रकार की चिकित्सा भी चल रही थी.

लेकिन हिना वैसी की वैसी ही थी. नींद की गोलियों के प्रभाव से वह घंटों तक सोई रहती, परंतु उस के क्रियाकलाप पहले जैसे ही थे.

‘‘अगर बच्चे पर भी मां का असर पड़ गया तो क्या होगा,’’ आदित्य का मन संशय से भर उठता.

‘‘तू क्यों उलटीसीधी बातें बोलता रहता है,’’ शारदा बेटे को समझातीं, ‘‘क्या तुझे अपने खून पर विश्वास नहीं है? क्या तेरा बेटा पागल हो सकता है?’’

‘‘मां, मैं कैसे भूल जाऊं कि हिना मानसिक रोगी है.’’

फेफड़ों की समस्याओं से राहत के लिए फायदेमंद है होम्योपैथी इलाज

हवा का प्रदूषण दुनिया में होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक बन गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.) का अनुमान है कि लगभग 4.2 मिलियन समयपूर्व मौतें दुनिया में आसपास की हवा के प्रदूषण की वजह से हुई हैं. भारत भी वायु प्रदूषण का शिकार है और यहां पर ब्रोंकायल अस्थमा, हाईपर-रिएक्टिव एयरवे डिज़ीज़, एलर्जिक राईनिटिस एवं अन्य कई समस्याओं में तेजी से वृद्धि हुई है.

ब्रोंकोडाइलेटर्स, एंटी-एलर्जिक दवाईयों, नैसल ड्रौप्स एवं इस तरह की अन्य दवाईयों के उपयोग से प्रारंभिक चरण में तीव्र राहत मिल सकती है, लेकिन इनके परिणामस्वरूप इन दवाईयों पर निर्भरता बढ़ती है और इनकी खुराक व उपयोग की आवृत्ति में वृद्धि होती जाती है क्योंकि कम खुराक के लिए मरीज की प्रतिरक्षा कम हो जाती है.

होम्योपैथी के डौक्टर कल्याण बनर्जी के अनुसार होम्योपैथी में मरीजों को तीव्र एवं प्रभावशाली राहत प्रदान करने के अलावा उन्हें समस्या के दीर्घकालिक इलाज के लिए दवाईयों का परामर्श भी दिया जाता है. यदि पारंपरिक दवाईयों से अभी भी फायदा नहीं हुआ है, तो होम्योपैथी एक अच्छा विकल्प हो सकती है.

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होम्योपैथी लंबे समय से बच्चों में अस्थमा एवं हाईपरसेंसिटिविटी और एलर्जी जैसी अनेक बीमारियों के लिए लोकप्रिय इलाज है. बड़ी संख्या में मरीज साईड इफेक्ट के बिना दीर्घकालिक व स्थायी आराम के लिए होम्योपैथिक इलाज कराते हैं. होम्योपैथी दो तरह के दृष्टिकोण से इलाज करती है, पहला तो तत्काल राहत देना एवं दूसरा बीमारियों की आवृत्ति एवं तीव्रता को कम करना. इसलिए होम्योपैथी पारंपरिक इलाज के मुकाबले अलग है.

1.बड़ी संख्या में मरीज साईड इफेक्ट के बिना दीर्घकालिक व स्थायी लाभ के लिए होम्योपैथिक इलाज का सहारा ले रहे हैं.

2.होम्योपैथी दो तरह के दृष्टिकोण से इलाज करती है.

पहला तो तत्काल राहत देना एवं दूसरा बीमारियों की आवृत्ति एवं तीव्रता को कम करना.

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व्यापार के लिए बेहतर है फैस्टिव सीजन

इस में कोई संदेह नहीं है कि त्योहारी सीजन सेल के दौरान आप को अच्छी डील्स मिल सकती हैं. लेकिन इस के लिए आप को स्मार्ट होने की जरूरत है.

कीमतों की तुलना जरूरी : खरीदारी करते समय वस्तुओं की कीमतों की तुलना जरूर करें. कई बार ऐसा होता है कि नौन-सेल सीजन के मुकाबले त्योहारी सीजन सेल के दौरान कीमतें अधिक होती हैं.

नई वस्तुओं पर छूट नहीं : इस दौरान नए लौंच सामानों पर छूट मुश्किल से मिलती है. जैसे फ्लिपकार्ट पर एप्पल आईफोन सीरीज पर छूट उपलब्ध होगी, लेकिन इस में नए लौंच किए गए आईफोन-11 सीरीज शामिल नहीं हैं.

कैशबैक औफर : इन फैस्टिव सेल में आप को कई प्रोडक्ट्स पर कैशबैक औफर भी दिया जाएगा. अगर आप किसी खास बैंक के कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो आप को किसी न किसी ईकौमर्स साइट पर कैशबैक का औफर मिल ही जाएगा. यह कैशबैक 5 फीसदी से ले कर 10 फीसदी तक होता है.

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ऐसे में अगर आप 10,000 रुपए का स्मार्टफोन खरीदते हैं तो आप को 500 या 1,000 रुपए तक का मैक्सिमम कैशबैक औफर किया जाता है.

वहीं, कुछ स्मार्टफोंस पर आप को एक्सचेंज औफर भी दिया जाता है यानी कि आप अपने पुराने स्मार्टफोन को एक्सचेंज करा सकते हैं. अगर आप किसी कंपनी के नए स्मार्टफोन को खरीदना चाहते हैं तो अपने पुराने मौडल को एक्सचेंज करा कर डिस्काउंट ले सकते हैं. हालांकि, फैशन प्रोडक्ट्स पर आप को यह सुविधा नहीं मिलेगी. कुछ होम अप्लायंसेज पर भी एक्सचेंज औफर दिया जाता है.

कैशऔन डिलीवरी औफर: खरीदारी करते समय औफर में कैशऔन डिलीवरी विकल्प पर जरूर ध्यान दें.

नोकौस्ट ईएमआई : अगर आप क्रैडिट कार्ड धारक हैं तो आप को नोकौस्ट ईएमआई सम झ में आ रहा होगा. नोकौस्ट ईएमआई का मतलब यह होता है कि आप को कोई प्रोडक्ट इंस्टौलमैंट पर मिल जाएगा और उस पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाएगा. यानी कि आप को मूल कीमत में सामान बिना किसी अतिरिक्त ब्याज के इंस्टौलमैंट पर मिल जाएगा. हालांकि, यह प्रोडक्ट ब्रैंड, ईकौमर्स कंपनी और बैंकिंग सर्विस प्रोवाइडर पर निर्भर करता है कि किस प्रोडक्ट पर नोकौस्ट ईएमआई औफर किया जा रहा है और किस पर नहीं.

गिफ्ट कार्ड्स : अगर आप लगातार औनलाइन शौपिंग करते रहते हैं तो आप को गिफ्ट कार्ड के बारे में जरूर पता होगा. गिफ्ट कार्ड्स या गिफ्ट वाउचर ग्राहकों को शौपिंग करने के एवज में दिया जाता है. अगर आप उक्त राशि की शौपिंग करते हैं तो आप को कुछ फीसदी की राशि का गिफ्ट वाउचर दिया जाता है. इस वाउचर का इस्तेमाल आप अगली औनलाइन शौपिंग में कर सकते हैं. इन गिफ्ट वाउचर्स को या तो आप उस वैबसाइट पर रिडीम कर सकते हैं या फिर आप पार्टनर्स स्टोर्स पर रिडीम कर सकते हैं. इन वाउचर्स को कैसे इस्तेमाल करना है, यह ईकौमर्स कंपनियां इन वाउचर्स पर मैंशन करती हैं. साथ ही साथ कब तक इन वाउचर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, यह भी दर्ज होता है.

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रिटर्न और एक्सचेंज पौलिसी : ईकौमर्स प्लेटफौर्म या विक्रेता की रिटर्न और एक्सचेंज पौलिसी अलगअलग होती है. इसलिए खरीदने से पूर्व नियम और शर्तें ध्यान से पढ़ें.

बैंकों के लोन औफर्स : बैंक भी इस मौके को भुनाने में पीछे नहीं रहते हैं. दशहरा की शुरुआत के साथ ही लोग नया घर, कार, ज्वैलरी और अन्य जरूरत का सामान खरीदने लगते हैं. अगर आप ने भी इस तरह का मन बनाया है तो फिर लोन से पहले किसी अनुभवी से परामर्श जरूर करें. फैस्टिव सीजन में लिए गए लोन की ईएमआई का बोझ कम होता है.

ऐसे बनाएं चिकन टिक्का

यह एक स्वादिष्ट चिकन टिक्का रेसिपी है. यह पोपुलर नार्थ इंडियन स्नैक है, जिसे खाने में काफी पसंद किया जाता है. इसमें लेमन ग्रास, थाई अदरक और रेड करी पेस्ट का स्वाद मिलेगा. तो आइए जानते हैं, चिकन टिक्का की रेसिपी

सामग्री

अदरक (7 ग्राम)

लेमन (3 लीव्ज)

लेमनग्रास (5 ग्राम)

कोकोनट मिल्क पाउडर (130 ग्राम)

रिफाइंड तेल (100 मिली.)

रेड करी पेस्ट (12 ग्राम)

पीनट बटर (20 ग्राम)

बैज़ल के पत्ते (तला हुआ)

लोट्स स्टेम (25 ग्राम)

येलो बटर

चाट मसाला (1 ग्राम)

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बनाने की वि​धि

चिकन को मैरीनेट करें, इसके लिए एक बाउल में थाई अदरक, लेमनग्रास के पत्ते, मक्खन और रेड करी पेस्ट को एक बाउल में निकाल लें, अब इस में मिश्रण में चिकन के पीस डालकर और इन्हें मिक्स करके फ्रिज में 2 से 3 घंटे के लिए रख दें.

अब चिकन को मैरीनेट एक बार फिर से चिकन को मैरीनेट करने के लिए, सबसे पहले थाई करी पेस्ट, मक्खन, थाई अदरक, लेमनग्रास और लेमन लीव्ज़ डालें, चिकन को फ्रिज में से निकाले और इस मिश्रण में डालकर दोबारा से 2 से 3 घंटे के लिए मैरीनेट होने के लिए फ्रिज में रख दें.

चिकन को निकालकर इसे पूरी तरह से पकने तक ग्रिल करें.

अब पीनट बटर सौस के लिए एक बाउल में पीनट बटर, कोकोनट मिल्क पाउडर और 1/4 कप गर्म पानी डालें, इसे स्मूद होने तक मिक्स करें.

चिकन को पीनट बटर सौस के साथ प्लेट में रखें और इसे लोटस स्टेम से गार्निश करें, इसी के साथ इसमें फ्राइड बैज़ल के पत्ते और चाट मसाला भी डालें.

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यहां जानें, नए रिश्ते में लोगों को इन 6 बातों का सताता है डर

रिलेशनशिप में आना हर किसी के जीवन में एक नए पड़ाव जैसा होता है जिसमे व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अपने जीवन के सुख दुःख को साझा करता है जिसे वो पसंद करता है जिससे वो प्यार करता है. जहां नए रिलेशनशिप में आना लड़का और लड़की दोनों के लिए नया और प्यारा एहसास होता है वहीं दूसरी ओर दोनों के मन में नए रिश्ते को लेकर कई तरह के डर भी पैदा होते हैं. आज हम आपसे उन्ही बातों, उन्ही डर का जिक्र करेंगे जो एक व्यक्ति के मन में नए रिलेशनशिप में आने के बाद घर करती है.

गलत करने का डर:

नए रिलेशनशिप में आने के बाद हर किसी के मन में यह ख्याल आता है कि वो जो कर रहे हैं वो सही है या गलत. नए रिलेशन में आने के बाद लोग कुछ दिनों तक ये नहीं समझ पाते की इस रिश्ते में वो खुश रह पायेंगे या इस रिश्ते से उन्हें कोई नुकसान तो नहीं होगा. ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें नए रिश्ते में आने के बाद इन बातों का डर सताता रहता है.

जल्दबाजी का डर:

नए रिलेशनशिप में आने के बाद कई लोगो के मन में यह डर सताता है कि कहीं उन्होंने रिश्ता बनाने में जल्दबाजी तो नहीं की है? क्या ये सही वक्त है? क्या मुझे थोड़ा समय लेना चाहिए था? नए रिलेशनशिप में आने के बाद कई लोगो के मन में इस तरह के ख्याल आते हैं. वो सोचते है की इतनी जल्दी बनाये गए रिश्ते का भविष्य सुरक्षित होगा या नहीं.

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सही साथी न चुन पाने का डर:

ऐसा कई बार देखा गया है कि लोगो को रिलेशनशिप में आने के सालभर बाद ये पता चलता है कि मेरे द्वारा चुना गया लड़का या चुनी गयी लड़की मेरे लिए सही नहीं है और इस स्थिति में रिलेशनशिप टिक नहीं पाता. नए रिलेशनशिप में आये लोगो के मन में भी इस तरह के ख्याल आते हैं. कई बार लोगो को ये समझ नहीं आता की उनके द्वारा चुना गया साथी वाकई उनके लिए सही है या नहीं. इस बात का डर नए-नए रिलेशनशिप में आये लोगो के मन में ज्यादा होता है.

साथी के रिश्ता तोड़ देने का डर:

नए नए रिलेशनशिप में आने के बाद कई लोगों के मन में यह डर बैठा रहता है कि कहीं उसका पार्टनर उससे रिश्ता न तोड़ ले. ये डर उन लोगों के मामले में ज्यादा होता है जिनके अन्दर आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी होती है. ये डर उन लोगों के मन में भी ज्यादा होता हैं जिन्होंने झूठ बोलकर रिश्ता बनाया होता है.

ये सचमच में प्यार है या बस वो मुझे पसंद करता/करती है:
कई लोगों को नए रिलेशनशिप में आने के बाद इस ख्याल में डूबे रहते हैं कि उनका पार्टनर उसे सच में प्यार करता है या बस उसे पसंद करता है. ऐसे कई लोग होते हैं जो इस स्थिति में हमेशा अपने साथी के प्यार को हर पैमाने पर मापते हैं जिससे कई बार रिश्ते के टूटने की सम्भावना पैदा होती है.

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खुद की पहचान खोने का डर:

कई लोगों के मन में रिलेशनशिप में आने के बाद ये डर सताता है कि कहीं नए रिश्ते के लिए खुद को बदलने के क्रम में अपनी पहचान ही न खो दें. बहुत से लोगों के मन में यह बात रहती है कि कहीं वो अपने साथी को इम्प्रेस करने या उसे प्रभावित करने में कहीं खुद की पहचान न खो दें.

9 द्वीपों का समूह : पुर्तगाल का एजोरेस 

इस खूबसूरत फोटो में पहाड़, उस पर जाने का रास्ता और पीछे की खूबसूरत दृश्यावली नजर आ रही है. लेकिन देखने में यह उजाड़ सा लगता है. कौन कल्पना कर सकता है कि कभी यहां 4 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आए होंगे. दरअसल, यह फोटो पुर्तगाल के एजोरेस का है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित 9 ज्वालामुखीय द्वीपों का समूह है.

यहां मौजूद माउंट पिको सब से ऊंचा है, जिस की कुल ऊंचाई 2351 मीटर है. यहां मिले प्रमाण बताते हैं कि इन द्वीपों पर करीब 2000 लोग रह रहे हैं. 1922 में आए भीषण भूकंप से यहां 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इस के बाद पोंटा डेलगाडा को इस की नई राजधानी बनाया गया.

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2003 में इराक युद्ध से पहले यहां पर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जौर्ज डब्ल्यू बुश की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, स्पेन के प्रधानमंत्री जोसे मारिया अजनार और पुर्तगाल के प्रधानमंत्री मैनुअल दुराओ बरोसो के साथ 3 दिन तक मीटिंग हुई थी.

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