यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड में पीएफ यानी भविष्य निधि में 22 सौ करोड़ के घोटाले के लिये योगी सरकार समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार को मास्टर मांइड बता रही है. यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड में पीएफ घोटाले के दो पहलू है पहला पहलू यह है कि इस घोटाले की नींव अखिलेश सरकार के समय 16 मार्च 2017 को रखी गई थी. 17 मार्च को 18 करोड़ रूपये डीएचएफएल के खाते में जमा करा दी गई थी. सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि मात्र 2 दिन के बाद 19 मार्च को उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कार्यभार संभाल लिया. इसके बाद योगी सरकार के गौरवशाली 30 माह बीत गये सरकार को अपने नाक के नीचे चल रहे इस घाटाले का आभास तक नहीं हुआ.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अशोक मार्ग स्थित शक्ति भवन की जिस आलीशान इमारत से यह सारा गोरखधंधा चल रहा था वहां उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा बैठते थे. इस बात पर कैसे यकीन कर लिया जाये की मंत्री की नाक के नीचे करोड़ो के पीएफ घोटाले की नदी बहती रही और श्रीकांत शर्मा को पता नहीं चला. उत्तर प्रदेश सरकार ने घोटाले को रोकने अपनी तरफ से कोई प्रयास नहीं किया. पीएफ घोटाले का पता तो तब चला जब बाम्बे हाई कोर्ट ने डीएचएफएल के द्वारा भुगतान पर रोक लगा दी. कानून किसी भी सरकार को कर्मचारियों की भविष्य निधि यानी पीएफ के पैसे को प्राइवेट सेक्टर में निवेश करने का हक नहीं है. अगर बाम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला नहीं आता तो पीएफ के पैसे आगे भी बराबर डीएचएफएल के खातें में जमा होते रहते.

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