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6 टिप्स: एक्सपर्ट्स से जानें कैसे करें बालों की देखभाल

बालों को खूबसूरती का अहम हिस्सा माना जाता है. घने और खूबसूरत बालों की तमन्ना हर किसी की होती है, लेकिन यह भी एक सच है कि बालों को लंबा, चमकदार, खूबसूरत और घना बनाने के लिए उनकी अच्छी देखभाल करनी पड़ती है. आज के भागमभाग भरे जीवन में हमारे पास इतना समय नहीं होता की हम बालों की एक्सट्रा केयर कर सकें. बालों को हेल्दी रखने के लिए दिल्ली प्रैस भवन में हुई फेब मीटिंग के दौरान, हेयर स्टाइल आरिफ सलमानी ने कुछ खास स्टेप्स के साथ हेयर केयर के टिप्स की जानकारी दीं. लगातार बढ़ते प्रदूषण बालों को कमजोर और बेजान बना देती है. ऐसे में आरिफ सलमानी ने दिये कुछ ऐसे टिप्स, जिन्हें अपनाकर आप बना सकते हैं अपने बालों को सुंदर और घना…

1. बालों की मसाज है जरूरी

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बालों को मसाज जरूर दें. मसाज से बालों को पोषण मिलता है. इतना ही नहीं यह बालों में रूसी या कई तरह के इंफेक्शन से भी बचाता है.

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2. कोकोनट मिल्क या औयल का करें इस्तेमाल

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बालों को पोषण देने के लिए कोकोनट मिल्क का इस्‍तेमाल करें. कोकोनट मिल्क बालों को पोषण तो देता ही है, साथ ही यह बालों को लंबा और चमकदार भी बनाता है, यदि आपके बाल ज्यादा रूखे है तो आप कोकोनट मिल्क का इस्तेमाल जरूर करें. इससे आपके बाल सौफ्ट और सिल्की नजर आएंगे. साथ ही हफ्ते में दो बार बालों में बादाम, औलिव या नारियल के तेल से मसाज करने से बाल हेल्दी रहते हैं.

3. सिरका या बीयर भी करें ट्राई

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बालों को चमकदार बनाने के लिए सिरके या बीयर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. सिरके में पोटेशियम और एंजाइम होते हैं, जो खुजली और रूसी से राहत दिलाता है. बीयर के इस्तेमाल से आपके बाल चमकदार और रेशमी हो जाते हैं.

4. बालों को अंडे से दें प्रोटीन ट्रीटमेंट

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बालों की देखभाल के लिए प्रोटीन ट्रीटमेंट जरूर लेना चाहिए. बालों को प्रोटीन ट्रीटमेंट देने के लिए एक अंडे को फेंट कर गीले बालों में लगाएं. और फिर इसे 15 मिनट तक लगे रहने दें और फिर हल्के गर्म पानी से धो लें.

5. होममेड चीजों का करें इस्तेमाल

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– बालों की जड़ों से रूसी को हटाने के लिए तीन चम्‍मच दही में काली मिर्च पाउडर मिलकार लगाएं. आधे घंटे बाद इसे धो लें. इसे हफ्ते में दो बार करें.

– सेब का सिरका बालों में नई जान दे सकता है. बालों में सेब का सिरका महज 5 मिनट लगाने से ही बालों में नई चमक आ जाती है.

– हफ्ते में दो बार एलोवेरा जैल से बालों की जड़ों की मसाज करें. ऐसा करने से बालों में चमक आएगी और बालों का झड़ना भी कम होगा.

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6. इन चीजों का भी रखें ध्यान

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– गीले बालों में कंघी न करें, इससे बाल कमजोर हो जाते है.

– हल्के गीले बालों में सीरम लगाएं, सीरम बालों को स्मूद करता है, इससे बाल उड़े-उड़े नहीं लगते. यदि आपके बाल ड्राई, फ्रीजी या घूंगराले है तो आप हेयर सीरम का इस्तेमाल जरूर करें. फर्क आपको दिख जाएगा.

– बाल धोने के लिए ज्यादा गरम पानी का इस्तेमाल न करें.

– महीने में 2 बार स्पा जरूर लें. यदि पार्लर नही जा सकती तो घर पर ही स्पा कर लें.

– बालों को स्टीम जरूर दें. अगर आपके पास स्टीमर नहीं है तो आप हौट टौवल से भी बालो को स्टीम दें सकती है.

ऐसे बनाएं चटपटा सौंफ आलू

अगर आप भी आलू की कोई चटपटी डिश बनना चाहते हैं तो  तो सौंफ आलू जरूर ट्राई करें. इसे बनाना भी बहुत आसान है  और टाइम भी कम लगता है. तो चलिए जानते हैं, सौफ आलू बनाने की रेसिपी.

सामग्री

दूध- 1/2 कप

नमक- स्वादानुसार

तेल- 2 चम्मच

बरीक कटी धनिया पत्ती- 4 चम्मच

आलू- 5

दरदरा सौंफ- 2 चम्मच

लाल मिर्च पाउडर- 2 चम्मच

हल्दी पाउडर- 1 चम्मच

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बनाने की विधि

सबसे पहले आलू को धोकर छिलके के साथ बीच से काट लें.

कुकर में तेल गर्म करें और उसमें दरदरा सौंफ डालें.

उसके साथ ही कुकर में हल्दी पाउडर, नमक और लाल मिर्च पाउडर डालें.

जब सौंफ का रंग सुनहरा हो जाए तो आलू के टुकड़ों को कुकर में डालकर अच्छी तरह से मिलाएं.

कुकर में आवश्यकतानुसार पानी डालें और ढक्कन बंद करें.

दो सीटी लगाएं लगवाएं.

कुकर का प्रेशर अपने-आप निकलने दें.,अब कुकर में दूध डालकर मिलाएं.

आलू के टुकड़ों को हल्का-सा मैश कर दें ताकि ग्रेवी गाढ़ी हो जाए.

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लाली : भाग 2

लाली को भी घर से निकलना पड़ा. उस के चाचा से अंधी लड़की का बोझ संभाला नहीं गया और अनाथ लड़की को अनाथ आश्रम में शरण लेनी पड़ी. शायद अच्छा ही हुआ था उस के साथ. आश्रम की पढ़ाई में उस का मन नहीं लगता था. पूरे दिन उसे बस, संगीत की कक्षा का इंतजार रहता और उस के बाद वह इंतजार करती रोशन का. रोज शाम को आधे घंटे के लिए बाहर वालों से मिलने की इजाजत होती थी. पर समय तो मुट्ठी में रखी रेत की तरह होता है, जितनी जोर से मुट्ठी बंद करो रेत उतनी ही जल्दी फिसल जाती है.

आज बेसब्री से लाली रोशन का इंतजार कर रही थी. जैसे ही रोशन के आने की आहट हुई उस की आंखों के बांध को तोड़ आंसू छलक पड़े.

‘मुझे यहां नहीं रहना रोशन, मुझे यहां से ले चलो.’

‘क्यों, क्या हुआ लाली?’ रोशन ने लड़खड़ाते स्वर में पूछा.

‘मुझे यहां सभी अंधी कोयल कह कर बुलाते हैं. मैं और यह सब नहीं सुन सकती.’

‘अरे, बस इतनी सी बात, शुक्र मना, वे तुझे काली कौवी कह कर नहीं बुलाते या काली लाली नहीं बोलते.’

‘क्या मतलब है तुम्हारा. मैं काली हूं और मेरी आवाज कौवे की तरह है?’

‘अरे, तू तो बुरा मान गई. मैं तो मजाक कर रहा था. तेरी आवाज कोयल की तरह है तभी तो सभी तुझे कोयल कह कर बुलाते हैं और रोशन के रहते तेरी आंखों को रोशनी की जरूरत ही नहीं है,’ रोशन ने खुद की तरफ इशारा करते हुए कहा.

‘पर मुझे यहां नहीं रहना, मुझे यहां से ले चलो.’

‘लाली, मैं ने तुझे पहले भी बोला है कि कुछ दिन सब्र कर, मुझे कुछ रुपए जमा कर लेने दे फिर मैं तुझे मुंबई ले चलूंगा और बहुत बड़ी गायिका बनाऊंगा,’ रोशन ने खांसते हुए कहा.

‘देख, रोशन, मुझे गायिका नहीं बनना. तू बारूद के कारखाने में काम करना बंद कर दे. बाबा भी नहीं चाहते थे कि तू वहां काम करे. मुझे तेरी जान की कीमत पर गायिका नहीं बनना. मैं देख नहीं सकती, इस का मतलब यह तो नहीं कि मैं महसूस भी नहीं कर सकती. तेरी हालत खराब हो रही है,’ लाली ने परेशान होते हुए कहा.

लाली की परेशानी बेवजह नहीं थी. रोशन सचमुच बीमार रहने लगा था. दिन- रात बारूद का काम करने के कारण उस की छाती में जलन होने लगी थी, लेकिन लाली को गायिका बनाने का सपना उसे दिनरात काम करने की प्रेरणा देता था.

आज रोशन की खुशी का ठिकाना नहीं था. टे्रन सपनों की नगरी मुंबई पहुंचने ही वाली थी. उस के साथसाथ लाली का वर्षों का सपना पूरा होने वाला था. बारबार वह अपनी जेब में रखे 10 हजार रुपयों को देखता और सोचता क्या इन रुपयों से वह अपना सपना पूरा कर पाएगा. इन रुपयों के लिए ही तो उस ने जीवन के 4 साल कारखाने की अंधेरी कोठरी में गुजारे थे. लाली साथ वाली सीट पर बैठी थी. नाबालिग होने के कारण आश्रम ने उसे रोशन के साथ जाने की इजाजत नहीं दी लेकिन वह सब की नजरों से बच कर रोशन के पास आ गई थी.

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मुंबई की अट्टालिकाओं को देख कर रोशन को लगा कि लोगों के इस महासागर में वह एक कण मात्र ही तो है. उस ने अपने को इतना छोटा कभी नहीं पाया था. अब तो बस, एक ही सवाल उस के सामने था कि क्या वह अपने सपनों को सपनों की इस नगरी में यथार्थ रूप दे पाएगा.

काफी जद्दोजहद के बाद मुंबई की एक गंदी सी बस्ती में एक छोटा कमरा किराए पर मिल पाया. कमरे की खोज ने रोशन को एक सीख दी थी कि मुंबई में कोई काम करना आसान नहीं होगा. उस ने खुद को आने वाले दिनों के लिए तैयार करना शुरू कर दिया था.

आज सुबह रोशन और लाली को अपने सपने को सच करने की शुरुआत करनी थी अत: दोनों निकल पड़े अपने उद्देश्य को पूरा करने. उन्होंने कई संगीतकारों के दफ्तर के चक्कर काटे पर कहीं भी अंदर जाने की इजाजत नहीं मिली. यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा. लाली का धैर्य और आत्म- विश्वास खत्म होने लगा और खत्म होने लगी उन की पूंजी भी. लेकिन रोशन इतनी जल्दी हार मानने वाला कहां था. वह लाली को ले कर हर दिन उम्मीद क ी नई किरण अपनी आंखों में बसाए निकल पड़ता.

उस दिन रोशन को सफलता मिलने की पूरी उम्मीद थी, क्योंकि वह लाली को ले कर एक गायन प्रतियोगिता के चुनाव में जा रहा था, जिसे जीतने वाले को फिल्मों में गाने का मौका मिलने वाला था. रोशन को भरोसा था कि लाली इस प्रतियोगिता को आसानी से जीत जाएगी. हर दिन के रियाज और आश्रम में मिलने वाली संगीत की शिक्षा ने उस की आवाज को और भी अच्छा बना दिया था.

प्रतियोगिता भवन में हजारों लोगों की भीड़ अपना नामांकन करवाने के लिए आई हुई थी. करीब 3 घंटे के इंतजार के बाद एक चपरासी ने उन्हें एक कमरे में जाने को कहा. वहां एक बाबू प्रतियोगिता के लिए नामांकन करा रहे थे.

अंदर आते 2 किशोरों को देख उस व्यक्ति ने उन्हें बैठने का इशारा किया और अपने मोटे चश्मे को नीचे करते चुटकी लेते हुए कहा, ‘किस गांव से आ रहे हो तुम लोग और इस अंधी लड़की को कहां से भगा कर ला रहे हो?’

‘अरे, नहीं साहब, भगा कर नहीं लाया, मैं लाली को यहां गायिका बनाने लाया हूं,’ रोशन ने धीमे से कहा.

‘गायिका और यह…सुर की कितनी समझ है तुझे, गलीमहल्ले में गा कर खुद को गायिका समझने की भूल मत कर, यहां देश भर से कलाकार आ रहे हैं. मेरा समय बरबाद मत करो और निकलो यहां से,’ साहब ने गुर्राते हुए कहा.

‘अरे, नहीं साहब, लाली बहुत अच्छा गाती है. आप एक बार सुन कर तो देखिए,’ रोशन ने बात को संभालने के अंदाज से कहा.

‘देखो लड़के, यह कार्यक्रम सारे देश में टेलीविजन पर दिखाया जाएगा और मैं नहीं चाहता कि एक गंवार, अंधी लड़की इस का हिस्सा बने. तुम जाते हो या पुलिस को बुलाऊं,’ साहब ने चिल्लाते हुए कहा.

दोनों स्तब्ध, अवाक् खड़े रहे जैसे सांप सूंघ गया हो उन्हें. लाली खुद को ज्यादा देर रोक नहीं पाई और उस की आंखों से आंसू निकल आए और वह फौरन कमरे से बाहर निकल आई. अंदर रोशन अपने सपनों को टूट कर बिखरते हुए देख खुद टूट गया था.

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मुंबई नगरी अब उसे सपनों की नगरी नहीं शैतानों की नगरी लग रही थी. ये बिलकुल वैसे ही शैतान थे जिन्हें वह बचपन में सपनों में देखा करता था. बस, एक ही अंतर था, इन के सिर पर सींग नहीं थे. पर यह सब सोचने का समय नहीं था उस के पास, अभी तो उसे लाली को संभालना था.

दोनों समंदर के किनारे बैठे अपने दुख को भूलने की कोशिश कर रहे थे. रोशन डूबते सूरज के साथ अपने सपने को भी डूबता देख रहा था. उस ने लाली को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे समझाना मुश्किल लग रहा था.

‘तुम्हें पता है लाली, डूबता सूरज बहुत खूबसूरत होता है,’ उस ने लाली को समझाने का अंतिम प्रयास किया, ‘और पता है यह खूबसूरत क्यों होता है, क्योंकि यह लाल रंग का होता है. और पता है तेरा नाम लाली क्यों है क्योंकि तू सब से सुंदर है. मेरा भरोसा कर लाली, तू मेरे लिए दुनिया की सब से खूबसूरत लड़की है.’

रोशन ने अनजाने में आज वह बात कह दी थी जिसे कहने की हिम्मत वह पहले कभी नहीं जुटा पाया था. डूबते सूरज की रोशनी में लाली का चेहरा पहले से ही लाल नजर आ रहा था, यह सुन कर उस का चेहरा और भी लाल हो गया और उस के होठों  पर मुसकान आ गई.

12 साल बाद की उस घटना को सोच कर रोशन के चेहरे पर हंसी आ गई जैसे सबकुछ अभी ही हुआ है. रात का तीसरा पहर भी बीत गया था. चारदीवारी के अंदर का कोलाहल शांत हो गया था. शायद लाली की शादी हो गई थी. उस के सीने की जलन बढ़ती जा रही थी. कारखाने में काम करने के कारण उस के फेफड़े जवाब दे चुके थे. डाक्टरों के लाख समझाने के बाद भी उस ने बारूद के कारखाने में काम करना नहीं छोड़ा था अब उसे मरने से डर नहीं लगता था वह जीना ही नहीं चाहता था. उस ने अपनी आंखें बंद कर लीं और फिर से उस के जेहन में अतीत की यादें सजीव होने लगीं.

अब लाली महल्ले के मंदिर के  सत्संग में गाने लगी थी और रोशन एक ढाबे में काम करने लगा था. शायद उन लोगों ने मुंबई की जिंदगी से समझौता कर लिया था. लाली के गाए भजनों की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी, अब आसपास के लोग भी उसे सुनने आते थे. लाली इसी में खुश थी.

एक दिन सुबहसुबह दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी. रोशन ने दरवाजा खोला तो देखा एक अधेड़ व्यक्ति साहब जैसे कपड़े पहने खड़ा था.

‘बेटे, लाली है क्या? मैं आकाश- वाणी में सितार बजाता हूं. हमारा भक्ति संगीत का कार्यक्रम हर दिन सुबह 6 बजे रेडियो पर प्रसारित होता है. जो गायिका हमारे लिए गाया करती थी वह बीमार है,’ उस व्यक्ति ने कमरे के अंदर बैठी लाली को देखते हुए कहा.

लाली यह सुन कर बाहर आ गई.

‘लाली, क्या तुम हमारे रेडियो कार्यक्रम के लिए गाओगी?’

यह सब किसी सपने से कम नहीं था, रोशन को अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था.

‘बेटे, मैं ने लाली को मंदिर में गाते हुए सुना है. मैं ने अपने संगीतकार को लाली के बारे में बताया है. वह लाली को एक बार सुनना चाहते हैं. अगर उन्हें लाली की आवाज पसंद आई तो लाली को रेडियो में गाने का काम मिल सकता है,’ उस व्यक्ति ने स्पष्ट करते हुए कहा.

उसी दिन शाम को दोनों रेडियो स्टेशन पहुंच गए. लाली को माइक्रो- फोन के आगे खड़ा कर दिया गया. साजिंदों ने साज बजाने शुरू किए और लाली ने गाना :

‘अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम…’

गाना खत्म हुआ और अचानक सभी बाहर आ गए. लाली के आसपास भीड़ जुटने लगी. स्वर के जादू ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था, जैसे सभी उस आवाज को आत्मसात कर रहे हों. गाने के बाद तालियों की गूंज ने लाली को बता दिया था कि उस की नौकरी पक्की हो गई है. रोशन की खुशी का ठिकाना नहीं था.

मां, पराई हुई देहरी तेरी : भाग 2

अपनी शादी के बाद पहले विनय का फिर तनु का आगमन, सच ही मैं भी अपनी दुनिया में मस्त हो गई थी. मुझे खुश देखती मां, पिताजी व भैया की खुशी से उछलती तृप्त दृष्टि में भी एक कातर रेखा होती थी कि मीनू अब पराई हो गई. मां तो मुझ से कितनी जुड़ी हुई थीं. घर का कोई महत्त्वपूर्ण काम होता है तो मीनू से पूछ लो, कुछ विशेष सामान लाना हो तो मीनू से पूछ लो. शायद मेरे पराए हो जाने का एहसास ही उन के लिए मेरे बिछोह को सहने की शक्ति भी बना होगा.

‘‘संभालो अपने शहजादे को,’’ भैया, मुन्ने को भाभी के पास लिटाते हुए बोले, ‘‘अब पड़ेगी डांट. मैं यह कहने आया था कि मेज पर मां व विनयजी तेरा इंतजार कर रहे हैं.’’

खाने की मेज पर तनु नानी की गोद में बैठा दूध का गिलास होंठों से लगाए हुए है.

मेरे बैठते ही मां विनय से कहती हैं, ‘‘विनयजी, मैं सोच रही हूं कि 3 महीने बाद हम लोग मुन्ने का मुंडन करवा देंगे. आप लोग जरूर आइए, क्योंकि बच्चे के उतरे हुए बाल बूआ लेती है.’’

मैं या विनय कुछ कहें इस से पहले ही भैया के मुंह से निकल पड़ता है, ‘‘अब ये लोग इतनी जल्दी थोड़े ही आ पाएंगे.’’

मैं जानती हूं कि भैया की इस बात में कोई दुराव नहीं है पर पता नहीं क्यों मेरा चेहरा बेरौनक हो उठता है.

विनय निर्विकार उत्तर देते हैं, ‘‘3 महीने बाद तो आना नहीं हो सकता. इतनी जल्दी मुझे छुट्टी भी नहीं मिलेगी.’’

मां जैसे बचपन में मेरे चेहरे की एकएक रेखा पढ़ लेती थीं, वैसे ही उन्होंने अब भी मेरे चेहरे की भाषा पढ़ ली है. वह भैया को हलकी सी झिड़की देती हैं, ‘‘तू कैसा भाई है, अपनी तरफ से ही बहन के न आ सकने की मजबूरी बता रहा है. तभी तो हमारे लोकगीतों में कहा गया है, ‘माय कहे बेटी नितनित आइयो, बाप कहे छह मास, भाई कहे बहन साल पीछे आइयो…’’’ वह आगे की पंक्ति ‘भाभी कहे कहा काम’ जानबूझ कर नहीं कहतीं.

‘‘मां, मेरा यह मतलब नहीं था.’’ अब भैया का चेहरा देखने लायक हो रहा है, लेकिन मैं व विनय जोर से हंस कर वातावरण हलकाफुलका कर देते हैं.

मैं चाय पीते हुए देख रही हूं कि मां का चेहरा इन 10 महीनों में खुशी से कितना खिलाखिला हो गया है. वरना मेरी शादी के बाद उन की सूरत कितनी बुझीबुझी रहती थी. जब भी मैं बनारस से यहां आती तो वह एक मिनट भी चुप नहीं बैठती थीं. हर समय उत्साह से भरी कोई न कोई किस्साकहानी सुनाने में लगी रहती थीं.

‘‘मां, आप बोलतेबोलते थकती नहीं हैं.’’ मैं चुटकी लेती.

‘‘तू चली जाएगी तो सारे घर में मेरी बात सुनने वाला कौन बचेगा? हर समय मुंह सीए बैठी रहती हूं. मुझे बोलने से मत मना कर. अकेले में तो सारा घर भांयभांय करता रहता है.’’

‘‘तो भैया की शादी कर दीजिए, दिल लग जाएगा.’’

‘‘बस, उसी के लिए लड़की देखनी है. तुम भी कोई लड़की नजर में रखना.’’

कभी मां को मेरी शादी की चिंता थी. उन दिनों तो उन के जीवन का जैसे एकमात्र लक्ष्य था कि किसी तरह मेरी शादी हो. लेकिन वह लक्ष्य प्राप्त करने के बाद उन का जीवन फिर ठिठक कर खड़ा हो गया था. कैसा होता है जीवन भी.  एक पड़ाव पर पहुंच कर दूसरे पड़ाव पर पहुंचने की हड़बड़ी स्वत: ही अंकुरित हो जाती है.

‘‘मां, लगता है अब आप बहुत खुश हैं?’’

‘‘अभी तो तसल्ली से खुश होने का समय भी नहीं है. नौकर के होते हुए भी मैं तो मुन्ने की आया बन गई हूं. सारे दिन उस के आगेपीछे घूमना पड़ता है,’’ वह मुन्ने को रात के 10 बजे अपने बिस्तर पर लिटा कर उस से बातें कर रही हैं. वह भी अपनी काली चमकीली आंखों से उन के मुंह को देख रहा है. अपने दोनों होंठ सिकोड़ कर कुछ आवाज निकालने की कोशिश कर रहा है. तनु भी नानी के पास आलथीपालथी मार कर बैठा हुआ है. वह इसी चक्कर में है कि कब अपनी उंगली मुन्ने की आंख में गड़ा दे या उस के गाल पर पप्पी ले ले.

‘‘मां, 10 बज गए,’’ मैं जानबूझ कर कहती हूं क्योंकि मां की आदत है, जहां घड़ी पर नजर गई कि 10 बजे हैं तो अधूरे काम छोड़ कर बिस्तर में जा घुसेंगी क्योंकि उन्हें सुबह जल्दी उठने की आदत है.

‘‘10 बज गए तो क्या हुआ? अबी अमाला मुन्ना लाजा छोया नहीं है तो अम कैसे छो जाएं?’’ मां जानबूझ कर तुतला कर बोलते हुए स्वयं बच्चा बन गई हैं.

थोड़ी देर में मुन्ने को सुला कर मां ढोलक ले कर बैठ जाती हैं, ‘‘चल, आ बैठ. 5 जच्चा शगुन की गा लें, आज दिन भर वक्त नहीं मिला.’’

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मैं उबासी लेते हुए उन के पास नीचे फर्श पर बैठ जाती हूं. उन्हें रात के 11 बजे उत्साह से गाते देख कर सोच रही हूं कि कहां गया उन का जोड़ों या कमर का दर्द. मां को देख कर मैं किसी हद तक संतुष्ट हो उठी हूं, अब कभी बनारस में अपने सुखद क्षणों में यह टीस तो नहीं उठेगी कि वह कितनी अकेली हो गई हैं. मेरा यह अनुभव तो बिलकुल नया है कि मां मेरे बिना भी सुखी हो सकती हैं.

नामकरण संस्कार वाले दिन सुबह तो घरपरिवार के लोग ही जुटे थे. भीड़ तो शाम से बढ़नी शुरू होती है. कुछ औरतों को शामियाने में जगह नहीं मिलती, इसलिए वे घर के अंदर चली आ रही हैं. खानापीना, शोरशराबा, गानाबजाना, उपहारों व लिफाफों को संभालते पता ही नहीं लगता कब साढ़े 11 बज गए हैं.

मेहमान लगभग जा चुके हैं. कुछ भूलेभटके 7-8 लोग ही खाने की मेज के इर्दगिर्द प्लेटें हाथ में लिए गपशप कर रहे हैं. बैरों ने तंग आ कर अपनी टोपियां उतार दी हैं. वे मेज पर रखे डोंगों, नीचे रखी व शामियाने में बिखरी झूठी प्लेटों व गिलासों को समेटने में लगे हुए हैं.

तभी एक बैरा गुलाब जामुन व हरी बरफी से प्लेट में ‘शुभकामनाएं’ लिख कर घर के अंदर आ जाता?है. लखनऊ वाली मामी बरामदे में बैठी हैं. वह उन्हीं से पूछता है, ‘‘बहूजी कहां हैं, जिन के बच्चे की दावत है?’’

तभी सारे घर में बहू की पुकार मच उठती है. भाभी अपने कमरे में नहीं हैं. मुन्ना तो झूले में सो रहा है. मैं भी उन्हें मां, पिताजी के कमरे में तलाश आती हूं.

तभी मां मुझे बताती हैं, ‘‘मैं ने ही उसे ऊपर के कमरे में कपड़े बदलने भेजा है. बेचारी साड़ी व जेवरों में परेशान हो रही थी.’’

मैं ऊपर के कमरे के बंद दरवाजे पर ठकठक करती हूं, ‘‘भाभी, जल्दी नीचे उतरिए, बैरा आप का इंतजार कर रहा है.’’

भाभी आहिस्ताआहिस्ता सीढि़यों से नीचे उतरती हैं. अभी उन्होंने जेवर नहीं उतारे हैं. उन के चलने से पायलों की प्यारी सी रुनझुन बज रही है.

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‘‘बहूजी, हमारी शुभकामनाएं लीजिए,’’ बैरा सजी हुई प्लेट लिए आंगन में आ कर भाभी के आगे बढ़ाता?है. भाभी कुछ समझ नहीं पातीं. मामी बरामदे में निक्की की चोटी गूंथते हुए चिल्लाती हैं, ‘‘बहू, इन को बख्शीश चाहिए.’’

‘‘अच्छा जी,’’ भाभी धीमे से कह कर अपने कमरे में से पर्स ले आती हैं.

अब तक मां के घर के हर महत्त्वपूर्ण काम में मुझे ही ढूंढ़ा जाता रहा है कि मीनू कहां है? मीनू को बुलाओ, उसे ही पता होगा. मैं…मैं क्यों अनमनी हो उठी हूं. क्या सच में मैं यह नहीं चाह रही कि बैरा प्लेट सजा कर ढूंढ़ता फिरे कि इस घर की बेटी कहां है?

‘‘21 रुपए? इतने से काम नहीं चलेगा, बहूजी.’’

भाभी 51 रुपए भी डालती हैं लेकिन वह बैरा नहीं मानता. आखिर भाभी को झुकना पड़ता है. वह पर्स में से 100 रुपए निकालती हैं. बैरे को बख्शीश देता हुआ उन का उठा हुआ हाथ मुझे लगता है, जिस घर के कणकण में मैं रचीबसी थी, जिस से अलग मेरी कोई पहचान नहीं थी, अचानक उस घर की सत्ता अपनी समग्रता लिए फिसल कर उन के हाथ में सिमट आई है. न जाने क्यों मेरे अंदर अकस्मात कुछ चटखता है.

तारक मेहता का उल्टा चश्मा: क्या अब नहीं लौटेंगी दया बेन!

छोटे पर्दे का मशहूर सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में दया बेन यानी दिशा वकानी का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है. आए दिन दया बेन की इस शो में लौटने की खबर सुर्खियों में छायी रहती है. जी हां, एक बार फिर इसी वजह से दिशा वकानी सुर्खियों में है.

आपको बता दे पीछले 3 साल से दया बेन इस शो से गायब है. लेकिन इसके बावजूद भी ये चर्चा में रहती हैं. दरअसल दिशा वकानी मैटरनीटी लीव पर थी, पर ये लीव भी एक साल से ज्यादा का हो चुका है. खबरों के अनुसार, गरबा के दौरान यानी अक्टुबर में दया बेन की इस शो में वापसी करने वाली थी. लेकिन शो में वह नहीं दिखी.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक दिशा वकानी नवरात्री के दौरान सीजन में वापसी करेंगी और आपकमिंग एपिसोड की शूटिंग भी हो चुकी है. हालांकि पहले भी ऐसी खबरें आई थी कि दिशा शो में वापसी करेंगी. ये भी खबर आई थी कि दया अपने पति जेठालाल से वीडियो काल पर बात करती दिखाई देंगी. लेकिन दिश इस शो में नहीं दिखाई दी.

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बता दें कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दयाबेन जल्द शो में वापस नहीं करेंगी. जैसा कि पहले भी वह इस शो के मेकर्स को बता चुकी है कि वह दिन में 6 घंटे ही काम करेंगी क्योंकि वह अपने परिवार की ओर भी ध्यान देनी चाहती है. फिलहाल दया बेन के शो में आने की कोई पक्की खबर नहीं है.

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रोटेस्ट

9 दिसंबर की रात को कई घंटे चली बहस के बाद सीएबी, नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया जिसके पक्ष में 311 वोट पड़े थें और विरोध में 80 वोट. अब इस बिल को बुधवार को राज्यसभा में पास किया जा सकता हैं, लेकिन इससे पहले ही इस बिल को लेकर कई जगह पर लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. इस बिल को लेकर संसद में हंगामा होना आम बात है लेकिन इस बिल के पास होने के बाद जगह-जगह कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं. कुछ लोग जश्न मना रहें हैं तो कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं.असम, भापाल,कोलकाता, बिहार कई जगहों पर नागरिकता बिल को लेकर आगजनी,तोड़फोड़,पथराव और विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं. गुवाहाटी, अगरतला समेत कई जगहों पर विरोध हो रहा है. लोकसभा में नागरिकता बिल पास होते ही ये विरोध शुरू होने लगा. जैसा की सभी जानते हैं कि असम में सबसे ज्यादा घुसपैठ होती है. इसके बावजूद भी वहां पर नागरिकता बिल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. इसे लोग संविधान के खिलाफ बता रहे हैं .इसको लेकर जंतर-मंतर पर जेडीयू कार्यालय में भी विरोध व तोड़फोड़ किया गया है. मुंबई में भी इस बिल के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.

नागरिकता संशोधन बिल(CITIZEN AMENDMENT BILL) के पास हो जाने और कानून बनने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में जो भी व्यक्ति धर्म के कारण उत्पीड़न झेल रहा है और वहां से भागकर भारत आकर बसते हैं तो भारत उसको सीएबी(CAB) के तहत नागरिकता प्रदान करेगी,चाहे वो किसी भी धर्म के हों.लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि ये संविधान के खिलाफ है और इससे खतरा पैदा हो सकता है. इसलिए नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि ये धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है जो कि सही नहीं है. जयपुर में प्रदर्शन के दौरान बिल की कापियां भी फाड़ी गई और उन्हें जलाया गया. इतना ही नहीं संसद में बहस के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी बात रखते हुए बिल की कौपी फाड़ दी थी. दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय और राउज एवेन्यू कोर्ट के पास भी कांग्रेस के लोगों ने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. इस बिल को लेकर सबसे ज्यादा विरोध असम में हो रहा है जबकि असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस बिल का स्वागत किया है. अब देखना होगा कि इतने विरोध के बाद राज्यसभा में क्या होता है ?

एक बार फिर इतिहास पर बनी कोई फिल्म बनी विरोध का कारण…

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म पानीपत को लेकर कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि हमारे इतिहास के साथ खिलवाड़ हुआ है. इस फिल्म को देखकर लोगों के अंदर का गुस्सा फूट पड़ा. जयपुर में कुछ लोगों ने आइनौक्स थियेटर के अंदर तोड़-फोड़ की और सिनेमाहाल में नुकसान किया,खिड़कियां तोड़ दी गईं.

इतना ही नहीं सिनेमाहाल के बाहर भी लोगों ने जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया है. फिल्म पानीपत के पोस्टर जलाए. इतना ही नहीं प्रदर्शन में राजस्थान सरकार के मंत्री विश्वेंद्र सिंह भी शामिल हुए थे. आगरा में भी इस फिल्म का विरोध हो रहा है. वहां पर जाट समाज के विरोध के चलते सिनेमाघरों में फिल्म पानीपत नहीं दिखाई जा रही है. पोस्टर भी उतार लिए गए हैं. लोगों का कहना है कि इस फिल्म में राजा सूरजमल के चरित्र को गलत दिखाया है और इसलिए ये प्रदर्शन हो रहा है क्योंकि हमारे इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया गया है. सूरजमल के वंशज का कहना है कि निर्देशक इतिहास का सही से शोध नहीं करते हैं और फिल्म बना लेते हैं जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. इस फिल्म में संजय दत्त और अर्जुन कपूर ने लीड रोल निभाया है. इन दोनों ने पहली बार साथ काम किया है और फिल्म आते ही विवादों में घिर गई. ऐसा नहीं है कि ये कोई पहली बार हुआ है बल्कि इससे पहले भी जब कोई इतिहास पर फिल्म बनी है तो ऐसे विरोध प्रदर्शन हुए हैं और विवादों का कारण बने हैं.

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पद्मावत

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ भी विरोध का कारण बनी थी. इस फिल्म को लेकर भी प्रदर्शन हुए थे.इस फिल्म का नाम पहले ‘पद्मावती’ था बाद में इसका नाम और ‘पद्मावत’ कर दिया गया और साथ ही इस फिल्म में कुछ सीन में रानी पद्मिनी का अपमान माना जा रहा था.इस फिल्म की तो रिलीज डेट भी टाल दी गई थी.करणी सेना समेत कई राजपूत संगठनों ने इस फिल्म का विरोध किया था.

बाजीराव मस्तानी

साल 2015 में जब ‘बाजीराव मस्तानी’ फिल्म आई थी तब वो भी विवादों में घिर गई थी.उसमें भी इतिहास से छेड़छाड़ करने औऱ लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाया गया था.बाजीराव मस्तानी की रिलीज से पहले पुणे में जमकर इसका विरोध प्रदर्शन हुआ था.इस फिल्म में ‘पिंगा’ नृत्य को भी गलत बताया गया. कहा गया कि ये नृत्य मराठों की एक संस्कृति है औऱ इसे फिल्म में एक आइटम सॉन्ग की तरह पेश किया है.ये सभी कारण थें जो ये फिल्म विवादों में घिरी.

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जोधा-अकबर

जब फिल्म जोधा-अकबर आई थी तो ये फिल्म भी विवादों का हिस्सा रही.लोगों का तब भी यही कहना था कि इसमें इतिहास के साथ छेड़छाड़ हुई है.इस फिल्म में अकबर की शादी अजमेर की राजकुमारी से दिखाई गई थी,जिनका नाम हरकन बाई था इसलिए जोधा बाई से अकबर का विवाह नहीं हुआ था.ऐसी ही कुछ दलीलों के साथ इस फिल्म के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई थी.

मंगल पांडे

कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी मंगल पांडे.सन् 1857 में मंगल पांडे ने स्वतंत्रता के लिए जो क्रांति की,उस पर आधारित फिल्म आई ‘मंगले पांडे’.जिसमें मंगल पांडे के जीवन को दिखाया गया लेकिन ये फिल्म भी विवादों के घेरे में आ गई थी और मंगल पांडे के कथित वंशजों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था.

ऐसी कई फिल्मे इतिहास पर बनी हैं जिन्हें लेकर विरोध हुए हैं. आने वाले कुछ समय में अक्षय कुमार की फिल्म पृथ्वीराज आने वाली है जो कि इतिहास पर ही आधारित है. इसमें अजमेर के राजा पृथ्वीराज का जीवन दिखाया जाएगा.अब देखना ये होगा कि ये फिल्म भी सही-सलामत चलती है या फिर इसको लेकर भी कोई विवाद खड़ा होता है.

कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद भी जारी है घुसपैठ, खुद सरकार ने माना

केंद्र सरकार ने कुछ महीनों पहले ही जम्मू कश्मीर को स्पेशल दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया. तमाम राजनीतिक दलों के विरोध को दरकिनार करते हुए सरकार ने इस फैसले को ले लिया. सरकार के पास तर्क था कि इससे घाटी की स्थितियां सुधरेगी लेकिन अब सरकार को खुद लग गया कि इसको हटाने के बाद भी घाटी के हालात पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. हालांकि तब से लेकर अभी तक घाटी में कई बार आतंकी वहां के आम लोगों को निशाना जरूर बना चुके हैं. कश्मीर के व्यवसाय की बात करें तो उसमें भी खासा फर्क पड़ा है. उसका कारण है कि आतंकी उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जोकि वहां पर कारोबार करता है. आतंकी कई सेब व्यापारियों को भी जान से मार चुके हैं.

केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी सीमा पार से आतंकी घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं. अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक घुसपैठ के 84 प्रयास हुए हैं, इस दौरान 59 आतंकियों के सीमा में घुसने की खबर है. लोकसभा में मंगलवार को हुए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. दरअसल, आंध्र प्रदेश की इलुरु सीट से वाईएसआर कांग्रेस सांसद श्रीधर कोटागिरी ने पूछा था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद नियंत्रण रेखा पार कर भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की संख्या कितनी है. उन्होंने यह भी पूछा था कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए एवं पकड़े गए आतंकवादियों की संख्या कितनी है?

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लिखित जवाब में गृह मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1990 से लेकर एक दिसंबर 2019 तक सुरक्षा बलों ने आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में संलिप्त 22,527 आतंकवादियों को मार गिराया है. सुरक्षा बलों की प्रभावी निगरानी के कारण वर्ष 2005 से लेकर 31 अक्टूबर, 2019 तक सीमापार से घुसपैठ के प्रयासों के दौरान 1011 आतंकी मारे गए, वहीं 42 आतंकी गिरफ्तार किए गए, जबकि 2253 आतंकवादी खदेड़े गए.

गृह मंत्रालय ने बताया कि घुसपैठ के प्रयासों को विफल करने के लिए निरंतर डोमिनेशन औपरेशन (निरंतर प्रभुत्व कायम रखने) की कार्रवाई की जा रही है. सीमा पर घुसपैठ रोधी मजबूत ग्रिड भी उपलब्ध है.

अगस्त महीने के पहले सप्ताह में जम्‍मू-कश्‍मीर से धारा 370 को खत्‍म करने की घोषणा की गई है. राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के आदेश के बाद भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने राज्‍यसभा में इसकी घोषणा की. गृह मंत्री ने सदन में कहा कि जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 के खंड एक को छोड़कर सभी प्रावधानों को खत्‍म किया जा रहा है. साथ ही लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्‍मू-कश्‍मीर से अलग किया जा रहा है.

Exclusive: 25 साल की हुई ‘मेहर’, जानें कैसे बनीं TV की ‘छोटी सरदारनी’?

कलर्स के पौपुलर शो छोटी सरदारनी की मेहर यानी निमरत कौर अहलूवालिया 11 दिसंबर को अपना 25वां बर्थडे मना रही हैं. इस खास मौके पर हमने उनसे एक एक्सक्लूसिव बातचीत की. तो आइए जानते है निमरत की लाइफ और उनके शो से जुड़ी कुछ अनदेखी पर दिलचस्प बातें.

1. निमरत, ज्यादातर न्यू एक्ट्रेसेस, लव स्टोरी बेस्ड शो से करियर शुरू करती हैं, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया और लीग से हटकर रोल चुना. ऐसा क्यों?

सच कहूं तो मैं हमेशा से ऐसा रोल करना चाहती थी जिसमें एक आर्टिस्ट के तौर पर मुझे खुद को एक्सप्लोर करने का मौका मिले. इस शो की स्क्रिप्ट बहुत ही खूबसूरत है. ये सही है कि ज्यादातर न्यू एक्ट्रेस गर्ल नेक्सट डोर जैसे शोज से अपना करियर शुरू करती है लेकिन मुझे इस एक रोल में ही कई अलग-अलग किरदार निभाने का मौका मिला. एक बेटी से लेकर एक प्रेमिका, एक प्रेग्नेंट लड़की, सौतेली मां और दूसरी बीवी तक का सफर मैंने बहुत जल्दी तय कर लिया है. मैं बहुत खुशनसीब हूं जो मुझे मेहर का रोल करने का मौका मिला.

सच्चाई तो ये है कि एक एक्टर की ग्रोथ इन्हीं चीजों से होती है. अगर आपका फोकस बस नेम और फेम जैसी चीजों पर होता है तो आप भूल जाते हो कि एक आर्टिस्ट की सबसे बड़ी खासियत उसकी ईमानदारी है और उसका खुद को एक्सपोलर करने का तरीका है. इसी वजह से मैंने ये रोल चुना.

2. निमरत, 24 साल की उम्र में आप एक मां का रोल प्ले कर रही है और ये आपका पहला शो है. तो कितना चैलेंजिंग था ये रोल करना?

बहुत चैलेंजिंग था, हर एक्टर के मन में ये डर होता है कि आप कही टाइप कास्ट न हो जाए. लेकिन आज के दौर में सिनेमा इतना बदल गया है कि आप जब अपने कैरेक्टर को पूरी ईमानदारी से निभाते है तो सब ठीक हो जाता है.

जहां तक एक मां का रोल करने की बात है तो मैं आपको बता दूं कि प्यार एक ऐसा इमोशन है जो हम कभी न कभी एक्सपीरियंस कर चुके होते हैं इसलिए वो करना चैलेंजिंग नहीं था, लेकिन जब शो में मेहर की प्रेग्नेंसी वाला फेज शुरू हुआ, तब खुद को प्रेग्नेंट समझना और फील करना बिल्कुल अलग था.

मैंने ये मान लिया था कि मैं सच में प्रेग्नेट हूं. मुझे याद है कि एक बार रात को 12.30 बजे मैं एक केमिस्ट की शॉप पर थी. वहां मुझे दूध की एक बॉटल दिखी जो मैंने खरीद ली. मैं अपने कैरेक्टर में इतना घुस गई थी कि अगले 15-20 दिन तक मैं उस बॉटल को रोज अपने हाथ में रख कर सोती थी. कुलमिलाकर आप जब किसी किरदार के लिए खुद को इतना पुश करते हैं तो उसकी झलक अपने आप उस किरदार में दिखने लगती है.

3. क्या असल जिंदगी में भी आपने मेहर जैसा कोई कैरेक्टर देखा है? जिससे आपको ये रोल करने की प्रेरणा मिली हो.

सच कहूं तो मैंने मेहर के जैसे मुश्किल हालात कभी नहीं देखे और भगवान करे कि कभी देखूं भी ना. लेकिन मुझे इस कैरेक्टर की कुछ चीजों ने अट्रैक्ट किया और कुछ बातें मेरी रियल लाइफ से मिलती-जुलती है. जैसे मेरे पापा भी आर्मी से थे और सरदारनी होने के नाते मेरा फैमिली बैकग्राउंड भी मेहर से मिलता जुलता है. मेहर की तरह मैं भी 4-5 भाइयों के बीच इकलौती बहन हूं. इसके अलावा मैं पढ़ाई के लिए 5 साल चंडीगढ़ में भी रह चुकी हूं तो कल्चर वाइस जो चीजे उस वक्त एक्सपीरियंस और एक्सपोलर की थी वो मुझे इस शो के दौरान काम आई.

आजकल लोग बहुत ग्रे होते हैं, लेकिन मेहर का किरदार बहुत ब्लैक एंड व्हाइट है. वो सही को सही कहती है और गलत को गलत. मेहर बहुत समझदार लड़की है, जिसकी अपनी सोच और समझ है.

ये सभी चीज़ें मुझे कनेक्ट कर गई और आपको ये सब बताकर मुझे अहसास हो रहा है कि मैं इस रोल से कितनी जुड़ी हुई हूं. शायद इसलिए जब मैं छोटी सरदारनी के लिए ऑडिशन और लुक टेस्ट दे रही थी तब मेरे मन में बस यही बात थी कि ये रोल मुझे मिल जाए.

 

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Wishing you all the happiness, always. Happy Children’s Day cutie ❤️?

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4. मेहर का रोल करने के लिए आपने क्याक्या तैयारियां की थी?

शो के शुरू होने से करीब एक-डेढ़ महीने पहले मैंने मशहूर थिएटर आर्टिस्ट विभा छिब्बर मैम के साथ एक महीने की वर्कशॉप की थी मेरे कैरेक्टर को समझने के लिए. अगर आज मुझे अपनी एक्टिंग का 10 परसेंट भी अच्छा और सच्चा लगता है तो वो सिर्फ उनकी वजह से है.

5. रियल लाइफ में आप कैसी है और आपको क्या-क्या करना पसंद है?

असल जिंदगी में मैं बहुत ही सिंपल हूं. मैं एक आम लड़की हूं जिसे अपनी फैमिली से बेहद प्यार है. मैं बहुत ही ज्यादा आत्मनिर्भर हूं. मुंबई में अकेले रहती हूं और खाली टाइम में फ्रेंड्स के साथ समय बिताती हूं. असल जिंदगी में थोड़ी टॉम बौय हूं. फैशन और फोटोज को लेकर क्रेजी हूं. कुल मिलाकर एक टिपिकल लड़की हूं. सच कहूं तो मुझे लगता है कि मेरे अंदर अभी भी एक बच्चा है और मैं हमेशा ऐसी ही रहना चाहती हूं.

6. मेहर आप स्क्रीन पर तो अच्छी दिखती ही हैं, ऑफ स्क्रीन भी काफी खूबसूरत है तो आपकी ब्यूटी और फिटनेस का सीक्रेट क्या है?

सच तो ये है कि मैं कुछ भी नहीं करती. मुझे इस बात के लिए अपनी मां की डांट भी खानी पड़ती है कि मैं अपना ज्यादा ध्यान नहीं रखती हूं. लेकिन एक बात मैं जरूर कहूंगी कि जब आप एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आ जाते हैं और आपको ये एहसास होता हैं कि आप ऐसी पोजीशन पर है जहां आप न सिर्फ अपने काम से बल्कि अपने लुक्स से भी लोगों को इंस्पायर कर सकते हैं.

मैं शुक्रगुजार हूं कि मिस इंडिया कॉन्टेस्ट और फौजी लाइफ स्टाइल ने मेरी पर्सनल ग्रूमिंग पर काफी असर डाला. मैं कैसे उठती-बैठती हूं, मेरा रहन-सहन और तौर-तरीके ये सब बातें मुझमें बचपन से थीं और वक्त के साथ और ग्रूम होती गई. मिस इंडिया कॉन्टेस्ट का हिस्सा बनने के बाद आप हेयर केयर और मेकअप करना भी सीख जाते हैं.

स्किन केयर के लिए मैं यही कहूंगी कि नेचुरल रहें, पूरी नींद लें और खूब सारा पानी पिए.

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7. मेहर के लिए फैमिली सबसे अहम है और निमरत के लिए?

जी बिल्कुल, मेरे लिए भी फैमिली सबसे अहम है. मुझे लगता है कि मेरी फैमिली का जो सहयोग रहा है उसी की वजह से मै आज इस मुकाम पर हूं. मेरी जो पूरी जर्नी रही है, वकालत से लेकर एक्टिंग में आने के फैसले तक उन्होंने हमेशा पूरा सपोर्ट किया. मेरी लाइफ के बारे मे ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्हें पता नहीं है. इसके अलावा मुझे पेट्स बहुत पसंद है, खासकर कुत्ते. मैं नेचर से जुड़ी हुई हूं. ये कुछ ऐसी चीजे हैं जो मेरे दिल के करीब हैं.

8. निमरत, अपने बर्थडे को लेकर आपका क्या प्लान है, इस खास दिन को आप किस तरह से सेलिब्रेट करने वाली हैं?

पिछले साल जब मैं मिस इंडिया का हिस्सा बनी थी, तब मैंने Ketto India के साथ एक टायअप किया था, जिसके लिए मैंने पिछले साल करीब डेढ़ लाख रूपए का फंड रेज किया था. इस साल भी मैं कुछ ऐसा ही करने वाली हूं, क्योंकि छोटी सरदारनी काफी पौपुलर हो चुका है और मेहर को लोग काफी पसंद करते हैं इसलिए मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं, जिससे समाज का भला हो.

हमने निमरत बर्थडे फंड रेज शुरू किया है जिसकी लिंक आप मेरे इंस्टाग्राम पर देख सकते हैं. ये सारा फंड एक एनजीओ को जाएगा जो गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए काम करते हैं.

मैं ये सब दर्शकों के प्यार की वजह से ही कर पा रही हूं जिसके लिए मैं सभी की शुक्रगुजार हूं. और इसी वजह से मेरा बर्थडे काफी अलग और स्पेशल होगा.

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9. छोटी सरदारनी और मेहर के फैंस को कोई मैसेज देना चाहेंगी?

मैं हमेशा से एक ऐसी पोजीशन पर पहुंचना चाहती थी, जहां मैं लड़कियों को प्रेरित कर पाऊं या उनके लिए कुछ कर सकूं. मैं बराबरी के कॉन्सेप्ट पर भरोसा करती हूं. ये शो भी मैंने इसलिए चुना था क्योंकि मुझे लगा कि ये शो वुमन एंपावरमेंट की बात करता है. इस शो के जरिए मैं लड़कों को मैसेज देना चाहती हूं कि अपनी मां, बहन, बेटी या पत्नी को कैसे ट्रीट नहीं करना चाहिए और लड़कियों से ये कहना चाहती हूं कि किसी से भी दबने की या कोई गलत बात सहने की कोई जरूरत नहीं है.

अगर छोटी सरदारनी के जरिए हम अपने दर्शकों की सोच को 10 परसेंट भी बदल पाए और समानता की तरफ बढ़ पाए तो ये हम सबके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. इसलिए जो ये शो देखते है और जो नहीं भी देखते हैं, मैं उन सभी से ये रिक्वेस्ट करती हूं कि प्लीज ये शो देखिए क्योंकि वाकई में इसमें कुछ अलग है और इसकी कहानी आपके दिलों को छू लेगी.

निमरत आपके इस जज्बे को हमारा सलाम और हमारी तरफ से आपको जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयां.

मेहर की कहानी जानने के लिए देखते रहिए छोटी सरदारनी, हर सोमवार से शनिवार शाम 7.30 बजे सिर्फ कलर्स पर.

घर पर बनाएं गार्लिक चिली प्रौन्स

प्रौन्स को गार्लिक और चिली के साथ बनाया जाता है. इसे बनाना काफी आसान है. इसे आप घर पर होने वाली डिनर पार्टी में भी सर्व कर सकते हैं.

सामग्री

प्रौन्स (4)

एक्ट्रा वर्जिन औलिव औयल (3 टेबल स्पून)

7-8 लहसुन की कलियां ( टुकड़ों में कटा हुआ)

3-4 साबुत लाल मिर्च  (टुकड़ों में कटा हुआ)

नमक (स्वादानुसार)

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बनाने की वि​धि

प्रौन्स को साफ करने उसके शेल्स को अलग कर लें.

एक पैन में तेल को गर्म करें, इसे लहसुन और अदरक डालें,  इसे एक मिनट पकाएं.

अब इसमें प्रौन्स डालें और इसमें अब 30 मिनट तक इसे भूनें.

इसमें अब नमक डालें.

इसे एक मिनट ​और पकने दें और इसे आधा ढककर पकाएं.

जब इसका रंग पिंक दिखाई देने लगे तो गैस बंद करके इसे गर्मागर्म सर्व करें.

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