उत्तर प्रदेश राजधानी से 60 किलोमीटर दूर उन्नाव जिला फिर चर्चा में है. एक बार फिर चर्चा बलात्कार यानि रेप है. भाजपा के विधायक कुलदीप सेंगर के समय मामला राजनीतिक था. अब दूसरी घटना में लड़की को जलाने के बाद मामला राजनीतिक कम सामाजिक अधिक बन गया है. अब लोकसभा में हंगामा होकर मांग की जा रही है कि महिला सुरक्षा दिवस मनाया जाये. उत्तर प्रदेश की विधानसभा के बाहर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव धरने पर बैठे. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ के दो दिन के दौरे से समय निकाल कर उन्नाव लड़की के घर वालों से मिलने गई. देश में एक बार फिर रेप की घटना चर्चा में है. उत्तर प्रदेश सरकार को बचाने में लगे लोग पूरे मामले में लड़की जलाने की वीभत्स घटना की चर्चा करने के बजाय प्रेम प्रंसग की चर्चा करके मामले को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं.
इस बार रेप कांड सामाजिक है. उन्नाव जिले की पुलिस पूरे मामले में घटना को प्रेमप्रसंग मानकर दरकिनार कर रही थी लड़की की मौत के बाद भी वह इसे प्रेम प्रंसग मान कर हैदराबाद वाली घटना जितना गंभीर नहीं मान रही है. लड़का लड़की दोनों ही गांव के रहने वाले थे. आपस में करीबी थे. दोनों का आपस में घरो में आना जाना था. अंतर था कि लड़की गरीब परिवार से थी. लड़के का परिवार गांव के प्रधान का करीबी परिवार था.
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. जहां प्रेम को रोकने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा शपथ ग्रहण करते ही ‘एंटी रोमियो दल’ का गठन किया गया था. मामला एक ही धर्म के लोगों का था ऐसे में ‘एंटी रोमियो दल’ और पुलिस के लिये यह कोई बड़ी बात नहीं थी. धर्म आधारित सत्ता तो रामायण और महाभारत काल से ही छले जाने पर औरत को ही दोषी मानती थी. अहिल्या का पत्थर बना दिया जाना, सीता का घर से निकाला जाना और कुंती का पुत्र को त्याग करने जैसी बहुत सी घटनायें उदाहरण है. ऐसे में उन्नाव के हिन्दूपुर गांव की लड़की को भी गलत ही माना जाना था.
पुलिस और समाज दोनों ही अपराध की गंभीरता की जगह पर सेक्स के औचित्य पर बहस कर रहे है. यहां यह भूल जाते है कि कानून बिना सहमति के पत्नी के साथ सेक्स संबंधों को भी अपराध मानती है. कानून लालच और लाचारी में बने सहमति के सेक्स संबंधों को भी बलात्कार मानता है. कानून की परवाह हैदराबाद से लेकर उन्नाव तक पुलिस में नजर नहीं आती. वह आदमी देखकर कानून का पालन करती है. यही वजह है हैदराबाद का बलात्कार और उन्नाव का बलात्कार उसे फर्क फर्क लगता है.
प्रेम प्रसंग की आड़ में छिपाया जा रहा गुनाह
उन्नाव कांड में लड़की का गुनाह प्रेम प्रसंग था. मामला प्रेम प्रंसग का था. इसी कारण पुलिस ने लड़की की शिकायत करने के बाद भी उसकी शिकायत पर रेप करने का मुकदमा नहीं लिखा. सामान्यतौर पर पुलिस प्रेम प्रसंग के मामलों में पुलिस का रवैया यही होता है. लड़की के गांव नाम हिन्दूपुर है. यह उन्नाव जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर पर स्थित है. यह गांव उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र में आता है. लड़की का परिवार गांव के गरीब परिवार में आता है. लड़की पांच बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी थी. गांव के अंदर इनका कच्चे घर बना है. लड़की घर के कामकाज से अकेले ही घर से बाहर आती जाती रहती थी.
हिन्दूपुर गांव की प्रधान महिला है. पीड़ित लडकी का प्रधान के घर आना जाना था. प्रधान के कारण ही लड़की के परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल जाता था. इस कारण से लड़की का परिवार प्रधान के परिवार के दबाव में भी रहता था. लड़की के घर से कुछ दूरी पर ही लडके शिवम त्रिवेदी का भी घर है. इन लोगों की आपस में पहले जानपहचान हुई फिर मामला प्रेम प्रंसग में बदल गया. लड़की का आरोप है कि लड़का 2018 में उसको रायबरेली लेकर गया और वहां एक कमरा लेकर रहने लगा. वहां शारीरिक संबंधों के बाद जब लड़की ने शादी करने का दबाव डाला तो लड़का उसको शादी का झांसा देकर मंदिर ले गया. यहां उसने अपने दोस्तों के साथ गैंगरेप किया.
दिसम्बर 2018 में इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने लब लड़की ने पुलिस के पास गई तो वहां मुकदमा दर्ज नही हुआ. तब लड़की ने कोर्ट का सहारा लेकर अपने गैंगरेप का मुकदमा लिखाया. इसी प्रकरण में आरोपी शिवम त्रिवेदी जेल गया. प्रेम प्रंसग के बाद ही उपजे इन हालातों की वजह से परिवारों में आपस में मनमुटाव शुरू हो गया. दोस्ती दुश्मनी में बदल गई. लड़के के परिवार के लोगों का मानना है कि लड़की ने रेप, गैंगरेप की बात झूठी बोली और मुकदमा लिखाया. मार्च 2019 में शिवम के जेल जाने के बाद वह जमानत पर छूटकर आया.
रेप के मुकदमें का बदला
घटना के दिन गुरूवार 3 दिसम्बर 2019 को लड़की अपने केस की पैरवी के लिये वकील से मिलने रायबरेली जाने वाली थी. गांव से 2 किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन जा रही थी जहां 5 बजे ट्रेन आने का समय होता था. गांव से स्टेशन तक के रास्ते का कुछ हिस्सा दिन में सूनसान रहता था. सुबह 4 बजे तो वहां लोग होते ही नहीं थे. इसी वजह से लड़की को खुद को बचाने के लिये कुछ दूर दौड़ना पड़ा था. जली हालत में लड़की खुद को बचाने के लिये दौड़ी तो आग और भड़क गई और उसके कपडे जल कर जिस्म से चिपक गये थे. लड़की के कहने पर रास्ते में रहने वालों ने डायल 112 को जानकारी दी तब पुलिस वहां पहुंची.
लड़की ने जली हालत में पुलिस और प्रशासन को अपने उपर मिट्टी का तेल डालकर जलाने वालों के नाम बताये. 90 फीसदी जली हालत में लड़की को पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और फिर देश की राजधानी दिल्ली इलाज के लिये ले जायी गई. जिंदगी और मौत के बीच 3 दिन संघर्ष करने के बाद दम तोड़ दिया. लड़की के पिता को दुख है कि घटना के दिन वह लेकर छोड़ने स्टेशन तक नहीं गये. लड़की खुद अपनी लड़ाई लड़ रही थी. इस कारण वह आत्मविश्वास में थे. इसके पहले वह लड़की को छोड़ने स्टेशन तक जाते थे.
आरोपियों के परिवार के लोग कहते है कि गुनाह उनके घर वालों ने नहीं किया उनको साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. साजिश का पर्दाफाश करने के लिये सीबीआई जांच की जरूरत है. परिवार के लोग कहते हैं कि लड़की को जलाने की घटना जिस समय ही है उस समय उनके लड़के घरो में सो रहे थे. पुलिस ने उनको सोते समय घर से पकड़ा है. अगर उन्होंने अपराध किया होता तो आराम से घर में सो नहीं रहे होते. कानून मानता है कि मरते समय का दिया गया बयान सत्य माना जाता है. ऐसे में कौन सच है यह जांच का विषय हो सकता है. अगर लड़की को जलाते किसी ने लड़कों को उन्नाव में नहीं देखा तो हैदराबाद में भी लड़कों को कुकर्म करते किसी ने नहीं देखा था.
सवाल उठाता है उन्नाव कांड में लड़की ने जली अवस्था में लड़कों के नाम क्यों बताये ? उस समय तक लड़की यह समझ चुकी थी कि उसकी मौत तय है. वह सबसे पहले अपने साथ हुई घटना की गवाही देना चाहती थी. जिसकी वजह से उसने पुलिस और प्रशासन के लोगों को बयान दिया.