केंद्र सरकार ने कुछ महीनों पहले ही जम्मू कश्मीर को स्पेशल दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया. तमाम राजनीतिक दलों के विरोध को दरकिनार करते हुए सरकार ने इस फैसले को ले लिया. सरकार के पास तर्क था कि इससे घाटी की स्थितियां सुधरेगी लेकिन अब सरकार को खुद लग गया कि इसको हटाने के बाद भी घाटी के हालात पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. हालांकि तब से लेकर अभी तक घाटी में कई बार आतंकी वहां के आम लोगों को निशाना जरूर बना चुके हैं. कश्मीर के व्यवसाय की बात करें तो उसमें भी खासा फर्क पड़ा है. उसका कारण है कि आतंकी उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जोकि वहां पर कारोबार करता है. आतंकी कई सेब व्यापारियों को भी जान से मार चुके हैं.
केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी सीमा पार से आतंकी घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं. अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक घुसपैठ के 84 प्रयास हुए हैं, इस दौरान 59 आतंकियों के सीमा में घुसने की खबर है. लोकसभा में मंगलवार को हुए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. दरअसल, आंध्र प्रदेश की इलुरु सीट से वाईएसआर कांग्रेस सांसद श्रीधर कोटागिरी ने पूछा था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद नियंत्रण रेखा पार कर भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की संख्या कितनी है. उन्होंने यह भी पूछा था कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए एवं पकड़े गए आतंकवादियों की संख्या कितनी है?
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लिखित जवाब में गृह मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1990 से लेकर एक दिसंबर 2019 तक सुरक्षा बलों ने आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में संलिप्त 22,527 आतंकवादियों को मार गिराया है. सुरक्षा बलों की प्रभावी निगरानी के कारण वर्ष 2005 से लेकर 31 अक्टूबर, 2019 तक सीमापार से घुसपैठ के प्रयासों के दौरान 1011 आतंकी मारे गए, वहीं 42 आतंकी गिरफ्तार किए गए, जबकि 2253 आतंकवादी खदेड़े गए.
गृह मंत्रालय ने बताया कि घुसपैठ के प्रयासों को विफल करने के लिए निरंतर डोमिनेशन औपरेशन (निरंतर प्रभुत्व कायम रखने) की कार्रवाई की जा रही है. सीमा पर घुसपैठ रोधी मजबूत ग्रिड भी उपलब्ध है.
अगस्त महीने के पहले सप्ताह में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने की घोषणा की गई है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आदेश के बाद भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इसकी घोषणा की. गृह मंत्री ने सदन में कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खंड एक को छोड़कर सभी प्रावधानों को खत्म किया जा रहा है. साथ ही लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर से अलग किया जा रहा है.