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प्रैगनैंसी रोकने में क्या कंडोम वास्तव में कारगर उपाय है ?

सवाल

मैं 27 वर्षीय अविवाहित युवती हूं और रिलेशनशिप में हूं. फिलहाल शादी की कोई इच्छा नहीं है. सैक्स के दौरान बौयफ्रैंड कंडोम का प्रयोग करता है. मैं जानना चाहती हूं कि प्रैगनैंसी रोकने में क्या कंडोम वास्तव में कारगर उपाय है? क्या 2 कंडोम एकसाथ इस्तेमाल किए जा सकते हैं ताकि सैक्स पूरी तरह सुरक्षित हो?

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जवाब

कंडोम गर्भनिरोध का आसान व बेहतर विकल्प माना जाता है. यह बाजार में सहजता से उपलब्ध भी है. इस का प्रयोग न सिर्फ प्रैगनैंसी बल्कि एसटीडी जैसी समस्याओं से भी शरीर को सुरक्षित रखता है.

सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करते हुए गर्भ तभी ठहर सकता है जब कंडोम फट जाए. अमूमन घटिया क्वालिटी के कंडोम के ही फटने का डर रहता है. अत:आप अपने बौयफ्रैंड से इस बारे में खुल कर बात करें. उस से कहें कि वह ब्रैंडेड कंडोम का ही इस्तेमाल करे. ब्रैंडेड कंडोम्स लौंगलास्टिंग होते हैं और जल्द नहीं फटते. अब तो बाजार में कई फ्लेवर्स में कंडोम उपलब्ध हैं, जो सैक्स को और अधिक रोमांचक बनाते हैं.

रही बात 2 कंडोम का एकसाथ प्रयोग करने की, तो इसे उचित नहीं माना जा सकता, क्योंकि सैक्स के दौरान एकदूसरे से रगड़ खाने पर ये फट सकते हैं. यही नहीं कंडोम का फटना एकदूसरे को चरमसुख से भी वंचित कर सकता है.

कंडोम हालांकि गर्भनिरोध का बेहतर साधन है, बावजूद इस के आप चाहें तो सैक्स के दौरान वूमन वैजाइनल कौंट्रासैप्टिव पिल्स का भी प्रयोग कर सकती हैं. इस से आप सैक्स का बिना किसी भय पूरापूरा आनंद ले सकती हैं. मगर बौयफ्रैंड को कंडोम लगाने को जरूर कहें.

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आसरा : भाग 2

उस दिन मां के डांटने के बाद जया समझ गई कि अब उस का घर से निकल पाना किसी कीमत पर संभव नहीं है. बस, यही एक गनीमत थी कि उसे स्कूल जाने से नहीं रोका गया था और स्कूल के रास्ते में उसे करन से मुलाकात के दोचार मिनट मिल जाते थे. आशा ने बेटी के गुमराह होते पैरों को रोकने का भरसक प्रयास किया, लेकिन जया ने उन की एक नहीं मानी.

एक दिन आशा को अचानक किसी रिश्तेदारी में जाना पड़ा. जाना भी बहुत जरूरी था, क्योंकि वहां किसी की मृत्यु हो गई थी. जल्दबाजी में आशा छोटे बेटे सोमू को साथ ले कर चली गई. जया पर प्यार का नशा ऐसा चढ़ा था कि ऐसे अवसर का लाभ उठाने से भी वह नहीं चूकी. उस ने छोटी बहन अनुपमा को चाकलेट का लालच दिया और करन से मिलने चली गई.

जया ने फोन कर के करन को बुलाया और उस के सामने अपनी मजबूरी जाहिर की. जब करन कोई रास्ता नहीं निकाल पाया तो जया ने बेबाक हो कर कहा, ‘अब मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती, करन. हमारे सामने मिलने का कोई रास्ता नहीं बचा है.’

जया की बात सुनने के बाद करन ने उस से पूछा, ‘मेरे साथ चल सकती हो जया?’

‘कहां?’ जया ने रोंआसी आवाज में कहा, तो करन बेताबी से बोला, ‘कहीं भी. इतनी बड़ी दुनिया है, कहीं तो पनाह मिलेगी.’

…और उसी पल जया ने एक ऐसा निर्णय कर डाला जिस ने उस के जीवन की दिशा ही पलट कर रख दी.

इस के ठीक 5-6 दिन बाद जया ने सब अपनों को अलविदा कह कर एक अपरिचित राह पर कदम रख दिया. उस वक्त उस ने कुछ नहीं सोचा. अपने इस विद्रोही कदम पर वह खूब खुश थी क्योंकि करन उस के साथ था. करन जया को ले कर नैनीताल चला गया और वहां गेस्टहाउस में एक कमरा ले कर ठहर गया.

करन का दिनरात का संगसाथ पा कर जया इतनी खुश थी कि उस ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि उस के इस तरह बिना बताए घर से चले जाने पर उस के मातापिता पर क्या गुजर रही होगी. काश, उसे इस बात का तनिक भी आभास हो पाता.

जया दोपहर को उस वक्त घर से निकली थी जब आशा रसोई में काम कर रही थीं. काम कर के बाहर आने के बाद जब उन्हें जया दिखाई नहीं दी तो उन्होंने अनुपमा से उस के बारे में पूछा. उस ने बताया कि दीदी बाहर गई हैं. यह जान कर आशा को जया पर बहुत गुस्सा आया. वह बेताबी से उस के लौटने की प्रतीक्षा करती रहीं. जब शाम ढलने तक जया घर नहीं लौटी तो उन का गुस्सा चिंता और परेशानी में बदल गया.

8 बजतेबजते किशन भी घर आ गए थे, लेकिन जया का कुछ पता नहीं था. बात हद से गुजरती देख आशा ने किशन को जया के बारे में बताया तो वह भी घबरा गए. उन दोनों ने जया को लगभग 3-4 घंटे पागलों की तरह ढूंढ़ा और फिर थकहार कर बैठ गए. वह पूरी रात उन्होंने जागते और रोते ही गुजारी. सुबह होने तक भी जया घर नहीं लौटी तो मजबूरी में किशन ने थाने जा कर उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

बेटी के इस तरह गायब हो जाने से किशन का दुख और चिंता से बुरा हाल था. उधर आशा की स्थिति तो और भी दयनीय थी. उन्हें रहरह कर इस बात का पछतावा हो रहा था कि उन्होंने जया के घर से बाहर जाने वाले मामले की खोजबीन उतनी गहराई से नहीं की, जितनी उन्हें करनी चाहिए थी. इस की वजह यही थी कि उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था.

किशन और आशा बेटी को ले कर एक तो वैसे ही परेशान थे, दूसरे जया के गायब होने की बात फैलने के साथ ही रिश्तेदारों और परिचितों द्वारा प्रश्न दर प्रश्न की जाने वाली पूछताछ उन्हें मानसिक तौर पर व्यथित कर रही थी. मिलनेजुलने वाले की बातों और परामर्शों से परेशान हो कर किशन और आशा ने घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया था.

उधर जया मातापिता पर गुजर रही कयामत से बेखबर नैनीताल की वादियों का आनंद उठा रही थी. करन के प्यार का नशा उस पर इस तरह से चढ़ा हुआ था कि उसे अपने भविष्य के बारे में सोचने का भी  होश नहीं था. उसे यह भी चिंता नहीं थी कि जब उस के घर से लाए पैसे खत्म हो जाएंगे, तब क्या होगा? और यह सब उस की उस नासमझ उम्र का तकाजा था जिस में भावनाएं, कल्पनाएं तथा आकर्षण तो होता है, लेकिन गंभीरता या परिपक्वता नहीं होती.

किशन की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने काररवाई शुरू की तो शीघ्र ही जया की गुमशुदगी का रहस्य खुल कर सामने आ गया. पुलिस द्वारा जया की फोटो दिखा कर की गई पूछताछ के दौरान पता चला कि वह लड़की नैनीताल जाने वाली बस में चढ़ते देखी गई थी. बताने वाले दुकानदार ने पुलिस को यह जानकारी भी दी कि उस के साथ एक लड़का भी था, इतना पता चलते ही पुलिस उसी दिन नैनीताल के लिए रवाना हो गई. नैनीताल पहुंचने के बाद पुलिस ने जया की खोज गेस्टहाउसों से ही शुरू की, क्योंकि दिनरात के अनुभवों के आधार पर पुलिस वालों का नजरिया था कि घर से भागे किशोरवय प्रेमीप्रेमिका पैसा कम होने की वजह से होटल के बजाय छोटेमोटे गेस्टहाउसों को ही अपना ठिकाना बनाते हैं. पुलिस का अनुमान ठीक निकला. एक गेस्टहाउस के केयरटेकर ने पुलिस वालों को बताया कि कम उम्र का एक प्रेमीयुगल 4 दिन पहले उस के यहां आ कर ठहरा था. पुलिस ने एंट्री रजिस्टर में उन का नाम और पता देखा, तो दोनों ही गलत दर्ज थे.

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इस बीच पुलिस द्वारा गेस्टहाउस में की जाने वाली जांचपड़ताल का पता सब को चल चुका था. पुलिस का नाम सुनते ही करन के होश उड़ गए. उस ने बचे हुए पैसे अपनी जेब में डाले और जया से बोला, ‘‘तुम डरना नहीं जया. मैं 10-15 मिनट में लौट आऊंगा.’’

जया ने करन को रोकने की कोशिश भी की, लेकिन वह एक झटके से कमरे के बाहर हो गया. पुलिस जब तक जया के कमरे पर पहुंची, तब तक करन उस की पहुंच से बाहर निकल चुका था. मजबूरी में पुलिस जया को ले कर लौट आई.

जया के बरामद होने की सूचना पुलिस ने उस के घर भेज दी थी. किशन को जब इस बात का पता चला कि जया किसी लड़के के साथ भागी थी तो अपनी बेटी की इस करतूत से उन का सिर हमेशा के लिए झुक गया था. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह लोगों का सामना कैसे कर पाएंगे. जया ने उन्हें कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा था. किशन में अब इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि वह पुलिस थाने जा कर जया को ले आते. वह यह भी जानते थे कि जया के मिलने की खबर पाते ही रिश्तेदारों और परिचितों का जो तूफान उठेगा, वह उस का सामना नहीं कर पाएंगे.

जया की बरामदगी के बाद पुलिस द्वारा किशन को लगातार संदेश दिया जा रहा था कि वह अपनी बेटी को ले जाएं. जब पुलिस का दबाव बढ़ा तो किशन आपा खो बैठे और थाने जा कर पुलिस वालों से दोटूक कह दिया कि वह बेटी से अपने सारे संबंध खत्म कर चुके हैं. अब उस से उन का कोई रिश्ता नहीं है. वह अपनी रिपोर्ट भी वापस लेने को तैयार हैं.

एक झटके में बेटी से सारे नाते तोड़ कर किशन वहां से चले गए. तब मजबूरी में पुलिस ने जया को हवालात से निकाल कर नारीनिकेतन भेज दिया. जब जया ने वहां लाने की वजह जाननी चाही, तो एक पुलिसकर्मी ने व्यंग्य करते हुए उसे बताया, ‘घर से भागी थी, अपने यार के साथ, अब नतीजा भुगत. तेरे घर वाले तुझे ले जाने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने तुझ से रिश्ता खत्म कर लिया है. अब नारीनिकेतन तेरा ‘आसरा’ है.’

अतीत की लडि़यां बिखरीं तो जया यथार्थ में लौटी. अब उस की जिंदगी का सच यही था जो उस के सामने था. उस ने रोरो कर सूज चुकी आंखों से खिड़की के पार देखना चाहा तो उसे दूरदूर तक फैले अंधेरे के अलावा कुछ नजर नहीं आया. धूप का वह टुकड़ा भी न जाने कब, कहां विलीन हो गया था. जया के मन में, जीवन में और बाहर चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था. इस अंधेरे में अकेले भटकतेभटकते उस का मन घबराया तो उसे मां का आंचल याद आया. वह बचपन में अकसर अंधेरे से डर कर मां के आंचल में जा छिपती थी, लेकिन अब वहां न तो मां थी और न मां का आंचल ही था.

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जिंदगी के इस मोड़ पर आ कर जया को अपनों की अहमियत का पता चला. उसे इस बात का एहसास भी अब हुआ कि मांबाप बच्चों की भलाई और उन के सुरक्षित भविष्य के लिए ही उन पर पाबंदियां लगाते हैं. मातापिता के सख्ती बरतने के पीछे भी उन का प्यार और बच्चों के प्रति लगाव ही होता है. उसे इस बात का बेहद पछतावा था कि उस ने समय रहते मम्मी और पापा की भावनाओं की कद्र की होती तो उस का उज्ज्वल भविष्य नारीनिकेतन के उस गंदे से कमरे में दम न तोड़ रहा होता और जिस करन के प्यार के खुमार में उस ने अपनों को ठुकराया, वही करन उसे बीच मझधार में छोड़ कर भाग खड़ा हुआ. उस ने एक बार भी पलट कर यह देखने की कोशिश नहीं की कि जया पर क्या बीत रही होगी. करन की याद आते ही जया का मन वितृष्णा से भर उठा. उसे अपने आप पर ग्लानि भी हुई कि एक ऐसे कृतघ्न के चक्कर में पड़ कर उस ने अपनी जिंदगी तो बर्बाद की ही, अपने परिवार वालों का सम्मान भी धूल में मिला दिया.

अपनी भूल पर पछताती जया न जाने कब तक रोती रही. जब बैठेबैठे वह थक गई तो सीलन भरे नंगे फर्श पर ही लेट गई. आंखों से आंसू बहतेबहते कब नींद ने उसे अपने आगोश में समेट लिया, जया को पता ही न चला. अपनी बदरंग जिंदगी बिताने के लिए उसे आखिर एक ‘आसरा’ मिल ही गया था. नारीनिकेतन के सीलन भरे अंधेरे कमरे का वह कोना, जहां जिंदगी से थकीहारी जया नंगे फर्श पर बेसुध सो रही थी

ड्राइंग रूम सजाने के ये हैं 5 बेहतरीन तरीके

घर के ड्राइंग रुम का सेंटर टेबल एक बेहद जरुरी हिस्सा होता है. सजा हुआ सेंटर टेबल न केवल खाली जगहों को भरता है बल्कि सोफा सेट को नया लुक प्रदान करने में मदद करता है. घरों में सेंटर टेबल का उपयोग समाचार पत्र, टीवी रिमोट, किताबें और रखने के लिए ही होता है, पर अगर आप इसे खूबसूरती के साथ सजाएगें तो यह आपके  ड्राइंग रुम को नया लुक देगा.

ड्राइंग रूम सजाने के टिप्‍स

  • खूबसूरत फूल, बोंसाई, मोमबत्तियां, मूर्तियां और क्रिस्‍टल आदि आपकी टेबल का रुप रंग दोनों ही निखार सकती हैं। इनका प्रयोग जरुर करना चाहिए।
  • ड्राइंगरूम की सजावट और थीम को ध्‍यान में रखते हुए सेंटर टेबल को सजाना चाहिए। जब भी कोई त्‍योहार हो, तब ही टेबल का लुक बदलें वरना सिंपल तरह से सजाया हुआ सेंटर टेबल ही सही लगता है.
  • 4 सेंटर टेबल केवल देखने भर के लिए ही नहीं होता पर आप चाहें तो उसको महका भी सकती हैं. आप केवल खूब सारी सुगंधित मोमबत्तियों को एक साथ बांध कर रख दें और जब शाम हो तो उन्‍हें जला दें.
  • अगर आप सेंटर टेबल को सजाने के लिए ज्‍यादा कुछ नहीं कर सकतीं तो उसपर फूलों के पत्‍तों से भरा हुआ एक बड़ा सा कटोरा पानी डाल कर रख दें. साथ ही बीच में तैरती हुई मोमबत्‍तियां डालना न भूलें.
  • कई लोग अपनी टेबल को सजाने के लिए उसे खूब सारी चीजों से भर देते हैं, जो कि उन्‍हें बिल्‍कुल भी नहीं करना चाहिए. अपनी टेबल को साफ सुथरा और सिंपल ही रखना चाहिए।

आप चाहें तो अपने मेहमानों के लिए टेबल के अंदर स्‍टैंड पर कुछ नई मैगजीन, किताब या फिर समाचार पत्र भी रख सकते हैं.

ऐसे डालें बच्चों में हैंडवाश की आदत

बच्चों के नन्हेंनन्हें हाथ जहां प्यारेप्यारे से लगते हैं, वहीं वे जर्म से भी भरे होते हैं, क्योंकि वे अकसर मिट्टी में खेलते हैं. उन का दिमाग हर समय शरारतों में लगा रहता है. ऐसे में उन्हें मस्ती की इस उम्र में शरारतें करने से तो नहीं रोक सकते लेकिन उन्हें हैंडवाश का महत्त्व जरूर बता सकते हैं.

अकसर संक्रामक रोग का कारण गंदगी व हाथ नहीं धोना ही होता है और इस कारण कई बच्चे बीमार व मृत्यु के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में हैंडवाश की हैबिट इस अनुपात को आधा करने में सहायक हो सकती है.

हाथों में सब से ज्यादा जर्म

हाथों में 2 तरह के रोगाणु होते हैं, जिन्हें सूक्ष्मजीव भी कहा जाता है. एक रैजिडैंट और दूसरे ट्रैजेंट सूक्ष्मजीव. जो रैजिडैंट सूक्ष्मजीव होते है, वे स्वस्थ लोगों में बीमारियों का कारण नहीं बनते हैं, क्योंकि वे हमेशा हाथों में रहते हैं और हैंडवाश से भी नहीं हटते, जबकि ट्रैजेंट सूक्ष्मजीव आतेजाते रहते हैं. ये खांसने, छींकने, दूषित भोजन को छूने से हाथों पर स्थानांतरित हो जाते हैं. फिर जब एक बार कीटाणु हाथों को दूषित कर देते हैं तो संक्रमण का कारण बनते हैं. इसलिए हाथों को साबुन से धोना बहुत जरूरी है.

न्यूजीलैंड में हुई एक रिसर्च के अनुसार, टौयलेट के बाद 92% महिलाएं व 81% पुरुष ही साबुन का इस्तेमाल करते हैं, जबकि यूएस की रिसर्च के अनुसार सिर्फ 63% लोग ही टौयलेट के बाद हाथ धोते हैं. उन में भी सिर्फ 2% ही साबुन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप पानी व साबुन से हैंडवाश की आदत डालें ताकि आप के बच्चे भी आप को देख कर यह सीखें.

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क्या हैं ट्रिक्स, जो बच्चों में हैंडवाश की आदत डालेंगे:

फन विद लर्न: आप अपने बच्चों को सिखाएं कि जब भी बाहर से आएं, टौयलेट यूज करें. जब भी किसी ऐनिमल को टच करें, छींकें, खांसें तब हैंडवाश जरूर करें वरना कीटाणु बीमार कर देंगे. आप भी उन के इस रूटीन में भागीदार बनें. उन से कहें कि जो जल्दी हैंडवाश करेगा वही विनर बनेगा. अब देखते हैं तुम या मैं, यह फन विद लर्न गेम उन में हैंडवाश की हैबिट को डैवलप करने का काम करेगा.

स्मार्ट स्टूल्स: कई घरों में हैंडवाश करने की जगह बहुत ऊंची होती है, जिस कारण बच्चे बारबार उस जगह जाना पसंद नहीं करते. ऐसे में आप उन के लिए स्मार्ट सा स्टूल रखें, जिस पर चढ़ना उन्हें अच्छा लगे और वे उस पर चढ़ कर हैंडवाश करें. साथ ही टैप्स में स्मार्ट किड्स फौसिट ऐक्सटैंड, जो बर्ड्स की शेप के आते हैं लगाएं. ये सब चीजें बच्चों को अट्रैक्ट करने के साथसाथ उन में हैंडवौश की आदत डालने का काम करती हैं.

जर्म फ्री हैंड्स: ‘जर्म मेक मी सिक’ क्या तुम चाहते हो कि तुम्हें जर्म बीमार कर दें और तुम उस कारण न तो स्कूल जा पाओ और न ही दोस्तों के साथ खेल पाओ? नहीं न, तो फिर जब भी हैंडवाश करो तो सिर्फ पानी से ही नहीं, बल्कि साबुन से रगड़रगड़ कर अपनी उंगलियों, हथेलियों व अंगूठों को अच्छी तरह साफ करो. इस से तुम्हें जर्म फ्री हैंड्स मिलेंगे.

टीच बाई ग्लिटर मैथड: अगर आप के बच्चे अच्छी तरह हैंडवाश नहीं करते हैं तो आप उन्हें ग्लिटर के माध्यम से जर्म के बारे में समझाएं. इस के लिए आप उन के हाथों पर ग्लिटर डालें, फिर थोड़े से पानी से हैंडवाश कर के टौवेल से पोंछने को कहें. इस के बाद भी उन के हाथों में ग्लिटर रह जाएगा, तब आप उन्हें समझाएं कि अगर आप अच्छी तरह हैंडवाश नहीं करेंगे तो जर्म आप के हाथों में रह कर के आप को बीमार कर देंगे.

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फन सौंग्स से डालें आदत: अपने बच्चों में फन सौंग्स गा कर हैंडवाश की हैबिट डालें. जैसे जब भी वे खाना खाने बैठें या फिर टौयलेट से आएं तो उन्हें हैंडवाश कराते हुए कहें,

वाश योर हैंड्स, वाश योर हैंड्स

बिफोर यू ईट, बिफोर यू ईट,

वाश विद सोप ऐंड वाटर, वाश विद सोप ऐंड वाटर,

योर हैंड्स आर क्लीन, यू आर रैडी टू ईट,

वाश योर हैंड्स, वाश योर हैंड्स,

आफ्टर टौयलेट यूज, वाश योर हैंड्स विद सोप ऐंड वाटर,

टू कीप डिजीज अवे.

यकीन मानिए ये ट्रिक आप के बहुत

काम आएंगे.

अट्रैक्टिव सोप डिस्पैंसर: बच्चे अट्रैक्टिव चीजें देख कर खुश होते हैं. ऐसे में आप उन के लिए अट्रैक्टिव हैंडवाश डिस्पैंसर लाएं, जिसे देख कर उन का बारबार हैंडवाश करने को मन करेगा.

मुमकिन नहीं इन्हें रोक पाना

खेल का मैदान हो या बुलंदियों का मुकाम महिलाएं कहीं पीछे नहीं हैं. जितने समर्पण के साथ वे घर संभालती हैं उतने ही जनून से अपने देश के लिए खेलती भी हैं. क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, वौलीबौल से ले कर शूटिंग या फिर कुश्ती हर खेल में लड़कियां अपना जौहर दिखा रही हैं और देश का नाम रोशन कर रही हैं. कठिन से कठिन स्थितियों और संघर्षों के दौर में भी अपने जनून और जज्बे के बल पर उन्होंने कामयाबी की वह मंजिल पाई है जहां पहुंचना हर दिल का सपना होता है. आइए, ऐसी ही कुछ सफल बालाओं के संघर्ष भरे सफर पर एक नजर डालते हैं:

भरतनाट्यम छोड़ थामा बल्ला

मिताली राज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं. भारतीय महिला क्रिकेट की तेंदुलकर के उपनाम से जानी जाने वाली मिताली के नाम भारत की ओर से सब से ज्यादा रन बनाने का रिकौर्ड है. वे सब से ज्यादा रन बनाने के मामले में पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं. इस के साथ ही उन्होंने वनडे मैचों में लगातार 7 अर्ध शतक लगाने का भी वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है.

34 साल की मिताली 5 वर्ल्ड कप खेल चुकी हैं. 2005 के विश्व कप में मिताली ने पहली बार टीम की कप्तानी की थी और भारत उपविजेता रहा था. 3 दिसंबर, 1982 को जन्मी मिताली राज ने यहां तक पहुंचने में कई उतारचढ़ाव देखे हैं.

मिताली राज ने बचपन में ही ‘भरतनाट्यम’ सीखा और कई स्टेज शो भी किए. 10 साल की उम्र में भरतनाट्यम और क्रिकेट में से किसी एक को चुनने की बारी आई तो उन्होंने क्रिकेट ही चुना. वे हमेशा लीक से हट कर कुछ करने में यकीन रखती हैं. शुरुआती दिनों में जब अपनी साथी खिलाड़ी के साथ किट ले कर खेलने जाती थीं तो लोग यही समझते थे कि हौकी प्लेयर हैं. उस वक्त लोग सोच ही नहीं पाते थे कि लड़कियों की भी क्रिकेट टीम होगी.

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मिताली की मां लीला राज एक अधिकारी थीं और पिता डोराई राज बैंक में नौकरी करने से पहले एयर फोर्स में कार्यरत थे. मिताली के पिता ने उन के यात्रा खर्च को उठाने के लिए अपने खर्चों में कटौती की. इसी तरह उन की मां लीला राज ने भी बेटी के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि जब बेटी प्रैक्टिस से घर लौटे तो वे अपनी बेटी का खयाल रख सकें.

2009 में मिताली ने सोचा था कि वे क्रिकेट से संन्यास ले लेंगी, लेकिन तब उन के मांबाप का संघर्ष उन के सामने आ गया. उन के संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए मिताली ने खेलना जारी रखा. आज मिताली का नाम भारत की सब से ज्यादा कमाई करने वाली खिलाडि़यों में शुमार है. साधारण परिवार में जन्मी मिताली ने क्रिकेट में मेहनत और प्रतिभा से जो मुकाम हासिल किया है, वह अन्य महिला खिलाडि़यों के प्रेरणादाई है.

मिताली मैदान के बाहर भी अपने ग्लैमरस लुक, सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती हैं. उन्हें अपने खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है.

कट्टरपंथियों के निशाने पर रहीं सानिया

भारत की सब से सफल महिला टेनिस खिलाडि़यों में से एक सानिया मिर्जा से शायद ही देश का कोई व्यक्ति अपरिचित होगा. वे प्रोफैशनल टेनिस प्लेयर हैं और ग्रैंड स्लैम टूरनामैंट जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.

सानिया भारत की सर्वोच्च रैंक हासिल करने वाली खिलाड़ी हैं, जो 2007 के बीच वर्ल्ड रैंकिंग में 27वें नंबर पर पहुंच गई थीं. सानिया 3 मल्टी मेजर इवेंट्स, एशियन गेम्स, कौमनवैल्थ गेम्स और एफ्रोएशियन गेम्स में कुल मिला कर 14 से ज्यादा मैडल जीत चुकी हैं, जिन में 6 गोल्ड मैडल हैं. 2004 में टाइम ने सानिया को 50 हीरोज की लिस्ट में शामिल किया था. 2010 में इकोनौमिक टाइम्स ने सानिया को ‘33 वूमन हू प्राउड नेशन’ की लिस्ट में शामिल किया था.

सानिया को पद्श्री से नवाजा जा चुका है और वे द टाइम्स पत्रिका की 2016 की सूची में दुनिया के 100 सब से प्र्रभावशाली लोगों में भी अपनी जगह बना चुकी है.

सानिया की चर्चा जितनी उन के खेल के लिए होती है उतनी ही उन की खूबसूरती के लिए भी होती है. उन्हें भारतीय खेल जगत की ग्लैमरस डौल भी कहा जा सकता है. वे कई बार धर्मगुरुओं के निशाने पर भी रहीं. अपने खेल के दौरान आए दिन सानिया को कपड़ों को ले कर रूढि़वादियों की बातें सुननी पड़ीं. कितनी ही बार उन के कपड़ों को गैरइस्लामिक कहा गया. कितनी ही बार उन के कपड़ों पर कमैंट किए गए.

सब से पहले 2005 में जब सानिया उभरती खिलाड़ी थीं, एक इसलामी संगठन ने उन की स्कर्ट पर ऐतराज जताया. संगठन ने फतवा जारी किया कि अगर सानिया ढंग के कपड़े पहन कर नहीं खेलीं तो उन्हें टेनिस नहीं खेलने दिया जाएगा. संगठन का कहना था कि सानिया छोटी स्कर्ट और टाइट टौप पहन कर युवाओं को भ्रष्ट कर रही हैं. इसे सपोर्ट करने वाली एक जमात ने यहां तक धमकी दे दी कि अगर सानिया ने फतवे के आदेश पर ध्यान नहीं दिया तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

इस के बाद सानिया ने एक प्रैस कौन्फ्रैंस बुला कर अपनी बात रखी थी. उन के शब्दों में, ‘‘महिलाओं का अच्छी तरह ड्रैसअप होना लोगों को कभी पसंद नहीं आता. अच्छी तरह ड्रैसअप करने वाली महिलाएं कभी इतिहास नहीं बनातीं.’’

2010 में सानिया ने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी कर ली. इसे ले कर भी चरमपंथियों ने काफी बयानबाजी की. अब वे एक बच्चे की मां भी बन चुकी हैं.

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शारापोवा का जनूनी खेल

रूस की स्टार टेनिस खिलाड़ी मारिया शारापोवा ने 35 से ज्यादा डब्लूटीए टाइटल्स जीते हैं जिन में चारों ग्रैंड स्लैम भी शामिल हैं. इस टेनिस सुंदरी का बचपन काफी गरीबी में बीता. उन के पिता की नौकरी छूट जाने के बाद घर में खाने के भी पैसे नहीं थे. पिता ने कई छोटीमोटी नौकरियां कीं. 6 साल की उम्र में मारिया को टेनिस अकादमी जौइन कराने के लिए उन के पिता के पास पूरे रुपए नहीं थे. वैसे भी रूस में टेनिस की ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं. ऐसे में 1993 में शारापोवा का पूरा परिवार बेहतर भविष्य की तलाश में रूस छोड़ कर अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में चला गया.

मारिया के पिता ने शारापोवा के एडमिशन के लिए फ्लोरिडा की प्रसिद्ध निक बोलेटिएरी ऐकैडमी का दरवाजा खटखटाया, मगर प्रशिक्षकों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि मारिया खेलती तो अच्छा है, लेकिन इस का एडमिशन नहीं हो सकता, क्योंकि यह उम्र में छोटी है. यूरी ने हौसला नहीं छोड़ा और 2 साल मजदूरी करते हुए मारिया को पब्लिक कोर्ट पर प्रशिक्षण दिलाया. जल्द ही मारिया को बोलेटिएरी ऐकैडमी में प्रवेश मिल गया और स्कौलरशिप भी मिलने लगी. 2001 में शारापोवा ने प्रोफैशनली खेलना शुरू किया. 15 साल की उम्र में औस्ट्रेलिया ओपन जूनियर टूरनामैंट के फाइनल में पहुंचने वाली शारापोवा सब से कम उम्र की खिलाड़ी बनीं.

17 साल की उम्र में 2004 का विंबलडन खिताब जीतते हुए टेनिस जगत में छा जाने वाली शारापोवा ने 2006 में यूएस ओपन जीता और दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बन गईं. बाद में उन की रैंकिंग लुढ़की, लेकिन फिर टेनिस जगत में उन की मौजूदगी हमेशा महसूस की जाती रही.

मारिया शारापोवा का कैरियर अधिकतर उन के चोटग्रस्त होने से जूझता रहा. इस के बावजूद हर साल 2003 से 2015 तक कम से कम एक सिंगल्स टाइटल जीतने का रिकौर्ड बनाया.

खेल के साथ ही ग्लैमरस पर्सनैलिटी के कारण भी शारापोवा सुर्खियों में रहती हैं. वे मौडलिंग भी करती हैं. उन्हें सिंगिंग, डांसिंग, स्विमिंग और फिल्में देखने का शौक है. किताबें भी पढ़ती हैं. शरलौक होम्स की किताबें उन की पसंदीदा हैं. उन का फाउंडेशन बच्चों के लिए काम करता है. वे अन्य टेनिस खिलाडि़यों के साथ चैरिटी मैच भी आयोजित कर चुकी हैं.

मारिया शारापोवा कई प्रमुख कंपनियों के लिए भी काम कर चुकी हैं जैसे कैनन, कोलगेट, लैंड रोवर, नाइक, पिं्रस, सोनी, टैग ह्यूएर और ट्रौपिकाना आदि. उन का पेप्सी का विज्ञापन जापान में प्रसारित होता है. टेनिस और विज्ञापन जगत में राज करने के साथ ही शारापोवा सर्च इंजन पर भी लोकप्रिय हैं.

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बोल्ड अंदाज वाली सेरेना के जलवे

23 बार की ग्रैंड स्लैम चैंपियन अमेरिका की सेरेना विलियम्स भले ही कोर्ट से दूर हों लेकिन सुर्खियों से कभी दूर नहीं रहतीं. खिलाड़ी के तौर पर नई बुलंदियां छूना, कमाई के मामले में नए रिकौर्ड बनाना, नएनए फैशन के जलवे दिखाने के साथसाथ समयसमय पर औरतों के लिए आवाज उठाना जैसे कामों से वे लाइमलाइट में रहती हैं. खाली समय में बोल्ड अदाओं से प्रशंसकों का ध्यान खींचती रहती हैं. वे कभी ट्विटर पर अपनी बिकिनी पिक्स पोस्ट कर सनसनी फैलाती हैं तो कभी अपनी ड्रैसिंग सैंस को ले कर सुर्खियों में आ जाती हैं. हाल ही में एक मैगजीन के लिए अपने अनोखे और खूबसूरत फोटो सैशन से मातृत्व का एक अलग ही अंदाज पेश कर वे प्रैगनैंसी के दौरान भी सोशल नैटवर्किंग साइट पर छा गई थीं.

गर्भवती सेरेना ने अपने मंगेतर एलेक्सिस ओहानियन के पहले बच्चे को जन्म देने से पहले एक न्यूड फोटोशूट कराया, जिस में उन का उभरा पेट दिखाई दे रहा है और अपनी ब्रैस्ट को हाथों से ढका था जबकि कमर पर मात्र एक चेन पहनी हुई थी.

मां बनने के बाद भी सेरेना कामकाजी मांओं के लिए एक आदर्श बन कर उभरी हैं. उन का कहना है कि उन की बेटी ओलिंपिया ने उन की जिंदगी बदल दी है और मां बनना जीवन की सब से बड़ी उपलब्धि है. सितंबर, 2017 में बेटी को जन्म देने के कुछ ही महीनों बाद सेरेना विलियम्स ने प्रोफैशनल टेनिस में शानदार वापसी की. सेरेना ने अपनी 19 महीने की बेटी के साथ हाल ही में एक विज्ञापन शूट किया है.

पिता के जनून ने बनाया टेनिस प्लेयर

सेरेना जमैका विलियम्स का जन्म मिशिगन, अमेरिका में 1981 को हुआ. उन की बड़ी बहन वीनस भी टेनिस चैंपियन हैं. उन के पिता ने सेरेना के जन्म से पहले ही टीवी पर एक टेनिस मैच देखा था, जिस में इस गेम की प्लेयर को जीतने के बाद पुरस्कार में काफी धनराशि और सम्मान मिलता है. पिता ने उसी वक्त यह तय कर लिया कि वे अपनी बेटियों को ऐसा ही कुछ बनाएंगे. इस के बाद पिता ने खुद टेनिस सीख कर बेटियों को टे्रनिंग देनी शुरू की. सेरेना के जन्म के बाद पूरा परिवार लास एंजिल्स शिफ्ट हो गया ताकि टेनिस का सही माहौल मिल सके.

अपने पिता बनाम कोच के संरक्षण में सेरेना ने मात्र 4 साल की उम्र में जूनियर टूरनामैंट में हिस्सा लिया और फिर मुड़ कर नहीं देखा.

हरमनप्रीत कौर की तूफानी बल्लेबाजी

दाएं हाथ की तूफानी बल्लेबाज और भारतीय महिला टीम की उपकप्तान हरमनप्रीत कौर आज किसी पहचान की मुहताज नहीं हैं. एक बेहद साधारण परिवार में जन्मी हरमनप्रीत कौर दुनिया की सब से ज्यादा कमाई करने वाली महिला क्रिकेटरों में शामिल हैं. उन्होंने अपनी बल्लेबाजी क्षमता से खुद की अलग पहचान बनाई है. हालांकि उन का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है.

हरमनप्रीत का जन्म 8 मार्च, 1989 में पंजाब के एक बेहद छोटे गांव मोगा में हुआ. स्पोर्ट्स फैमिली में जन्मी हरमनप्रीत का शुरू से क्रिकेट में लगाव रहा. उन के पिता हरमिंदर सिंह वौलीबौल और बास्केटबाल खिलाड़ी थे.

पढ़ाई के दौरान ही हरमनप्रीत का क्रिकेट के प्रति झुकाव बढ़ता गया. वे स्कूल में पढ़ाई के दौरान अपने घर से 30 किलोमीटर दूर क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए जाती थीं. वर्ष 2009 में महज

20 वर्ष की उम्र में उन्हें पाकिस्तान महिला टीम के विरुद्ध वनडे क्रिकेट से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला. इस मैच में हरमनप्रीत को बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला, मगर गेंदबाजी के दौरान 4 ओवरों में सिर्फ 10 दिन दे कर उन्होंने काफी प्रभावित किया.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी तूफानी बल्लेबाजी से विरोधी टीमों के गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने के बाद बिग बैश महिला के दूसरे सीजन में उन्हें सीडनी सिक्सर्स फ्रैंचाइजी ने अपनी टीम में शामिल किया. इस के साथ ही हरमनप्रीत महिला बिग बैश खेलने वाली पहली महिला बनीं.

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पूरा किया क्रिकेटर बनने का सपना

क्रिकेट के महिला वर्ल्ड कप के दौरान लौर्ड्स के मैदान में इंगलैंड के 228 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की पूरी टीम 219 पर सिमट गई. मगर पूनम राउत का स्कोर सब से ज्यादा 86 रन रहा जो काफी प्रशंसनीय था. उन्होंने भारत को जीत की आस जगा दी थी.

पूनम के पिता मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर की नौकरी कर चुके हैं. एक समय था जब मुंबई के प्रभादेवी में उन का परिवार एक चाल में रहता था. उस समय पूनम क्रिकेट खेलना चाहती थीं, लेकिन पैसों की कमी को देखते हुए उन्होंने कभी बड़े सपने नहीं देखे. हालांकि उन के पिता जो कभी क्रिकेटर बनना चाहते थे ने अपनी बेटी के लिए क्रिकेट के लिए जरूरी सामान खरीदा. पूनम का क्रिकेट अकादमी में दाखिला कराया.

टेलैंट के साथ ग्लैमर का तड़का

महिला खिलाड़ी सिर्फ खेल में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से ही नहीं जानी जातीं, बल्कि ग्लैमर के जलवों के मामले में भी उन का कोई सानी नहीं. अपनी खूबसूरती और स्टाइल की वजह से भी वे सुर्खियों में रहती हैं. चाहे टेनिस स्टार हो, बैडमिंटन स्टार, उन की बात अलग ही दिखती है.

आइए, एक नजर डालते हैं खेल की दुनिया की कुछ खूबसूरत महिला खिलाडि़यों पर जो अपनी खूबसूरती और ग्लैमर के लिए जानी जाती हैं:

साइना नेहवाल: दुनिया की शीर्ष बैडमिंटन खिलाडि़यों में शामिल साइना नेहवाल भारत की सब से सफल महिला खिलाडि़यों में से एक हैं. वे न केवल खेल, बल्कि फैशन की दुनिया में भी सक्रिय हैं. वे चैरिटी कार्यक्रमों में हिस्सा ले कर रैंप पर भी जलवा दिखा चुकी हैं. अपने बिंदास लुक और प्राकृतिक खूबसूरती से लोगों को दीवाना बनाती रही हैं. साइना देश के लिए कौमनवैल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल भी जीत चुकी हैं. उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

दीपिका पल्लीकल: दीपिका पल्लीकल भारतीय खेलों की दुनिया में उभरता बड़ा नाम है. वे दुनिया की शीर्ष 10 स्क्वैश खिलाडि़यों में भी शामिल रह चुकी हैं. उन्हें खेलों में उल्लेखनीय योगदान के लिए 2012 में अर्जुन अवार्ड और 2014 में पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. खेल के अलावा ग्लैमर और खूबसूरती में भी दीपिका का कोई जवाब नहीं.

प्राची तहलान: नैटबौल की भारतीय खिलाड़ी प्राची तहलान भी गजब की खूबसूरत हैं. 2010 में दिल्ली कौमनवैल्थ गेम के समय भारतीय टीम की कमान संभालने वाली प्राची तहलान नैटबौल और बौस्केटबाल की प्रोफैशनल प्लेयर हैं. 25 साल की प्राची दिल्ली की जाट फैमिली से ताल्लुक रखती हैं. खेल के साथ ही उन की खूबसूरती और चुलबुलेपन को देख भी लोग उन के दीवाने हो जाते हैं. खूबसूरत प्राची को ‘क्वीन औफ द कोर्ट’ निक नेम भी मिला हुआ है.

ज्वाला गुट्टा: प्रोफैशनल बैडमिंटन प्लेयर ज्वाला गुट्टा ने देश के लिए बहुत मैडल जीते हैं. उन्होंने दिल्ली कौमनवैल्थ गेम्स में भारत के लिए

2 स्वर्ण और 1 रजत पदक जीता था. अपनी खूबसूरती से भी वे लोगों को आकर्षित करती हैं. उन के ग्लैमरस फोटोशूट को भला कौन भूल सकता है.

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ऐलिस पेरी: आस्ट्रेलिया टीम की सब से खूबसूरत और ग्लैमरस खिलाड़ी ऐलिस पेरी अपने खेल के साथसाथ अपनी सुंदरता के लिए भी चर्चा में रहती हैं. ऐलिस पेरी आस्ट्रेलिया की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने आस्ट्रेलिया के लिए क्रिकेट और फुटबौल दोनों के ही वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया. ऐलिस पेरी अकसर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी खूबसूरती के जलवे बिखेरती रहती हैं.

सारा जेन टेलर: इंगलैंड की विकेटकीपर व बल्लेबाज सारा टेलर अपने आक्रामक खेल के साथसाथ अपनी खूबसूरती के लिए भी मशहूर हैं. सारा की गिनती विश्व की सब से खूबसूरत महिला क्रिकेटरों में की जाती है. सारा इंगलैंड के लिए वनडे में सलामी बल्लेबाज का किरदार निभाती हैं. 2013 में उन्हें महिला टी20 के ‘क्रिकेटर औफ द ईयर’ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था.

हौली फर्लिंग: आस्ट्रेलिया की सब से खूबसूरत महिला क्रिकेटरों में हौली फर्लिंग का भी नाम शामिल है. उन्होंने क्रिकेट में अपने कैरियर की शुरुआत 2003 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे मैच खेल कर की थी. इस मैच में उन्होंने

9 विकेट हासिल कर सब को हैरान कर दिया था. अपने खेल के साथसाथ उन्होंने अपनी सुंदरता से भी लोगों को अपना दीवाना बनाया हुआ है.

महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा और अधिकार न देने वाले रूढि़वादी समाज को आईना दिखाती है इन महिलाओं की सफलता. खेल के क्षेत्र में भी अव्वल साबित हो रही महिलाएं जल्द ही पुरुषों से आगे निकल जाएंगी इस में कोई संशय नहीं.

सब से हसीन वह : भाग 2

रिमझिम, जो उस का प्यार थी, इस की बरात के दिन ही उस ने आत्महत्या कर ली थी. लौटा, तो पता चला. फिर वह भाग खड़ा हुआ था.

लौटने के बाद भी अब परीक्षित या तो घर पर ही गुमसुम पड़ा रहता या फिर कहीं बाहर दिनभर भटकता रहता. फिर जब थकामांदा लौटता तो बगैर कुछ कहेसुने सो पड़ता.

ऐसे में ही उस ने उसे रिमझिम झोड़ कर उठाया और पहली बार अपनी जबान खोली थी. तब उस का स्वर अवसादभरा था, ‘‘मैं पराए घर से आई हूं. ब्याहता हूं आप की. आप ने मु झ से शादी की है, यह तो नहीं भूले होंगे आप?’’

वह निरीह नजरों से उसे देखता रहा था. बोला कुछ भी नहीं. अनुजा को उस की यह चुप्पी चुभ गई. वह फिर से बोली थी, तब उस की आवाज विकृत हो आई थी.

‘‘मैं यहां क्यों हूं? क्या मु झे लौट जाना चाहिए अपने मम्मीपापा के पास? आप ने बड़ा ही घिनौना मजाक किया है मेरे साथ. क्या आप का यह दायित्व नहीं बनता कि सबकुछ सामान्य हो जाए और आप अपना कामकाज संभाल लो. अपने दायित्व को सम झो और इस मनहूसियत को मिटा डालो?’’

चंद लमहों के लिए वह रुकी. खामोशी छाई रही. उस खामोशी को खुद ही भंग करते हुए बोली, ‘‘आप के कारण ही पूरे परिवार का मन मलिन रहा है अब तक. वह भी उस के लिए जो आप की थी भी नहीं. अब मैं हूं और मु झे आप का फैसला जानना है. अभी और अभी. मैं घुटघुट कर जी नहीं सकती. सम झे आप?’’

अनुजा के भीतर का दर्द उस के चेहरे पर था, जो साफ  झलक रहा था. परीक्षित के चेहरे की मायूसी भी वह भलीभांति देख रही थी. दोनों के ही भीतर अलगअलग तरह के  झं झावात थे,  झुं झलाहट थी.

परीक्षित उसे सुनता रहा था. वह उस के चेहरे पर अपनी नजरें जमाए रहा था. वह अपने प्रति उपेक्षा, रिमिझम के प्रति आक्रोश को देख रहा था. जब उस ने चुप्पी साधी, परीक्षित फफक पड़ा था और देररात फफकफफक कर रोता ही रहा था. अश्रु थे जो उस के रोके नहीं रुक रहे थे. तब उस की स्थिति बेहद ही दयनीय दिखी थी उसे.

वह सकपका गई थी. उसे अफसोस हुआ था. अफसोस इतना कि आंखें उस की भी छलक आई थीं, यह सोच कर कि ‘मु झे इस की मनोस्थिति को सम झना चाहिए था. मैं ने जल्दबाजी कर दी. अभी तो इस के क्षतविक्षत मन को राहत मिली भी नहीं और मैं ने इस के घाव फिर से हरे कर दिए.’

उस ने उसे चुप कराना उचित नहीं सम झा. सोचा, ‘मन की भड़ास, आंसुओं के माध्यम से बाहर आ जाए, तो ही अच्छा है. शायद इस से यह संभल ही जाए.’ फिर भी अंतर्मन में शोरगुल था. उस में से एक आवाज अस्फुट सी थी, ‘क्या मैं इतनी निष्ठुर हूं जो इस की वेदना को सम झने का अब तक एक बार भी सोचा नहीं? क्या स्त्री जाति का स्वभाव ही ऐसा होता है जो सिर्फ और सिर्फ अपना खयाल रखती है? दूसरों की परवा करना, दूसरों की पीड़ा क्या उस के आगे कोई महत्त्व नहीं रखती? क्या ऐसी सोच होती है हमारी? अगर ऐसा ही है तो बड़ी ही शर्मनाक बात है यह तो.’

उस की तंद्रा तब भंग हुई थी जब वह बोला, ‘‘शादी हो जाती अगर हमारी तो वह आप के स्थान पर होती आज. प्यार किया था उस से. निभाना भी चाहता था. पर इन बड़ेबुजुर्गों के कारण ही वह चल बसी. मैं कहां जानता था कि वह ऐसा कर डालेगी.’’

‘‘पर मेरा क्या? इस पचड़े में मैं दोषी कैसे? मु झे सजा क्यों मिल रही है? आप कहो तो अभी, इसी क्षण अपना सामान समेट कर निकल जाऊं?’’

‘‘देखिए, मु झे संभलने में जरा वक्त लगेगा. फिर मैं ने कब कहा कि आप यह घर छोड़ कर चली जाओ?’’

तभी अनुजा फिर से बिफर पड़ी, ‘‘वह हमारे वैवाहिक जीवन में जहर घोल गई है. अगर वह भली होती तो ऐसा कहर तो न ढाती? लाज, शर्म, परिवार का मानसम्मान, मर्यादा भी तो कोई चीज होती है जो उस में नहीं थी.’’

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‘‘इतनी कड़वी जबान तो न बोलो उस के विषय में जो रही नहीं. ऊलजलूल बकना क्या ठीक है? फिर उस ने ऐसा क्या कर दिया?’’ वह एकाएक आवेशित हो उठा था.

वह एक बार फिर से सकपका गई थी. उसे, उस से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा तो नहीं थी. फिर वह अब तक यह बात सम झ ही नहीं पाई थी कि गलत कौन है. क्या वह खुद? क्या उस का पति? या फिर वह नासपीटी?

देखतेदेखते चंद दिन और बीत गए. स्थिति ज्यों की त्यों ही बनी रही थी. अब उस ने उसे रोकनाटोकना छोड़ दिया था और समय के भरोसे जी रही थी.

परीक्षित अब भी सोते में, जागते में रोतासिसकता दिखता. कभी उस की नींद उचट जाने पर रात के अंधेरे में ही घर से निकल जाता. घंटों बाद थकाहारा लौटता भी तो सोया पड़ा होता. भूख लगे तो खाता अन्यथा थाली की तरफ निहारता भी नहीं. बड़ी गंभीर स्थिति से गुजर रहा था वह. और अनुजा  झुं झलाती रहती थी.

ऐसे में अनुजा को उस की चिंता सताने भी लगी थी. इतने दिनों में परीक्षित ने उसे छुआ भी नहीं था. न खुद से उस से बात ही की थी उस ने.

उस दिन पलंग के समीप की टेबल पर रखी रिमझिम की तसवीर फ्रेम में जड़ी रखी दिखी तो वह चकित हो उठा. उस ने उस फ्रेम को उठाया, रिमझिम की उस मुसकराती फोटो को देर तक देखता रहा. फिर यथास्थान रख दिया और अनुजा की तरफ देखा. तब अनुजा ने देखा, उस की आंखें नम थीं और उस के चेहरे के भाव देख अनुजा को लगा जैसे उस के मन में उस के लिए कृतज्ञता के भाव थे.

अनुजा सहजभाव से बोली, ‘‘मैं ने अपनी हटा दी. रिमझिम दीदी अब हमारे साथ होंगी, हर पल, हर क्षण. आप को बुरा तो नहीं लगा?’’

उस ने उस वक्त कुछ न कहा. काफी समय बाद उस ने उस से पूछा, ‘‘तुम ने खाना खाया?’’ फिर तत्काल बोला, ‘‘हम दोनों इकट्ठे खाते हैं. तुम बैठी रहो, मैं ही मांजी से कह आता हूं कि वे हमारी थाली परोस दें.’’

खाना खाने के दौरान वह देर तक रिमझिम के विषय में बताता रहा. आज पहली बार ही उस ने अनुजा को, ‘आप’ और ‘आप ने’ कह कर संबोधित नहीं किया था. और आज पहली बार ही वह उस से खुल कर बातें कर रहा था. आज उस की स्थिति और दिनों की अपेक्षा सामान्य लगी थी उसे. और जब वह सोया पड़ा था, उस रात, एक बार भी न सिसका, न रोया और न ही बड़बड़ाया. यह देख अनुजा ने पहली बार राहत की सांस ली.

मानसिक यातना से नजात पा कर अनुजा आज गहरी नींद में थी. परीक्षित उठ चुका था और उस के उठने के इंतजार में पास पड़े सोफे पर बैठा दिखा. पलंग से नीचे उतरते जब अनुजा की नजर  टेबल पर रखी तसवीर पर पड़ी तो चकित हो उठी. मुसकरा दी. परीक्षित भी मुसकराया था उसे देख तब.

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अब उस फोटोफ्रेम में रिमझिम की जगह अनुजा की तसवीर लगी थी.

‘तुम मेरी रिमझिम हो, तुम ही मेरी पत्नी अनुजा भी. तुम्हारा हृदय बड़ा विशाल है और तुम ने मेरे कारण ही महीनेभर से बहुत दुख  झेला है, पर अब नहीं. मैं आज ही से दुकान जा रहा हूं.’

और तभी, अनुजा को महसूस हुआ कि उस की मांग का सिंदूर सुर्ख हो चला है और दमक भी उठा है. कुछ अधिक ही सुर्ख, कुछ अधिक ही दमक रहा है.

#bethebetterguy: ड्राइविंग के दौरान है सीट बेल्ट जरूरी

वैसे तो यातायात के सभी नियमों का पालन आपको करना चाहिए उनमें सबसे मुख्य बात यह भी है की यदि आप चार पहिया वाहन का इस्तेमाल कर रहें हैं तो आपको सीट बेल्ट अवश्य लगाना चाहिए ये आपके लिए एक तरह से सुरक्षा कवच है. जरा सोचिए कि आखिर सीट बेल्ट की क्या जरूरत थी इसका आविष्कार ही क्यों किया गया.

दरअसल जब भी चार पहिया वाहन चलाते हैं तो अक्सर ऐसा होता है कि अचानक कोई गाड़ी के सामने आ गया व्यक्ति या कोई जानवर या आगे कोइ गाड़ी ही आ गई तो अचानक से ब्रेक लगाना पड़ता है ऐसे में आप भी आगे की और झुक जाते हैं तब ये सीट बेल्ट ही आपके माथे को गाड़ी में लड़ने से बचाता है. क्योंकि यदि आप आगे की ओर झुकें और आपने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी है तो आपको गंभीर चोट लग सकती है सर में. ऐसे में आप बेहोश हो सकते हैं कोमा में जा सकते हैं या आपकी मौत भी हो सकती है. इसलिए ही सीट बेल्ट जैसी चीज का आविष्कार किया गया है.

बिना सीट बेल्ट के गाड़ी चलाने की वजह से भी दुर्घटना आए दिन होती रहती है. जिसमें काफी लोगों को अपनी जान से हांथ धोना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि लोगों को इसके बारे में पता नहीं है सभी जानते हैं लेकिन फिर भी इस नियम का पालन नहीं करना चाहते.

हालांकि अब तो ट्रैफिक नियम के मुताबिक सीट बेल्ट ना लगाने पर आपका चालान कटेगा जैसे की अभी बाइक वालों पर हेलमेट ना लगाने पर कट रहा है तो अब इस डर से लोग सीट बेल्ट लगाने लगे हैं. और अच्छा ही है भले डर कर ही सही लोग अपनी जान को जोखिम में नहीं डाल रहें हैं. और यदि आप भी अभी तक इस नियम का पालन नहीं कर रहें हैं तो अब जरूर करिए ये आपकी सुरक्षा के लिए ही है.


Hyundai रखता है आपकी सभी जरूरतों का ख्याल और करता है आपकी सुरक्षित यात्रा के लिए हर प्रयास. आप भी करें हर ट्रैफिक नियम का पालन और रखें अपना और अपने चाहने वालों का ध्यान.

चिन्मयानंद एक और संत

साधुसंतों पर व्यभिचार के आरोपों की बात कोई नई नहीं है. धर्म और राजनीतिक पहुंच के चलते अगर कोई संत मठाधीश बन जाए तो सब से पहले वह अपने लिए सुख वैभव के साधन तैयार करता है, फिर उसे देह सुख भी सामान्य लगने लगता है. स्वामी चिन्मयानंद के साथ भी ऐसा ही कुछ था, जिस की वजह से…

हाल ही में कानून की छात्रा कामिनी द्वारा स्वामी चिन्मयानंद पर लगाया गया यौनशोषण और बलात्कार का आरोप खूब चर्चाओं में रहा. छात्रा द्वारा निर्वस्त्र स्वामी की मसाज करने के वायरल वीडियो ने भी स्वामी की हकीकत खोल कर रख दी. यौनशोषण और बलात्कार की यह कहानी पूरी तरह से फिल्मी सैक्स, सस्पेंस और थ्रिल से भरी हुई है. शाहजहांपुर के सामान्य परिवार की कामिनी स्वामी शुकदेवानंद ला कालेज से एलएलएम यानी मास्टर औफ ला की पढ़ाई कर रही थी.

हौस्टल में रहने के दौरान नहाते समय उस का एक वीडियो तैयार किया गया और उसी वीडियो को आधार बना कर उस का यौनशोषण शुरू हुआ. शोषण से मुक्ति पाने के लिए लड़की ने भी वीडियो का सहारा लिया. लेकिन इस प्रभावशाली संत और पूर्व केंद्रीय मंत्री को कटघरे में खड़ा करना आसान नहीं था. फिर भी लड़की ने हिम्मत से काम लिया और अंत में संत को विलेन साबित कर के ही दम लिया. यह संत थे स्वामी चिन्मयानंद.

अटल सरकार के बाद हाशिए पर चले गए स्वामी चिन्मयानंद 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रयासरत थे. वह राज्यसभा के जरिए संसद में पहुंचना चाहते थे. इस के पहले कि उन के संसद जाने का सफर पूरा होता, उन के ही कालेज में पढ़ने वाली लड़की कामिनी ने उन का चेहरा बेनकाब कर दिया.

कानून की पढ़ाई करने वाली 24 वर्षीया कामिनी ने जब मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ यौनशोषण और बलात्कार का आरोप लगाया तो पूरा देश सन्न रह गया.

एक लड़की के लिए ऐसे आरोप लगाना और साबित करना आसान काम नहीं था. इस का कारण यह था कि पूरा प्रशासन स्वामी चिन्मयानंद को बचाने में लगा था. इस के बावजूद पीडि़त लड़की और चिन्मयानंद के बीच शह और मात का खेल चलता रहा.

स्वामी चिन्मयानंद का रसूख लड़की पर भारी पड़ रहा था, जिस के चलते शोषण और बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की के खिलाफ 5 करोड़ की रंगदारी मांगने का मुकदमा कायम कर के उसे जेल भेज दिया गया.

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लड़की को जेल में और आरोपी को एसी कमरे में रहने को सुख मिला. शोषण और बलात्कार के मुकदमे में हिरासत में लिए गए स्वामी चिन्मयानंद को जेल में 2 रात रखने के बाद सेहत की जांच को ले कर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पीजी अस्पताल भेज दिया गया था.

शह और मात के खेल में बाजी किस के हाथ लगेगी, यह तो अदालत के फैसले पर निर्भर करेगा. लेकिन धर्म के नाम पर कैसेकैसे खेल खेले जाते हैं, यह समाज ने खुली आंखों से देखा. नग्नावस्था में लड़की से मसाज कराते वीडियो के सामने आने पर खुद स्वामी चिन्मयानंद ने जनता से कहा, ‘वह अपने इस कृत्य पर शर्मिंदा हैं.’

चिन्मयानंद से पहले सन 2015 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की ही रहने वाली एक लड़की ने भी आसाराम बापू के खिलाफ ऐसे ही आरोप लगाए थे. आसाराम और चिन्मयानंद में केवल इतना ही फर्क है कि आसाराम केवल संत थे, जबकि चिन्मयानंद संत के साथसाथ भाजपा के सांसद और मंत्री भी रह चुके हैं.

चिन्मयानंद के जेल जाने के समय भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद भाजपा के सदस्य नहीं हैं. वह इस बात का जवाब नहीं दे सके कि यदि वह सदस्य नहीं हैं तो उन्हें भाजपा की सदस्यता से कब निकाला गया था.

स्वामी चिन्मयानंद ने धर्म के सहारे अपनी राजनीति शुरू की थी. वह राममंदिर आंदोलन के दौरान देश के उन प्रमुख संतों में थे, जो मंदिर निर्माण की राजनीति कर रहे थे. भाजपा ने स्वामी चिन्मयानंद को 3 बार लोकसभा का टिकट दे कर सांसद बनाया और अटल सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका भी दिया.

चिन्मयानंद भाजपा में उस समय के नेता हैं, जब संतों को राजनीति में शामिल कर के सत्ता का रास्ता तय किया गया था. उस समय लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, कल्याण सिंह, महंत अवैद्यनाथ जैसे संत और नेताओं का भाजपा में बोलबाला था.

ऐसे कद्दावर स्वामी चिन्मयानंद की सच्चाई तब खुली, जब 24 अगस्त, 2019 को उन के ही स्वामी शुकदेवानंद ला कालेज में एलएलएम में पढ़ने वाली कामिनी ने उन के खिलाफ यौनशोषण और बलात्कार का आरोप लगाते हुए वीडियो जारी किया.

स्वामी शुकदेवानंद ला कालेज मुमुक्षु आश्रम की शिक्षण संस्थाओं में से एक है. इस कालेज की स्थापना शाहजहांपुर और उस के आसपास के इलाकों के छात्रों को कानून की शिक्षा देने के लिए हुई थी.

पीडि़त कामिनी इसी कालेज में एलएलएम की पढ़ाई कर रही थी. वह यहीं के हौस्टल में रहती थी. हौस्टल में रहने के दौरान ही स्वामी चिन्मयानंद की उस पर निगाह पड़ी. फलस्वरूप पढ़ाई के साथसाथ उसे कालेज में ही नौकरी दे दी गई. कामिनी सामान्य कदकाठी वाली गोरे रंग की लड़की थी.

कालेज में पढ़ने वाली दूसरी लड़कियों की तरह उसे भी स्टाइल के साथ सजसंवर कर रहने की आदत थी. चिन्मयानंद ने उस के जन्मदिन की पार्टी में भी हिस्सा लिया और केक काटने में हिस्सेदारी की. वैसे कामिनी और चिन्मयानंद की नजदीकी बढ़ने की अपनी अलग कहानी है.

कामिनी का कहना है कि उसे योजना बना कर फंसाया गया. जब वह हौस्टल में रहने आई तो एक दिन नहाते समय चोरी से उस का वीडियो बना लिया गया. इस के बाद उस वीडियो को वायरल कर के उसे बदनाम करने की धमकी दी गई. फिर स्वामी चिन्मयानंद ने उस के साथ बलात्कार किया. इस बलात्कार की भी उन्होंने वीडियो बनाई. इस के बाद उस के शोषण का सिलसिला चल निकला.

चिन्मयानंद को मसाज कराने का शौक था. मसाज के दौरान ही कभीकभी वह सैक्स भी करते थे. अपने शोषण से परेशान कामिनी ने स्वामी की तर्ज पर उन की मसाज और सैक्स के वीडियो बनाने शुरू कर दिए. वह जान गई थी कि स्वामी चिन्मयानंद के जाल से निकलने के लिए शोषण की कहानी को दुनिया के सामने लाना होगा.

पीडि़त कामिनी ने स्वामी चिन्मयानंद के तमाम वीडियो पुलिस को सौंपे हैं. इन में से 2 वीडियो वायरल भी हो गए. वायरल वीडियो में चिन्मयानंद नग्नावस्था में कामिनी से मसाज करा रहे थे. इस में वह कामिनी से आपसी संबंधों की बातें भी कर रहे थे. उन की आपसी बातचीत से ऐसा लग रहा था, जैसे दोनों के बीच यह सामान्य घटना हो.

इस दौरान कामिनी की तबीयत और नया मोबाइल खरीदने की बात भी हुई. कामिनी ने काले रंग की टीशर्ट पहनी थी. उस ने मसाज वाले दोनों वीडियो अपने चश्मे में लगे खुफिया कैमरे से तैयार किए थे. खुद को फ्रेम में रखने के लिए उस ने अपना चश्मा मेज पर उतार कर रख दिया था, जिस से स्वामी चिन्मयानंद के साथ वह भी कैमरे में दिख सके.

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यह कैमरा कामिनी के नजर वाले चश्मे के फ्रेम में नाक के ठीक ऊपर इस तरह लगा था जैसे कोई चश्मे की डिजाइन हो. कामिनी ने यह चश्मा औनलाइन शौपिंग से मंगवाया था.

मसाज करने के बाद जब कामिनी हाथ धोने बाथरूम में गई तो शीशे में उस का अपना चेहरा भी कैमरे में कैद हो गया था. पूरी तैयारी के बाद उस ने स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. लेकिन उस की तैयारी के मुकाबले स्वामी का प्रभाव भारी पड़ा.

खुद को फंसता देख स्वामी चिन्मयानंद ने कामिनी और उस के 3 दोस्तों पर 5 करोड़ की फिरौती मांगने का मुकदमा दर्ज करा दिया. इस काम में स्वामी चिन्मयानंद का रसूख काम आया.

कामिनी की कोशिश के बावजूद स्वामी चिन्मयानंद पर उत्तर प्रदेश में मुकदमा दर्ज नहीं हो सका. लेकिन पुलिस ने कामिनी पर फिरौती मांगने का मुकदमा दर्ज कर उस की तलाश शुरू कर दी. कामिनी अपने दोस्त के साथ राजस्थान के दौसा शहर चली गई थी. वहां उस ने सोशल मीडिया पर अपनी दास्तान सुनाई. जनता और सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद उस का मुकदमा दिल्ली में दर्ज किया गया.

उत्तर प्रदेश सरकार ने आननफानन में स्पैशल जांच टीम बना कर पूरा मामला उस के हवाले कर दिया. भारी दबाव के बाद आखिर चिन्मयानंद को 19 सितंबर, 2019 की सुबह करीब पौने 9 बजे एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया. जिस समय चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया गया, उस समय वह अपने आश्रम में ही थे.

शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम को मोक्ष प्राप्त करने का स्थान बताया जाता है. शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश के पिछडे़ जिलों में गिना जाता है. करीब 30 लाख की आबादी वाले इस जिले की साक्षरता 59 प्रतिशत है. मुमुक्षु आश्रम भी यहां की धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता था.

शाहजहांपुर बरेली हाइवे पर स्थित यह आश्रम करीब 21 एकड़ जमीन पर बना है. इस के परिसर में ही इंटर कालेज से ले कर डिग्री कालेज तक 5 शिक्षण संस्थाएं हैं. मुमुक्षु आश्रम का दायरा शाहजहांपुर के बाहर दिल्ली, हरिद्वार, बद्रीनाथ और ऋषिकेश तक फैला है.

मुमुक्षु आश्रम की ताकत का लाभ ले कर वर्ष 1985 के बाद स्वामी चिन्मयानंद ने धर्म के साथसाथ अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाई. वह 3 बार सांसद और एक बार केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री बने. दूसरों को मोक्ष देने का दावा करने वाला मुमुक्षु आश्रम स्वामी चिन्मयानंद को मोक्ष की जगह जेल भेजने का जरिया बन गया.

मुमुक्षु आश्रम में संत के रूप में रहने आए चिन्मयानंद मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता बन गए थे. अधिष्ठाता बनने के बाद चिन्मयानंद खुद को भगवान समझने लगे. अहंकार का यही भाव उन के पतन का कारण बना.

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने स्वामी चिन्मयानंद को अखाड़ा परिषद से बाहर कर दिया है. अखाड़ा सचिव महंत स्वामी रामसेवक गिरी ने कहा कि चिन्मयानंद के कारण संत समाज की छवि धूमिल हुई है.

मुमुक्षु आश्रम की स्थापना सन 1947 में स्वामी शुकदेवानंद ने की थी. शुकदेवानंद शाहजहांपुर के ही रहने वाले थे. उन की सोच हिंदूवादी थी. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में ‘गांधी फैज-ए-आजम’ नाम से कालेज की स्थापना हुई थी. शुकदेवानंद को यह कालेज मुसलिमपरस्त लगा.

शुकदेवानंद को लगा कि इस के जवाब में संस्कृत का प्रचार करने के लिए इसी तरह से दूसरे कालेज की स्थापना होनी चाहिए, जिस से हिंदू संस्कृति का प्रचारप्रसार किया जा सके. इस के बाद शुकदेवानंद ने 1947 में श्री दैवी संपदा इंटर कालेज और 1951 में दैवी संपदा संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की.

स्वामी शुकदेवानंद पोस्ट ग्रैजुएट कालेज की स्थापना सन 1964 में हुई. छात्रों की संस्कृत में विशेष रुचि न होने के कारण यहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या काफी कम थी. पोस्टग्रैजुएट कालेज खुल जाने के बाद यहां के इंटर कालेज और डिग्री कालेज के छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी, जिस से कालेज में पैसा आने लगा.

देखते ही देखते शुकदेवानंद का प्रभाव बढ़ने लगा. शाहजहांपुर के बाद दिल्ली, हरिद्वार, बद्रीनाथ और ऋषिकेश में शुकदेवानंद आश्रम बन गए. शुकदेवानंद के निधन के बाद उन के नाम पर शुकदेवानंद ट्रस्ट की स्थापना हुई. सभी कालेज और आश्रम इसी के आधीन आ गए.

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शुकदेवानंद के निधन के बाद उन के आश्रम और बाकी काम की जिम्मेदारी स्वामी धर्मानंद ने संभाली. धर्मानंद स्वामी शुकदेवानंद के शिष्य थे और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले थे. स्वामी धर्मानंद ने भी अपने समय में शिक्षा के माध्यम से हिंदू संस्कृति को ले कर काम किया. बीमार रहने के कारण कुछ सालों बाद उन का भी देहांत हो गया. धर्मानंद के बाद चिन्मयानंद ने गद्दी संभाली.

चिन्मयानंद का जन्म सन 1947 में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में परसपुर क्षेत्र के त्योरासी गांव में हुआ था. उन का असल नाम कृष्णपाल सिंह है. 1967 में 20 साल की उम्र में संन्यास लेने के बाद वह हरिद्वार पहुंचे, जहां संत समाज ने उन का नाम चिन्मयानंद रखा.

चिन्मयानंद का परिचय भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी से था. राजनीतिक रुचि के कारण चिन्मयानंद उन के करीबी बन गए. इस के बाद चिन्मयानंद उत्तर प्रदेश में प्रमुख संत नेता के रूप में उभरने लगे. इसी के चलते वह विश्व हिंदू परिषद के संपर्क में आए.

यही वह समय था जब विश्व हिंदू परिषद राममंदिर को ले कर उत्तर प्रदेश में आंदोलन चला रहा था. उस के लिए मठ, मंदिर और आश्रम में रहने वाले संत मठाधीश बहुत खास हो गए थे.

विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल ने उत्तर प्रदेश में जिन आश्रम के लोगों को राममंदिर आंदोलन से जोड़ा, उन में गोरखपुर जिले के गोरखनाथ धाम के महंत अवैद्यनाथ, शाहजहांपुर के स्वामी चिन्मयानंद और अयोध्या से महंत परमहंस दास प्रमुख थे.

जब देश में हिंदुत्व की राजनीतिक लहर बनी, तब चिन्मयानंद विश्व हिंदू परिषद के साथसाथ भाजपा के भी कद्दावर नेता बन गए. विश्व हिंदू परिषद ने जब राम जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष समिति का गठन किया तो स्वामी चिन्मयानंद को उस का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया. राम जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष समिति का राष्ट्रीय संयोजक बनने के बाद

स्वामी चिन्मयानंद के नेतृत्व में संघर्ष समिति का दायरा बढ़ाने का काम किया गया. इस से उन की पहचान पूरे देश में प्रखर हिंदू वक्ता के रूप में स्थापित हुई.

हिंदुत्व के सहारे देश की सत्ता हासिल करने का सपना देख रही भाजपा ने साधुसंतों को संसद पहुंचाने की योजना बनाई. इसी के चलते चिन्मयानंद को लोकसभा का चुनाव लड़ाने की योजना बनी. सन 1990 में भाजपा ने केंद्र में वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले कर देश को मध्यावधि चुनाव में धकेल दिया तो 1991 में चिन्मयानंद को शरद यादव के खिलाफ बदायूं से टिकट दिया गया.

चुनाव में स्वामी चिन्मयानंद ने शरद यादव को 15 हजार वोटों से पटखनी दे दी. इस के बाद स्वामी चिन्मयानंद ने 1998 में मछलीशहर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

इस के बाद स्वामी चिन्मयानंद ने धर्म और सत्ता का तालमेल बैठा कर आगे बढ़ना शुरू किया. सन 1992 में जब बाबरी मसजिद ढहाई गई तब स्वामी चिन्मयानंद भी वहां मौजूद थे. लिब्रहान आयोग ने जिन लोगों को आरोपी माना था, उस में चिन्मयानंद का नाम भी शामिल था.

बाबरी मसजिद ढहाए जाने से 9 दिन पहले चिन्मयानंद ने सुप्रीम कोर्ट के सामने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर एफिडेविट में बताया था कि 6 दिसंबर, 1992 को सिर्फ कार सेवा की जाएगी और अयोध्या में इस से कानूनव्यवस्था के लिए किसी तरह का खतरा नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने उन की बातों पर विश्वास भी किया, लेकिन बाबरी मसजिद ढहा दी गई. सन 2009 में लिब्रहान आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कार सेवा के बहाने मसजिद गिराने का प्लान पहले से तय था और इस की भूमिका में परमहंस रामचंद्र दास, अशोक सिंघल, विनय कटियार, चंपत राय, आचार्य गिरिराज, वी.पी. सिंघल, एस.सी. दीक्षित और चिन्मयानंद शामिल थे.

1990 के दशक में राजनीतिक रूप से स्वामी चिन्मयानंद अपना रसूख काफी मजबूत कर चुके थे. देश के हिंदुत्व के नायकों में से उन की गिनती होने लगी. 12वीं लोकसभा (1998) में उन्होंने अपने आप को सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता और धार्मिक गुरु बताया था. चिन्मयानंद 30 से अधिक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं के साथ जुड़े थे.

चिन्मयानंद और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच गहरा रिश्ता है. 1980 के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौरान स्वामी चिन्मयानंद और योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने मंदिर निर्माण के लिए कंधे से कंधा मिला कर काम किया था. दोनों ने मिल कर राम जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष समिति की स्थापना भी की थी. उन के बीच करीबी रिश्ता था.

अटल सरकार में मंत्री पद से हटने के बाद स्वामी चिन्मयानंद का राजनीतिक रसूख हाशिए पर सिमट गया था. 2017 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो स्वामी चिन्मयानंद का रसूख फिर से बढ़ गया. उन का दरबार सजने लगा था. तमाम नेता और अफसर वहां शीश झुकाने जाने लगे. मुमुक्षु आश्रम का दरबार एक तरह से सत्ता का केंद्र बन गया था.

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कामिनी के पिता की तरफ से चिन्मयानंद उर्फ कृष्णपाल सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 376सी, 354बी, 342, 306 के तहत मुकदमा लिखाया गया. दूसरी ओर स्वामी चिन्मयानंद के वकील की तरफ से कामिनी और उस के दोस्तों संजय सिंह, सचिन और विक्रम के खिलाफ भादंवि की धारा 385, 506, 201, 35 और आईटी ऐक्ट 67ए के तहत 5 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

दोनों ही मुकदमों में गिरफ्तारी हो चुकी है. जानकार लोगों का मानना है कि रंगदारी के मुकदमे के सहारे यौनशोषण और बलात्कार के मुकदमे को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है.

पुलिस द्वारा आरोप लगाने वाली कामिनी के ही खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे 24 सितंबर को पकड़ कर जेल भेज दिया गया. इस के बाद विरोधी दलों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर चिन्मयानंद को बचाने के आरोप लगाए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में कामिनी नाम परिवर्तित है.

 

नायरा और कार्तिक की शादी मे बड़ा धमाका करेगी वेदिका, आएगा ये बड़ा ट्विस्ट

स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाला मशहूर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’  में दर्शको को लगातार धमाकेदार ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिल रहे हैं. इस शो की कहानी का एंगल नायरा कार्तिक के शादी की इर्द गिर्द घुम रही है. ये एंगल दर्शकों को खुब पसंद आ रहा है. जी हां, दर्शकों को इस ट्रैक का काफी टाइम से इंतजार था. तो आइए जानते हैं इस शो के ट्विस्ट के बारे में.

पिछले एपिसोड में आपने देखा कि वेदिका नायरा और कार्तिक की जिंदगी से जा चुकी है और ऐसे में अब नायरा और कार्तिक फिर से एक दूसरे का हाथ थामकर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने वाले हैं.

इस शो के फैंस के लिए ये खबर ट्रिट से कम नहीं थी. लेकिन जल्द ही फैंस को धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिलने वाला है. जी हां, इतनी आसानी से वेदिका हार नहीं मानने वाली है. खबरों के अनुसार वेदिका कार्तिक और नायरा के साथ किए गए वादे से मुकर जाएगी.  दरअसल वेदिका की दोस्त पलल्वी उसे भड़काएगी और सलाह देगी कि वह अपने हक के लिए लड़े. ऐसे में वेदिका को लगने लगेगा कि वह इतनी जल्दी नायरा से हार नहीं मान सकती है.

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एक रिपोर्ट के अनुसार कार्तिक नायरा से शादी करने से पहले वेदिका को तलाक देने का सारा प्रोसीजर पूरा करना चाहता है. कार्तिक और उसका पूरा परिवार कोर्ट भी जाएगा, लेकिन वहां पर वेदिका का नहीं होगी. ऐसे में गोयनका परिवार वेदिका को लेकर काफी परेशान हो जाएगा.

आखिर नायरा और कार्तिक की जिंदगी से वेदिका का चैप्टर को कब खत्म होगा ? बीते कई महीने से दर्शक यही मांग कर रहे थे कि वह वेदिका को जल्द से जल्द नायरा और कार्तिक की जिंदगी से दूर चली जाए,  लेकिन लगता है कि मेकर्स अभी वेदिका के कैरेक्टर को जल्द खत्म नहीं करने वाले हैं. बता दें, वैसे इस शो में कार्तिक और नायरा चौथी बार शादी करेंगे.

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कपिल शर्मा के घर आई नन्ही परी, गिन्नी ने दिया बेटी को जन्म

कौमेडियन कपिल शर्मा के फैंस के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है. जी हां, कपिल शर्मा पापा बन गए हैं. उनके घर खुशियों नें दस्तक दी है. कपिल शर्मा के घर नन्ही परी आई है. पत्नी गिन्नी ने बेटी को जन्म दिया है. बता दें, आज ही कपिल शर्मा की पत्नी ने बेटी को जन्म दिया है.

इसकी जानकारी कपिल शर्मा ने खुद सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर किया है.  ट्विटर पर उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘हमारे घर में बेटी ने जन्म लिया है. आपके आशीर्वाद की बहुत जरूरत है. सबको मेरा बहुत प्यार…

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कपिल शर्मा के इस ट्विट पर उनके फैंस का बहुत सारा प्यार देखने को मिल रहा है.  लगातार उनको बधाई देने की होड़ दिखाई दे रही है. आपको बता दें, गुरु रंधावा और भुवन बाम ने सबसे पहले नंबर लगाते हुए कपिल शर्मा को ‘पापा’ बनने पर बधाई दी है. गुरु रंधावा ने बधाई देते हुए ट्वीट पर लिखा- ‘बहुत बहुत बधाई हो पा जी, अब मैं औफिशियली चाचा बन गया’.

साल 2018 में कपिल शर्मा ने गिन्नी चतरथ से धूमधाम से शादी की थी. इनकी शादी की खबरें काफी चर्चा में रही थी. आपको बता दें, कपिल शर्मा और उनके परिवार वालों को जैसे ही इस बात की खबर लगी कि घर में नया मेहमान आने वाला है उन्होंने ने तैयारियांशुरू कर दी थी.  तो उधर कपिल शर्मा ने परिवार और दोस्तों के लिए बेबी शावर पार्टी का भी आयोजन किया था. इस पार्टी में कई टीवी सेलेब्स भी शामिल हुए थे. इसके अलावा कपिल अपनी पत्नी के साथ बेबी मून मनाने के लिए कनाडा भी गए थे.

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