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#coronavirus: योगी सरकार ने जिलों को दो वर्गों में बांटा

कोरोना वायरस का संक्रमण अभी तक कंट्रोल नहीं हुआ है जिसके कारण सभी राज्य लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ा रहें हैं उसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी लॉकडाउन को 30 अप्रैल बढ़ा दिया है क्योंकि इस वक्त इसके आलावा और कोई चारा नहीं नज़र आ रहा है इस कोरोना वायरस से बचने का.रविवार को योगी सरकार अपने आवास पर उच्च-स्तरीय बैठक के बाद ये फैसला लिया है.और उत्तर प्रदेश से पहले ओडिशा,महाराष्ट्र और पंजाब ने भी लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला लिया है.पीएम मोदी से शनिवार को वीडियो कांफ्रेस के जरिए बात-चीत के बाद योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.सबसे बड़ी बात ये है योगी सरकार ने जिलों को दो वर्गों में बांट दिया है जिससे थोड़ी राहत रहेगी उन्होंने ए वर्ग और बी वर्ग बनाया है.

ए वर्ग वो है जहां पर अभी तक कोई भी कोरोना पॉजीटिव नहीं पाया गया है.बी वर्ग में वो  जिलें आएंगे जहां से कोरोना के मरीज पाएं गए हैं.ए वर्ग में कुछ रियायतें दी जाएंगी जैसे कि सब्जी की दूध औऱ किराने के शॉर खुलेंगे.लेकि उसका भी एक टाइम होगा.सुबह सात से दोपहर एक बजे तक लोग अपने वाहन से आ-जा पाएंगे लेकिन बहुत जरूरी काम हो तभी.उसमें भी ए वर्ग और बी वर्ग के बीच कोई वाहन नहीं चलेंगे.साथ ही बी वर्ग बी में पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.जो हॉटस्पॉट क्षेत्र हैं वहां पूरी तरह से प्रतिबंध रहेग और प्रदेश में कहीं भी पांच लोग से ज्यादा लोगों के खड़े होने पर प्रतिबंध है.धारा 144 लागू रहेगा.साथ ही 31 मई तक आप किसी भी सार्वजनिक स्थान पर बिना मॉस्क के नहीं जा पाएंगे मॉस्क लगाना अनिवार्य है.

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साथ ही अगर वर्ग ए वाले जिले में कहीं भी कोरोना के मरीज मिले तो उस जिले पर तुरंत कड़ा प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. जितने भी जिलें हैं उनमें स्टांप और रजिस्ट्रेशन संबंधी काम के लिए अनुमति मिलेगी लेकिन कुछ नियमों के अधीन बहुत ही जरूरी होने पर.होटल, शॉपिंग मॉल्स,सिनेमा हाल, मल्टीप्लेक्स,धर्मशाला, जिम,बार,रेस्टूरेंट, मंदिर ये सभी बंद रहेंगे.इस वक्त हिन्दुस्तान एक बहुत बड़ा संक्रमण से लड़ रहा है और एसे में सभी जनता को भी सरकार का साथ देना होगा तभी इस संक्रमण से मुक्ति मिल सकती है. 2020 का ये वक्त देश पर काल है और इस गकाल को मिलकर ही हटाया जा सकता है जिसमें सबके सहयोग की जरूरत है और ये विश्वास भी कि जल्द देश इस संक्रमण से मुक्त होगा और एक बार फिर से देश में सब कुछ सामान्य होगा.

आफत जनधन खाता ही बना मुसीबत

ऐसा क्या पता था कि सरकार ही इन गरीबों के साथ मजाक करेगी. जैसे ही इन गरीब औरतों को पता चला कि  जनधन खाते में सरकार ने कुछ पैसा भेजा है, ये औरतें बिना सोचेसमझे ही पैसा निकालने बैंक चल दीं और वो भी कोरोना के चलते लॉक डाउन में.

यह मामला मध्य प्रदेश के भिंड इलाके का है. 09 अप्रैल, 2020 का दिन ऐसी औरतों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया, जो न कहते बन रहा है, न उगलते.

भिंड इलाके की ये औरतें जनधन योजना के तहत खोले गए खाते में आए 500 रुपए लेने बैंक गई थीं. ये 2-4 नहीं, बल्कि 39 गरीब औरतें थीं. इन औरतों को लॉक डाउन में कर्फ्यू लगा होने के कारण नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

सचाई तो यही है,पर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉक डाउन के दौरान मध्य प्रदेश के भिंड सहित कई जिले में कर्फ्यू है. ,इस दौरान इन गरीब औरतों को प्रधानमंत्री जनधन योजना से 500 रुपए लेना महंगा पड़ गया. पुलिस ने सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने पर 39 गरीब औरतों को जेल में बंद कर दिया.

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पुलिस ने इन औरतों पर धारा 151 के तहत कार्यवाही की थी. लिहाजा, इन औरतों को 4 घंटे जेल में गुजारने पड़े. इन औरतों को 10-10 हजार रुपए के मुचलके पर एसडीएम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद छोड़ा गया.

इस कार्यवाही के दौरान पुलिस की भी लापरवाही सामने आई और पुलिस ने खुद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया.

दूसरों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने वाली पुलिस इन औरतों को हिरासत में ले कर एक ही वाहन में भर कर ले गई थी. इस के बाद इन औरतों को अस्थायी जेल में बंद कर दिया गया था.

गरीबी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन लोगों के खाते में 500 रुपए डाले हैं, जिसे निकालने के लिए बैंक के बाहर गरीबों की एक लंबी लाइन लग गई.

लॉक डाउन के उल्लंघन की जानकारी जब पुलिस को लगी, तो वह वहां तुरत पहुंची और इन औरतों को समझाया कि वो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. लेकिन ये औरतें नहीं मानीं. फिर इन पर एक्शन लिया गया और इन को हिरासत में ले लिया गया.

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पुलिस की इस कार्यवाही से ये गरीब औरतें काफी आहत हैं. पैसे की तंगी से उबारने के लिए जनधन खातों में सरकार ने 500 रुपए जरूरतमंदों के खाते में डाले थे, लेकिन ये पैसे लेना इन गरीब औरतों को भारी पड़ गया.

सरकार द्वारा गलत समय पर लिया गया फैसला इन गरीब औरतों को ऐसी दोहरी मार मारेगा, सपने में भी नहीं सोचा था. 500 रुपए पाने के चक्कर में 10 हजार रुपए और इन की जेब से जाना इस बात को दर्शाता है कि गरीब की कहीं कोई सुनवाई नहीं है.

तुम भुखनंगे देश के खातिर भूखे नहीं रह सकते?

कभी सुना था कि नेता हमेशा जनता का अग्र बन कर नेतृत्व प्रदान करता है और जनता नेता के पीछेपीछे उस के बताए रास्तों पर चलती है. भारत में कई ऐसे नेता पैदा हुए जिन्होंने मजदूरों किसानों का नेतृत्व किया. कई नेता ऐसे आए जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजाया, कईयों ने न जाने कौन से रामराज्य का ख्वाब दिखाया. लेकिन जैसे जैसे समय बदला, समय के साथ साथ नेता जमीन से गायब होने लगे. गायब हुए नेता को ढूँढा तो शानदार चमचमाती 10 बाई 10 के बैनरों और पोस्टरों की शान बन गए. चुनाव शुरू हुए कि पंडित के माथे का टीका बन गए, जय श्रीराम का उद्घोष बन गए, दलित के बीच जय भीम बन गए, और हां.., कहीं कहीं मुसलमानों की टोपी भी बन गए. बस नहीं बन पाए तो किसी की भूख, बेगारी, और लाचारी.

आज ये नेता कमरों में बंद हैं, कोई रामायण देख रहा है तो कोई जनता के लिए चिंतामग्न है. लेकिन करे तो करे क्या भाई, बाहर जा कर बीमार थोड़ी होना है. आखिर जमीन से उठ कर इन नेताओं ने अपने लिए शाम-दाम-दंड-भेद से बड़ेबड़े आशियाने बनाए है. क्या यह इसलिए कि बुरे वक़्त में काम भी न आ सके. खैर, अपना घर होना दिलचस्प बात है, कमबख्त रोक ही लेता है बाहर जाने से. लेकिन नेतागिरी का चस्का घर बैठे जिंदगी से थोड़ी निकल जाता है. इसलिए जितनी संतुष्टि और खुन्नस इस लाकडाउन से आ रही है उसे ट्विटर पर 150 अक्षरों में ही सही लेकिन पेल दो, आखिरकार देश के लेमनचुसिया मध्यम और उच्च वर्ग तक तो बात पहुंचेगी. ओहो…अब इस में ओफेंड होने की क्या बात? लेमनचुसिया ही तो कहा है, अब है तो है.

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अब यही देखो, सुंदर अभिनेत्री कटरीना कैफ घर में बर्तन धोते हुए वीडियो में सन्देश दे रही थी कि घर का काम कर के बोरियत से बचे, तो यह देख कर सुमन चाची बहुत हंस पड़ी. अब बेचारी कटरीना को क्या पता कि जिस काम को वह बोरियत से बचने का तरीका सुझा रही है सुमन चाची के लिए यह काम रोटी कमाने का जरिया है. वहीँ ऋषि कपूर यानि चिंटू जी, सरकार से ट्विटर पर दारु के ठेकों से लाकडाउन हटाने का रिक्वेस्ट कर रहे थे. अब वह अपने चिंटूपने वाली हरकतों से बाज आए तो पता चले कि मजदूरों के पास खाने को दाना तक नहीं है. भोले है  क्या करे, अपनी अमीर मासूमियत को कुछ समय के लिए छुपा भी नहीं पा रहे है.

जिस समय हमारे प्यारे अमीर गिटार और हारमोनियम बजा, अन्ताक्षरी खेलकर, पेंटिंग बना कर लाकडाउन के खट्टेमीठे अनुभव शेयर कर रहे थे, जैसे मानो स्कूली बच्चों की छुट्टियाँ पड़ी हों और उन्हें मजा आ रहा हो, उस समय दिल्ली से बरेली जाने वाला ललित को उकडू बना कर सरकार जबरदस्ती केमिकल से नहला रही थी. वैसे सही हुआ ललित के साथ, कमबख्त नहाता भी तो नहीं है. हमेशा कहता है मजदूर हूँ मिटटी में जन्मा हूँ मिटटी में मरूँगा.

हद है यार, इस बेशर्म बिमारी ने सारे देशों के बॉर्डर लांघ दिए हैं, गरीब से लेकर अमीर किसी भी देश में फर्क नहीं छोड़ा. अब जब यह हमारे देश में है तो बेचारे अमीर लोग अपनी आज़ादी का मजा लेने कहीं विदेश निकल भी नहीं पा रहे. जैसा वो हमेशा से करते आए थे. कितनी दुख की बात है न, लेकिन जहां दुख है वहां सुख भी है. सुना है देश के सब से अमीर आदमी मुकेश अम्बानी ने लाकडाउन के कारण पहली बार मुंबई में अपने 27 मंजिला एंटिला मकान के अच्छे से दर्शन किये. वरना इस से पहले उन्हें पता ही नहीं था कि किस माले में पार्क है और किस में स्विमिंग पूल. खैर आजकल उनके लिए समस्या इस बात की है कि वे भूल जाते है कि खाना किस कमरे में है और सोना किस कमरे में है. वहीँ आनंद महिंद्रा साहब तो लोगों को यह बताने में लगे है कि वो घर में लुंगी पहनते है. सही हुआ उन्होंने बता दिया, अब पूर्वांचल के दिहाड़ी मजदूर और बंगाली बाबु मारे खुशी के खुद को महिंद्रा समझ कर अपनी दिमागी भूख मिटाने में मस्त हैं.

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अमीरों को कितनी टेंसन है अपने अमीरियत का हिसाब रखने की. इस से अच्छी जिन्दगी तो गरीब लोगों की होती है. नेताओं के 8 बाई 8 के बेनर जितने कमरों में रहते है. वहीँ खाना, वहीं सो जाना. आसपड़ोस की निकटता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि किसी सज्जन की छोड़ी हुई विषेली गैस 3 घर छोड़ कर चौथे घर में पहुंच जाती है. और वो भी झट से सूंघ कर समझ जाता है कि फलाने घर में क्या बना था.

2011 की जनगणना के अनुसार मुंबई की 42 फीसदी आबादी झुग्गी झोपड़ियों में रहती है. यह आबादी पूरे मुंबई के मात्र 7 फीसदी क्षेत्र में अपना जीवन गुजरबसर करती है. वहीँ पुरे महारष्ट्र की झुग्गियों में रहने वाली आबादी का 66.5 फीसदी हिस्सा एक कमरे में अपना जीवन चला रही है. मोदी जी के विकास मोडल वाले गुजरात में 69.8 फीसदी और ईमानदार केजरीवाल की दिल्ली में 61.3 फीसदी हिस्सा एक कमरे में अपना जीवन गुजरबसर कर रही है.

जब बात मुंबई की हुई है तो सुना है कोरोना धारावी में भी घुस चुका है. क्या मुसीबत है यार. अब इन गरीबों का भी इलाज करना पड़ेगा सरकार को. भले बिमारी अमीर लाए हों लेकिन ये गरीब लोग किसी बिमारी से कम है क्या? बेचारी सरकार को चिंता इस बात की है कि कोरोना के आड़ में यह गरीब लोग टीबी के इलाज में सरकार का खर्चा न करवा दें. इन गरीबों से तो सोशल डिस्टेंस भी मेन्टेन नही होता. लेकिन झुग्गी में रहने वाला गरीब भी क्या करे? जिस धारावी में कोरोना घुसा है वहां इतने लोग है कि अगर उस इलाके में रहने वाले लोगों का अनुपात उस इलाके के कुल क्षेत्र से लगाया जाए तो मोदीजी का एक मीटर वाला सोशल डिस्टेंस भी फेल हो जाए.

आखिर इन गरीबों की समस्या क्या है?

माना यह अस्पताल, सड़क, मोल, बस और न जाने क्या क्या बनाते है उससे क्या, इस का मतलब यह तो नहीं की यह सरकार की बात ही न माने. अब देखो, सरकार ने कितनी मेहनत से लोगों का ध्यान हिन्दू मुस्लिम में बांटा है. लेकिन इन्हें चैन कहां, फिर से इन गरीब मजदूरों ने अपनी दो कौड़ी की औकात दिखा दी. आ गए न ये सेकड़ों की संख्या में सूरत की सड़कों में भात मांगते हुए. सुना है पुलिस को भी पीटा है आगजनी भी की है. सड़कों में उधम मचाया है. अखबार से पता चला कि यह मजदूर कई दिनों से भूखे थे. सरकार इन्हे राशन नहीं पहुंचा रही थी.  आसपास ढाई किलोमीटर के इर्दगिर्द कोई दुकान ही नहीं थी. बाहर निकल रहे थे तो सरकारी डंडे इन तक जरूर पहुँच जा रहे थे. खैर इनकी भूख का मसला हमारा नहीं हैं हम तो घर में अच्छे से खा पीकर ट्वीट कर रहे है.

हमारा मसला राष्ट्र का है. इसलिए देश के एक जिम्मेदार हष्टपुष्ट खाते पीते नागरिक के तौर पर इन भूखनंगे मजदूरों से सीधा सवाल. क्या तुम देश के खातिर एक महीने तक भूखे नहीं रह सकते?

खेती व्यवसाय में 100 फीसदी मुनाफा

“भारत गांवों में बसता है और कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा है.” राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह कहना दुरुस्त है. हालांकि, आजादी से अब तक खेतीबाड़ी सेक्टर में सरकारों ने पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है. देश की मौजूदा मोदी सरकार का यह दावा कि वर्ष 2022 में किसानों की आमदनी दोगुना हो जाएगी, कृषि सेक्टर की हालत को देखते हुए असंभव सा प्रतीत हो रहा है.

गांधीजी के कथन और मोदी सरकार के जुमलारूपी दावे से अलग इस सेक्टर की सकारात्मकता और महत्ता पर यहां चर्चा होगी. कृषि व्यवसाय दुनिया का सबसे आकर्षक व्यवसाय है, क्योंकि कृषि व्यवसाय न सिर्फ बेहद कम पूंजी में शुरू किए जा सकते हैं व चलाए जा सकते हैं, बल्कि इस व्यवसाय से 100 फीसदी लाभ कमाया भी जा सकता है.

कृषि व्यवसाय को जहां पहले गंदा और गरीबों व किसानों का व्यापार कहा जाता था, वहीं दूसरी तरफ देश में बढ़ रही बेरोजगारी के चलते आजकल युवा पीढ़ी इस व्यवसाय की तरफ आर्कषित हो रहे हैं और मौडर्न तकनीकों का इस्तेमाल कर कृषि व्यापार में अपना भविष्य आजमा रहे हैं और खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं.

पहले जहां लोगों की यह धारणा थी कि किसी छोटे गांव में बिजनेस कैसे सफल हो सकते हैं, क्योंकि गांव में न तो बिजनेस करने के उचित साधन मौजूद थे और न तो सुविधाएं ही थीं. इसी वजह से पिछले कुछ सालों से ज्यादा से ज्यादा लोग रोजगार के लिए और अपनी आजीविका कमाने के उद्देश्य से गांवों से शहरों की तरफ पलायन कर रहे थे.

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लेकिन अब बदलते दौर में गांव में बिजनेस करना और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर कृषि का व्यवसाय घाटे का सौदा नहीं रह गया है. गांव में भी अच्छा बिजनेस स्थापित कर खूब पैसा कमाया जा सकता है.

कृषि व्यवसाय की सबसे खास बात यह है कि ये बिना किसी ट्रेनिंग के भी आसानी से शुरू किए जा सकते हैं. वहीं कृषि व्यवसाय को शुरू करने के लिए आपको किसी तरह की कोई डिग्री लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती है, हालांकि, इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए आपको इसकी पेचीदगियों के बारे में सीखने की और इसको समझने के लिए अपना कुछ समय देने की जरूरत पड़ सकती है.

कृषि व्यवसाय के कुछ आकर्षक बिजनेस विकल्पों और इनकी संभावनाओं के बारे में आप जानें जिससे कि छोटे कस्बों और गांव में इस तरह के व्यापार आसानी से कर पैसा कमा सकें.

कृषि व्यवसाय से संबंधित कुछ बिजनेस आइडियाज ये हैं-
*शहरी कृषि या फसल उगाना
*खरगोश पालन
*ताजे फलों का व्यवसाय
*सूखे फूल का व्यवसाय
* खाद्य पदार्थों की खुदरा बिक्री या ग्रोसरी सर्विस
*मछली पालन
*खाद वितरण का व्यवसाय
*बेकरी
*सब्जी उगाना
*जड़ी बूटी उगाना
*फल और सब्जी के लिए कोल्ड चेन का बिज़नेस
*आर्गेनिक खाद
*मुर्गी पालन
*मधुमक्खी पालन
*पोल्ट्री फार्मिंग
*दुग्ध उत्पादन
*पशुधन चारा उत्पादन
*टोकरी बनाना
*मशरुम की खेती
*फ्रोजेन चिकन प्रोडक्शन
*बेत की कुर्सी बनाना
*शंबुक या घोंघा की खेती करना
*काजू प्रोसेसिंग
*सूर्यमुखी की खेती
*चिप्स बनाना
*नर्सरी प्लांट
*फूलों की खेती
*बकरी पालन
*नारियल तेल निर्माण
*रस्सी निर्माण
*बीज उत्पादन
*सोयाबीन उत्पादन
*दाल मिल लगाना
*फल और सब्जी निर्यात
*आटा मिल
*चिंराट की खेती
*सूअर पालन
*मटर का व्यवसाय
*बोया बीन्स प्रोसेसिंग
*मसाला की खेती
*आलू चिप्स उत्पादन
*फल के जूस का बिज़नेस
*अदरक लहसुन पेस्ट उत्पादन
*रजनीगंधा की खेती
*अदरक तेल उत्पादन
*अंगूर के शराब का उत्पादन
*ग्रोसरी ई-शॉपिंग पोर्टल
*मूंगफली का तेल उत्पादन
*जट्रोफा की खेती
*आलू पाउडर
*मूंगफली उत्पादन
*मधु उत्पादन
*एलोवेरा का व्यापार
*धान की खेती
*राई से तेल उत्पादन
*मिट्टी परिक्षण केंद्र
*आइसक्रीम उत्पादन
*गुड़ उत्पादन
*जैम जेली उत्पादन
*मांस उत्पादन
*छोटा सिंचाई प्रणाली प्रदान करना
*दूध ठंडा रखने का प्लांट
*बहु प्रयोजन कोल्ड स्टोरेज
*प्याज पेस्ट उत्पादन
*ताड़ तेल उत्पादन
*कीटनाशक सूत्रीकरण
*अचार बनाना
*आलू उत्पादन
*चावल ब्रान तेल उत्पादन
*चावल मिल
*टमाटर उत्पादन
*वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन
*धनिया पाउडर उत्पादन
*गाय के मूत्र से कीटनाशक उत्पादन
*भुट्टा उत्पादन
*आम उत्पादन
*अमरूद उत्पादन
*लाल-हरी मिर्ची
*अदरक
*गाजर खेती
*मावा बनाना
उपरोक्त के अलावा भी कई और कृषि व्यवसाय से जुड़े बिजनेस आप शुरू कर सकते हैं. इनमें से कोई भी बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी लें और उसकी अच्छाई व कमियों के बारे में भी जानें, तभी आप एक सफल व्यापारी बन सकेंगे और बढ़िया पैसा कमा सकेंगे. इनमें कई ऐसे बिजनेस हैं जिनमें आप 100 फीसदी इनकम अर्जित कर सकते हैं.

मेरी भाभी ने मेरे साथ जिस्मानी संबंध बनाया है, अब फिर से हमबिस्तरी करना चाहती हैं,क्या करूं?

सवाल

मेरे भाई की शादी के 20 साल बाद भी कोई औलाद नहीं हुई. भाभी ने मेरे साथ जिस्मानी संबंध बनाया, तो एक लड़की पैदा हुई, पर वह 3 दिन बाद ही गुजर गई. लड़की मरने के 4 महीने बाद भाभी फिर से मेरे साथ हमबिस्तरी करना चाहती हैं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप ने एक बार गुनाह किया है, तो उसे दोहरा भी सकते हैं. लेकिन इस में बहुत खतरा है. पता चलने पर आप की जिंदगी बरबाद हो सकती है.

 

सवाल

मैं 26 साल की विवाहित युवती हूं. विवाह 6 महीने पहले हुआ है. मैं तभी से एक विचित्र परेशानी से गुजर रही हूं. जब जब हम सैक्स करते हैं, उस के तुरंत बाद मुझे सिर में जोर का दर्द होने लगता है. मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है? कहीं यह किसी गंभीर भीतरी रोग का लक्षण तो नहीं है? इस से बचने के लिए मुझे क्या करना चाहिए? कोई घरेलू नुस्खा हो तो बताएं?

जवाब

आप जरा भी परेशान न हों. यह समस्या कई युवक युवतियों में देखी जाती है. इस का संबंध शरीर की जटिल रसायनिकी से होता है. यों समझें कि यह एक तरह का कैमिकल लोचा है. जिस समय सैक्स के समय कामोन्माद यानी और्गेज्म प्राप्त होता है, उस समय शरीर की रसायनिकी में आए परिवर्तनों के चलते सिर की रक्तवाहिकाएं कुछ देर के लिए फैल जाती हैं. धमनियों में आए इस अस्थाई फैलाव से उन के साथसाथ चल रही तंत्रिकाओं पर जोर पड़ता है, जिस कारण सिर में दर्द होने लगता है.

आप आगे इस दर्द से परेशान न हों, इस के लिए आप एक छोटा सा घरेलू नुसखा अपना सकती हैं. सहवास से 40-45 मिनट पहले आप पैरासिटामोल की साधारण दर्दनिवारक गोली लें. साइड इफैक्ट्स के नजरिए से पैरासिटामोल बहुत सुरक्षित दवा है. इसे लेने से कोई नुकसान नहीं होता.

जिन्हें पैरासिटामोल सूट नहीं करती, उन्हें अपने फैमिली डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. यदि डाक्टर कहे तो नियम से प्रोप्रानोलोल सरीखी बीटा ब्लौकर दवा लेते रहने से और्गैज्म के समय सिर की धमनियों में फैलाव नहीं आता और सिरदर्द से बचाव होता है.

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कामुकता का राज और स्त्री की संतुष्टि को कुछ इस तरह समझिए

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

#coronavirus: लौकडाउन में बच्चे की दिनचर्या और भोजन का रखें खास ख्याल

लेखिका- डॉ. मेघना पासी

जब आम दिनों की दिनचर्या बदल चुकी है तब मातापिता के लिए लौकडाउन की इस अवधि के दौरान h अपने बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा है. इस वक्त धैर्य, सूझबूझ और शांति से स्थिति का सामना करना बेहद जरूरी है. सब से बड़ी बात जो मातापिता के सामने है वह है बच्चों की दिनचर्या को सुचारू रूप से व्यवस्थित करना जिस से उन का शेड्यूल उसी तरह रहे जैसा कि पहले के दिनों में था ताकि वे सहज रहें और किसी दुविधा में न पड़ें.

निम्नलिखित कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें अमल में ला हम बच्चों की जीवनशैली को इस लौकडाउन में भी पहले की ही तरह रख सकते हैं.

1.घर में भी पढ़ाई 

बच्चों का रुटीन स्कूल की तरह ही शेड्यूल करें क्योंकि वे अपनी दिनचर्या के अनुसार ढले होते हैं. पढ़ाई के घंटे सुनिश्चित कर दें जिन में वे सभी विषयों की पढ़ाई करें.

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2.घर के कामों में रुचि जगाएं 

यदि आप अपनी ऊर्जा को सही जगह पर नहीं लगाते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग आपको अपने ही घर उकता देगी. इस समय अपने बच्चों को रोजमर्रा के काम सिखाएं क्योंकि यह लड़के और लड़की दोनों के लिए ही बेहद जरूरी है. बच्चों को घर के कामों में शामिल करें जैसे कि झाड़ू और पोछा लगाना, पौधों को पानी देना, घर की धूल झाड़ना, अपने बिस्तर लगाना आदि. इस तरह उन के लिए ऐसे फन गेम्स और चुनौतियां पैदा करें जिस से उन्हें घर पर ही हौप, जंप, जौग और रस्सी कूदने जैसी एक्टिविटी करने का मौका मिले.

3.अच्छी नींद लें 

बच्चों के अच्छे आराम को सुनिश्चित करने के लिए हर दिन कम से कम 8-9 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है. नींद के अभाव में बच्चे में कई प्रकार की बीमारियां जन्म ले सकती हैं. अपने बच्चे के बेडरूम में इलेक्ट्रौनिक उपकरण और वीडियो गेम्स आदि न रखें.

4. डर से दूर रखें-

मौजूदा स्थिति देख कर बच्चे चिंतित और तनावग्रस्त हो सकते हैं. उन से बात करें और समझें कि वे क्या सोच रहे हैं और उन के सवालों का जवाब दें. इस समय उन के डर को दूर करना हमारी जिम्मेदारी है. यह भी सुनिश्चित करें कि वे गलत समाचारों से बचे रहें.

5. खिलाएं हैल्दी और टेस्टी

बच्चे घर में रहें या स्कूल जाएं पौष्टिक आहार की उन्हें जरूरत है ही. बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सब्जियां और फल खिलाएं. पूरे दिन में अलगअलग तरह के भोजन और स्नैक्स दें ताकि खाने में उन की रुचि बनी रहे. वृद्धि और विकास के कारण एक बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताएं वयस्क से अधिक होती हैं.

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याद रखें कि हमारे हाथ की 5 अंगुलियां 5 खाद्य समूहों के रूप में होती हैं, इन में हमारे सभी भोजन शामिल हैं जो हमें हमारे सभी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं.

  • बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, विटामिन, खनिज लवण सब की संतुलित मात्रा होना जरूरी है. भोजन बनाने की प्रक्रिया में जब आप एक साथ दो चीजों को मिला कर बनाते हैं तो उस की पौष्टिकता बढ़ जाती है.
  • चावल और चपाती में कार्बोहाइड्रेट की प्रचुरता होती है. दालों में प्रोटीन की बहुतायत होती है तो सब्जियों में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं. अपने एक समय के खाने में सारी चीजों को एक साथ खाने से भोजन की पौष्टिकता बढ़ जाती है.
  • रोटी या पराठा पिज्जा तैयार करें, गेहूं के आटे या मक्का के आटे के साथ टाकोस बनाएं और रेडी-टू-ईट पैक से परहेज करें. गेहूं के आटे से बने मफिन, ब्राउनी, कुकीज और केक जैसे बेकरी आइटम पर अपना हाथ आजमाएं.
  • शरीर के लिए फैट यानी वसा की भी बहुत जरूरत होती है. इस के लिए बच्चों के आहार में नियमित तौर पर डेयरी उत्पादों को शामिल करें. डेयरी उत्पादों से बच्चों को भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी और के की प्राप्ति होगी.
  • मांस, मछली, मीट आदि को अच्छी तरह से पका कर खाने के लिए दें. अंडे को उबाल कर खाना आमलेट के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक होता है. अंडा प्रोटीन, कैल्शियम व ओमेगा 3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत माना जाता है. प्रोटीन से हमारी मांसपेशियां मजबूत होती हैं. बच्चों को नाश्ते में ब्रेड बटर और पराठे की जगह एक कटोरी दही के साथ दलिया दें.
  • बच्चे को एक पौष्टिक नाश्ता देना चाहते हैं तो उसे ओटमील दीजिए जो उसे दिनभर फिट और तरोताजा बनाए रखेगा. बीटा ग्लूकन ओट्स में भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. साथ ही, ओट्स के सेवन से कोलेस्ट्रौल लेवल कम होता है व इम्यूनिटी भी बढ़ती है.
  • बादाम और अखरोट में प्रोटीन उचित मात्रा में पाया जाता है, साथ ही फाइबर भी प्रचुर मात्रा में मिलता है. किशमिश से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है. इसलिए अखरोट और बादाम कुकीज़, मूंगफली, चना, ड्राई फ्रूट चिक्की जैसे स्वादिष्ट मीठे व्यंजन बच्चों को दें. रिफाइंड चीनी के बजाय गुड़ और शहद का उपयोग करें.

6. घी का सेवन

बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उसे घी जरूर दें क्योंकि यह मक्खन से अधिक सुरक्षित है. इस में तेल से अधिक पोषक तत्व हैं. घी पर हुए शोध बताते हैं कि इस से रक्त और आंतों में मौजूद कोलेस्ट्रौल कम होता है.

7.  दूध  और दुग्ध उत्पाद

यह बच्चों के विकास के लिए आवश्यक कैल्शियम और प्रोटीन का समृद्ध स्रोत होते हैं.

  • यदि आप का बच्चा दूध नापसंद करता है, तो स्वाद में विविधता के लिए स्मूदी, फ्रूट शेक, खीर, पायसम और चावल की खीर दें.
  • अतिरिक्त कैलोरी कम करने के नाम पर बच्चों की दूध की मात्रा को कम न करें बल्कि उन्हें कम फैट वाला दूध दें.
  • ध्यान रहे कि दूध से वजन नहीं बढ़ता बल्कि हड्डियां मजबूत होती हैं और एनर्जी मिलती है, इस से ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों और तनाव में भी राहत मिलती है.
  • कोशिश करें कि दूध जरूरत के हिसाब से खरीदें और फ्रिज में ढक कर रखें व जितना प्रयोग में लाना हो केवल उतना ही दूध गर्म करें.

8. फल और सब्जियां

  • ये सुरक्षात्मक खाद्य पदार्थ हैं जो विटामिन,  फाइटोन्यूट्रिएंट, एंटीऔक्सिडेंट और फाइबर प्रदान करते हैं जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में काफी सहायक होते हैं.
  • फल और सब्जियां कैलोरी में कम होते हैं इसलिए अधिक खाए जा सकते हैं. इस के अलावा फल और सब्जियों में कोलेस्ट्रौल नहीं होता जिस से दिल की बीमारी दूर रहती है.
  • बच्चों को कस्टर्ड, फ्रूट सलाद, स्ट्रौबेरी और बनाना स्मूदी के रूप में फल दें.
  • सब्जियां भी दिलचस्प बनाई जा सकती हैं. उन्हें बर्गर, पास्ता, नूडल्स और पराठों में शामिल करें.
  • रंगीन पूरियां बनाने के लिए आटे में चुकंदर और पालक का रस या प्यूरी मिलाएं.
  • जब आप अपने बच्चों के लिए इन खाद्य पदार्थों को तैयार करने का आनंद ले रहे हैं तो यह  सुनिश्चित करें कि आप लौकडाउन की अवधि के दौरान उन्हें ज्यादा न खिलाएं.

9. तरल पदार्थों का सेवन भी हो भरपूर

  • बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खाने के साथसाथ पानी का महत्व बहुत अधिक है ऐसे में बच्चों को अधिक से अधिक पानी पिलाना चाहिए और सूप जैसे तरल पदार्थों का सेवन कराना चाहिए.
  • इस के साथ ही बच्चों को फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ देने चाहिएं जिस से बच्चे में पानी की कमी न हो.
  • बच्चों को संतुलित आहार की आदत डालने के लिए जरूरी है कि आप प्रतिदिन अपने बच्चे को उस की पसंद के 5 अलगअलग पौष्टिक खाद्य पदार्थ दें.
  • बच्चे को पौष्टिक खाना खाने की आदत डलवाएं और जंक फूड से उसे दूर रखें.

इन सुझावों के साथ अपने बच्चे के साथ क्वारंटीन समय को खुशनुमा बनाएं.
(लेखिका  माय-थाली कार्यक्रम से जुड़ीं हैं व पोषण सलाहकार हैं.)

#coronavirus: लॉकडाउन में रहे स्ट्रैस-फ्री

कोरोना वायरस का प्रभाव दिन पर दिन अभी बढ़ ही रहा है.लोगों से पूरी तरह से घरों में लॉक डाउंन रहने की सरकार की अपील जारी है.लोग भी सजग हैं ।अपने-अपने घरों में बंद हैं.नौकरी पेशा लोग घर से काम     (वर्क फ्रॉम होम )कर रहे हैं .घर में इस तरह कैद होने की वजह से कई लोगों में स्ट्रेस ( मानसिक तनाव)  की समस्या बढ़ रही है. वर्क फ्रॉम होम, बच्चों की देखभाल जैसी कई जिम्मेदारियों के चलते पार्टनर से भी अच्छे रिश्ते बनाए रखना चुनौती हो गया है. हेल्थी रिलेशनशिप बनाए रखते हुए ऑफिस वर्क को अच्छी तरह मैनेज करते हुए स्टेस फ्री कैसे रहा जाए उसके लिए फॉलो करें कुछ steps-
1. एक्सरसाइज करें- घर में ही रहकर बालकनी, आंगन में एक्सरसाइज जरूर करें. इससे बॉडी में हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं और तनाव गायब हो जाता है .
2.हेल्दी खाएं-घर में ही हैं तो यह नहीं कि  तला भुना, चटपटा खाने पर जोर दें. अपना केलोस्ट्रोल लेवल मत बढ़ाइए. हेल्दी डाइट फॉलो करें.सीरियल्स, ग्रेन ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ और दालें ,मेवे, अंडे प्रोटीन के समृद्ध स्रोत हैं.

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3. बातें शेयर करें- ऑफिस के काम से जैसे फ्री हो अपने पार्टनर से दिल की बातें शेयर करें . ऐसा करने से आप एक दूसरे को और भी बेहतर तरीके से जान सकते हैं.साथ ही उनके कामों को लेकर उनका हौसला बढ़ाएं.
4. दोस्तों से बात करें- अकेलापन महसूस कर रहे हैं तो  टॉक टू फ्रेंड्स. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्रुप में दोस्तों के साथ बातें करने का मजा उठाएं.
5.नींद पूरी करें -तनाव से उबरने का सबसे अच्छा उपाय है गहरी नींद. जब भी मौका मिले नींद ले और कोशिश यही करें कि गहरी नींद आए.
6. कुछ पसंदीदा करें- म्यूजिक, रीडिंग, पेंटिंग gardering आदि किसी चीज का तो शौक रखते होंगे आप तो वक्त है आपके पास .अकेलापन या स्ट्रेस किस बात का, अपना पसंदीदा म्यूजिक सुने, अच्छी चीजें पढ़ना लिखना शुरू करें.आपकी अपनी चॉइस है. 7. पर्सनल स्पेस भी जरूरी -नजदीक रहे लेकिन पर्याप्त दूरी भी  बनाएं.लॉक टाउन के माहौल में लगभग सब अस्त व्यस्त हो गया है.ध्यान रखें रिश्ते में सभी के लिए पर्सनल स्पेस भी बहुत जरूरी है.

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तो देखा आपने तनाव दूर करना ज्यादा मुश्किल नहीं .आवश्यकता केवल इस बात की है कि चाहे कुछ भी हो जाए आपको तनाव ग्रस्त नहीं रहना है. समस्याएं सही तरीके से और सही दिशा में किए प्रयास से हल होती हैं.फिर क्यों स्ट्रैस अपने पर हावी होने दें.

क्या नफरत कोरोना समस्या का हल है: दुनिया कोरोना को ढूंढ रही है और हम मुल्लाओं को

“आम लोगों से एक किलोमीटर की दूरी पर चलो और मुल्लाओं से एक किलोमीटर की दूरी से…”

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऐसी पोस्टों को आप नजरंदाज नहीं कर सकते क्योंकि कोरोना फैलाने में उन लगभग 4 हजार मुसलमानों को बड़ा हाथ साबित हो चुका है जो तबलीगी जमात के जलसों में शामिल हुये थे. लेकिन क्या यह पूरे मुसलमानों से नफरत की बहुत बड़ी तो दूर की बात है बहुत छोटी वजह भी होना चाहिए इस सवाल का सटीक जबाब खोजा जाना जरूरी हो चला है.

शमिका रवि ब्रुकिंग्स इंडिया की रिसर्च डायरेक्टर हैं जो भारत में कोरोना के ट्रेंड पर अद्ध्यन कर रहा हैं. उनके मुताबिक इस एक मामले ने कोरोना की लड़ाई में देश को काफी पीछे धकेल दिया है. शमिका के पास आंकड़ें भी हैं और तर्क भी हैं जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता लेकिन उन्होने अपने पूरे अद्ध्यन में भारतीय समाज के उस पहलू से बचने की कोशिश की है जो कोरोना से परे यह बताता है कि देश में हिन्दू और मुसलमान दोनों तबके एक दूसरे से बला की नफरत करते हैं . क्यों करते हैं यह भी नाकाबिले जिक्र बात है , लेकिन यह कहना कुछ हिंदुओं को बड़ा नागवार गुजरता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के वजूद में आने के बाद यह नफरत उत्तरोतर बढ़ी है.

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निश्चित रूप से इस बात का जिक्र ही हमें कोरोना नाम की भीषण आपदा की तरफ से विमुख और लापरवाह कर देता है. नरेंद्र मोदी में कुछ करोड़ लोगों की विकट की आस्था है जो ज्यादा हर्ज की बात नहीं क्योंकि हर दौर में ऐसा होता है कि अपने चहेते नेता के बारे में लोग अपनी एक धारणा बना लेते हैं और इसे साकार होने देख कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. पंडित जवाहरलाल नेहरू और इन्दिरा गांधी के दौर में भी अंधभक्तों की कमी नहीं थी.

लेकिन मोदी में आस्था के माने क्या सिर्फ तबलीगी जमात में शामिल जामतियों के अलावा सभी मुसलमानों से नफरत होनी चाहिए इस सवाल का जबाब देने कोई तैयार नहीं क्योंकि मसला तकनीकी तौर पर काफी उलझा हुआ है. अंदरूनी हालात तो विभाजन के वक्त जैसे होते जा रहे हैं. कुछ बातें जो मीडिया अपनी बन्दिशों में रहने की मजबूरी के चलते सिर्फ इशारों में कह पाता है वे सोशल मीडिया पर इफ़रात से प्रवाहित हो रहीं हैं. ऊपर बताई दो पोस्टें इसकी बानगी भर हैं जिन्हें बात को समझने बताया गया है.

इस वक्त में किसी भी विश्लेषक के लिए यह कहना बहुत कठिन और चुनौती भरा ही नहीं बल्कि जोखिम भरा काम भी है कि वह सख्ती से यह कहे कि नहीं मुसलमानो से नफरत करने और उसे प्रदर्शित करने का कोरोना जंग से कोई ताल्लुक नहीं है. इस सच से, नफरत करने बाले हिन्दू भी ईमानदारी से सोचें तो इंकार नहीं कर सकते की तबलीगी जमात मामले ने नफरत प्रदर्शित करने का मौका उन्हें दे दिया है वरना तो नफरत पहले से ही उनके दिलों में कूट कूट कर भरी है.

और मुसलमान भी हिंदुओं से किसी तरह की मोहब्बत नहीं करते हैं लेकिन अच्छी बात यह है कि जमातियों की गलती और बेवकूफी उन्हें अब समझ आने लगी है पर वे भी कुछ अगर, मगर, लेकिन, किन्तु, परंतु लगाकर उसे ढकने की एक गलत कोशिश कर रहे हैं फिर चाहे वे न्यूज़ चेनल्स की बहसों में हिस्सा लेने बाले विदद्वान नुमाइंदे हों या सोशल मीडिया पर पोस्ट इधर उधर करने बाला आम मुसलमान हो.

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कुछ राज्य सरकारें अगर यह कह रहीं हैं कि जमाती अपने आप को छिपाए नहीं , नहीं तो उनके खिलाफ कानूनी काररवाई की जाएगी तो वे गलत नहीं कर रहीं हैं लेकिन यही बात हिन्दू सोशल मीडिया पर अपने ढंग से कहे तो उसे सही नहीं ठहराया जा सकता. छिपे हुये जमातियों का एक बड़ा डर इस तरह की धौंस डपट भी हो सकता है. ये धौंसे भी कट्टरवाद के दायरे में आती हैं जिन्हें इन दिनो चौतरफा शह मिली हुई है.

जरूरत इस बात की है कि सभी वक्त की नजाकत समझते धर्म और जात पात का जहर अपनी दिलो दिमाग से निकालें नहीं तो कोरोना से तो एक दफा जंग जीत जाएँगे लेकिन यह नफरत, नफरत करने बालों को ही परास्त करने बाली साबित होगी.

देश में जगह जगह कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डाक्टरों का सामाजिक बहिष्कार और तिरस्कार भी इसी मानसिकता की देन है और इनमें से अधिकांश हिन्दू ही हैं यानि फसाद की जड़ यहाँ भी नफरत ही है. आप बतौर एहतियात इलाज कर रहे डाक्टरों से दूर रहें यह बात कतई हर्ज की नहीं, हर्ज की बात उनसे अछूतो जैसा बर्ताव करना और उन्हें प्रताड़ित करना है जिसका उद्गम धर्मग्रंथ नहीं तो और क्या हैं जिनहोने हमे सिखाया कि फलाना मेहतर, चमार. भंगी है छोटी जात का है इसलिए उससे दूर रहो उससे घृणा करो.

अब भी यही हो रहा है डाक्टरों के साथ भी और मुसलमानों के साथ भी और करने बाले वे 8 -10 करोड़ लोग हैं जिनके दिमाग में हिंन्दू राष्ट्र का कीड़ा कुलबुला रहा है. इन लोगों को समझना चाहिए कि यह एक फिजूल का फितूर है जो कभी पूरा होने बाला नहीं हाँ अगर यूं ही बढ़ता रहा तो एक और गृह युद्ध की नौबत आ सकती है. फिर दोहराना देना जरूरी है कि हम एक लोकतान्त्रिक देश में रहते हैं और उसी ने हमें इस मुकाम तक पहुंचाया है कि अमेरिका जैसा देश एक खास दवा के लिए हमारा मोहताज है. नफरत ही करते रहे होते तो तरक्की नहीं होती और हम पाकिस्तान से कई गुना ज्यादा बदतर स्थिति में होते.

#coronavirus: 62 जिले और सम्पूर्ण भारत में कोरोना 

शुक्रवार तक भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 7400 पार कर गई, वही 230 से अधिक लोग इस महामारी से मरे जा चुके है. क्या आपको पत्ता है भारत में वर्तमान समय  कुल 736 जिले हैं, उनमें से 400 से अधिक जिले अभी भी कोरोना के पहुंच से दूर है. साथ ही क्या आप जानते है कि कोरोना के 80 फीसदी मामले महज 62 जिलों में दर्ज किए गए हैं और यही बढ़ते ही जा रहे हैं . 300 से अधिक जिलों में कोरोना का कहर पहुंच चुका है ,  तो आईये जानते है , जिलेवर करोना का संक्रमण कहा कितना है , किस राज्य के जिले अधिक प्रभावित है तो किस राज्य के जिले कोरोना से कम प्रभावित है.

* ऐसे राज्य जहाँ किसी जिला में संक्रमण नहीं है :-

भारत के ऐसे कई राज्य है जहाँ कोई भी कोरोना का संक्रमण नहीं है . राज्यों में मेघालय, नागालैंड और सिक्किम में पूरे राज्य में कोई केस नहीं है . वही केंद्र शासित राज्य  दादर एवं  नागर हवेली और दमन एवं दीप, चंडीगढ़ और लक्ष्दीप  कोई केस नहीं है.

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* ऐसे राज्य जहाँ सभी जिले कोरोना संक्रमण हैं :- 

ऐसे राज्यों में केरल एवं  गोवा और केंद्रशासित प्रदेश में दिल्ली और लद्दाख के सभी जिलों में संक्रमण है .  गोवा में दो जिले हैं और दोनों ही कोरोना संक्रमित हैं. केरल के सभी 14 जिले कोरोना का संक्रमित हैं. वही  केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में  कुल 11 जिले है , यह सभी कोरोना संक्रमित हैं.  केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में दो जिले है , दोनों जिले कोरोना संक्रमित हैं.

* ऐसे राज्य जहाँ आधा से अधिक जिले है कोरोना संक्रमण हैं :- 

1  केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में चार जिले है जिसमें दो जिले कोरोना वायरस से प्रभावित है तो दो जिले एकदम मुक्त हैं . यहाँ संक्रमित जिले माहे और पोंडिचेरी हैं .

2  केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हालत ठीक नहीं है , यहाँ के 22 जिलों में से 11 जिले कोरोना प्रभावित हैं, जबकि 10 जिले कोरोना मुक्त है .

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3 आंध्र प्रदेश में कुल 13 है , इसमें 11 जिले कोरोना प्रभावित हैं, जबकि अन्य जिले कोरोना मुक्त है.

4 तमिलनाडु  में कुल 37 जिला हैं. इसमें से 20 जिले कोरोना संक्रमित है. इसमें से 17 जिले ही ऐसे , जहां कोरोना  का कोई मरीज नहीं मिला है .

5 तेलंगाना के कुल 33 जिला है. इसमें से 23 जिले कोरोना संक्रमित है . 10 जिले फिलहाल कोरोना वायरस से सुरक्षित हैं.

6 कर्नाटक में कुल 30 जिले है .इसमें से 17 जिले कोरोना संक्रमित है , जबकि 13 जिला कोरोना मुक्त हैं .

7 पश्चिम बंगाल में कुल 19 जिला है, इसमें से 11 जिले कोरोना संक्रमित हैं. यहाँ  संक्रमित जिले  हुगली, हावड़ा, जलपाईगुड़ी, कालिम्पोंग, कोलकाता, नाडिया, उत्तरी 24 परगना, पश्चिमी बर्धमान, पश्चिम मेदनिपुर, पुर्बा मेदनिपुर और दक्षिण 24 परगना हैं .

* ऐसे राज्य जहाँ बहुत कम जिले में कोरोना संक्रमण हैं :- 

1  ऐसे राज्यों में पहला नाम अरुणाचल प्रदेश का आता है , प्रदेश में कोरोना का संक्रमण बहुत काम है .  एक मात्र संक्रमित

जिला लोहित है बाकि कुल 25 में से 24 जिले कोरोना से सुरक्षित हैं.

2  मणिपुर के 16 में से 14 जिलों में अभी कोरोना की एंट्री नहीं हुई है. संक्रमित जिले पूर्वी इंफाल और पश्चिमी इंफाल हैं.

3  मिजोरम के 11 में से 10 जिले कोरोना मुक्त हैं .राज्य का एक मात्र जिला पश्चिमी अजवाल कोरोना से संक्रमित है.

4 त्रिपुरा में कुल 8 जिला है . जिसमें एक मात्रा जिला पश्चिमी त्रिपुरा जिला है, जहाँ एक संक्रमित केस मिला है. 7 जिले कोरोना वायरस से मुक्त हैं.

5  अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह : इस केंद्र शासित प्रदेश के 3 में से 2 जिले कोरोना प्रभावित हैं. यहां  संक्रमित जिले – केवल अंडमान जिला कोरोना प्रभावित हैं.

6  छत्तीसगढ़ में कुल 28 जिलों है , जिसमें से 05 जिले कोरोना संक्रमित है , जबकि 23 कोरोना मुक्त हैं. प्रदेश के संक्रमित जिले बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा, रायपुर और राजनंदगॉव है .

* ऐसे राज्य जहां आधा से कम जिले कोरोना संक्रमित है :-

  1. इसमें पहला नाम असम है , यहाँ कुल 33 जिले है, इसमें से 10 जिले कोरोना से संक्रमित है तो 23 जिले कोरोना से सुरक्षित हैं . असम के संक्रमित जिले कछार, धुबरी, ग्वालपाड़ा, गोलाघाट, कामरूप, कामरूप मेट्रो, करीमगंज, लखीमपुर, मैरिगॉव और नलबाड़ी है .
  2. बिहार में कुल 38 जिलों है , 27 कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित हैं,वही 11 जिलों में कोरोना संक्रमण मिला है. बिहार में संक्रमित जिले – सिवान, बेगुसराय, गया, गोपालगंज, लखिसरॉय, मुंगेर, नालंदा,नवादा , पटना, सारण और भागलपुर है .
  3. गुजरात में कुल 33 जिले है , इसमें से 20 जिलों तक अभी कोरोना का संक्रमण नहीं पहुंचा है. 10 जिलों में कोरोना संक्रमण है . कोरोना संक्रमित जिले अहमदाबाद, भावनगर, छोटा उदयपुर, गांधी नगर, गिर सोमनाथ, कच्छ, महेसाणा, पंचमहल, पाटन, पोरबंदर, राजकोट, सूरत और वडोदरा है .
  4. हरियाणा के 12 जिलों में कोरोना का संक्रमण है हरियाणा के 22 जिलों में से 10 कोरोना मुक्त हैं . प्रदेश में संक्रमित जिले फरीदाबाद, गुड़गांव (गुरुग्राम), हिसार, करनाल, नूंह, पलवल, पंचकुला, पानीपत, रोहतक, सिरसा और सोनीपत.
  5. हिमाचल के कुल 12 जिलों में से 07 कोरोना मुक्त हैं. वही 05 जिलों में संक्रमित लोग मिले है. यहाँ संक्रमित जिले चंबा, कांगड़ा, सिरमौर, सोलन और ऊना है .
  6. झारखंड में कुल 24 जिले है , तीन जिलों में संक्रमण पाया गया है बाकि 21 जिलों तक कोरोना से अभी तक मुक्त है. वह संक्रमित जिले बोकारो, हजारीबाग और रांची है.
  7. उत्तर प्रदेश के 75 जिले में से 28 जिले में कोरोना संक्रमण फ़ैल चुका हैं। यहाँ गौतमबुद्धनगर में कोरोना तेजी से फैला है . संक्रमित जिले अलीगढ़, आगरा, आजमगढ़, बागपत, बांदा, बरेली, बस्ती, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, हरदोई, हापुड़, हाथरस, जौनपुर, कानपुर, लखीमपुर खिरी, लखनऊ, महारजगंज, मेरठ, मुरादाबाद, पीलिभीत, प्रतापगढ़, सहारनपुर, शाहजहांपुर, शामली और वाराणसी है .
  8. मध्य प्रदेश में कुल 52 जिले है , राज्य में अभी तक 18 जिलों में कोरोना का संक्रमण है इसमें 34 जिले कोरोना मुक्त हैं. यहाँ संक्रमित जिले भोपाल, छिंदवाड़ा, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, खरगांव, मुरैना,छिंदवाड़ा, कटनी, शिवपुरी, उज्जैन, खंडवा , देवास , बैतूल , रायसेन ,विदिशा ,इटारसी और रतलाम है .
  9. महाराष्ट्र में कुल 36 जिले है इसमें में 20 जिलों में संक्रमण मिला है. जबकि 16 जिले कोरोना मुक्त हैं . यहाँ संक्रमित जिले – अहमदनगर, औरंगाबाद, बुलधना, बुलढाणा, गोंडिया, जलगांव, कोल्हापुर, मुंबई, मुंबई उपनगरीय, नागपुर, नाशिक, ओसमानाबाद, पालघर, पुणे, रायगढ़, रत्नागिरी, सांगली, सतारा, सिंधुदुर्ग (कुडाल), थाणे और यवतलाम हैं .
  10. ओडिशा में कुल 30 जिले हैं. इनमें से 25 जिले कोरोना वायरस से अछूते हैं. यहाँ संक्रमित जिले भद्रक, कटक, जजपुर, खुरदा (भुवनेश्वर) और पुरी हैं.
  11. पंजाब में कुल 22 जिले है, इसमें में 09 जिलों में संक्रमण मिला है. जबकि 13 जिलों में कोरोना का कोई मरीज नहीं है .यहाँ संक्रमित जिले अमृतसर, होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना, मनसा, नवांशहर, पटियाला, रूपनगर और सासनगर है .
  12. राजस्थान के 33 में से 16 जिले कोरोना मुक्त हैं. यहाँ संक्रमित जिले अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, भरतपुर, बीकानेर, चुरु, दौसा, धोलपुर, डुंगरपुर, जयपुर, झुंनझुंनु, जोधपुर, पालि, प्रतापगढ़, सीकर, टोंक और उदयपुर है.
  13. उत्तराखंड में कुल 13 जिले है, इसमें में 05 जिलों में संक्रमण मिला है. जबकि 8 जिलों में कोरोना का एक भी पॉजिटिव केस नहीं है. यहाँ के संक्रमित जिले देहरादून, हरिद्वार, नैनिताल, पौड़ी गढ़वाल और ऊधमसिंह नगर हैं .

#coronavirus: कैटरीना कैफ ने नर्स के रूप में काम कर रही अभिनेत्री शिखा मल्होत्रा को बताया असली हीरो

फ़िल्म अभिनेत्री शिखा मल्होत्रा जो कि अपनी नर्सिंग की डिग्री का सही उपयोग करते हुए देश सेवा में बतौर नर्स मुम्बई के एक अस्पताल में कोरोना मरीजों की सेवा सुश्रुषा कर रहीं है और जहां पूरा देश उनके इस कार्य की प्रशंसा किये जा रहा है वहां फ़िल्म इंडस्ट्री में अब तक उनके इस सराहनीय काम को लेकर चुप्पी छाई हुई थी.आज पहली बार इंडस्ट्री की तरफ से उनके इस कार्य की प्रशंसा की खबर आ रही है कि वरिष्ठ अभिनेत्री कैटरीना कैफ ने उन्हें रीयल हीरो बताया और उनके कार्य की सराहना की.

उन्होंने शिखा मल्होत्रा की वायरल हो रही ब्रेव स्टोरी को अपने इंस्टाग्राम की स्टोरी बनाते हुए और उन्हें टैग करते हुए लिखा कि शिखा मल्होत्रा एक रीयल हीरो हैं. जब इस बारे में शिखा से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि जब वो आज अपनी लंबी ड्यूटी से थकी-हारी वापस घर लौटी और अपना मोबाइल देखते हुए जब उनको कैटरीना का टैग दिखा और उन्होंने उनका मैसेज पढ़ा तो एकदम से सारी थकान फुर्र हो गई, जवाब में उन्होंने तुरंत कैटरीना को धन्यवाद प्रेषित किया.

शिखा के लिए यह इमोशनल मोमेंट है, उन्होंने बताया कि फ़िल्म फ्रेटर्निटी से मिला अप्रिशियेशन हमेशा से गर्व का विषय रहा है मेरे लिए.. इसी तरह की एक घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि फैन फ़िल्म के उस सीन के शूट के बाद शाहरुख खान ने आकर उनको गले से लगा लिया था और ऐसे ही एप्रिशिएट करते हुए कहा था कि आप में कुछ बात है आप दूर तक जायेंगी.

 

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आपको बता दें कि अपनी नर्सिंग की डिग्री लेने के बाद से शिखा मुम्बई फ़िल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं और फैन और रनिंग शादी में अच्छे किरदार निभाने के बाद इस साल उनकी मुख्य भूमिका वाली महिला प्रधान फ़िल्म ‘काँचली’ प्रदर्शित हुई है.

शिखा मल्होत्रा तब एकदम लाइम लाइट में आई जब उन्होंने pm मोदी की अपील पर देश सेवा का निर्णय लिया और अपनी नर्सिंग की डिग्री का उपयोग करते हुए बतौर नर्सिंग अफसर मुम्बई के हिन्दू ह्रदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे अस्पताल से जुड़ गई.

 

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