गन्ना किसान पर्ची न मिलने से परेशान
बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की चीनी मिल गन्ने की पैदावार कम होने के बाद भी कम पेराई कर रही हैं. किसानों के खेतों में अब भी गन्ना खड़ा है. नोटिस जारी होने के बाद भी चीनी मिल क्षमता के अनुसार पेराई नहीं कर रही हैं. इस से पेराई सत्र पूरे अप्रैल चलने का अनुमान है.
जिले के किसानों की प्रमुख फसल गन्ना है. जिले की खेती के कुल रकबे से आधी जमीन करीब 2 लाख,10 हजार हेक्टेयर में केवल गन्ने की फसल बोई जाती है.
गन्ने की फसल पैदा करने में किसान कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. पेराई सत्र 2017-18 में जिले की चीनी मिलों में गन्ना उत्पादन 10 करोड़ क्विंटल से भी अधिक हुआ था. उत्पादन अधिक होने से चीनी भी बंपर बनी थी.
जिले की चीनी मिलों में चीनी रिकवरी 13 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गई थी. जिले में गन्ना उत्पादन बंपर होने से किसानों की आमदनी में भी भारी बढ़ोतरी हुई थी. किसानों ने पिछले साल गन्ने का रकबा बढ़ा दिया था. रकबा बढ़ने के बाद भी इस बार गन्ने की पैदावार कम हुई नहै.
वजह, बेमौसम बारिश और ओला पड़ने से गन्ने की पैदावार प्रभावित हुई है. गन्ने की पैदावार कम होने के बाद भी चीनी मिल पेराई समय से नहीं कर पा रही हैं.
यह हाल तब है, जब पिछले साल के मुकाबले चीनी मिलों ने पेराई सीजन देरी से शुरू किया.
पिछले साल की पेराई के मुकाबले इस साल गन्ने की पेराई बहुत कम होने की उम्मीद है.
तौल न होने से किसानों ने किया हंगामा
मुजफ्फरनगर: कस्बे में उत्तम शुगर मिल खाईखेड़ी के गन्ना क्रय केंद्र पर 4 दिनों से तौल न होने व इंडेंट जारी न होने से नाराज किसानों ने गन्ना क्रय केंद्र पर जम कर हंगामा किया.
कस्बा छपार में गन्ना क्रय केंद्र पर एकत्र किसानों ने हंगामा करते हुए उत्पीड़न करने का आरोप लगाया. एक किसान ने बताया कि 4 दिनों से कस्बे में गन्ना का तौल और इंडेट जारी नहीं हुआ है. किसानों के खेतों में अभी तक आधे से अधिक गन्ने की फसल खड़ी हुई है. गन्ने की छिलाई न होने के कारण पशुओं के चारे की समस्या भी उत्पन्न हो रही है.
आला अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई.
घंटों चले हंगामे के बाद किसानों के बीच पहुंचे उत्तम शुगर मिल खाईखेडी के डीजीएम साईम अंसार ने प्रतिदिन 1600 क्विंटल इंडेट जारी करने और क्रय केंद्रों पर तौल होने के आश्वासन दे कर किसानों को शांत किया.
गन्ना किसान हैं परेशान: पड़ी दोहरी मार
शामली : पहले ही गन्ना भुगतान न होने से किसान परेशान है, वहीं उन की समस्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है.
एक तरफ तो गन्ना कटाई के लिए मजदूर कम मिल रहे हैं, वहीं पर्चियों का भी संकट है. गेहूं की फसल पक कर तैयार है और जल्द कटाई भी शुरू होनी है. ऐसे में किसान चितित हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो गन्ने की कटाई करेंगे या गेहूं की.
गन्ना विभाग ने पर्चियों की छपाई बंद कर दी है. किसानों को पहले ही पर्चियों की दिक्कत रहती थी, लेकिन अब और अधिक है. व्यवस्था एसएमएस पर्ची भेजने की है, लेकिन काफी किसानों के पास अभी तक एसएमएस नहीं पहुंचा है.
एक और किसान का कहना है कि गेहूं की कटाई में लग जाएंगे तो गन्ना नहीं डाल पाएंगे. गन्ना डालने जाएंगे तो गेहूं की कटाई का काम प्रभावित होगा.
वहीं उस किसान का यह कहना कि एक तो गन्ने का पेमेंट नहीं हो रहा है, वहीं गन्ने की फसल के साथ गेहूं की फसल भी तैयार है और मजदूर कम मिल रहे हैं.
विजय बहादुर सिह, जिला गन्ना अधिकारी का कहना है कि अभी तो पर्चियों की छपाई बंद है. किसानों को एसएमएस भेजे जा रहे हैं. अगर किसी को समस्या है तो संबंधित समिति के सचिव से मिल लें. सरकार ने चीनी मिलों को चलाने को इसलिए कहा है, जिस से किसानों को परेशानी न हो.
किसानों के लिए खुला ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए किसानों का ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर पंजीकरण शुरू करवा दिया है.
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के अनुसार, सरसों की खरीद 15 अप्रैल, तो गेहूं की खरीद 20 अप्रैल तक होगी. इस के लिए किसान 19 अप्रैल तक पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं.
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग भी है. उन्होंने यहां खरीद प्रबंधों की समीक्षा के लिए बुलाई गई एक बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल और आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए.
इस बैठक में जानकारी दी गई कि सरसों की खरीद के लिए 140 मंडियां, जबकि गेहूं की खरीद के लिए लगभग 2,000 मंडी, उपमंडी व खरीद केंद्र निर्धारित किए गए हैं. किसानों को बारदानेे की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी. इस बार प्रतिदिन 1.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद करने का प्रस्ताव है.
किसानों को सरसों व गेहूं की खरीद के लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल के आधार पर दी गई जानकारी के अनुसार कूपन दिए जाएंगे, ताकि मंडियों में किसान एकसाथ उपज ले कर न आएं और निर्धारित तिथि के अनुसार ही विशेष गांवों के किसान क्रमवार अपनी उपज मंडियों में ले कर आएं.
बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि जिन किसानों ने ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है, उन की उपज की खरीद प्राथमिकता आधार पर की जाएगी.
बता दें कि अब तक तकरीबन 60 फीसदी किसानों ने गेहूं की फसल का पंजीकरण करवाया है, जबकि 40 फीसदी किसानों ने पंजीकरण नहीं करवाया है.
बैठक में आढ़ती एसोसिएशन ने आश्वासन दिया कि वे अपनी 2.5 फीसदी आढ़त में से 0.10 फीसदी राशि ‘हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड’ में सहयोग के रूप में देंगे.
बैठक में इस बात का भी फैसला लिया गया है कि देरी से गेहूं की खरीद होने के कारण केंद्र सरकार जो भी दिशानिर्देश देगी, उसी के अनुरूप किसानों को बोनस या प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इस बार गेहूं की खरीद जून माह तक चलने की संभावना है.
वहीं इनेलाे के नेता अभय चौटाला ने राज्य सरकार के 15 अप्रैल से सरसों और 20 अप्रैल से गेहूं की फसल खरीदने संबंधी बयान पर कहा कि सरसों के किसान तो अपनी फसल को समर्थन मूल्य से कम दाम पर देने को मजबूर हो रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि मेवात इलाके में सरसों की फसल की आवक तो फरवरी माह के आखिरी हफ्ते में मंडियों में आनी शुरू हो जाती है. रेवाड़ी व नारनौल में मार्च माह के दौरान तैयार हो जाती है. अब इस इलाके के किसान सीधे कारखानों में समर्थन मूल्य से कम दाम पर सरसों बेचने पर मजबूर हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं की खरीद 20 अप्रैल से पहले शुरू की जाए तो किसानों को भंडारण की व्यवस्था से छुटकारा मिल सकता है. सरकार 4 या 5 गांवों के ग्रुप बना कर सरसों व गेहूं की खऱीद शुरू कर सकती है. इस से खरीद एजेंसी के अधिकारियों को भी सुविधा होगी. किसानों को भी सहूलियत होगी. अभी तक खऱीद के बारे में मंडियों में खरीद एजेंसियों द्वारा प्रबंध न के बराबर हैं. अभी तक तो यह भी सुनिश्चित नहीं है कि कौन सी एजेंसी किस मंडी में कितना गेहूं व सरसों की खऱीद का लक्ष्य निर्धारित किया है.
गन्ना भुगतान न मिलने से किसान परेशान
ईसानगर : एक तो किसानों को अपनी गन्ना फसल का भुगतान नहीं हुआ, वहीं दूसरी ओर उन किसानों के सामने पैसों की तंगी मुंहबाए खडी है.
भुखमरी से जूझ रहे किसान कभी अपने बच्चों की सूनी आंखों में देखते हैं तो उन्हें रोना आ जाता है. वे चाह कर भी अपने बच्चों की इच्छाओं का गला घोंटने को मजबूर हैं.
वजह, एक तो गन्ना किसानों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है, वहीं सरकार भी पूरी तरह सजग नहीं है. भले ही ये किसान खेतों में काम कर सकते हैं , पर सचाई यह है कि उन्हें उन के ही खेतों में काम नहीं करने दिया जा रहा है.
किसानों की माने तो क्षेत्र की चीनी मिल ने इस सत्र के 4 महीने गन्ना खरीद के बदले महज कुछ ही दिन का भुगतान किया है.
यहां के किसानों की सभी जरूरतें एकमात्र नकदी फसल गन्ना से ही पूरी होती हैं. इस क्षेत्र की एकलौती गोविंद शुगर मिल ऐरा है, जो किसानों की भरोसेमंद चीनी मिल थी. पिछले कुछ सालों से इस चीनी मिल के प्रबंध तंत्र की वजह से किसानों को उन की फसलों की कीमत समय पर नहीं मिल पा रही है, जिस वजह से किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है.
परौरी गांव के एक किसान बताते हैं कि भुगतान न मिलने से तमाम किसान परेशान हैं. बच्चों के स्कूलों की फीस तो क्या घरेलू खर्च भी पूरा नहीं कर पा रहे.
ईसानगर के बिरसिंह गांव के किसान ने बताया कि जब इस चीनी मिल का प्रबंधन बिरला ग्रुप के पास था तो वह किसानों का दर्द समझ कर ध्यान रखते थे. जब से प्रबंधन बदला, रिश्ते ही बदल गए.
ईसानगर के रहने वाले एक और किसान का कहना है कि चीनी मिल मैनेजमेंट किसानों से धोखा कर रहा है. सरकार भी इस पर ध्यान नही दे रही.
किसानों की जुताईबोआई मुफ्त में कराएगी योगी सरकार
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों को राहत देने के लिए योगी सरकार ने ट्रैक्टरों से मुफ्त में खेतों की जुताई और बोआई कराने का निर्णय लिया है. वहीं सूबे के किसानों को भी बड़ी राहत दी है.
पहले चरण में यह योजना उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर समेत 16 जिलों में लागू की जा रही है. किसानों को 2 महीने ही मुफ्त में जुताई और बोआई की यह सुविधा मिलेगी.
यह मौसम खेत से गेहूं और तिलहन जैसी फसलों की कटाई का है. पर किसान खेतों की फसल कटाई और बोआई की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के मुताबिक, प्रदेश के छोटे किसानों की लागत कम करने के लिए निजी कंपनियों की मदद ली जा रही है.
उन्होंने ट्वीट किया कि मैसी टैफे कंपनी के सहयोग से लघु व सीमांत किसानों को आगामी 2 माह तक फसल कटाई, खेतों की जुताई व बोआई मुफ्त में मुहैया कराई जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि यह सुविधा अगले 2 महीने के लिए ही होगी, जो छोटे किसानों के लिए कटाई और बोआई का मौसम होगा और जिस का खर्च सरकार उठाना चाहती है.
प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के खेतों की जुताई व बोआई मुफ्त कराने के लिए प्रथम चरण में जिन 16 जिलों का चयन किया गया है, इन में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, सुलतानपुर, अयोध्या, सीतापुर, अंबेडकरनगर, प्रयागराज, आजमगढ़, बाराबंकी, हरदोई, जौनपुर, गाजीपुर, प्रतापगढ़, संत कबीरनगर व भदोही शामिल हैं.
इन जिलों के पात्र किसान अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारियों से मिल कर योजना का लाभ उठा सकते हैं. वहीं, दूसरे चरण में बहराइच, बलरामपुर, देवरिया, कुशीनगर, श्रावस्ती, चंदौली, फतेहपुर, सिद्धार्थ नगर, मेरठ, चित्रकूट व बस्ती जिलों के छोटे किसानों को सुविधा मुहैया कराने की योजना है.
राज्य सरकार ने किसानों की तिलहन और दलहन फसल की उपज का उचित मूल्य दिलाने का भी आश्वासन दिया है. इस के तहत सरसों, चना और मसूर की सरकारी खरीद भी कराई जाएगी. इस का सरकार ने न्यूनतम मूल्य भी निर्धारित कर दिया है.
किसान अपनी उपज बेचने बाजार तक नहीं ले जा पा रहा है, जिस के चलते सरकार ने खरीदारी करने का निर्णय लिया है.
गेहूं कटाई के लिए कंबाइन मशीन में चालक के अलावा 3 व्यक्ति और भी
ऊधमसिंह नगर: जिले में गेहूं की फसल पक चुकी है, लेकिन गेहूं कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में जिला प्रशासन व कृषि विभाग ने किसानों को राहत देते हुए कंबाइन मशीन से गेहूं कटाई की छूट दी है.
गेहूं कटाई के दौरान कंबाइन मशीन में चालक के अलावा 3 और काम करने वाले मौजूद रहेंगे. खेती के काम करने के बाद कंबाइन मशीन व काम करने वाले मजदूरों को सैनिटाइज किया जाएगा.
ऊधमसिंह नगर में तकरीबन एक लाख हेक्टेयर खेती की जमीन में गेहूं बोया गया.भले ही एक अप्रैल से रबी विपणन सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन गेहूं कटाई के लिए काम करने वाले मजदूर ही नहीं मिल पा रहे हैं.
जिला प्रशासन व कृषि विभाग ने किसानों को गेहूं काटने के लिए कंबाइन मशीन का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है. साथ ही, सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बाजार में कंबाइन मशीन व ट्रैक्टर के स्पेयर पार्ट की बिक्री की जाएगी.
जिले में जिन गांवों में गेहूं की फसल पक चुकी है, वहां गेहूं काटने के लिए कंबाइन मशीन की अनुमति मिलने से किसानों को राहत मिली है.
खेती में काम आने वाली मशीनों के मिलेंगे स्पेयर पार्ट
गोरखपुर: सरकार ने किसानों को राहत देते हुए राज्यों के बीच और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच ट्रकों के आनेजाने के लिए स्थानीय प्रशासन को पास देने की अनुमति दी है.
इस के अलावा पेट्रोल पंप के निकट स्थित कृषि उपकरण, ट्रक एवं कृषि संबंधी मशीनों के स्पेयर पार्ट की दुकानें भी खोलने की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं.
सरकार के इस कदम के बाद खादबीज, कृषि रसायन और रबी की फसल की बिक्री को ले कर कृषि विभाग के अधिकारी उत्साहित हैं.
संयुक्त निदेशक, कृषि, गोरखपुर मंडल डाक्टर ओमबीर सिंह कहते हैं कि मंडी में गेहूं ढुलाई के लिए ट्रकों की जरूरत होगी, वहीं जायद की फसलों की बोआई के लिए बीज, खाद, कृषि रक्षा रसायनों को लाने व ले जाने के लिए भी ट्रकों की भी जरूरत होगी.
गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर ट्रकों को चलाने के निर्देश दिए हैं. मसलन, दूध को जरूरी चीजों में शामिल किया गया है, लेकिन पैकेजिंग के सामान यानी पैकेट गैरजरूरी बताए गए हैं. ऐसे में सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है.
फिलहाल अब ग्रासरी के साथ ही साफसफाई के उत्पाद मसलन हैंड वौश, साबुन, बौडी वौश, शैंपू, सरफेस क्लीनर, डिटर्जेंट, टिश्यू पेपर, टूथपेस्ट, ओरल केयर, सैनिटेरी पैड, डायपर, बैटरी सेल, चार्जर वगैरह की ढुलाई को भी मंजूरी दे दी गई है.
इस के अलावा मैनुफैक्चरिंग कंपनियों से दवाओं की आपूर्ति भी हो सकेगी. देश में अब सभी तरह के माल भले ही जरूरी चीजों की कैटीगरी में न आते हो, आवाजाही की जा सकेगी. ट्रक, ट्रेक्टरट्रौली, कृषि मशीनरी, कंबाइन हार्वेस्टर की मरम्मत के लिए स्पेयर पाटर्स, मैकेनिक और टायर की दुकानें भी खोली जाएंगी.
सरकार के निर्देशानुसार ट्रकों के चालक और क्लीनर को स्थानीय प्रशासन अनुमति पास जारी करेगा. इस के लिए चालक के पास नियमानुसार ड्राइविंग कार्ड और गाड़ी के दस्तावेज होने जाहिए.
किसानों के लिए राहत की खबर
भोरमदेव शक्कर कारखाना में काम की शुरुआत
कवर्धा: गन्ना किसानों के लिए राहत की खबर यह है की जिले के सभी पंजीकृत किसानों का गन्ना खरीदी हो गया है.
वहीं प्रदेश के पहले ग्राम राम्हेपुर स्थिति भोरमदेव शक्कर कारखाना में खरीदी शुरू की गई, लेकिन यहां पंडरिया के शक्कर कारखाना के बचे हुए किसानों की भी गन्ना खरीदी की जाएगी.
गन्ना खरीदी किए जाने को ले कर भारतीय किसान संघ ने जिला प्रशासन का अभार जताया है. जिला अध्यक्ष दानेश्वर परिहार ने बताया कि किसानों की स्थिति बेहद खराब है. ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन ने कारखाने को शुरू करा कर किसानों के हित में बेहतर काम किया है.
कलक्टर अवनीश कुमार शरण ने बताया कि कारखाना शुरू किए जाने को सहमति दे दी है.
उन्होंने अपने निर्देश में खरीदी के दौरान किसानों व कारखाना कर्मचारी के बीच दूरी बनाए रखने कहा है.