56 हुआ 26 

2014 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धौंस वह भी खुलेआम देने की जुर्रत की. इससे मोदी भक्तों में तो मायूसी है ही लेकिन पूरा देश उनके दुख में शामिल है और होना भी चाहिए क्योंकि यह तो 130 करोड़ देशवासियों का अपमान है. क्या ऐसे हम विश्व गुरु बनेगे. पोल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भी खुली है कि वे पैसों और अपने स्वार्थ के अलावा किसी के सगे नहीं. जबकि हमारे लिए पैसा हाथ का मेल है जिसे हमने ट्रम्प के स्वागत में पानी की तरह बहाया था.
धमकी देकर ट्रम्प ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नाम की क्षुद्र दवा तो देने मोदी जी को मजबूर कर दिया और हामी भरने के बाद धन्यवाद देकर जले पर नमक भी छिड़क दिया. इस पर जाने क्यों मोदी और उनके भक्त रहस्यमय चुप्पी साधे हुये हैं. मोदी के 56 इंच के सीने बाले डायलोग से तो लगा ऐसा ही था कि वे कभी किसी के आगे नहीं झुकेंगे और पूरी दुनिया उनकी बुद्धि और दुःसाहस का लोहा मानती रहेगी.
लेकिन अब लग रहा है कि अमेरिका की नजर में हम दीनहीन हैं ठीक वैसे ही जैसे सवर्णों के सामने शूद्र होते हैं जो सीधे काम न करें तो उनसे हड़काकर काम लिया जाता है और फिर मानव मात्र समान हैं का जुमला छोडकर उन्हें बराबरी से बैठालकर अगली गुलामी के लिए तैयार कर लिया जाता है. बहरहाल जो हुआ वह ठीक नहीं हुआ इसलिए हम तो ट्रम्प को राष्ट्रपति पद का चुनाव हारने की बददुआ ही दे सकते हैं जो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से तो सस्ती ही है.

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