ऐसा क्या पता था कि सरकार ही इन गरीबों के साथ मजाक करेगी. जैसे ही इन गरीब औरतों को पता चला कि  जनधन खाते में सरकार ने कुछ पैसा भेजा है, ये औरतें बिना सोचेसमझे ही पैसा निकालने बैंक चल दीं और वो भी कोरोना के चलते लॉक डाउन में.

यह मामला मध्य प्रदेश के भिंड इलाके का है. 09 अप्रैल, 2020 का दिन ऐसी औरतों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया, जो न कहते बन रहा है, न उगलते.

भिंड इलाके की ये औरतें जनधन योजना के तहत खोले गए खाते में आए 500 रुपए लेने बैंक गई थीं. ये 2-4 नहीं, बल्कि 39 गरीब औरतें थीं. इन औरतों को लॉक डाउन में कर्फ्यू लगा होने के कारण नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

सचाई तो यही है,पर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉक डाउन के दौरान मध्य प्रदेश के भिंड सहित कई जिले में कर्फ्यू है. ,इस दौरान इन गरीब औरतों को प्रधानमंत्री जनधन योजना से 500 रुपए लेना महंगा पड़ गया. पुलिस ने सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने पर 39 गरीब औरतों को जेल में बंद कर दिया.

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पुलिस ने इन औरतों पर धारा 151 के तहत कार्यवाही की थी. लिहाजा, इन औरतों को 4 घंटे जेल में गुजारने पड़े. इन औरतों को 10-10 हजार रुपए के मुचलके पर एसडीएम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद छोड़ा गया.

इस कार्यवाही के दौरान पुलिस की भी लापरवाही सामने आई और पुलिस ने खुद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया.

दूसरों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने वाली पुलिस इन औरतों को हिरासत में ले कर एक ही वाहन में भर कर ले गई थी. इस के बाद इन औरतों को अस्थायी जेल में बंद कर दिया गया था.

गरीबी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन लोगों के खाते में 500 रुपए डाले हैं, जिसे निकालने के लिए बैंक के बाहर गरीबों की एक लंबी लाइन लग गई.

लॉक डाउन के उल्लंघन की जानकारी जब पुलिस को लगी, तो वह वहां तुरत पहुंची और इन औरतों को समझाया कि वो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. लेकिन ये औरतें नहीं मानीं. फिर इन पर एक्शन लिया गया और इन को हिरासत में ले लिया गया.

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पुलिस की इस कार्यवाही से ये गरीब औरतें काफी आहत हैं. पैसे की तंगी से उबारने के लिए जनधन खातों में सरकार ने 500 रुपए जरूरतमंदों के खाते में डाले थे, लेकिन ये पैसे लेना इन गरीब औरतों को भारी पड़ गया.

सरकार द्वारा गलत समय पर लिया गया फैसला इन गरीब औरतों को ऐसी दोहरी मार मारेगा, सपने में भी नहीं सोचा था. 500 रुपए पाने के चक्कर में 10 हजार रुपए और इन की जेब से जाना इस बात को दर्शाता है कि गरीब की कहीं कोई सुनवाई नहीं है.

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