आपके द्वारा असत्य एवं भ्रामक खबरें फैलाई जा रहीं हैं जबकि जनपद फिरोजाबाद में न तो किसी मेडिकल टीम एवं न ही एंबुलेंस गाड़ी पर किसी तरह का पथराव किया गया है आप अपने द्वारा किए गए ट्वीट को तत्काल डिलीट करें.

यह फटकार बीती 6 अप्रैल को फिरोजाबाद पुलिस ने कट्टर हिंदूवादी माने जाने बाले चैनल जी न्यूज़ को लगाई थी क्योंकि इस चेनल के उत्तरप्रदेश उत्तराखंड ट्विटर हेंडल से हुये एक ट्वीट में वाकई भ्रम फैलाने बाला ट्वीट यह किया गया था- फिरोजाबाद में 4 तबलीगी जमाती कोरोना पॉजटिव, इन्हें लेने पहुंची मेडिकल टीम पर हुआ पथराव.

जी न्यूज़ गलत भ्रामक और असत्य खबरें जिन्हें फेक ही कहा जा सकता है फैलाने कितना बदनाम हो चुका है इसकी एक और बानगी उस वक्त देखने में आई जब फिरोजाबाद मामले से कोई सबक न लेते हुये उसने दूसरे दिन ही यह खबर चला दी थी कि अरुणाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमित 11 मरीज जमात के हैं जिन्होंने पिछले महीने दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तबलीगी जमात में हिस्सा लिया था . चूंकि खबर सरासर गलत थी इसलिए आईपीआर (सूचना व जनसम्पर्क विभाग) अरुणाचल प्रदेश को इस का खंडन करना पड़ा .

थूक कर चाटा-

थूक कर चाटना हालांकि एक पुराना मुहावरा है लेकिन इस चेनल को उक्त दो मामलों में थूक कर चाटना ही पड़ा . फिरोजाबाद पुलिस के एतराज के बाद चैनल ने न केवल झूठा बल्कि माहौल बिगाडता अपना ट्वीट हटा लिया और अरुणाचल के मामले में तो बाकायदा ब-जरिए खबर खेद भी उसे व्यक्त करना पड़ा. अपनी माफ़ीनुमा खबर में इस चेनल ने कहा – मानवीय भूल से zee news पर अरुणाचल प्रदेश में तबलीगी जमात के 11 लोगों के संक्रमित होने की खबर दिखाई

jamat-2

इस गलती का हमें खेद है

इन दोनों गलत खबरों में एक खास बात यह है कि ये दोनों ही तबलीगी जमात से ताल्लुक रखती हुईं थीं यानि उस एक वर्ग विशेष से जो मुसलमान कहलाता है. साफ दिख रहा है कि मंशा पत्रकारिता की कतई नहीं बल्कि अपनी पहुँच का फायदा उठाते उन्हें बदनाम करने की ज्यादा थी.  इससे कितनी नफरत फैली होगी इसकी गणना करने बाला कोई नहीं. हैरत तो इस बात की भी है कि गलत खबरें बुरी नियत और मंशा से दिखाए जाने के बाबजूद भी जी न्यूज़ के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की गई. (शुक्र इस बात का कि दोबारा कोई इनाम इस चेनल को देने का ऐलान नहीं किया गया)

चारों तरफ थूक ही थूक –

कोरोना के कहर और लाक डाउन की त्रासदी के दौर से गुजरते देश को क्या ऐसी झूठी खबरों की जरूरत है इस सवाल का जबाब तो आप खुद तय करें और दें लेकिन एक नजर और फेक न्यूज़ की फेकटरी पर डाल लें जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि इस तरह की खबरें कौन फैलाता है और एक वर्ग विशेष के कुछ लोग क्यों इन्हें चाव और दिलचस्पी से देखते हैं. बाबजूद यह जानने और समझने के कि यह सब सुनियोजित होता है और इस सर्किट के तार कहीं न कहीं हिन्दू राष्ट्र के निर्माण अभियान से जुड़े हैं.

जी न्यूज़ घोषित तौर पर हिन्दूवादी चेनल है इसके मालिक को भाजपा राज्यसभा में ले चुकी है. उक्त दो मामलों में तो उसे इसलिए थूक कर चाटना पड़ा क्योंकि इस बार एतराज जताने बाले 2 सरकारी विभाग थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केवल जी न्यूज़ ही नहीं बल्कि इस तरह की फेक न्यूज़ के उत्पादन और प्रचार , प्रसार और प्रवाह में पूरी गेंग सक्रिय है. इसके पहले एक प्रमुख समाचार एजेंसी एएनआई और एक प्रमुख हिन्दी दैनिक अमर उजाला भी फेक न्यूज़ फैलाते हुये पकड़े गए हैं.

इन दिनों थूकने को लेकर लोगों को सचेत किया जा रहा है जिससे कोरोना वायरस न फैले  लेकिन कुछ मीडिया घरानों को झूठी खबरें थूकने की छूट मिली हुई है जिससे नफरत का वायरस और तेजी से फैले.

7 अप्रेल को एएनआई उत्तरप्रदेश ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया– नोएडा के हरौला के सेक्टर 5 में जो तबलीगी जमात के सदस्यों के संपर्क में आए थे उन्हें क्वारेंटाइन कर दिया गया है. इस खबर में नोएडा के डीसीपी संकल्प शर्मा का हवाला देकर इसे सच ठहराने की कोशिश की गई थी.

जैसे ही ट्वीट की बात नोएडा पुलिस की जानकारी में आई तो उसने इसे फर्जी करार दे दिया.  डीसीपी नोएडा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हेंडल से एएनआई को टेग करते लिखा- ऐसे लोग जो कोरोना पाजिटिव के संपर्क में आए थे उन्हें निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार क्वारेंटाइन किया गया. इसमें तबलीगी जमात का कोई जिक्र नहीं था. आप गलत हवाला देते हुये खबरें फैला रहे हैं.

इस फटकार के बाद उक्त एजेंसी ने भी थूक कर चाट लिया यानि अपना ट्वीट डिलीट कर दिया.

jamat

हद है –

ऐसी पोस्टों की तादाद सैकड़ों में है जो वायरल होने के बाद फर्जी साबित हुईं इनमें से ज़्यादातर तबगीली जमात से जुड़ी हुई थीं. आइये एकाध दो पर नजर डाल लें–

`सहारनपुर में क्वारइंटाइन वार्ड में भर्ती जमातियों ने मांसाहारी खाना न मिलने पर खाना फेक दिया और खुले में ही शौच किया `यह खबर प्रमुखता से कई न्यूज़ चेनल पर दिखाई गई थी और समाचार पत्रों में भी छपी थी. सोशल मीडिया तो इससे भरा पड़ा था और देखने बाले जमातियों के साथ साथ आम मुसलमानो को भी कोस रहे थे.

इस फेक न्यूज़ का खंडन भी सहारनपुर पुलिस ने किया.

एक और फेक न्यूज़ अभी तक सोशल मीडिया पर अभी भी वायरल हो रही है जिसके वीडियो में  एक शख्स तोड़ फोड़ करता दिखाई दे रहा है. विश्वास सनातनी हिन्दू जय भारत नाम से बनाए गए ट्विटर एकाउंट से एक यूजर ने कमेन्ट किया- तबलीगी जमात का मुल्ला देखो नग्न होकर क्या कर रहा है.

यह पोस्ट भी खूब वायरल हुई एक अखबार दैनिक भास्कर ने अपनी पड़ताल में इसे फर्जी साबित करते बताया कि उक्त वायरल हो रहा वीडियो पाकिस्तान का है. दैनिक भास्कर ने विस्तार से ऐसी कई और फेक न्यूज़ का भांडा फोड़ किया है इसलिए वह भक्तों के निशाने पर इस आरोप के साथ अक्सर रहता है कि यह हिन्दू विरोधी और मुसलमान हिमायती अखबार है.

समझें फेक की मानसिकता को –

लाक डाउन के चलते घरों में कैद करोड़ों हिंदुओं को ऐसी फेक न्यूज़ देख और सुन जो सुख मिल रहा है उसका आधार वह नफरत और कट्टरवादी मानसिकता है जो उन्हें विरासत में मिली है और वे इसके इतने आदी हो गए हैं कि जब यह पूर्वाग्रह खंडित होता है तो वे घबरा उठते हैं. ये सभी खासे पढ़े लिखे हैं लेकिन घर में बड़ों और समाज में पंडे पुजारियों से सीखा दलित, ईसाई, आदिवासी, मुस्लिम विरोधी पाठ जब झूठ और बेमानी इन्हें लगता है तो इसका सच स्वीकारने के बजाय वे पुश्तैनी झूठ पर ही टिके रहने में ज्यादा सहज महसूस करते हैं.

भगवा गेंग इसी मानसिकता और कमजोरी को भुनाने फेक न्यूज़ का उत्पादन करती है जिसे इन लोगों को अपने नशे की खुराक मिलती रहे. दिक्कत तो यह है कि इन  4-6 करोड़ लोगों ने मान लिया है कि अगर फेक न्यूज़ देश को हिन्दूराष्ट्र बनाने में सहायक हैं तो हम उन्हें बतौर सच ही देखेंगे. ये लोग सिर्फ यही चाहते हैं कि जो वे सोचते और चाहते हैं वह अगर झूठ की शक्ल में भी होगा तो चलेगा ठीक वैसे ही जैसे ईश्वर का अस्तित्व प्रमाणित नहीं है लेकिन वह है कहीं और हो न हो हमारे मन में तो है.

भगवा गैंग की दुकान इन्हीं लोगों से चल रही है जो मीडिया के रूप में हो तो भी अपना आर्थिक फायदा ही देखती है फिर उसके झूठ से देश को क्या और कैसे नुकसान होते हैं इससे उसे कोई सरोकार नहीं.

फेक न्यूज़ की पौराणिक मानसिकता

हिन्दू यानि सनातन धर्म में फेक न्यूज़ कोई हैरानी की बात नहीं है बल्कि उसका तो आधार यही है और तमाम धर्म ग्रंथ ऐसी ही फेक न्यूज़ से भरे पड़े हैं. हनुमान ने खेल खेल में  बचपन में ही सूर्य को मुंह में रख लिया था यह प्रसंग भी किसी फेक न्यूज़ से कम नहीं इनही हनुमान जी ने पूरा पर्वत हथेली पर उठा लिया था और कभी समुद्र पार करते समय सुरसा नाम की राक्षसी को छकाने वे मच्छर के बराबर हो गए थे ये सभी फेक न्यूज़ के पौराणिक उदाहरण हैं .

कुरुक्षेत्र के मैदान में कृष्ण द्वारा अर्जुन को जो विराट स्वरूप दिखाया था वह द्वापर की फेक न्यूज़ का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. इनही कृष्ण ने बचपन में गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठा लिया था.  ऐसी फेक न्यूजों के रस्वादन से जिन भक्तों की सुबह की शुरुआत होती हो उनके लिए मौजूदा फेक न्यूज़ हैरानी या चिंता का विषय होंगी यह सोचना ही बेमानी है क्योंकि फेक न्यूज़ तो उनके जीवन का सहज हिस्सा हैं जिसका फायदा आज भी धर्म के कारोबारी मीडिया बाले बनकर उठा रहे हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...