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#coronavirus: और भी वायरस हैं कोरोना के सिवा

संकट से खतरे उभरते हैं तो कुछ अवसर भी. यह निर्भर करता है इंसानों पर कि वे उस संकट में अपने लिए कैसे अवसर ढूंढते हैं.

फासीवादी, तानाशाह, सांप्रदायिक व ऐसी ही प्रवृत्ति के महत्वाकांक्षी और स्वार्थी लोग, जिनके दिलों में फासीवादी बनने की इच्छा होती है,  गंभीर संकटों में न केवल अपने षड्यंत्रकारी कृत्यों को जारी रखते हैं बल्कि इन संकटों को अपने लिए अवसर मानते हुए कृत्यों में और तेज़ी ले आते हैं. वे समझते हैं कि दुनिया संकट में उलझी हुई है, इसलिए वे जो कुछ भी करेंगे उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आएगी.

बुनियादी तौर पर इसका मतलब यह निकलता है कि दुनिया में बढ़ता वायरसरूपी संकट तानाशाही सोच को तेज़ी से पनपने में मदद कर रहा है. हंगरी के नेता विक्टर ओर्बन का उदाहरण ही ले लीजिए, जिन्होंने सार्वजनिक भावना का सहारा लिया और सत्ता को प्राप्त करने के लिए क्रूरतापूर्ण तरीक़े से इस वायरस को अपना हथियार बनाया और हंगरी के बचे-खुचे लोकतांत्रिक चेहरे को भी अपनी इस कार्यवाही से तबाह कर दिया. जिस सदन में वे दो-तिहाई बहुमत रखते हैं उसी के सामने खड़े होकर उन्होंने हंगरी को कोरोना वायरस से बचाने के नाम पर खुद के लिए असीमित अधिकार के प्रस्ताव को पारित कराया, जिसके अनुसार अब उनके पास ऐसे बहुत से अधिकार होंगे कि जिनका कोई उल्लेख भी नहीं है और न ही उनकी कोई निगरानी कर सकता है.

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सभी चुनावों और जनमत संग्रह को रद्द करने के साथ ही विक्टर ओर्बन को अब यह अधिकार प्राप्त हो गया है कि वे कोरोना वायरस से निपटने के उनकी सरकार के प्रयासों की आलोचना करने वालों को 5 वर्षों के लिए जेल में डाल दें.  झूठ क्या है और क्या नहीं, इसका फ़ैसला वे ख़ुद करेंगे. इसके अलावा कोरोना वायरस का संकट कब समाप्त होगा और कब उनके अधिकार समाप्त होंगे, इसका फ़ैसला भी वे ख़ुद ही लेंगे. इसलिए यह कहा जा रहा है कि जब तक विक्टर ओर्बन हैं तब तक अब हंगरी से यह संकट समाप्त नहीं होने वाला. फिलीपींस में भी कुछ इसी तरह की स्थिति देखने को मिल रही है.

यहां पर कुछ लोग यह सवाल कर सकते हैं कि तानाशाही सोच संकट से निपटने में सकारात्मक भूमिका निभाती है, जैसा कि चीन में यह देखा गया है, तो फिर इस सोच का इस्तेमाल करने में क्या बुराई है? जवाब यह है कि संकट को रोकने के लिए हमें आवश्यकता के अनुसार हर तरह के फ़ैसले लेने और क़दम उठाने चाहिए लेकिन मानवीय अधिकारों का ख़्याल करते हुए क्योंकि हम ये सभी कार्यवाहियां और फ़ैसले मानवता की रक्षा के लिए कर रहे होते हैं. लेकिन वहीं, अगर फ़ैसलों से इंसानों को और अधिक नुक़सान पहुंचने लगे तो हमें ज़रूर देखना चाहिए कि हमारे फ़ैसले सही हैं या नहीं.

दूसरी ओर दुनिया में नफ़रत की राजनीति और घृणा का व्यापार करने वाले भी संकट के समय स्वार्थी व साजिशी अवसर खोज लेते हैं. हमारे देश भारत में नोवल कोरोना वायरस का संकट आते ही इस तरह के लोग सक्रिय हो गए. घातक वायरस को सांप्रदायिक रंग देकर वे नफ़रत फैलाने लगे.

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ऐसे कामों में हमेशा की तरह आगे-आगे रहने वाले कुछ कट्टरपंथी गुटों और उनके समर्थक मीडिया का उदाहरण लिया जा सकता है. पहले से ही सांप्रदायिक तनाव को भड़काने और एक समुदाय विशेष को बुरा दिखाने की ताक में रहने वाले गोदी मीडिया और कट्टरपंथी गुटों को कोरोना वायरस के नाम पर एक अवसर हाथ लगा है. मीडिया और कट्टरपंथी गुट कोरोना वायरस के फैलाव के सभी कारणों को भुलाकर इसकी तोहमत पूरेतौर एक समुदाय विशेष पर लगाने में जुट गए. समाज में जहर घोलने और नफरत पैदा करने व फैलाने वाले कट्टरपंथी संगठनों के कार्यकर्ता झूठी ख़बरों, पहले की तस्वीरों और वीडियो को प्रकाशित करके पूरे देश में कोरोना वायरस के लिए एक समुदाय को ज़िम्मेदार बताने की साज़िशों में आगे आ गए हैं.

याद रहे कि झूठी ख़बरों यानी अफवाहों का वास्तविक प्रभाव होता है. यही कारण है कि छोटे शहरों और गांवों से इस वायरस के फैलाव का ज़िम्मेदार समुदाय विशेष को ठहरा कर, उसके मानने वालों के ख़िलाफ़ हिंसा की ख़बरें आने लगीं.

और नज़र डालें, तो अमेरिका इस वायरस का ग़लत फ़ायदा उठाने के साथ ईरान पर और अधिक प्रतिबंध लगाकर जहां ईरानी राष्ट्र को कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में हराने की नाकाम कोशिश कर रहा है वहीं ज़ायोनी शासन (इस्राईल) दुनिया में फैली इस महामारी को अपने स्वार्थ के लिए अवसर मानते हुए फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अत्याचारपूर्ण कार्यवाही में लगातार वृद्धि कर रहा है.

कुला मिलाकर, दुनिया के अधिकतर देश जहां कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अलग-अलग शोध और उपाय ढूंढ रहे हैं वहीं दुनिया की फासीवादी व सांप्रदायिक ताकतें इसे अपने लिए स्वार्थी अवसर मानते हुए अपनी साज़िशों को परवान चढ़ा रही हैं. सो, दुनिया के लिए मौका है कि वह फासीवादी ताकतों और सांप्रदायिक गुटों को पहचाने और एकजुट होकर इनके ख़िलाफ़ ऐसे क़दम उठाए कि धरती कोरोना वायरस के साथ-साथ इन वायरसों से भी नजात पा जाए.

19 दिन 19 टिप्स: सिंधी कोकी

सिंधी कोकी एक मशहूर सिंधी डिश है. यह पराठा या चिल्ला जैसा होता है. इसको बनाने का तरीका और इसमे पड़ने वाली सामग्री बहुत रिच होती है. सिंधी परिवार खाने को किसी फ़ूड फेस्टिवल से कम इंजॉय नहीं करते है. सिंधी फ़ूड बहुत टेस्टी होता है. देश मे सबसे टेस्टी और हेल्दी खाना सिंधी फ़ूड ही होता है.

कोकी बनाने की आवश्यक सामग्री
गेहूं का आटा – 1 कप ( 150 ग्राम)
घी – 3-4 टेबल स्पून
हरा धनियां – 2-3 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)
पुदीना के पत्ते – 2 टेबल स्पून
अदरक – 1 छोटी चम्मच (कद्दूकस किया हुआ)
हरी मिर्च – 1 बारीक कटी हुई
हल्दी पाउडर – 1 पिंच
हींग – 1 पिंच
जीरा – ¼ छोटी चम्मच
अनारदाना – ¼ छोटी चम्मच
अजवायन – ¼ छोटी चम्मच से कम
काली मिर्च – ¼ छोटी चम्मच से कम (कुटी हुई)
नमक – ¼ छोटी चम्मच से थोड़ा सा ज्यादा या स्वादानुसार

कोकी बनाने की विधि :
एक बड़े बर्तन में आटा ले लीजिए इसमें हल्दी पाउडर, अजवायन, जीरा, हरी मिर्च, अदरक, काली मिर्च, नमक, अनार दाना, हींग, हरा धनिया, पुदीना और 1 टेबल स्पून घी डालकर इन सभी चीज़ों को अच्छी तरह से मिलाते हुए पानी की मदद से परांठे के लिये जिस तरह का नरम आटा गूंथा जाता है, उसी तरह का आटा गूंथकर तैयार कर लीजिए. गूंथे आटे को 10- 15 मिनिट तक के लिए ढककर के रख दीजिये ताकि आटा फूल कर सैट हो जाय.

आटे को मसल-मसल कर चिकना कर लीजिये. तवे को गरम होने के लिए गैस पर रख दीजिए. गुंथे हुये आटे से थोड़ा सा आटा निकालिये और गोल लोई बना लीजिये. लोई को सूखे आटे में लपेट कर 3- 4 इंच के व्यास में गोल बेल लीजिये, अब इस बेली हुई चपाती को गर्म तवे पर डाल दीजिए.

दो सखियां: भाग 2

‘‘वैसे कहां तक पहुंचा था तुम्हारा प्यार?’’

‘‘बस, हाथ पकड़ने से ले कर चूमने तक.’’

सितारा ने फिर वर्मा की लड़की का जिक्र छोड़ कर अपनी करतूत पर परदा डालते हुए कहा, ‘‘वर्मा की लड़की के तो मजे हैं. देखना भागेगी एक न एक दिन.’’

‘‘हां, लेकिन हमें क्या लेनादेना. भाड़ में जाए. एक बात जरूर है, है बहुत सुंदर. जब लड़की इतनी सुंदर है तो कोई न कोई तो पीछे पड़ेगा ही. अब बाकी दारोमदार लड़की के ऊपर है.’’

‘‘क्या खाक लड़की के ऊपर है. देखा नहीं, उस का शरीर कैसा भर गया है. ये परिवर्तन तो शादी के बाद ही आते हैं.’’

‘‘हां, लगता तो है कि प्यार की बरसात हो चुकी है. एक हम हैं कि तरसते रहे जीवनभर लेकिन जिस पर दिल आया था वह न मिला. कमीने के कारण पूरे गांव में बदनाम हो गई और शादी की बात आई तो मांबाप का आज्ञाकारी बन गया. श्रवण कुमार की औलाद कहीं का.’’

‘‘वह जमाना और था. आज जमाना और है. आज तो लड़केलड़की कोर्ट जा कर शादी कर लेते हैं. कानून भी मदद करता है. हमारे जमाने में ये सब कहां था?’’

‘‘होगा भी तो हमें क्या पता? हम ठहरे गांव के गंवार. आजकल के लड़केलड़कियां कानून की जानकारी रखते हैं और समाज को ठेंगा दिखाते हैं. काश, हम ने हिम्मत की होती, हमें ये सब पता होता तो आज तेरा जीजा कोई और होता.’’

‘‘मैं तो मांबाप के सामने स्वीकार भी न कर सकी. उस के बाद भी भाइयों को पता नहीं क्या हुआ कि बेचारे के साथ खूब मारपीट की. अस्पताल में रहा महीनों. इस बीच मेरी शादी कर दी. मैं क्या विरोध करती, औरत जात हो कर.’’

‘‘सच कहती हो. जिस खूंटे से मांबाप ने बांध दिया, बंध गए. आजकल की लड़कियों को देख लो.’’

‘‘अरी बहन, लड़कियां क्या, शादीशुदा औरतों को ही देख लो. एकसाथ दोदो. घर में पति, बाहर प्रेमी. इधर, पति घर से निकला नहीं कि प्रेमी घर के अंदर. क्या जमाना आ गया है.’’ बातचीत हो ही रही थी कि तभी बाहर से आवाज आई, ‘‘दादी ओ दादी.’’

‘‘लो, आ गया बुलावा. अब जाना ही पड़ेगा.’’

‘‘तुम क्या कह रही थीं?’’

‘‘अब, कल बताऊंगी. अभी चलती हूं.’’

अगले दिन वे फिर मिलीं.

तारा ने कहा, ‘‘सुना है पाकिस्तान के राष्ट्रपति को पुलिस ने पकड़ लिया.’’

सितारा ने कहा, ‘‘पाकिस्तान अजीब मुल्क है जहां राष्ट्रपति को पुलिस पकड़ लेती है. भारत में किसी पुलिस वाले की हिम्मत नहीं कि राष्ट्रपति पर उंगली भी उठा सके. यहां पुलिस वाले तो बस गरीबों को ही पकड़ते हैं.’’

‘‘अरे छोड़ो ये सब, यह बताओ, कल क्या कहने वाली थीं?’’ सितारा याद करने की कोशिश करती है लेकिन उसे याद नहीं आता. फिर वह बातों में रस लाने के लिए काल्पनिक बात कहती है, ‘‘हां, मैं कह रही थी कि वर्मा की बिटिया कल छत पर उलटी कर रही थी. कहीं पेट से तो नहीं है?’’

‘‘हाय-हाय, वर्माजी के मुख पर तो कालिख पुतवा दी लड़की ने. घर वालों को तो पता ही होगा.’’

‘‘क्यों न होगा. उस के मांबाप के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है. रात में घर से चीखने की आवाजें आ रही थीं. बाप चिल्ला रहा था कि नाक कटवा कर रख दी. क्या मुंह दिखाऊंगा लोगों को. और लड़की सुबकसुबक कर रो रही थी. आज देखा कि वर्माइन अपनी बेटी को बिठा कर रिकशे पर ले जा रही थीं. दोनों मांबेटी के चेहरे उतरे हुए थे. जरूर बच्चा गिराने ले जा रही होगी.’’

‘‘क्या सच में?’’

‘‘तो क्या मैं झूठ बोलूंगी. धर्म कहता है झूठ बोलना गुनाह है, जैसे शराब पीना गुनाह है.’’

‘‘लेकिन क्या मुसलमान शराब नहीं पीते?’’

‘‘अरे, अब धर्म की कौन मानता है. जो पीते हैं वे शैतान हैं.’’

‘‘जीजा भी तो पीते थे.’’ सितारा ने दोनों कान पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘तौबातौबा, कभीकभी दोस्तों के कहने पर पी लेते थे. अब मृतक के क्या दोष निकालना. बहुत भले इंसान थे.’’

‘‘लेकिन मैं ने तो सुना है कि पी कर कभीकभी तुम्हें पीटते भी थे?’’

‘‘किस से सुना है? नाम बताओ उस का?’’ सितारा ने गुस्से में कहा तो फौरन तारा ने उसे पान लगा कर दिया. सितारा ने पान मुंह में रखते हुए कहा, ‘‘अब आदमी कभीकभी गुस्से में अपनी औरत को पीट देता है. मियांबीवी के बीच में थोड़ीबहुत तकरार जरूरी भी है. मैं भी कहां मुंह बंद रखती थी. पुलिस वालों की तरह सवाल पर सवाल दागती थी, ‘देर क्यों हो गई, कहीं किसी के साथ चक्कर तो नहीं है?’’’

‘‘था क्या कोई चक्कर?’’

‘‘होता तो शादी नहीं कर लेते. हमारे मर्दों को 4 शादियों की छूट है. लेकिन मेरा मर्द बाहर चाहे जो करता हो, घर पर कभी किसी को नहीं लाया.’’

फिर थोड़ी देर खामोशी छा जाती. इतने में चायनाश्ता हो जाता. वे फिर तरोताजा हो जातीं और सोचतीं कि कहां से शुरू करें. आखिर 2 औरतें कितनी देर खामोश रह सकती हैं.

‘‘तुम अपनी कहो, कल बहू चिल्ला क्यों रही थी?’’

‘‘अरे, पतिपत्नी में झगड़ा हो गया था किसी बात को ले कर. थोड़ी देर तो मैं सुनती रही, फिर जब नीचे आ कर दोनों को डांटा तो बोलती बंद दोनों की.’’ यह तो तारा ही जानती थी कि जब उस ने पूछा था कि क्या हो गया बहू? तो बहू ने पलट कर जवाब दिया था, ‘अपने काम से काम रखो, ज्यादा कान देने की जरूरत नहीं है. अपने लड़के को समझा लो कि शराब पी कर मुझ पर हाथ उठाया तो अब की रिपोर्ट कर दूंगी दहेज की. सब अंदर हो जाओगे.’

‘‘लेकिन मुझे तो सुनने में आया कि कोई दहेज रह गया था, उस पर…’’

तारा ने बात काटते हुए कहा, ‘‘हम क्या इतने गएगुजरे हैं कि बहू को दहेज के लिए प्रताडि़त करेंगे. किस से सुना तुम ने…सब बकवास है. अब झगड़े किस घर में नहीं होते. हमारा आदमी हमें पीटता था तो हम चुपचाप रोते हुए सह लेते थे. पति को ही सबकुछ मानते थे. लेकिन आजकल की ये पढ़ीलिखी बहुएं, थोड़ी सी बात हुई नहीं कि मांबाप को रो कर सब बताने लगती हैं. रिपोर्ट करने की धमकी देती हैं. ऐसे कानून बना दिए हैं सरकार ने कि घरगृहस्थी चौपट कर दी. सत्यानाश हो ऐसे कानूनों का.’’

‘‘हां, सच कहती हो. घरपरिवार के मामलों में सरकार को क्या लेनादेना. जबरदस्ती किसी के फटे में टांग अड़ाना.’’

तारा ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा, ‘‘घर तो हम जैसी औरतों की वजह से चलते हैं. बाहर आदमी क्या कर रहा है, हमें क्या लेनादेना लेकिन आजकल की औरतें तो अपने आदमी की जासूसी करती हैं. वह क्या कहते हैं…मोबाइल, हां, उस से घड़ीघड़ी पूछती रहती हैं, कहां हो? क्या कर रहे हो, घर कब आओगे? अरे आदमी है, काम करेगा कि इन को सफाई देता रहेगा. हमारा आदमी बाहर किस के साथ था, हम ने कभी नहीं पूछा.’’ यह तो तारा ने नहीं बताया कि पूछने पर पिटाई हुई थी कई दफा. उस का आदमी बाहर किसी औरत को रखे हुए था. घर में कम पैसे देता था. कभीकभी घर नहीं आता था. आता तो शराब पी कर. पूछने पर कहता कि मर्द हूं. एक रखैल नहीं रख सकता क्या. तुम्हें कोई कमी हो तो कहो. दोबारा पूछताछ की तो धक्के दे कर भगा दूंगा. उस ने अपने आंसुओं को रोका. पानी पिया. पिलाया. फिर पान का दौर चला.

‘‘अरे तारा, कल बेटा पान ले कर आया था बाजार से. लाख महंगा हो, एक से एक चीजें पड़ी हों सुगंधित, खट्टीमीठी लेकिन घर के पान की बात ही और है.’’

‘‘क्या था ऐसा पान में? क्या तुम ने देखा था?’’

‘‘हां, जब बेटे ने बताया कि पूरे 20 रुपए का पान है. ये बड़ा. तो इच्छा हुई कि आखिर क्या है इस में? खोला तो बेटे से पूछा, ‘ये क्या है?’ तो बेटे ने बताया कि अम्मी, यह चमनबहार है, यह खोपरा है, यह गुलकंद है, यह चटनी है. और भी न जाने क्याक्या. लेकिन अच्छा नहीं लगा, एक तो मुंह में न समाए. उस पर खट्टामीठा पान. अरे भाई, पान खा रहे हैं कोई अचार नहीं. पान तो वही जो पान सा लगे, जिस में लौंग की तेजी, इलाइची की खुशबू, कत्था, चूना, सुपारी हो. ज्यादा हुआ तो ठंडाई और सौंफ. बाकी सब पैसे कमाने के चोंचले हैं.’’ यह नहीं बताया सितारा ने कि उन्हें शक हो गया था कि जमीनमकान के लोभ में कहीं बेटा पान की आड़ में जहर तो नहीं दे रहा है. सो, उन्होंने पान खोल कर देखा था. जब आश्वस्त हो गईं और आधा पान बहू को खिला दिया, तब जा कर उन्हें तसल्ली हुई. बेटेबहू काफी समय से गांव की जमीन बेचने के लिए दबाव बना रहे थे.

दो सखियां: भाग 1

माहौल कोई भी हो, मौसम कैसा भी हो, दुनिया जाए भाड़ में, उन्हें कोई मतलब नहीं था. वे दोनों जब तक 3-4 घंटे गप नहीं लड़ातीं, उन्हें चैन नहीं पड़ता. उन्हें ऐसा लगता कि दिन व्यर्थ गया. उन्हें मिलने व एकदूसरे से बतियाने की आदत ऐसी पड़ गई थी जैसे शराबी को शराब की, तंबाकू खाने वाले को तंबाकू की. उन्हें आपस में एकदूसरे से प्रेम था, स्नेह था, विश्वास था. एकदूसरे से बात करने की लत सी हो गई थी उन्हें. कोई काम भी नहीं उन्हें. 65 साल के आसपास की इन दोनों महिलाओं को न तो घर में करने को कोई काम था न करने की जरूरत. घर में बहुएं थीं. कमाऊ बेटे थे. नातीपोते थे. इसलिए दोपहर से रात तक वे बतियाती रहतीं. कभी तारा के घर सितारा तो कभी सितारा के घर तारा. वे क्या बात करती हैं, उस पर कोई विशेष ध्यान भी नहीं देता. हां, बहुएं, नातीपोते, चायनाश्ता वगैरा उन के पास पहुंचा देते. दोनों बचपन की पक्की सहेलियां थीं. एक ही गांव में एकसाथ उन का बचपन बीता. थोड़े अंतराल में दोनों की शादी हो गई. जवानी के राज भी उन्हें एकदूसरे के मालूम थे. कुछ तो उन्होंने आपस में बांटे. फिर इत्तफाक यह हुआ कि विवाह भी उन का एक ही शहर के एक ही महल्ले में हुआ.

शादी के बाद शुरू में तो घरेलू कामों की व्यस्तता के चलते उन की बातचीत कम हो पाती लेकिन उम्र के इस मोड़ पर वे घरेलू कार्यों से भी फुरसत पा चुकी थीं. पानदान वे अपने साथ रखतीं. थोड़ीथोड़ी देर बाद वे अपने हाथ से पान बना कर खातीं और खिलातीं. सितारा मुसलिम थी, तारा हिंदू ठाकुर. लेकिन धर्म कभी उन के आड़े नहीं आया. सितारा ने नमाज पढ़ी शादी के बाद, वह भी परिवार के नियमों का पालन करने के लिए, अंदर से उस की कोई इच्छा नहीं थी. जब उन्हें बात करतेकरते दोपहर से अंधेरा हो जाता तो परिवार का कोई सदस्य जिन में नातीपोते ही ज्यादातर होते, उन्हें लेने आ जाते. उन की बात कभी पूरी नहीं हो पाती. सो, वे कल बात करने को कह कर महफिल समाप्त कर देतीं.

अभी सितारा के घर रिश्तेदार आए हुए थे तो महफिल तारा के घर में उस के कमरे में जमी हुई थी. बहू अभीअभी चाय रख कर गई थी. दोनों ने चाय की चुस्कियों से अपनी वार्त्ता प्रारंभ की. सितारा ने शुरुआत की.

‘‘सब ठीक है घर में, मेरे आने से कोई समस्या तो नहीं?’’

‘‘कोई समस्या नहीं. घर मेरा है. मेरे आदमी ने बना कर मेरे नाम किया है. आदमी की पैंशन मिलती है. किसी पर बोझ नहीं हूं. फिर मेरे बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता घर का. तुम कहो, तुम्हारे बहूबेटी को तो एतराज नहीं है हमारे मिलने पर?’’ ‘‘एतराज कैसा? मिल कर चार बातें ही तो करते हैं. अब जा कर बुढ़ापे में फुरसत मिली है. जवानी में तो शादी के बाद बहू बन कर पूरे घर की जिम्मेदारी निभाई. बच्चे पैदा किए, बेटेबेटियों की शादियां कीं. अब जिम्मेदारियों से मुक्त हुए हैं.’’

दोनों के पति गुजर चुके थे. विधवा थीं दोनों. उन के घर मात्र 20 कदम की दूरी पर थे. सितारा ने कहा, ‘‘सुना है कि वर्मा की बेटी का किसी लड़के के साथ चक्कर है.’’

‘‘क्या बताएं बहन, जमाना ही खराब आ गया है. बच्चे मांबाप की सुनते कहां हैं. परिवार का कोई डर ही नहीं रहा बच्चों को.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता चला?’’

‘‘बुढ़ापे में कान कम सुनते हैं. बेटेबहू आपस में बतिया रहे थे.’’

‘‘मैं तो यह तमाशा काफी समय से देख रही हूं. छत पर दोनों एकसाथ आते, एकदूसरे को इशारे करते. उन्हें लगता कि हम लोग बुढि़या हैं, दिखाई तो कुछ देता नहीं होगा. लेकिन खुलेआम आशिकी चले और हमारी नजर न पड़े. आंखें थोड़ी कमजोर जरूर हुई हैं लेकिन अंधी तो नहीं हूं न.’’

‘‘हां, मैं ने भी देखा, ट्यूशनकालेज के बहाने पहले लड़की निकलती है अपनी गाड़ी से, फिर लड़का. हमारे बच्चे अच्छे निकले, जहां शादी के लिए कह दिया वहीं कर ली.’’

‘‘हां बहन, ऐसे ही मेरे बच्चे हैं. मां की बात को फर्ज मान कर अपना लिया.’’ अपनेअपने परिवार की तारीफ करतीं और खो जातीं दोनों. न तो दोनों को कंप्यूटर, टीवी से मतलब था, न जमाने की प्रगति से. वे तो जो देखतीसुनतीं उसे नमकमिर्च लगा कर एकदूसरे को बतातीं. इस मामले में दोनों ने स्वयं को खुशनसीब घोषित कर दिया. तारा ने कहा, ‘‘जब घर में यह हाल है तो बाहर न जाने क्या गुल खिलाते होंगे?’’ सितारा ने कहा, ‘‘मांबाप को नजर रखनी चाहिए, लड़की 24-25 साल की तो होगी. अब इस उम्र में मांबाप शादी नहीं करेंगे तो बच्चे तो ये सब करेंगे ही. कुदरत भी कोई चीज है.’’ तारा ने कहा, ‘‘देखा नहीं, कैसे छोटेछोटे कपड़े पहन कर निकलती है. न शर्म न लिहाज. एक दिन मैं ने पूछा भी लड़की से, ‘क्यों बिटिया, दिनभर तो बाहर रहती हो, घर के कामकाज सीख लो. शादी के बाद तो यही सब करना है.’ तो पता है क्या जवाब दिया?’’

‘‘क्या?’’ सितारा ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘कहने लगी, ‘अरे दादी, मुझे रसोइया थोड़े बनना है. मैं तो आईएएस की तैयारी कर रही हूं. एक बार अफसर बन गई तो खाना नौकर बना कर देंगे.’ फिर मैं ने पूछा कि लड़की जात हो. कल को शादी होगी तो घर में कामकाज तो करने ही पड़ेंगे. वह हंस पड़ी जोर से. कहने लगी, ‘दादी, आप लोगों को तो शादी की ही पड़ी रहती है. कैरियर भी कोई चीज है.’ शादी की बात करते हुए न लजाई, न शरमाई. बेशर्मी से कह कर अपने स्कूटर पर फुर्र से निकल गई.’’

सितारा ने कहा, ‘‘वर्माजी पछताएंगे. लड़कियों को इतनी छूट देनी ठीक नहीं. जब देखो मोबाइल से चिपकी रहती है बेशर्म कहीं की.’’

‘‘अरे, मैं ने तो यह भी सुना है कि लड़का कोई गैरजात का है. लड़की कायस्थ और लड़का छोटी जात का.’’

‘‘हमें क्या बहना, जो जैसा करेगा वह वैसा भरेगा.’’

‘‘प्यार की उम्र है. प्यार भी कोई चीज है.’’

‘‘यह प्यारमोहब्बत तो जमानों से है. तुम ने भी तो…’’

सितारा ने कहा, ‘‘तुम भी गड़े मुर्दे उखाड़ने लगीं. अरे, हमारा प्यार सच्चा प्यार था. सच्चे प्यार कभी परवान नहीं चढ़ते. सो, जिस से प्यार किया, शादी न हो सकी. यही सच्चे प्यार की निशानी है.’’

‘‘वैसे कुछ भी कहो सितारा बहन, न हो सके जीजाजी थे स्मार्ट, खूबसूरत.’’

अफसोस करते हुए सितारा ने कहा, ‘‘जान छिड़कता था मुझ पर. धर्म आड़े न आया होता तो… फिर हम में इतनी हिम्मत भी कहां थी. संस्कार, परिवार भी कोई चीज होती है. अब्बू ने डांट लगाई और प्यार का भूत उतर गया. काश, उस से शादी हो जाती तो आज जीवन में कुछ और रंग होते. मनचाहा जीवनसाथी. लेकिन घर की इज्जत की बात आई तो हम ने कुर्बानी दे दी प्यार की.’’

लॉकडाउन में मां बनी ‘मेरी आशिकी तुमसे है’ की एक्ट्रेस, शेयर की बेटी की Photo

लॉकडाउन के बीच में ही फेमस टीवी सीरियल की एक्टर स्मृति खन्ना के घर किलकारी गुंजी है. स्मृति और गौतम के घर नन्ही परी ने जन्म लिया है. एक्टर ने बीते गुरुवार को शाम 4 बजे बेटी को जन्म दिया. इस खबर के बाद उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ आई है.

गौतम ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में बताया है कि मां और बच्चे दोनों स्वस्थ है. इसी के साथ उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि लॉकडाउन होने के बावजूद भी मैं बहुत आराम से अस्पताल पहुंच गया.

गौतम ने बताया हम जुहू में रहते हैं और अस्पताल खार में है. इस दौरान हमने फैसला लिया कि हम दोनों अकेले ही अस्पताल में जाएंगे. बहुत आसानी से हम अस्पताल पहुंच गए. मैं स बात से बहुत खुश हूं कि लॉकडाउन होने के बावजूद सबकुछ ठिकठाक से हो गया.

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स्मृति खन्ना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी बेटी की पहली तस्वीर शेयर की है. जिसमें वह अपनी बेटी को गोद में ली हुई हैं. और बड़े ही प्यार से गौतम गुप्ता के आंखो में देख रही हैं.

इस तस्वीर पर फैंस लगातार उन्हें बधाइयां दे रहे हैं. फैंस इस खबर से बेहद खुश हैं. गौतम और स्मृति के चेहरे पर साफ खुशी नजर आ रही है. बता दें तस्वीर को शेयर करते हुए स्मृति ने लिखा है हमारी राजकुमारी आ चुकी हैं.

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फिलहाल गौतम और स्मृति अपने बच्चे के साथ घर पर है. सभी इस लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. बच्चे का भरपूर ख्याल रख रहे हैं.

कोरोनावायरस लॉकडाउन: 350 से अधिक जिले ग्रीन जोन में शामिल, कोरोना संक्रमण के पहुंच से दूर

बुधवार तक भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 11500 पार कर गई, वही 392 से अधिक लोग इस महामारी से मारे जा चुके है. क्या आपको पत्ता है भारत में वर्तमान समय कुल 736 जिले हैं, उनमें से सरकार ने कुल 170 जिले हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया हैं. वहीं नॉन हॉटस्पॉट में 207 जिले है.

साथ ही क्या आप जानते है कि देश में 350 से अधिक जिलों ऐसे है , जो कोरोना संक्रणम के पहुंच से दूर है तो आईये जानते है , सरकार कितने जिलों कितने जोन में बांटा है और इसका में कौन-कौन जिला आता है. किस आधार पर यह वर्गीकरण हुआ है…

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बुधवार को नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 170 जिलों को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है. 207 की पहचान गैर-हॉटस्पॉट के रूप में की गई है. आगे उन्होंने बताया कि कैबिनेट सचिव ने देशभर के जिला अधिकारियों, पुलिस कप्तानों, मेडिकल ऑफिसर समेत नगर निगमों के कमिश्ररों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर इस बारे में जानकारी दे दी गई है. उन्होंने राज्यों से कहा है कि केंद्र द्वारा चिह्नित हॉट स्पॉट के अलावा भी अगर उन्हें लगता है कि कहीं संक्रमण बढ़ रहा है अथवा नए मरीजों का मिलना अनवरत है तो वे अतिरिक्ति जिलों को हॉट स्पॉट के रूप में घोषित कर जरूरी कार्रवाई कर सकते हैं.  साथ ही उन्होंने कहा की देश के  हर हिस्से में लॉकडाउन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाये और नए दिशा निर्देशों का पालन सभी राज्य करे.

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* हॉटस्पॉट जोन वाले जिले  (रेड जोन ) :-

वैसे जिले जहाँ लगातार ज्यादा संक्रमण का मामले सामने आ रहे हैं. और जांच के बाद पॉजिटिव केस की संख्या  में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. वह जिले हॉटस्पॉट जोन या रेड जोन  वाले जिले के श्रेणी में आएंगे . ऐसे जिलों में स्वास्थ्य मंत्रालय के निगरानी में राज्यों के प्रमुख अधिकारियों के निदेश पर इलाके का पूरी तरह सर्वे करके उसका जाँच रिपोर्ट तैयार करना होगा .क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा रहा है.नमूने एकत्र कर जांच किया  जायेगा. साथ ही आवश्यक सेवाओं से जुड़ी गतिविधियों को छोड़ कर नियंत्रित क्षेत्रों में आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी.   देश के 170 जिले  रेड जोन में आते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बिहार का सीवान, दिल्ली के दक्षिणी, दक्षिणी पूर्वी, शाहदरा, पश्चिमी उत्तरी और मध्य दिल्ली, उत्तरप्रदेश के आगरा, नोएडा, मेरठ, लखनऊ गाजियाबाद, शामली, फिरोजाबाद, मोरादाबाद और सहारनपुर रेड जोन में कोरोना आउटब्रेक वाले जिलों में शामिल है. जबकि बिहार का मुंगेर, बेगुसराय और गया, दिल्ली का उत्तरी-पश्चिमी, उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर और उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर, सीतापुर, बस्ती और बागपत रेड जोन के कलस्टर वाले जिलों में है.

* नॉन हॉटस्पॉट जोन वाले जिले ( आरेंज जोन) :-

वैसे जिले जहाँ संक्रमण का फैलाव कम स्तर पर हुआ है , लेकिन कोरोना पॉजिटिव केस की संख्या कम हैं.  वह जिले नॉन हॉटस्पॉट जोन या आरेंज जोन वाले जिले के श्रेणी में आएंगे . ऐसे जिलों को भी ठीक उसी तरह ट्रीट किया जाएगा, जैसे हॉटस्पॉट कैटेगरी वाले जिलों में काम हो रहा है. वहां भी क्लस्टर कंटेनमेंट के हिसाब से काम किया जाएगा. ताकि चेन ऑफ ट्रांसमिशन ब्रेक हो पाए. इसका मतलब यहां भी सख्ती बरती जाएगी और किसी भी तरह की कोई छूट नहीं मिलेगी.  देश के 207 जिले आरेंज जोन में आते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार  बिहार के गोपालगंज, नवादा, भागलपुर,सारन, लखीसराय, नालंदा और पटना, दिल्ली का उत्तरी-पूर्वी और उत्तरप्रदेश के कानपुर नगर, वाराणसी, अमरोहा, हापुड़, महाराजगंज, प्रतापगढ़ और रामपुर जैसे जिले ऑरेंज जोन में शामिल हैं, जहां न तो कोरोना का कलस्टर और न ही आउटब्रेक हुआ है. यहां कुछ केस पाए गए थे.

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* ग्रीन जोन वाले जिले :-

वैसे जिले जहाँ कही भी संक्रमण नहीं है , कोरोना पॉजिटिव  के केस नहीं आए हैं. वह जिले ग्रीन जोन वाले जिले के श्रेणी में आएंगे . ऐसे जिलों का खास खयाल रखा जाएगा. कोशिश रहेगी कि ये जिले नॉन इफेक्टेड ही रहें. वहां कम्युनिटी से संपर्क करते हुए सावधानियां बरती जाएं. रेड और आरेंज जोन के अलावा सरकार ने ग्रीन जोन में भी कोरोना पर नजर रखने का फैसला किया है. साथ ही इस जोन में इनफ्लुएंजा या सांस से संबंधित बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित मरीजों का कोरोना टेस्ट किया जाएगा. ऐसे मरीजों की पहचान कर उन्हें कोरोना अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को दी गई है.  देश के 359 जिले ग्रीन जोन में आते हैं.

* जोन में कंटेनमेंट का प्लान अलगअलग :-

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार  विभिन्न जोन में वायरस से कंटेनमेंट का प्लान अलग-अलग होता है.  रेड जोन और उसके चारो और बफर जोन तय करने का अधिकार भी स्थानीय प्रशासन के ऊपर छोड़ा गया है. वही ग्रामीण इलाके में सामान्य तौर पर कोरोना के केस आने वाली जगह के चारो ओर तीन किलोमीटर के इलाके में कंटेनमेंट प्लान लागू किया जाता है. उसके चारो ओर के सात किलोमीटर के दायरे को बफर जोन के रूप में रखा जाता है. घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में इसे तय करने का मापदंड अलग होता है और स्थानीय अधिकारी जमीनी हकीकत के आधार पर इसे निर्धारित करते हैं.

#coronavirus: एक्ट्रेस  श्रिया सरन ने किया बड़ा खुलासा

पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खौफ से डरी हुई है. हर कोई इससे बचाव का उपाय कर रहा है. पूरा देश लॉकडाउन चल रहा है. सरकार भी हर तरफ से लोगों की मदद करती नजर आ रही है. ऐसे में साउथ की पॉपुलर एक्ट्रेस श्रिया सरन ने सभी को चौका देने वाला खुलासा किया है.

उन्होंने बताया कि उनके पति अंद्रेई कोसचीव में भी कोरोना के लक्षण थे. यह जानने के  बाद वह अपने पति को लेकर अस्पताल में पहुंची. जब अस्पताल पहुंची तो वहां के डॉक्टरों ने कहा कि आप इन्हें लेकर वापस घर चले जाइए. हम इनका इलाज नहीं कर सकते. इस बात से नाराज होकर वह अपने पति को लेकर घर आ गई. हालांकि अब उनके पति ठीक है.

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बता दें कि आंद्रेई और श्रिया की शादी साल 2018 में हुई थी. शादी के बाद से श्रिया स्पेन में अपने पति के साथ रहती हैं. स्पेन उन देशों में से है. जहां कोरोना के लक्षण सबसे ज्यादा पाए जाते हैं. वहां करीब 1 लाख 72 हजार 541 लोग कोरोना से संक्रमित है.वहीं अब तक कोरोना से करीब 18 हजार 56 लोगों की जान जा चुकी है.

श्रिया ने इस खबर की जानकारी एक रिपोर्ट के जरिए दिया था. उन्होंने बताया इन सबके बावजूद भी मेरे पति को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया. यह पूरी तरह से लापरवाही है. इसलिए मुझे घर आकर सेल्फ आइसोलेशन लेना पड़ा. हम खुद के घर में ही बहुत बचाव और सुरक्षा के साथ रह रहे थें.

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घर पर ही पति का इलाज किया गया. हम दोनों अलग-अलग कमरे में सोते थें. खुद ही डिस्टेंस मेंटन करके रहते थें. अब मेरे पति काफी बेहतर महसूस कर रहे है. हमारा बुरा वक्त खत्म हो गया. इस बीमारी के दौरान खुद को साफ-सफाई और फिट रखने की जरूरत है.

#coronavirus: फल,सब्जी उत्पादक किसानों की मुसीबत बना लॉकडाउन

21 दिन के लाकडाउन के बाद भी 3 म‌ई तक बढ़ी मियाद ने देश के फल,फूल,सब्जी उत्पादक किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. साल भर की हाड़ तोड़ मेहनत के बाद आने वाली फसलों को बेचने के लिए किसानों को कोई सुविधा न मिलने से करोड़ों रुपए मूल्य की फसलें चौपट हो गई हैं.आंकड़ों के मुताबिक देश भर में पचास फीसदी किसानों के पास पांच एकड़ से कम जमीन का रकवा है, जिसमें वो फल, फूल और सब्जियों की खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता है.

मध्यप्रदेश में फूलों की फसल से एक हजार करोड़ रुपए का सालाना कारोबार होता है.लाक डाउन में मंदिर मस्जिद, गुरुद्वारा समेत सभी धार्मिक स्थल बंद हैं. शादी विवाह के अलावा किसी भी प्रकार के समारोह आदि न होने से फूलों की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है. फूलों की खेती करने वाले गाडरवारा के उमाशंकर कुशवाहा वैवाहिकी सीजन में फ्लावर डेकोरेशन के काम में दो लाख रुपए तक कमा लेते हैं, परन्तु इस सीजन में उन्हें धेला भर कमाई नहीं हुई है.

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देश के सभी भागों में अधिकतर बड़ी सब्जी और फल मंडियों और परिवहन सेवा के बंद होने से फल और सब्जियां खेतों में सड़ रहीं हैं.गूजर झिरिया गांव के युवा किसान तरूण गूर्जर बताते हैं कि 4 एकड़ खेत में गन्ना फसल के बीच में आलू लगाये थे.लगभग 500 क्विंटल उत्पादन के बाद अब आलू बिक नहीं रहा. मंडी बंद होने से और फुटकर सब्जी विक्रेता भी पुलिस प्रशासन के भय से आलू नहीं खरीद रहे.खुरसीपार गांव के राकेश शुक्ला ने केला का बंपर उत्पादन तो ले लिया, लेकिन लौक डाउन ने उनकी मेहनत फर पानी फेर दिया. अजंदा के किसान सुनील श्रीवास हर साल की भांति तरबूज की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं,

परन्तु इस वार लोकल हाट बाजार और फल मंडियों के बंद रहने से उन्हें सौ फीसदी नुकसान हुआ है.तरबूज खेतों में ही सड़ रहे हैं.होशंगाबाद के तवानगर के किसान राजेन्द्र मालवीय बताते हैं कि 5 एकड़ में उन्होंने कद्दू की फसल ली थी. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दूसरे दिन उन्होंने कद्दू की तुड़ाई शुरू करा दी थी. 25 मार्च को कद्दू फल को भोपाल और इटारसी मंडी भेजना था, परन्तु 24 मार्च को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संपूर्ण लौक डाउन की घोषणा कर दी. अब कद्दू फसल को सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है.

इसी तरह मध्यप्रदेश के क‌ई इलाकों में टमाटर,प्याज ,भटा, मिर्ची के साथ लौकी,गिल्की भिंडी,ककड़ी जैसी सब्जियों और पपीता, संतरे जैसे फलों की खेती का नुक़सान किसानों को उठाना पड़ा है.

देश के गांव,कस्बों में खेती के साथ किसान पशुपालन करके दूध का व्यवसाय भी करते हैं. गांव के कुछ किसान गांव के दूध को इकट्ठा करके शहर भेजते हैं, परन्तु लौक डाउन के चलते शहरों में बनने वाले दुग्ध उत्पाद दही,मठा,श्रीखंड, मावा ,घी ,पनीर का कारोबार ठप्प पड़ गया. इसकी वजह से गांव का पचास फीसदी दूध शहरों तक नहीं पहुंचने से किसानो को भारी नुक़सान उठाना पड़ा.

छोटे शहरों के कुछ किसान जो अपने खेतों में लोन लेकर पोल्ट्री फार्म खोल कर अंडे का कारोबार करते हैं, वे भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. रोजाना निकलने वाले अंडो की सप्लाई नहीं होने से उन्हें बैंकों से लिए लोन की किस्तों की चिंता सताने लगी है.

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मध्यप्रदेश कृषि सलाहकार परिषद के शिवकुमार शर्मा ने किसानो को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से दस हजार रुपए एकड़ मुआवजा के साथ फूल,सब्जी उत्पादक किसानों के बैंक लोन को माफ करने की मांग की है. किसानों की चिंता यही है कि कोरोना वायरस की महामारी से देश में फल, फ़ूल और सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसान के लिए कोई राहत पैकेज अभी तक नहीं मिला है.

#lockdown: आखिर दो साल से जंगल के गढ्ढे में रहने को क्यों मजबूर हुई यह महिला

हम और आप लौकडाउन की वजह से घर में रहकर कुछ ही दिनों में उकता गए हैं, जरा कल्पना कीजिए अगर आपके पास रहने को घर नहीं और खाने के लिए भोजन न हो तो कैसा लगेगा. जी हां, आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं जो पिछले दो सालों से जंगल में अकेले जिंदगी गुजार रही है. हैरान करने वाली बात तो ये है कि ये महिला घर में नहीं रहती बल्कि सड़क में बने स्क्रबर यानी गढ्ढेनुमा कवर के नीचे अपना जीवन यापन कर रही है. आपको बता दें कि यह किसी पुराने जमाने की बात नहीं बल्कि आज की सच्चाई है जो तमाम विकास के दावों की पोल खोलती है. दरअसल, यह मामला उत्तराखंड के चंपावत जिले का है.

इस महिला का नाम जयंती देवी है जिसने खुद को क्वारंटाइन कर रखा है. यह बाराकोट-पिथौरागढ़ लिंक मोटर मार्ग पर कैलाड़ी तोक के धारगड़ा नामक स्थान पर स्क्रबर में रहती है. स्थानीय लोगों को जब यह जानकारी मिली तो वे महिला के पास पहुंचे और उससे स्क्रबर में रहने का कारण पूछा.

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महिला ने बताया कि उसके पति ने दूसरी शादी करने के बाद उसे छोड़ दिया था, वह अब गुजर चुका है. मायके वालों ने भी घर में रहने नहीं दिया उनसे जगड़ा भी हो गया.  घर में कोई नहीं है, जिसके कारण वह आज इस हाल में है. ये महिला इस छोटी सी जगह के अंदर ही खाना बनाती है. खाना बनाते समय इतना घुंआ होता है कि आम व्यक्ति तो दम ही तोड़ दे, लेकिन ये महिला इस छोटी सी जगह में अपना घरौंदा बसा चुकी है, लेकिन ऐसी जिंदगी गुजारने का इसे बहुत दुख है.

जंगल के बीच से गुजरने वाली सड़क के स्क्रबर में जंगली जानवरों का भी डर बना रहता है, जानवरों से बचने के लिए महिला ने स्क्रबर के मुंह पर कांटे लगा रखे हैं. जरा इस महिला की हिम्मत तो देखिए जो इस जानलेवा खाई के पास रहती है. अगर इस खाई से नीचे कोई गलती से गिर जाए तो उसका बचना नामुमकिन है. साथ ही इस जंगल में महिला के साथ किसी भी तरह की अनहोनी होने का भी डर है. ये नजारा देखकर हमें डर जरूर लग रहा है लेकिन इस महिला को डर नहीं लग रहा.

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लोगों ने बताया कि राह चलने वाले लोग कभी-कभार खाने के लिए कुछ दे देते हैं, यह गांव के लोगों के लिए घास काटने का काम करती है और लोगों से मांगकर अपना गुजारा कर लेती है. फिलहाल महिला को गांव के खाली पड़े एक मकान में शिप्ट किया गया है.

Lockdown Food Tips: इन 4 तरीकों से चावल को बनाएं और भी मजेदार

हर रोज क्या नया बनाएं यह टेंशन रोज की है. ऊपर से घर में बैठे-बैठे भूख भी ज्यादा नहीं लगती और फिर जब घर से बाहर भी नहीं निकलना तो मन करता है कुछ हलका ही खाया जाए. हर वक्त रोटी खाने का मन नहीं करता. ऐसे में राइज एक बेस्ट औप्शन है जिसे बड़े और बच्चे सभी बड़े चाव खाते हैं. तो आइए, राइज की कुछ अलगअलग वैरायटी बनाते हैं जो देंगी अलग जायकेदार स्वाद कि खाने वाले कहंगे ‘वाह, राइज खाते तो हैं पर पहली बार खाए हैं.’

  1. राइस विद टौमेटो

सामग्री- 300 ग्राम उबले चावल, 4 कटे टमाटर, 3 चम्मच सांभर पाउडर, 1 चम्मच हल्दी, 4 चम्मच तेल, ½ चम्म्च सारसों दाना, 2 प्याज, 3 लहसुन की कलियां, कुछ करी पत्ते, नमक सवादनुसार

विधि – कड़ाही में तेल गरम करें. उस में करे पत्ता, सरसों दाना, कटा प्याज, कद्दूकस किया लहसुन डाल कर भूनें. फिर हल्दी, सांभर पाउडर डालें और मिक्स करें. अब टमाटर, नमक डाल कर 8 मिनट हलकी आंच पर भूनें. उस में उबले चावल डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें.

रेडी हैं आप के लिए पर्फेक्ट टौमेटो राइज.

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2, फ्राइड आलू राइस

सामग्री – 1 बड़ा आलू, 2 कप उबले आलू, ¼ चम्मच सरसों दाना, 1 कटा प्याज, 2-3 लहसुन कलियां, 1 बड़ा कटा टमाटर, 1 पाउच मैगी मसाला (एच्छिक), नमक सवादनुसार.

विधि- कड़ाही में तेल होने पर आलू के क्यूब्स काट कर ताल लें. उसी तेल में सरसों दाना डालें. फिर लहसुन, हरी मिर्च, प्याज डाल कर भूनें. अब टमाटर डालें, साथ ही नमक भी. थोड़ा भूनने पर मटर डाल दें. मटर गल जाए तो हल्दी पाउडर, मैगी मसाला, फ्राइड आलू डालें. अब उबले चावल भी डाल दें और सब कुछ अच्छी तरह से मिक्स करें.

गरमागरम फ्राइड आलू राइज तैयार हैं.

3. कर्ड राइस

सामग्री- 1 कप उबले चावल, 1 कप दही, ¼ कप प्याज कटा हुआ, ¼ कप कटी शिमलामिर्च, ¼ कप टमाटर कटा हुआ, 1 चम्मच चना दाल, ½ चम्मच सरसों दाना, 2 कटी हरी मिर्च, 2 चम्मच तेल, कुछ करी पत्ते, नमक सवादनुसार.

विधि- तेल गरम होने पर सरसों दाना, चना दाल, करे पत्ते डालें. बाद में प्याज, 1 शिमला मिर्च, टमाटर डाल कर भूनें. नमक डाल कर मिश्रण तैयार कर ठंडा कर लें. 1 बाउल में दही फेंट लें. उस में उबले चावल और तैयार मिश्रण मिक्स कर दें, तैयार है हैल्दी कर्ड राइज

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4. इमली राइस

सामग्री – 1 कप उबले चावल, 1 बड़ा चम्मच इमली पेस्ट, ½ चम्मच सरसों दाना, ¼ कप कच्ची मूंगफली, 1 चम्मच चना दाल, ½ कप कटा प्याज, 2-3 सूखी लाल मिर्च, ¼ चम्मच जीरा पाउडर, ¼ चम्मच लाल मिर्च पाउडर, ¼ हल्दी पाउडर, नमक स्वादनुसार.

विधि- कड़ाही में 2 चम्मच तेल गरम करें. सरसों दाना डालें व चटक जाए तब सूखी मिर्च डाल कर भूनें. अब हल्दी, जीरा पाउडर, मिर्च, नमक डालें. फिर इमली पेस्ट डाल कर थोड़ा पानी डालें. इस में अब उबले चावल डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर दें. सब चाव से खाएंगे.

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