किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा बिचौलिए और मंडी के ठेकेदारों के हाथ लगता था किसान को फसल की बोआई के बाद कुछ पैसा ही बचता था. किसान सीधे सप्ताहिक बाजारों, होटलों और घरेलू ग्राहकों को बेच कर कुछ मुनाफा कमा लेता था. लॉक डाउन में किसानों के पास केवल मंडी का ही सहारा रह गया है. जंहा बिचौलियों की मनमानी का शिकार होना पड़ता है.

लॉक डाउन की वजह से गांवों के आसपास लगने वाले साप्ताहिक बाज़ार बन्द करा दिए गए हैं. जो किसान अपनी फसल सब्जी मंडियों तक ले जाते थे या साइकिल से शहर के मोहल्लों में बेचने जाते थे अब पुलिस उनको जाने नहीं दे रही. ऐसे में सब्जी की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. सब्जी सड़ कर खराब ना हो जाये इसलिए किसान ओनेपोने दामों पर सब्जी बिचौलियों को बेचने पर मजबूर हैं.

नहीं मिल रही खेती की कीमत
सब्जी की खेती करने वाले लखनऊ में मोहनलालगंज के किसान महराजदीन कहते हैं ” लॉक डाउन के पहले सब्जी बेचने पर सब्जी की लागत और कुछ मुनाफा निकल आता था. अब लागत और मुनाफे की बात जाने दीजिए सिंचाई का पैसा भी नही निकल रहा है. कई बार हम औऱ हम जैसे तमाम किसान अपनी सब्जी ले कर होटल और रेस्टोरेंट भी चले जाते थे. वँहा हमे अच्छा भाव मिल जाता था. हम बिचौलियों से बच जाते थे. लॉक डाउन में हम वँहा भी नही जा पा रहे है.

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शहरों के आसपास तमाम किसान अब मुनाफे में लिए सब्जी और सब्जी जैसी तमाम कैश क्रॉप की पैदावार करने लगे थे. इसमें इनका मुनाफा अधिक इस लिए भी हो जाता था क्योंकि किसान मंडी ले जाकर बिचौलियों को बेचने की जगह पर सीधे ग्राहकों को सब्जी दे देते थे. इससे किसानों को लाभ मिल जाता था। किसान लौकी , तरोई, टमाटर, भिंडी जैसी तमाम सब्जियों की खेती करने लगा था. लॉक डाउन में बिक्री बन्द के कारण अब किसान परेशान है. केवल सब्जी की खेती करने वाले किसान ही परेशान नहीं है.गन्ना और गेंहू के किसानों को भी पैसा नही मिल रहा है.

परेशान है गन्ना और गेंहू के किसान  
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहते है कि उत्तर प्रदेश में 66 प्रतिशत लोग किसान है, वर्तमान सरकार किसान का जमकर शोषण  कर रही है सरकार किसानों को लेकर केवल जुमलेबाजी करने में व्यस्त है. सरकार पर गन्ना किसानों का 15000 करोड़ से ऊपर बकाया है, जिसकी कोई चिंता सरकार को नही है. किसान का आधे से ज्यादा गन्ना खेत में खड़ा है, गन्ना अधिकारी  पुनः सर्वे के नाम पर गन्ना पर्ची किसान को नही दे रहे है. किसान लॉक डाउन में बुरी तरह आहत है.

प्रदेश सरकार द्वारा गेंहू किसानों का जमकर शोषण किया जा रहा है. सरकार द्वारा 1925 रुपए प्रति क्विंटल गेंहू का मूल्य निर्धारित किया गया है, जिसमे 20 रुपए प्रति क्विंटल मजदूरी का सरकार मंडी परिषद के माध्यम अपने आप देती थी, परंतु इस बार सरकार ने वो 20 रुपए किसान से काटना शुरू कर दिया जो सरासर गलत है.

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इस बार किसान का गेंहू क्रय केंद्र पर रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है.किसान से गेंहू लेकर उसे भुगतान के बारे में नही बताया जा रहा है कि भुगतान कब होगा. क्रय केंद्र गांव स्तर पर नही बनाये गए है. जो बनाये गए है उनमें गेंहू लेने के लिए पर्याप्त बारदाना नही है, जिससे किसान बिचौलियों को गेंहू बेचने को मजबूर है.किसान को फसल का दुगना दाम देने का सपना दिखाने वाली सरकार किसान को लागत के आधे दाम में फसल को बेचने को मजबूर कर रही है.

सरकार को चाहिए कि प्रदेश के किसानो का अविलंब गन्ना भुगतान कराया जाए और प्रदेश के गेंहू क्रय केंद्रों का निरीक्षण कराया जाए, साथ ही उनकी संख्या बढ़ाई जाए. सरकार द्वारा घोषित 1925 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान किसान का हो और 20 रुपये प्रति वर्ष की भांति सरकार अपनी ओर से सफाई ढुलाई का दें.

कागजी साबित हो रही सरकारी घोषणाएं
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के समस्याओं के निराकरण के लिए एक के बाद एक तमाम घोषणाएं करती रहती है. इसमें किसानों की फसलों का सही मूल्य दिया जाना, किसानों को लॉकडाउन में आने जाने के लिए पास की व्यवस्था किया जाना, और गांव में रहने वाले किसानों और मजदूरों को मनरेगा के जरिए रोजगार दिए जाने जैसे तमाम काम शामिल है. सरकार यह भी दावा कर रही है कि हर किसान के खाते में वह नगद पैसे भी भेज रही है. इसके बाद भी किसानों की हालत जस की तस है किसानों को लॉक डाउन में अपनी फसल बेचने के लिए बाजार नहीं जाने दिया जाता है.सामान्य तौर पर लगने वाली साप्ताहिक बाजारे पूरी तरीके से बंद है. शहरों में जाने पर किसानों को पाबंदी लगी हुई है ऐसे में मेहनत करके खेत में पैदा की गई फसल भी बर्बाद हो रही है. किसान कहता है सरकार हमें सहायता दे या ना दे केवल हमारे उत्पादों का सही मूल्य दिला दे यही किसानों के लिए सबसे बड़ा काम होगा

मवेशियों के लिए नही है चारा
समस्या केवल किसानों की नहीं है किसानों के साथ साथ उनके मवेशियों की भी समस्या है। मवेशियों के लिए चारा खत्म हो गया है। चारा और भूसा ले जाने वाली गाड़ियों को सड़क पर चलने नहीं दिया जा रहा है.जिसकी वजह से जानवरों को चारा नहीं मिल रहा पशु आहार वाली दुकानें बंद है। जिससे मवेशियों को चारा नहीं मिल रहा ऐसे में खेती कैसे होगी यह सोचने की बात है कागजों में यह आदेश है को भूसा और चारा ले जाने वाली गाड़ियों को पुलिस के द्वारा रोका नहीं जाएगा। हकीकत में पुलिस खुद ही इन

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