केंद्र औऱ प्रदेश सरकार को जो काम लॉक डाउन करने से पहले करना चाहिए था जिससे मजदूर, कोचिंग करने में पढ़ने वाले छात्र और निजी कंपनियों में काम कर रहे लोग अपने गांव घर पहुच पाते वो काम 40 दिन बाद भी मुद्दा बना हुआ है. असल मे केंद्र और प्रदेश सरकार अब इस मुद्दे को अपनी छवि चमकाने के जरिया बना रही है.

उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री ने कोटा और दिल्ली से मजदुरों और छात्रों को घर वापस ला कर अपनी छवि चमकाने के काम किया है. दूसरे प्रदेशों के नेताओ को लग रहा कि केंद्र सरकार यूपी को तवज्जो दे रही है.जिसकी वजह से उनको पहले इजाजत मिल जा रही है। अब दूसरे प्रदेशों में मुख्यमंत्री भी केंद्र पर दबाव बनाने लगे है.

मध्य प्रदेश सरकार ने ऑन लाइन पोर्टल बनाने की योजना बनाई है. जिसपर मध्य प्रदेश के वह लोग अपना डिटले डाल सकते है जो बाहर रहते है और अब वापस आना चाहते है.मध्य प्रदेश सरकार उनका विवरण देख कर एक पास बना देगी. और उनको घर वापसी की सहूलियत देगी.बंगाल सरकार भी अपने यँहा के लोगो की घर वापसी की योजना बना रही. उत्तर प्रदेश सरकार कोटा और दिल्ली से लोगो को लाने का काम कर चुकी है.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर इस मसले की योजना बनाएं या बिहार को भी अपने लोगो को घर लाने की इजाजत दे. केंद्र और प्रदेश सरकारें जनता के निशाने पर है.जिस तरह से लोगो को पैदल, साइकिल, बस या दूसरी सवारियां से अपने गांव शहर आना पड़ा उसने देश की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी. यह मुद्दा केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच लड़ाई का मुद्दा बन गया. उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों को ऐसे काम की अनुमति मिलने के बाद अब दूसरे राज्य भी इस दिशा में प्रयास करने लगे है.

चुनाव ने बढ़ाई नीतीश की मुश्किलें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दूसरे प्रदेशों से अपने प्रदेश लाने के लिए मजदूरों और छात्रों को लेकर केंद्र स्तर पर एक जैसी नीति बननी चाहिए. जिससे बाहर फंसे मजदूर, छात्र और दूसरे लोगो को सुविधा पूर्वक घर वापस लाया जा सके.नीतीश कुमार को लगता है कि अगर ऐसा नही हुआ तो बिहार विधानसभा चुनाव में उनको जनता का समर्थन नहीं मिलेगा. वैसे तो नीतीश कुमार भाजपा के सहयोगी दल है पर भाजपा नीतीश को कमजोर करके खुद ताक़तवर होना चाहती है.

असल मे नीतीश कुमार की इस मांग के पीछे का दर्द समझने वाला है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोटा राजस्थान में कोचिंग पढ़ने गए छात्रों को जिस तरह से अपने प्रदेश वापस लाया गया उसकी सोशल मीडिया में अलग चर्चा हुईं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने उनको हीरो की तरह से पेश किया. अब हर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर वँहा की जनता का दवाब है. अपने लोगो को बाहरी प्रदेशों से वापस ला कर नीतीश कुमार जनता का भरोसा हासिल करना चाहते है.

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बिहार बनाम उत्तर प्रदेश की लड़ाई :
राजस्थान के कोटा में उत्तर प्रदेश और बिहार के सबसे अधिक छात्र पढ़ते हैं.उत्तर प्रदेश की साहसिक करवाई से बिहार सरकार पर दबाव बनने लगा था. बिहार सरकार को जिस समर्थन की जरूरत केंद्र सरकार से थी वो उसे नही मिला. जिस वजह से बिहार सरकार कोटा से अपने यँहा छात्रो को वापस नहीं ला पाई.उत्तर प्रदेश के बाद अब बंगाल सरकार भी यह काम करने जा रही हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगता है कि उनके साथ भेदभाव करने की वजह से केंद्र सरकार उनकी उस तरह मदद नही कर रही जैसे उत्तर प्रदेश की करती है. दिल्ली से मजदूरों के पलायन के मामले में भी उत्तर प्रदेश बाजी मार कर चर्चा में बना रहा और बिहार को हाशिये पर डाल दिया था.

नीतीश कुमार औऱ योगी आदित्यनाथ के बीच तुलना की जाए तो नीतीश कुमार को सरकार चलाने का अनुभव अधिक है. वो केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे है.मुख्यमंत्री के तौर पर उनको अधिक सरकार चलाने का अनुभव है.उसके बाद भी योगी आदित्यनाथ नीतीश कुमार से अधिक चर्चा में रहते है.

बिहार चुनावों की आहट :
वैसे देखा जाए तो बिहार और उत्तर प्रदेश दोनो ही राज्यो में भाजपा की सरकार है. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से सरकार चला रहे है और उत्तर प्रदेश में भाजपा की बहुमत वाली सरकार है.

बिहार में विधानसभा के चुनाव आने वाले है. ऐसे में नीतीश कुमार अपनी छवि से कोई समझौता नहीं करना चाहते. नीतीश कुमार को इस बात का भी डर भाजपा कंही उनकी इमेज को नुकसान करके कमजोर करने की साजिश तो नही कर रही. इस वजह से वह केंद्र सरकार पर दवाब बना रहे है. नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की है कि राज्यो को लंबे समय को ध्यान देते हुए राहत पैकेज दिया जाए.

केंद्र औऱ प्रदेश की दोनो सरकारों को लग रहा कि भविष्य की राजनीति अब कोरोना पर भी टिकी है. चुनाव प्रचार में यह मुद्दा बनेगा की किस नेता ने कोरोना संकट में किस तरह जनता का साथ दिया.इस मुद्दे पर वोट मांगे जयेगे तो उसकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है. मोदी भक्त उनको देश ही नही दुनिया मे सबसे बड़ा करोना से लड़ने वाला नेता बनने के प्रयास में लग गए है. कोरोना भले ही निपट जाए पर यह मुद्दा खत्म नही होगा.यह राजनीतिक मुद्दा बन का छाया रहेगा.

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