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19 दिन 19 टिप्स: हिप्स में दर्द का ए-टू-जैड

हिप्स यानी कूल्हे में दर्द महिलाओं की आम परेशानी है. ज्यादातर महिलाएं डाक्टर के पास तब जाती हैं जब दर्द के चलते घरेलू कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है. वरना वे लंबे समय तक उस से जूझती रहती हैं. शरीर का यह हिस्सा होता तो मजबूत है मगर इस की बनावट कुछ ऐसी है कि छोटीछोटी चीजें इस के कामकाज में दिक्कत पैदा कर देती हैं और दर्द शुरू हो जाता है. अकसर दर्द या तकलीफ देने वाला शरीर का यह हिस्सा आखिर है क्या. किन वजहों से हमें यहां परेशानियां होती हैं और उन के लिए हम क्या कर सकते हैं या हमें क्या करना चाहिए.

यह शरीर का सब से बड़ा जौइंट होता है. इस में एक खांचे (सौकेट) में नरम हड्डियां और कड़क हड्डियां कुछ इस तरह से जुड़ी होती हैं कि वे आसानी से हिलडुल सकें. यहां एक तरह का फ्ल्यूड मौजूद होता है जो इस काम में मदद करता है. अगर आप के घर का दरवाजा बंद करने या खोलने पर आवाज करता है तो आप उस के कब्जों में थोड़ा मोबिलऔयल डाल देते हैं, आवाज आनी बंद हो जाती है. बस, कुछ ऐसा ही है यह हिस्सा. यहां भी ढेर सारी मोबिलऔयल्स जैसी चीजें होती हैं.

दर्द के कारण

यह हिस्सा बहुत मजबूत होता है मगर इस में टूटफूट भी होती है. उम्र और इस्तेमाल बढ़ने के साथ हिप्स की मसल्स भी कमजोर पड़ जाती हैं. यहां की नरम हड्डी कमजोर पड़ जाती है या उस में टूटफूट आ जाती है. आप की मूवमैंट को स्मूथ बनाए रखने वाला चिपचिपा द्रव्य पदार्थ भी कम हो जाता है. कहीं जोर से फिसल जाने में हिप की हड्डी में फ्रैक्चर भी आ सकता है. इन में से कोई भी चीज हिप्स में दर्द का कारण बन सकती है. अगर आप को अकसर दर्द होता रहता है तो इन कारणों में से कोई एक बात हो सकती है :

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आर्थ्राइटिस : हिप्स में दर्द का यह सब से बड़ा कारण है, खासकर उम्रदराज लोगों में. आर्थ्राइटिस आप के हिप्स जौइंट में दर्द पैदा करता है. यह नरम हड्डी को काफी कमजोर कर देता है या तोड़ देता है. यह नरम हड्डी (कार्टिलेज) हिप्स की हड्डियों के लिए तकिए की तरह काम करती है. जैसेजैसे आर्थ्राइटिस बढ़ता है, दर्द बढ़ता है. महिलाओं को दर्द के साथसाथ इस हिस्से में जकड़न भी महसूस होने लगती है.

हिप फ्रैक्चर : उम्रदराज लोगों में हिप फ्रैक्चर भी आमतौर पर सामने आता है. उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और वे चोट बरदाश्त नहीं कर पातीं. महिलाओं को अकसर बाथरूम में गिरने की वजह से हिप फ्रैक्चर होता है.

टैंडन में चोट : टैंडन जिस्म की मसल्स को हड्डियों से जोड़ने वाली मजबूत रस्सी जैसी चीज होती है. यह काफी ताकतवर होती है. लेकिन अगर किसी झटके या लगातार किसी गलत मूवमैंट की वजह से इसे चोट पहुंच जाए तो यह काफी दर्द देती है. इस का दर्द मसल्स के मुकाबले देर से ठीक होता है.

मसल्स पेन : आप जो भी मूवमैंट करती हैं उस का भार मसल्स, टैंडन और लिगामैंट उठाते हैं. ज्यादा इस्तेमाल और वक्त के साथ ये कमजोर पड़ते जाते हैं और दर्द देना शुरू कर देते हैं. मसल्स में आई चोट या टूटफूट जल्दी भर जाती है, मगर लिगामैंट में कोई टूटफूट आ गई तो लंबे समय के लिए आराम देना पड़ता है. ज्यादा उम्र वाली महिलाओं में अगर लिगामैंट फ्रैक्चर की बात सामने आती है तो उन्हें लंबे समय तक आराम करना पड़ता है.

कैंसर : हड्डियों का कैंसर या हड्डियों तक पहुंच जाने वाला कैंसर शरीर की अन्य हड्डियों के साथसाथ हिप्स में भी दर्द पैदा करता है.

कहां, कैसा दर्द होता है

जांघों में, हिप्स के जोड़ों के भीतर, उन के बाहर की ओर और नितंबों में दर्द होता है. कभीकभी बैकपेन यानी पीठदर्द और हर्निया की वजह से पैदा हुआ दर्द भी यहां तक पहुंच जाता है. अगर दर्द लगातार बढ़ रहा है तो ये आर्थ्राइटिस की निशानी हो सकती है. हलकीफुलकी कसरत, स्ट्रैचिंग व्यायाम इस में मदद करते हैं. फिजियोथैरेपी भी ले सकते हैं. वैसे, स्विमिंग बहुत अच्छी कसरत होती है. यह हड्डियों पर ज्यादा दबाव नहीं डालती. दर्द से नजात पाने के लिए आप दर्द वाले इलाके पर 15 मिनट तक बर्फ रख कर सिंकाई करें. ऐसा आप दिन में 2-3 बार कर सकते हैं.

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डाक्टर से तुरंत मिलें अगर…

  1. गिरने या फिसलने की वजह से हिप्स में दर्द शुरू हुआ हो.
  2. आप के जोड़ की शेप यानी बनावट बिगड़ रही हो.
  3. जब आप को चोट लगी तो आप ने ‘कट’ सी कोई आवाज सुनी हो.
  4. दर्द बहुत तेज है और आप हिप्स पर जरा भी वेट नहीं ले पा रहीं.
  5. सो, कूल्हे में किसी तरह से चोट लगने की वजह से दर्द हो या किसी दूसरी वजह से बहुत ज्यादा दर्द हो तो उसे हलके में न लें, डाक्टर से संपर्क करें.

कूल्हों के दर्द को न करें अनदेखा

लोग कूल्हे के दर्द को लापरवाही के चलते शुरुआत में अनदेखा कर देते हैं और धीरेधीरे जब दर्द असहनीय हो जाता है तो डाक्टर से परामर्श लेते हैं. लेकिन तब तक स्थिति काफी एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है. कूल्हे से जुड़ी समस्याओं में सब से प्रमुख एवास्कुलर निक्रोसिस (एवीएन) है. विशेषज्ञों ने माना कि दुनिया के दूसरे देशों के विपरीत हमारे देश में कूल्हे के जोड़ में दर्द का कारण एवीएन है. एवीएन में कूल्हों की हड्डियों को रक्त नहीं मिल पाता और लगातार रक्त की आपूर्ति न होने की वजह से कूल्हे की हड्डियां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं. भारत में एवीएन के बढ़ते मामलों के बारे में विस्तार से बताते हुए अमृतसर के जानेमाने और्थोपैडिक व अमनदीप अस्पताल के सीनियर कंसल्टैंट डा. अवतार सिंह कहते हैं, ‘‘भारत के युवाओं में एवीएन के मामले बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं और इसी वजह से हिप रिप्लेसमैंट सर्जरियां बढ़ रही हैं.’’

एवीएन होने के कारणों में सड़क दुर्घटना भी प्रमुख रूप से उभर कर सामने आती है. अकसर बाइकर्स तेज रफ्तार की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. ऐसे में अगर चोट उन के कूल्हे पर लग जाए और समय पर इलाज न कराया जाए तो भी एवीएन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. समय रहते अगर सही तरीके से कूल्हों का इलाज हो जाए तो दुर्घटनाग्रस्त रोगी की जिंदगी आसान हो जाती है. दुर्घटना के बाद रिकवरी में अगर मरीज के सभी अंग ठीक तरीके से काम करें तो उसे सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है और इस से उस की रिकवरी और तेजी से होती है. दुर्घटना में अगर कूल्हे के जोड़ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हों तो उसे रिप्लेस करने का सुझाव दिया जाता है.

अपनाएं आधुनिक तरीकों को

एवीएन के अलावा कूल्हों के क्षतिग्रस्त होने का कारण आर्थ्राइटिस भी हो सकता है. इस में रूमेटाइट आर्थ्राइटिस (आरए) के मामले ज्यादा गंभीर हो सकते हैं. आरए औटोइम्यून बीमारी है जिस में इम्यून सिस्टम शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से बचाने के बजाय खुद ही जोड़ों पर अटैक करना शुरू कर देता है. असामान्य इम्यून की वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है जिस से जोड़ क्षतिग्रस्त होने लगते हैं. असहनीय दर्द और हड्डियों की गंभीर स्थिति में डाक्टर प्रत्यारोपण की सलाह देते हैं. डा. अवतार सिंह कहते हैं, ‘‘युवा रोगियों के मामले में सक्रिय जिंदगी बिताने के लिए स्थिरता व स्थायित्व 2 महत्त्वपूर्ण मुद्दे होते हैं. ऐसे में आधुनिक तकनीक से लैस कूल्हे का प्रत्यारोपण सब से कारगर इलाज उभर कर सामने आता है.’’

आजकल आधुनिक तकनीकों ने प्रत्यारोपण को आसान कर दिया है. हाल ही में भारत में कूल्हे की प्रत्यारोपण प्रक्रिया में डुअल मोबेल्टी हिप जौंइट सिस्टम बेहद कारगर साबित हुआ है. भारत में यह पहली तरह का हिप सिस्टम है जो हिप जौइंट विकार से जूझ रहे रोगियों को दर्द से नजात दिलाता है, स्थिरता को बढ़ाता है और गतिशीलता की रेंज प्रदान करता है. पारंपरिक हिप रिप्लेसमैंट सिस्टम में स्थिरता की सीमाएं सीमित थीं लेकिन नए हिप प्रत्यारोपण सिस्टम में ये बंदिशें नहीं हैं. युवा रोगियों के लिए यह सिस्टम काफी कारगर है क्योंकि इस की 40-50 साल तक की लंबी अवधि की स्थिरता है. कूल्हे का प्रत्यारोपण इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह प्राकृतिक

हिप जौइंट की ही तरह काम करता है. नतीजतन, सर्जरी के बाद रोगी आसानी से सीढि़यां चढ़उतर सकते हैं और रोजमर्रा के सभी काम कर सकते हैं.

#lockdown: घर वापसी के बहाने छवि चमकाने की चाहत

केंद्र औऱ प्रदेश सरकार को जो काम लॉक डाउन करने से पहले करना चाहिए था जिससे मजदूर, कोचिंग करने में पढ़ने वाले छात्र और निजी कंपनियों में काम कर रहे लोग अपने गांव घर पहुच पाते वो काम 40 दिन बाद भी मुद्दा बना हुआ है. असल मे केंद्र और प्रदेश सरकार अब इस मुद्दे को अपनी छवि चमकाने के जरिया बना रही है.

उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री ने कोटा और दिल्ली से मजदुरों और छात्रों को घर वापस ला कर अपनी छवि चमकाने के काम किया है. दूसरे प्रदेशों के नेताओ को लग रहा कि केंद्र सरकार यूपी को तवज्जो दे रही है.जिसकी वजह से उनको पहले इजाजत मिल जा रही है। अब दूसरे प्रदेशों में मुख्यमंत्री भी केंद्र पर दबाव बनाने लगे है.

मध्य प्रदेश सरकार ने ऑन लाइन पोर्टल बनाने की योजना बनाई है. जिसपर मध्य प्रदेश के वह लोग अपना डिटले डाल सकते है जो बाहर रहते है और अब वापस आना चाहते है.मध्य प्रदेश सरकार उनका विवरण देख कर एक पास बना देगी. और उनको घर वापसी की सहूलियत देगी.बंगाल सरकार भी अपने यँहा के लोगो की घर वापसी की योजना बना रही. उत्तर प्रदेश सरकार कोटा और दिल्ली से लोगो को लाने का काम कर चुकी है.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर इस मसले की योजना बनाएं या बिहार को भी अपने लोगो को घर लाने की इजाजत दे. केंद्र और प्रदेश सरकारें जनता के निशाने पर है.जिस तरह से लोगो को पैदल, साइकिल, बस या दूसरी सवारियां से अपने गांव शहर आना पड़ा उसने देश की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी. यह मुद्दा केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच लड़ाई का मुद्दा बन गया. उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों को ऐसे काम की अनुमति मिलने के बाद अब दूसरे राज्य भी इस दिशा में प्रयास करने लगे है.

चुनाव ने बढ़ाई नीतीश की मुश्किलें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दूसरे प्रदेशों से अपने प्रदेश लाने के लिए मजदूरों और छात्रों को लेकर केंद्र स्तर पर एक जैसी नीति बननी चाहिए. जिससे बाहर फंसे मजदूर, छात्र और दूसरे लोगो को सुविधा पूर्वक घर वापस लाया जा सके.नीतीश कुमार को लगता है कि अगर ऐसा नही हुआ तो बिहार विधानसभा चुनाव में उनको जनता का समर्थन नहीं मिलेगा. वैसे तो नीतीश कुमार भाजपा के सहयोगी दल है पर भाजपा नीतीश को कमजोर करके खुद ताक़तवर होना चाहती है.

असल मे नीतीश कुमार की इस मांग के पीछे का दर्द समझने वाला है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोटा राजस्थान में कोचिंग पढ़ने गए छात्रों को जिस तरह से अपने प्रदेश वापस लाया गया उसकी सोशल मीडिया में अलग चर्चा हुईं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने उनको हीरो की तरह से पेश किया. अब हर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर वँहा की जनता का दवाब है. अपने लोगो को बाहरी प्रदेशों से वापस ला कर नीतीश कुमार जनता का भरोसा हासिल करना चाहते है.

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बिहार बनाम उत्तर प्रदेश की लड़ाई :
राजस्थान के कोटा में उत्तर प्रदेश और बिहार के सबसे अधिक छात्र पढ़ते हैं.उत्तर प्रदेश की साहसिक करवाई से बिहार सरकार पर दबाव बनने लगा था. बिहार सरकार को जिस समर्थन की जरूरत केंद्र सरकार से थी वो उसे नही मिला. जिस वजह से बिहार सरकार कोटा से अपने यँहा छात्रो को वापस नहीं ला पाई.उत्तर प्रदेश के बाद अब बंगाल सरकार भी यह काम करने जा रही हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगता है कि उनके साथ भेदभाव करने की वजह से केंद्र सरकार उनकी उस तरह मदद नही कर रही जैसे उत्तर प्रदेश की करती है. दिल्ली से मजदूरों के पलायन के मामले में भी उत्तर प्रदेश बाजी मार कर चर्चा में बना रहा और बिहार को हाशिये पर डाल दिया था.

नीतीश कुमार औऱ योगी आदित्यनाथ के बीच तुलना की जाए तो नीतीश कुमार को सरकार चलाने का अनुभव अधिक है. वो केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे है.मुख्यमंत्री के तौर पर उनको अधिक सरकार चलाने का अनुभव है.उसके बाद भी योगी आदित्यनाथ नीतीश कुमार से अधिक चर्चा में रहते है.

बिहार चुनावों की आहट :
वैसे देखा जाए तो बिहार और उत्तर प्रदेश दोनो ही राज्यो में भाजपा की सरकार है. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से सरकार चला रहे है और उत्तर प्रदेश में भाजपा की बहुमत वाली सरकार है.

बिहार में विधानसभा के चुनाव आने वाले है. ऐसे में नीतीश कुमार अपनी छवि से कोई समझौता नहीं करना चाहते. नीतीश कुमार को इस बात का भी डर भाजपा कंही उनकी इमेज को नुकसान करके कमजोर करने की साजिश तो नही कर रही. इस वजह से वह केंद्र सरकार पर दवाब बना रहे है. नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की है कि राज्यो को लंबे समय को ध्यान देते हुए राहत पैकेज दिया जाए.

केंद्र औऱ प्रदेश की दोनो सरकारों को लग रहा कि भविष्य की राजनीति अब कोरोना पर भी टिकी है. चुनाव प्रचार में यह मुद्दा बनेगा की किस नेता ने कोरोना संकट में किस तरह जनता का साथ दिया.इस मुद्दे पर वोट मांगे जयेगे तो उसकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है. मोदी भक्त उनको देश ही नही दुनिया मे सबसे बड़ा करोना से लड़ने वाला नेता बनने के प्रयास में लग गए है. कोरोना भले ही निपट जाए पर यह मुद्दा खत्म नही होगा.यह राजनीतिक मुद्दा बन का छाया रहेगा.

#lockdown: नए रूप में कबूतरबाजी

लौकडाउन में काफीकुछ बदल गया. आनाजाना, चलनाफिरना, खरीदफरोख्त, लानालेजाना व और भी बहुतकुछ. सफर करना तो लौक है.

सबसे ज़्यादा दिक्कत में प्रवासी मजदूर यानी अपने घर से दूर किसी शहर या राज्य में रोजी-रोटी कमाने वाले हैं. वे अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन नहीं जा पा रहे, लौकडाउन जो लागू है. हां, ‘कबूतरबाजी’ के जरिए कुछ मजदूर अपने गांव जरूर पहुंच गए हैं.

कबूतरबाज़ी है क्या :

लौकडाउन और कर्फ्यू की दोहरी मार झेल रहे पंजाब के मजदूरों को कबूतरबाज़ी के जरिए उनके मूल राज्यों में छोड़कर आने का ग़ैरक़ानूनी धंधा जोरों पर है. कबूतरबाज़ी, दरअसल, मानव तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कूट शब्द है. ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से विदेश ले जाए जाने वाले पंजाबी नौजवानों के संदर्भ में इस शब्द का प्रचलन हुआ था. अवैधतौर पर विदेश जाने वालों को ‘कबूतर’ कहा जाता था और उन्हें भेजने वाले एजेंटों को ‘कबूतरबाज’ तथा इस सारे गोरखधंधे को ‘कबूतरबाज़ी’.

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पंजाब में बिहार व उत्तरप्रदेश के फंसे बदहाल मजदूर, जो किसी भी तरह अपने घर-गांव जाना चाहते हैं,  कोरोना-काल के नए कबूतर हैं और बेईमान-लालची ट्रांसपोर्टर तथा कुछ जालसाज़ लोग कबूतरबाज़ हैं. राज्य पुलिस द्वारा हाल में की गई गिरफ़्तारियों से इस गोरखधंधे का परदाफ़ाश हुआ है.

कई कबूतरबाज काबू :

अभी 24 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने 2अलगअलग जगहों से कई गिरोहों से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया है. ये लोग जाली कर्फ्यू पास बनाकर प्रवासी मजदूरों के समूहों को बिहार व उत्तर प्रदेश छोड़ने जाते थे. राज्य के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है. होशियारपुर के टांडा-उड़मुड़ और जालंधर के शाहकोट व लोहिया कसबों से ये गिरफ्तारियां की गई हैं.

पकड़े गए अभियुक्त कर्फ्यू के दौरान एसडीएम तथा अन्य उच्चाधिकारियों के नाम से जारी जाली कर्फ्यू पास बनाकर फंसे हुए प्रवासी मजदूरों से हजारों रुपए वसूल कर अवैधरूप से उन्हें उनके मूल राज्यों तक पहुंचाने का काम कर रहे थे.

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दरअसल, राजपुरा के शंभू बैरियर पर ड्यूटी कर रहे अधिकारी को शक होने पर उन्होंने प्रवासियों को ले जाने वाले वाहनों में से एक वाहन के चालक को टांडा वापस जाने को कहा. टांडा वापस लौटने पर मजदूर, अभियुक्तों से अपने पैसे वापस मांगने लगे. आपस में कहासुनी हुई और यह बात पुलिस तक पहुंच गई.

खूब उगाही की गई :

बता दें कि बटाला एसडीएम की तरफ से एक टैक्सी चालक को कुछ पास आईजीआई एयरपोर्ट, दिल्ली के लिए जारी किए गए थे. उसी के जरिए एक अन्य वाहन चालक ने नकली पास तैयार कर लिए. फिर बाक़ायदा एक गिरोह बन गया और कुछ ही दिनों में इस गिरोह ने 71 मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश ले जाकर छोड़ दिए. इससे उन्होंने 3 लाख 5 हजार रुपए उगाहे.

24 अप्रैल को जालंधर की शाहकोट और लोहियां पुलिस ने भी ऐसा ही एक मामला पकड़ा. इस मामले में 4 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. 23 अप्रैल को मंडी गोबिंदगढ़ पुलिस ने प्रवासी मजदूरों से भरा एक ट्रक पकड़ा था. सब जगह मजदूरों से इस नाम पर हजारों रुपए वसूले गए थे कि उन्हें उनके मूल राज्यों की सीमा तक पहुंचा दिया जाएगा.

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ट्रक, टेंपो और छोटीबड़ी मोटरगाड़ियां ही कबूतरबाज़ी में इस्तेमाल नहीं की जा रही हैं, बल्कि चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे में काम आने वाली एंबुलेंस को भी इस कालेधंधे में कबूतरबाज़ अपना हथियार बना रहे हैं.

लुधियाना में एक मामला सामने आया है. एक निजी अस्पताल का मालिक और पेशे से डाक्टर अंतर्राज्यीय कबूतरबाज़ों की मिलीभगत से अपने घर वापस लौटने के ख्वाहिशमंद मजबूर श्रमिकों को पहले फर्जी मरीज बनाकर अपने यहां भरती दिखाता है, फिर बीमारी की फर्जी हिस्ट्री की फाइल बनाकर एंबुलेंस के जरिए घर भेजने का इंतजाम करता है. इस सबके बदले मोटी रकम वसूली जा रही है.

मीडिया के स्टिंग औपरेशन में डाक्टर ने खुद माना है कि वह फर्जी टेस्ट रिपोर्ट से लेकर एक्सरे तक सब बनाकर दे देता है. कथित मरीज को उसके मूल राज्य लौटने की सलाह लिख दी जाती है. 18 रुपए किलोमीटर के हिसाब से एंबुलेंस का किराया वसूला जाता है यानी कि दोगुना.

हकीकत यह  है कि लौकडाउन के चलते लाखों प्रवासी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. वे हर हाल में अपनेअपने राज्यों में लौट जाना चाहते हैं. उनकी मजबूरियों का नाजायज फ़ायदा ये नए कबूतरबाज़ उठा रहे हैं. इस तरह कबूतरबाज़ी का यह नया रूप सामने आया है जो कोरोनाकाल का एक कड़वा सच भी है. गरीब मजदूर बेचारे कबूतर बनने को मजबूर हैं.

19 दिन 19 टिप्स: अधिक उम्र में शादी कहां तक सही, इसे समझना है जरूरी

शादी की सही उम्र क्या हो? यह ऐसा मुद्दा है जिस में देश के साथ ही दुनिया के तमाम मुल्कों में लड़के और लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र अलगअलग है. वैसे हमारे देश में लड़के की शादी की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष रखी गई है. देश में आज भी ज्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. देश में पहले बालविवाह का काफी चलन था, लेकिन लोगों में जागरूकता आने से अब बालविवाह में कमी आई है.

समाज में कुछ लोगों की शादी अधेड़ उम्र में होती है. इस का एक कारण यह भी है कि लड़का पढ़ाई के बाद अपने पैरों पर खड़ा हो जाए. आज के आधुनिक दौर में लड़कियां उच्चशिक्षा हासिल करने के लिए गांवों और छोटे शहरों से जा कर देश के बड़े संस्थानों में पढ़ाई कर अपना भविष्य बना रही हैं.

यही कारण है कि अब पढ़ेलिखे ज्यादातर लोग 25 साल की उम्र के बाद ही शादी के बंधन में बंध रहे हैं. इस का सब से अहम पहलू अपने भविष्य को ले कर सुरक्षा का है. शिक्षा ने समाज में जागरूकता का काम किया और नतीजा यह निकला कि लड़का और लड़की में फर्क किया जाना कम होने लगा. अब लड़कियां भी पढ़ कर नौकरी कर रही हैं. वे अच्छी तरह सैटल हो रही हैं और जीवनसाथी चुनने में जल्दबाजी नहीं कर रही हैं. इस वजह से भी शादी की उम्र में असर देखने को मिल रहा है.

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लड़के और लड़की के बीच आमतौर पर 3 से 5 साल का अंतर हो तो उस जोड़ी को अच्छा माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि कम उम्र की लड़की बेहतर होती है, लेकिन अब जमाना बदल रहा है और उसी के साथ मान्यताएं व सोच भी. आज उम्र कोई बहुत बड़ा मसला नहीं रह गया है. आजकल तो कई पत्नियां अपने पति से उम्र में कई साल बड़ी भी हैं. बौलीवुड के स्टार शाहिद कपूर और मीरा राजपूत की शादी भी इसी तरह का एक उदाहरण है. उन के बीच 13 साल का अंतर है. जानेमाने अभिनेता सैफ अली खान ने अमृता सिंह और आमिर खान ने रीना से शादी की. दोनों जोडि़यों में उम्र का काफी फासला था. मशहूर मौडल व ऐक्टर मिलिंद सोमन ने भी 52 साल की उम्र में खुद से 25 साल छोटी गर्लफ्रैंड अंकिता कोंवर को विवाह के लिए चुना है.

इसी तरह, ज्यादा उम्र में शादी के जहां अनेक फायदे हैं तो वहीं कई नुकसान भी हैं. दुनिया के कई देशों में शादी की औसत आयु अलगअलग है. हमारे देश में शादी की औसत आयु 26 वर्ष है. सरकार ने बालविवाह रोकने के लिए कानून के साथ ही लोगों में शिक्षा का प्रसार कर के जागरूक करने का काम किया है. पहले मांबाप अपने बच्चों की कम उम्र में शादी कर के मुक्ति पा लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. समाज में लड़के के साथ लड़कियों को ले कर नजरिया बदला है और इस का सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है.

फायदे

बड़ी उम्र में शादी करना एक समझदारी भरा फैसला होता है. इस के कई फायदे हैं जिन का असर आप के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है.

– उम्रदराज पुरुष के साथ शादी करने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि लड़की को अपने शौक पूरे करने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि ऐसे लोग जौब में होते हैं. उस के पति का कैरियर सैट होता है और उसे नौकरी के चक्कर में इधरउधर भागना नहीं होता. ऐसे में लड़की आराम की जिंदगी बिता सकती है. हर लड़की को ऐसी ही ससुराल की ख्वाहिश रहती है जहां उसे आर्थिक रूप से परेशानी का सामना न करना पड़े.

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– ज्यादा उम्र में शादी करने का दूसरा फायदा यह होता है कि ऐेसे लोग कम उम्र के लोगों के मुकाबले ज्यादा समझदार होते हैं. किसी भी बात को गहराई से समझ कर फैसला करते हैं और सहनशील भी होते हैं. इस से यह फायदा होता है कि वैवाहिक जीवन सफल होेने के साथ ही खुशहाल भी होता है. पतिपत्नी में अकसर किसी न किसी बात पर तकरार हो जाती है, ऐसे में अगर सोचसमझ कर फैसला न लिया जाए तो जिंदगी दुश्वार हो जाती है.

– उम्रदराज होने का फायदा यह भी होता है कि अनुभवी होने के नाते आप के पार्टनर को सैक्सलाइफ में आने वाली परेशानियों का ज्ञान होता है, जिस से कई बातों का घर बैठे समाधान पाया जा सकता है.

– अधिक उम्र में शादी करने से दोनों के बीच अपनी पसंद को थोपने की मंशा नहीं रहती, बल्कि  एकदूसरे की पसंद को समझ कर रिश्ते बेहतर बनाने की कोशिश होती है.

नुकसान

हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं, एक पहलू वह होता है जिस में आप को फायदा नजर आता है और दूसरा पहलू यह है कि आप को किसी न किसी रूप में नुकसान उठाना पड़ सकता है. कुछ ऐसा ही अधिक उम्र में शादी को ले  कर है.

– अधिक उम्र में शादी करने का पहला नुकसान यह होता है कि आप अपने पार्टनर को समय कम दे पाते हैं, जिस वजह से एकदूसरे को समझने में जिंदगी गुजर जाती है. ऐसा होने से आप के वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है.

– अधिक उम्र की वजह से पति और पत्नी दोनों ही मैच्योर होते हैं, इसलिए विवाद होने पर समझने की कोशिश कम करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वही सही हैं. कोई भी अपनी बात से पीछे नहीं हटना चाहता और बात तूल पकड़ लेती है जिस का रिश्ते पर नकारात्मक असर होता है.

– हर पतिपत्नी की दिली ख्वाहिश होती है कि शादी के बाद जल्द से जल्द मांबाप बनने का सुख मिल जाए. अनेक शोधों से यह साबित हो चुका है कि ज्यादा उम्र में शादी करने से बच्चे होने की उम्मीद कम रहती है. 35 से 40 वर्ष की उम्र में गर्भधारण करना वास्तव में एक समस्या है क्योंकि इस उम्र में बांझपन की आशंका 15 से 32 फीसदी तक बढ़ जाती है और महिलाओं के गर्भवती होने के अवसर केवल 33 फीसदी तक रह जाते हैं, जबकि 35 से कम उम्र में यह अवसर 50 फीसदी होते हैं.

– ज्यादा उम्र में शादी करने से वैवाहिक जीवन पर सब से बुरा प्रभाव यह पड़ता है कि सैक्स की ख्वाहिश में कमी होने लगती है, जिस वजह से पतिपत्नी के बीच इन बातों को ले कर काफी तनातनी रहती है.

VIDEO : हौलीवुड सेलेब्रिटी सिंगर सेलेना गोमेज़ लुक

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#lockdown: हरियाणा सरकार की सब्जियों पर रोक: सब्जियां होंगी महंगी

हरियाणा सरकार कोरोना को ले कर परेशान है. कहीं ज्यादा मरीज न हो जाएं, इसी को ध्यान में रखते हुए कई तरह की पाबंदी लगा रही है. पाबंदी लगाने की वजह कोरोना ही है.

हरियाणा सरकार सख्ती बरतते हुए दूसरे राज्य के लोगों की आवाजाही पर रोक लगा रही है. वहीं यह भी कहा गया है कि हरियाणा के लोग दिल्ली में अगर काम कर रहे हैं तो वहीं रहें. यहां न आएं.

इस तरह का फरमान सुन लोग सकते में हैं. वहीं दूसरी सब से बड़ी परेशानी यह कि अब हरियाणा से दिल्ली में सब्जियां नहीं आएंगी यानी हरियाणा सरकार ने सब्जियों के आने पर  रोक लगा दी है.

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ऐसे में उम्मीद है कि दिल्ली में सब्जियों के भाव और ज्यादा बढ़ जाएं.

हरियाणा सरकार के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री लोगों के आनेजाने के लिए पास बनाना बंद करें. वजह, भले ही बार्डर सील हैं, लेकिन पास मिलने के कारण लोगों को रोका नहीं जा रहा है, इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री से कर्मचारियों को दिल्ली में ही रखने की मांग की है.

दिल्ली के सिंधु बार्डर पर हरियाणा प्रशासन को अलर्ट किया गया है. अगर कोई सब्जी ले कर आता है तो उस पर भी मामला दर्ज किया जाएगा.

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हरियाणा के स्वास्थ्य और गृह मंत्री अनिल विज ने यह भी कहा कि दिल्ली में काम कर रहे कर्मचारी, जो हरियाणा में रहते हैं, वो कोरोना कैरियर बने हुए हैं. यह चिंता का विषय है.

उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि दिल्ली के कर्मचारी जो हरियाणा में रहते हैं, उन के लिए पास न बनाए जाएं, उन्हें दिल्ली में ही रखने की व्यवस्था की जाए.

इस ऐलान से हरियाणा के लोग जो दिल्ली में नौकरी करते हैं, परेशान हैं. वहीं इस पर सरकार की चिंता भी वाजिब है, पर वहीं सब्जियों के दाम बढ़ने से गरीब व आम आदमी को पसीने आ जाएंगे, यह तय है.
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19 दिन 19 टिप्स: सैक्स करने से बढ़ती है खूबसूरती

क्या सैक्स का सुंदरता से संबंध है? सुनने में भले ही अटपटा लगे पर है सोलह आने सच. कोई महिला अपनी खूबसूरती बढ़ाने व निखारने के लिए भले ही कई तरह के ब्यूटी प्रोड्क्ट्स व जिम में अपना पैसा बहाएं. मगर हम आप से यह कहें कि खूबसूरती बढ़ाने के लिए सैक्स सब से असरकारक है तो गलत नहीं होगा.

दरअसल यह बात हम नहीं कह रहे हैं शोध से साबित हुआ है कि सैक्स करने से हारमोन निकलते हैं जिन से त्वचा को लाभ पहुंचता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिस से शरीर में निखार आता है, सुंदरता बढ़ती है, पर इसे असरकारक तब माना गया है जब सैक्स को कुदरती तरीके से किया गया हो.

सैक्स ः जीवन की गहराई तक जुड़ा है

स्कौटलैंड के रौयल एडिनबर्ग हौस्पीटल के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा नुस्खा बताया है जो मानवीय जीवन का एक अहम हिस्सा है. शोधकर्ताओं ने इस बारे में कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. वे हैं प्रेमपूर्वक सैक्स यानि सिर्फ पति पत्नी के साथ ही सैक्स करने से मनचाहा परिणाम मिलता है. क्योंकि अनसेफ सैक्स से न सिर्फ तमाम तरह की बीमारियों का खतरा रहता है बल्कि स्ट्रैस भी बढ़ता है. इस से मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है, नतीजतन एगिंग की प्रक्रिया में तेजी आ जाती है.

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बढ़ती उम्र घटाए खूबसूरती बढ़ाए

सैक्स कुदरती रूप से आनंद और उत्साह का संचार करता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि कम अंतराल में सैक्स करने से (हफ्ते में कम से कम 3 बार) आदमी की उम्र उस की असली उम्र की तुलना में कम दिखती है, सैक्सुअल एक्टीविटी किसी एक्सरसाइज से कम नहीं है. इस से स्किन को यंग बनोन वोल और खुशी बढ़ाने वाले हार्मोन्स रिलीज होते हैं. इस से आप का चेहरा ग्लो करने लगता है और स्किन में कसाव आता है.

जानिए क्याक्या हैं फायदे

  • सैक्स इंसान की सेहत बनाए रखने में मदद करता है.
  • यह कैलोरी बर्न करने का काम करता है साथ ही दिल और दिमाग को सेहतमंद बनाए रखता है.
  • सैक्स कुदरती रूप से खूबसूरती में इजाफा करता है.
  • यह खूबसूरती बढ़ाने वाले प्रोडक्ट्स और स्टाइल के मुकाबले 20 (बीस) ही नजर आता है.
  • सैक्स कर के अपनी त्वचा की उम्र को 4 साल तक कम कर सकते हैं.
  • सैक्स एक कुदरती उपाय जो खूबसूरती बढ़ाए
  • सैक्स के यह कुदरती उपाय आप के चेहरे की शाइन बढ़ा सकते हैं.

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खुशी का एहसास

सैक्स उन एक्टीविटीज में से है. जिस में दिमाग एकसाथ एक्साइट और रिलैक्स होता है. सैक्स के दौरान शरीर में औक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और इस से कोशिकाओं को नई एनर्जी मिलती है. इस से आप का मूड बेहतर रहता है.

स्वस्थ बाल

सैक्स के दौरान ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है. इस से बालों को एक नेचुरल मौइश्चराइजर मिलता है. इस से आप के बाल चमकदार बनते हैं.

त्वचा को रखें कोमल और स्थिर

जो महिलाएं नियमित सैक्स करती हैं उन की त्वचा में अहम किरदार निभाने वाले हार्मोन एस्ट्रोजेन का स्राव अधिक होता है. इस के साथ ही त्वचा को कुदरती रूप से कोमल और स्थिर बनाने वाले हार्मोन कोलेजन का स्राव भी अधिक होता है.

झुर्रियों से बचाएं

भले ही आप सूरज की हानिकारक किरणों से दूर रहें लेकिन फिर भी आप को झुर्रियां हो सकती हैं. ये झुर्रियां आप के हृदय तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों को हो सकती हैं. इस से दिल पर बुरा असर पड़ सकता है. दिल और चेहरे पर झुर्रियां पड़ने की प्रक्रिया समान है. सैक्स से आप के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है जिस से चेहरे पर कुदरती चमक आ जाती है.

स्तनों का आकार बढ़ाएं

स्तनों को महिलाओं की खूबसूरती का अहम हिस्सा माना जाता है. सैक्स के दौरान स्तनों का आकार 25 फीसदी तक बढ़ जाता है इसलिए जानकार मानते हैं कि जो महिलाएं अपनी सैक्स लाइफ से अधिक संतुष्ट होती हैं उन का शरीर अधिक सुडौल होता है.

पेट की चर्बी हटाएं

शरीर में अगर कौलेस्ट्रौल का स्तर अधिक हो जाए, तो इस का सीधा असर हमारे पेट पर पड़ता है. यहां अतिरिक्त वसा इकट्ठा होने लगती है. औक्सीटोसिन इस से निजात दिलाता है यानि और्गेज्म से आप के शरीर पर जमा अतिरिक्त चर्बी दूर होती है.

तनाव दूर करें

तनाव से आप के चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं. और्गेज्म के दौरान शरीर में बड़ी मात्रा में औक्सीटोसिन का स्राव होता है. यह तनाव के काफी उत्तरदायी माने जाने वाले कौरटिसोल हार्मोन को दूर करता है.

आत्मविश्वास में करें इजाफा

जिन लोगों को अपने जीवन का लक्ष्य पता होता है, वे अधिक आकर्षक होते हैं सैक्स और व्यायाम मस्तिष्क के समान क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हैं आप अपने आसपास की दुनिया के बारे में अच्छा महसूस करते. आप मानसिक रूप से अधिक शांति एकाग्र, शक्तीमान और सामर्थ्यवान महसूस करते.

इन उपायों को अपना कर अपनी सैक्स लाइफ को बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए इस से सेहतमंद तो होगी ही साथ ही खूबसूरती भी निखर जाएगी

अपने अपने शिखर: भाग 3

जन्मदिन के अवसर पर साखी सीमित  लोगों को आमंत्रित करती थी, जिस में उस के विभाग में काम करने वाले डाक्टर्स व अन्य काम करने वाले लोग होते थे. उस बार उस ने मेट्रेन मारिया को आमंत्रित कर लिया था. मेट्रेन मारिया उम्रदराज और अनुभवी थीं. मिशन के दूसरे अस्पताल से तरक्की पा कर आई थीं. दीना उन का ही इकलौता बेटा था. कोई स्थायी नौकरी न मिलने के कारण दीना अपनी मां के साथ आया था और छोटेमोटे फंक्शन में कुक का काम कर लेता था. अच्छा कुक होने की तारीफ सुन कर खानपान का जिम्मा दीना को दिया गया था.

अतिथियों के जाने के बाद दीना और उस के सहायक बचा हुआ खाना व सामान समेट रहे थे. मेट्रेन मारिया को दीना के साथ वापस जाना था, इसलिए वे रुकी थीं. गार्डन के एक कोने में पड़ी कुरसियों पर मेट्रेन मारिया और साखी बैठी थीं. समय बिताने के लिए औपचारिक बातचीत में साखी ने ऐसे ही पूछ लिया, ‘‘मेट्रेन आप कहांकहां रहीं?’’

मेट्रेन मारिया ने कई जगहों के नाम गिनाए. उन में रावनवाड़ा का नाम भी आया. साखी चौंकना पड़ी. साखी का चौंकना मेट्रेन मारिया नहीं देख पाईं. उन्होंने अपना चश्मा उतार लिया था और उंगलियों से अपनी पलकें बंद कर के सहला रही थीं.

‘‘रावनवाड़ा, कब?’’ साखी के मुंह से निकल गया था.

‘‘आप रावनवाड़ा जानती हैं? वह तो कोई मशहूर जगह नहीं.’’

‘‘हां, नाम सुना है, क्योंकि मेरी एक क्लासमेट वहीं की थी,’’ साखी ने सामान्य होते हुए कहा. मेट्रेन ने जो कालाखंड बताया उस में साखी के जन्म का वर्ष भी था. साखी ने शरीर में सनसनी सी महसूस की और सचेत हो कर पूछा, ‘‘मेट्रेन, आप को तो बहुत तजरबा है. नर्स की नौकरी में आप ने बहुतों के दुखसुख और बहुत से जन्म और मृत्यु देखे होंगे. बहुतों के दुखसुख भी बांटे होंगे. कोई ऐसा वाकेआ जरूर होगा, जो आप के जेहन में बस गया होगा.’’

मेट्रेन मारिया कुछ देर को चुप रहीं, जैसे कुछ सोच रही हों. फिर दोनों हाथ उठा कर धीमे स्वर में बोलीं, ‘‘डाक्टर, मेरे इन हाथों से ऐसा कुछ हुआ है, जिस से एक ऐसी मां की गोद भरी है, जो हमेशा खाली रहने वाली थी. लेकिन जो कुछ मैं ने किया, वह मेरे पेशे के खिलाफ था और मुझे वह बात किसी से कहनी नहीं चाहिए. कम से कम एक डाक्टर के सामने तो बिलकुल ही नहीं.’’

इतना कह कर वे चुप हो गईं. साखी उन के चेहरे के भाव अंधेरे में पढ़ नहीं पा रही थी.

‘‘डाक्टर, इंसान कर्तव्य के प्रति कितना भी कठोर हो, लेकिन कभीकभी वह अपने मन की करता है, जो उसे नहीं करना चाहिए. कभी दिल के किसी कोमल भाव के कारण और कभी स्वार्थवश. मैं ने वह काम भावुकता में किया था और अपने स्वार्थ के लिए भी. वह राज मैं ने दिल में छिपाए रखा. लेकिन जब तक बहुत मजबूरी न हो तो कोई भी इंसान किसी गहरे राज को ले कर मरना नहीं चाहता. किसी को तो बताने का मन करता ही है. अभी तक मैं ने उस बात का जिक्र किसी से नहीं किया था, लेकिन डाक्टर आप ने बात छेड़ी है तो आज मैं आप को बताना चाहती हूं. आप का नेचर मुझे बहुत अच्छा लगता है इसलिए. हालांकि उस बात से अब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. बहुत साल हो गए, पता नहीं कौन कहां होगा. फिर भी मैं आप से एक वादा चाहूंगी कि उस घटना को आप एक डाक्टर की हैसियत से नहीं, एक खुले दिल के इंसान के रूप में सुनें.’’

‘‘वादा,’’ साखी ने अपना दाहिना हाथ मेट्रेन मारिया की ओर बढ़ाया.

c उस की सरकारी ड्राइवर की पक्की नौकरी का चक्कर चल रहा था. उन्हीं दिनों एक सरकारी औफिसर की वाइफ डिलिवरी के लिए हमारे हौस्पिटल में भरती हुई थीं. अल्बर्ट ने बताया था कि नौकरी देना इन्हीं साहब के हाथ में है. मुझे भरोसा था कि अपनी सेवा से अगर मैं मैडम का दिल जीत सकूं तो अल्बर्ट को नौकरी दिलवा सकती हूं.’’

मेट्रेन मारिया ने गहरी सांस ली. फिर बोलीं, ‘‘उन मैडम का केस कौंप्लिकेटेड था. उन्होंने काफी कोशिशों के बाद एक फीमेल बेबी को जन्म दिया. उस समय एक और प्रैगनैंट लेडी भी डिलिवरी के लिए हौस्पिटल में भरती थीं. उन को जुड़वां लड़कियां पैदा हुईं. एनआईसीयू में तीनों बच्चियां मेरी निगरानी में थीं. मेरे देखते ही देखते सरकारी औफिसर की वाइफ की बेबी नहीं रही. मुझे उस समय पता नहीं क्या सूझा, मैं ने एक जुड़वां बेबी से उसे बदल दिया. शायद मेरे मन में कोई ऐसी भावना रही होगी कि आगे और कोई संतान को जन्म देना उन के लिए बहुत रिस्की है. मैं उन्हें दुखी नहीं देखना चाहती थी, क्योंकि तब मैं उन से अल्बर्ट की नौकरी की सिफारिश न कर पाती. मेरी उस हरकत से उन की गोद सूनी नहीं रही और अल्बर्ट को सरकारी नौकरी मिल गई. बाद में अल्बर्ट ने मुझे धोखा दिया और शादी अपनी एक रिश्तेदार से कर ली. वह दिन मुझे अच्छी तरह याद है. वह भूलने वाला दिन नहीं है.’’

आगे मेट्रेन मारिया ने क्याक्या कहा, साखी ध्यान से नहीं सुन सकी. वह अपनेआप में खो चुकी थी.

बीते दिनों को याद कर साखी देर तक सो न सकी. रात के सन्नाटे में तेज रोशनी से नहाई पत्थर कोठी को उस ने कई बार देखा. पत्थर कोठी के पास या उस के अंदर जाने का उसे कभी अवसर नहीं मिला था. सोचती रही कि सांची का सच से सामना कैसे करा पाऊंगी? सोचतेसोचते उसे कब झपकी लगी, पता नहीं चला.

सुबह तैयार हो कर चर्च जाने के लिए निकलने ही वाली थी कि डोरबैल बजी. देखा तो दीना था. विनम्रता से बोला, ‘‘पत्थर कोठी वाली बीबीजी ने गाड़ी भेजी है. आप को बुलाने के लिए. प्लीज आप चलिए.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘साहब के बेटे की तबीयत खराब है.’’

‘‘क्या हुआ?’’

‘‘बुखार है.’’

‘‘तबीयत ज्यादा खराब तो नहीं?’’

‘‘नहीं, ज्यादा तो नहीं लगती. बीबीजी डाक्टर को बुलाने को कह रही थीं तो मैं आप को बुलाने चला आया.’’

यह सुन कर उसे अच्छा लगा. दीना से फोन मिला कर बात कराने को कहा.

साखी फोन पर बोली, ‘‘हैलो मैडम, बच्चे का बुखार कैसा है?’’

‘‘अब शायद नौर्मल है. सो रहा है.’’

‘‘चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैं आ रही हूं… और मैडम, क्या मैं आप को हैप्पी बर्थडे बोल सकती हूं?’’

‘‘थैंकयू, आप कौन?’’

‘‘गेस कीजिए.’’ फिर कुछ देर चुप रह कर बोली, ‘‘नहीं पहचाना न? अरे, मैं तुम्हारे बेटे की मौसी बोल रही हूं… साखी… डाक्टर साखी कांत. कोई अपना बर्थडे भूल सकता है क्या?’’

साखी फोन रख कर दीना को डाक्टरी बैग उठाने का इशारा करते हुए तेजी से बाहर निकली. कौटेज के बाहर बत्ती वाली चमचमाती सफेद कार खड़ी थी. ड्राइवर ने आदर में झुक कर कार का दरवाजा खोल दिया. वह अभिवादन स्वीकार करते हुए कार में जा बैठी.

दोनों एकदूसरे को देख लिपट गईं. एक पुरानी सखी को पा कर अति उत्साहित थी तो दूसरी की भावुकता को मापा नहीं जा सकता था. वह अपनी बहन को पा कर आंसू नहीं रोक पा रही थी. ड्राइवर, दीना व अन्य नौकर उन का आगाध प्रेम देखते हुए चुपचाप खड़े खुश हो रहे थे.

साखी के अंदर की हलचल शांत नहीं हो पा रही थी. बड़ी मुश्किल से उस ने सामान्य दिखने की कोशिश में सोते हुए बच्चे को गोद में उठा लिया और कहा, ‘‘क्या नाम रखा है बच्चे का?’’

‘‘अशेष.’’

‘‘बहुत प्यार नाम है. जीजाजी कहां हैं?’’

‘‘आज सुबह ही अचानक उन्हें बाहर जाना पड़ा, कल वापस आएंगे.’’

‘‘ठीक है, आज तुम्हारी और मेरी जौइंट बर्थडे पार्टी है, मेरे कौटेज पर. तुम्हें रात वहीं रुकना होगा, मेरे साथ. बहुत सी बातें करनी हैं. माना अब तुम बड़े औफिसर की बीवी हो, लेकिन उस से पहले मेरी भी कुछ खास हो. फिर आज तो जीजाजी बाहर हैं. आओगी न? हां बोलो हां.’’

‘‘हां.’’

‘‘अशेष जाग गया था. साखी ने चूमचूम कर उसे बहुत लाड़प्यार किया. फिर बिस्तर पर लेटा कर चैकअप किया और बोली, ‘‘एकदम फर्स्ट क्लास है. एक दवा मैं अपने हाथ से पिलाए देती हूं, दूसरी दोपहर में पिला देना. चिंता की कोई बात नहीं. एकदम फिट रहेगा. शाम को अपनी मौसी और मदर की बर्थडे पार्टी ऐंजौय करेगा. शाम को जल्दी आ जाना और रात मेरे साथ ही रहने का मन बना कर आना. ओ.के.?’’

‘‘ओ.के.’’

साखी ने स्पैशल जौइंट केक बनवा कर केक पर डबल ‘एस’ लिखवाया और दीवार पर भी चमकीले कागज से डबल ‘एस’ चिपकाया. पार्टी में सौम्यता तो थी ही, सांची के आ जाने से भव्यता का भी समावेश हो गया. परिस्थिति ऐसी बनी कि मेट्रेन मारिया इस पार्टी में नहीं थीं. वे कहीं बाहर गई थीं. अगर होतीं तो जौइंट बर्थडे सैलिब्रेशन का कुछ न कुछ अनुमान जरूरी लेतीं.

मेहमानों के जाने के बाद वे दोनों बैड पर लेटी थीं. अशेष गहरी नींद में सो रहा था. सांची की बातें खत्म नहीं हो रही थीं, लेकिन साखी के मन में पिछले बर्थडे पर उजागर हुआ राज घुमड़ रहा था, जिसे वह आज सांची को बताना चाहती थी. वह राज हजम कर पाना उस के लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था. वह इस के परिणाम की आशंका से दुविधाओं में घिरी थी. लेकिन इस से अच्छा अवसर और कब मिल सकता था. बैडरूम के एकांत और धीमी रोशनी में उसे अपनी बात कहने का संबल मिल रहा था. उस ने पूछ ही लिया, ‘‘सांची, क्या तुम्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि हम जुड़वां बहनें हैं.’’

‘‘लगता तो है. मैं इस के बारे में अपनी मम्मी से भी पूछ चुकी हूं.’’

‘‘मैं ने जब मैडिकल लाइन का वातावरण देखा तो मुझे भी लगने लगा है कि ऐसी संभावना है.’’

‘‘सचाई कैसे पता चल सकती है साखी?’’

‘‘सचाई पता चल चुकी है.’’

‘‘क्या?’’

‘‘तुम यकीन करो, हम जुड़वां बहनें ही हैं. चाहो तो डीएनए टैस्ट करवा लो,’’ कहते हुए साखी ने बगल में लेटी सांची को पूरी तरह अपने से लिपटा लिया.

सांची ने आश्चर्य से कहा, ‘‘सच?’’

‘‘हां सच. एकदम सच. मेरी मां की जुड़वां लड़कियां हुई थीं और उसी समय तुम्हारी मम्मी को एक कमजोर लड़की पैदा हुई थी. नवजात शिशु केयर रूम में उस की डैथ हो गई. वहां ड्यूटी पर जो नर्स थी, उस ने स्वार्थवश भावुकता में मृत लड़की को एक जुड़वां लड़की से बदल दिया. वह तुम हो और एक मैं हूं.’’

‘‘कैसे पता चला?’’

‘‘उसी नर्स ने बताया जो उस समय रावनवाड़ा के अस्पताल में थी और अब रिटायर होने वाली है. तुम चाहो तो कभी उस से मिलवा सकती हूं, अगर फिर भी डाउट रहता है तो डीएनए टैस्ट से प्रूव हो जाएगा.’’

सांची असमंजस में पड़ गई.

साखी ने कहा, ‘‘लेकिन अब यह राज अगर हम दोनों के बीच ही रहे तो अच्छा है. नहीं तो हमारे परिवारों में बहुत उथलपुथल होगी जिस का प्रभाव हमारे जीवन पर भी पड़ेगा. इस के दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होंगे, सारे समीकरण बदल जाएंगे. तब पता नहीं क्या हो. इसलिए उलझनों से दूर रहना है तो फिलहाल यही उचित होगा कि सिर्फ हमतुम ही जानें कि हम जुड़वां बहनें हैं. सिर्फ हमतुम.’’

 

मैं चिंतित हूं कि जब सुहागरात को मेरे पति को पता चलेगा कि मैं वर्जिन नहीं हूं तो क्या होगा?

सवाल

मैं 24 वर्षीय युवती हूं. 6 महीने बाद मेरी शादी है. ज्योंज्यों शादी की तारीख नजदीक आ रही है त्योंत्यों मैं तनावग्रस्त होती जा रही हूं. दरअसल, मैं एक युवक से प्यार करती हूं. सालभर तक मेरे साथ प्यार का ढोंग करने के दौरान मेरे बौयफ्रैंड ने मेरे साथ जबरन संबंध बनाए. जब मैं ने विरोध किया तो उस ने मुझे काफी जलील किया. उस का कहना था कि मेरी सोच पिछड़ी हुई है. बहस करते करते उस के मुंह से सचाई निकल गई कि वह मुझ से प्यार नहीं करता. यह सचाई जान कर मुझे बहुत सदमा लगा. अब जबकि  मेरी किसी अन्य युवक से शादी होने जा रही है तो मैं चिंतित हूं कि जब सुहागरात को मेरे पति को पता चलेगा कि मैं वर्जिन नहीं हूं तो क्या होगा?

जवाब

प्यार में आप ने धोखा खाया है. इस से आहत होना स्वाभाविक है. पर अब जबकि आप की शादी होने वाली है तो आप को अपने अतीत को पूरी तरह से भूलने का प्रयास करना चाहिए और भविष्य की सुखद कल्पना करनी चाहिए. जहां तक सुहागरात को ले कर आप की चिंता है तो वह बेमानी है. जब तक आप अपने मुंह से कुछ नहीं कहेंगी आप के पति नहीं जान पाएंगे कि आप विवाहपूर्व किसी से संबंध बना चुकी हैं. इस प्रसंग को दिमाग से निकाल दें.

 

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