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उस रात मैं ने पापा से बात ही नहीं की और मुंह फुलाए रखा. आधाअधूरा खाना अनमने से अंदाज में खा कर मैं अपने कमरे में जा घुसी थी.

कुछ देर बाद पापा मेरे पास पलंग पर आ कर बैठ गए. पर मैं खामोश लेटी छत पर नजरें जमाए रही.

‘मेरी गुडि़या किसी बात से परेशान है क्या? किसी बात से नाराज है क्या?’

उन के बारबार ऐसा सवाल करने पर मैं एकाएक फट पड़ी थी, ‘पापा, क्या यह सच है कि आप मीना आंटी से शादी कर रहे हैं? उन्हें मां की जगह घर में ला रहे हैं?’

कुछ पल खामोशी से मेरा चेहरा निहारने के बाद उन्होंने गंभीर स्वर में जवाब दिया, ‘तुम्हारी मीना आंटी एक अच्छी और समझदार औरत है, कविता. वह सुमित और तुम्हें बहुत पसंद करती है. तुम दोनों को बहुत प्यार करती है. वह खुद भी अकेली है. एकदूसरे के सुखदुख के भागीदार बनने को हम सब मिल कर साथ रहें, इसीलिए मैं उस से शादी कर रहा हूं, बेटी.’

‘ऐसा मत करो, पापा,’ मैं एकाएक रोने लगी थी, ‘मां की जगह किसी को घर में मत लाओ. कह दो कि आप मीना आंटी से शादी नहीं करोगे, मेरी खुशियों की खातिर…’

मेरे सिर पर स्नेहभरा हाथ रख कर उन्होंने कहा, ‘अभी तू आराम से सो जा, कविता. इस बारे में कल शांत मन से बात करेंगे हम दोनों.’

‘मुझे कुछ बात नहीं करनी है, पापा. अपनी प्यारी बेटी की बात मान कर शादी न करने का वादा आप को इसी वक्त करना होगा मुझ से,’ उन का हाथ अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मैं ने जिदभरे अंदाज में कहा.

अपना हाथ धीरे से छुड़ा कर वे

उठ खड़े हुए तो मेरे दिल को गहरा सदमा लगा.

‘मीना आंटी ने तो अभी से…शादी होने से पहले ही आप को मुझ से दूर कर दिया है, पापा,’ मैं ने रोतेरोते कहा, ‘मुझे नफरत है उन से. चाहे कुछ भी हो जाए, मैं उन्हें मां की जगह कभी नहीं लेने दूंगी इस घर में, कभी नहीं लेने दूंगी.’

मैं करवट बदल कर तकिए में मुंह छिपा कर सुबकने लगी थी. मन के किसी कोने में यह उम्मीद बनी हुई थी कि पापा मेरी बात मान कर मुझे सीने से लगा लेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ.

वे कई मिनट खामोश खड़े रहे और फिर एक बार मेरे सिर पर हाथ फेरने के बाद कमरे की बत्ती बुझा कर चले गए थे.

मेरा रोनासुबकना देररात तक जारी रहा था. उस रात सुमित को पापा ने अपने पास सुला लिया था. वह होता तो मैं उस से बात कर के अपना मन हलका कर लेती. अकेली पलंग पर लेटी मैं मां को याद कर रही थी.

अगले दिन मेरी पापा से नहीं, बल्कि मीना आंटी से बात हुई. मैं स्कूल से बाहर आई तो उन्हें गेट के पास अपना इंतजार करते पाया.

‘चलो, कुछ देर सामने वाले पार्क में बैठेंगे, कविता,’ उन्होंने बिना हिचकिचाए बड़े अधिकार से मेरा हाथ थामा और पार्क की दिशा में चल पड़ीं.

मुझे उन का स्पर्श अच्छा नहीं लगा था, पर किसी तरह का विरोध प्रकट कर के मैं अपनी सहेलियों के मनोरंजन के लिए वहां तमाशा खड़ा नहीं करना चाहती थी. उन से कैसी भी बातचीत करने की इच्छा न होते हुए भी मैं चुपचाप उन के साथ चलती गई.

पार्क में हम दोनों एकांत में पड़ी बैंच पर बैठ गए. कुछ पल खामोश रह कर उन्होंने मुझ से सीधा सवाल किया, ‘तुम अपने पापा की और मेरी शादी के क्यों खिलाफ हो, कविता? क्या मैं बहुत बुरी हूं?’

मैं ने उत्तेजित स्वर में जवाब दिया, ‘आंटी, बात आप के अच्छे या बुरे होने की नहीं है. अपने घर में मैं मां

की जगह किसी दूसरी औरत को

देखना सहन नहीं कर सकती हूं. मेरी और सुमित की खुशियों की खातिर आप को पापा से शादी करने का इरादा त्यागना पड़ेगा.’

‘और मेरी खुशियों का क्या होगा कविता?’

‘क्या मतलब?’ उन की बात मेरी समझ में नहीं आई.

‘मैं तुम्हारे पापा से प्रेम करती हूं, कविता. उन का साथ व सहारा चाहती हूं अपनी बाकी बची जिंदगी के लिए. और ऐसी ही भावनाएं तुम्हारे पापा भी मेरे प्रति अपने दिल में रखते हैं. क्या हमारी इन भावनाओं का तुम्हारी नजरों में कोई महत्त्व नहीं है?’

‘मैं आप से कैसी भी बहस में नहीं उलझना चाहती, आंटी. कैसी भी दलीलों के आधार पर आप मेरी सोच बदलवाने में कामयाब नहीं हो पाएंगी. आप को मेरी मां का स्थान कभी नहीं मिलेगा मेरी नजरों में.’

‘वह स्थान तो बहुत पवित्र, बहुत महत्त्वपूर्ण है, कविता, और उसे पाने की इच्छा भी नहीं रखती हूं मैं.’

‘तब क्यों शादी कर रही हैं आप पापा से?’ मैं ने उलझनभरे स्वर में पूछा.

‘मैं तुम्हारे पापा की दूसरी पत्नी तो बनना चाहती हूं पर तुम्हारी मां की जगह नहीं लेना चाहती, कविता. मैं वह स्थान ले ही नहीं सकती. अपने पिता की दूसरी पत्नी, जो तुम्हारी भलाई चाहती है, तुम्हें प्यार करती है, के रूप में तुम्हें मुझे स्वीकार करना ही होगा, कविता, क्योंकि तुम्हारे पिता की जीवनसंगिनी बनने का इरादा मैं नहीं छोड़ सकती हूं,’ उन्होंने ऐसे गंभीर व दृढ़ स्वर में अपनी बात कही कि मैं तर्कवितर्क करने का इरादा त्याग चिढ़ी सी उठ कर खड़ी हो गई.

‘अगर मेरी चली तो पापा आप से कभी शादी करेंगे ही नहीं,’ मैं ने रूखे स्वर में कहा, ‘और अगर यह शादी हुई तो आप को मैं पापा की दूसरी पत्नी मान कर ही सहन कर सकूंगी. लाड़प्यार जता कर कभी मेरी मां बनने की कोशिश मत करना आप. और अब मैं घर जा रही हूं. अकेली,’ अपनी बात समाप्त कर मैं झटके से उठी और बस्ता उठा पार्क के गेट की तरफ बढ़ गई थी.

पापा ने मीना आंटी से शादी करने का अपना फैसला नहीं बदला. मुझे घर के बड़ों ने भी समझाया कि मैं अपने पापा की इच्छा को ध्यान में रखते हुए शादी की राह में रुकावटें न खड़ी करूं.

मैं तब अपने में सिमटती चली गई थी. पापा से अपने दुखसुख की बात कहनी बंद कर दी मैं ने. अकेले में आंसू बहाती. सुमित छोटा था और मीना आंटी का फैन भी था, सो उस से इस शादी के खिलाफ बात कर के मन हलका नहीं कर सकती थी. मैं अंदर ही अंदर घुटती और दुखी होती रही और उन की शादी का दिन आ पहुंचा.

पापा ने मीना आंटी से अदालत में जा कर शादी की थी. शाम को हमारे घर में गिनेचुने मेहमानों व दोनों तरफ के रिश्तेदारों की छोटी सी पार्टी हुई.

पापा की दूसरी पत्नी का स्वागत करने के लिए कोई एक क्षण को भी मुझे पार्टी में शामिल होने को मजबूर नहीं कर सका था.

पापा रात को मुझ से मिलने आए तो मैं नींद में होने का बहाना कर के पलंग पर खामोश पड़ी रही थी.

पापा और मीना आंटी सप्ताहभर के लिए शिमला घूमने गए थे. वहां से लौट कर मीना आंटी ने सब घरेलू कामों का बोझ संभाल लिया था.

पापा के कहने पर सुमित उन्हें मम्मी कह कर पुकारने लगा था लेकिन मेरे लिए ऐसा कहने की कल्पना तक करना अरुचिकर था. पापा की दूसरी पत्नी के अलावा अपने दिल में मैं उन की कोई और पहचान नहीं बनने दे सकती थी. उन से बात करते हुए मैं उन्हें संबोधित करने को कुछ नहीं बुलाती थी.

उन से बहुत कम और केवल काम की बात करती थी मैं. इस के ठीक विपरीत वे सामान्य नजर आतीं. हर वक्त कविता, कविता करती रहतीं. मैं उन के कहे किसी कार्य को अनसुना कर देती तो भी वे खामोशी से स्वयं उसे कर लेतीं.

सुमित और पापा का मन वे जरूर जीत गईं पर मुझे उन की कार्यकुशलता व आत्मीयताभरे व्यवहार से चिढ़ थी.

‘मेरे पीछे न पड़ी रहा करो आप, मेरी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है आप को,’ एक दिन मैं ने कठोर स्वर में अपनी नाराजगी जताते हुए उन से कहा.

‘कविता, मैं अपने कर्तव्यों को भली प्रकार समझती हूं. जब तुम अपने भलेबुरे का ज्ञान करने में पूरी तरह सक्षम हो जाओगी, तब मैं तुम्हें कैसा भी निर्देश देना बंद कर दूंगी,’ उन का ऐसा जवाब सुन कर मैं आगे कुछ नहीं बोल पाती थी.

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