दुनिया भर में 8 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है. इस का मकसद लोगों को रक्त संबंधी इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरुक करना है.
थैलेसीमिया एक जेनेटिक यानी अनुवांशिक बीमारी है, जो पेरेंट्स से उन के बच्चों में आती है. इस बीमारी से बच्चों में खून की कमी होने लगती है, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है. विश्व थैलेसीमिया दिवस पर विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाएं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती हैं.
हालांकि कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर के अधिकतर देशों में लॉकडाउन चल रहा है और इस वजह से बहुत सारी जगहों पर कार्यक्रम संभव नहीं हैं. लेकिन इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए आज हम आप को जागरूक कर रहे हैं कि थैलेसीमिया क्या है, इस के लक्षण क्या हैं और इस से कैसे बचाव किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें-गरमी में फल खाने से बॉडी रहेगी फिट, जानें किस फल से क्या है फायदा
क्या है थैलेसीमिया
थैलेसीमिया ब्लड से जुड़ी जेनेटिक बीमारी है. सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में आरबीसी यानी लाल रक्त कणों की संख्या 45 से 50 लाख प्रति घन मिलीमीटर होती है. थैलेसीमिया बीमारी में ये आरबीसी तेजी से नष्ट होने लगते हैं और नई कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं और सामान्य तौर पर लाल रक्त कणों की औसतन आयु 120 दिन होती है, जो इस बीमारी में घट कर करीब 10 से 25 दिन ही रह जाती है.
इस के कारण शरीर में खून की कमी होने लगती है और यह बीमारी व्यक्ति को अपना शिकार बना लेती है.
थैलेसीमिया के लक्षण
यह एक जेनेटिक बीमारी है और जन्म के 6 महीने बाद ही बच्चों में इस के लक्षण तेजी से दिखने लगते हैं. मुख्य लक्षण निम्न हैं-
ये भी पढ़ें-सिगरेट पीने वालो को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा
* बच्चों के नाखून और जीभ में पीलेपन की शिकायत रहती है.
*बच्चों का ग्रोथ यानी विकास रुक जाता है.
*उन का वजन नहीं बढ़ता और , कमजोरी जैसी शिकायतें महसूस होने लगती हैं.
* बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है.
* पेट इससे की सूजन, गाढ़ा मूत्र की शिकायत होती है.
क्या करें, क्या न करें
*इस बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को कम वसा वाली चीजें खानी चाहिए.
*हरी पत्तेदारी सब्जियां और आयरन युक्त फूड्स का सेवन करना चाहिए.
*नियमित योग और व्यायाम करने से भी इस बीमारी से बचाव होता है।
ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी
थैलेसीमिया से बचाव के लिए समयसमय पर पेरैंट्स को ब्लड टेस्ट करवाते रहना चाहिए. बच्चा होने के बाद उस का भी ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए. साथ ही प्रेग्नेंसी के 4 महीने बाद भ्रूण की स्थिति की जांच करवानी चाहिए. डॉक्टर्स का मानना है कि युवाओं को शादी से पहले ब्लड टेस्ट करवा लेना चाहिए.
थैलेसीमिया का उपचार
इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य तौर पर विटामिन, आयरन, फूड सप्लीमेंट्स और संतुलित आहार लेने की सलाह दी जाती है.
*गंभीर हालात में खून बदलने की जरूरत पड़ने लगती है.
*बोन मैरो ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ सकती है.
*वहीं पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है.