देश में जहां कोरोना वायरस का कहर जारी है, वहीं इस महामारी के वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लौकडाउन लागू है. करोड़ों लोग अपने घरों कैद हैं. आदमी हो या औरत, बच्चे हों बूढ़े सभी इस अनजान वायरस के चलते पलपल डर के साए में हैं. कोई घर से नहीं निकलना चाहता.

मगर सुलक्षणा हर दिन मना रही है कि लौकडाउन खत्म हो और वह फिर से अपने कामधंधे पर जाना शुरू करे. कम से कम दिनभर के लिए तो वह अपने जालिम पति के जुल्मों से बची रहेगी. लौकडाउन ने तो घर में उस का जीना हराम कर रखा है. सुबह से शाम तक अपने निकम्मे पति को खाना बनाबना कर खिलाओ, उस के गंदे कपडे धुलो और फिर इन सब के बावजूद उस के लातघूंसे और गंदीगंदी गालियां सहो. रहीसही कसर रात को पूरी कर देता है जब पति जानवरों की तरह उस पर टूट पङता है.

शराबी पति और जेब खाली

सुलक्षणा आसपास की कोठियों में मेड का काम करती है और उस का पति औटो चलाता है. वह सही आदमी नहीं है, गालियों से मुंह भरा रहता है. अपनी कमाई शराब में उड़ाता रहा तो लौकडाउन लगने के बाद चंद दिनों में ही जेब खाली हो गए. मकानमालिक का किराया सुलक्षणा ने भरा. सब्जी, दूध, आटा, तेल सब सुलक्षणा ही अपने बचाए पैसे से ला रही है. उस पर यह हर वक्त उस पर सवार रहता है. शराब न मिलने से दिमाग बौराया हुआ है. जबतब मुंह से गालियां फूटती हैं, जब चाहे सुलक्षणा पर हाथ उठा देता है. दोएक बार पडोसियों ने बीचबचाव किया, मगर अब रोजरोज कौन आए? लौक डाउन में न तो सुलक्षणा कहीं बाहर निकल सकती है और न अपने मायके जा सकती है ताकि उस के जुल्मों से थोड़ी तो राहत मिल जाए.

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