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रिलेशनशिप टिप्स: जब पति में दिलचस्पी लेने लगे पड़ोसन

मेघा ने अपने नए पड़ोसियों  का स्वागत खुले दिल से किया. फ्लोर पर ही सामने वाले फ्लैट में आए अंजलि, उस के पति सुनील और उन की 4 साल की बेटी विनी भी उन से अच्छी तरह बात करते. सामना होने पर हंसते, मुसकराते.

सुनील का टूरिंग जौब था. मेघा के पति विनय और उन का युवा बेटा यश थोड़े इंट्रोवर्ट किस्म के इनसान थे. कुछ ही दिन हुए कि मेघा ने नोट किया कि अंजलि जानबूझ कर उस टाइम नीचे पार्किंग में टहल रही होती है, जो टाइम विनय के दफ्तर से आने का होता.

पहले तो मेघा ने इसे सिर्फ इत्तिफाक समझा, पर जब विनय ने एक दिन बताया कि अंजलि थोड़ीबहुत बात भी करती है. उस का फोन नंबर भी यह कह कर ले लिया कि अकेली ज्यादा रहती हूं. पड़ोसियों का नंबर होना ही चाहिए तो मेघा हैरान हुई कि कितनी बार तो उस से उस का आमनासामना होता है, उस से तो कभी ऐसी बात नहीं की.

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अंजलि अकसर उस टाइम आ धमकने भी लगी जब वह तो किचन में बिजी होती, विनय टीवी पर कुछ देख रहे होते. उस के रंगढंग मेघा को कुछ खटकने लगे.

एक दिन विनय ने बताया कि अंजलि उन्हें मैसेज, जोक्स भी भेजने लगी है.

पहले तो मेघा को बहुत गुस्सा आया, फिर उस ने शांत मन से विनय को छेड़ा, ”तुम इस चीज को एंजौय तो नहीं करने लगे?”

” एंजौय कर रहा होता तो बताता क्यों,” विनय ने भी मजाक किया, ”मतलब तुम्हारा पति इस लायक है कि कोई पड़ोसन उस से फ्लर्ट करने के मूड में है, माय डियर प्राउड वाइफ.”

” चलो, फिर पड़ोसन का फ्लर्टिंग का भूत उतारना तो मेरे बाएं हाथ का काम है. अच्छा है, तुम्हें इस में मजा नहीं आ रहा, नहीं तो दो का भूत उतारना पड़ता.”

मेघा की बात पर विनय ने हंस कर हाथ जोड़ दिए.

अगले दिन मेघा विनय के आने के समय पार्किंग प्लेस के आसपास टहल रही थी. उसे अंजलि दिखी. अचानक अंजलि उसे देख कर थोड़ी सकपका गई, फिर ‘हायहैलो’ के बाद जल्दी ही वहां से हट गई.

मेघा मन ही मन मुसकरा कर रह गई. कुछ ही दिनों बाद पति के टूर पर जाने पर अंजलि मेघा के घर आई. उस दिन शनिवार था. शाम के समय विनय और यश टीवी पर मैच देख रहे थे.

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वह भी यह कहते हुए विनय के आसपास ही बैठ गई कि उसे भी मैच देखने का शौक है. उस के पति को तो स्पोर्ट में जरा भी रुचि नहीं.

मेघा उस समय तो चुप रही, फिर बोली, “आओ मेघा, हम लोग अंदर बैठते हैं. इन दोनों को मैच देखने में क्या डिस्टर्ब करना.”

”नहीं, मैं अब चलती हूं, विनि अकेली है.”

”हां, उसे अकेली ज्यादा मत छोड़ा करो.”

उस दिन तो जल्दी ही अंजलि चली गई. फिर एक दिन विनय ने कहा, ”यार, काफी मैसेज भेजती रहती है, कभी गुड मौर्निंग, कभी जोक्स.”

”दिखाना, ” मेघा ने विनय के फोन पर अंजलि के भेजे मैसेज पढ़े, जोक्स सब एडल्ट थे, वीडियो भी आपत्तिजनक, जिन्हें विनय ने देखा ही नहीं था अभी तक, क्योंकि विनय दफ्तर में ज्यादा ही बिजी रहता था और वह उसे बिलकुल भी लिफ्ट देने के मूड में नहीं था.

अब मेघा गंभीर हुई. अगले दिन यों ही अंजलि के फ्लैट पर गई. थोड़ी देर बैठने के बाद उस ने बातों ही बातों में कहा, ”तुम शायद बहुत बोर होती हो. विनय बता रहे थे कि उन्हें खूब वीडियो, जोक्स भेजती रहती हो. उन्हें तो देखने का भी टाइम नहीं, मैं ने ही देखे वे वीडियो.

“अरे, उन्हें नहीं, तुम मुझे भेज दिया करो, मैं देख लूंगी. विनय कुछ अलग ही टाइप के इनसान हैं. वे मुझ से कुछ छुपाते नहीं. तुम मेरा फोन नंबर  ले लो.”

अंजलि को बात संभालना मुश्किल हो गया. वह बुरी तरह शर्मिंदा होती रही.

मेघा घर लौट आई. उस दिन से कभी अंजलि ने विनय को एक मैसेज भी नहीं भेजा, न ही उस के आसपास मंडराई. उस का किस्सा मेघा की लाइफ से खत्म हुआ.

अगर यहां विनय पड़ोसन के साथ फ्लर्ट कर रहा होता तो बात दूसरी होती. समस्या पड़ोसन की नहीं, पति की होती. पर यहां मामला अलग था. ऐसी स्थिति को बहुत जल्दी ही संभाल लेना चाहिए. फ्लर्टिंग को अफेयर बनते देर नहीं लगती.

ट्रेसी कौक्स, जो डेटिंग, सैक्स और रिलेशनशिप एक्पर्ट हैं, का कहना है कि महिलाएं विवाहित पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं. कोई महिला आप के पति के साथ फ्लर्ट कर रही है या नहीं, कैसे समझ सकते हैं, जानिए :-

* यदि आप का पति उस के फोन या मैसेज के बारे में आप को बता देता है तो इस का मतलब है कि वह आप को प्यार करता है. पर यदि आप को खुद ही यह सब पता चला है तो इस का मतलब है कि आप के पति भी उसे बढ़ावा दे रहे हैं. इस समय आप उन्हें कंफ्रन्ट कर सकती हैं.

* जब वह आप के पति के आसपास मंडराती है तो वह कुछ अलग ही मेकअप, कपड़ों में होती है. यानी वह उस में रुचि ले रही है तो उस का ध्यान आप के पति को आकर्षित करने में होगा.

* कोई भी महिला जो किसी विवाहित पुरुष में रुचि लेती है, वह हमेशा यह दिखाने की कोशिश करती है कि वह उस की पत्नी से बेटर है. अगर उसे पता चलता है कि पति को कोई शौक है और पत्नी को नहीं तो वह पति वाले शौक को ही अपना बताने की कोशिश करेगी.

अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में एक पत्नी को क्या करना चाहिए? पति पर शक करते हुए उस से सवालजवाब करने से आप के वैवाहिक जीवन में तनाव हो सकता है. उसे ऐसा लगेगा कि आप उस पर विश्वास नहीं करतीं. यह  बात आप को नुकसान पहुंचा सकती  है. पति के साथ फ्लर्ट करने वाली महिला के साथ कैसे व्यवहार करें, ऐसी कुछ टिप्स जानिए:-

* पड़ोसन को सीधेसीधे कुछ कहेंगी, तो आप सनकी, इनसिक्योर पत्नी लगेंगी. उस के साथ अच्छी तरह पेश आइए. ऐसे कि वह असहज हो जाए. सच यही है कि वह आप को पसंद नहीं करती होगी, क्योंकि उस की रुचि आप के पति में है. उसे यह न महसूस होने दें कि आप भी उसे पसंद नहीं करतीं. उस की अच्छी फ्रेंड होने का नाटक करें. उसे अपने पति के साथ टाइम बिताने का मौका बिलकुल न दें. वह खुद ही अनकंफर्टेबल हो कर पीछे हट जाएगी.

* अपने पति से बात करें. उस के इरादों के बारे में आप के पति को भी संदेह हो सकता है. अपने पति पर सवालों की बौछार न करते हुए शांति से बात करें.

* याद रखें, यहां विक्टिम वह है, उस से पूछें कि क्या उसे भी यही लग रहा है कि पड़ोसन उस के साथ फ्लर्ट कर रही है.

*यदि पति कहे कि आप को ही बेकार के शक हो रहे हैं तो उन घटनाओं के साथ स्पष्ट करें कि वह फ्लर्ट कर रही थी. अपने पति की इस स्थिति को समझने में हेल्प करें और मिल कर इस से निबटें.

* इस स्थिति पर हंसना सीखें. कोई महिला उस पुरुष के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही है, जो आप को प्यार करता है. इसे फनी समझें. आप इस पुरुष की पत्नी हैं, अपने विवाह पर फोकस रखें, हर समय इस महिला के बारे में सोच कर तनाव में न रहें , इस से शांत रह कर निबटें.

* महिलाएं उन पुरुषों के साथ फ्लर्ट करना शुरू कर देती हैं, जहां उसे कोई मौका दिखता है. आप के और आप के पति के बीच के मिसिंग स्पार्क को जानने के बाद ये फायदा उठाती हैं, अपनी मैरिड लाइफ पर पूरा ध्यान दें. पति को प्यार दें. उस की प्रशंसा करें. मिसिंग स्पार्क को फिर से रिवाइव करें.

* अपने पति पर विश्वास रखें. उसे बताएं कि आप को उस पर भरोसा है. भले ही कोई भी स्थिति हो, यदि वह गिल्टी नहीं है तो उसे अच्छा लगेगा कि उस की पत्नी को उस पर विश्वास है.

Crime Story: काली पट्टी के नीचे

नौकरानी सोमवती रोजाना की तरह मंगलवार की सुबह भी सर्राफा कारोबारी मुकलेश गुप्ता के घर काम करने पहुंची. उस ने दरवाजे पर लगी कालबेल बजाई. लेकिन कई बार घंटी बजाने के बाद भी जब अंदर कोई हलचल नहीं हुई तो उस ने दरवाजे को हलका सा धक्का दिया. ऐसा करने से दरवाजा खुल गया.
  सोमवती अंदर पहुंची. वह रोजाना सब से पहले नीचे के कमरों की सफाई करनी थी. लेकिन कमरे बंद थे, उस ने चाबी लेने के लिए मालकिन को आवाज लगाई. तभी उस की नजर ऊपर गई तो उसे हैरत हुई.
मकान मालिक मुकलेश नीचे की ओर मुंह कर के लोहे के जाल पर पड़े थे. यह देख वह घबरा गई. उस ने ऊपर जा कर मालकिन लता गुप्ता को आवाज लगाई, लेकिन उन की भी आवाज नहीं आई. सोमवती ने जब मालकिन के कमरे में जा कर देखा तो वह फर्श पर पड़ी थीं. उन के सिर से खून बह रहा था. यह दृश्य देखते ही सोमवती चीखती हुई बाहर की ओर भागी. उस ने यह जानकारी आसपास के लोगों व मुकलेश गुप्ता के भाई को दी. यह 28 जनवरी, 2020 की सुबह 6 बजे की बात है.
सोमवती के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपास के लोग एकत्र हो गए. कुछ लोग जीना चढ़ कर ऊपर पहुंचे. वे लोग ऊपर का दृश्य देख हैरान रह गए. पहली मंजिल पर लगे लोहे के जाल पर 62 वर्षीय मुकलेश गुप्ता और वहीं पास के कमरे के फर्श पर उन की 60 वर्षीय पत्नी लता पड़ी हुई थीं.
मुकलेश के पैर में टेप चिपका कर बिजली का तार लगाया गया था, जिस का दूसरा सिरा बिजली के बोर्ड में लगा था. लोगों ने तार को बोर्ड से अलग किया. पतिपत्नी दोनों की मौत हो चुकी थी. इसी बीच किसी ने यह सूचना आगरा में रहने वाली मुकलेश की सब से बड़ी बेटी डा. प्रियंका के अलावा शमसाबाद थाने में भी दे दी.
डबल मर्डर की सूचना मिलते ही शमसाबाद एसओ अरविंद निर्वाल पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. डबल मर्डर और लूट की घटना से सनसनी फैल गई थी.मुकलेश कुमार पिछले 20 सालों से सर्राफा कमेटी के अध्यक्ष थे. उन की हत्या की खबर मिलते ही व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथसाथ मुकलेश के परिजन भी एकत्र हो गए थे. 2-2 लाशों को देख कर लोग आक्रोशित हो कर हंगामा करने लगे. स्थिति की गंभीरता को भांप कर एसओ ने उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत करा दिया.आननफानन में आगरा के एसएसपी बबलू कुमार एसपी प्रमोद कुमार और सीओ (फतेहाबाद) प्रभात कुमार मौके पर पहुंच गए. एसएसपी ने फोरैंसिक टीम और आसपास के थानों की फोर्स भी बुला ली. खबर मिलते ही मुकलेश गुप्ता की बेटी डा. प्रियंका भी शमसाबाद पहुंच गई. बाद में एडीजी अजय आनंद, आईजी ए.सतीश गणेश भी वहां आ गए.
उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और दंपति के कत्ल के बारे में जानकारी ली. मुकलेश व लता के सिर से काफी खून निकल चुका था. दोनों के गले पर भी चोट के निशान थे. देखने से लग रहा था कि दंपति की हत्या के लिए बेहद क्रूर तरीका अपनाया गया था. साथ ही दोनों को करंट भी लगाया गया था.फोरैंसिक टीम ने कई स्थानों से फिंगरप्रिंट उठाए. सर्राफा व्यवसायी व उन की पत्नी को मौत के घाट उतारने वाले बदमाश इतने शातिर थे कि घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर अपने साथ ले गए थे. पुलिस को अंदेशा था कि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों को घर की हर चीज की जानकारी थी. आशंका थी कि लुटेरे परिवार के नजदीकी रहे होंगे.
डबल मर्डर के बारे में आसपास के किसी व्यक्ति को भनक तक नहीं लगी थी. जबकि परिजनों के मुताबिक हत्या रात 8 बजे से पहले की गई थी. क्योंकि मुकलेश शाम 6 बजे और रात 8 बजे चाय घर पर पीते थे. शाम का दूध डिब्बे में डायनिंग टेबल पर रखा था. इस से स्पष्ट था कि 27 जनवरी की रात 8 बजे की चाय से पहले ही घटना को अंजाम दे दिया गया था.
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जिस कमरे में लता का शव पड़ा था, उस में  5 अलमारियां खुली पड़ी थीं जबकि 3 अलमारियों को हाथ भी नहीं लगाया गया था. डा. प्रियंका ने घर की अलमारियां खोल कर देखीं तो 2 में से सोने के गहनों के अलावा लाइसैंसी रिवौल्वर भी गायब था. प्रियंका ने लूटे गए सामान की कीमत एक करोड़ से अधिक बताई.
डा. प्रियंका की तरफ से पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 394 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. प्रियंका ने बंद अलमारियां खोलीं तो उन में रखे 10 लाख रुपए और 2 किलोग्राम सोना, चांदी यथास्थान रखे मिले. इस से अनुमान लगाया गया कि 2 अलमारियों से ही बदमाशों को भारी मात्रा में नगदी व आभूषण मिल गए थे.मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए आगरा भेज दिया. मुकलेश के पास साहूकारी (ब्याज पर पैसे देने) का भी लाइसैंस था. घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर ही सर्राफा बाजार में उन की ओमप्रकाश मुकलेश कुमार ज्वैलर्स नाम से 90 साल पुरानी दुकान थी.
आक्रोशित व्यापारियों व परिजनों ने शवों का अंतिम संस्कार करने से इनकार करते हुए कहा कि जब तक वारदात का खुलासा नहीं हो जाता, तब तक वे दोनों लाशों का अंतिम संस्कार नहीं होने देंगे. विरोध में व्यापारियों ने शमसाबाद का मार्केट बंद रखा. एसएसपी बबलू कुमार ने लोगों को आश्वासन दिया कि 72 घंटे में डबल मर्डर और लूट का खुलासा कर दिया जाएगा.

खोजी कुत्ता कस्बा में स्थित कुम्हारों की गली से निकल कर दाऊजी के मंदिर तक जाने के बाद ठिठक कर रह गया. इसे ले कर तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे.
ओमप्रकाश सर्राफ के 4 बेटों में प्रतिष्ठित सर्राफा कारोबारी मुकलेश गुप्ता तीसरे नंबर के थे. सब से बड़े डा. अवधेश गुप्ता जोकि शमसाबाद में ही प्रैक्टिस करते हैं, दूसरे नंबर के डा. अखिलेश गुप्ता का निधन हो चुका है, जबकि सब से छोटे सर्वेश गुप्ता हैं.हत्याकांड व लूट की घटना का परदाफाश करने के लिए एसएसपी बबलू कुमार ने 4 पुलिस टीमों का गठन किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि पतिपत्नी की मृत्यु गला घोटने तथा करंट लगने से हुई थी. इस के साथ ही हत्यारों ने दंपति पर सूजा जैसी किसी नुकीली चीज से हमला भी किया था.
पुलिस ने इस हत्याकांड के खुलासे के लिए सिलसिलेवार जांच शुरू की. पुलिस को मृतकों के घर वालों ने बताया कि घर के काम के लिए वीरेंद्र नाम का लड़का था, जिसे मुकलेश ने हटा दिया था. पुलिस ने इस लड़के के साथ ही दुकान पर काम करने वाले नौकरों पर भी निगाह रखनी शुरू कर दी. घर पर बिजली व पानी की लाइन की मरम्मत के लिए आनेजाने वालों को भी खंगाला गया.

जांच के दौरान पता चला कि मुकलेश गुप्ता ने 27 जनवरी, 2020 को अपनी दुकान शाम साढ़े 5 बजे बंद की थी. इस के बाद वह घर आ गए थे. शाम 7 बजे वह दोबारा घर से पैदल निकले थे और बाजार में छोटे भाई सर्वेश से मिले. उन्होंने करीब साढ़े 7 बजे दाऊजी मंदिर जा कर दर्शन किए. फिर थाने के सामने एक मैडिकल स्टोर से दवा खरीदी और घर आ गए. साढ़े 8 बजे दूध वाला दूध देने आया. तब तक वारदात हो चुकी थी.दूधिया की बातों से कहानी उलझ गई थी. मुकलेश के यहां दूध देने शमसाबाद निवासी सोनू और उस का भाई मोनू शाम करीब साढ़े 8 बजे पहुंचे थे. नीचे से आवाज देने पर लता ऊपर से रस्सी में बांध कर डिब्बा नीचे लटका देती थीं और वे दूध दे कर चले जाते थे. लेकिन उस दिन आवाज देने पर भी जब डिब्बा नहीं लटकाया, तब दोनों भाई जीने से चढ़ कर ऊपर गए और आवाज दी. उस समय टीवी तेज आवाज में चल रहा था. वहीं डायनिंग टेबल पर डिब्बा रखा था. उसी में दूध भर कर दोनों वापस चले गए.इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि उस समय वारदात हो चुकी थी. मुकलेश के एक परिचित ने रात 9 बज कर 8 मिनट पर उन्हें फोन किया. घंटी जाती रही, लेकिन फोन नहीं उठा. पुलिस ने दोनों दूधिया भाइयों से भी पूछताछ की. दोनों ने बताया कि घर में कोई दिखाई नहीं दिया. टीवी तेज आवाज में चलने के कारण हम ने सोचा कि वे लोग कमरे में टीवी देख रहे होंगे.

यह बात समझ नहीं आ रही थी कि बदमाशों ने जब गला घोट कर व नुकीली चीज से प्रहार कर दोनों की हत्या कर दी थी, तब करंट क्यों लगाया? क्या हत्यारे उन से घृणा करते थे? बदमाश घर में लाखों रुपए के आभूषण व नगदी क्यों छोड़ गए?यह भी समझ नहीं आ रहा था कि बदमाश रिवौल्वर तो लूट ले गए, लेकिन अलमारी में रखी डबल बैरल बंदूक छोड़ गए थे. बड़ा माल हाथ लगने के बाद भी वे दुकान का थैला जिस में दुकान की चाबियां और कागजात थे, क्यों ले गए?

पुलिस को अंदेशा था कि इस हत्याकांड में किसी नजदीकी का हाथ हो सकता है. पुलिस इस बात की जांच कर रही थी कि पतिपत्नी की मौत से किसे लाभ मिल सकता है. मुकलेश के पास साहूकारी का लाइसैंस था. उन के पास किसान, आम आदमी और कारोबारी कर्ज लेने आते थे, मुकलेश गहने और खेत गिरवी रख कर ब्याज पर पैसे देते थे.सर्राफा कारोबार में मुकलेश की अच्छी साख थी. उन की 3 बेटियां थीं. बड़ी बेटी डा. प्रियंका की शादी सेना में मेजर श्यामकुमार से हुई थी, वह आगरा में डाक्टर है. मंझली गीतिका की शादी हैदराबाद में और छोटी दीपिका की गुजरात में हुई थी.
प्रियंका सप्ताह में 1-2 दिन शमसाबाद आतीजाती थी. पिछले दिनों मुकलेश अपनी पत्नी के साथ हैदराबाद घूमने गए थे. वहां वह गीतिका से मिल कर आए थे. वहां से वह 5 जनवरी को वापस आए थे.
फोरैंसिक टीम ने एक दरजन से अधिक चीजों से फिंगरप्रिंट के नमूने संकलित किए थे. घटनास्थल से वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्यों को भी एकत्रित कराया गया था. कस्बे में मौजूद सीसीटीवी फुटेज भी देखे गए. क्राइम सीन का रिव्यू किया गया.घटना को 4 दिन बीत गए थे. पुलिस द्वारा दी गई समय सीमा भी समाप्त हो रही थी. इस दोहरे हत्याकांड ने शमसाबाद के पुलिस महकमे को हिला दिया था. घटना का खुलासा न होने से मृतकों के सगेसंबंधी, सर्राफा व्यवसायी आक्रोशित थे. जिस से धरनेप्रदर्शनों का डर था. इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में भी घटना सुर्खियों में थी, जिस से पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था.

यह केस पुलिस के लिए चुनौती बन गया था, लेकिन पुलिस अपने काम में गोपनीय तरीके से जुटी रही, जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी. एसएसपी बबलू कुमार ने सर्विलांस, एसओजी, क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग और 7 थानों के प्रभारियों के साथ एक टीम बनाई थी, जिस में 50 पुलिसकर्मी शामिल थे.
एसएसपी ने वाट्सऐप पर डबल मर्डर औपरेशन के नाम से ग्रुप बनाया. इस में पूरी टीम को जोड़ा गया. इसी ग्रुप पर हर अपडेट दी और ली जा रही थी. अधिकारी भी इसी पर निर्देश भी देते थे. एसपी पूर्वी शमसाबाद प्रमोद कुमार थाने में कैंप कर के रहे. एडीजी अजय आनंद और आईजी ए.सतीश गणेश भी इस मामले पर नजर रखे थे.
पुलिस ने कारोबारी मुकलेश के मोबाइल को भी खंगाला. घटना से एक दिन पहले कपिल गुप्ता ने मुकलेश को फोन किया था. इस से पहले उस की मुकलेश से कभी बात नहीं हुई थी. पुलिस जब कपिल गुप्ता के घर पहुंची तो पता चला कि वह घटना के बाद से कस्बे से बाहर है. इसी से पुलिस
को सुराग मिल गया और जांच आगे बढ़ती गई.शुक्रवार देर रात क्राइम ब्रांच और पुलिस की टीम ने कपिल गुप्ताव उस के साथी ओमबाबू राठौर निवासी इरादतनगर, शमसाबाद को फतेहपुर सीकरी से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ करने पर उन्होंने अपराध कबूल कर लिया.पुलिस ने उन की निशानदेही पर लूटे गए 11 किलोग्राम सोने के आभूषण, 24.7 किलोग्राम चांदी और साढ़े 13 लाख रुपए की नगदी बरामद की. बरामद सोनेचांदी के आभूषणों की कीमत करीब 4 करोड़ 60 लाख है.पहली फरवरी को एडीजी अजय आनंद ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर घटना का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि प्रथमदृष्टया मिले संकेतों के आधार पर पुलिस ने अपनी जांच मुकलेश के परिचितों की ओर मोड़ दी थी. इसी बीच जानकारी मिली कि कस्बे के परचून दुकानदार कपिल गुप्ता और उस का दोस्त ओमबाबू राठौर इस वारदात के बाद से ही गायब हैं. दोनों के घर मुकलेश के घर से करीब 500 मीटर दूरी पर हैं. कपिल के बाबा वेदप्रकाश मुकलेश गुप्ता की दुकान पर मुनीम थे, अब उन की मृत्यु हो चुकी है.
पुलिस को दोनों का मूवमेंट फतेहपुर सीकरी और राजस्थान के हिंडौन सिटी, कैला देवी (करौली) और इस के बाद जयपुर और कोटा में मिला. जब वे शमसाबाद वापस आ रहे थे, उन्हें फतेहपुर सीकरी में गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद इस दोहरे मर्डर और लूटपाट की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी.

पुलिस को पता चला कि कपिल गुप्ता पर करीब 10 लाख रुपए का तथा उस के दोस्त ओमबाबू राठौर पर करीब 8 लाख का कर्ज था. कपिल की इरादतनगर में परचून की दुकान थी, जिस में 2 बार चोरी हो चुकी थी. दोनों कर्ज से परेशान थे. दोनों काफी दिनों से ऐसी किसी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे थे, जिस में इतना पैसा मिल जाए, जिस से उन का कर्ज उतर जाए.

इसी योजना के तहत कपिल ने ओमबाबू को बताया कि सर्राफ मुकलेश गुप्ता के घर पर केवल मुकलेश व उन की पत्नी रहती है. उन के यहां काफी सोनाचांदी और नकदी मिल सकती है. कपिल के बाबा पहले मुकलेश के यहां मुनीम रह चुके थे. इस के चलते कपिल की मुकलेश से अच्छी जानपहचान थी. दोनों ने कपिल की दुकान में बैठ कर ठोस योजना बनाई.
योजना के अनुसार 22 जनवरी, 2020 को दोपहर डेढ़ बजे कपिल ने मुकलेश की दुकान से सोने की 10 हजार रुपए रेंज की अंगूठी खरीदी और पैसा बाद में देने को कह दिया. कपिल व उस का दोस्त ओमबाबू 26 जनवरी को उन के घर पैसा देने के बहाने गए और दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया. लेकिन लता ने दरवाजा नहीं खोला.27 जनवरी को कपिल ने शाम 7 बजे मुकलेश को फोन किया. उस ने कहा कि वह अंगूठी के पैसे देने आप के घर आ रहा है. आप अपने घर फोन कर के बता दें. इस पर मुकलेश ने पत्नी लता को फोन कर दिया था.दोनों मुकलेश के घर जा धमके. योजना के अनुसार, वे सूजा, रस्सी, करंट लगाने के लिए तार और टेप साथ ले गए थे. लता ने जैसे ही गेट खोला, कपिल ने लता के गले में रस्सी डाल कर गला घोट दिया.
जबकि ओमबाबू ने गले में सूजा घोंपा. इस से लता की चीख भी नहीं निकल पाई. दोनों लता को घसीट कर कमरे में ले गए और वहां पटक दिया. कपिल ने बैड पर रखी अलमारी की चाबी उठाई और अलमारी खोल कर उस में रखा सोना, चांदी और नगदी साथ लाए बैग में भर ली.खूंटी पर टंगी रिवौल्वर भी रख ली. इस के बाद दोनों मुकलेश के आने का इंतजार करने लगे. 15 मिनट बाद ही दरवाजे पर मुकलेश ने दस्तक दी. कपिल ने गेट खोला. जैसे ही मुकलेश अंदर आए कपिल ने गले में फंदा डाल कर उन का भी गला घोट दिया. साथ ही सूजे से सिर पर प्रहार भी किए.

इस के बाद ओमबाबू ने बेल्ट से उन के गले को कस दिया. घटना का कोई भी सुराग न छोड़ने की वजह से उन्हें भी जान से मार दिया. मुकलेश को घसीट कर किचन के पास लोहे के जाल पर डाल दिया.
इतना ही नहीं, मौत की पुष्टि के लिए दोनों को करंट भी लगाया. इस बीच शातिरों ने टीवी की आवाज तेज कर दी थी. इस के बाद ओमबाबू ने सीसीटीवी की डीवीआर निकाल ली. रात 8 बजे तक दोनों ने काम खत्म कर के 3 बैगों में सामान भरा और घर से निकल गए.दोनों शातिर 4 दिनों तक ऐश करते रहे. वे फतेहपुर सीकरी के एक होटल में ठहरे. बाद में राजस्थान के करौली तथा जयपुर पहुंचे.जयपुर के एक होटल में दोनों ने ढाई हजार रुपए प्रतिदिन किराए का कमरा लिया. दोनों रोज बीयर पीते, बौडी मसाज कराते. कपिल ने अपनी पत्नी के खाते में भी 50 हजार रुपए जमा कराए. पकड़े जाने तक दोनों ने 35 हजार रुपए खर्च कर दिए थे.ओमबाबू राठौर ग्वालियर में एक राहगीर के गले में सूजा मार कर 28 लाख की लूट की कोशिश और चेन लूट चुका था. वह अपराधी किस्म का है. उस ने पहली पत्नी को तलाक दे दिया था, बाद में उस ने सन 2007 में रेखा से दूसरी शादी कर ली. वह कपिल के घर के पास ही रहता है और किराए पर आटो चलवाता है. सर्राफ दंपति की हत्या और लूटपाट करने के बाद दोनों शातिर बदमाश कैला देवी के दर्शन को भी पहुंचे.

मामले का परदाफाश करने वाली टीम में एसओ (शमसाबाद) अरविंद निर्वाल, सर्विलांस प्रभारी इंसपेक्टर नरेंद्र कुमार, एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित, स्वाट टीम प्रभारी राजकुमार गिरि, एसआई राजकुमार बालियान, प्रदीप कुमार, राहुल कटियार, चंद्रवीर सिंह, कांस्टेबल परमेश, तहसीन, सचिन, अमित, मनोज, त्रिलोकी और यशवीर शामिल थे.

सहयोगी टीम में इंसपेक्टर (फतेहाबाद) प्रवेश कुमार, इंसपेक्टर (डौकी) प्रदीप कुमार, एसओ (बसई अरेला) शेर सिंह, क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग प्रभारी हरवेंद्र मिश्रा, एसआई प्रदीप कुमार, कांस्टेबल प्रशांत कुमार, विवेक, राजकुमार, करनवीर और अरुण शामिल थे.डबल मर्डर व लूट के दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. 6 फरवरी को दोनों को पुलिस ने फिर से रिमांड पर लिया. इन की निशानदेही पर सीकरी कस्बे में रेलवे कालोनी के खंडहर के मलबे में दबी कारोबारी मुकलेश की इंग्लिश रिवौल्वर व 24 कारतूस, साथ ही गहने रखने वाले 4 पर्स बरामद किए गए. आरोपियों ने बताया कि डीवीआर उन्होंने करौली जाते समय काली सिल नदी में फेंक दी थी.
घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को एडीजी अजय आनंद
ने एक लाख रुपए ईनाम देने की
घोषणा की. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कैंसर से लड़ने के लिए विशेष आहार की जरूरत

लेखिका-मीनू वालिया

खानपान व सेहत का एकदूसरे से गहरा संबंध होता है. पौष्टिक खानपान न केवल बेहतर स्वास्थ्य देने में मददगार होता है बल्कि कैंसर जैसी भयानक बीमारियों से लड़ने में भी सहायता करता है.

कैंसर ऐसा रोग है जिस का नाम सुनते ही मरीज के हाथपांव फूल जाते हैं और उसे अपनी मौत सामने खड़ी दिखाई देने लगती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाइफस्टाइल में बदलाव करने से कैंसर को रोका जा सकता है. कैंसर के 5 फीसदी मामलों का सीधा संबंध खानपान से होता है. दैनिक जीवन में खानपान में बदलाव कर के कैंसर से बचा जा सकता है. आइए जानते हैं कैंसर से लड़ने के लिए आहार के विशेष टिप्स.

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1.अधिक फलों से युक्त आहार का सेवन करने से पेट और फेफड़ों के कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है.

2.कैरोटिनौएड्स, जैसे गाजर आदि सब्जियों का सेवन करने से फेफड़े, मुह, गले और गरदन के कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है.

3. स्टौर्चरहित सब्जियों, जैसे ब्रोकली, पालक और फलियों का सेवन करने से पेट और गले  (इसोफेजियल) के कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है.

4. संतरे, बैरी, मटर, शिमलामिर्च, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियों तथा विटामिन सी से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आप अपनेआप को गले का कैंसर होने से बचा सकते हैं.

5. लाइकोपिन युक्त फलों व सब्जियों, जैसे टमाटर, अमरूद और तरबूज का सेवन करने से प्रोस्टैट कैंसर होने की आशंका को कम किया जा सकता है.

फाइबर का सेवन
अधिक मात्रा में फाइबरयुक्त आहार का सेवन करने से आप अपनेआप को कोलोरैक्टल कैंसर तथा पाचनतंत्र के अन्य हिस्सों, जैसे पेट, मुख और गरदन के कैंसर से बचा सकते हैं.

फाइबर का पर्याप्त मात्रा में सेवन आप को कब्ज से भी बचाता है. फाइबर फलों, सब्जियों और पूर्ण अनाज में पाया जाता है. आमतौर पर भोजन जितना ज्यादा प्राकृतिक और अनप्रोसैस्ड होगा, उतना ही उस में फाइबर की मात्रा अधिक होगी. मांस, डेयरी उत्पादों, चीनी या सफेद भोजन, जैसे ब्रैड, सफेद चावल और पैस्ट्री में फाइबर बिलकुल नहीं होता है.

1. सफेद चावल के बजाय भूरे चावल यानी ब्राउन राइस का इस्तेमाल करें.
2.सफेद ब्रैड के बजाय होलग्रेन संपूर्ण अनाज की ब्रैड या मल्टीग्रेन ब्रैड का इस्तेमाल करें.
3. पेस्ट्री के बजाय ब्राउन मफिन खाएं.
4. आलू के चिप्स या सूखे मेवों के बजाय पौपकौर्न बेहतर और स्वास्थ्यप्रद पोषक स्नैक है.
5. सैंडविच, पकौड़ा या बर्गर में मीट के बजाय बींस का इस्तेमाल करें.

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पानी का जादू
फाइबर पानी को अवशोषित करता है, इसलिए आप अपने आहार में जितना ज्यादा फाइबर का सेवन करते हैं, उतना ज्यादा आप को पानी पीना चाहिए. पानी कैंसर से लड़ने के लिए महत्त्वपूर्ण है.
यह आप की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, शरीर में से व्यर्थ और विषैले पदार्थों को निकालता है, और आप के सभी अंगों तक पोषक पदार्थों को पहुंचाता है.

मांस का सेवन कम
अधिक मांस से युक्त आहार आप के लिए अच्छा नहीं है, खासकर तब जबकि आप की जीवनशैली गतिहीन है. इस के अलावा लाल मांस के सेवन से आंत का कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है. आप जानवरों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को कम कर के और आहार के पोषक विकल्प चुन कर कैंसर होने की आशंका को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

1. आप के आहार में मांस की कुल मात्रा आप की कुल कैलोरीज की
15 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए. 10 फीसदी बेहतर है.

2. लाल मांस का सेवन कभीकभी करें. लाल मांस में संतृप्त वसा की पर्याप्त मात्रा होती है, इसलिए इस के सेवन से बचना आप के स्वास्थ्य के लिए अच्छा विकल्प होगा.

3.हर आहार में मांस की मात्रा कम करें. यह मात्रा आप के हाथ की हथेली के बराबर होनी चाहिए.
द्य मांस का सेवन मुख्य भोजन के रूप में न करें, आप भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए कम मात्रा में इस का सेवन कर सकते हैं.

4.अपने भोजन में पौधों से मिलने वाले प्रोटीन स्रोतों, जैसे बींस आदि का इस्तेमाल करें.
5. लीनर मीट, जैसे चिकन, फिश और टर्की को प्राथमिकता देनी चाहिए.
6. प्रोसैस्ड मांस, जैसे हौट डौग, या रेडी टू ईट मांस उत्पादों के सेवन से बचें.
7. अगर हो सके तो और्गेनिक मांस का सेवन करें. और्गेनिक जानवरों को जीएमओ से रहित और्गेनिक भोजन ही दिया जाना चाहिए. उन्हें एंटीबायोटिक, हार्मोन या अन्य उपउत्पाद नहीं दिए जाने चाहिए.

वसा का सेवन सोचसमझ कर
अधिक वसा से युक्त आहार का सेवन करने से न केवल कैंसर बल्कि कई प्रकार के कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है. इस से कौलैस्ट्रौल बढ़ने का भी खतरा होता है. वसा का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना इस का समाधान नहीं है. वास्तव में कुछ प्रकार की वसा आप को कैंसर और कोलैस्ट्रौल से बचाती हैं. वसा का चुनाव सोचसमझ कर करें और बहुत ज्यादा मात्रा में न करें.

क्यों नौकरी छोड़ रहे हैं आईएएस अफसर? 

हाल ही में हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी रानी नागर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे की वजह उन्होंने सरकारी ड्यूटी के दौरान निजी सुरक्षा को बताया.

रानी नागर ने एक ट्वीट कर के लिखा था कि चंडीगढ़ गेस्ट हाउस में कई बार उन के खाने में स्टेपलर पिनें मिली हैं.

अपनी निजी सुरक्षा का हवाला देते हुए उन्होंने 4 मई 2020 को इस्तीफा दे दिया. हालांकि, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने उन का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है.

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वैसे, रानी नागर ने पहले ही इस की शंका जताते हुए कहा था कि अगर उन का इस्तीफा नामंजूर होता है तो इस का मतलब है कि उन का शोषण होता रहेगा.

रानी नागर कई दिनों से अपनी सुरक्षा की मांग कर रही थीं, लेकिन उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही थी.

रानी नागर पहली आईएएस अधिकारी नहीं हैं, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है, बल्कि उन से पहले भी कई आईएएस अधिकारी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं.

दक्षिण कन्नड़ के डिप्टी कमिश्नर शशिकांत सेंथिल ने भी अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने निजी वजह से इस्तीफा देने का स्टेंटमेंट जारी किया था.

उन का कहना था कि मौजूदा दौर में जब हमारे विविधतापूर्ण लोकतंत्र के सभी संस्थान अभूतपूर्व तरीके से समझौता कर रहे हैं, ऐसे में उन का काम जारी रखना अनैतिक होगा.

उन्होंने यह भी कहा था कि आने वाला समय हमारे देश के मूल स्वभाव के लिए और चुनौतीपूर्ण होने वाला है. इसलिए बेहतर होगा कि वे आईएएस सेवा से बाहर रह कर लोगों के जीवन में भलाई लाने का काम करें.

उन के पहले भी साल 2012 बैच के आईएएस अधिकारी कन्नड़ गोपीनाथन ने भी अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने कश्मीर में जनता के मौलिक अधिकारों के हनन का सवाल उठाते हुए नौकरी छोड़ी थी. उन का मानना था कि सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर कश्मीर की जनता के साथ अन्याय किया है.

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गोपीनाथन और सेंथिल दोनों ही काबिल आईएएस अधिकारी थे. कन्नड़ गोपीनाथन साल 2018 में केरल में आई बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए सामने आ कर चर्चा में आए थे, वहीं 2009 बैच के सेंथिल यूपीएससी परीक्षा में तमिलनाडु टौपर रहे थे.

इन दोनों की ही तरह शाह फैसल, जो कि आईएएस टौपर थे, कश्मीर में हो रही हिंसा के विरोध में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी. ऐसे कई और आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

एक के बाद एक क्यों नौकरी छोड़ रहे हैं आईएएस अफसर ?

अब सवाल यह उठता है कि एक के बाद एक आईएएस अफसर नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं?

देश की जिस सब से बड़ी और रसूख वाली सरकारी नौकरी हासिल करने का सपना हर युवा देखता है, उस को लोग छोड़ क्यों रहे हैं ? कड़ी मेहनत से नौकरी हासिल करने के बाद एक झटके में इस्तीफा दे दें के पीछे असल वजह क्या है.

कई आईएएस अधिकारियों ने सरकार से विरोध जताते हुए अपनी नौकरी छोड़ी है. तो क्या अफसरों का मौजूदा सरकार के साथ काम करना मुश्किल हो जाता है ? क्या सरकार अफसरों के साथ ज्यादा सख्ती करती है ? या सरकार की संवैधानिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचाने के जो आरोप लगते हैं, वे सही हैं ?

हो सकता है कि कई बार बेहतर संभावना की तलाश में भी अधिकारी सब से बड़ी नौकरी को लात मार देते हैं. लेकिन कई बार काम के तनाव या दबाव में भी उन्हें इस्तीफा देना पड़ जाता है. और कई बार नौकरी से ऊब के कारण भी अधिकारी अपनी जौब से इस्तीफा दे देते हैं.

ऐसे कई उदाहरण हैं, जिस में बेहतर संभावना की तलाश में आईएएस जैसे बड़े सरकारी पदों पर बैठे लोगों ने नौकरी छोड़ दी.

दूसरी अहम बात है कि चाहे देश की सब से बड़ी नौकरी ही सही, लेकिन है ये नौकरी ही. इस में भी बाकी नौकरियों की तरह तनाव और प्रेशर होता है.

आईएएस की नौकरी में भी होता है तनाव और प्रेशर…

आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देने वाले राजन सिंह का कहना है, “मैं ने आईएएस बनने के लिए कड़ी मेहनत की. लेकिन नौकरी हासिल करने के बाद उस से भी 100 गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी, इसलिए मैं ने नौकरी छोड़ दी.”

राजन सिंह कहते हैं कि मैं ने कई लाचार और बेबस आईएएस और आईपीएस अफसर देखे हैं. वे योग्यता और क्षमता में स्तरहीन थे.

उन्होंने लिखा है कि सिस्टम काम नहीं करता है और आप इस को फिक्स नहीं कर सकते. सारे लोग लाचार और बेबस दिखते हैं. नकारे लोगों की पूरी लेयर होती है. एक के बाद एक नकारे लोग मिलते जाते हैं. लेकिन इसी में हम काम करना भी सीख लेते हैं.

राजन सिंह कहते हैं कि सभी लोग आप को दबाने में लगे रहते हैं. नेता, आप के सीनियर, आप के जूनियर… सभी.

इसी तरह एक आईएएस अधिकारी का कहना है कि जब लोग पहली बार पुलिस फोर्स में जौइन करते हैं, तब आंखों में एक चमक होती है. उन के दिमाग में ‘सिंघम’ जैसे आइडियाज होते हैं. लेकिन जैसेजैसे दिन बीतते हैं, वैसे धीरेधीरे उन की बनाई विचारधारा कम होतेहोते खत्म हो जाती है. और इस का पहला साइन यह होता है कि अधिकारी वो करने लगते हैं, जो उस का पौलिटिकल बौस चाहता है न कि जो लॉ, कानून, चाहता है.

पीएस कृष्णन ने आईएएस अधिकारी बनने के बाद अपनी पोस्टिंग के दौरान ही सामाजिक न्याय के पक्ष में कई पहल की. इस के बदले उन्हें कई बार अपमान भी झेलना पड़ा था.

बड़ी नौकरियों के अपने हैं जोखिम…

आईएएस सब से बड़ी नौकरी है, तो जिम्मेदारियां भी बड़ी होती हैं जिसे संभालना भी उतना ही जोखिमपूर्ण है. ऐसे अधिकारियों की भी भरमार है, जो नौकरी में रहते हुए बेजा फायदा उठा रहे हैं. वहीं ऐसे भी हैं, जो बिना डरे अपना काम करते जाते हैं. और कई ऐसे  भी हैं, जिन्हें नेताओं और मंत्रियों से दब कर काम करना पड़ता है. कई बार इसी दवाब को झेला नहीं जाता और अधिकारी नौकरी छोड़ देते हैं.

साल 2016 में समाचारपत्रों में खबरें आई थीं कि मंत्री यशपाल आर्य के दबाव के चलते एक आईएएस अधिकारी अक्षत गुप्ता को अटैक आ गया था, जिस से उन की मौत हो गई थी.

सत्ता में रह रहे बहुत से मंत्रियों ने मन का काम न होने पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है और अधिकारी विशेष को जितना हो सकता था, जलील करने के साथ जम कर प्रताड़ित भी किया है. बहुत से कार्मिक तो उस दबाव को काउंसिलिंग के चलते झेल पाते हैं. जो नहीं झेल पाते, इस्तीफा दे देते हैं.

मंत्रियों के दबाव में अच्छेअच्छे अधिकारियों के तबादले भी करा दिए जाते हैं. लेकिन ऐसे भी आईएएस अधिकारी हुए, जो बिना किसी से डरे अपने काम को अंजाम देते रहे.
उन्हीं में से एक थे टीएन शेषन, जो 1955 के बैच के थे. उन्हें 12 दिसंबर, 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था.

टीएन शेषन को चुनावों में सुधार का श्रेय जाता है. वे बेहद कड़क आईएएस अफसर थे. उन से देश के कई नेता भी डरते थे. उन के बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्होंने जिस भी मंत्रालय में काम किया, वहां सभी बेहतर होने लगे.

मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद टीएन शेषन और राजनेताओं के बीच  बयानबाजी चलती रही.

उन्होंने एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया था कि “आई ईट पौलिटीशियंस फॉर ब्रेकफास्ट.“ यानी मैं नाश्ते में नेताओं को खाता हूं.

भारतीय चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता लाने वाले टीएन शेषन को कई राजनेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था. हालांकि, वे चुनाव व्यवस्था को सुधारने के लिए काम करते रहे. यही कारण है कि उन्हें रैमोन मैगसेसे अवार्ड से नवाजा गया था. उन्हें साल 1996 में यह पुरस्कार मिला था.

मोदी सरकार ने अधिकारियों पर सख्ती भी दिखाई है. साल 2015 में परफौर्म न करने वाले 13 ब्यूरोक्रैट्स को मोदी सरकार ने नौकरी से हटा दिया. तकरीबन 45 अधिकारियों के पेंशन के पैसे काट लिए.

एक खबर के मुताबिक, सरकार तकरीबन 1,000 आईएएस अधिकारियों के कामों को रिव्यू कर रही है. इन में से जिन्होंने 25 साल की सर्विस पूरी कर ली हो या फिर 50 की उम्र में पहुंच गए हों, उन की ज्यादा सख्ती से निगरानी की जा रही थी. सरकार ने लापरवाही और काम न करने वाले अधिकारियों को दंडित करना शुरू किया.

राजनीतिक में जाने के लिए भी आईएएस अधिकारी छोड़ देते हैं नौकरी

साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कई आईएएस अफसरों ने इसलिए नौकरी छोड़ दी, क्योंकि उन्हें राजनीति में जाना था. सितंबर, 2018 में ओडिशा कैडर की आईएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी ने वालंटियरी रिटायरमेंट ले लिया. इन्होंने नौकरी छोड़ कर भाजपा यानी भारतीय जनता पार्टी जौइन कर ली. इसी तरह से साल 2005 बैच के आईएएस अफसर ओपी चौधरी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा जौइन कर ली.

ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां अधिकारी नौकरी को लात मार कर राजनीति में घुस गए. आईएएस बड़ी नौकरी है. लेकिन नौकरी की मजबूरी होती है और संभावनाएं सिर्फ आईएएस तक जा कर ही खत्म नहीं होतीं.

लाख कीट पालन

लेखक-डा. अरविंद कुमार
लाख एक कुदरती राल है, जो केरिया लेका नाम के कीट द्वारा पैदा की जाती है. यह मादा कीट के शरीर से लिक्विड  के रूप में निकलती है और हवा के संपर्क में आने पर सख्त हो जाती है.लाह यानी लाख के उत्पादन में झारखंड एक अग्रणी राज्य है, जिस का उत्पादन खासकर जंगलों या जंगल के किनारे रहने वाले जनजाति समुदाय द्वारा किया जाता है. इन जनजातियों के लिए लाह उत्पादन जीविका का एक खास जरीया है.
अब तक लाख कीट पालन कुसुम पलास व बेर के पेड़ों पर ही किया जाता रहा है, जिस में कई परेशानियों  का सामना करने के बाद भी पैदावार में कमी आ रही है. हमें लाख कीट पालन के लिए ऐसे पौधे का चुनाव करना होगा, जिस का मैनेजमैंट आसान तरीके से किया जा सके और उस पर लाख का उत्पादन जल्द लिया जा सके.
फ्लेमेंजिया सेमियालता ऐसा ही एक उपयुक्त पौधा है, जो कई सालों तक रहता है. इस में लाह के पोषक तत्त्व इफरात से मौजूद रहते हैं. इस की ऊंचाई तकरीबन 2 मीटर से ले कर 3 मीटर तक होती है.
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इस पौधे में फूल अक्तूबरनवंबर महीने में आते हैं और इस का फल जनवरीफरवरी महीने तक पक जाता है. फ्लेमेंजिया सेमियालता जाड़े के मौसम में कुसुमी लाख उत्पादन के लिए बहुत ही सही पाया गया है.
पौध की तैयारी और रोपाई
फ्लेमेंजिया सेमियालता पौधे के लिए मिट्टी में थोड़ी अम्लीयता के साथ पीएच मान साढ़े 5 के आसपास होना अच्छा माना गया है.
इस की नर्सरी थोड़ी ढलाऊ जगह पर होनी चाहिए, जिस से फालतू पानी आसानी से निकाला जा सके. फ्लेमेंजिया सेमियालता की पौध बीज के अलावा डालियों द्वारा भी नर्सरी में आसानी से तैयार की जा सकती है.
बीज बोआई से पहले नर्सरी में 9×1.2 मीटर के लंबेचौड़े और 4 इंच ऊंचे बैड तैयार कर लें और बीज को सीधे बैड में या प्लास्टिक की थैलियों में, जिस में 2:1:1 के अनुपात में मिट्टी, सड़ी गोबर की खाद व बालू का मिश्रण भर कर अप्रैलमई महीने में बीज की बोआई की जा सकती है.
बीज बोआई के बाद समयसमय पर हलकी पलटाई करते रहना चाहिए. नर्सरी में पौध से पौध की दूरी 8-10 सैंटीमीटर कर देने से पौधे की बढ़वार अच्छी होती है.
पौध रोपण के एक महीने पहले ही मईजून महीने में 45×45×45 सैंटीमीटर आकार के गड्ढे सिंचित व 30×30×30 सैंटीमीटर असिंचित इलाकों के लिए खोद लेने चाहिए. गड्ढों की खुदाई पौधे से पौधे की दूरी 1 मीटर व लाइन से लाइन की दूरी  2 मीटर के आधार पर करनी चाहिए.
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पौध रोपण के पहले हर गड्ढे में  5-10 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए. फ्लेमेंजिया पौधे की लंबाई कम होने के चलते इस पर लाख कीट पालन दूसरे पोषक पौधों के मुकाबले में ज्यादा आसान है और पौध रोपण के एक से डेढ़ साल बाद लाख कीट को पौधों पर छोड़ा जाता है.
फ्लेमेंजिया की खेती करते समय लाइनों के बीच में फल व सब्जियों की खेती कर ज्यादा फायदा कमा सकते हैं. फ्लेमेंजिया का पौधा छोटा होने के चलते इस का मैनेजमैंट भी ठीक तरह से किया जा सकता है.
फ्लेमेंजिया पौधे पर लाख कीट की कुसुमी प्रजाति बहुत ही सही पाई गई है. फायदे के नजरिए से जाड़े वाली फसल ज्यादा उपयुक्त है. कुसुमी लाख कीट को जुलाई महीने में 20 ग्राम प्रति पौधे की दर से छोड़ना चाहिए.
लाख कीट को नुकसानदायक कीटों के हमले से बचाने के लिए बीहान लाख को
60 मेस की प्लास्टिक की जाली में भर कर ही इस्तेमाल करना चाहिए.
लाख लगाने के 21 दिन बाद पेड़ों में बंधी हुई बीहन लाख, जिसे फूंकी भी कहा जाता है, को उतार लेना चाहिए व फूंकी लाख को खत्म न कर के उसे छील कर बेच देना चाहिए.
लाख कीट की हिफाजत
पौधे पर लाख कीट छोड़ने के एक महीने बाद या फूंकी उतारने के एक हफ्ते बाद नुकसानदायक कीटों का इंफेक्शन शुरू हो जाता है. हमें इसी अवस्था पर ही कीटनाशक दवा का पहला छिड़काव 60 दिन बाद जरूरत के मुताबिक करना चाहिए. इन कीटनाशकों का छिड़काव लाख कीट के दुश्मन कीट जैसे काली तितली, सफेद तितली व क्रोइसोपा वगैरह से बचाव के लिए किया जाता है.
किसी भी अवस्था में नर लाख कीट निकलने के समय कीटनाशक या फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से नर कीट मर सकते हैं, जिस से निषेचन क्रिया नहीं हो पाएगी और अगली फसल के लिए बीहन की पैदावार नहीं मिलेगी. फफूंद से बचाव के लिए बाविस्टीन दवा की 3 ग्राम मात्रा का 14 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव किया जाना चाहिए.


लाख की कटाई

लाख फसल की कटाई के समय पौधे को जमीन से 10-15 सैंटीमीटर ऊपर से सीकेटियर द्वारा काटना चाहिए. इस से पौधे की काटछांट भी हो जाती है. कटाई के बाद पौधे की बढ़वार अच्छी हो, इस के लिए पौधों के किनारे की मिट्टी की अच्छी तरह से गुड़ाई करनी चाहिए व गोबर या केंचुए की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए.

स्कूल बंद, लेकिन किताबों के जरिए लूटने का धंधा किया शुरू

कोरोना वायरस एवं लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से गुजर रहे परिवारों को राहत देते हुए सरकारों ने इस साल निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी है. लेकिन अभिभावकों की परेशानी कम नहीं हुई हैं. लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं, इसके बाद भी निजी स्कूलों में किताबों के जरिये लूटने का धंधा शुरू हो गया हैं.

स्कूल संचालक अभिभावकों के मोबाइल पर मैसेज भेज कर उन पर किताब खरीदने का दबाव बना रहे हैं. किताब खरीदना तो ठीक है. लेकिन अभिभावकों की समस्या यह है कि हर निजी स्कूल संचालक ने अपनी स्टेशनरी दुकान फिक्स कर रखी है. उस विद्यालय की किताबें सिर्फ उस दुकान पर ही मिलती हैं. लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते फिक्स दुकान से अभिभावक महंगी किताब खरीद कर लुटने को मजबूर हैं.

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50 फीसदी कमीशन का खेल

हर बड़े प्राइवेट स्कूल अलग-अलग लेखकों की पुस्तकें सिर्फ इसलिए चलाते हैं कि उन्हें विक्रेता से मोटा कमीशन मिलता रहे. अभिभावकों का कहना है कि इस साल भी पुस्तकों के दाम 20 फीसदी तक बढ़ा दिए गए हैं. उनकी मजबूरी यह है कि दूसरी दुकानों में बुक न मिलने के कारण वह फिक्स दुकान से महंगी किताबें खरीदने को मजबूर हैं.

अक्टूबर में शुरू हो जाता है खेल

जयपुर शहर के नामी निजी विद्यालय से जुड़े सूत्रों ने बताया, ” स्कूल फीस से अधिक कमीशन किताब विक्रेता व प्रकाशक से कमाते हैं. कमीशन फिक्सिंग का खेल सितंबर-अक्टूबर में शुरू हो जाता है. प्रकाशक स्कूल में आकर छात्र संख्या के हिसाब से सिलेबस तय करते हैं और उनकी छपाई का कार्य शुरू कर देते हैं.

हर साल बदल देते हैं किताब

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सीबीएसई कोर्स संचालित करने वाले निजी विद्यालय बड़े पुस्तक विक्रेताओं से मिलकर अभिभावक को किताबों का महंगा सेट बिकवाते हैं. दूसरे साल इन किताबों का उपयोग न हो पाए, इसलिए चालबाजी कर स्कूल संचालक हर साल सेट की 2-3 किताबें बदल देते हैं.

शिकायत के बाद भी नहीं होती कार्रवाई

लॉकडाउन के चलते आर्थिक तंगी से गुजर रहे अभिभावक स्कूल संचालकों की मिलीभगत के कारण किताबों का महंगा सेट खरीदने को मजबूर हैं. अभिभावक इस परेशानी की शिकायत करने से बच रहे हैं. निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाले एक अभिभावक ने कहा कि शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती. उल्टा, शिकायत करने के बाद स्कूल संचालक बच्चों पर दबाव बनाते हैं. इसलिए किताबों का महंगा सेट खरीदने के बाद भी अभिभावक मौन हैं.

मैसेज भेज किताबें खरीदने का बना रहे दबाव

अभिभावकों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर निजी स्कूलों द्वारा मैसेज भेजा जा रहा हैं कि जल्द से जल्द किताबे तथा स्टेशनरी खरीदें. वही इस तरह के मैसेज को देख अभिभावकों के पसीने छूटने लगे. वही अभिभावकों द्वारा स्कूलों के ऑफिस से संपर्क किया जा रहा हैं तो वो स्पष्ट कह रहे हैं कि किताबें और स्टेशनरी लेना अनिवार्य है, अन्यथा बच्चों को आगे जाकर दिक्कत आएगी.

पनाह: भाग 3

लेखिका- मेहा गुप्ता 

उन्होंने उस नन्ही परी का नाम आर्या रखा . वह बिलकुल अपने पिता की शक्ल लिए थी . गोरा चिट्टा रंग , सुनहरे बाल और भोले चेहरे के बीच भूरी चमकीली आँखें . अब अनामिका की ज़िंदगी आर्या तक ही सिमट कर रह गई थी .

इधर कई दिनों से अनामिका ,आर्यन में बदलाव सा महसूस कर रही थी . अब वह जब तब आवेश में आकर उसे गोद में उठाने की , बाँहों में भरने की या बात बात पर उसे चूमने की चेष्टा नहीं करता था . हाँ वह आर्या से बहुत प्यार करता था . पर उसके प्रेम में पिता वाला बड़प्पन , दुलार या चिंता नहीं थी बल्कि एक बेफ़िक्री और आकर्षण था जो एक बच्चे को अपने प्रिय खिलौने के प्रति होता है . वह समझ गई थी उसे अपनी ज़िम्मेदारियों को समझने के लिए थोड़ा वक़्त देने की ज़रूरत है . अब आर्या एक महीने की हो गई थी . उस दिन वो पिंक नैट की फ़्रॉक में थी .

“वाउ ! माई स्वीट प्रीटी डॉल .. लेट्स टेक अ सेल्फ़ी ”

” ग्रेट आइडिया ! वैसे भी हमारी एक भी फ़ैमिली पिक नहीं है .” उस फ़ोटो को अनामिका ने अपने मोबाइल पर प्रोफ़ायल पिक की तरह सेट कर दिया और फिर आर्यन के फ़ोन को लेकर उस पर भी सेट करने लगी . इतने में स्क्रीन पर एक मैसेज पॉप अप हुआ . अनामिका ने उस मैसेज को खोला जिस पर लिखा था ” मिसिंग यू “.

अनामिका ने फ़ोन आर्यन की तरफ़ बढ़ा दिया . उसकी मासूम आँखों में प्रश्न थे .

” अनामिका मैं आपसे इस बारे में बात करने ही वाला था . ये चिमलिन है . आप ही की तरह बहुत प्यारी और मासूम है . मैं आप दोनों से बहुत प्यार करता हूँ पर इसे भी नहीं छोड़ सकता . ये मजबूरी के चलते सेक्स वर्कर की तरह काम कर रही थी . पर दिल की बहुत अच्छी है .इसकी वहाँ के होलसेल मार्केट्स में बहुत पहचान है . अनामिका आज मैं जो भी हूँ इसी की बदौलत हूँ . वर्ना मैं इतना बड़ा बिज़्नेस खड़ा नहीं कर पाता . उसे मेरी ज़रूरत है . और उसने मुझसे वादा किया है कि वह जल्दी ही उस दुनिया से बाहर आ जाएगी . आप उसे अपनी छोटी बहन की तरह नहीं अपना सकती ? मैं आपको यक़ीन दिलाता हूँ कि उसके आने से हमारे रिश्ते पर कोई आँच नहीं आएगी .”

अनामिका निशब्द सी सब सुन रही थी उसे लगा कोई उसके कानो में पिघला हुआ शीशा उँडेल रहा हो . कहते हुए आर्यन उसके कंधे पर अपना सिर रखने लगा . अनामिका धीरे से उसका सिर हटा देती है .

” आई ऐम सॉरी ! नाराज़ हो क्या ? “आर्यन केपूछने पर अनामिका चीख़ – चीख़ कर कहना चाहती थी उसे तुम्हारी ज़रूरत है और हम दोनों ? आज तुम जो भी हो उसकी बदौलत हो . मेरे प्यार का, समर्पण का क्या ? मैंने तुम्हें अपने दिल में पनाह दी अपने घर में जगह दी .” पर नहीं कह पाई जैसे उसकी आवाज़ गले में ही घुट गई थी . उसकी तरफ़ से कोई भी जवाब ना मिलने पर आर्यन वहाँ से उठकर चला गया . वह उसे तब तक देखती रहती है जब तक वह उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गया . उसे लगता है वह उन लोगों से बहुत दूर चला गया है .

 

,उस दिन के बाद से घर में एक ख़ामोशी , एक सूनापन सा पसर गया . आर्यन हफ़्ते भर से बैंकॉक में था . अनामिका निरुद्देश्य सी लॉन में बैठी हुई थी . शाम का धुँधलका उसके मन को और भी विचलित कर रहा था .लॉन पर रखी टेबल पर , बग़ीचे के मुस्कुराते फूलो पर उसे आर्यन का ही वजूद नज़र आ रहा था . उसकी नज़र सामने खड़े गुलमोहर के पेड़ के तने पर ख़ुदेदिल में लिखे दोनों के नाम पर जाती है और वह आँखें मूँद कर बैठ जाती है . ” तो क्या आर्यन का प्यार मात्र मेरा भ्रम था . एक छलावा था . नहीं वह स्पर्श जिसने उसके मेरे तन – मन को भिगो दिया था , उसकी आँखों से छलकता मौन प्रेम जो उसके हृदय को परत दर परत खोल कर रख देता है . भ्रम नहीं हो सकता . “वह आर्यन को फ़ोन लगाती है . तीन चार बार फ़ोन लगाने पर आर्यन फ़ोन नहीं उठाता है तो उसे लगता है आर्यन उनसे रूठ कर बहुत दूर चला गया है .

अनामिका की सारी रात करवटें बदलने में ही निकल गई . सुबह होने को है पर आसमान अभी भी अंधेरे की गिरफ़्त में है . उसे लगता है यह अंधकार धीरे – धीरे उस पर भी हावी हो रहा है . वह सहमकर बैठ जाती है . वह फिर से आर्यन को फ़ोन लगाती है . सामने से लड़की की आवाज़ सुनकर फ़ोन रखने ही वाली होती है कि , ” आई ऐम फ्रॉम सिटी हॉस्पिटल बैंकॉक .”

हॉस्पिटल का नाम सुनते ही फ़ोन पर से उसकी पकड़ ढीली होने लगती है पर वह अपने आप को संभाल लेती है . उसे बताया जाता हैं कि आर्यन में कोरोना वाइरस के प्रारम्भिक लक्षण दिख रहे हैं इसलिए उसे आइसोलेटेड वार्ड में रखा गया है . बहुत गुज़ारिश करने पर वो आर्यन की बात करवाने को तैयार हो जाते हैं .

” हेलो , अनामिका .. मुझे ले जाओ यहाँ से .. मैं बेहद अकेला पड़ गया हूँ . मुझे कुछ नहीं हुआ है , सिर्फ़ वाइरल था . मेरे रिपोर्ट्स भी नोर्मल आई है पर ये लोग कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है . “इसके बाद आर्यन की आवाज़ सिसकियों में बदल गई .

अनामिका की सांसें थम सी जाती है . उसे अपने शरीर में असीम पीड़ा का अनुभव होता है . तब उसे अहसास होता है आर्यन के प्यार की जड़ें उसके हृदय की कितनी गहराई तक जमी हुई है . वह अपने डैड के सम्पर्क के बल पर आर्यन को भारत लाने के लिए एड़ी – चोटी का ज़ोर लगा देती है .

उसकी भाग – दौड़ का नतीजा है कि आर्यन आज एक महीने बाद लौटने वाला है . पर आज से उसने अपनी कॉलेज भी जॉंइन कर ली है और आर्या के लिए भी वहीं डे केर की व्यवस्था कर दी है .वह आर्यन के लिए अपने बंगले के पास वाला क्वॉर्टर खुलवाँ देती है और आर्यन का सारा सामान भी वहीं शिफ़्ट करवा देती है . क्वार्टर के दरवाज़े पर आर्यन के लिए एक चिट छोड़ दी.

 

” अपने दिल में पनाह देने के लिए शुक्रिया ! मैं मानती हूँ जीवन के ख़ूबसूरत सफ़र में राही मिल जाया करते है. पर हम हर एक अनजान राही के साथ आशियाना बनाने की भूल तो नहीं करते है . बस मैं यही गुनाह कर बैठी . मेरा सब कुछ तुम्हारा है क्योंकि मैंने प्यार किया है तुमसे . सच्चा प्यार लेना नहीं देना सिखाता है . पर माफ़ करना आर्यन इस बेवफ़ाई के बदले में तुम्हें फिर से अपने दिल में पनाह ना दे पाऊँगी .

तुम्हारी ,

अनामिका मैम

पनाह: भाग 2

लेखिका- मेहा गुप्ता 

बहुत सोच – विचार के बाद अनामिका ने पल्लवी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था . उसका ज़ूहु पर सी फ़ेसिंग बंगलो था जिससे कॉलेज दस मिनीट की ही दूरी पर था . अब आर्यन, अनामिका के साथ उसकी गाड़ी में ही कॉलेज जानेआने लगा था . आर्यन के सानिध्य से अनामिका के आँसू हँसी में और उदासी शोख़ी में बदल गई थी . दोनों साथ में बैठ कर पढ़ा करते थे . अनामिका अपनी थिसिस लिखती और आर्यन इग्ज़ाम की तैयारी करता . कुछ लिखते – पढ़ते समय उसके हाथ से आर्यन का हाथ छू जाए तो उसके मन के तार झन्कृत होने लगते थे . दोनों के दरमियान एक अजीब सी मादकता और तन्मयता पसरी रहती . एक दिन ऐसे ही अवसर पर आर्यन ने अनामिका का हाथ पकड़ लिया .

“मैम आपको नहीं लगता अब हमारे रिश्ते को एक नाम मिल जाना चाहिए ?” कहते हुए आर्यन कुर्सी पर से उठकर उसके पैरों के पास घास पर ही बैठ गया .

“विल यू मैरी मी ?”उसके स्वर में भावुक सी याचना थी . पल भर को वह सिर से पैर तक काँप उठी .

” पागल मत बनो आर्यन .. एक बार ये सोचने से पहले हम दोनों के बीच का उम्र का फ़ासला तो देख लेते . ”

” मैंने आपसे प्यार करते वक़्त आपकी उम्र को नही आपकी रूह को परखा था .”और उसने अनामिका के लिए एक शायरी कह डाली .

“पनाह मिल जाए रूह को

जिसका हाथ छूकर

उसी की हथेली को घर बना लो ”

” अच्छा तो आप शायरी भी कर लेते हैं ?”

” कॉपी पेस्ट है .” आर्यन ने शरारत से कहा .

. आर्यन , अनामिका की ज़िन्दगी में ताजे हवा के झोंके की तरह था . उसका ऐसा साथी जिसका साहचर्य उसे ख़ुशी देता था पर उसे वह बच्चा ही मानती थी . उनके बीच कभी प्रणय का फूल भी खिल सकता है इसकी तो अनामिका ने कभी कल्पना भी नहीं की थी .बड़ी देर तक इसी उधेड़बुन में डूबे जाने कब उसे गहरी नींद ने घेर लिया .

◦ सवेरे उसके कमरे की खिड़की पर बैठे कबूतर की गुटर गु ने उसे नींद से जगा दिया नहीं तो जाने वह कितनी देर तक सोती रहती . आज उसे मौसम और दिनों से अलग लग रहा था . आसमान में तैर रहे गुलाबी बादलों की आभा में उसकी खिड़की पर लटक कर आ रही रंगून क्रीपर भी गुलाबी लग रही थी क्योंकि आज उसके मन का मौसम गुलाबी हो रहा था .एक नई ज़िंदगी उसे बाँहें फैलाकर अपनी गोद में बुला रहे थे .

 

◦ आर्यन की फ़ाइनल इग्ज़ैम्ज़ हो जाने पर दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली और बैंकॉक के लिए निकल गए . बैंकॉक चुनने के पीछे एक और कारण था , आर्यन वहाँ से इम्पोर्ट का बिज़्नेस शुरू करना चाहता था . उन्होंने चाओ फ्राया रिवर के पास की होटेल में रूम ले लिया था . दोनों के लिए सबकुछ स्वप्न की तरह था . एक ख़ुमारी , एक अनकही सी अनुभूति भरे वह लम्हे जिसे हर दिल हमेशा के लिए संजो लेना चाहता हो . आर्यन , अनामिका को रिवर फ़्रंट पर बिठाकर ख़ुद पास ही स्थित परत्युमन मार्केट केलिए निकल जाता था. अनामिका घंटों बैठी हुई दूर – दूर तक फैले हुए उस नदी के विस्तार को , उसके दामन में विहार करती नौकाओं को निहारती रहती . उसकी छुट्टियाँ ख़त्म होने को थी . पंद्रह दिन बाद वो फिर से मुंबई आ गई और आर्यन दो दिन बाद लौटने वाला था .

 

सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था एक हसीन ख़्वाब की तरह .महीने भर बाद ही अनामिका को नन्हें क़दमों की आहट हुई थी . उस दिन उसने डिनर मेपुडिंग के तीन बोल डाइनिंग टेबल पर रखे . एक बोल उसने आर्यन के आगे कर दिया और दो बोल ख़ुद लेकर बैठ गई .

आप ग़लती से दो बोल ले आई है .”

” ग़लती से नहीं , एक मेरा और एक ..”उसने अपने पेट पर हाथ रख लिया .

“आई नो , आपको पुडिंग बहुत पसंद है . एक से आपका जी ही नहीं भरता है .” कहकर आर्यन खिलखिलाने लगा .

” बुद्धू तुम डैड बनने वाले हो .”

सुनकर आर्यन ख़ुश नहीं असमंजस में था. उसे समझ नहीं आया वह क्या प्रतिक्रिया दे . इसके लिए शायद वो मानसिक रूप से तैयार ही नहीं था .

 

एक महीने बाद अनामिका की डिलिवरी होने वाली थी . इधर आर्यन की व्यस्तता बढ़ती जा रही थी . उसका एक पैर बैंकॉक और एक मुंबई में रहता था . पर जितना समय वह अनामिका के पास रहता उसे पलकों पर बिठाकर रखता था .

” बस अब पंद्रह दिन अपने सारे टूर कैन्सल कर दो . मुझे अकेले डर लगता है . डॉक्टर कह रही थी अब बेबी कभी भी इस दुनिया में क़दम रख सकता है . मैं चाहती हूँ अब तुम पूरा समय मेरे साथ रहो . मुझे लेबर पेन के नाम से ही डर लगता है . “सुनते ही उसने अनामिका का चेहरा हाथ में ले लिया .

” मैं हूँ ना .. मैं अपनी अनामिका को कुछ नहीं होने दूँगा . ”

कहते हुए उसने अनामिका के हाथ की छोटी – छोटी अंगुलिया अपनी अंगुलियों के बीच फँसा ली .

“कहते है माँ के सामने जिसका चेहरा होता है बेबी में उसकी छवि आती है . ” आर्यन कभी भी अनामिका की बात नहीं टालता था . वह उसे हर हाल में ख़ुश देखना चाहता था . यही नहीं उसने लेबर रूम की विडीओ ग्राफ़ीकर उनके जीवन में आए उन अनमोल पलों को भी सदा के लिए क़ैद कर लिया .

पनाह: भाग 1

लेखिका- मेहा गुप्ता 

अलसाई हुई सी धूप लान की घास पर से उतरती हुई समुद्र किनारे की रेत पर आ बैठी

थी. अनामिका आर्म चेयर पर आँखें मूँदे लेटी थी. इतने में एक तेज़ हवा के झोंके ने उसे कंपकँपा दिया और उसने अपना गुलाबी सिल्क का स्कार्फ़ कंधे पर से उतारकर अपने बदन पर लपेटकर उसे चूम लिया. अभी तक उसके वार्डरोब में इन शोख़ रंगो के लिए कोई जगह नहीं थी. बिलकुल उसके दिल की तरह जिसमें सिर्फ़ उदासी, एकाकीपन के सफ़ेद काले रंगों का ही साम्राज्य था . पर आर्यन नाम के रंगरेज ने उसकी ज़िंदगी को, उसके दिल को चटक रंगो से सरोबार कर दिया था.

उसने घड़ी की तरफ़ नज़र डाली और बेचैनी से आर्यन का इंतज़ार करने लगी. आर्यन बैंकाक से लौटने वाला था. अँधेरा गहराने पर वह आर्म चेयर पर से उठ खड़ी हुई और पैरों में स्लीपर डाले अपने कमरे में लगे बड़े आइने तक आयी. आर्यन के प्यार की मख़मली छींट ने उसके गुलाब से चेहरे की रंगत को और भी बढ़ा दिया था जिसे देखकर वह स्वयं मुग्ध हो गई. उसने नीले रंग का गाउन निकालकर पहन लिया. नीला रंग आर्यन को बेहद पसंद था. उसे मालूम था आर्यन उसे टीशर्ट और ट्रैकपैंट में देखते ही कहेगा,’क्यों अपने साथ इतनी नाइंसाफ़ी करती हो, कायनात ने दिल खोलकर नूर बरसाया है आप पर और आप हैं कि आपको इसकी बिल्कूल क़द्र ही नहीं है. मॉडर्न कपड़ों में आप नाज़ुक सी कॉलेज गोइंग गर्ल लगती हैं.’ सोचते ही अनामिका के लबों पर मुस्कान दौड़ गई .

 

आर्यन के ना पहुँचने पर अनामिका ने उसे फ़ोन लगाया .

” तुम अभी तक आए नहीं ? गाड़ी ड्राइवर तो तुम्हें एरपोर्ट पर मिल गए होंगे ना ?”

” हाई स्वीट हार्ट ! शिट! आई ऐम सो सॉरी! मैं आपको मैसेज करना ही भूल गया । जब आपका काल आया मैं मार्केट में था. वहाँ पर नेटवर्क इश्यू होने से आप से बात ही नहीं हो पाई. अच्छा एक गुड न्यूज़ है, डील पक्की हो गई है. वो लोग हर हफ़्ते माल इम्पोर्ट के लिए तैयार हो गए हैं.”

” ओके, बाई ! कल मिलते हैं. मिसिंग यू !” उसकी ख़ुशी उसकी आवाज़ में झलक रही थी.

” बच्चा है बिलकुल . जल्दी आ जाओ .. आई ऐम मिसिंग यू टू ” फ़ोन रख उसने साइड टेबल पर रखे फ़ोटो फ़्रेम में लगी आर्यन की फ़ोटो को चूमते हुए कहा. आज बहुत अरसे बाद उसने अपना ब्लॉग खोला था जिसमें वह अपनी भावनाओं को , ज़िंदगी के प्रति अपने दृष्टिकोण को बयां करती थी. उसके डैड कहा करते थे उसमें ये आदत उसकी माँ से आई है वह भी वक़्त निकालकर रोज़ एक कविता ज़रूर लिखती थी .माँ को उसने बचपन में ही खो दिया था .

उसके डैड प्रशासनिक सेवा में उच्च अधिकारी थे . उन्होंने उसे माँ बाप दोनों का प्यार देने की भरसक कोशिश की . वह बचपन से ही गम्भीर स्वभाव की थी . दो साल पहले पिता की अकस्मात् मृत्यु ने तो उसे बिलकुल ही ख़ामोश बना दिया था. एक गम्भीरता , रूखापन उसके वजूद का हिस्सा बन गए थे . इस अबेधी आवरण को तोड़कर उसके दिल तक पहुँचना किसी के लिए भी आसान नहीं था.

वह मुंबई की प्रसिद्ध मैनज्मेंट कॉलेज में बिज़्नेस प्लानिंग की प्रोफ़ेसर थी . बात क़रीब दो साल पहले की है . एमबीए की फ़र्स्ट ईयर की क्लास में पहला पिरीयड अनामिका का ही था . आर्यन अक्सर आधा पिरीयड निकल जाने पर क्लास में आ ता था. कईदिनों तक तो अनामिका कुछ नहीं बोली , पर उस दिन उसे वार्न कर दिया,

” आज का दिन आप क्लास के बाहर ही रहिए , कल अपने आप समय से क्लास में हाज़िर हो जाएँगे .” वह बिना किसी बहस के सिर झुकाता हुआ क्लास से बाहर निकल गया . बाद में स्टाफ़ रूम में उसकी इकलौती सहेली पल्लवी से उसे पता चला की वह किस मजबूरी के चलते लेट आ रहा था .

 

” आज तेरी क्लास के समय आर्यन लॉन में क्यों था ?”

“इन जैसे लड़कों को पढ़ने से कोई लेना – देना नहीं है ये अपने पिता की पावर के दम पर सिर्फ़ डिग्री हासिल करने कॉलेज चले आते हैं .”

” तू आर्यन के बारे में ग़लत सोच रही है . उसके तो पिता ही नहीं है . वह बोरिवली में एक एनजीओ द्वारा संचालित बॉय्ज़ होम में रहकर पला – बढ़ा है . उसे यहाँ तक पहुँचने में दो ट्रेन बदलनी पड़ती है . बहुत ही अच्छा लड़का है , दूसरों से बिलकुल हटकर . तू एक काम कर सकती है . उसे अपने बंगले पर पेइंग गेस्ट की तरह रख ले . इससे अंकल के जाने के बाद तेरी ज़िंदगी में आया सूनापन भी भर जाएगा .”

उस समय तो उसने पल्लवी की बात को हवा में उड़ा दिया था . पर साल भर में अनामिका ने भी परख लिया था कि आर्यन पढ़ाई के प्रति कितना गम्भीर है . वह अपना अतिरिक्त समय और लड़कों की तरह कैंटीन में ना बिता लाइब्रेरी में बिताता था और शाम के समय स्कूली बच्चों के ट्यूशन्स ले अपना ख़र्चा ख़ुद निकालता था .

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