मेघा ने अपने नए पड़ोसियों  का स्वागत खुले दिल से किया. फ्लोर पर ही सामने वाले फ्लैट में आए अंजलि, उस के पति सुनील और उन की 4 साल की बेटी विनी भी उन से अच्छी तरह बात करते. सामना होने पर हंसते, मुसकराते.

सुनील का टूरिंग जौब था. मेघा के पति विनय और उन का युवा बेटा यश थोड़े इंट्रोवर्ट किस्म के इनसान थे. कुछ ही दिन हुए कि मेघा ने नोट किया कि अंजलि जानबूझ कर उस टाइम नीचे पार्किंग में टहल रही होती है, जो टाइम विनय के दफ्तर से आने का होता.

पहले तो मेघा ने इसे सिर्फ इत्तिफाक समझा, पर जब विनय ने एक दिन बताया कि अंजलि थोड़ीबहुत बात भी करती है. उस का फोन नंबर भी यह कह कर ले लिया कि अकेली ज्यादा रहती हूं. पड़ोसियों का नंबर होना ही चाहिए तो मेघा हैरान हुई कि कितनी बार तो उस से उस का आमनासामना होता है, उस से तो कभी ऐसी बात नहीं की.

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अंजलि अकसर उस टाइम आ धमकने भी लगी जब वह तो किचन में बिजी होती, विनय टीवी पर कुछ देख रहे होते. उस के रंगढंग मेघा को कुछ खटकने लगे.

एक दिन विनय ने बताया कि अंजलि उन्हें मैसेज, जोक्स भी भेजने लगी है.

पहले तो मेघा को बहुत गुस्सा आया, फिर उस ने शांत मन से विनय को छेड़ा, ''तुम इस चीज को एंजौय तो नहीं करने लगे?''

'' एंजौय कर रहा होता तो बताता क्यों,'' विनय ने भी मजाक किया, ''मतलब तुम्हारा पति इस लायक है कि कोई पड़ोसन उस से फ्लर्ट करने के मूड में है, माय डियर प्राउड वाइफ.''

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