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संकट की घड़ी में साथ नहीं देते भगवान

तुम्हारे मान लेने से

पत्थर भगवान हो जाता है।

तुम्हारा भगवान पत्थर की गाय है

जिससे तुम खेल तो सकते हो ,

लेकिन दूध नहीं पा सकते ।

रमाशंकर यादव विद्रोही

विद्रोही जी की उक्त कविता इस कोरोना काल में सच साबित हो रहा है. जब लोगों के ऊपर किसी तरह का संकट और विपदा आता है तो लोग अपने इष्टदेवता मंदिर और मस्जिद का सहारा लेते हैं. लेकिन इस कोरोना के कहर में मंदिर,मस्जिद ,चर्च और गिरजाघर कुछ भी काम नहीं आया.यहाँ तक कि मंदिर में पड़े मूर्ति को भी लोगों ने मास्क तक पहनाया.उल्टी धारा बहने लगी.वे हमारे सुरक्षा के लिए थे.लेकिन उनकी सुरक्षा खुद हमें करनी पड़ रही है. दुनिया भर में सभी धर्मस्थलोन को बंद करना पड़ा.मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा हो या चर्च.काबा हो काशी का मंदिर सभी बन्द पड़े हैं.

लोगों को आज तक मूर्ख बनाने वाले पंडा पुरोहित मंदिर के पुजारी चर्च के पादरी और मौलाना भी वैज्ञानिकों की बाट जोहने लगे कि कोरोना का टीका वे लोग ही निकाल सकते हैं. उसका एकमात्र निदान भी यही है. धर्मगुरुओं की बोलती बंद है.धर्म ने कोरोना वायरस से भयभीत लोगों को असहाय छोड़ दिया है.

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कई तरह की बीमारियों से लोग सदियों से ग्रसित रहे हैं.ईलाज के साथ साथ लोग मंदिर मस्जिद चर्च गिरजा घर में पूजा पाठ दुआ प्रार्थना करते रहे रहे हैं. लेकिन इस कोरोना बीमारी ने तो ऐसा कहर बरपाया की सारे धार्मिक स्थल ही बन्द कर दिए गए.खुद इन भगवानों को बचाने के लिए मनुष्य आगे आकर इन मूर्तियों तक को मास्क लगा रहे हैं.

मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने द प्रिंट में लिखा है कि मक्का में सबकुछ ठप है जहाँ इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मो पैगम्बर साहब का मजार है.यहाँ दुनिया भर से इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग जाते हैं.यहाँ पर भी लोगों को आने पर पाबन्दी लगा दी गयी है. कुवैत में विशेष अजानों में लोगों से घर पर ही इबादत करने का आग्रह किया जा रहा है. मौलवी लोग वायरस से बचने के लिए मस्जिदों में जाकर अल्लाह से दुआ करने का दावा नहीं कर रहे हैं. धर्म के ठेकेदारों को अच्छी तरह मालूम है कि अल्लाह हमें कोरोना वायरस से बचाने नहीं आयेंगे. अगर कोई बचा सकता है तो वे हैं वैज्ञानिक जो टीके बनाने में उपचार ढूंढने में ब्यस्त हैं. धर्म पर भरोसा करने वाले बेवकूफों को इस घटना के बाद जरूर गंभीरता से विचार करना चाहिए.उन्हें सबसे अधिक सवाल पूछने चाहिए.उन्हें आज यह बात नहीं कचोटती है कि जिन धार्मिक संस्थाओं को बीमारी के मद्देनजर उनकी सहायता के लिए आगे आना चाहिए था,वे अपने दरवाजे बंद कर चुके हैं ?क्या धार्मिक संस्थाओं का असली मकसद आमलोगों की मदद करना नहीं है. बहुतों के लिए भगवान संरक्षक के समान हैं और सलामती के लिए वे सालों भर पूजा करते हैं. लेकिन जब मानवता संकट में होती है तो आमतौर पर सबसे पहले मैदान छोड़ने वाले भगवान ही होते हैं.

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कैथोलिकों के पवित्र स्थल वैटिकन में भी कोरोनावयरस पाया जा चुका है. माना जाता है कि पोप गॉड से संवाद कर सकते हैं. इस समय तो उन्हें बात करनी चाहिए थी.वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ने से वैटिकन की स्थिति खराब है और पोप जनता के सामने उपस्थित होने से बच रहे हैं.

वैटिकन में अनेक ईसाई धार्मिक त्योहार मनाये जाते हैं. होली वीक,गुडफ्राइडे और ईस्टर समेत सारे भावी कार्यक्रम और धार्मिक सभाओं पर रोक लगा दी गयी है.

हिन्दू मंदिरों के पुजारी मुँह पर मास्क डाले घूम रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ मंदिरों में तो देवी देवताओं के चेहरे पर भी मास्क लगा दिए गए हैं.

धर्म और अंधविस्वास आमतौर पर एक दूसरे के पूरक होते हैं. तारापीठ बन्द है.वहाँ फूल आशीर्वाद और चरणामृत लेने वाले लोगों की भीड़ नहीं है. तिरुपति और शिरडी साईं बाबा मंदिर में शाम की पूजा और आरती को बड़ी स्क्रीनों पर दिखाया जा रहा है. क्या ये सब अविश्वसनीय नहीं है ?भगवान कहाँ हैं ?क्या धार्मिक लोगों के मन में सवाल नहीं उठता.

सरकारों को तमाम धार्मिक संस्थानों को दिए जाने वाले अनुदान और सब्सिडी पर रोक लगानी चाहिए.दुनिया भर के पोप, पुजारी,मौलवी और अन्य धार्मिक नेता लोगों की गाढ़ी कमाई खाते हैं. लेकिन जरूरत के समय वे उनके किसी काम के नहीं निकलते.इसके बजाय वे लोग झूठ और अवैज्ञानिक तथ्यों की घुट्टी पिलाते हैं.इन सारे धर्मों ने नुकसान पहुँचाने के अलावा सदियों से और किया ही क्या है ? महिलाओं के निरंतर उत्पीड़न,दंगे,विभाजन,खून खराबे और नफरत फैलाने के अलावे इनका क्या काम रहा है.

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धार्मिक स्थलों को संग्राहलयों,विज्ञान अकादमियों,प्रयोगशालाओं और कला विद्यालयों में बदल दिया जाना चाहिए ताकि आम जनता के भलाई में काम आ सके.प्रकृति ने बार बार दिखलाया है और साबित किया है कि कोई भगवान नहीं है. धर्म एक परिकथा मात्र है. जहाँ कहीं भी गरीबी,सामाजिक असमानतायें ,स्त्री विरोधी और बर्बरता है. वहाँ भगवान और पूजा पाठ पर अतिनिर्भरता अधिक देखी जा सकती है.

जब कोरोना वायरस महामारी तेज गति से कई देशों में फैलते जा रहा है. अधिकांशतः धार्मिक सभायें और समारोह स्थगित कर दिए गए हैं. अस्वस्थता और बीमारियों से सुरक्षा पाने के लिए आमतौर पर अपने आस पास के मंदिरों ,मस्जिदों,गिरजाघरों और अन्य पूजा स्थल की शरण में न जाकर अस्पतालों और कवारेंटाईन केंद्रों में जा रहे हैं.  इस बार कोरोना काल में स्पष्ट हो चुका की रोगों का उपचार अल्लाह,देवता या भगवान नहीं करते.मनुष्यों की रक्षा अलौकिक शक्ति नहीं करती ,बल्कि उन्हें अन्य मनुष्य ही बचाते हैं. धार्मिक लोगों को इस समय अपने अपने देवताओं की कृपा का नहीं ,बल्कि एक टीके का इंतजार है. धार्मिक पागलपन से छुटकारा पाने और तार्किकता को गले लगाने का भला इससे बढ़िया वक्त क्या होगा ?

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देश को उत्पादन चाहिए, भूख बिमारी से छुटकारा चाहिए तो धर्म के सहारे तो नहीं मिलेगी.

सुशांत के निधन के 1 महीने बाद गर्लफ्रेंड रिया ने शेयर की ये फोटो, लिखा इमोशनल पोस्ट

बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत को याद करते हुए आज भी फैंस की आंखें नम हो जाती हैं. फैंस सुशांत को भूल नहीं पा रहे हैं. कई तरह के पोस्ट आएं दिन सोशल मीडिया पर देखने को मिलते रहते हैं.

वहीं सुशांत के निधन के 1 महीने बाद गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती ने सुशांत को याद करते हुए अपने व्हाट्स अप पर सुशांत के साथ फोटो लगाई है. इस फोटो  में सुशांत और रिया एक दूसरे के साथ बहुत खुश नजर आ रहे हैं. दोनों प्यारे से कपल लग रहे हैं.

इस फोटो को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि रिया चक्रवर्ती सुशांत सिंह राजपूत को बहुत ज्यादा मिस कर रही हैं.

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इतना ही नहीं रिया ने अपने इंस्टा अकाउंट पर सुशांत के साथ दो फोटो पोस्ट करते हुए एक इमोशनल लेटर भी लिखा है जिसमें उन्होंने अपना हाल ए दिल कुछ यूं बयां किया है-

‘मेरा दिल अब भी तुमको भुला नहीं पा रहा है. तुमने मुझे प्यार पर यकीन करना सिखाया था. तुम्हारी वजह से मुझको गणित बहुत आसान लगने लगी थी. मैं तुमसे रोजाना कुछ न कुछ नया सीखती थी. मैं तुमको कभी खुद से दूर नहीं करना चाहती थी लेकिन अब हम कभी नहीं मिल सकेंगे.’

‘मुझे पता है तुम जहां भी हो वहां पर खुश हो क्योंकि एक महान भौतिक विज्ञानी का तारों और गैलेक्सी ने बहुत ही शान से स्वागत किया होगा. तुम इंडस्ट्री का सबसे बड़ा सितारा बनने का ख्वाब देखते थे लेकिन तुम अब खुद एक बेशकीमती तारा बन चुके हो. मैं रोज तुम्हारा आसमान में इंतजार करुंगी. जब भी कोई तारा टूटेगा मुझे तुम याद आओगे. उस समय मैं अपनी विश तुमको जरुर बताऊंगी.’

‘सुशांत सिंह राजपूत तुम एक महान इंसान थे. मैं अपने शब्दों से बयान नहीं कर सकती कि तुमने मुझसे कितना प्यार किया था. तुमने दिल खोलकर मुझे प्यार दिया है. मैं तुम्हारी आत्मा की शांति की दुआ करती हूं. तुमको खोए हुए आज 30 दिन बीत चुके हैं. मैं जिंदगीभर तुमसे ऐसे ही प्यार करती रहूंगी. मैं वादा करती हूं कि हम दोनों का प्यार हमेशा ऐसे ही जिंदा रहेगा.’

 

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Still struggling to face my emotions.. an irreparable numbness in my heart . You are the one who made me believe in love, the power of it . You taught me how a simple mathematical equation can decipher the meaning of life and I promise you that I learnt from you every day. I will never come to terms with you not being here anymore. I know you’re in a much more peaceful place now. The moon, the stars, the galaxies would’ve welcomed “the greatest physicist “with open arms . Full of empathy and joy, you could lighten up a shooting star – now, you are one . I will wait for you my shooting star and make a wish to bring you back to me. You were everything a beautiful person could be, the greatest wonder that the world has seen . My words are incapable of expressing the love we have and I guess you truly meant it when you said it is beyond both of us. You loved everything with an open heart, and now you’ve shown me that our love is indeed exponential. Be in peace Sushi. 30 days of losing you but a lifetime of loving you…. Eternally connected To infinity and beyond

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सुशांत ने कई हिट फिल्म देने के बाद लोगों के दिल में जगह बना लिया था. सुशांत के मौत के बाद यह खुलासा हुआ था कि सुशांत डिप्रेशन के शिकार थें. रिपोर्ट की माने तो सुशांत ने 14 जून को आत्महत्या करने से पहले सबसे पहला कॉल रिया चक्रवर्ती को किया था.

लेकिन रिया ने सुशांत के कॉल का जवाब नहीं दिया था पता चला था कि सुशांत और रिया में कुछ अनबन चल रही थी.

सुशांत के मामले में रिया चक्रवर्ती से पुलिस ने करीब 10 घंटे तक पूछताछ किया था. इस मामले में करीब 28 से ज्यादा लोगों का बयान दर्ज किया जा चुका है.

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सुशांत सिंह राजपूत के जाने का गम पूरी फिल्म इंडस्ट्री से लेकर फैंस तक के लोगों को है. सुशांत की फैंमली अभी भी सुशांत के जाने के सदमे से बाहर नहीं आ पाई है.

वहीं सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा ‘ उनके मौत के बाद रिलीज होने वाली है. यह फिल्म सुशांत के जीवन की आखिरी फिल्म है. फैंस इस फिल्म में सुशांत को खूब पसंद कर रहे हैं. वहीं सुशांत की एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखड़े भी सुशांत के सदमे से बाहर नहीं आ पाई हैं.

सास से सिर्फ 16 साल छोटी हैं प्रियंका चोपड़ा, इस खास अंदाज में किया बर्थ डे विश

बॉलीवुड स्टार प्रियंका चोपड़ा शादी के बाद अपने ससुराल अमेरिका में सेटल हो चुकी हैं. प्रियांका इन दिनों अपनी शादी शुदा जिंदगी को खूब एंजॉय कर रही हैं. अदाकारा इस बात की जानकारी आएं दिन अपने सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस देती रहती हैं.

हाल ही में प्रियंका चोपड़ा ने अपनी सासू मां के साथ एक तस्वीर शेयर की थी. प्रियंका ने इस तस्वीर को अपनी सास के जन्मदिन के मौके पर शेयर किया था. साथ ही प्रियंका ने फोटो के साथ बेहद ही शानदार कैप्शन भी लिखा था.

प्रियंका ने लिखा है कि जन्मदिन मुबारक हो मामा जे, आपके ढ़ेर सारे प्यार और दुलार के लिए धन्यवाद. मैं बहुत खुशी हूं कि आप यहां हैं और हम इस दिन खास तरह से सेलिब्रेट करेंगे. लव यू सो मच

बता दें प्रियंका चोपड़ा अपनी सासू मां से सिर्फ 16 साल छोटी हैं. दोनों की बॉडिग बेहद शानदार है. हमेशा एक -दूसरे का साथ एजॉय करती नजर आती हैं.

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प्रियंका चोपडा की क्यूट सी ये पोस्ट सभी फैंस का दिल जीत लिया है. देसी गर्ल के फोटो शेयर करते ही करीब 3 लाख से ज्यादा लाइक आ चुके हैं.

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वहीं निक जोनस ने भी अपनी मां को बहुत शानदार अंदाज में विश का है. निक जोनस ने भी अपनी मां के लिए खूब सारा प्यार बरसाया है.

बात करें प्रियंका चोपड़ा की तो वह शादी के बाद अपने काम को लेकर बहुत ज्यादा बिजी हो गई हैं. वहीं प्रियंका ने हाल ही में अमेजन के साथ मल्टी मिलियन्स की डील साइन की है.

 

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Love you mom. Happy birthday! ?

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प्रियंका ने आज अपना नाम अपने संधर्ष और मेहनत से हासिल किया है. अमेजन के डील के बाद प्रियंका ने अलग-अलग भाषाओं में डील साइन की है. उन्होंने लिखा है कि मैं हमेशा से कहानी सुनाने के लिए एक अलग विचार तलाशती रहती हूं. मैं अपने विचार से लोगों को ऊंचाई तक पहुंचाना चाहती हूं.

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प्रियंका और निक की जोड़ी को फैंस खूब पसंद करते हैं. इस तरह प्रियंका और निक अपे शादी शुदा जीवन में खूब खुश हैं.

Crime Story: लौकडाउन में लुट गया बैंक

सौजन्य- मनोहर कहनियां

भारत में लोगों की सुविधा के लिए अलगअलग नामों से ग्रामीण बैंकों की शाखाएं खोली गई हैं, जो किसानों और ग्रामीण कामगारों के लिए मुफीद हैं. ये शाखाएं लोगों के बचत खाते भी चलाती हैं और उन की जरूरत के हिसाब से लोन भी देती हैं. ऐसे ही एक ग्रामीण बैंक औफ आर्यावर्त की शाखा जिला मथुरा के दामोदरपुरा में है. यह शाखा कचहरी से औरंगाबाद जाने वाली रोड के किनारे बसे पूरन वाटिका की पहली मंजिल पर है.

इस बैंक में कुल जमा 5 कर्मचारी हैं. 12 मई, 2020 को तो कुल 3 ही कर्मचारी थे, क्योंकि एक महिला छुट्टी पर थी और बैंक मैनेजर प्रभात कुमार किसी काम से बाहर गए हुए थे.

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दोपहर करीब ढाई बजे का समय था. चारों ओर लौकडाउन का सन्नाटा फैला था. लंच ब्रेक के बाद बैंककर्मियों को बैंक के गेट का चैनल खोले अभी 5 मिनट ही हुए थे कि 5 नकाबपोश बैंक में आए. उस समय बैंक की कैशियर सृष्टि सक्सेना, सहायक शाखा प्रबंधक नीलम गर्ग और नरेंद्र चौधरी बैंक में मौजूद थे.

तब तक तीनों बैंककर्मी अपनीअपनी सीट पर बैठ कर काम करने लगे थे. जो 5 लोग बैंक के अंदर आए थे, उन्होंने गेट में प्रवेश करने के बाद एकदो मिनट तो ग्राहक बनने का नाटक किया.

जब कैशियर सृष्टि ने उन से पूछा कि बताइए क्या काम है? तो बदमाश अपने असली रूप में आ गए और अपने तमंचे कैशियर सहित दोनों कर्मचारियों की ओर तान दिए. बदमाशों ने उन्हें धमकी देते हुए कहा, ‘‘जैसा हम कहें, वैसा करते रहो, वरना तीनों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा.’’

बैंक में उस समय कोई ग्राहक नहीं था, इसलिए बदमाशों ने बड़ी फुरती से बैंक के तीनों कर्मचारियों के मोबाइल फोन छीन लिए. हथियार देख कर सभी बैंककर्मी डर गए. बदमाशों के तेवरों से भयभीत कैशियर सृष्टि सक्सेना ने अपने पास मौजूद कैश उन्हें दे दिया.

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इस के बाद बदमाशों ने सृष्टि से स्ट्रांग रूम में चलने को कहा. आनाकानी करने पर एक बदमाश ने उन की कनपटी पर तमंचा सटा दिया. 2 बदमाश कैशियर को स्ट्रांग रूम में ले गए. तब तक बाकी बदमाश शेष 2 बैंक कर्मियों पर तमंचे ताने रहे. कैश इकट्ठा

करने के बाद कैशियर को स्ट्रांग रूम में तथा अन्य स्टाफ को बाथरूम में बंद कर लुटेरे भाग गए.

भागते समय लुटेरे लूटे गए रुपए दोनों महिला बैंककर्मियों के बैगों में भर कर ले गए. इस दौरान न तो बैंक का सायरन ही बजा और न ही किसी बैंककर्मी ने शोर मचाया. दरअसल, अलार्म केवल मैनेजर औफिस में था और मैनेजर उस समय बैंक में नहीं थे.  कुछ देर बाद 2 बैंककर्मी बाथरूम के दरवाजे को धकेल कर बाहर आए और कैशियर सृष्टि सक्सेना को स्ट्रांग रूम से निकाला.

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बदमाशों के जाने के 10 मिनट बाद बैंककर्मी नरेंद्र और नीलम बैंक से बाहर निकले. नरेंद्र नीचे उतर कर आए तो उन्हें सभी के मोबाइल सीढि़यों पर रखे मिल गए. कैशियर ने घटना की खबर मैनेजर प्रभात कुमार के साथसाथ 112 नंबर पर काल कर पुलिस को दी. मैनेजर ने भी लूट की सूचना थाना सदर बाजार पुलिस को दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सत्यपाल देशवाल सहित सीओ (सिटी) आलोक दुबे, एसपी (सिटी) अशोक मीणा मौके पर पहुंच गए. बाद में एसएसपी गौरव ग्रोवर और आईजी ए. सतीश गणेश ने भी मौकामुआयना किया. फोरैंसिक टीम भी बैंक पहुंच गई थी.

बैंक लूट के प्रत्यक्षदर्शी तीनों बैंक कर्मचारियों ने बदमाशों का उग्र रूप देखा था और डर गए थे. कैशियर सृष्टि सक्सेना ने बताया कि बैंक में घुसे पांचों बदमाशों ने मुंह पर कपड़ा बांध रखा था. कोरोना संक्रमण के चलते कपड़ा बंधे होने पर शक नहीं हुआ. उन लोगों के बैंक में घूमने पर जब टोका गया तो बदमाशों ने तमंचे निकाल कर सभी को निशाने पर ले लिया. उस समय बैंक में कोई कस्टमर भी नहीं था.

सहायक शाखा प्रबंधक नीलम गर्ग ने बताया कि हम सभी अपनीअपनी सीट पर काम कर रहे थे. लंच समाप्त हुए 5 मिनट ही हुए थे. लौकडाउन के चलते बैंक के नीचे की दुकानें भी बंद थीं. बदमाशों द्वारा तमंचे निकालने पर वह काफी डर गई थीं. लगा जैसे मौत सामने ही खड़ी है.

कोई मदद करने वाला भी नहीं था. इसी दौरान बदमाशों ने हम सभी के मोबाइल छीन लिए थे. लूट के बाद बदमाश धमकाते हुए चले गए. उन्होंने बताया कि बदमाश बैंक से 21 लाख 17 हजार 400 रुपए लूट कर ले गए. तमंचे के बल पर बैंक लूट को अंजाम दे कर लुटेरे पुलिस को चुनौती दे गए थे. पुलिस बदमाशों को घेरने में जुट गई.

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लौकडाउन की वजह से नीचे की दुकानें भी बंद थी. सन्नाटे के चलते बदमाशों को भागने में आसानी हुई. वहां मौजूद एक ग्रामीण ने बदमाशों को आते और जाते देखा था. उस ने पुलिस को बताया कि बदमाश 2 मोटरसाइकिलों पर आए थे.

मोटरसाइकिल बैंक के नीचे खड़ी कर वे बैंक में गए थे. थाना सदर पुलिस ने मैनेजर प्रभात कुमार की तरफ से अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूट की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

 

लौकडाउन के कारण थाना सदर बाजार पुलिस ने कृष्णानगर तिराहे से औरंगाबाद तक पुलिस की 5 पिकेट लगा रखी थीं. इन के बीच में ही बैंक है. कृष्णानगर तिराहे पर पिकेट के बाद टैंक चौराहे पर पिकेट, इस के बाद कचहरी से औरंगाबाद के रास्ते में दामोदरपुरा का बैंक है.

इस के अलावा गोकुल बैराज और औरंगाबाद पर भी पुलिस पिकेट तैनात थी. बदमाशों के पुलिस से बच निकलने के 2 ही कारण थे, या तो वे पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर निकल भागे या फिर बीच के रास्तों से ही आए और वहीं से चले गए.

 

बताते चलें कि बैंक के निकट से ही राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर जाने के लिए आर्मी एरिया से रास्ता जाता है, जहां पर पुलिस से आमनासामना होने की आशंका नहीं थी. वहीं दूसरी ओर औरंगाबाद से पहले बैराज की तरफ कच्चा रास्ता जाता है, जहां से बदमाश जमुनापार निकल सकते थे.

इतना कुछ होने के बाद भी लुटेरे बेखौफ लूट को अंजाम दे कर पुलिस को चकमा दे भाग निकले थे. कड़ी सुरक्षा के बीच दिनदहाड़े बैंक लूट की वारदात से क्षेत्र में सनसनी फैल गई. वहीं लूट की यह घटना पुलिस के लिए चुनौती बन गई थी.

पुलिस ने जांच की तो पता चला बैंक का सीसीटीवी कैमरा पिछले 6 महीने से खराब था और बैंक में सुरक्षा गार्ड भी नहीं था. कोई बैंककर्मी अलार्म बजाने की हिम्मत नहीं कर सका.

पुलिस ने बैंक और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले. बदमाशों ने मात्र 10 मिनट में ही लूट की वारदात को अंजाम दिया था. घटना के बाद पुलिस ने कई रास्तों की कड़ी नाकेबंदी कर दी.

बदमाशों ने लूट की वारदात को जिस तरह अंजाम दिया, उस से लग रहा था कि वे पहले से ही बैंक की रेकी कर चुके थे. उन्होंने पता लगा लिया था कि कब बैंक में भीड़ कम रहती है. इसीलिए लूट के लिए उन्होंने दोपहर लगभग ढाई बजे का समय तय किया.

 

दोपहर ढाई बजे लंच समाप्त हुआ. बैंककर्मियों ने जैसे ही गेट का चैनल खोला, 2 बज कर 35 मिनट पर बदमाश बैंक में घुस गए और फिल्मी अंदाज में लूट की वारदात को अंजाम दे कर फरार हो गए.

बदमाशों ने कोरोना वायरस को ले कर प्रशासन द्वारा किए गए लौकडाउन का भरपूर फायदा उठाया. बदमाशों ने कपड़ों से चेहरा छिपा रखा था. चूंकि मास्क लगाना अनिवार्य था, इसी वजह से बैंककर्मियों को उन पर शक नहीं हुआ.

एडीजी अजय आनंद ने दूसरे दिन ग्रामीण बैंक औफ आर्यावर्त पहुंच कर 10 मिनट के भय और आतंक के साए की हर पल की जानकारी ली, जबकि पहले दिन आईजी ए. सतीश गणेश ने पूछताछ की थी.

एडीजी ने 21.17 लाख रुपए की लूट की घटना के हर पहलू की कैशियर से ले कर प्रबंधक तक से जानकारी ली. वह बैंक कैशियर सृष्टि को ले कर स्ट्रांग रूम में भी गए और पूछा कि बदमाशों ने किस तरह तमंचों के बल पर कैश लूटा था. इस के साथ ही बदमाशों के कपड़े और कदकाठी की भी पूछताछ की.

इस तरह से उन्होंने पूरी घटना का रिहर्सल किया. इस के साथ ही बैंक प्रबंधन तथा बैंककर्मियों को विश्वास दिलाया कि वारदात का शीघ्र खुलासा करेंगे. बैंककर्मियों का दूसरा दिन पुलिस की जांच और तहकीकात में गुजरा.

आगरा के एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र के थाना बरहन के आंवलखेड़ा स्थित आर्यावर्त बैंक में 29 जनवरी को दिनदहाड़े 5 बदमाशों ने डकैती को अंजाम दिया था. बदमाश बैंक से लाखों की रकम लूट कर ले गए थे.

पुलिस मथुरा के आर्यावर्त बैंक में हुई इस लूट की वारदात को भी एत्मादपुर की बैंक लूट की वारदात से जोड़ कर चल रही थी. पुलिस उस लूट के आरोपियों की जानकारी जुटाने में लग गई.

इस लूट की घटना को खोलने के लिए पुलिस ने पूरी ताकत झोंक दी थी. लूट की घटना के कुछ घंटे बाद ही आईजी ए.सतीश गणेश के निर्देश पर लुटेरों तक पहुंचने के लिए सर्विलांस और स्वाट टीमों के साथसाथ 6 पुलिस टीमें तैयार कर दी गईं.

 

सभी टीमें अपनेअपने काम में लग गईं. पुलिस पिकेट ऐसे स्थानों पर लगाई गईं, जहां से कच्चे रास्तों से बदमाश जिले से बाहर निकल सकते थे. खुलासे में लगी टीमों ने 12 मई की रात से 13 मई की शाम तक मगोर्रा हाइवे सहित कई थाना क्षेत्रों में दबिश दे कर 10 बदमाशों को उठाया. थाने ला कर उन से गहनता से पूछताछ की गई. इस से पुलिस को काफी महत्त्वपूर्ण सुराग मिले.

40 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस को 14 मई, 2020 को बैंक लूट कांड का परदाफाश करने में सफलता मिल गई. थाना सदर बाजार में आयोजित प्रैसवार्ता में एसपी (सिटी) अशोक मीणा ने बैंक लूट का खुलासा करते हुए जानकारी दी कि 14 मई की सुबह मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि बदमाश बैंक से लूटे गए रुपयों का बंटवारा करने के लिए जल शोधन संस्थान पर एकत्र हैं. जहां वे किसी साथी के आने का इंतजार कर रहे हैं.

सूचना पर पुलिस ने जल शोधन संस्थान यमुना के किनारे से बैंक लूट में शामिल राहुल तिवारी उर्फ रवि, निवासी सतोहा असगरपुर, गौतम गुर्जर व अमन गुर्जर निवासी नगला बोहरा, थाना हाइवे, अवनीत चौधरी निवासी ऋषिनगर निकट बजरंग चौराहा, महोली रोड, थाना कोतवाली को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में एक महिला का नाम भी सामने आया. पुलिस ने योजना में शामिल रही महिला राजो पत्नी रामवीर निवासी अमरकालोनी, थाना हाइवे को मछली फाटक फ्लाईओवर के नीचे से लूट के रुपयों के बैग के साथ गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने बदमाशों के कब्जे से 17.10 लाख रुपए, 4 तमंचे, 11 कारतूस, 2 बैगों के साथ ही कुछ बैंक दस्तावेज भी बरामद किए. ये दोनों बैग बैंककर्मी दोनों महिलाओं के थे, जिन की अन्य जेबों में महिलाओं का डेली यूज का सामान रखा मिला.

दोपहर में गोकुल बैराज के पास बाइक पर जा रहे बदमाश परविंदर, निवासी लाजपत नगर से पुलिस की मुठभेड़ हो गई. पुलिस की गोली परविंदर के पैर में लगने से वह वहीं गिर पड़ा. परविंदर बिना नंबर की बाइक पर था.

घायल बदमाश को पुलिस ने उपचार के लिए जिला अस्पताल में भरती कराया. परविंदर के कब्जे से पुलिस ने लूट के 2 लाख 51 हजार 500 रुपए, बाइक, एक तमंचा और कारतूस बरामद किए.

 

मुठभेड़ कर के परविंदर को गिरफ्तार करने वाली टीम में थानाप्रभारी (सदर बाजार) सत्यपाल देशवाल, स्वाट प्रभारी सदुवन राम गौतम, सर्विलांस प्रभारी इंसपेक्टर जसवीर सिंह, एसओजी प्रभारी सुलतान सिंह आदि शामिल थे. बैंक लूट का मास्टरमाइंड सम्राट गुर्जर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा. वह हाइवे थाने का हिस्ट्रीशीटर है.

सम्राट गुर्जर ने बैंक लूट की ऐसी साजिश रची कि पुलिस घटना को खोल भी ले तो उस तक न पहुंच पाए. लूट की पटकथा रचने वाला नगला बोहरा निवासी सम्राट गुर्जर खुद घटना को अंजाम देने बैंक नहीं आया था. वह घटना के समय आसपास कहीं खड़ा हो कर टोह ले रहा था. उस के खिलाफ विभिन्न थानों में एक दरजन से ज्यादा मामले दर्ज हैं.

मास्टरमाइंड सम्राट ने खुद को बचाने के लिए मास्टर स्ट्रोक खेला था. उस ने अपने 2 भतीजों गौतम और अमन तथा 2 अन्य साथियों को ले कर बैंक लूट की पटकथा तैयार की थी. सारी योजना उस की खुद की बनाई हुई थी. लेकिन घटना को अंजाम देने वाले दूसरे लोग थे.

पकड़े गए बदमाशों ने पुलिस को बताया कि सफलतापूर्वक घटना को अंजाम देने के बाद वह अपना हिस्सा ले कर फरार हो गया. वहीं पकड़ी गई महिला राजो पकड़े गए गौतम और अमन की बुआ तथा सम्राट गुर्जर की बहन है. पुलिस के अनुसार राजो का काम लूट के माल की हिफाजत करना था. पुलिस को शक है कि एक सीसीटीवी फुटेज में लूट की घटना के बाद एक महिला बैंक के बाहर खड़ी हो कर रखवाली करती दिखी थी, वह संभवत: राजो ही थी.

बैंक लूट की इस घटना के बाद सीसीटीवी फुटेज न मिलने से पुलिस हताश हो गई थी. उसे लगा कि घटना का खुलासा मुश्किल होगा. लेकिन लूट के बाद बदमाशों को भागते देख रहे एक ग्रामीण ने पुलिस को लूट की चाबी पकड़ा दी थी. इस चाबी के बाद पुलिस चंद घंटों में ही बदमाशों तक पहुंच गई थी.

दरअसल, हुआ यह था कि घटना के बाद बैंक के बाहर मौजूद ग्रामीणों से पुलिस ने पूछताछ की तो एक ग्रामीण को बदमाशों द्वारा लूट में प्रयोग की गई एक मोटरसाइकिल का नंबर याद आ गया था. यह नंबर उस ने पुलिस को बता दिया. यहां तक कि ग्रामीण की तेज नजरों से मोटरसाइकिल के एक नंबर को घिस कर खत्म करने की चालाकी भी नहीं छिप सकी थी.

पुलिस ने जब उस नंबर की जांच की तो मोटरसाइकिल मालिक की सारी डिटेल्स मिल गई. पुलिस मोटरसाइकिल मालिक के पते पर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला, जिस से पुलिस को उस पर शक हो गया. तब पुलिस ने उस की व उस के साथियों की तलाश शुरू की. लेकिन पुलिस के हाथ कोई नहीं लगा. पुलिस भांप गई कि घटना को इसी गैंग ने अंजाम दिया है.

इस के बाद मुखबिरों को लगा दिया गया और लुटेरे पुलिस के जाल में फंस गए. दरअसल बैंक की चेस्ट में कुछ पैसा इस प्रकार का रखा जाता है, जिस का प्रयोग बैंक कभी नहीं करते हैं. यह पैसा सिर्फ इसी प्रकार की घटना में बदमाशों को फंसाने के लिए रखा जाता है.

बैट मनी के नोटों के नंबर बैंक के रिकौर्ड में दर्ज होते हैं. इस तरह की बैट मनी ग्रामीण बैंक औफ आर्यावर्त में भी थी, जिसे बदमाश लूट कर ले गए थे. पुलिस ने जब लूट की रकम बरामद की थी, उस में बैट मनी भी पुलिस को मिली थी. बैंक रिकौर्ड में यह नंबर कोर्ट में बदमाशों के खिलाफ मजबूत सबूत बनेंगे.

17 मई को पुलिस के हाथ एक और महत्त्वपूर्ण कड़ी लगी. पुलिस ने ग्रामीण बैंक औफ आर्यावर्त की सौख रोड स्थित शाखा के चपरासी शांतनु, निवासी असगरपुर सतोहा को यमुना पुल के पास से गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस की जानकारी में आया था कि इसी चपरासी ने बैंक की दामोदरपुरा स्थित शाखा में लूट के लिए बदमाशों की मुखबिरी की थी. उस ने दामोदरपुरा की बैंक शाखा के संबंध में सभी सूचनाएं बदमाशों को उपलब्ध कराई थीं.

शांतनु ने सम्राट गुर्जर गैंग के बदमाशों को सौंख रोड स्थित बैंक की शाखा को लूटने की सलाह दी, लेकिन बाद में योजना बदल गई और दामोदरपुरा स्थित शाखा में लूट की गई. बैंक चपरासी शांतनु के पास से 5500 रुपए की बैंक की बैट करेंसी भी बरामद हुई है. लुटेरों ने लूट की योजना घटना से 15 दिन पहले बनाई थी.

पुलिस ने बैंक  लूट के 21.18 लाख रुपयों में से लगभग 19.67 लाख रुपए बरामद कर इस घटना में शामिल महिला सहित 7 लुटेरों को गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया. बैंक लूट की घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को एसएसपी गौरव ग्रोवर ने 50 हजार रुपए ईनाम देने की घोषणा की.

एक नदी पथभ्रष्टा

लेखक- पूर्वा श्रीवास्तव 

एक नदी पथभ्रष्टा- भाग 3: शुभा मानसी को देख क्यों चौक गई थी?

लेखक- पूर्वा श्रीवास्तव 

‘‘नहीं. उसे मैं धोखेबाज नहीं कहूंगी,’’ फिर होंठों पर व्यंग्य की मुसकान भर कर बोली, ‘‘वह तो शायद प्रेम की तलाश में अभी भी भटकता फिर रहा होगा. यह और बात है कि इस कलियुग में ऐसी कोई सती सावित्री उसे नहीं मिल पाएगी, जो पुजारिन बनी उसे पूजती हुई जोगन का बाना पहन कर उस के थोथे अहं को तृप्त करती रहे. बस, यही नहीं कर पाई मैं. अपना सबकुछ समर्पित करने के बदले में उस ने भी मुझ से एक प्रश्न ही तो पूछा था, मात्र एक प्रश्न, जिस का जवाब मैं तो क्या दुनिया की कोई नारी किसी पुरुष को नहीं दे पाई है. मैं भी नहीं दे पाई,’’ मानसी की आंखें फिर छलक आईं, जैसे बीता हुआ कल फिर उस के सामने आ खड़ा हुआ.

‘‘जाने दे मानू, जो तेरे योग्य ही नहीं था, उस के खोने का दुख क्यों?’’ शुभा ने उसे सांत्वना देने के लिए कहा. लेकिन मानसी अपने में ही खोई बोलती रही, ‘‘आज भी मेरे कानों में उस का वह प्रश्न गूंज रहा है, मैं यह कैसे मान लूं कि जो लड़की विवाह से पहले ही एक परपुरुष के साथ इस हद तक जा सकती है, वह किसी और के साथ…’’

‘‘छि:,’’ शुभा घृणा से सिहर उठी.

उस के चेहरे पर उतर आई घृणा को देख कर मानसी हंस पड़ी, ‘‘तू घृणा तो कर सकती है, शुभी, मैं तो यह भी नहीं कर सकी थी. आज सोचती हूं तो तरस ही आता है खुद पर. जिसे मैं देवता मान रही थी, वह तो एक मानव भी नहीं था. और हम मूर्ख औरतें… क्या है हमारा अस्तित्व? हमारे ही त्याग और समर्पण से विजेता बना यह पुरुष हमारी कोमल भावनाओं को कुचलने के लिए, बस, एक उंगली उठाता है और हम औरतों का अस्तित्व कुम्हड़े की बत्तिया जैसे नगण्य हो जाता है.’’ आवेश से मानसी का चेहरा तमतमा उठा.

अपने गुस्से को पीती हुई मानसी आगे बोली, ‘‘जानती है शुभा, उस दिन उस के प्रश्न के धधकते अग्निकुंड में मैं ने अपना अतीत होम कर दिया था और साथ ही भस्म कर डाला था अपने मन में पलता प्रेम और निष्ठा. पुरुष जाति के प्रति उपजी घृणा, संदेह और विद्वेष का बीज मेरे मन में जड़ जमा कर बैठ गया.’’

‘‘तो फिर यह नित नए पुरुषों के साथ…’’ शुभा हिचकिचाती हुई पूछ बैठी.

‘‘यह भी मैं ने मोहित से ही सीखा था. शुरूशुरू में मैं जब हिचकती या झिझकती तो वह यही कहता था, ‘इस में इतनी शरम या झिझक की क्या बात है. जैसे भूख लगने पर खाना खाते हैं, वैसे ही देह की भूख मिटाना भी एक सहज धर्म है,’ सो उस के दिखाए रास्ते पर चलती हुई उसी धर्म का पालन कर रही हूं मैं,’’ रोती हुई मानसी कांपते स्वर में बोली, ‘‘जब भूख लगती है, ठहर कर उसे शांत कर लेती हूं, फिर आगे बढ़ जाती हूं.’’

शुभा के चेहरे पर नफरत के भाव को भांप कर मानसी पलभर चुप रही, फिर ठंडी सांस छोड़ती हुई बोली, ‘‘निष्ठा और प्रेम के कगारों से हीन मैं वह पथभ्रष्टा नदी हूं, जो एक भगीरथ की तलाश में मारीमारी फिर रही है. मैं ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है, फिर भी सोचती हूं कि इस अस्तित्वहीन हो चुकी नदी को उबारने के लिए कोई भगीरथ कहां से आएगा?’’

देर तक दोनों सखियां गुमसुम  अपनेअपने खयालों में खोई रहीं. फिर सहसा जैसे कुछ याद आ गया. मानसी एकदम से उठ खड़ी हुई, ‘‘अच्छा, चलती हूं.’’

‘‘कहां?’’ शुभा एकदम चौंक सी पड़ी.

अपने होंठों पर वही सम्मोहक हंसी छलकाती हुई मानसी इठलाते स्वर में बोली, ‘‘किसी भगीरथ की तलाश में.’’

उस के स्वर में छिपी पीड़ा शुभा को गहरे तक खरोंच गई. तेज डग भरती मानसी को देखती शुभा ने मन ही मन कामना की, ‘सुखद हो इस पथभ्रष्टा नदी की एकाकी यात्रा का अंत.’

एक नदी पथभ्रष्टा- भाग 2 : शुभा मानसी को देख क्यों चौक गई थी?

लेखक- पूर्वा श्रीवास्तव 

अचानक ही मानसी के पत्रों में से मोहित का नाम गायब होने से शुभा चौंकी तो थी, किंतु मोहित और मानसी के संबंधों में किसी तरह की टूटन या दरार की बात वह तब सोच भी नहीं सकती थी.

‘‘क्या सोच रही हो मैडम, कहीं अपनी सखी के सुख से तुम्हें ईर्ष्या तो नहीं हो रही. अरे भाई, और किसी का न सही, कम से कम हमारा खयाल कर के ही तुम मानसी जैसी महान जीवन जीने वाली का विचार त्याग दो,’’ रंजीत की आवाज से शुभा का ध्यान भंग हो गया. उसे रंजीत का मजाक अच्छा नहीं लगा. रूखे स्वर में बोली, ‘‘मुझ से इस तरह का मजाक मत किया करो तुम. अब अगर मानसी ऐसी हो गई है तो उस में मेरा क्या दोष? पहले तो वह ऐसी नहीं थी.’’

शुभा के झुंझलाने से रंजीत समझ गया कि शुभा को सचमुच उस की बात बहुत बुरी लगी थी. उस ने शुभा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा. ‘‘अच्छा बाबा, गलती हो गई. अब इस तरह की बात नहीं करूंगा. आओ, थोड़ी देर मेरे पास तो बैठो.’’

शुभा चुपचाप रंजीत के पास बैठी

रही, पर उस का दिमाग मानसी

के ही खयालों में उलझा रहा. वह सचमुच नहीं समझ पा रही थी कि मानसी इस राह पर इतना आगे कैसे और क्यों निकल गई. रोजरोज किसी नए पुरुष के साथ घूमनाफिरना, उस के साथ एक ही फ्लैट में रात काटना…छि:, विश्वास नहीं होता कि यह वही मानसी है, जो मोहित का नाम सुनते ही लाज से लाल पड़ जाती थी.

पहली बार मोहित के साथ उस के प्रेमसंबंधों की बात स्वयं मानसी के मुंह से सुन कर भी शुभा को विश्वास नहीं हुआ था. भला उस के सामने क्या कहसुन पाती होगी वह छुईमुई. चकित सी शुभा उसे ताकती ही रह गई थी. किंतु जो बीत गया, वह भी एक सच था और जो आज हो रहा है, वह भी एक सच ही तो है.

उसे अपने ही खयालों में खोया देख कर रंजीत कुछ खीझ सा उठा, ‘‘ओफ, अब क्या सोचे जा रही हो तुम?’’

शुभा ने खोईखोई आंखों से रंजीत की ओर देखा, फिर जैसे अपनेआप से ही बोली, ‘‘काश, एक बार मानसी मुझे अकेले मिल जाती तो…’’

‘‘तो? तो क्या करोगी तुम?’’ रंजीत उस की बात बीच में काट कर तीखे स्वर में बोला.

‘‘मैं उस से पूछूंगी कल की मानसी से आज की इस मानसी के जन्म की गाथा और मुझे पूरा विश्वास है मानसी मुझ से कुछ भी नहीं छिपाएगी.’’

‘‘शुभा, मेरी मानो तो तुम इस पचड़े में मत पड़ो. सब की अपनीअपनी जिंदगी होती है. जीने का अपना ढंग होता है. अब अगर उस को यही तरीका पसंद है तो इस में मैं या तुम कर ही क्या सकते हो?’’ रंजीत ने उसे समझाने का प्रयास किया.

‘‘नहीं रंजीत, मैं उस मानसी को जानती हूं, उस के मन में, बस, एक ही पुरुष बसता था. उस पुरुष को अपना सबकुछ अर्पित कर उस में खो जाने की कामना थी उस की. यह मानसी एक ही पुरुष से बंध कर गौरव और गरिमामय जीवन जीना चाहती थी. किसी की पत्नी, किसी की मां होने की उस के मन में लालसा थी. मैं तो क्या, खुद मानसी ने भी अपने इस रूप की कल्पना नहीं की होगी, फिर किस मजबूरी से वह पतन की इस चिकनी राह पर फिसलती जा रही है?’’

शुभा को अपने प्रश्नों के उत्तर तलाशने में बहुत इंतजार नहीं करना पड़ा. एक दिन दोपहर के समय मानसी उस के दरवाजे पर आ खड़ी हुई. शुभा ने उसे बिठाया और कोल्डडिं्रक देने के बाद जैसे ही अपना प्रश्न दोहराया, मानसी का खिलखिलाता चेहरा सहसा कठोर हो गया. फिर होंठों पर जबरन बनावटी मुसकान बिखेरती हुई मानसी बोली, ‘‘छोड़ शुभी, मेरी कहानी में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो किसी का मन बहला सके. हां, डरती जरूर हूं कि कहीं तेरे मन में भी वही टीस न जाग उठे, जिसे दबाए मैं यहीं आ पहुंची हूं.’’

‘‘लेकिन क्यों? क्यों है तेरे मन में टीस? जिस आदर्श पुरुष की तुझे कामना थी, वह तो तुझे मिल भी गया था. वह तुझ से प्रेम भी करता था, फिर तुम ने उसे क्यों खो दिया पगली?’’

‘‘तुझे याद है, शुभी, बचपन में जब दादी हम लोगों को कहानियां सुनाती थीं तो अकसर पोंगापंडित की कहानी जरूर सुनाती थीं, जिस ने वरदान के महत्त्व को न समझ कर उसे व्यर्थ ही खो दिया था. और तुझे यह भी याद होगा कि दादी ने कहानी के अंत में कहा था, ‘दान सदा सुपात्र को ही देना चाहिए, अन्यथा देने वाले और पाने वाले किसी का कल्याण नहीं होता.’

‘‘हां, याद है. पर यहां उस कहानी का क्या मतलब?’’ शुभा बोली.

‘‘मोहित वह सुपात्र नहीं था, शुभी, जो मेरे प्रेम को सहेज पाता.’’

‘‘लेकिन उस में कमी क्या थी, मानू? एक पूर्ण पुरुष में जो गुण होने चाहिए, वह सबकुछ तो उस में थे. फिर उसे तू ने पूरे मन से अपनाया था.’’

‘‘हां, देखने में वह एक संपूर्ण पुरुष ही था, तभी तो उस के प्रति तनमन से मैं समर्पित हो गई थी. पर वह तो मन से, विचारों से गंवार व जाहिल था,’’ क्षोभ एवं घृणा से मानसी का गला रुंध गया.

‘‘लेकिन इतना आगे बढ़ने से पहले कम से कम तू ने उसे परख तो लिया होता,’’ शुभा ने उसे झिड़की दी.

‘‘क्या परखती? और कैसे परखती?’’ आंसुओं को पीने का प्रयास करती मानसी हारे स्वर में बोली, ‘‘मैं तो यही जानती थी कि कैसा ही कुपात्र क्यों न हो, प्रेम का दान पा कर सुपात्र बन जाता है. मेरा यही मानना था कि प्रेम का पारस स्पर्श लोहे को भी सोना बना देता है,’’ आंखों से टपटप गिरते आंसुओं की अनवरत धार से मानसी का पूरा चेहरा भीग गया था.

पलभर को रुक कर मानसी जैसे कुछ याद करने लगी.

शुभा चुपचाप मानसी के भीतर जमे हिमखंड को पिघलते देखती रही. मानसी फिर खोएखोए स्वर में बोलने लगी, ‘‘मैं यही तो नहीं जानती कि पत्थर की मूर्ति में भगवान बसते हैं या नहीं. अम्मा का बेजान मूर्ति के प्रति दृढ़ विश्वास और आस्था मेरे भी मन में जड़ जमाए बैठी थी. मोहित को समर्पित होते समय भी मेरे मन में किसी छलफरेब की कोई आशंका नहीं थी. अम्मा तो पत्थर को पूजती थीं, किंतु मैं ने तो एक जीतेजागते इंसान को देवता मान कर पूजा था. फिर समझ में नहीं आता कि कहां क्या कमी रह गई, जो जीताजागता इंसान पत्थर निकल गया.’’ यह कह कर वह सूनीसूनी आंखों से शून्य में ताकती बैठी रही.

शुभा कुछ देर तक उस का पथराया चेहरा देखती चुप बैठी रही. फिर कोमलता से उस के हाथों को अपने हाथ में ले कर पूछा, ‘‘तो क्या मोहित धोखेबाज…’’

एक नदी पथभ्रष्टा- भाग 1 : शुभा मानसी को देख क्यों चौक गई थी?

लेखक- पूर्वा श्रीवास्तव 

‘‘आज तुम्हारी वही प्रिय सखी फिर मिली थी,’’ टाई की गांठ ढीली करते हुए रंजीत ने कहा.

रंजीत के बोलने के ढंग से शुभा समझ तो गई कि वह किस की बात कर रहा है, फिर भी अनजान बनते हुए उस ने पूछा, ‘‘कौन? कौन सी सखी?’’

‘‘अब बनो मत. शुभी, तुम जानती हो मैं किस की बात कर रहा हूं,’’ सोफे पर बैठते हुए रंजीत बोला, ‘‘वैसे कुछ भी कहो पर तुम्हारी वह सखी है बड़ी ही बोल्ड. उस की जगह और कोई होता तो नजर बचा कर कन्नी काटने की कोशिश करता, लेकिन वह तो आंखें मिला कर बड़े ही बोल्ड ढंग से अपने साथी का परिचय देती है कि ये मिस्टर फलां हैं. आजकल हम साथ रह रहे हैं.’’

उस की हूबहू नकल उतारता रंजीत सहसा गंभीर हो गया, ‘‘समझ में नहीं आता, शुभी, वह ऐसा क्यों करती है. भला किस बात की कमी है उसे. रूपरंग सभी कुछ इतना अच्छा है. सहज ही उस के मित्र भी बन जाते हैं, फिर किसी को अपना कर सम्मानित जीवन क्यों नहीं बिताती. इस तरह दरदर भटकते हुए इतना निंदित जीवन क्यों जीती है वह.’’

यही तो शुभा के मन को भी पीडि़त करता है. वह समझ नहीं पाती कि मोहित जैसे पुरुष को पा कर भी मानसी अब तक भटक क्यों रही है? शुभा बारबार उस दिन को कोसने लगती है, जब मायके की इस बिछुड़ी सखी से उस की दोबारा मुलाकात हुई थी.

वह शनिवार का दिन था. रंजीत की छुट्टी थी. उस दिन शुभा को पालिका बाजार से कुछ कपड़े खरीदने थे, सो, रंजीत के साथ वह जल्दी ही शौपिंग करने निकल गई. पालिका बाजार घूम कर खरीदारी करते हुए दोनों ही थक गए थे. रंजीत और वह पालिका बाजार के पास बने पार्क में जा बैठे. पार्क में वे शाम की रंगीनियों का मजा ले रहे थे कि अचानक शुभा की नजर कुछ दूरी पर चहलकदमी करते एक युवा जोड़े पर पड़ी थी. युवक का चेहरा तो वह नहीं देख पाई, क्योंकि युवक का मुंह दूसरी ओर था, किंतु युवती का मुंह उसी की तरफ था. उसे देखते ही शुभा चौंक पड़ी थी, ‘मानसी यहां.’

बरसों की बिछुड़ी अपनी इस प्रिय सखी से मिलने की खुशी वह दबा नहीं पाई. रंजीत का हाथ जोर से भींचते हुए वह खुशी से बोली थी, ‘वह देखो, रंजीत, मानसी. साथ में शायद मोहित है. जरूर दोनों ने शादी कर ली होगी. अभी उसे बुलाती हूं,’ इतना कह कर वह जोर से पुकार उठी, ‘मानसी…मानसी.’

उस की तेज आवाज को सुन कर कई लोगों के साथ वह युवती भी पलटी थी. पलभर को उस ने शुभा को गौर से देखा, फिर युवक के हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर वह तेजी से भागती हुई आ कर उस से लिपट गईर् थी, ‘हाय, शुभी, तू यहां. सचमुच, तुझ से मिलने को मन कितना तड़पता था.’

‘रहने दे, रहने दे,’ शुभा ने बनावटी गुस्से से उसे झिड़का था, ‘मिलना तो दूर, तुझे तो शायद मेरी याद भी नहीं आती थी. तभी तो गुपचुप ब्याह कर लिया और मुझे खबर तक नहीं होने दी.’

अपनी ही धुन में खोई शुभा मानसी के चेहरे पर उतर आई पीड़ा को नहीं देख पाई थी. मानसी ने जबरन हंसी का मुखौटा चेहरे पर चढ़ाते हुए कहा था, ‘पागल है तू तो. तुझ से किस ने कह दिया कि मैं ने शादी कर ली है.’

‘तब वह…’ अचानक अपनी तरफ आते उस युवक पर नजर पड़ते ही शुभा चौंक पड़़ी, यह मोहित नहीं था. दूर से मोहित जैसा ही लगता था. शुभा अचकचाई सी बोल पड़ी, ‘‘तब यह कौन है? और मोहित?’’

बीच में ही मानसी शुभा की बात को काटते हुए बोली, ‘छोड़ उसे, इन से मिल. ये हैं, मिस्टर बहल. हम लोग एक ही फ्लैट शेयर किए हुए हैं. अरे हां, तू अपने श्रीमानजी से तो मिलवा हमें.’

मानसी के खुलेपन को देख कर अचकचाई शुभा ने जैसेतैसे उस दिन उन से विदा ली, किंतु मन में कहीं एक कांटा सा खटकता रहा. मन की चुभन तब और बढ़ जाती जब आएदिन रंजीत उसे किसी नए मित्र के साथ कहीं घूमते देख लेता. वह बड़े चटखारे ले कर मानसी और उस के मित्रों की बातें करता, रंजीत के स्वर में छिपा व्यंग्य शुभा को गहरे तक खरोंच गया.

कुछ भी हो, आखिर मानसी उस की बचपन की सब से प्रिय सखी थी. बचपन के लगभग 15 साल उन्होंने साथसाथ बिताए थे. तब कहीं कोई दुरावछिपाव उन के बीच नहीं था. यहां तक कि अपने जीवन में मोहित के आने और उस से जुड़े तमाम प्रेमप्रसंगों को भी वह शुभा से कह दिया करती थी. उस ने मोहित से शुभा को मिलवाया भी था. ऊंचे, लंबे आकर्षक मोहित से मिल कर शुभा के मन में पलभर को सखी से ईर्ष्या का भाव जागा था, पर दूसरे ही पल यह संतुष्टि का भाव भी बना था कि मानसी जैसी युवती के लिए मोहित के अतिरिक्त और कोई सुयोग्य वर हो ही नहीं सकता था.

कुदरत ने मानसी को रूप भी अद्भुत दिया था. लंबी छरहरी देह, सोने जैसा दमकता रंग, बड़ीबड़ी घनी पलकों से ढकी गहरी काली आंखें, घने काले केश और गुलाबी अधरों पर छलकती मोहक हंसी जो सहज ही किसी को भी अपनी ओर खींच लेती थी.

शुभा अकसर उसे छेड़ती थी, ‘‘मैं लड़का होती तो अब तक कब की तुझे भगा ले गई होती. मोहित तो जैसे काठ का उल्लू है, जो अब तक तुझे छोड़े हुए है.’’

मानसी का चेहरा लाज से लाल पड़ जाता. वह चिढ़ कर उसे चपत जमाती हुई घर भाग जाती. अचानक ही शुभा का विवाह तय हो गया और रंजीत के साथ ब्याह कर शुभा दिल्ली चली आई. कुछ दिनों तक तो दोनों तरफ से पत्रों का आदानप्रदान बड़े जोरशोर से होता रहा, लेकिन कुछ तो घर जमाने और कुछ रंजीत के प्रेम में खोई रहने के कारण शुभा भी अब पहले जैसी तत्परता से पत्र नहीं लिख पाती थी, फिर भी यदाकदा अपने पत्रों में शुभा मानसी को मोहित से विवाह कर के घर बसाने की सलाह अवश्य दे देती थी.

जमीन को दुरुस्त बनाते जुताई यंत्र

अच्छी पैदावार लेने के लिए जिस प्रकार से अच्छी प्रजाति के बीज व उर्वरक जरूरी हैं, उसी तरह से खेत की अच्छी जुताई होना भी जरूरी है. हम कितनी भी अच्छी क्वालिटी का खादबीज इस्तेमाल कर लें, लेकिन खेत की तैयारी ठीक नहीं हुई तो हमारी फसल पैदावार पर असर पड़ना लाजिम है.

जमीन की जुताई खेत तैयार करने का सब से पहला और बुनियादी काम भी है. गेहूं की फसल कटने के बाद गरमी के मौसम में तो जुताई का महत्त्व और भी बढ़ जाता है. गरमी के मौसम में खेत की जुताई कर के खेत खुला छोड़ देने पर तमाम तरह के कीटपतंगे मर जाते हैं और खरपतवार भी काफी हद तक खत्म हो जाते हैं. खेत की जुताई करने के लिए अनेक यंत्र आज बाजार में मौजूद हैं. खास तकनीक से बने ये जुताई यंत्र खेत की अच्छी जुताई करने में सक्षम होते हैं, जिन के इस्तेमाल से कम समय में अच्छी जुताई की जाती है.

विराट रोटरी टिलर

माशियो कंपनी का बना यह यंत्र जमीन की जुताई करने के लिए एक मजबूत बहुपयोगी रोटरी टिलर है. यह रोटरी टिलर किसी भी फसल के लिए अच्छी क्यारी बनाने में भी सक्षम है. यह सूखी या गीली मिट्टी में किसी भी हालत में काम करने वाला यंत्र है. यह खेत के पिछली फसल के अवशेषों को जड़ से निकाल कर उन्हें खेत में मिलाने का काम भी करता है.

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खास तकनीक से बने इस के मजबूत ब्लेड हर प्रकार की मिट्टी में अच्छी तरह से काम करते हैं और खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना कर के उसे एकसार बनाने का काम बखूबी करते हैं. कंपनी का कहना है कि इस यंत्र के खास इटैलियन ब्लैड हैं, जो घिसते कम हैं और लंबे समय तक चलते हैं. इस यंत्र का खास रखरखाव भी नहीं है. विराट रोटरी टिलर के अनेक मौडल कई साइजों में मौजूद हैं, जिन्हें अपनी जरूरत के मुताबिक लिया जा सकता है. जिन्हें 30 एचपी से 60 एचपी तक के सभी ट्रैक्टरों के साथ जोड़ कर चलाया जा सकता है.

खासीयतें : इस में हैवी ड्यूटी पीटीओ शाफ्ट, अच्छी क्वालिटी वाले इटैलियन ब्लैड, टिकाऊ साइड गियर ड्राइव, अधिक ताकतवर मल्टी स्पीड गियर ताकत और मजबूत फ्रेम जैसी अनेक खासीयतें हैं.

अधिक जानकारी के लिए आप कंपनी के मोबाइल नंबर 91-2138612500 पर संपर्क कर सकते हैं. या भारत एग्रो इंडस्ट्रीज के प्रोपराइटर विक्रम भारती से उन के मोबाइल नंबर 09315143151 या फोन नंबर 01692-230028 पर बात कर जानकारी ले सकते हैं.

फील्ड किंग रोटरी टिलर

बेरी उद्योग प्रा. लि. 4 प्रकार के मौडल फील्डकिंग रोटरी टिलर बना रही है.

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टर्मीनेटर मौडल : अधिक ब्लेड वाला यह टिलर मिट्टी को 7 इंच की गहराई तक में खोदता है और इस यंत्र के खास तरीके से बने ब्लेड ट्रैक्टर पर कम लोड डालते हैं, जिस से ईंधन की बचत होती है. बोरोन स्टील के बने ब्लेड सामान्य ब्लेडों के मुकाबले ज्यादा चलते हैं. इस यंत्र को 35 हार्सपावर से 60 हार्सपावर के ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जा सकता है.

दबंग मौडल : इस मौडल में वही सब खासीयतें है तो टर्मीनटर मौडल में है. पर इस को 35 हार्स पावर से 90 हार्स पावर तक के ट्र्रैक्टर से जोड़ कर चलाया जा सकता है. इस के अलावा 2 अन्य मौडल मिनी व रेगुलर भी हैं.

अधिक जानकारी के लिए आप कंपनी के फोन नंबर 91-1842221571/72,73 पर संपर्क कर सकते हैं. हिसार, हरियाणा की लक्ष्मी आटोमोबाइल पर भी ये यंत्र उपलब्ध हैं. चंदा पूनिया के मोबाइल नंबर 98121-49398 पर भी बात कर के यंत्र खरीद जा सकते हैं या कंपनी के ग्राहक सेवा केंद्र 0184-6656666 पर भी जानकारी ले सकते हैं.

प्रकाश रोटावेटर

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नवभारत इंडस्ट्रीज का बना प्रकाश रोटावेटर भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त रोटावेटर है और एफएमटीटीआई, हिसार से रजिस्टर्ड है. यह सूखी, गीली एवं हर तरह की जमीन में अच्छी तरह काम करता है. खेतों की पिछली फसल की जड़ों, खरपतवारों व घासफूस को जमीन में मिला देता है. जिस से खेती की जैविक कूवत बढ़ती है. यह रोटावेटर, गन्ना, केला, कपास, मक्का, धान, गेहूं, आलू से खाली हुए खेतों को बोआई लायक बनाने में कारगर है.

इस रोटावेटर की जानकारी के लिए आप कंपनी के मोबाइल नंबर 09897591803 व फोन नंबर 0562-4042153 पर संपर्क कर सकते हैं.

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योद्धा रोटावेटर

साइको एग्रोटेक कंपनी योद्धा के नाम से रोटावेटर बना रही है. 6 अलगअलग साइजों में उपलब्ध रोटावेटरों को 30-35 हार्सपावर से ले कर 60-70 हार्स पावर के टैक्टरों के साथ जोड़ कर चलाया जा सकता है. खास तकनीक से तैयार हैवी ड्यूटी गेयर बाक्स, सभी नटबोल्ट अच्छी क्वालिटी के स्टील से बने हैं. ट्रेलिंग बोर्ड को एडजैस्ट करने के लिए आटौमेटिक स्प्रिंग लगे हैं और बेयरिंग यंत्र को सील नमी और कीचड़ से बचाती है. पाउडर कोटिंग पेंट (भट्टी पेंट) इस यंत्र को जंग से बचाता है.

अधिक जानकारी के लिए फोन नंबर 01628-284188 या मोबाइल नंबरों 7087222688, 7087222788, 7087222588 पर संपर्क कर सकते हैं या आकाश जिंदल के मोबाइल नंबर 91-9855551894 पर भी बात कर सकते हैं.

मानसून स्पेशल: स्वाद और सेहत के लिए बनाए फल और मेवे से बनीं ये 5 चटनियां

चटनी हमारे भोजन की शान है. यदि खाने की थाली में कोई चटपटी चटनी मिल जाए तो खाने का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. चटपटी चटनी का सेवन तृप्ति का भाव तो देता ही है, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी चटनी बहुत लाभदायक होती है. लेकिन क्या आपने कभी फलों और ड्रायफ्रूट्स की चटनी खाई है? नहीं, तो चलिए
हम आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ रेसिपीज…

फलों और मेवों की चटनियां बनाने की विधियां:

मूंगफली की चटनी

सामग्री: 1 कप छिलका हटी मूंगफली भुनी हुई, 4-5 हरीमिर्चें, 1 छोटा चम्मच
चीनी, 1 बड़ा चम्मच नीबू का रस, नमक स्वादानुसार.

विधि: सारी सामग्री को मिला कर पीस लें. 8-10 दिन इस चटनी को फ्रिज में
रखा जा सकता है.

लाभ: मूंगफली प्रोटीन, आयरन, कैल्सियम व फास्फोरस का उत्तम स्रोत है. इस
से गैस की समस्या में आराम मिलता है.

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2. अंगूर की चटनी

सामग्री: 2 कप अंगूर, 50 ग्राम पिसी चीनी, चुटकी भर पिसी कालीमिर्च, 1/4
छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची 1/2 – 1/2 छोटे चम्मच भुना व पिसा जीरा व
काला नमक.

विधि: सारी सामग्री को मिला कर ग्राइंडर में 1 मिनट पीसें. पौष्टिक
खट्टीमीठी चटनी तैयार है. इसे 5-6 दिन तक रखा जा सकता है.

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3. खजूर व किशमिश की चटनी

सामग्री: 1 कप बिना बीज के खजूर, 1 कप किशमिश, 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च
पिसी, 1 छोटा चम्मच छोटी इलायची पिसी, 1-1 छोटा चम्मच काला नमक व भुने
जीरे का पाउडर, चुटकी भर हींग, 1 बड़ा चम्मच नीबू का रस, 1 छोटा चम्मच
गरममसाला, नमक स्वादानुसार.

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विधि: खजूर व किशमिश को गरम पानी से धो कर 1/2 घंटा भिगोए रखें. फिर सारी
सामग्री को मिक्सी में डाल कर पीस लें. इस चटनी को 8-10 दिन तक रखा जा
सकता है.

लाभ: किशमिश व खजूर दोनों ही आयरन के अच्छे श्रोत हैं. खजूर में खनिज,
फाइबर, कैल्सियम व विटामिन होते हैं.

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4. आलू बुखारे की चटनी

सामग्री: 250 ग्राम आलूबुखारे, 2 बड़े चम्मच किशमिश, 1 बड़ा चम्मच खजूर
कटे, 1-1 छोटा चम्मच काला नमक व भुना जीरा पाउडर, 1 छोटा चम्मच अदरक का
पेस्ट, 1 छोटा चम्मच लालमिर्च, 1/2 कप नीबू का रस, 1 बड़ा चम्मच चीनी
पिसी, नमक स्वादानुसार.

विधि: किशमिश, खजूर व आलूबुखारों को धो लें. अब आलूबुखारों को काट कर बीज
निकाल दें और फिर तीनों चीजों को नीबू के रस में 1 घंटे तक भिगोए रखें.
फिर सारी सामग्री को मिक्सी में बारीक पीस लें. अब एक पैन में डाल कर
धीमी आंच पर थोड़ा गाढ़ा होने तक पकाएं. ठंडी होने पर बोतल में भर कर
रखें. इसे 2-3 महीने तक रखा जा सकता है.

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5. सेब की चटनी

सामग्री: 250 ग्राम खट्टीमीठे सेब, 1/2 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर, 1/2
छोटी चम्मच कालीमिर्च पिसी, 50 ग्राम चीनी पिसी, भुना चीरा, 1 छोटा चम्मच
नीबू का रस, कालानमक व नमक स्वादानुसार.

विधि: सेब छील कर छोटे टुकड़ों में काटें. सारी सामग्री मिला कर पीस लें.
इसे 4-5 दिन फ्रिज में रखा जा सकता है.

लाभ: सेब में कैल्सियम, फास्फोरस, विटामिन सी, पोटैशियम, आयरन आदि खनिज होते हैं.

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