सौजन्य- मनोहर कहनियां
पति से दूरी या उस की प्रताड़ना से दुखी हो कर कई महिलाएं अंजाम की परवाह किए बिना गलत राहों पर निकल जाती हैं. ऐसे में कई बार पति उग्र हो जाता है, तब पत्नी और उस का प्रेमी जो शौर्टकट अपनाते हैं, वह उन्हें जेल तक पहुंचा देता है. शहजादी और सिकंदर के साथ भी यही हुआ. कैसे... परिवार बढ़ा तो जावेद ने स्वयं कोपूरी तरह काम में डुबो दिया. उसे लगा कि काम अधिक होगा तो लाभ भी उसी
तरह होगा. जावेद मोटर मैकेनिक था. सुबह 9 बजे घर से निकलता तो देर रात 8-9 बजे ही वापस घर लौटता था.
जब वह पूरे दिन काम में व्यस्त रहने लगा तो सिकंदर की बांछें खिल गईं. उस के लिए यह सुनहरा अवसर था, शहजादी के दिल में जगह बनाने का.
उस ने जावेद के घर में आवाजाही बढ़ा दी. जावेद की पत्नी शहजादी सिकंदर के हवास पर छाई थी और वह उसे किसी भी कीमत पर पाना चाहता था. जावेद की अनुपस्थिति में मौका पाते ही वह शहजादी के पास पहुंच जाता और उसे रिझाने का प्रयास करता.
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उस दिन भी पूर्वाहन में सिकंदर शहजादी के घर पहुंचा तो वह हरी मटर छील रही थी. सिकंदर ने मटर के कुछ दाने उठाए और मुंह में डालते हुए बोला, ‘‘मटर तो एकदम ताजा और मिठास से भरी हुई है, इस का कौन सा व्यंजन बनाने जा रही हो?’’
‘‘तहरी बनाऊंगी,’’ शहजादी मुस्कराई, ‘‘सर्दी में आलूमटर की गरमागरम तहरी हरी मिर्च और लहसुन की चटनी से अच्छा व्यंजन कोई दूसरा नहीं होता.’’ वह सिकंदर की आंखों में देखते हुए बोली, ‘‘तहरी खाओगे?’’