सौजन्य- मनोहर कहनियां

भारत में लोगों की सुविधा के लिए अलगअलग नामों से ग्रामीण बैंकों की शाखाएं खोली गई हैं, जो किसानों और ग्रामीण कामगारों के लिए मुफीद हैं. ये शाखाएं लोगों के बचत खाते भी चलाती हैं और उन की जरूरत के हिसाब से लोन भी देती हैं. ऐसे ही एक ग्रामीण बैंक औफ आर्यावर्त की शाखा जिला मथुरा के दामोदरपुरा में है. यह शाखा कचहरी से औरंगाबाद जाने वाली रोड के किनारे बसे पूरन वाटिका की पहली मंजिल पर है.

इस बैंक में कुल जमा 5 कर्मचारी हैं. 12 मई, 2020 को तो कुल 3 ही कर्मचारी थे, क्योंकि एक महिला छुट्टी पर थी और बैंक मैनेजर प्रभात कुमार किसी काम से बाहर गए हुए थे.

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दोपहर करीब ढाई बजे का समय था. चारों ओर लौकडाउन का सन्नाटा फैला था. लंच ब्रेक के बाद बैंककर्मियों को बैंक के गेट का चैनल खोले अभी 5 मिनट ही हुए थे कि 5 नकाबपोश बैंक में आए. उस समय बैंक की कैशियर सृष्टि सक्सेना, सहायक शाखा प्रबंधक नीलम गर्ग और नरेंद्र चौधरी बैंक में मौजूद थे.

तब तक तीनों बैंककर्मी अपनीअपनी सीट पर बैठ कर काम करने लगे थे. जो 5 लोग बैंक के अंदर आए थे, उन्होंने गेट में प्रवेश करने के बाद एकदो मिनट तो ग्राहक बनने का नाटक किया.

जब कैशियर सृष्टि ने उन से पूछा कि बताइए क्या काम है? तो बदमाश अपने असली रूप में आ गए और अपने तमंचे कैशियर सहित दोनों कर्मचारियों की ओर तान दिए. बदमाशों ने उन्हें धमकी देते हुए कहा, ‘‘जैसा हम कहें, वैसा करते रहो, वरना तीनों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा.’’

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