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मानसून स्पेशल: ये 9 टिप्स बढ़ा देंगे घर के खाने की क्वालिटी

घर पर खाना बनाते समय उस की न्यूट्रिशियस वैल्यू बनाए रखने की पूरीपूरी कोशिश की जाती है. एक सर्वे में पाया गया कि किसी भी भोजन को स्वादिष्ट बनाने में उस सामग्री का रंग और उस में डाले गए तेल, मसाले, नमक खास होते हैं. इन के जरा से भी कम या ज्यादा हो जाने पर खाना बेस्वाद हो जाता है. अगर आप ने सही ढंग से सामग्री को स्टोर नहीं किया है, तो कुछ दिनों बाद उस का रंग, स्वाद और पोषकता में कमी आ जाती है. फलस्वरूप आप जैसा स्वादिष्ट खाना बनाना चाहती हैं वैसा बन नहीं पाता है.

इस संबंध में बारबेक्यू नेशन के शैफ तारक मजूमदार बताते हैं कि खाना पकाने से अधिक उसे स्टोर करने पर ध्यान देने की जरूरत होती है.

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डिश बनाएं कलरफुल

घर के खाने में फूड क्वालिटी और स्वाद सब से अच्छा होता है, लेकिन उसे साधारण रूप से पेश न कर थोड़ी सजावट के साथ पेश करने पर उस का स्वाद और अधिक बढ़ जाता है. किसी भी डिश को हमेशा कलरफुल बनाने की जरूरत होती है. जितना अधिक उस में रंग होगा वह डिश उतनी ही आकर्षक लगेगी. इस के लिए ताजा धनिया व पुदीनापत्ती, हर्ब्स, नीबू आदि अधिक प्रयोग किए जाते हैं.

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पेश हैं, होममेड खाने की क्वालिटी को बनाए रखने के टिप्स:

  1. – एग, फिश, मटन आदि को फ्रिज में अच्छी तरह स्टोर करें, फ्रिज से निकालने के बाद उन्हें अपने असली रूप में आने के बाद थोड़ी तेज आंच पर पकाएं. इस से बरतन की तली में चिपक जाने पर उन की खुशबू और स्वाद दोनों ही बढ़ते हैं. ध्यान रहे, खाने को जलाएं नहीं.
  2. – ग्रिल और टोस्ट करने वाले व्यंजनों को उचित तापमान में रखें. उन के ऊपर थोड़ीथोड़ी देर बाद तेल से ब्रश करती रहें ताकि खाना सूखे या जले नहीं.
  3. – थोड़ी चीनी को औयल में मिला कर कैरेमल बना लें. इस से किसी भी मीठे व्यंजन का रंग और स्वाद अलग होगा.
  4. – कोई भी फूड प्रोडक्ट खरीदते समय उस की पैकेजिंग और प्रयोग के समय को अच्छी तरह देख लें.
  5. – हरी सब्जियों के रंग को बनाए रखने के लिए उन्हें पकाते वक्त थोड़ा नमक डाल दें.
  6. – खाने को स्टोर करने से पहले उस के कंटेनर को अच्छी तरह धो लें.
  7. – फूड क्वालिटी बनाए रखने के लिए किचन की साफसफाई पर भी पूरापूरा ध्यान दें. समयसमय पर रसोईघर में पेस्ट कंट्रोल करवाएं.
  8. – खाने की क्वालिटी बनाए रखने के लिए हाथ से फूड को अधिक न छुएं. फूड को छूने से पहले हाथों में ग्लव्स पहनें. खाना बनाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें.

खाने की दुनिया में काले का कमाल

अकसर काले रंग की चीजों को हिकारत से देखा जाता है. इस रंग को गम का प्रतीक भी माना जाता है. किसी लड़की की आबरू लुट जाए तो कहा जाता है कि उस का तो मुंह काला हो गया. काली गाडि़यों में चलने वालों की छवि गुंडेबदमाशों की मानी जाती है. हराम के या दो नंबर के पैसों को काला धन कहा जाता है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि काला रंग महज बुराई या खराबी का ही प्रतीक होता है. यह रंग खूबियों से भी भरपूर होता है. काली पोशाक में सजी गोरी हसीनाएं बिजलियां गिराती नजर आती हैं. बहरहाल, यहां काले रंग की चीजों का मामला खानेपीने से जुड़ा है. कुदरत के खजाने में मौजूद कई काले रंग की खानेपीने की चीजें लाजवाब खूबियों से भरपूर होती हैं. ये तमाम काले खानेपीने के सामान न सिर्फ खाने  जायका बढ़ाते हैं, बल्कि सेहत के लिहाज से भी बेमिसाल होते हैं. कई बीमारियां दूर करने में भी काली चीजें कमाल की साबित होती हैं. पेश हैं कुछ ऐसी ही काली चीजों की दास्तां, जो हमारी सेहत के लिए मुफीद हैं :

1 काले अंगूर :

यों तो साधारण हरा अंगूर भी सेहत के लिए मुफीद होता है, मगर काले अंगूर कुछ ज्यादा ही खासीयतों से भरपूर होते हैं. इसी वजह से ये हरे अंगूरों के मुकाबले महंगे भी मिलते हैं. काले अंगूर दिल की बीमारियों के लिहाज से उम्दा होते हैं. ये फेफड़े के कैंसर में भी फायदा पहुंचाते हैं. काला अंगूर अल्जाइमर यानी यादाश्त गड़बड़ होने की बीमारी में भी फायदा पहुंचाता है. इन के सेवन से कोलेस्ट्राल भी सही रहता है. और जहां तक जायके की बात है तो काले अंगूर बेहद स्वादिष्ठ होते हैं.

2 काले जामुन 

ऊंचे पेड़ों में लगने वाला काला जामुन बेहद फायदेमंद फल होता है. इस का खास जायका सभी को पसंद आता है. इस की गुठली बेर की सख्त गुठली के मुकाबले बेहद नरम होती है और अकसर दांतों से कट जाती है. पेट के मरीजों के लिए जामुन बेहद फायदेमंद साबित होता है. जामुन खाने वाले का हाजमा एकदम दुरुस्त हो जाता है. जामुन का सिरका भी बहुत कारगर होता है. स्वाद से भरपूर जामुन काफी महंगे मिलते हैं.

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3 ब्लैकबेरी 

यह भी काफी स्वादिष्ठ और महंगा फल होता है. इस में मौजूद विटामिन सी, ए, ई, के और फाइबर शरीर में मेटाबालिज्म का स्तर दुरुस्त रखते हैं. ये विटामिन और फाइबर शरीर का वजन भी काबू में रखते हैं. ब्लैकबेरी टाइप टू डायबिटीज और दिल की बीमारियों से बचाने में मददगार है. इसे खाने से स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर का खतरा कम हो जाता है. कुल मिला कर काले रंग की ब्लैकबेरी कमाल की होती है.

4 कालीमिर्च 

काले रंग की गोलगोल नजर आने वाली कालीमिर्च को आकार की वजह से गोलमिर्च भी कहा जाता है. हरी व लाल मिर्ची से एकदम अलग नस्ल की कालीमिर्च गरममसालों की बिरादरी में शामिल होती है. यह खाने का जायका बढ़ाने में कारगर रहती है. यह मैग्नीशियम, विटामिन सी, के और फाइबर वगैरह से भरपूर होती है. इस के इस्तेमाल से गैस, कब्ज, डायरिया, खून की कमी व सांस के रोगों में आराम मिलता है. रोजमर्रा की सब्जियों में इसे नियमित मसाले के तौर पर शामिल किया जाता है. उबले अंडों के साथ भी इस का इस्तेमाल किया जाता है.

5 काले तिल 

यों तो सफेद तिलों का नियमित तौर पर ज्यादा इस्तेमाल होता है. रेवड़ी व गजक जैसी चीजों में आमतौर पर सफेद तिल ही इस्तेमाल किए जाते हैं, मगर काले तिलों की अहमियत बहुत ज्यादा होती है. दिल की बीमारियों, सांस की बीमारियों, कालोन कैंसर, माइगे्रन का दर्द व जलन वगैरह में काले तिलों के इस्तेमाल से बहुत फायदा होता है. तमाम घरों में काले तिल के लड्डू भी बनाए जाते हैं.

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6 काली सेम 

बेशक हरी सेम ज्यादा तादाद में बाजार में नजर आती है, मगर उस के मुकाबले काली सेम ज्यादा कारगर होती है. काली सेम में तमाम किस्म के प्रोटीन मौजूद होते हैं और ये प्रोटीन डायबिटीज की तकलीफ से बचाते हैं. काली सेम के इस्तेमाल से धमनियां भी दुरुस्त रहती हैं और दिल के रोगों का भी खतरा कम हो जाता है. इस में मौजूद फाइबर सेहत के लिए मुफीद होता है.

7 काले चावल 

बिरयानी या जर्दा खाने के शौकीन बेशक सफेद और लंबे चावलों के कायल होते हैं, पर उम्दा से उम्दा बासमती चावल से भी कहीं ज्यादा गुणी होते हैं काले चावल. काले चावल विटामिन (ई, बी), कैल्शियम और आयरन से भरपूर होते हैं और तमाम बीमारियों से नजात दिलाने में कारगर साबित होते हैं. खासतौर पर कैंसर, अल्जाइमर व डायबिटीज की तकलीफों में काला चावल बेहद फायदेमंद साबित होता है.

8 काली चाकलेट 

चाकलेट आमतौर पर ब्राउन कलर की होती है और गजब की जायकेदार होती है. सफेद चाकलेट का भी अपना निराला जायका होता है. मगर इन दोनों के मुकाबले काली चाकलेट बेहद कमाल की होती है. काली चाकलेट में मौजूद अमीनो एसिड केशों यानी सिर के बालोें को चमकीला बनाता है और चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ने देता. इसे खाने से ब्लड प्रेशर व वजन भी काबू में रहता है.

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9 काली चाय 

दूध वाली सफेद या गुलाबी सी चाय तो सभी पीते हैं, मगर काली चाय के गुण बेमिसाल होते हैं. काली चाय में संक्रमण से लड़ने वाले पालीफेनल्स मौजूद होते हैं, जो धमनियों की दीवारों को नुकसान से महफूज रखते हैं. काली चाय का सेवन खून के थक्के बनने से रोकता है. इस के इस्तेमाल से पेट व स्तन के कैंसर में आराम मिलता है.

10 काला सिरका 

काला सिरका ज्वार, गेहूं व भूरे चावलों को मिला कर तैयार किया जाता है. यह आमतौर पर प्रचलित सिरके के मुकाबले बहुत ज्यादा कारगर होता है. इस के इस्तेमाल से कोलेस्ट्राल व हाइपरटेंशन काबू में रहता है. काले सिरके के इस्तेमाल से शरीर में खून का संचार भी ठीक रहता है.

11 काला जैतून 

यह भी बेहद कारगर होता है. पुराने चीन में काले जैतून का इस्तेमाल खांसी के इलाज के लिए किया जाता था. अभी भी दुनिया भर में इस का औषधीय इस्तेमाल किया जाता है. यह कोलेस्ट्राल सही रखता है और दिल के रोगों में कारगर साबित होता है. इस का इस्तेमाल कांटीनेंटल पकवानों में भी किया जाता है. यह काफी महंगा होता है.

सही वसीयत-सावित्री की मौत का क्या कारण : भाग 4

हरीश बाबू लेटेलेटे सोचने लगे, अच्छा होता अगर वे अनाथालय से कोई बच्चा गोद ले लेते. कम से कम एक बच्चे का तो जीवन सुधर जाता. करीबी संबंधी को गोद ले कर उन्हें क्या मिला? सुमंत तब तक उन का दुलारा रहा जब तक उसे उन की जरूरत थी. जैसे ही अपने पैरों पर खड़ा हुआ, अपने मांबाप का हो गया. आज की तारीख में उस को मेरी जरूरत नहीं. तभी तो बेगानों जैसा व्यवहार करने लगा. सोचतेसोचते कब उन की आंख लग गई, उन्हें पता ही न चला. अगली सुबह एक ठोस नतीजे के साथ फोन कर के उन्होंने अपने वकील को बुलाया.

‘‘क्या गोदनामा बदल सकता है?’’ एकाएक उन के फैसले से वकील को भी आश्चर्य हुआ.

‘‘यह तो नहीं हो सकता? पर आप ऐसा चाहते क्यों है?’’ वकील ने प्रश्न किया. हरीश बाबू ने सारा वाकेआ बयां कर दिया.

‘‘आप ही बताइए सुमंत को मैं ने अपना बेटा माना, बदले में उस ने मुझे क्या समझा. वह अच्छी तरह जानता है कि मैं ने उस के लिए क्याकुछ नहीं किया. तिस पर उस ने मेरी उपेक्षा की. क्यों? या तो उसे मेरी अब जरूरत नहीं या फिर वह यह सोच कर बैठा है कि भावनात्मक रूप से जुड़े होने के नाते मैं उस के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लूंगा?’’

कुछ सोच कर वकील बोला, ‘‘आप चाहेंगे तो वसीयत बदल  सकते हैं और सुमंत को कुछ भी न दें.’’

‘‘आप वसीयत बदल दीजिए, ताकि उसे सबक मिले. इस तरह मुझे भी अपनी गलती सुधारने का मौका मिलेगा.’’

वकील ने वही किया जो हरीश बाबू चाहते थे. यानी वसीयत बदलवा दी. यह खबर किसी को कानोंकान न लगी. नटवर जब भी आता, यही रट लगाता कि आप गोदनामा बदल दें. मैं आप का सगा भाई हूं, जब तक जीवित रहूंगा, आप की सेवा करता रहूंगा. आप की संपत्ति गैर को मिले, यह बड़े शर्म की बात होगी. हरीश बाबू उस का मन टटोलने की नीयत से बोले, ‘‘क्या तुम लालच में मेरी सेवा करोगे?’’

‘‘नहीं भैया, ऐसी बात नहीं है,’’ नटवर सकपकाया.

‘‘मैं सिर्फ आप को राय दे रहा हूं. खुदगर्ज को देने से क्या फायदा? सुधीर को दे कर आप ने देख लिया.’’

‘‘तुम मुझे खून के रिश्ते का वास्ता दे रहे हो. मान लिया जाए कि मैं तुम्हें फूटी कौड़ी भी न दूं तो भी क्या तुम मेरी ऐसी ही देखभाल करते रहोगे?’’ नटवर ने बेमन से हामी भर तो दी मगर हरीश बाबू उसे अच्छी तरह से जानते थे कि उस के मन में क्या है?

एक रोज हरीश बाबू अकेले पैंशन ले कर लौट रहे थे. रिकशे से गिर पड़े. टांग की हड्डी टूट गई. किसी तरह कुछ हमदर्द लोगों की मदद से अस्पताल ले जाए गए. जहां उन के प्लास्टर लगा. एक महीने से ज्यादा तक वे किसी काम के नहीं रहे. सुधीर को खबर दी तो भी वह नहीं आया, ‘सुमंत को दिक्कत होगी,’ बहाना बना दिया. सुमंत तो कहीं भी खापी सकता था. पर वे कैसे रहेंगे, वह भी इस हालत में? उस ने यह नहीं सोचा. नौकरानी ही उन्हें डंडे के सहारे उठातीबैठाती, उन की देखभाल करती व खाना बना कर देती. बुढ़ापे का शरीर एक बार झटका तो उबर न सका. एक सुबह खुदगर्ज दुनिया में उन्होंने अंतिम सांस ली. उस समय उन के पास कोई नहीं था.

मौत की खबर लगी तो नटवर भी भागेभागे आया. उस समय सगे में वही था. हरीश बाबू का एक और साला किशन भी आ चुका था. नटवर भाई का क्रियाकर्म करने का इंतजाम करने लगा. उसे ऐसा करते देख किशन बोला, ‘‘आप को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं. उन का दत्तक पुत्र सुमंत बेंगलुरु से चल चुका है.’’

‘‘बेटा, कैसा बेटा, उन के कोई औलाद नहीं थी,’’ नटवर बोला.

‘‘आप अच्छी तरह जानते हैं कि उन्होंने सुमंत को गोद लिया था. कानूनन वही उन का बेटा है,’’ किशन को क्रोध आया.

‘‘मैं किसी सुमंत को नहीं जानता. मैं उन का क्रियाकर्म करूंगा क्योंकि वे मेरे सगे भाई थे. उन पर हमारा हक है. इस से हमें कोई नहीं रोक सकता,’’ नटवर हरीश बाबू के शरीर पर से कपड़ा हटाने लगा.

‘‘रुक जाइए,’’ किशन बिगड़ा, ‘‘अपनी हद में रहिए वरना मुझे पुलिस बुलानी पड़ेगी.’’

‘‘पुलिस, वह क्या करेगी? हम ने इन की हत्या तो की नहीं, जो लाश चोरी से जलाने जा रहे रहे हैं. भाई का क्रियाकर्म भाई नहीं करेगा, तो कौन करेगा?’’ नटवर ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया. जब नटवर नहीं माना तो किशन ने थाने में जा कर शिकायत की. पुलिस मामले की तहकीकात में जुट गई.

‘‘उन का कोई बेटा नहीं था,’’ नटवर बोला.

‘‘क्या यह सच है?’’ थानेदार ने किशन से पूछा.

‘‘हां, पर उन्होंने अपने साले के बेटे सुमंत को बाकायदा गोद लिया था. गोदनामा न्यायालय में रजिस्टर्ड है.’’

‘‘क्या आप मुझे वे कागजात दिखा सकते हैं?’’

‘‘क्यों नहीं? परंतु आप को 1-2 दिन इंतजार करना होगा. कागज उन्हीं के पास हैं.’’ थानेदार को किशन की बात में सचाई नजर आई. लाश का क्रियाकर्म उन के आने तक रुक गया.

प्लेन से आने में सुधीर, सुनीता व सुमंत को ज्यादा समय नहीं लगा. नटवर तो जानता ही था कि हरीश बाबू ने सुमंत को गोद लिया था. मगर जिस तरह से उस ने जल्दबाजी की वह सब की समझ से परे था. अंतिम संस्कार करने के बाद जब सब लौटे तो सुनीता हरीश बाबू के फोटो के सामने टेसुए बहाते हुए बोली, ‘‘कितना तो कहा, बेंगलुरु चलिए पर नहीं गए. कहने लगे इस शहर से न जाने कितनी यादें जुड़ी हैं. बेगाने शहर में एक पल जी नहीं सकूंगा.’’

तेरहवीं के बाद सुधीर वकील के पास गया. वह मकान पर जल्द से जल्द सुमंत का नाम चढ़वा देना चाहता था ताकि भविष्य में मकान बेच कर अच्छी रकम प्राप्त की जा सके.

‘‘वसीयत में सुमंत के नाम कुछ नहीं है,’’ वकील बोला.

‘‘यह आप क्या कह रहे हैं. गोदनामा तो बाकायदा रजिस्टर्ड है,’’ सुधीर को पैरों तले जमीन सिखकती नजर आई.

‘‘हरीश बाबू अपने जीतेजी अपनी संपत्ति के बारे में कुछ भी कर सकते थे,’’ वकील ने कहा.

‘‘मैं नहीं मान सकता. जरूर उन की मानसिक दशा ठीक नहीं होगी. किसी ने उन्हें बरगलाया है,’’ सुधीर की त्योरियां चढ़ गईं.

‘‘आप जो समझें.’’

‘‘फिर यह मकान किस का होगा?’’ सुधीर ने सवाल किया.

‘‘उन के भाई के बेटों का,’’ वकील कुछ छिपा रहा था जो सुधीर समझ न सका. नटवर को पता चला कि हरीश बाबू ने वसीयत में उस का नाम लिखा है तो मकान पर अपना मालिकाना हक जमाने चला आया.

‘‘मैं मकान खाली नहीं करूंगा. वे मेरे पिता थे,’’ सुमंत तैश में बोला.

‘‘करना तो पड़ेगा ही, क्योंकि वसीयत में तुम्हारा हक रद्द हो चुका है. सुना नहीं वकील ने क्या कहा,’’ नटवर ने कहा कि अब यह मकान मेरे बेटों का होगा. जाहिर सी बात है कि मुझ से ज्यादा करीबी कौन होगा? नटवर के चेहरे पर विजय की मुसकान बिखर गई.

‘‘अगर ऐसा है तो मैं इसे अदालत में चुनौती दूंगा. उन्होंने यह सब अपने मन से नहीं किया होगा,’’ सुमंत के तर्क को नटवर ने नहीं माना.

‘‘क्या इस वसीयत को अदालत में चुनौती दी जा सकती है?’’ सुधीर ने वकील से पूछा.

‘‘क्या सिद्ध करना चाहेंगे?’’

‘‘यही कि उन की मानसिक दशा ठीक नहीं थी. लिहाजा, यह वसीयत गैरकानूनी है.’’

उन की नई वसीयत में बाकायदा 2 प्रतिष्ठित लोगों के हस्ताक्षर हैं जिस पर साफसाफ लिखा है कि मैं पूरे होशोहवास में अपनी वसीयत बदल रहा हूं.

सुधीर हताश था. वकील के चेहरे पर स्मित की हलकी रेखा खिंच गई. अब क्या किया जा सकता है? सुधीर इस उधेड़बुन में था. वह भारी कदमों से वकील के चैंबर से अपने घर जाने के लिए निकला ही था तभी वकील ने कहा, ‘‘जनाब, आप ने क्या सोचा था कि बिना जिम्मेदारी निभाए करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा कर लेंगे?’’

‘‘इसी बात का अफसोस है.’’

‘‘अब अफसोस करने से क्या फायदा. वैसे, हरीश बाबू ने एक ट्रस्ट बना दिया है. न सुमंत को दिया है न भाई के बेटों को. उन्होंने इस मकान को गरीबों की शिक्षा के लिए स्कूल बनवाने के लिए दे दिया है,’’ वकील के कथन पर सुधीर का चेहरा देखने लायक था.

सुनीता ने सुना तो लगा वह बेहोश हो जाएगी. उसे विश्वास था कि किन्हीं भी परिस्थितियों में हरीश बाबू गोदनामा नहीं बदलेंगे, इसलिए वह उन के प्रति लापरवाह हो गई थी. उसी का फल उसे अब मिला. अब सिवा पछताने के, उन के पास कुछ नहीं रहा. हरीश बाबू ने सही वसीयत कर के लालची बिलौटों को सही जवाब दे दिया था.

 

 

सही वसीयत-सावित्री की मौत का क्या कारण : भाग 3

हरीश बाबू के समझानेबुझाने पर वह मान गया. समय सरकता रहा. एक दिन सुमंत इंजीनियर बन गया. जब उस का कैंपस चयन हुआ तो सभी खुश थे. हरीश बाबू ने इस अवसर पर सभी का मुंह मीठा कराया. खुशी के साथ उन्हें यह जान कर तकलीफ भी थी कि सुमंत अब बेंगलुरु में रहेगा. पहली बार वह अकेला गया.

हरीश बाबू बूढ़े हो चले थे. उन की देखभाल सुनीता और सुधीर के लिए समस्या थी. समय पर दवा और भोजन न मिलता तो वे चिढ़ जाते. कभी सुनीता, तो कभी सुधीर से उलझ जाते. दोनों उन की हरकतों से आजिज थे. सिर्फ मौके की तलाश में थे.

जैसे ही सुमंत ने उन्हें बेंगलुरु बुलाया, दोनों ने एक पल में हरीश बाबू के एहसानों को धो डाला. जिस हरीश बाबू ने सुमंत को कलेजे से लगा कर पालापोसा, सुधीर, सुनीता का खर्चा भी उठाया, सुमंत की इंजीनियरिंग की फीस भरी, अपनी पत्नी के सारे जेवरात सुनीता को दे दिए, बची उन की असल संपति, फिक्स डिपौजिट के रुपए, वे सभी सुमंत को ही मिलते, को छोड़ कर सुधीर व सुनीता ने बेंगलुरु में बसने का फैसला लिया तो उन्हें गहरा आघात लगा.

वे नितांत अकेला महसूस करने लगे. पत्नी के गुजर जाने पर उन्हें उतना नहीं खला, जितना आज. कैसे कटेगा वक्त उन चेहरों के बगैर जिन्हें रोज देखने के वे आदी थे. कल्पनामात्र से ही उन के दिल में हूक उठती. वे अपने दुखों का बयान किस से करें. घर के आंगन में एक रोज वे रोने लगे. ‘वे अपनेआप को कोसने लगे. मैं ने ऐसा कौन सा अपराध किया था जो प्रकृति ने बुढ़ापे का एक सहारा देना भी मुनासिब नहीं समझा. लोग गंदे काम कर के भी आनंद का जीवन गुजारते हैं, मुझे तो याद भी नहीं आता कि मैं ने किसी का दिल दुखाया है. फिर अकेलेपन की पीड़ा मुझे ही क्यों?’ तभी सुनीता की आवाज ने उन की तंद्रा तोड़ी. जल्दीजल्दी उन्होंने आंसू पोंछे.

‘‘गाड़ी का वक्त हो रहा है,’’ वह बोली. दोनों ने हरीश बाबू के पैर छू कर रस्मअदायगी की. दोनों अंदर ही अंदर खुश थे कि चलो, मुक्ति मिली इस बूढ़े की सेवा करने से. अकेले रहेगा तो दिमाग ठिकाने पर आ जाएगा. बेंगलुरु आने का न्योता सुधीर ने सिर्फ औपचारिकतावश दिया. पर उन्होंने इनकार कर दिया. ‘‘इस बुढ़ापे में परदेस में बसने की क्या तुक? यहां तो लोग मुझे जानते हैं, वहां कौन पहचानेगा?’’ हरीश बाबू के कथन पर दोनों की जान छूटी. अब यह कहने को तो नहीं रह जाएगा कि हम ने साथ रहने को नहीं कहा.

सुधीर और सुनीता अच्छी तरह जानते थे कि हरीश बाबू गोदनामा बदलेंगे नहीं. इस उम्र में दूसरा कदम उठाने से हर आदमी डरता है. वैसे भी, हरीश बाबू को अपने मकान का कोई मोह नहीं था. उम्र के इस पड़ाव पर वे सिर्फ यही चाहते थे कि कोई उन्हें समय पर खाना व बीमारी में दवा का प्रबंध कर दे. सुधीर के संस्कारों का ही असर था कि सुमंत भी सुधीर और अपनी मां की तरह सोचने लगा. सिर्फ कहने के लिए वह हरीश बाबू का दत्तक पुत्र था. जब तक अबोध था तभी तक उस के दिल में हरीश बाबू के प्रति लगाव था. जैसे ही उस में दुनियादारी की समझ आई, अपने मांबाप का हो कर रह गया.

सुमंत के चले जाने के बाद हरीश बाबू को अपने फैसले पर पछतावा होने लगा. वे सोचने लगे, इस से अच्छा होता कि वे किसी को गोद ही न लेते. मरने के बाद संपत्ति जो चाहे लेता. क्या फर्क पड़ता? गोद ले कर एक तरह से सभी से बैर ले लिया.

एक सुबह, हरीश बाबू टहल कर आए. आते ही उन्हें चाय की तलब हुई. दिक्कत इस बात की थी कि कौन बनाए? नौकरानी 3 दिनों से छुट्टी पर थी. वे चाय बनाने ही जा रहे थे कि फाटक पर किसी की दस्तक हुई. चल कर आए. देखा, सामने नटवर सपत्नी खड़ा था. दोनों ने हरीश बाबू के चरण स्पर्श किए.

‘‘बैठो, मैं तुम लोगों के लिए चाय ले कर आता हूं,’’ वे किचन की तरफ जाने लगे.

‘‘आप क्यों चाय बनाओगे, सुधीर नहीं है क्या?’’ नटवर बोला.

‘‘वह सपरिवार बेंगलुरु में बस गया.’’

‘‘आप को खाना बना कर कौन देता होगा?’’

‘‘नौकरानी है. वही सुबहशाम खाना बनाती है.’’

नटवर को अपने रिश्ते की अहमियत दिखाने का अच्छा मौका मिला. तुरंत अपनी पत्नी को चायनाश्ता बनाने का आदेश दिया. हरीश बाबू मना करते रहे मगर नटवर ने रिश्ते की दुहाई दे कर उन्हें कुछ नहीं करने दिया. इस बीच उन के कान भरता रहा.

‘‘सुमंत को गोद लेने से क्या फायदा जब बुढ़ापे में अपने ही हाथ से खाना बनाना है,’’ नटवर बोला.

‘‘ऐसी बात नहीं है, वह मुझे भी ले जाना चाहता था,’’ हरीश बाबू ने सफाई दी.

‘‘सिर्फ कहने को. वह जानता है कि आप अपना घरशहर छोड़ कर जाने वाले नहीं. सुमंत तक तो ठीक था, सुधीर क्यों चला गया?’’

‘‘सुमंत को खानेपीने की तकलीफ थी.’’

‘‘शादी कर देते और खुद आप के पास रहते,’’ नटवर को लगा कि तीर निशाने पर लगा है तो आगे बोला, ‘‘आप की करोड़ों की अचल संपत्ति का मालिक सुधीर का बेटा ही तो है. क्या उस का लाभ सुधीर को नहीं मिलेगा? ऐसे में क्या सुधीर और सुनीता का फर्ज नहीं बनता कि मृत्युपर्यंत आप की सेवा करें?’’ नटवर की बात ठीक थी. कल तक जिस नटवर से उन्हें चिढ़ थी, आज अचानक उस की कही बातें उन्हें तर्कसंगत लगने लगीं.

उस रोज नटवर दिनभर वहीं रहा. नटवर ने भरसक सुमंत के खिलाफ हरीश बाबू को भड़काया. हरीश बाबू सुनते रहे. उन के दिल में सुमंत को ले कर कोई मलाल नहीं था. तो भी, क्या सुधीर का कोई फर्ज नहीं बनता?

इस बीच, नटवर की पत्नी ने घर की साफसफाई की. हरीश बाबू के गंदे कपड़े धोए. घर में जिन चीजों की कमी थी उन्हें नटवर ने अपने रुपयों से खरीद कर घर में रख दिया. रोजाना के लिए कुछ नाश्ते का सामान बना कर रख दिया ताकि सुबहसुबह उन्हें खाली पेट देर तक न रहना पड़े. जातेजाते रात का खाना भी बना दिया. एक तरह से नटवर और उस की पत्नी ने हरीश बाबू को खून का लगाव दिखाने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी. जातेजाते नटवर ने अकसर आने का हरीश बाबू को आश्वासन दिया.

ताकि यादें रहें सलामत: ऐसे रखें अपने दिमाग का ख्याल

उम्र जैसेजैसे बढ़ती है हम छोटीछोटी चीजें भूलने लगते हैं. हर पल यह एहसास होता है कि हमारी स्मरणशक्ति कमजोर होती जा रही है. उम्र के साथ स्मरणशक्ति थोड़ीबहुत कमजोर होती है लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. स्मरणशक्ति के कमजोर होने के कई कारण हैं. उम्र बढ़ने के साथसाथ पारिवारिक व कार्यालयी जिम्मेदारियां और उन के साथ जुड़ी समस्याएं निरंतर बढ़ती जाती हैं. उस पर अतिव्यस्त जीवनशैली, खासतौर पर महिलाओं को घर और दफ्तर के बीच सही तालमेल बिठाने के लिए रात को देर से सोना और सुबह जल्दी उठना पड़ता है जिस कारण वे 6 घंटे की नींद भी नहीं ले पाती हैं. उस पर पश्चिमी खानपान और घटता फिटनैस लैवल. ये सारी चीजें हमारी स्मरणशक्ति को प्रभावित करती हैं.

शरीर तंदुरुस्त होता है तो दिमाग बहुत तेजी से काम करता है. इस के विपरीत जब हम सुस्ती और आलस्य से घिरे होते हैं, सोचने और याद रखने की क्षमता क्षीण हो जाती है. जिस तरह शारीरिक फिटनैस के लिए सुबह की सैर या जौगिंग जरूरी है उसी प्रकार दिमागी फिटनैस के लिए भी सुबह की सैर, कसरत या जौगिंग बेहद जरूरी है. सुबह की ताजी खुली हवा में सैर करने से दिमाग की कोशिकाओं यानी न्यूरोन्स का निर्माण होता है, यानी दिमाग में नई कोशिकाएं बनने लगती हैं. इसी तरह सुबह या शाम को व्यायाम करने से दिमाग का वह हिस्सा अधिक सक्रियता से काम करता है जो याद रखने और नई चीजें सीखने में हमारी सहायता करता है.

इतना ही नहीं, व्यायाम करने से प्रोटीन बढ़ता है, रक्त संचार सुधरता है और तंत्रिकातंत्र बेहतर ढंग से काम करता है. इन सब का सकारात्मक प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है और दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ती है. विशेषज्ञों का मानना है कि मस्तिष्क के लिए शारीरिक श्रम, दिमागी कसरत से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है.

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औक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में हुए एक शोध के अनुसार, मानसिक क्षमता और स्मरणशक्ति को बढ़ाने व बनाए रखने में विटामिन बी-12 अति उपयोगी है. विटामिन बी-12 की कमी से एनीमिया की शिकायत हो सकती है. शरीर में रक्त की कमी होने पर औक्सीजन संवाहक क्षमता प्रभावित होती है जिस का सीधा असर स्मरणशक्ति पर पड़ता है.

एक हालिया अध्ययन से भी पता लगा है कि विटामिन बी-12 मस्तिष्क के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है. अनुसंधानकर्ताओं ने वृद्ध लोगों के दिमाग के स्कैन का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि जिन वृद्धों के शरीर में विटामिन बी-12 का स्तर अधिक था उन के दिमाग में उम्र के साथ होने वाली सिकुड़न की आशंका उन लोगों से 6 गुना तक कम थी जिन के शरीर में विटामिन बी-12 कम था.

अध्ययन से पता लगा है कि बढ़ती उम्र में लोगों में विटामिन बी-12 की कमी एक बड़ी समस्या है. इस की कमी से दिमाग की क्रियाशीलता, कार्यक्षमता और स्मरणशक्ति प्रभावित होती है. विटामिन बी-12 युक्त आहार के नियमित सेवन से इसकमी को दूर किया जा सकता है. इसलिए बढ़ती उम्र में महिलाओं को पिज्जाबर्गर छोड़ कर मछली, अंडा, दूध, दालें, सोयाबीन और बादाम आदि का सेवन करना चाहिए.

अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखें. विचारों में नकारात्मक सोच नहीं होनी चाहिए. नकारात्मक सोच तनाव को बढ़ाती है. तनावमुक्त रहें ताकि तनाव से उपजे अवसाद से बचें. अपनी अतिव्यस्त जीवनशैली में से थोड़ा सा समय मनोरंजन के लिए भी निकालें.

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करें दिमागी कसरत

आप को लगता है कि आप की याद रखने की क्षमता कमजोर हो रही है तो अपनी स्मरणशक्ति को बढ़ाने के लिए दिमागी कसरत शुरू कर दें. ये कसरतें बहुत मजेदार होती हैं और रचनात्मकता को बढ़ाती हैं. खेलखेल में चीजें जल्दी याद होती हैं. ध्यान रहे कि मजेदार, रंगीन और रोचक चीजें आम या बोरिंग चीजों के मुकाबले दिमाग में ज्यादा समय तक टिकती हैं. जो आप याद रखना चाहते हैं, दिमाग में उन का सकारात्मक चित्रण करें. अप्रिय चीजों को हम जल्दी भूल जाते हैं.  दिमागी कसरत के लिए पजल या क्रौसवर्ड जैसे गेम्स खेलें. इस से बहुत फायदा होता है.

अपराधबोध से बचे

मल्टीटास्ंिकग आज हमारी मजबूरी है. इस की शिकार ज्यादातर कामकाजी महिलाएं हैं. महिलाओं में इस समस्या का बढ़ने का कारण है कि उन्हें एक ही समय में कई कामों पर फोकस करना पड़ता है. नौकरी, घर, बच्चे, रिश्तेदार, शौपिंग जैसी कई बातें एक ही समय में उन के दिमाग में चलती रहती हैं और अकसर वे कुछ जरूरी काम भूल जाती हैं. और गलती का एहसास होते ही वे अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती हैं. कई बार इस अपराधबोध का तनाव इतना अधिक हो जाता है कि वे डिप्रैशन का शिकार हो जाती हैं.

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गलती इंसान से ही होती है. अगर आप 10 कामों में से 1 या 2 ठीक से नहीं कर पाईं तो अपराधबोध से ग्रस्त होने की जरूरत नहीं है. आप उन 8 या 9 कामों के बारे में सोचिए जो आप ने कुशलतापूर्वक समय पर किए हैं. इस से आप की एकाग्रता भंग नहीं होगी और न ही आप की स्मरणशक्ति प्रभावित होगी. मनोविज्ञान में शोध कर रही डा. अरोड़ा बताती हैं कि जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में तनाव लगातार बना रहता है तो इस से उस के दिमाग का विकास रुक जाता है. इस से उस की मानसिक क्षमता धीरेधीरे क्षीण होती जाती है. महिलाओं के साथ ऐसा अकसर होता है. वे छोटीछोटी चीजों को भूलने लगती हैं, गलती का एहसास होने पर अपनेआप पर झुंझलाती हैं और बातबात पर खुद को ही कोसने लगती हैं. उन के मन में हर समय बेचैनी बनी रहती है, छोटीछोटी बात को ले कर चिंतित होने लगती हैं, जिस से उन का तनाव का स्तर बढ़ता है. इस के लिए जरूरी है कि वे अपनी सोच को सकारात्मक रखें. जो छूट गया उसे ले कर चिंतित न हों.

सही वसीयत-सावित्री की मौत का क्या कारण : भाग 2

‘‘तुम्हें एतराज न हो तो?’’ हरीश बाबू बोले.

‘‘कह कर तो देखिए, हो सकता है न हो,’’ सावित्री मुसकुराई.

‘‘क्यों न सुधीर सपरिवार यहीं आ कर रहे. इतना बड़ा घर है. सब मिलजुल कर रहेंगे तो अकेलापन खलेगा नहीं.’’ हरीश बाबू का प्रस्ताव सावित्री को जंच गया. वैसे भी सुमंत को गोद लेने पर मकान उन्हीं लोगों का होगा. रुपयापैसा क्या कोई अपने साथ ले कर जाएगा. एक दिन मौका पा कर सावित्री ने सुधीर से अपने मन की बात कही. सुधीर तो यही चाहता था. इसी बहाने उसे रहने का स्थायी ठौर मिल जाएगा. साथ में दोनों का लाखों का बैंकबैलेंस. थोड़ी नानुकुर के बाद सुधीर सपरिवार आ कर रहने लगा. घर की रौनक बढ़ गई. घर संभालने का काम सुनीता के कंधों पर आ गया. हरीश बाबू, सावित्री नौकरी पर चले जाते तो सुनीता ही घर का सारा काम निबटाती. उन्हें समय पर खानापीना मिल जाता, साथ में मन बहलाने के लिए सुमंत की घमाचौकड़ी.

हरीश बाबू ने सुमंत की हर जरूरतें पूरी कीं. शहर के अच्छे स्कूल में नाम लिखवाया. जिस चीज की जिद करता, चाहे कितनी ही महंगी हो, अवश्य दिलवाते.

सुधीर के रहते हुए 6 महीने से ज्यादा हो गए. एक रात हरीश बाबू और सावित्री ने फैसला लिया कि जो काम कल करना है उसे अभी करने में क्या हर्ज है.

लिहाजा, आपसी सलाह से सुमंत को गोद लेने के फैसले को एक दिन दोनों ने मूर्तरूप दे दिया. गोदनामे की एक शानदार पार्टी दी. पार्टी में उन्होंने अपने सारे रिश्तेदारों और दोस्तों को बुलाया. उन का सगा भाई नटवर भी आया. वह हरीश बाबू के इस गोदनामे से खुश नहीं था. सो, अपनी नाखुशी जाहिर करने में उस ने कोई कसर नहीं छोड़ी. हरीश बाबू शुरू से अपनी पत्नी की ही करते आए.

इस की सब से बड़ी वजह थी ससुराल के बगल में उन का स्थायी मकान का होना. नटवर का दोष यह था कि वह एक नंबर का धूर्त और चालबाज था. इसी वजह से हरीश बाबू उस को पसंद नहीं करते थे. उस रोज वह बिना खाएपिए चला गया. लोगों की नाराजगी से बेखबर हरीश बाबू अपने में खोए रहे.

गोदनामे के बाद जब सुधीर, हरीश बाबू के बल पर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गया तो अपने कामधंधे से लापरवाह हो गया. आलसी वह शुरू से था. फिर जब बिना मेहनत के मिले तो कोई क्यों हाथपांव मारे. वैसे भी व्यापार में अनिश्चितता बनी रहती है.

कुछ महीनों बाद सुधीर दुकान बंद कर के घर पर ही रहने लगा. हरीश बाबू चुप रहते मगर सावित्री बहन होने के नाते सुधीर को डांटडपट देती. धीरेधीरे हरीश बाबू को भी उस की बेकारी खलने लगी. वे भी मुखर होने लगे. इन्हीं सब वजहों से महीने में एकाध बार दोनों में तूतूमैंमैं हो जाती. एक दिन अचानक सावित्री को ब्रेन हैमरेज हो गया. 2 दिन कोमा में रहने के बाद वह चल बसी. हरीश बाबू का दिल टूट गया. वे गहरी वेदना में डूब गए. उस समय सुमंत न होता, तो निश्चय ही वे जीने की आस छोड़ देते.

सुमंत हाईस्कूल में पहुंच गया तो मोटरसाइकिल की जिद करने लगा. हरीश बाबू ने उसे तुरंत मोटरसाइकिल खरीदवा दी. घरगृहस्थी चलाने के लिए एकमुश्त रुपया वे सुधीर को दे देते. सुधीर उन पैसों में से अपने महीने का खर्च निकाल लेता. एक दिन हरीश बाबू ने पूछा, ‘‘जितना तुम्हें देते हैं, तुम सब खर्च कर देते हो, क्या कुछ बचता नहीं?’’

सुधीर को हरीश बाबू का पूछना नागवार लगा.

ऐंठ कर बोला, ‘‘बचता तो आप को नहीं दे देता.’’

‘‘नहीं देते, इसलिए पूछ रहा हूं,’’ हरीश बाबू बोले. सुनीता के कानों में दोनों के संवाद पड़ रहे थे. उसे भी हरीश बाबू का तहकीकात करना बुरा लग रहा था. जानने को वह अपने पति की हर आदत जानती थी.

‘‘यानी मैं बचे पैसे उड़ा देता हूं,’’ सुधीर अकड़ा.

‘‘पैसे बचते हैं.’’

‘‘आप सठिया गए हैं. बेसिरपैर की बातें करते हैं. सुनीता से अनापशनाप खानेपीने की फरमाइश करते हैं. न देने पर मुंह फुला लेते हैं और मुझे चोर समझते हैं.’’

‘‘मैं तुम्हें चोर समझ रहा हूं?’’ हरीश बाबू भड़के.

‘‘और नहीं तो क्या? आप के साथ जब से रह रहा हूं सिवा जलालत के कुछ नहीं मिला. कभीकभी तो जी करता है कि घर छोड़ कर चला जाऊं.’’

‘‘चले जाओ, मैं ने कब रोका है.’’

‘‘चला जाऊंगा, आज ही चला जाऊंगा,’’ पैर पटक कर वह बाहर चला गया.

उस रात उस ने सुनीता से सलाह कर ससुराल में रहने का निश्चय किया, हालांकि यह व्यावहारिक नहीं था. भले ही तैश में आ कर उस ने कहा हो, पर वह अपनी औकात जानता था. वहां जा कर खाएगा क्या? सुमंत भी किसी लायक नहीं था. उस पर यहां से चला गया तो हो सकता है हरीश बाबू वसीयत ही बदल दें. फिर तो वह न घर का रहेगा, न घाट का. अचल संपत्ति तो थी ही, सावित्री के जेवरात, बैंक में फिक्स रुपए इन सब से उसे हाथ धोना पड़ता.

सुनीता भी कम शातिर नहीं थी. थोड़ा अपमान सह कर रहने में उसे हर्ज नहीं नजर आता था. एक कहावत है, ‘दुधारी गाय की लात भी भली.’ सुधीर को उस ने अच्छे से समझाया. सुधीर इतना बेवकूफ नहीं था जितना सुनीता समझती थी. उस ने तो सिर्फ गीदड़ धमकी दी थी हरीश बाबू को. वह हरीश बाबू की कमजोरी जानता था. सुमंत के बगैर वे एक पल नहीं रह सकते थे. दिखाने के लिए वह अपना सामान पैक करने लगा.

‘‘कहां की तैयारी है?’’ हरीश बाबू का गुस्सा शांत हो चुका था.

‘‘मैं आप के साथ नहीं रह सकता.’’

‘‘मैं तुम्हारा जीजा हूं. उम्र में तुम से बड़ा हूं. क्या इतना भी पूछने का हक नहीं है मुझे?’’

‘‘सलीके से पूछा कीजिए. क्या मेरी कोई इज्जत नहीं. मेरा बेटा बड़ा हो रहा है, क्या सोचेगा वह मेरे बारे में.’’ सुधीर के कथन में सचाई थी, इसलिए वे भी मानमनौवल पर आ गए.

हुंडई ग्रैंड आई 10 नियोस- इंजन

हुंडई ग्रैंड आई 10 नियोस के इंजन के बारे में काफी कुछ जान चुके हैं हम लेकिन आज हम इसके इंजन की कुछ बेहतरीन क्वालिटी के बारे जानेंगे.

हुंडई ग्रैंड आई 10- नियोस के इंजन में नया और पावरफुल 1.0-लीटर 3-सिलेंडर टर्बो-पेट्रोल इंजन लगा हुआ है.

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इस तरह के इंजन ही हुंडई के और भी कारों में लगा है. यह एप्लिकेशन 99 बीएचपी का हेल्दी पीक पावर देता है. इससे गाड़ी को मजबूती के साथ कंट्रोल की सुविधा भी मिलती है. हुंडई ग्रैंड आई 10 नियोस जैसी लाइट वेटेड कार मे ऐसे इंजन का होना आपको हैचबैक का अनुभव देता है.

हुंडई ग्रैंड आई 10 नियोस की धमाकेदार परफॉर्मेंस#MakesYouFeelAlive.

‘दिल बेचारा’ के नए गानें को देख इमोशनल हुए सुशांत के फैन्स

सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के गम से आज भी उनके फैन्स उबार नहीं पा रहें हैं और आज भी इंटरनेट पर सुशांत को सबसे ज्यादा सर्च किया जा रहा है. उनके फैन्स जहाँ उनको अपने दिलो दिमाग से भुला नहीं पा रहें हैं वहीँ उनकी जल्द ही रिलीज होनें वाली फिल्म फिल्म ‘दिल बेचारा’ का भी फैन्स को काफी बेसब्री से इंतज़ार है.  उनके फैन्स की दीवानगी का ही परिणाम था की उनकी फिल्म ‘दिल बेचारा’ के ट्रेलर नें ब्यूज के मामले में कई रिकार्ड बनाए.

‘दिल बेचारा’ के इस आने वाली फिल्म ‘दिल बेचारा’ का दूसरा नया सॉन्ग ‘खुलके जीने का’  को “सोनी म्यूजिक इंडिया” के आफिसियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज कर दिया गया है . इसमें सुशांत और संजना सांघी लाइफ को इंज्वाय करते नजर आ रहें हैं. इस गाने को अरिजीत सिंह और शाशा त्रिपाठी ने गाया है, जबकि इसे लिखा है अमिताभ भट्टाचार्य नें.

गाने में सुशांत और संजना सड़कों और माल्स में तस्वीरें बनवाते और खिंचवाते देखा जा सकता है वहीँ खुल के रोमांश करना इस गाने में जान डाल रहा है. इसे सुन्दर लोकेशन पर फिल्माया गया की फैन्स इन सीन्स को देख कर जहाँ खुश हो रहे हैं वहीँ इस सुशांत सिंह राजपूत को याद कर इमोशनल हो गए. इस गाने को महज 20 घंटे में 60 लाख से भी ज्यादा बार देखा जा चुका है.

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‘दिल बेचारा’ में सुशांत और संजना नें कैंसर के मरीज के रोल को बड़े ही संजीदगी से निभाया है यह उनके फिल्म के ट्रेलर को देख कर ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. यह फिल्म जॉन ग्रीन के उपन्यास ‘द फॉल्ट इन ऑर स्टार्स’ पर आधारित है.

बतातें चलें की हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी की फिल्म ‘दिल बेचारा’ को ओटीटी प्लेटफार्म हॉटस्टार डिज्नी पर रिलीज किये जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है जिसे जल्द ही रिलीज किया जाएगा.

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इसके पहले फॉक्स स्टार हिंदी पर इस फिल्म के ट्रेलर को लाँच किया जा चुका है इस ट्रेलर को दर्शकों का इतना ज्यादा रिपान्स मिला की महज कुछ दिनों के भीतर ही ब्युअर्स की संख्या 7 करोड़ को पार कर चुकी है.

 

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Ek haseen mazaaa hai yeh. Mazaahiya. Sazaa hai ye??

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इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत नें ‘मैनी’ और संजना सांघी नें ‘किजी’ की भूमिका निभाई है इसके अलावा फिल्म में साहिल वैद स्वस्तिका मुखर्जी, सास्वत चटर्जी), भी प्रमुख भूमिकाओं में नजर आयेंगे. फिल्म का निर्देशन मुकेश छाबड़ा नें किया है जबकि निर्माता फॉक्स स्टार स्टूडियो है. इस फिल्म का संगीत ए.आर. रहमान नें दिया है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन: भारत में शुरू हुआ कम्युनिटी स्प्रेड, बिगड़े हालात

देश में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. अब हर दिन कोरोना के 30,000 से ऊपर मामले सामने आ रहे हैं. यह खबर लिखते हुए देश में कुल 10 लाख 40 हजार मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें से 26,273 रिपोर्टेड लोग अपनी जान गँवा चुके हैं. पिछले 3 दिनों में कोरोना की रफ़्तार काफी तेज हुई है. सिर्फ 3 दिन में ही 1 लाख से भी ऊपर मामले दर्ज किये गए. इस समय हमारा देश पुरे विश्व में तीसरे पायदान पर पहुँच गया है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि बाकी देशों की तरह अभी भारत का पीक नहीं आया है. हमारे देश के लिए चिंता वाली बात यह कि 2-3 देशों को छोड़ कर दुनिया के बाकी देशों में कोरोना का ग्राफ गिर रहा है लेकिन भारत में यह ग्राफ बहुत तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ रहा है. भारत से ऊपर इस समय दुसरे नंबर पर ब्राजील और पहले पर अमेरिका है. जिस तरह से भारत के मामले बढ़ रहे हैं उससे लग रहा है कि हम आने वाले 20 दिनों के भीतर संभवत ब्राजील को भी पीछे छोड़ देंगे.

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने क्या कहा?

इस बीच आईएमए का कहना है कि “भारत में कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है और हालत खराब हो गए हैं.” कम्युनिटी स्प्रेड होने का मतलब कि ‘अब कोरोना संक्रमण के फैलने के सोर्स का पता नहीं चल पा रहा है. यानि यह यह पता न होना कि कोरोना पीड़ित किसके संपर्क से कोरोना संक्रमित हुआ.’ आइएमए हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन डॉक्टर वीके मोंगा ने कहा कि देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. जो बेहद खतरनाक स्तिथि है. इसके साथ उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण इलाकों में फ़ैल रहा है जो स्तिथि खराब होने के संकेत हैं. यह कम्युनिटी स्प्रेड दिखा रहा है.

इसके साथ ही उन्होंने कोरोना को तेजी से फैलने वाली बिमारी बताया और राज्यों से पूरी सावधानी बरतने की और केन्द्रों से मदद लेने की बात कही. डॉक्टर वीके मोंगा ने कहा कि कोरोना के मामले गांव, कस्बों में घुस रहे हैं, जहां सिचुएशन नियंत्रण करना मुश्किल होगा. वह आगे कहते है कि “दिल्ली में तो इसे नियंत्रित करने में कामयाब हुए लेकिन, महाराष्ट्र, कर्नाटका, केरला, गोवा, मध्यप्रदेश जैसे आन्तरिक राज्यों का क्या?” जाहिर है उन्होंने इस राज्यों का नाम देश के नए कोरोना हॉटस्पॉट को लेकर लिया.

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इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने कहा कि देश में नियमित रूप से परीक्षण सुविधाओं में तेजी आ रही है. इस समय देश भर में 885 सरकारी प्रयोगशालाएँ और 368 निजी प्रयोगशालाएं कोविड-19 का परीक्षण कर रहीं है. शुक्रवार 17 जुलाई तक देश में कुल 1,34,33,742 कोरोना सैंपल लिए जा चुके हैं. जिसमें से 3,61,024 सैंपल अकेले शुक्रवार को लिए गए.

कम्युनिटी स्प्रेड की बात पहले भी सामने आ चुकी हैं.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दो दिन पहले ही 17, जुलाई, शुक्रवार को कहा था कि “पुन्थुरा और पुल्लुविल्ला में सामुदायिक प्रसार हो चुका है. और आसपास के क्षेत्रो में संक्रमितो के संपर्क में आने से संक्रम तेजी से फैला है.” जिसे देखते हुए प्रशासन ने उत्तर में एडवा से लेकर दक्षिण में पोझियुर तक जिले के तटीय क्षेत्र को ‘क्रिटिकल कन्टेनमेंट जोन’ घोषित कर दिया है. और इन क्षेत्रो में 10 दिन के लिए सम्पूर्ण लाकडाउन लगा दिया है.

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हांलाकि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पहले ही मंगलवार, 14 जुलाई को कम्युनिटी स्प्रेड को लेकर कहा था कि “हम इस समय कोविड-19 प्रकोप के सबसे महत्वपूर्ण चरण का सामना कर रहे हैं. यह चिंता का विषय है कि हम सामुदायिक फैलाव के बेहद करीब हो सकते हैं.” वे आगे कहते हैं कि “राज्य में संक्रमण की दर बढ़ रही है और इसके साथ संपर्क के माध्यम से संक्रमित लोगों की संख्या भी बढ़ रही है.”

कम्युनिटी स्प्रेड की बात इससे पहले भी दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्यंद्र जैन कह चुके हैं. उस दौरान उन्होंने कहा था कि दिल्ली में आ रहे आधे मामले ट्रेस नहीं कर पा रहे हैं, यह पता नहीं चल पा रहा है कि इनके संक्रमण का सोर्स कहां से आया है. ध्यान देने वाली बात इस मामले के बाद राज्य में केंद्र सरकार सक्रिय हुई थी.

कई जानकार कहते हैं कि सरकार ने कम्युनिटी स्प्रेड के लिए मानक तैयार नहीं किये हैं. उनका कहना है कि यह कब कहा जाए कि किसी इलाके में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है, क्या इलाके की संख्या के आधार पर या सोर्स के पता न होने पर? जो फिलहाल माना जा रहा है यह कि संक्रमण होने का सोर्स न पता होना या ट्रेस न कर पाना कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मुख्य संकेत हैं जिससे संक्रमण अधिकाधिक पढता भी है. किन्तु सरकार इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं दे रही.

इस पर आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने जून में कहा था कि “यह (कम्युनिटी स्प्रेड) एक बड़ी बहस है, यहां तक कि डब्ल्यूएचओ ने भी कम्युनिटी स्प्रेड की कोई परिभाषा नहीं दी है.” आगे उन्होंने उस दौरान कहा कि ग्रामीण इलाकों में 1 प्रतिशत से कम प्रसार हुआ है और शहरों में 1 प्रतिशत से थोडा अधिक. तो हम कम्युनिटी स्प्रेड में नहीं है.”

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स्थिति बदलती दिख रही है

डॉक्टर मोंगा का यह बयान अहम् इसलिए भी बताया जा रहा है क्योंकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन को सरकार नकारती आई है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन भारत में शुरू नहीं हुआ है. आईएमए द्वारा बयान ऐसे समय में दिया गया है जब भारत में मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. जिन राज्यों का नाम डॉक्टर वीके मोंगा ने लिए है उन राज्यों में प्रसार तेजी से बढ़ता हुआ दिख भी रहा है.

कई राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी उठ रहे हैं कि कोरोना के मामलों में कमी दिखने का एक बड़ा कारण वहां की टेस्टिंग प्रक्रिया है. जिसमें वहां राज्य की जनसँख्या के अनुपात में टेस्ट बहुत कम हो रहे हैं. देश ने अपनी कोविड टेस्ट में बढ़ोतरी की है लेकिन राज्यों में जनसँख्या अनुपात के हिसाब से टेस्ट सामान नहीं हो रहे.

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आईएमए के बयान में ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड प्रसार को लेकर चिंता जायज हैं. यह संक्रमण अगर गांव देहातों में प्रसार होता है तो वहां रोकना एक चुनौती होगी. इसका सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोर व्यवस्था का होना हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में 200 किलोमीटर तक स्वास्थ्य की उचित व्यवस्था नहीं है. हाल में ही राजधानी दिल्ली में बेड्स, वेंटीलेटर की कमी बड़ी बहस बनी हुई थी. जबकि राजधानी में केंद्र और राज्य सरकार के हॉस्पिटल मौजूद हैं. ऐसे में आईएमए चेयरमैन के बयान पर केंद्र और राज्य सरकारों को गहन मंथन की जरूरत है. और मामले को संजीदा से लेने की जरूरत है

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