उम्र जैसेजैसे बढ़ती है हम छोटीछोटी चीजें भूलने लगते हैं. हर पल यह एहसास होता है कि हमारी स्मरणशक्ति कमजोर होती जा रही है. उम्र के साथ स्मरणशक्ति थोड़ीबहुत कमजोर होती है लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. स्मरणशक्ति के कमजोर होने के कई कारण हैं. उम्र बढ़ने के साथसाथ पारिवारिक व कार्यालयी जिम्मेदारियां और उन के साथ जुड़ी समस्याएं निरंतर बढ़ती जाती हैं. उस पर अतिव्यस्त जीवनशैली, खासतौर पर महिलाओं को घर और दफ्तर के बीच सही तालमेल बिठाने के लिए रात को देर से सोना और सुबह जल्दी उठना पड़ता है जिस कारण वे 6 घंटे की नींद भी नहीं ले पाती हैं. उस पर पश्चिमी खानपान और घटता फिटनैस लैवल. ये सारी चीजें हमारी स्मरणशक्ति को प्रभावित करती हैं.

शरीर तंदुरुस्त होता है तो दिमाग बहुत तेजी से काम करता है. इस के विपरीत जब हम सुस्ती और आलस्य से घिरे होते हैं, सोचने और याद रखने की क्षमता क्षीण हो जाती है. जिस तरह शारीरिक फिटनैस के लिए सुबह की सैर या जौगिंग जरूरी है उसी प्रकार दिमागी फिटनैस के लिए भी सुबह की सैर, कसरत या जौगिंग बेहद जरूरी है. सुबह की ताजी खुली हवा में सैर करने से दिमाग की कोशिकाओं यानी न्यूरोन्स का निर्माण होता है, यानी दिमाग में नई कोशिकाएं बनने लगती हैं. इसी तरह सुबह या शाम को व्यायाम करने से दिमाग का वह हिस्सा अधिक सक्रियता से काम करता है जो याद रखने और नई चीजें सीखने में हमारी सहायता करता है.

इतना ही नहीं, व्यायाम करने से प्रोटीन बढ़ता है, रक्त संचार सुधरता है और तंत्रिकातंत्र बेहतर ढंग से काम करता है. इन सब का सकारात्मक प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है और दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ती है. विशेषज्ञों का मानना है कि मस्तिष्क के लिए शारीरिक श्रम, दिमागी कसरत से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है.

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