देश में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. अब हर दिन कोरोना के 30,000 से ऊपर मामले सामने आ रहे हैं. यह खबर लिखते हुए देश में कुल 10 लाख 40 हजार मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें से 26,273 रिपोर्टेड लोग अपनी जान गँवा चुके हैं. पिछले 3 दिनों में कोरोना की रफ़्तार काफी तेज हुई है. सिर्फ 3 दिन में ही 1 लाख से भी ऊपर मामले दर्ज किये गए. इस समय हमारा देश पुरे विश्व में तीसरे पायदान पर पहुँच गया है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि बाकी देशों की तरह अभी भारत का पीक नहीं आया है. हमारे देश के लिए चिंता वाली बात यह कि 2-3 देशों को छोड़ कर दुनिया के बाकी देशों में कोरोना का ग्राफ गिर रहा है लेकिन भारत में यह ग्राफ बहुत तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ रहा है. भारत से ऊपर इस समय दुसरे नंबर पर ब्राजील और पहले पर अमेरिका है. जिस तरह से भारत के मामले बढ़ रहे हैं उससे लग रहा है कि हम आने वाले 20 दिनों के भीतर संभवत ब्राजील को भी पीछे छोड़ देंगे.
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने क्या कहा?
इस बीच आईएमए का कहना है कि “भारत में कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है और हालत खराब हो गए हैं.” कम्युनिटी स्प्रेड होने का मतलब कि ‘अब कोरोना संक्रमण के फैलने के सोर्स का पता नहीं चल पा रहा है. यानि यह यह पता न होना कि कोरोना पीड़ित किसके संपर्क से कोरोना संक्रमित हुआ.’ आइएमए हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन डॉक्टर वीके मोंगा ने कहा कि देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. जो बेहद खतरनाक स्तिथि है. इसके साथ उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण इलाकों में फ़ैल रहा है जो स्तिथि खराब होने के संकेत हैं. यह कम्युनिटी स्प्रेड दिखा रहा है.
इसके साथ ही उन्होंने कोरोना को तेजी से फैलने वाली बिमारी बताया और राज्यों से पूरी सावधानी बरतने की और केन्द्रों से मदद लेने की बात कही. डॉक्टर वीके मोंगा ने कहा कि कोरोना के मामले गांव, कस्बों में घुस रहे हैं, जहां सिचुएशन नियंत्रण करना मुश्किल होगा. वह आगे कहते है कि “दिल्ली में तो इसे नियंत्रित करने में कामयाब हुए लेकिन, महाराष्ट्र, कर्नाटका, केरला, गोवा, मध्यप्रदेश जैसे आन्तरिक राज्यों का क्या?” जाहिर है उन्होंने इस राज्यों का नाम देश के नए कोरोना हॉटस्पॉट को लेकर लिया.
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इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने कहा कि देश में नियमित रूप से परीक्षण सुविधाओं में तेजी आ रही है. इस समय देश भर में 885 सरकारी प्रयोगशालाएँ और 368 निजी प्रयोगशालाएं कोविड-19 का परीक्षण कर रहीं है. शुक्रवार 17 जुलाई तक देश में कुल 1,34,33,742 कोरोना सैंपल लिए जा चुके हैं. जिसमें से 3,61,024 सैंपल अकेले शुक्रवार को लिए गए.
कम्युनिटी स्प्रेड की बात पहले भी सामने आ चुकी हैं.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दो दिन पहले ही 17, जुलाई, शुक्रवार को कहा था कि “पुन्थुरा और पुल्लुविल्ला में सामुदायिक प्रसार हो चुका है. और आसपास के क्षेत्रो में संक्रमितो के संपर्क में आने से संक्रम तेजी से फैला है.” जिसे देखते हुए प्रशासन ने उत्तर में एडवा से लेकर दक्षिण में पोझियुर तक जिले के तटीय क्षेत्र को ‘क्रिटिकल कन्टेनमेंट जोन’ घोषित कर दिया है. और इन क्षेत्रो में 10 दिन के लिए सम्पूर्ण लाकडाउन लगा दिया है.
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हांलाकि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पहले ही मंगलवार, 14 जुलाई को कम्युनिटी स्प्रेड को लेकर कहा था कि “हम इस समय कोविड-19 प्रकोप के सबसे महत्वपूर्ण चरण का सामना कर रहे हैं. यह चिंता का विषय है कि हम सामुदायिक फैलाव के बेहद करीब हो सकते हैं.” वे आगे कहते हैं कि “राज्य में संक्रमण की दर बढ़ रही है और इसके साथ संपर्क के माध्यम से संक्रमित लोगों की संख्या भी बढ़ रही है.”
कम्युनिटी स्प्रेड की बात इससे पहले भी दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्यंद्र जैन कह चुके हैं. उस दौरान उन्होंने कहा था कि दिल्ली में आ रहे आधे मामले ट्रेस नहीं कर पा रहे हैं, यह पता नहीं चल पा रहा है कि इनके संक्रमण का सोर्स कहां से आया है. ध्यान देने वाली बात इस मामले के बाद राज्य में केंद्र सरकार सक्रिय हुई थी.
कई जानकार कहते हैं कि सरकार ने कम्युनिटी स्प्रेड के लिए मानक तैयार नहीं किये हैं. उनका कहना है कि यह कब कहा जाए कि किसी इलाके में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है, क्या इलाके की संख्या के आधार पर या सोर्स के पता न होने पर? जो फिलहाल माना जा रहा है यह कि संक्रमण होने का सोर्स न पता होना या ट्रेस न कर पाना कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मुख्य संकेत हैं जिससे संक्रमण अधिकाधिक पढता भी है. किन्तु सरकार इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं दे रही.
इस पर आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने जून में कहा था कि “यह (कम्युनिटी स्प्रेड) एक बड़ी बहस है, यहां तक कि डब्ल्यूएचओ ने भी कम्युनिटी स्प्रेड की कोई परिभाषा नहीं दी है.” आगे उन्होंने उस दौरान कहा कि ग्रामीण इलाकों में 1 प्रतिशत से कम प्रसार हुआ है और शहरों में 1 प्रतिशत से थोडा अधिक. तो हम कम्युनिटी स्प्रेड में नहीं है.”
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स्थिति बदलती दिख रही है
डॉक्टर मोंगा का यह बयान अहम् इसलिए भी बताया जा रहा है क्योंकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन को सरकार नकारती आई है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन भारत में शुरू नहीं हुआ है. आईएमए द्वारा बयान ऐसे समय में दिया गया है जब भारत में मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. जिन राज्यों का नाम डॉक्टर वीके मोंगा ने लिए है उन राज्यों में प्रसार तेजी से बढ़ता हुआ दिख भी रहा है.
कई राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी उठ रहे हैं कि कोरोना के मामलों में कमी दिखने का एक बड़ा कारण वहां की टेस्टिंग प्रक्रिया है. जिसमें वहां राज्य की जनसँख्या के अनुपात में टेस्ट बहुत कम हो रहे हैं. देश ने अपनी कोविड टेस्ट में बढ़ोतरी की है लेकिन राज्यों में जनसँख्या अनुपात के हिसाब से टेस्ट सामान नहीं हो रहे.
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आईएमए के बयान में ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड प्रसार को लेकर चिंता जायज हैं. यह संक्रमण अगर गांव देहातों में प्रसार होता है तो वहां रोकना एक चुनौती होगी. इसका सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोर व्यवस्था का होना हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में 200 किलोमीटर तक स्वास्थ्य की उचित व्यवस्था नहीं है. हाल में ही राजधानी दिल्ली में बेड्स, वेंटीलेटर की कमी बड़ी बहस बनी हुई थी. जबकि राजधानी में केंद्र और राज्य सरकार के हॉस्पिटल मौजूद हैं. ऐसे में आईएमए चेयरमैन के बयान पर केंद्र और राज्य सरकारों को गहन मंथन की जरूरत है. और मामले को संजीदा से लेने की जरूरत है