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शैतान-भाग 2: सोनिया कौन सी पाप की सजा भुगत रही थी?

‘‘यह किडनैप किस ने किया था?’’ रानिया ने पूछा.

‘‘सोनिया के पिता ने और किस ने.’’ उस ने कहा, ‘‘बाप ने अगवा करवाया और बेटी पैसे ले कर मदद को आ गई. देखो रानिया, इंसान की करनी का फल यहीं मिल जाता है. सोनिया की बीमारी की खबर जब उस के पिता को मिली तो वह हार्टअटैक से मर गया.’’

‘‘क्या सोनिया मैम की बीमारी का कोई इलाज नहीं है?’’

‘‘डाक्टर उम्मीद तो दिलाते हैं, पर सब बेकार है. मैं सोनिया को यकीन तो दिलाता हूं कि उस के सिवा मेरी जिंदगी में कोई नहीं है, पर वह पूरे वक्त शक करती है, अपने मुखबिर मेरे पीछे लगाए रखती है.’’ अरसलान इतना ही कह पाया था कि उस का मोबाइल बज उठा. उस ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से सोनिया की आवाज आई. वह पूछ रही थी, ‘‘रानिया को छोड़ दिया क्या?’’

‘‘हां, मैं ने उसे चौरंगी पर उतार दिया.’’ फोन बंद कर के उस ने कहा, ‘‘देखो, उसे तुम पर भी यकीन नहीं है. मैं ने कह दिया, उसे चौरंगी उतार दिया है. उसे पता नहीं है कि मैं तुम्हें तुम्हारे घर के पास ही उतारूंगा.’’

‘‘अरे नहीं, आप मेरी वजह से परेशान न हों. मैं चौरंगी से चली जाऊंगी.’’ रानिया ने कहा.

‘‘इस में परेशानी वाली कोई बात नहीं है. अब यहां से तुम्हारा घर रह ही कितनी दूर गया है.’’ अरसलान ने कहा.

कुछ देर में कार रानिया के घर के पास पहुंच गई तो वह उस का शुक्रिया अदा कर के कार से उतर कर अपने घर चली गई. रानिया ने उस से भी अपने घर चलने को कहा था, पर वह फिर कभी आने की बात कह कर चला गया था.

रानिया चहकती हुई अपने घर पहुंची तो भाभी का मूड ठीक नहीं था. वह तीखे स्वर में बोली, ‘‘इतनी देर क्यों हुई?’’

रानिया जल्दी से बोली, ‘‘भाभी, मैं एक नई नौकरी के इंटरव्यू के लिए गई थी. बहुत अच्छी जौब है. सैलरी भी अच्छी है. मेरे वहां नौकरी करने से आप की एक बड़ी समस्या हल हो जाएगी.’’

भाभी ने उसे हैरानी से देखा तो वह जल्दी से बोली, ‘‘हां भाभी, मुझे मिसेज सोनिया ने अपनी 3 साल की बच्ची की देखरेख के लिए रख लिया है. अच्छी सैलरी के साथ रिहाइश, खानापीना सब फ्री है. वह 30-35 साल की बहुत अच्छी महिला हैं, बच्ची की देखरेख के लिए मुझे रखा है.’’

‘‘लेकिन तुम्हें यह काम करने का कोई अनुभव नहीं है.’’

‘‘भाभी, बच्चे प्यार व खिदमत के भूखे होते हैं. मैं यह कर लूंगी. मुझे कल 10 बजे अपना सामान ले कर जाना है. मैं आप को वहां का पता वगैरह दे दूंगी.’’

भाभी के रजामंद होने पर रानिया बेहद खुश हुई.

अरसलान के साथ रहने के बारे में सोच कर ही रानिया का दिल धड़कने लगा. अरसलान की बातों से उसे लगा था कि अब सोनिया ज्यादा नहीं जिएगी. उस ने बीमार सोनिया की तो देखभाल की ही, साथ ही उस की बेटी फिजा को भी बहुत प्यार दिया. करीब 8 महीने बाद सोनिया की मौत हो गई. इन 8 महीनों में सोनिया ने अरसलान की हर बात उसे बता दी थी.

उस की मौत से 3 दिन पहले की बात थी. उस दिन सोनिया की तबीयत ज्यादा खराब थी. रानिया सोनिया के पास ही थी. तभी एक नौकरानी ने कमरे में आ कर कहा, ‘‘रानिया बीबी, आप को साहब ड्राइंगरूम में बुला रहे हैं.’’

रानिया ने एक नजर फिजा पर डाली. वह आराम से सो रही थी. वह ड्राइंगरूम में पहुंची तो वहां सोनिया की सहेली कंजा सोफे पर अरसलान से सटी बैठी थी. रानिया को उस का यह अंदाज बड़ा बुरा लगा. वहीं पर सोनिया के वकील भी मौजूद थे. वकील ने कहा, ‘‘मिस रानिया, आप कल 11 बजे यहां हाजिर रहिएगा.’’

‘‘मैं तो यहीं रहती हूं साहब, जब आप कहेंगी, आ जाऊंगी.’’

‘‘मुझे बताया गया था कि आज आप अपने घर चली जाएंगी.’’ वकील साहब ने कहा.

कंजा बीच में बोल पड़ी, ‘‘दरअसल, मैं ने और अरसलान ने सोचा कि फिजा को जेहनी सुकून के लिए मेरे घर मेरे बच्चे और उस की ट्रेंड आया के पास छोड़ दिया जाए. क्योंकि फिजा के दिलोदिमाग में सोनिया की मौत का असर पड़ सकता है. जब फिजा हमारे यहां चली जाएगी तो रानिया की यहां क्या जरूरत रहेगी.’’

उस की इस बात पर रानिया को गुस्सा आ गया. उस ने तीखे स्वर में कहा, ‘‘मेरे खयाल से अभी घर में फिजा के बड़े मौजूद हैं, वे इस बारे में फैसला लेंगे. आप का ताल्लुक सिर्फ इतना है कि आप सोनिया मैम की सहेली हैं.’’

‘‘मैं तो सोनिया की सहेली हूं, लेकिन तुम तो मुलाजिम के अलावा कुछ नहीं हो.’’

रानिया ने तड़प कर अरसलान की ओर देखा कि वह उस का कुछ सपोर्ट करेगा. पर वह चुप बैठा था. वहां मौजूद सोनिया की खाला ने कहा, ‘‘मैं फिजा को अपने घर भेज देती हूं, वहां मेरी बेटियां उसे संभाल लेंगी.’’

वकील ने कहा, ‘‘आप लोग बेकार की बहस कर रहे हैं. सोनिया की वसीयत के मुताबिक वसीयत खोलते वक्त सिर्फ 3 लोग मौजूद रहेंगे. इन में एक हैं मिस रानिया, इसलिए इन का यहां रहना जरूरी है, इसलिए यही बेहतर होगा कि फिजा उन्हीं के पास रहे. इतने दिनों से वही उस की देखभाल कर रही हैं और इस वक्त इन्हीं की जरूरत भी है. क्यों अरसलान साहब, यह बात सही है न?’’

अरसलान ने अनमने ढंग से कहा, ‘‘आप ठीक कह रहे हैं वकील साहब.’’

कंजा ने बेकरार हो कर उस की तरफ देखा तो अरसलान ने धीरे से उस का हाथ दबा दिया. रानिया ने उठ कर कहा, ‘‘क्या अब मैं फिजा के पास जाऊं?’’

‘‘हां, आप जाएं और आप यहीं रुकेंगी. बच्ची के पास.’’ वकील ने मजबूत लहजे में कहा.

 

इस के बाद रानिया फिजा के पास लेट गई. अरसलान की बेरुखा और दोगला बर्ताव देख कर वह बहुत दुखी थी. उस की आंखों से आंसू बहने लगे. उसे याद आया कि एक बार सोनिया ने उस से कहा था, ‘‘मेरी कंजा से कोई खास दोस्ती नहीं है. पता नहीं यह तलाकशुदा महिला क्यों बारबार मेरे घर चली आती है?’’

शायद सोनिया को अंदाजा था कि वह अरसलान के पीछे लगी है. इन 8 महीनों में सोनिया से रानिया की अच्छी दोस्ती हो गई थी. रानिया की यह अच्छी आदत थी कि वह चुपचाप सब सुनती थी, इसलिए सोनिया उस से अपने मन की बातें कर के दिल हलका कर लेती थी.

एक बार उस ने अपनी मोहब्बत की पूरी कहानी बताई थी. उस ने कहा था, ‘‘यह सच है कि मुझे अरसलान से पहली नजर में मोहब्बत हो गई थी. पहली बार जब अरसलान कार्टन सप्लाई के लिए हमारी फैक्टरी में आया था, तब उस का कारोबार बहुत छोटा था. मैं ने उसे पार्टनरशिप का औफर दिया था, ताकि उस का काम बड़े पैमाने पर हो सके और आमदनी भी बढ़े. उस के बाद हम ने साथ मिल कर बिजनैस बढ़ाया.

‘‘उसी दौरान मुझे मालूम हुआ कि अरसलान की मंगनी उस की कजिन रूही से हो चुकी है. मैं पीछे हट गई और अरसलान को भूल जाना चाहा, पर उसी दौरान रूही का किडनैप हो गया. अरसलान ने बताया कि अपहर्त्ताओं ने 50 लाख रुपए मांगे हैं. 50 लाख रुपए उस ने मुझ से इस वादे के साथ मांगे कि रूही के छूट जाने के बाद वह मुझ से शादी कर लेगा.

‘‘मैं ने अरसलान को 50 लाख रुपए दे दिए. मैं ने पुलिस को भी खबर कर दी. जांच करते हुए पुलिस वहां पहुंची तो अपहर्त्ता भाग चुके थे. रूही रस्सियों से बंधी थी. उस की आंखों पर पट्टी बंधी थी. रूही ने बताया कि अपहर्त्ता 3 थे और उन्होंने मास्क पहन रखे थे, इसलिए वह किसी को पहचान नहीं सकी.’’

सोनिया का कहना था कि उसे शक है कि यह किडनैपिंग का प्रोपेगैंडा अरसलान का था. उसी ने सारा खेल खेला था.

साफ पानी पियो, जुग-जुग जियो

अगर यह कहा जाए कि रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन जल ही जीवन है तो यह गलत नहीं होगा. खाने के बिना इनसान कई दिनों तक जी सकता है, पर जल के बिना कुछ दिन भी नहीं रह सकता. पानी सिर्फ प्यास बुझाने के ही नहीं, खाना बनाने, घर की साफसफाई, स्नान से ले कर उद्योगधंधों व खेतीबाड़ी तक के लिए बेहद जरूरी है.

जरूरी है पानी की शुद्धता

सिर्फ पानी का होना ही पर्याप्त नहीं, इस का शुद्ध और हैल्दी होना भी बेहद जरूरी है. पानी में कई तरह के नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया, घुलनशील तत्त्व और ठोस अशुद्घियां मौजूद हो सकती हैं. ऐसे में अशुद्ध पानी का सेवन हमें बीमार कर सकता है. यह उलटी, डायरिया, टायफाइड, पोलिया, पीलिया आदि होने का कारण बन सकता है. गंदे पानी से स्नान करने से त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं.

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टीडीएस लैवल

पानी में कुल घुलित ठोस यानी टीडीएस लैवल का ध्यान रखना जरूरी है. पानी में कई तरह के खनिज जैसे मैगनीशियम, कैल्सियम, सोडियम आदि घुले होते हैं. इस के अलावा कम मात्रा में मगर खतरनाक घुलित ठोस पदार्थ भी होते हैं. जैसे आर्सेनिक फ्लूराइड और नाइट्रेट वगैरह. आमतौर पर पीने के पानी में टीडीएस लैवल 500 एमजी प्राप्त लिटर से अधिक नहीं होना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 से 150 का स्तर बेहतर बताया है.

पानी शुद्ध करने के तरीके

पानी को शुद्ध करने का सब से पुराना और आसान तरीका है छानना. किसी कपड़े या छलनी से पानी को छान लिया जाता है. मगर इस तरीके से केवल ठोस पदार्थ ही बाहर निकलते हैं, घुलनशील गंदगी दूर नहीं होती.

पानी को शुद्ध करने का दूसरा तरीका है उसे उबालना. कम से कम 15-20 मिनट तक पानी को तेज आंच पर उबाला जाता है. इस से उस में मौजूद नुकसानदेह बैक्टीरिया मर जाते हैं.

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रसायनों का प्रयोग कर के भी पानी को शुद्ध किया जाता है. आमतौर पर इस के लिए क्लोरीन और आयोडीन का इस्तेमाल होता है. इस से हानिकारक बैक्टीरिया आसानी से हटा दिए जाते हैं. पर इस पानी को भी पूरी तरह शुद्ध और हैल्दी नहीं कहा जा सकता.

बहुस्तरीय शुद्घिकरण द्वारा भी पानी को साफ किया जाता है. पर इस में बिजली के प्रयोग के बगैर भी कई स्तरों पर पानी साफ किया जाता है. प्रीफिल्टर प्यूरीफिकेशन ऐक्टीवेटेड कार्बन प्यूरीफिकेशन, बैक्टीरिया का खात्मा और अंत में पानी का स्वाद भी बेहतर किया जाता है.

आरओ सिस्टम

पिछले कुछ समय से बाजार में जल श्ुद्घिकरण की नई तकनीक आ गई है. थोड़ी महंगी होने के बावजूद यह लोगों को काफी पसंद आ रही है. इस में पानी पूरी तरह शुद्ध हो जाता है. आरओ यानी रिवर्स आसमोसिस प्रोसैस, जिस के तहत पानी को तेज दबाव में साफ किया जाता है. यह काफी प्रभावशाली तरीका है.

आरओ सिस्टम के अंतर्गत मुख्य रूप से 5 चरणों में सफाई होती है. पानी में मौजूद ठोस और घुलनशील गंदगी व बैक्टीरिया की सफाई कर इसे मीठा भी बनाया जाता है. खासतौर पर यदि टीडीएस की मात्रा एक खास स्तर से बढ़ जाती है तो आरओ एक बेहतरीन उपाय है.

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मगर बाजार में उपलब्ध ज्यादातर आरओ प्यूरीफायर स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह मुफीद नहीं होते. पानी में पहले से टीडीएस की मात्रा कम हो तो आरओ के प्रयोग से टीडीएस ज्यादा ही कम हो जाता है. आरओ पीने के पानी से जरूरी मिनरलस भी बाहर कर देता है. लंबे समय तक इस के इस्तेमाल से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

अब बाजार में टीडीएस कंट्रोल तकनीक से लैस प्यूरीफायर उपलब्ध हैं. इन के प्रयोग से पानी में टीडीएस की मात्रा का बैलेंस बना रहता है.

इसी तरह नसाका प्यूरिफायर में ओआरपीएच तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिस के द्वारा जरूरी मिनरल्स पानी में शामिल कर दिए जाते हैं. इस तकनीक के द्वारा पानी का ओआरपी एवं पीएच लैवल भी सामान्य बना रहता है.

एक बेहतर ओआरपीएच तकनीक वाले आरओ का पानी पीने के लाभ

ओआरपीएच तकनीक का उपयोग करते हुए पानी 100% शुद्ध , सुरक्षित एवं स्वास्थ्यवर्धक हो जाता है.

यह शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है.

शरीर की त्वचा निखर जाती है.

बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है.

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बेहतर स्वाद

बेहतर जल होने की वजह से कैंसर, रक्तचाप, हृदय की समस्याएं, त्वचा रोग जैसी बीमारियों से बचाव और ऊर्जा स्तर का सामान्य बने रहना.

अब भारत में नई तकनीक आ गई है और बहुत सी मशहूर कंपनियां इस तरह के आरओ का निर्माण करने लगी हैं, जो पानी में आवश्यक मिनरल्स शामिल करते हैं और पीएच लैवल भी मैंटेन रखते हैं. आप को इस तरह के आरओ आसानी से बाजार में मिल जाएंगे.

शैतान-भाग 1: सोनिया कौन सी पाप की सजा भुगत रही थी?

8 महीने पहले रानिया जब उस शानदार कोठी में नौकरी के लिए आई थी, तब उस ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वह उस कोठी की मालकिन भी बन सकती है. दरअसल अखबार में 3 साल की एक बच्ची की देखभाल के लिए आया के लिए एक विज्ञापन छपा था. रानिया को काम की जरूरत थी, इसलिए वह आया की नौकरी के लिए उस कोठी पर पहुंच गई थी, जिस का पता अखबार में छपे विज्ञापन में दिया था. कोठी के गेट के पास बने केबिन में बैठे गार्ड ने रानिया को रोक कर कहा, ‘‘तुम्हारे आने की खबर मेमसाहब को दे आता हूं, जब वह बुलाएंगी, तब तुम अंदर चली जाना.’’

रानिया केबिन में पड़े स्टूल पर बैठ गई थी. गार्ड खबर देने कोठी के अंदर चला गया था. रानिया को बच्चों की देखभाल करने का कोई तजुर्बा नहीं था. और तो और, घर में भाई का जो बच्चा था, उसे भी वह कम ही लेती थी.

कुछ देर बाद कोठी से एक दूसरा गार्ड आया और उस ने रानिया को अपने साथ मेमसाहब के कमरे तक पहुंचा दिया. रानिया कमरे में दाखिल हुई तो वहां बैठी महिला ने उस का मुसकरा कर स्वागत किया. वह देखने में बीमार लग रही थी.

दुबलीपतली उस महिला के चेहरे की पीली रंगत, अंदर धंसी बेनूर आंखें और पास की टेबल पर रखी दवाएं इस बात का सबूत थीं.

उस महिला ने रानिया से सर्टिफिकेट मांगे. सर्टिफिकेट देखने के बाद उस ने कहा, ‘‘मिस रानिया फारुखी, आप को बच्ची की देखरेख करने का तो कोई तुजर्बा है नहीं, इस समय आप जहां काम कर रही हैं, वह कंपनी बहुत अच्छी है. नौकरी भी आप की योग्यता के मुताबिक है. इस के बावजूद आप आया की नौकरी क्यों करना चाहती हैं?’’

रानिया कुछ देर उसे खामोशी से देखती रही. उस के बाद सकुचाते हुए बोली, ‘‘दरअसल मैडम, रिहाइश का मसला है. मेरे भाई मुल्क से बाहर हैं, भाभी भी उन के पास जाना चाहती हैं, पर वह मुझे अकेली छोड़ना नहीं चाहतीं. मेरी वजह से वह भाई के पास नहीं जा पा रही हैं. मैं उन के रास्ते की रुकावट बन रही हूं. अगर मुझे रहने की यहां मुनासिब जगह मिल गई तो भाभी भाई के पास चली जाएंगी. अगर मैं आप के पास रहूंगी तो उन दोनों को मेरी तरफ से कोई चिंता नहीं रहेगी.’’

महिला कुछ सोच कर बोली, ‘‘मेरा नाम सोनिया है, मेरे शौहर का नाम अरसलान है. हमारी 3 साल की बच्ची फिजा है. तुम कितने भाईबहन हो?’’

‘‘हम 3 भाईबहन हैं. सब से बड़ी बहन की शादी अम्मा अपनी मौत से पहले कर गई थीं. उन से 2 साल छोटे अजहर भाई हैं, जो बाहर हैं. उन से 5 साल छोटी मैं हूं.’’

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारी मजबूरी को देखते हुए तुम्हें नौकरी दे सकती हूं, पर मेरी एक शर्त है…’’

‘‘कैसी शर्त मैडम?’’ रानिया जल्दी से बोली.

‘‘रानिया, तुम्हें एक बांड भरना होगा, जिस के अनुसार एक साल से पहले तुम नौकरी नहीं छोड़ सकोगी. अगर उस से पहले नौकरी छोड़ोगी तो तुम्हें 5 लाख रुपए भरने होंगे. तुम इस बारे में अच्छे से सोच कर कल मुझे जवाब देना.’’

इस बीच चायनाश्ता आ गया. सोनिया ने उसे चायनाश्ता करने को कहा. चायनाश्ता कर के रानिया खड़ी हो कर बोली, ‘‘मैडम, कल मैं अपने सामान के साथ हाजिर हो जाऊंगी. अब मैं चलती हूं, वरना देर होने पर भाभी शक करेंगी.’’

रानिया खड़ी ही हुई थी कि एक बेहद खूबसूरत मर्द एक बच्ची के साथ उस कमरे में दाखिल हुआ. रानिया ने एक नजर प्यारी सी बच्ची पर डाली, उस के बाद उस की आंखें उस खूबसूरत मर्द पर जम गईं. सोनिया ने उस आदमी का परिचय कराते हुए कहा, ‘‘रानिया, यह मेरे शौहर अरसलान हैं, और यह मेरी बच्ची फिजा. अरसलान, मैं ने रानिया को अपनी बेटी की देखभाल के लिए रख लिया है.’’

अरसलान ने उचटती सी नजर रानिया पर डाली. उस के बाद सोनिया से बोला, ‘‘जैसा आप का दिल चाहे.’’

सोनिया ने बच्ची से कहा, ‘‘बेटा, यह आप की आंटी हैं. अब यह आप के साथ रहेंगी.’’ खुश हो कर बच्ची ने रानिया का हाथ पकड़ लिया, ‘‘आंटी, आप मेरे साथ रहेंगी न?’’

‘‘हां बेटा, अब मैं आप के ही साथ रहूंगी.’’ कह कर रानिया ने उसे गोद में उठा लिया.

सोनिया ने पति से कहा, ‘‘अगर तुम गुलशन इकबाल की तरफ जा रहे हो तो रानिया को चौरंगी पर छोड़ देना.’’

‘‘कोई बात नहीं. 2 मिनट लगेंगे, बस.’’ अरसलान ने अनमने ढंग से कहा.

रानिया ने जल्दी से कहा, ‘‘नहीं, मैं चली जाऊंगी.’’

सोनिया ने कहा, ‘‘नहीं, देर हो गई है. तुम्हें अरसलान छोड़ देंगे. फिर कल सवेरे तुम्हें आना भी तो है.’’

अरसलान ने फटाफट गैरेज से गाड़ी निकाली और रानिया को बैठाया. जैसे ही कार गेट से बाहर निकली, अरसलान का मूड ठीक हो गया. वह रानिया को देखते हुए बोला, ‘‘पता नहीं सोनिया ने तुम्हें काम पर कैसे रख लिया? वह तो खूबसूरत लड़कियों से चिढ़ती है. उसे तो बूढ़ी औरतें ही पसंद आती हैं. पता नहीं तुम पर वह क्यों मेहरबान है, बहुत शक्की है वह.’’

रानिया के दिमाग में एक सवाल आया. उस ने पूछा, ‘‘वैसे मेमसाहब को हुआ क्या है. वह बीमार सी लगती हैं?’’

अरसलान ने रानिया को गौर से देखते हुए कहा, ‘‘शादी के बाद डाक्टरों ने मना किया था कि वह मां न बने, लेकिन उस ने किसी की बात नहीं मानी. नतीजा यह निकला कि उस की यह हालत हो गई. अब उस की बीमारियों से लड़ने की ताकत खत्म हो गई है.’’

‘‘आखिर, ऐसा क्या हुआ है?’’ रानिया ने पूछा.

‘‘देखा जाए तो सोनिया अपने किए का फल भोग रही है. उस ने रूही के साथ जो किया, वही उस के साथ हो रहा है.’’

‘‘यह रूही कौन है, उस के साथ क्या किया था उन्होंने?’’ रानिया ने जिज्ञासावश पूछा.

‘‘रूही मेरी मंगेतर थी. हम एकदूसरे को बहुत चाहते थे, पर बीच में सोनिया आ टपकी. एक दिन रूही और उस के भाई का किडनैप हो गया. फिरौती की रकम 50 लाख मांगी गई. हम इतने पैसे नहीं दे सकते थे. हम ने सोनिया से मदद मांगी. उस ने हमारी मदद तो की, पर रूही लुटपिट कर घर वापस आई. उस ने उसी रात खुदकुशी कर ली.’’ अरसलान ने दुखी मन से कहा.

अरब के खजूर अब बाड़मेर में

खजूर जिस का वानस्पतिक नाम फीनिक्स डेक्रोलीफेरा है की सब से पहले व्यावसायिक खेती इराक में शुरू हुई. आज खजूर की खेती इराक, सऊदी अरब, ईरान, मिस्र, लीबिया, पाकिस्तान, मोरक्को, ट्यूनीशिया, सूडान, संयुक्त अमेरिका व स्पेन में भी की जाती है. भारत खजूर का सब से बड़ा आयातक देश है. खजूर का इस्तेमाल छुहारा, सिरका, अचार, तरल शुगर, जूस,  चीनी, स्टार्च, टौफियां और शराब बनाने में किया जाता?है. इस की गुठली से पोल्ट्री आहार बनाया जाता है और पत्तियों से?टोकरियां, कागज,?झाड़ू व रस्सी बनाई जाती है. खजूर खून की कमी व अंधेपन जैसी बीमारियों से बचाता है. राजस्थान के बाड़मेर जिले के चोइटन तहसील के आलमसर गांव के किसान सादुलाराम सियोल ने खजूर के गुणों को देख कर इस को अपने खेत में लगाने की सोची. सब से पहले 2010 में खजूर की बरही किस्म लगाने का मन बनाया. बागबानी विभाग से संपर्क कर के अतुल कंपनी के बरही किस्म के 312 पौधे 2 हेक्टेयर रकबे में लगाए. बागबानी विभाग से 3000 रुपए के पौधे पर 2700 रुपए का लाभ लेते हुए प्रति पौधा 300 रुपए में ले कर बरही किस्म के पौधे लगाए.

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बरही किस्म का वृक्षारोपण मार्च 2010 में किया. पौधे से पौधे की दूरी 8 मीटर और कतार से कतार की दूरी 8 मीटर रखते हुए 1 हेक्टेयर में 156 पौधे लगाए. इस तरह कुल 2 हेक्टेयर में 312 पौधे लगाए. बरही खजूर में प्रथम फलावन थोड़े पेड़ों पर आया. बाजार में बाड़मेर और सियोल कृषि फार्म के बाहर ही अधपकी अवस्था में सुनहरे पीले रंग के सभी फल मीठे होने की वजह से वहीं पर बिक गए. पहले साल करीब साढ़े 3 लाख की कमाई हुई. 2011 में खजूर की दूसरी किस्म मैडजूल के 1 हेक्टेयर क्षेत्र में 8×8 मीटर की दूरी पर 156 पौधे लगाए. इस के फलों का रंग अधपकी अवस्था में पीला नारंगीपन लिए होता है. इस के फल काफी बड़े होते हैं. इस के फल का वजन करीब 22.8 ग्राम होता है और बरही किस्म के फल का वजन करीब 13.6 ग्राम होता है. मैडजूल के फल पहली बार 2015 में आए. करीब 57 क्विंटल मैडजूल का उत्पादन मिला. मैडजूल नस्ल के खजूर महंगे बिकते हैं. इन्हें किंग औफ डेट्स कहते हैं. काले रंग के खजूरों को लोग बहुत पसंद करते हैं. प्रति किलोग्राम 500 रुपए तक लोगों ने खरीदा, इन्हें आसपास के बाजारों में बिका. उस के अलावा मुंबई और हैदराबाद के व्यापारियों से संपर्क कर के माल बेचा. ऐसे व्यापारी भी हैं, जो कहते हैं कि हम इस को 1500 रुपए प्रति किलोग्राम भी खरीद लेंगे. सादुलाराम बताते हैं कि अब प्रति पौधा गोबर की खाद अक्तूबर में 50 किलोग्राम और जनवरी में 50 किलोग्राम देते हैं. फरवरी में एनपीके 18:18:18 एक फीसदी घोल का पौधों पर पर्णीय छिड़काव करते हैं. फरवरीमार्च में फूल आने लगते?हैं और जून से जुलाई के बीच फल पकते हैं. फलों को तोड़ कर बाजार में बेच देते हैं. इस की पत्तियां झाड़ू बनाने वाले ले जाते हैं.

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सादुलाराम बताते?हैं कि खजूर में मादा पौधों के बीच में 10 फीसदी नर पौधे होने चाहिए. पहले साल कुछ कम नर पौधे होने से फलावन कम रहा था. वे गुजरात के मूंदड़ा से 15 नर पौधे लाए हैं. गुजरात से नागेल, अजहवा और अन्य 6-7 किस्में ला कर लगाई?हैं. सादुलाराम ने गुजरात में कच्छ और मूंदडा में खजूर की खेती देखी और बीकानेर में खजूर फार्म देखा है. उन में खजूर की नई किस्में लगाने का उत्साह है. वे आने वाले वक्त में हलावी, खलास, जाहिदी, खदरावी, शामरान, खुनेनी, जगलूल किस्में भी लगाएंगे. अभी सियोल कृषि फार्म पर बरही और मैडजूल का व्यावसायिक उत्पादन हो रहा है. पिछले साल 3 हेक्टेयर खजूर क्षेत्र से 20 लाख रुपए की आमदनी हुई. इस में 40 फीसदी सादुलाराम खर्चा मानते हैं, फिर भी खजूर की खेती अच्छी लगी है. पड़ोसी किसान सादुलाराम की खजूर की खेती देख खजूर की खेती करने का मन बना रहे हैं. सादुलाराम मानते हैं कि यहां अरब की हवा लगती है, इसलिए खजूर की खेती सफल है. पक्षी नुकसान करते हैं. 1 पेड़ से 12-18 गुच्छे निकलते हैं. इन से 150 से 200 किलोग्राम प्रति पौधा खजूर मिल जाता है.

अभी कीट रोग का हमला कम है. 1 पेड़ में मुडा रोग लग गया था, पौधे के अंदर लटें लग गई थीं, लेकिन उस के अंदर फोकेट दवा भर कर बाहर जिप्सम लगा दी थी, जिस ने पौधे को मरने से बचा लिया. सादुलाराम मानते हैं कि खजूर के पौधे की उम्र 150 से 200 साल होती है. सादुलाराम की खजूर की खेती से प्रभावित हो कर कृषि विभाग ने उन्हें सम्मानित कर के 10000 रुपए का इनाम दिया है. जिला परिषद बाड़मेर में स्वतंत्रता दिवस पर खजूर की पहली बार खेती करने पर सादुलाराम को सम्मानित किया गया है. अधिक जानकारी के लिए सादुलाराम सियोल के फोन नंबर 9460159207 पर या लेखक के मोबाइल नंबर 9414921262 पर संपर्क कर सकते हैं.

Crime Story: कामुक कथावाचक

सौजन्य- सत्यकथा

मध्य प्रदेश के जिला सतना में एक थाना है नादन. 10 दिसंबर, 2019 को एक व्यक्ति 3 बालिकाओं को साथ ले कर थाना नादन के टीआई भूपेंद्र के पास पहुंचा. उस के साथ जो बालिकाएं थीं, उन की उम्र 14, 16 और 17 साल थी.

टीआई ने सोचा कि आगंतुक इतनी सर्दी में 3 लड़कियों को ले कर आया है तो कुछ न कुछ खास बात ही होगी. उन्होंने उसे कुरसी पर बैठने का इशारा किया. वह आदमी और लड़कियां कुरसियों पर बैठ गईं. टीआई भूपेंद्र पांडेय ने उस व्यक्ति से थाने आने का कारण पूछा.

कुछ देर वह चुप रहा. फिर टीकाराम नाम के उस व्यक्ति ने अपनी पीड़ा थानाप्रभारी को बताई. उस ने बताया कि उस की तीनों बेटियों के साथ कथावाचक पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी ने बलात्कार किया था.

क्षेत्र भर में पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी का खासा नाम था. टीआई भूपेंद्र पांडेय भी उसे अच्छी तरह जानते थे. लेकिन जब उस ने  अपराध किया था तो उस के खिलाफ काररवाई करनी जरूरी थी. मामला गंभीर था इसलिए टीआई ने सतना के एसपी रियाज इकबाल और डीएसपी हेमंत शर्मा को इस मामले की सूचना दे दी.

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मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी रियाज इकबाल खुद थाना नादन पहुंच गए. एसपी साहब ने टीकाराम से बात की तो उस ने उन्हें बेटियों के साथ कथावाचक पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी द्वारा बलात्कार करने की बात बता दी. एसपी साहब ने उसी समय एक पुलिस टीम आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए भेज दी.

पुलिस टीम ने रात में एक बजे पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी को उस के घर से हिरासत में ले लिया. सुबह होने पर जब क्षेत्र के लोगों को पता चला कि पंडितजी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है तो बड़ी संख्या में भीड़ थाने के बाहर जमा हो गई.

लेकिन पुलिस ने जब लोगों को पंडितजी के कुकर्मों की जानकारी दी तो सभी अपनेअपने घर लौट गए. पुलिस ने पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि टीकाराम की तीनों बेटियों को हवस का शिकार बनाया था.

विस्तार से पूछताछ करने के बाद कथावाचक की पापलीला की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

नादन निवासी पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी की सतना और आसपास के जिलों में धार्मिक संत, भजन गायक और कथावाचक के रूप में अच्छी पहचान थी. बड़ेबड़े धार्मिक आयोजनों में उस की कथा सुनने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती थी. इस के अलावा लोग घरों में होने वाली पूजा के लिए भी उसे बुला लेते थे, जिस के चलते 7 दिसंबर को क्षेत्र के रहने वाले टीकाराम ने भी उसे नरसिंहजी का मायरा के लिए अपने घर बुलाया था.

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पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी नियत समय पर उस के यहां पहुंच गया. कथा संपन्न होने के बाद पंडितजी यजमानों से बात कर रहे थे, तभी टीकाराम ने कहा, ‘‘क्या कहूं पंडितजी, बाकी तो सब कुशल है लेकिन मैं अपनी बेटियों को ले कर परेशान हूं. तीनों बेटियां आपस में लड़तीझगड़ती रहती हैं. मुझे चिंता है कि इन की यही आदत बनी रही तो ये ससुराल में कैसे निभाएंगी. आप ही कोई ऐसा उपाय करिए कि तीनों प्यार से हिलमिल कर साथ रहने लगें.’’

पंडित नारायण स्वरूप के लिए यह बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने जैसा था. क्योंकि यजमान टीकाराम के घर में आने के बाद से ही पंडितजी की नजर उस की तीनों बेटियों पर खराब हो चुकी थी. पूजा के दौरान भी वह लोगों से नजर बचा कर तीनों बहनों को बुरी नजर से घूरता रहा. जब यजमान ने बेटियों से परेशान रहने की समस्या सामने रखी, तो उस की बाछें खिल गईं.

वह समझ गया कि वक्त ने उसे मौका दिया है, जिस से वह यजमान की तीनों नादान बेटियों को अपना शिकार बना सकता है. इसलिए उस ने टीकाराम से कहा, ‘‘चिंता मत करो, मैं देखता हूं समस्या की जड़ कहां है. केवल समस्या का पता ही नहीं लगाऊंगा, बल्कि उसे जड़ से खत्म भी कर दूंगा. लाओ, तीनों की जन्मपत्रिकाएं दिखाओ, देखता हूं आखिर इन की आपस में बनती क्यों नहीं है.’’

पंडित नारायण स्वरूप ने कहा तो टीकाराम ने घर में रखे पुराने संदूक में संभाल कर रखी अपनी बेटियों की जन्म पत्रिकाएं निकाल कर उस के सामने रख दीं.

पंडित नारायण स्वरूप ने एकएक कर तीनों की कुंडलियों को गौर से देखा फिर अचानक गंभीर हो गया.

‘‘क्या हुआ पंडितजी?’’ त्रिपाठीजी को अचानक गंभीर देख कर टीकाराम ने चिंतित स्वर में पूछा.

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‘‘यजमान, समस्या तो बड़ी है. दरअसल, तुम्हारी तीनों बेटियों की कुंडली में कालसर्प दोष है, जिस के चलते इन की आपस में बननी तो दूर किसी गैर के साथ भी नहीं बन सकती. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है. तुम ने बहुत सही समय पर अपनी समस्या मेरे सामने रखी है.

‘‘2 दिन बाद ही 9 दिसंबर को बड़ा शुभ मुहूर्त है. उस दिन मैं पूजा कर इन तीनों के दोष का निवारण का दूंगा.’’ कहते हुए पंडितजी ने पूजा के सामान की लिस्ट बना कर उसे दे दी. 9 दिसंबर को पूजा के लिए आने की बात कह कर नारायण स्वरूप तीनों बहनों को आशीर्वाद दे कर चला गया.

पंडित के जाने के बाद टीकाराम पूजा की तैयारी में जुट गया. जबकि दूसरी तरफ पं. नारायण स्वरूप को रात भर नींद नहीं आई. पूजा के बहाने वह तीनों बहनों का यौनशोषण करने की ठान चुका था. इसलिए पूरी रात जाग कर वह योजना बनाता रहा कि कैसे काम को अंजाम दे कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

2 रात जाग कर पंडित ने पूरी योजना बनाई और 9 दिसंबर की सुबह टीकाराम के बुलावे का इंतजार किए बिना ही उस के घर पहुंच गया. योजनानुसार, पंडित ने पूजा के लिए बरामदे के बजाए अंदर वाला कमरा चुना और फिर कुछ देर तक तीनों बहनों और परिवार के साथ पूजा का ढोंग करता रहा. फिर उस ने सब को कमरे से बाहर निकाल दिया.

उस ने घर के सभी लोगों को हिदायत दी कि वह एकएक कर तीनों बहनों को कमरे में पूजा के लिए बुलाएगा. इस दौरान कोई भी न तो कमरे में दाखिल होगा और न ही ताकझांक करने की कोशिश करेगा.

टीकाराम का परिवार पंडितजी को अपना सब कुछ मानता था, इसलिए उस की बात मानने से इनकार करने का सवाल ही नहीं था.  अपनी योजना सफल होती देख पंडित नारायण स्वरूप मन ही मन खुश हुआ और कुछ देर तक जोरजोर से मंत्र जाप करने का नाटक करता रहा. सब से पहले उस ने 17 वर्षीय बड़ी बेटी को पूजा के लिए कमरे में बुलाया.

इस के बाद उस ने उसे बाहर भेज दिया, फिर मंझली बेटी को बुलाया. अंत में उस ने सब से छोटी बेटी को अंदर बुलाया. इस दौरान हर बहन के साथ वह लगभग एकएक घंटे तक बंद कमरे में पूजा करता रहा और बाद में टीकाराम से मोटी दक्षिणा ले कर चला गया.

पंडित के जाने के बाद तीनों बहनें काफी उदास थीं. एकदूसरे से लड़ना तो दूर वे आपस में बात भी नहीं कर रही थीं. यह देख कर टीकाराम को लगा कि शायद पंडितजी की पूजा के प्रभाव से उन की बेटियों का स्वभाव एकदम शांत हो गया है.

लेकिन सचमुच क्या हुआ था, इस का खुलासा रात में तब हुआ, जब सब से छोटी बेटी बिस्तर पर लेटेलेटे रोने लगी. मां ने उस से रोने का कारण पूछा तो पहले तो वह कुछ भी बताने से डरती रही. बाद में उस ने अपने अंग विशेष में तेज दर्द होने की बात बता दी.

बेटी की बात सुन कर मां को बहुत गुस्सा आया. इस के बाद दोनों बहनों ने भी पंडित द्वारा उन के साथ दुराचार करने की बात बताई. उन्होंने कहा कि पूजा के लिए पंडित ने कमरे में बुला कर उन के सारे कपड़े उतरवा दिए थे.

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इस के बाद वह मंत्र पढ़ते समय उन के पूरे शरीर पर हाथ फेरता रहा और उन के अंगों से छेड़छाड़ करता रहा. इतना ही नहीं, इस के बाद उस ने उन के साथ गंदा काम भी किया.

तीनों बहनों ने अपनी आपबीती सुनाई तो मातापिता ने अपना सिर पीट लिया. आरोपी पंडित की इलाके में अच्छी धाक थी, इसलिए उन्हें डर था कि उन की बात पर पुलिस भरोसा नहीं करेगी. परिवार की आर्थिक हैसियत भी ऐसी नहीं थी कि कथा सुनाने के बदले में लाखों रुपए फीस के रूप में लेने वाले नारायण स्वरूप से वे टक्कर ले सकें. इस के अलावा सब से बड़ा डर उन्हें लोकलाज का भी था, इसलिए परिवार वालों ने चुप रहने में ही भलाई समझी.

दूसरे दिन 10 दिसंबर की सुबह दोनों बहनों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा का पेपर था, सो वे स्कूल चली गईं. परीक्षा दे कर वापस आने के बाद सब से छोटी बहन अपने अंगों में दर्द होने के कारण रोने लगी तो बेटी के आंसू देख कर पिता का हृदय रो पड़ा, जिस के बाद वे तीनों बेटियों को साथ ले कर सीधे नादन थाने के टीआई भूपेंद्र पांडे के पास पहुंचा.  पं. नारायण स्वरूप त्रिपाठी से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे व तीनों बहनों को मैडिकल परीक्षण के लिए भेजा.

इस के बाद कामुक पंडित के खिलाफ बलात्कार, पोक्सो एक्ट व एससी/एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेजा दिया. कामुक कथावाचक  की हकीकत जान कर क्षेत्र के लोग आश्चर्यचकित हैं.

शैतान-भाग 4 : सोनिया कौन सी पाप की सजा भुगत रही थी?

ठीक 11 बजे रानिया ड्राइंगरूम में पहुंच गई, जहां सब लोग इकट्ठे थे. वह एक कोने के सोफे पर फिजा को गोद में ले कर बैठ गई. वहां सोनिया के डाक्टर व उस के दफ्तर के मैनेजर राशिदी भी थे. वकील ने वसीयत के बारे में कहना शुरू किया, ‘‘वसीयत के मुताबिक जिन को यहां होना चाहिए, वे यहां हैं, पर यहां ज्यादा लोग नहीं रह सकते. इसलिए मिस कंजा और खाला आप बाहर चली जाएं प्लीज. यह कानूनी मामला है.’’

कंजा ने घूर कर वकील को देखा, फिर अरसलान की तरफ इस उम्मीद से देखा कि शायद वह रोक लेगा. पर वह सिर झुकाए बैठा रहा. दोनों गुस्से से बाहर निकल गईं.

वकील ने कहना शुरू किया, ‘‘वसीयत डेढ़ माह पहले लिखी गई थी. डाक्टर साहब और मैनेजर राशिदी इस के गवाह हैं. इस पर सिविल जज के साइन करवा लिए गए हैं. सारा काम पक्का है.’’

अरसलान बेचैन हो कर बोला, ‘‘यह सारी बातें छोडि़ए, आप वसीयत पढ़ कर सुनाइए.’’

‘‘वसीयत के मुताबिक सोनिया मैडम की तमाम जायदाद की वारिस उन की बेटी फिजा है.’’ वकील ने कहा.

‘‘बकवास है, इतनी सी बच्ची यह बिजनैस और कारखाना कैसे चला सकती है?’’ अरसलान ने गुस्से से कहा.

‘‘इस की चिंता आप मत कीजिए अरसलान मियां. इस के लिए सोनिया मैडम ने 4 लोगों की एक कमेटी बना दी है. जिस में मैनेजर राशिदी, डाक्टर साहब, उन के पापा के दोस्त अजमल साहब और मैं शामिल हूं. हम सब के काम की निगरानी रानिया को सौंपी गई है.’’ वकील ने कहा.

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है?’’ अरसलान ने चिढ़ कर कहा.

‘‘यह इस तरह हो सकता है अरसलान साहब कि सोनिया को आप पर भरोसा नहीं था. वह जानती थी कि आप अपनी नई जिंदगी में मगन हो कर फिजा को भूल जाएंगे या आप उसे अपने रास्ते से हटा देंगे.’’

‘‘वसीयत में मेरे लिए क्या हुक्म है?’’ अरसलान ने धीरे से पूछा.

‘‘आप की किस्मत का फैसला रानिया मैडम के हाथों है, क्योंकि सोनिया मैडम सारे अधिकार उन्हें दे गई हैं.’’ वकील साहब ने कहा, ‘‘कमेटी के सारे काम भी रानिया मैडम से पूछ कर उन की ही सलाह से होंगे. सोनिया मैडम एक खत भी रानिया मैडम के लिए छोड़ गई हैं.’’

यह सुन कर रानिया मन ही मन शर्मिंदा हो गई. उस ने दिल ही दिल में सोनिया का शुक्रिया अदा किया.

वकील साहब ने कागजात देख कर कहा, ‘‘अरसलान, आप के लिए वसीयत में खास हिदायतें हैं. आप जनरल मैनेजर राशिदी और रानिया की इजाजत से ही औफिस जा सकते हैं और इन की मरजी से ही आप को काम मिलेगा. एक खास शर्त उन्होंने यह रखी है कि इस कोठी में आप तभी रह सकते हैं, जब आप रानियाजी से शादी कर लेंगे और बाहर कोई अफेयर नहीं चलाएंगे.’’

अरसलान गुस्से से तिलमिला कर बोला, ‘‘यह आप सब की मिलीभगत है. आप सब ने मेरे खिलाफ साजिश रची है. मैं इस के खिलाफ अदालत जाऊंगा.’’

‘‘अरसलान साहब, आप कोर्ट जाने की तो बात भी न करें, मेरे पास इस की रिपोर्ट मौजूद है कि सोनियाजी को दवा के कैप्सूल में जहर दिया गया था.’’ डाक्टर साहब बोले.

यह सुन कर अरसलान डर कर चुप हो गया. सोनिया ने एक खत रानिया के लिए भी लिखा था. उस खत को पढ़ने के लिए वह दूसरे कमरे में चली गई. खत खोल कर उस ने उसे पढ़ना शुरू किया—

‘मेरी दोस्त रानिया, शायद मेरी सौंपी गई जिम्मेदारी बहुत ज्यादा है, पर मुझे यकीन है कि मोहब्बत में तुम सब निभा लोगी. अरसलान सिर्फ दौलत से प्यार करता है, इसलिए मैं ने उसे अपनी वसीयत में कुछ नहीं दिया है. अब यह तुम्हारे हाथ में है कि तुम उस के झांसे में न आओ और मेरे बिजनैस से उसे दूर रखो. वह एक बेवफा अय्याश इंसान है.’

रानिया ने इतना ही पढ़ा था कि उसे दरवाजे पर आहट महसूस हुई. देखा तो अरसलान सामने खड़ा था. वह धीरे से बोला, ‘‘रानिया, मैं अपनी भूलों का प्रायश्चित करता हूं. अब मैं तुम से शादी करना चाहता हूं. सारी उम्र मैं तुम्हारा वफादार रहूंगा, यह वादा है.’’

‘‘अरसलान, मेरा दिल सोनिया जितना बड़ा नहीं है, फिर भी मैं एक फैसले पर पहुंच गई हूं. यह फैसला मैं सब के सामने सुनाना चाहती हूं.’’ कह कर रानिया ड्राइंगरूम की तरफ बढ़ी. वह पीछे चलतेचलते गिड़गिड़ाया, ‘‘रानिया, मुझे एक मौका दो.’’

‘‘मेरे पास अब तुम्हें देने को कुछ नहीं है.’’

‘‘तुम किसी से शादी तो करोगी ही, फिर मैं क्या बुरा हूं. देखो मैं फिजा का बाप हूं. कम से कम इस बात को तो ध्यान में रखो.’’

‘‘मैं ने इंकार नहीं किया है अरसलान. अभी मेरा फैसला सुनाना बाकी है.’’ वह बोली.

ड्राइंगरूम में सब मौजूद थे. वकील साहब ने कहा, ‘‘मिस रानिया, हम सब आप का फैसला जानना चाहते हैं.’’

रानिया ने आत्मविश्वास से कहा, ‘‘मैं सपनों में रहने वाली एक आम सी लड़की थी. मैं ने भी अरसलान साहब जैसे खूबसूरत इंसान को अपने ख्वाबों में बसाया था. जब यह भी मुझ पर मेहरबान हुए तो मैं ने इन्हें देवता समझ कर इन की हर बात मानी, पर मुझे नहीं पता था कि यह देवता के रूप में एक शैतान हैं.’’

‘‘रानिया मेरी बात सुनो…’’ अरसलान ने बीच में टोका.

‘‘अरसलान साहब, मुझे अपनी बात पूरी करने दीजिए.’’ अरसलान को चुप कराते हुए रानिया बोली, ‘‘सब कुछ लुट जाने के बाद आज मेरी आंखें खुलीं तो अरसलान साहब चाहते हैं कि मैं वही गलती दोबारा करूं. लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगी. मेरी मंजिल फिजा की अच्छी देखभाल और बेहतरीन परवरिश है.’’

रानिया का फैसला सुन कर अरसलान का चेहरा लटक गया. उस ने आगे कहा, ‘‘अरसलान साहब, हर सूरत में आप आज शाम 5 बजे से पहले यह घर छोड़ देंगे. और जब तक आप घर नहीं छोड़ेंगे, ये तमाम लोग यहीं रहेंगे. फिजा की गार्जियन होने के नाते उस की हिफाजत के लिए यह मैं जरूरी समझती हूं.’’

अरसलान एकदम से उठ खड़ा हुआ और गुस्से से बोला, ‘‘यह मेरा घर है, मुझे यहां से कोई नहीं निकाल सकता और तेरी तो औकात ही क्या है?’’

रानिया ने वकील की तरफ देख कर कहा, ‘‘वकील साहब, इन्हें बताइए कि जब तक फिजा बालिग नहीं हो जाती, तब तक इस घर की मालिक मैं हूं और उस की भलाई और हिफाजत के लिए मेरा यह फैसला जरूरी है.’’

वकील ने सख्त लहजे में कहा, ‘‘अरसलान साहब, आप वसीयत लागू करवाने में जरा सी भी अड़चन डालेंगे तो हम पुलिस व कोर्ट की मदद लेंगे. फिर आप का क्या अंजाम होगा, आप समझ सकते हैं.’’

अरसलान बैठ गया. रानिया ने कागजात देखते हुए कहा, ‘‘अरसलान साहब, आप अपने साथ अपनी जरूरत की चीजें ले जा सकते हैं. अगर आप इसी शहर में रहना चाहते हैं तो मैनेजर राशिदी आप को हर महीने 10 हजार रुपए देंगे और अगर आप दुबई वाले औफिस में काम करना चाहते हैं तो हर माह आप को तनख्वाह 4 हजार दरहम मिलेगी. रहने का इंतजाम औफिस की तरफ से होगा. यह आप की मरजी है, जहां आप जाना चाहें.’’

अरसलान के चेहरे पर मुर्दनी छा गई. उस ने मरी सी आवाज में कहा, ‘‘मैं दुबई के औफिस जाना चाहूंगा.’’

‘‘राशिदी साहब, आप अरसलान साहब को दुबई भिजवाने का इंतजाम करा दीजिए. इन्हें खर्च वगैरह दे दीजिएगा. मैं काम से बाहर जा रही हूं. 5 बजे तक आ जाऊंगी. तब तक घर साफ हो जाना चाहिए.’’ रानिया ने मजबूत लहजे में कह कर फिजा को गोद में लिया और बाहर निकल गई. राशिदी उसे बाहर तक छोड़ने आए. चलतेचलते उन्होंने कहा, ‘‘मैडम, यह अच्छा हुआ कि वह दुबई जा रहा है. वहां का जीएम बहुत तेज है. वह उसे सही तरीके से हैंडल करेगा और हमारी भी परेशानी खत्म हो गई.’’

‘‘हां राशिदी साहब, सोनियाजी ने जो कुछ किया, बहुत सोचसमझ कर किया. अगर वह यहीं रहता तो दिमाग पर एक बोझ सा रहता.’’

रानिया ने गाड़ी में बैठते हुए ड्राइवर से कहा, ‘‘कब्रिस्तान चलो.’’

राशिदी ने सोचा कि सोनिया के पास जा कर उस के एहसानों का शुक्रिया अदा करेंगी. कब्रिस्तान में सोनिया की कब्र के पास बैठ कर रानिया ने कहा था कि अब वह ख्वाबों की दुनिया से निकल कर हकीकत की जमीन पर खड़ी है. वह फिजा की पूरे दिल से देखभाल व परवरिश करेगी. उसे मां का प्यार देगी. कभी पीछे मुड़ कर मोहब्बत की तरफ नहीं देखेगी. कभी कोई शिकायत का मौका नहीं देगी. यही उस का मरहूमा सोनिया से वादा था.

 

सामाजिक माहौल बिगाड़ती ‘प्रोपेगेंडा खबरें’

झूठी और प्रोपेगेंडा खबरों के जरीये जनता में भ्रम फैलाया जा रहा है. जिससे आम आदमी तक सही सूचनायें नहीं पहुंच पा रही है. हर तरह से आम आदमी इसका शिकार हो रहा है. इलेक्ट्रानिक मीडिया तो इसका पहले से ही शिकार था. भरोसेमंद कहा जाने वाला प्रिंट भी इसका हिस्सा बन गया. आम आदमी को लगा कि सोशल मीडिया पर सही खबरे आ रही है. फेसबुक विवाद के बाद अब आम आदमी के पास कोई रास्ता नहीं रह गया जहां से वह सच्ची खबरे हासिलकर सके. अदालत ने भी माना है कि ‘प्रोपेगेंडा‘ के लिये खबरों को ‘फैब्रिकेट‘ किया जा रहा है. बांबे हाई कोर्ट ने तबलीगी जमात पर मीडिया की खबरों को साफ षब्दों में ‘प्रोपेगेंडा’ कहा है.

मार्च के महीने में भारत में कोविड-19 करोना संक्रमण का दौर शुरू हो चुका था. इसी बीच दिल्ली में तबलीगी जमात का कार्यक्रम हुआ था. जिसमें देश और विदेशों से बड़ी संख्या में जमाती एकत्र हुये थे. सरकार ने यह माना कि इन लोगों के कारण ही भारत में कोविड-19 का संक्रमण तेजी से बढा. केन्द्र सरकार के आदेश पर सभी राज्य सरकारों ने तबलीकी जमात में षामिल होने आये लोगों की तलाश का काम शुरू कर दिया. इन पर कोविड-19 कानून के तहत मुकदमा कायम कर जेल भी भेज दिया गया. देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही साथ इसमें विदेशो के नागरिक भी थे.

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पूरे देश में मीडिया द्वारा यह भ्रम फैलाया गया कि कोविड-19 के फैलाव में तबलीगी जमात का रोल सबसे अधिक है. मीडिया मे तबलीकी जमात को लेकर एक पक्षीय रिपोर्टे प्रकाषित हुई. इलेक्ट्रानिक मीडिया ने इस मुददे को सबसे अधिक हवा देने का काम किया. इलेक्ट्रानिक मीडिया में इस बात को लेकर तीखी बहसें तक कराई गई. जिससे देश का सामाजिक माहौल खराब हुआ. हिंदू मुसलिमों के बीच दूरियां बढ गई. इससे पहले देश में नागरिकता कानून को लेकर हिन्दू मुसलिम के बीच दूरी पैदा हुई थी. कोविड -19 में तबलीगी जमात की बहस ने उस दूरी को और भी बढा दिया.

इसको लेकर पूरे देश में यह माहौल बनाया गया जैसे कोविड-19 के फैलाने में तबलीगी जमात को ही हाथ हो. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे बडा रूख अपनाया. जमातियो की पहचान के लिये बडे पैमाने पर धरपकड शुरू की गई. मार्च-अप्रैल में प्रकाषित होने वाले हर अखबार में यह लिखा गया और चैनलों ने यह दिखाया कि अगर जमातियों की गलती नहीं होती तो कोरोना को फैलने से रोका जा सकता था. जैसे जैसे लौकडाउन बढा आम जनता का गुस्सा भी जमातियों के खिलाफ बढने लगा. जून माह के बाद जब पूरे देश में कोरोना ने फैलना शुरू किया तब लोगों को पता चला कि कोरोना के फैलने का कारण जमाती नहीं और भी चीजें है.

बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात मामले में देश और विदेश के जमातियों के खिलाफ दर्ज को रद्द करतेे हुये कहा कि तबलीगी जमात को ‘बलि का बकरा‘ बनाया गया. कोर्ट ने साथ ही मीडिया को फटकार लगाते हुए कहा कि इन लोगों को ही संक्रमण का जिम्मेदार बताने का प्रॉपेगेंडा चलाया गया. दिल्ली के मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ा प्रॉपेगेंडा चलाया गया. ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई जिसमें भारत में फैले कोविड -19 संक्रमण का जिम्मेदार इन विदेशी लोगों को ही बनाने की कोशिश की गई. तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया.

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मीडिया के चित्रण की आलोचना:

आइवरी कोस्ट, घाना, तंजानिया, जिबूती, बेनिन और इंडोनेशिया के विदेशी नागरिकों और उनको आश्रय देने के आरोप में छह भारतीय नागरिकों और मस्जिदों के ट्रस्टियों ने बांबे हाई कोर्ट औरंगाबाद पीठ के समक्ष अपील की थी. न्यायमूर्ति टीवी नलवाडे और न्यायमूर्ति एमजी सेवलिकरग की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं को सुना. इन सभी को पुलिस द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में मस्जिदों में रहने और लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन कर नमाज अदा करने की सूचनाओं पर पकडा था. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वे भारत सरकार द्वारा जारी वैध वीजा पर भारत आए थे.  वे भारतीय संस्कृति, परंपरा, आतिथ्य और भारतीय भोजन का अनुभव करने आए थे.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि भारत पहुंचने के बाद, हवाई अड्डे पर उनकी कोविड-19 की जांच की गई और जब उन्हें नेगेटिव पाया गया, तब उन्हें हवाई अड्डे से बाहर जाने की अनुमति दी गई. 23 मार्च के बाद लॉकडाउन के कारण, वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई. होटल और लॉज बंद कर दिए गए इसलिए उन्हें मस्जिद ने आश्रय दिया था. उन्होंने मर्कज में भी सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन किया था. पुलिस का कहना आरोप था कि इन लोगों ने कोविड -19 संक्रमण फैलने का खतरा पैदा किया. याचिकाकर्ताओं पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 269, 270, 290 के तहत धारा 37 (1) (3) आर डब्ल्यू के तहत, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 के 135 और महाराष्ट्र कोविड-19, उपाय और नियम, 2020 के सेक्शन 11, महामारी रोग अधिनियम, 1897 की धारा 2, 3 और 4, विदेशियों के लिए अधिनियम 1946 की धारा 14 (इ) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के सेक्शन 51(इ) के तहत अपराध दर्ज किया गया था.

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पुलिस के आरोप और याचिकाकर्ताओं के जबावों का अध्ययन के बाद न्यायमूर्ति नलवाडे ने कहा ‘मैनुअल ऑफ वीजा के तहत धार्मिक स्थानों पर जाने और धार्मिक प्रवचनों में शामिल होने जैसी सामान्य धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए विदेशियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है. तबलीग जमात मुस्लिमों का अलग संप्रदाय नहीं है, बल्कि यह धर्म के सुधार के लिए आंदोलन है. हर धर्म सालों तक सुधार के कारण विकसित हुआ है क्योंकि समाज में परिवर्तन के कारण और भौतिक दुनिया में हुए विकास के कारण सुधार हमेशा आवश्यक है. यह आरोप साबित नहीं है कि विदेशी नागरिक दूसरे धर्म के व्यक्तियों को इस्लाम में परिवर्तित कर इस्लाम धर्म का विस्तार कर रहे हैं.

तबलीगी जमात में भाग लेने वाले विदेशी नागरिकों के मीडिया के चित्रण की आलोचना करते हुए न्यायमूर्ति नलवाडे ने कहा ‘प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़े स्तर पर मरकज दिल्ली में शामिल होने वाले विदेशी नागरिकों के खिलाफ प्रोपेगंडा किया गया और ऐसी तस्वीर बनाने का प्रयास किया गया कि ये विदेशी भारत में कोविड-19 वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार थे. इन विदेशियों का वस्तुतः उत्पीड़न किया गया. जब महामारी या विपत्ति आती है तब एक राजनीतिक सरकार बलि का बकरा ढूंढने की कोशिश करती है और हालात बताते हैं कि इस बात की संभावना है कि इन विदेशियों को बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया था.

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पुरानी भारतीय कहावत का ‘अथिति देवो भव‘ का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति नलवाडे ने कहा ‘वर्तमान मामले की परिस्थितिया एक सवाल पैदा करती हैं कि क्या हम वास्तव में अपनी महान परंपरा और संस्कृति के अनुसार काम कर रहे हैं ? कोविड -19 महामारी के दौरान, हमें अधिक सहिष्णुता दिखाने की आवश्यकता है और हमें अपने मेहमानों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है विशेष रूप से मौजूदा याचिकाकर्ताओं जेसे मेहमानों के प्रति आरोपों से पता चलता है कि हमने उनकी मदद करने के बजाय उन्हें जेलों में बंद कर दिया और आरोप लगाया कि वे यात्रा दस्तावेजों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं, वे वायरस आदि के प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं.‘

कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे सही समय पर दिया गया फैसला करार दिया. ओवैसी ने ट्विट कर कहा ‘पूरी जिम्मेदारी से बीजेपी को बचाने के लिए मीडिया ने तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया. इस पूरे प्रॉपेगेंडा से देशभर में मुस्लिमों को नफरत और हिंसा का शिकार होना पड़ा.‘

निशाने पर फेसबुक भी:

जनता में जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा तबलीगी जमात उसका एक छोटा उदाहरण है. बंाबे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में मीडिया की नकारात्मक भूमिका की कडे षब्दों में आलोचना की. यह भ्रम केवल मीडिया के द्वारा ही नहीं फैलाया जा रहा. सोषल मीडिया के सबसे बडे प्लेटफार्म फेसबुक  भी सवालों को घेरे में आ गया. जिससे साफ हो रहा कि आम आदमी को भ्रम का शिकार बनाया जा रहा है. ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल‘ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि फेसबुक भारत में अपने कारोबारी हितों को देखते हुए बीजेपी नेताओं के नफरत फैलाने वाले भाषणों पर सख्ती नहीं बरतता है. इस विवाद के पीछे अंखी दास का नाम लिया गया. अंखी दास अक्तूबर 2011 से फेसबुक के लिए काम कर रही हैं. वो भारत में कंपनी की पब्लिक पॉलिसी की प्रमुख हैं. अंखी दास ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से 1991-94 के बैच में अंतरराष्ट्रीय संबंध और राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की पढ़ाई की है. ग्रेजुएशन की उनकी पढ़ाई कोलकाता के लॉरेटो कॉलेज से पूरी हुई है. विवाद का विषय यह है कि फेसबुक पर भारत में कुछ ऐसी सामग्रियाँ आईं हैं जिन्हें नफरत फैलाने वाली सामग्री बताया गया. मगर अंखी दास ने उन्हें हटाने का विरोध किया. अमरीकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में 14 अगस्त को छपी एक रिपोर्ट में लिखा कि दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी जो वॉट्सऐप की भी मालिक है ने भारत में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के सामने हथियार डाल दिए हैं. फेसबुक ने अपने मंच से भाजपा नेताओं के नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए ये कहते हुए कुछ नहीं किया कि सत्ताधारी दल के सदस्यों को रोकने से भारत में उसके व्यावसायिक हितों को नुकसान हो सकता है.

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भरोसा खोता मीडिया:

राजनीतिक व्यंगकार संपत सरल मीडिया पर व्यंग करते कहते है ‘यह मीडिया दिखता दीये के साथ है. पर है हवा के साथ’. जो बात संपत सरल अपने व्यंग के जरीये कहते है वही बात समाजवादी पार्टी के नेता राजेन्द्र चैधरी ने दैनिक जागरण के कार्यक्रम में हिस्सा लेते कहा ’मीडिया का काम विपक्ष की आवाज बनना होता है. मीडिया विपक्ष से अधिक सत्ता पक्ष की आवाज बन रहा है‘. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट  में भारत की न्यूज मीडिया पर फासीवादी हितों के लिए काम करने का आरोप लगाते कहा है कि अब वो प्रतिदिन वीडियो के जरिए अपने विचार सोशल मीडिया पर शेयर किया करेंगे. राहुल गांधी चीन के साथ सीमा विवाद पर भी मीडिया और सरकार को घेरने वाले सवाल करते रहे है.

राहुल गांधी ने कहा है कि ‘वर्तमान समय में भारतीय न्यूज मीडिया का बड़ा हिस्सा फासीवादी हितों के लिए काम कर रहा है. घृणा से भरा नैरेटिव टीवी चैनल्स, वाट्सअप फारवर्ड्स और भ्रामक खबरों के जरिए फैलाया जा रहा है. झूठ से भरा ये नैरेटिव भारत को कई हिस्सों में बांट रहा है. मैं चाहता हूं कि हमारा वर्तमान, इतिहास और वास्तविक त्रासदी उन लोगों के सामने स्पष्ट हो, जो सच जानना चाहते हैं. इस वजह से मैं अपने विचार वीडियो के जरिए जनता से शेयर करूंगा‘. राहुल गांधी जैसे आरोप तमाम लोगों के है. यह बात और है कि लोग खुल कर बोलने से बचते है.

सोशल एक्टिविस्ट सदफ जफर कहती है ‘मीडिया का एक बडा तबका जनता के सामने सच को नहीं रख रहा है. यह बात और है कि प्रोपेगंडा को बढावा ज्यादा दे रहा है. नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्षन में जिस तरह से सच्चाई को नजर अंदाज किया वह खतरनाक संकेत है. शुरूआत में यह बातें समझ नहीं आ रही थी पर धीरेधीरे अब यह बातें खुलकर सामने आ रही है. जिससे मीडिया का सच खुल कर सामने आ रहा है.’

मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित संदीप पांडेय कहते है ‘मीडिया ना केवल गलत सूचनायें दे रहा बल्कि उन तर्को को बढावा देने का काम कर रहा जो सरकार अपने बचाव में देती है. मीडिया विपक्ष की बातों को अगर कहीं जगह देता भी है तो प्रमुखता के साथ ना देकर खानापूर्ति के नाम पर इधरउधर छाप देता है. कई बार तो विपक्ष की बात से बड़ी सत्ता पक्ष के खंडन को जगह दी जाती है. यह केवल राजनीति खबरों के साथ ही नहीं होता कई बार छोटे छोटे मुददो वाली स्थानीय खबरो जैसे किसी स्कूल काॅलेज की होती है तो उनके साथ भी यही हाल होता है जिससे आम आदमी को सही जानकारी नहीं मिल पाती है.’

#ChallengeAccepted: सोशल मीडिया पर महिला सशक्तिकरण की नई तस्वीर 

सोशल मीडिया का ट्रेंड आज के समय में बहुत लोकप्रिय हो चुका है. खासकर, लॉकडाउन के बाद से, एकजुटता की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए इंस्टाग्राम पर अनगिनत चैलेंज को पोस्ट किया जा रहा है – चाहे वह खाना बनाने की चैलेंज हो, योगा करने की या किसी और तरह की. इसी तरह महिलाएं महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने और एक दूसरे का साथ देने के लिए अलग-अलग तरीकें का हैशटैग का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर एक दूसरे को टैग करके चैलेंज दे रही हैं. उसी में से #challengeaccepted, #womensupportingwomen, #blackandwhitechallenge और  #sareechallange कुछ इस तरह के  हैश टैग के साथ महिलाएं अपने अन्य साथियों को भी इस ट्रेंड में हिस्सा लेने के लिए नॉमिनेट कर रही हैं. सभी चैलेंज के पीछे का कारण बस लोगों को एकजुट करने का होता है, और #ChallengeAccepted चैलेंज  इन्हीं में से एक है.

पिछले कई दिनों से, आपने इंस्टाग्राम पर एक नया चलन देखा होगा जिसमें महिलाएँ अपनी खुद की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें पोस्ट कर रही हैं और दूसरी महिलाओं को ऐसा करने के लिए टैग करती हैं.

इस वायरल चैलेंज में एक  ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर के साथ एक नोट और फिर दोस्तों को महिला सशक्तिकरण और महिला एकजुटता का समर्थन करने के लिए टैग करके इसे शेयर किया जाता है.

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इसलिए, यदि आप नामांकित हो जाते हैं, तो आपको कैप्शन “चैलेंज एक्सेप्टेड,” या #ChallengeAccepted, और #WomenSupportingWomenChallenge के साथ एक ब्लैक-एंड-व्हाइट सेल्फी पोस्ट करनी होगी. इस चैलेंज का उद्देश्य दुनिया भर की महिलाओं को एक सुरक्षित और सकारात्मक माहौल देने का है. जिसमें किसी भी देश की महिलाएं दूसरे देशों की महिलाओं का साथ दे रही हैं. साथ ही इसके उद्देश्य के मुताबिक दुनिया भर कि महिलाओं को एक सुरक्षित माहौल प्रदान करवाने का है.
इस चैलेंज में दुनियाभर की महिलाएं बढ़-चढ़ के हिस्सा ले रही है. जिसके कारण अब तक इस #WomenSupportingWomen हैशटैग का इस्तेमाल करके 6 मिलियन से ज्यादा लोग पोस्ट कर चुके हैं.

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आपको बता दें कि इस चैलेंज में कई बड़ी हस्तियों हिस्सा ले रही हैं, जिनमें अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा, सारा अली खान, शिल्पा शेट्ठी औऱ कल्की सहित कई बॉलीवुड अभिनेत्रियां भी शामिल हैं. इसके साथ ही कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस चैलेंज में भाग लिया. प्रियंका ने सोशल मीडिया पर अपनी बेटी और मां के साथ  के साथ अपनी एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने कैप्शन में लिखा  “कुछ भी नहीं हो सकता है, कुछ भी मजबूत नहीं हो सकता, # womensupportingwomen से ज्यादा मजेदार कुछ भी नहीं. वैश्विक स्तर पर, इस चैलेंज में कई मशहूर कलाकार इसमें भाग ले रही है.

इसकी शुरूआत कैसे हुई?

इसकी शुरूआत कैसे हुई ये बता पाना बेहद मुश्किल है लेकिन अबतक अधिकतर लोगों ने ये बताया की इसकी शुरूआत तुर्की से हुई. फ़ोर्ब्स और हार्पर्स बाज़ार में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ये ट्रेंड तुर्की की महिलाओं ने हाल ही में पॉपुलर किया. वहां पर हर रोज किसी न किसी महिला की हत्या होने की खबर छपती है. और उस महिला की ब्लैक एंड वाइट तस्वीर लोग अपने यहां के अख़बारों, न्यूज पोर्टल्स या सोशल मीडिया पर देखते हैं.

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औरतों की इस सिलसिलेवार हत्या में उनके परिवार, जानकार, पति/बॉयफ्रेंड जैसे करीबी लोग अक्सर शामिल होते हैं. इसे ‘फेमिसाइड’ कहा जाता है. तुर्की में 15 से 60 सालतक की महिलाओं में से लगभग 42% महिलाऍ किसी न किसी तरह के सेक्सुअल या फिजिकल वायलेंस का सामना करती हैं. जिसकी वजह से इसकी तरफ ध्यान दिलाने के लिए महिलाओं ने ये ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें डालने का ट्रेंड शुरू किया. ये दिखाने के लिए कि ख़बरों में अगली तस्वीर उनकी भी हो सकती है.

दूसरी वजह ये सामने आ रही है कि अमेरिका की पॉलिटिशियन एलेग्जेंड्रा ओकेसियो कोर्टेज़ को दूसरे पॉलिटिशियन टेड योहो ने बदतमीजी भरी बातें कही थीं. इसके खिलाफ कोर्टेज़ ने अपने लिए स्टैंड लिया और पलट कर जवाब दिया. जिसके बाद उनकी ये स्पीच वायरल हुई. उसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सपोर्ट करने के लिए इस चैलेंज में भाग लिया.

मैट्रो यूके की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों के साथ #ChallengeAccepted हैशटैग को पोस्ट करने की शुरुआत 2016 में कैंसर जागरूकता बढ़ाने के लिए हुई और तब से सोशल मीडिया पर इस चैलेंज को कई बार अलग-अलग तरीकें से शुरू किया गया.

द न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस चैलेंज से जुड़ी सबसे शुरुआती तस्वीर ब्राजील के पत्रकार एना पाउला पडराव ने पोस्ट की थी. जैसे-जैसे और अधिक महिलाओं ने इस तरह की फोटो पोस्ट करना शुरू किया, ये ट्रेंड सोशल मीडिया पर तेजी से आगे बढ़ने लगा.

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वहीं भारत की बात करें तो भारतीय महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं से भी हम अपरिचित नहीं हैं – हाल ही में एक रिपोर्ट कहा गया  भारत महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश है. साथ ही बताया गया कि भारत में हर दिन लगभग 106 महिलाओं का बलात्कार होता है. दहेज हत्या से लेकर वैवाहिक बलात्कार और एसिड हमलों तक ऐसे कई केस रोज अखबारों और मीडिया चैनल की हैडलाइन में होते है.

ये आंदोलन उतने ही प्रासंगिक या अप्रासंगिक हैं जितना हम उन्हें बनाते हैं – #MeToo आंदोलन ने लोगों को महिलाओं के प्रति उनके स्वयं के दृष्टिकोण के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया था, और इसने कंपनियों को उनकी महिला सहकर्मी को जानने के लिए  एक मौका रखा. अगर हम उन्हें मौका दें तो सोशल मीडिया पर होने के कारण ये मूवमेंट, इंटरनेट के दायरे के बाहर अलग प्रभाव डाल सकते हैं.

ऐसे में अगर आपको भी इस तरह के फोटो पोस्ट करके ख़ुशी मिल रही है और इस से लॉकडाउन में थोड़ी भी पॉजिटिविटी का अहसास हो रहा है तो इसे बेशक़ अपने तरीके से करिए और अपने साथियों को भी करने को कहिए.

महिलाओं को ही एक दूसरे के लिए खड़ा होना है और हर चुनौती का ज़वाब देना है. इस बार हमें बस अपनी गैलरी से उन खुशियों को सबके साथ बांटना है जिससे हमें कॉंफिडेंट, ब्यूटीफुलऔर एमपॉवर महसूस होता है. साथ ही याद रखिए कि हम महिलाओं की लड़ाई लम्बी है. और इन्हीं छोटे छोटे कदमों से हम अपनी आवाज़ उठा सकते हैं और एक नये समाज का गठन कर सकते हैं जहाँ लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं हो.

दिल बेचारा की सक्सेस के बाद संजना सांघी सुशांत सिंह को किया याद

साल 2020 को सबसे याद किया जाने वाला खबर होगा दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का मौत . सुशांत सिंह राजपूत के मौत से पूरा देश परेशान हो गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत मामले पर सीबीआई जांच की टीम बैठा दी गई है.

इतना ही नहीं सुशांत सिंह के फैमली , दोस्ती सभी सुशांत के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. सुशांत कि फैमली चाहती है कि सुशांत के साथ जो गलत हुआ है उसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए. सुशांत को लेकर लगातार सवाल जवाब चल रहे हैं.

इसी बीच सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म ‘ दिल बेचारा रिलीज ‘ रिलीज हुई जिसमें आखिरी बार सुशांत को रोमांस करते देखा गया . इस फिल्म की सफलता को देखते हुए सुशांत की को स्टार संजना सांधी ने इमोशनल होते हुए एक रिपोर्ट में सुशांत को याद किया है. संजना सांघी ने कहा है कि सुशांत बेहद ही उदार दिल के थे. वह कभी भी किसी के बारे में गलत नहीं सोचते थे.

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 सुशांत के को स्टार ने कहा है कि मैं शूटिंग के दौरान पूरी तरह से निर्भर थी. मुझे सुशांत का बहुत ज्यादा सपोर्ट मिला.

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दिल बेचारा के सफलता से सभी फैंस और लगातार खुश हैं. इस फिल्म के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा बेहद ही खुश हैं. उन्हें भी सुशांत के जानें का गम उन्हें भी ज्यादा है.

एक्ट्रेस ने सुशांत के साथ के अनुभव को याद किया है. उन्होंने बेहद ही खूबसूरत पल को याद करते हुए इमोशन हो गई थी.

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सुशांत की बहन श्वेता कृति सिंह भी लगातार इस पर अपने भाई के लिए मांग कर रही हैं. श्वेता कृति सिंह ने एक पोस्ट में कहा था कि वह चैन से जी नहीं पाएंगी अगर उनके भाई को न्याय नहीं मिला तो.

 

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