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8 महीने पहले रानिया जब उस शानदार कोठी में नौकरी के लिए आई थी, तब उस ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वह उस कोठी की मालकिन भी बन सकती है. दरअसल अखबार में 3 साल की एक बच्ची की देखभाल के लिए आया के लिए एक विज्ञापन छपा था. रानिया को काम की जरूरत थी, इसलिए वह आया की नौकरी के लिए उस कोठी पर पहुंच गई थी, जिस का पता अखबार में छपे विज्ञापन में दिया था. कोठी के गेट के पास बने केबिन में बैठे गार्ड ने रानिया को रोक कर कहा, ‘‘तुम्हारे आने की खबर मेमसाहब को दे आता हूं, जब वह बुलाएंगी, तब तुम अंदर चली जाना.’’

रानिया केबिन में पड़े स्टूल पर बैठ गई थी. गार्ड खबर देने कोठी के अंदर चला गया था. रानिया को बच्चों की देखभाल करने का कोई तजुर्बा नहीं था. और तो और, घर में भाई का जो बच्चा था, उसे भी वह कम ही लेती थी.

कुछ देर बाद कोठी से एक दूसरा गार्ड आया और उस ने रानिया को अपने साथ मेमसाहब के कमरे तक पहुंचा दिया. रानिया कमरे में दाखिल हुई तो वहां बैठी महिला ने उस का मुसकरा कर स्वागत किया. वह देखने में बीमार लग रही थी.

दुबलीपतली उस महिला के चेहरे की पीली रंगत, अंदर धंसी बेनूर आंखें और पास की टेबल पर रखी दवाएं इस बात का सबूत थीं.

उस महिला ने रानिया से सर्टिफिकेट मांगे. सर्टिफिकेट देखने के बाद उस ने कहा, ‘‘मिस रानिया फारुखी, आप को बच्ची की देखरेख करने का तो कोई तुजर्बा है नहीं, इस समय आप जहां काम कर रही हैं, वह कंपनी बहुत अच्छी है. नौकरी भी आप की योग्यता के मुताबिक है. इस के बावजूद आप आया की नौकरी क्यों करना चाहती हैं?’’

रानिया कुछ देर उसे खामोशी से देखती रही. उस के बाद सकुचाते हुए बोली, ‘‘दरअसल मैडम, रिहाइश का मसला है. मेरे भाई मुल्क से बाहर हैं, भाभी भी उन के पास जाना चाहती हैं, पर वह मुझे अकेली छोड़ना नहीं चाहतीं. मेरी वजह से वह भाई के पास नहीं जा पा रही हैं. मैं उन के रास्ते की रुकावट बन रही हूं. अगर मुझे रहने की यहां मुनासिब जगह मिल गई तो भाभी भाई के पास चली जाएंगी. अगर मैं आप के पास रहूंगी तो उन दोनों को मेरी तरफ से कोई चिंता नहीं रहेगी.’’

महिला कुछ सोच कर बोली, ‘‘मेरा नाम सोनिया है, मेरे शौहर का नाम अरसलान है. हमारी 3 साल की बच्ची फिजा है. तुम कितने भाईबहन हो?’’

‘‘हम 3 भाईबहन हैं. सब से बड़ी बहन की शादी अम्मा अपनी मौत से पहले कर गई थीं. उन से 2 साल छोटे अजहर भाई हैं, जो बाहर हैं. उन से 5 साल छोटी मैं हूं.’’

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारी मजबूरी को देखते हुए तुम्हें नौकरी दे सकती हूं, पर मेरी एक शर्त है…’’

‘‘कैसी शर्त मैडम?’’ रानिया जल्दी से बोली.

‘‘रानिया, तुम्हें एक बांड भरना होगा, जिस के अनुसार एक साल से पहले तुम नौकरी नहीं छोड़ सकोगी. अगर उस से पहले नौकरी छोड़ोगी तो तुम्हें 5 लाख रुपए भरने होंगे. तुम इस बारे में अच्छे से सोच कर कल मुझे जवाब देना.’’

इस बीच चायनाश्ता आ गया. सोनिया ने उसे चायनाश्ता करने को कहा. चायनाश्ता कर के रानिया खड़ी हो कर बोली, ‘‘मैडम, कल मैं अपने सामान के साथ हाजिर हो जाऊंगी. अब मैं चलती हूं, वरना देर होने पर भाभी शक करेंगी.’’

रानिया खड़ी ही हुई थी कि एक बेहद खूबसूरत मर्द एक बच्ची के साथ उस कमरे में दाखिल हुआ. रानिया ने एक नजर प्यारी सी बच्ची पर डाली, उस के बाद उस की आंखें उस खूबसूरत मर्द पर जम गईं. सोनिया ने उस आदमी का परिचय कराते हुए कहा, ‘‘रानिया, यह मेरे शौहर अरसलान हैं, और यह मेरी बच्ची फिजा. अरसलान, मैं ने रानिया को अपनी बेटी की देखभाल के लिए रख लिया है.’’

अरसलान ने उचटती सी नजर रानिया पर डाली. उस के बाद सोनिया से बोला, ‘‘जैसा आप का दिल चाहे.’’

सोनिया ने बच्ची से कहा, ‘‘बेटा, यह आप की आंटी हैं. अब यह आप के साथ रहेंगी.’’ खुश हो कर बच्ची ने रानिया का हाथ पकड़ लिया, ‘‘आंटी, आप मेरे साथ रहेंगी न?’’

‘‘हां बेटा, अब मैं आप के ही साथ रहूंगी.’’ कह कर रानिया ने उसे गोद में उठा लिया.

सोनिया ने पति से कहा, ‘‘अगर तुम गुलशन इकबाल की तरफ जा रहे हो तो रानिया को चौरंगी पर छोड़ देना.’’

‘‘कोई बात नहीं. 2 मिनट लगेंगे, बस.’’ अरसलान ने अनमने ढंग से कहा.

रानिया ने जल्दी से कहा, ‘‘नहीं, मैं चली जाऊंगी.’’

सोनिया ने कहा, ‘‘नहीं, देर हो गई है. तुम्हें अरसलान छोड़ देंगे. फिर कल सवेरे तुम्हें आना भी तो है.’’

अरसलान ने फटाफट गैरेज से गाड़ी निकाली और रानिया को बैठाया. जैसे ही कार गेट से बाहर निकली, अरसलान का मूड ठीक हो गया. वह रानिया को देखते हुए बोला, ‘‘पता नहीं सोनिया ने तुम्हें काम पर कैसे रख लिया? वह तो खूबसूरत लड़कियों से चिढ़ती है. उसे तो बूढ़ी औरतें ही पसंद आती हैं. पता नहीं तुम पर वह क्यों मेहरबान है, बहुत शक्की है वह.’’

रानिया के दिमाग में एक सवाल आया. उस ने पूछा, ‘‘वैसे मेमसाहब को हुआ क्या है. वह बीमार सी लगती हैं?’’

अरसलान ने रानिया को गौर से देखते हुए कहा, ‘‘शादी के बाद डाक्टरों ने मना किया था कि वह मां न बने, लेकिन उस ने किसी की बात नहीं मानी. नतीजा यह निकला कि उस की यह हालत हो गई. अब उस की बीमारियों से लड़ने की ताकत खत्म हो गई है.’’

‘‘आखिर, ऐसा क्या हुआ है?’’ रानिया ने पूछा.

‘‘देखा जाए तो सोनिया अपने किए का फल भोग रही है. उस ने रूही के साथ जो किया, वही उस के साथ हो रहा है.’’

‘‘यह रूही कौन है, उस के साथ क्या किया था उन्होंने?’’ रानिया ने जिज्ञासावश पूछा.

‘‘रूही मेरी मंगेतर थी. हम एकदूसरे को बहुत चाहते थे, पर बीच में सोनिया आ टपकी. एक दिन रूही और उस के भाई का किडनैप हो गया. फिरौती की रकम 50 लाख मांगी गई. हम इतने पैसे नहीं दे सकते थे. हम ने सोनिया से मदद मांगी. उस ने हमारी मदद तो की, पर रूही लुटपिट कर घर वापस आई. उस ने उसी रात खुदकुशी कर ली.’’ अरसलान ने दुखी मन से कहा.

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