तेज़ रफ़्तार से भागती ज़िंदगी में कोरोना ने ब्रेक लगा दिए हैं. सब लोग बीते पांच महीने से अपने अपने घरों में कैद हैं. इस दौरान घरेलू महिलाओं का काम तो ज़रूर बढ़ गया है, क्योंकि घर के मर्द और बच्चे पूरे समय घर में बने हुए हैं, लिहाज़ा सारा दिन उनके खाने-पीने और अन्य बातों का ख्याल रखना पड़ रहा है, इसलिए उनको आराम का वक़्त कम ही मिल रहा है, लेकिन जो महिलायें अविवाहित हैं या एकाकी जीवन जी रही हैं, उनके पास आराम का भरपूर समय है. इस समय को वे भरपूर नींद ले कर गुज़ार रही हैं. रात की पूरी नींद तो ले ही रही हैं, दिन में भी चार-पांच घंटे की नींद का मज़ा उठा रही हैं. कामकाजी महिलायें जो वर्क फ्रॉम होम कर रही हैं, वो भी काम ख़त्म करके बिस्तर पर पसर जाती हैं, कि चलो एक नींद ले ली जाए. पुरुषों को तो आराम करने और खर्राटे बजाने का भरपूर समय कोरोना ने मुहैय्या कराया है. अब सुबह जल्दी उठ कर ऑफिस के लिए भागमभाग मचाने की ज़रूरत नहीं है, लिहाज़ा देर तक सोने का लुत्फ़ उठाया जा रहा है. दोपहर में भी यह सोच कर कई घंटे की नींद मार ली जाती है कि ऐसा मौक़ा फिर कहाँ मिलेगा.

कहना गलत ना होगा कि कोरोना काल में लोगों का खाना और सोना खूब हो रहा है और फिर शिकायत कि देखो वज़न बढ़ रहा है, कपड़े तंग हो रहे हैं. अब ऑफिस में तो एकाध बार चाय और दिन में आधे घंटे के ब्रेक में दो रोटी-सब्ज़ी जल्दी-जल्दी निगल कर काम में जुट जाते थे. मगर घर में ठाठ से तीन वक़्त लज़ीज़ खाना, चार-पांच बार चाय-नाश्ता और उस पर भरपूर आराम, वज़न तो बढ़ना ही है. लेकिन क्या आप जानते हैं यह आराम आपको सिर्फ मोटा-थुलथुल ही नहीं बना रहा है, बल्कि यह आपको कई अन्य रोग भी दे सकता है.

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