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GHKKPM: विराट को थप्पड़ मारेगी सई! इस एक्टर संग बनेगी जोड़ी?

टीवी सीरियल गुम है किसी के प्यार है में इन दिनों बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो में जल्द ही दर्शकों को लीप देखने को मिलेगा. विराट और पाखी विनायक के पेरेंट्स बनकर रहेंगे. तो दूसरी तरफ सई सिंगल पेरेंट्स बनकर रहेंगे. शो के आने वाले एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में…

रिपोर्ट के अनुसार, सई की लाइफ में भी किसी की एंट्री होने वाली है. खबर है कि शो में नए डीएम बनकर आए रिभू मेहरा के साथ सई की जोड़ी बनेगी.

 

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गुम है किसी के प्यार है में सई घर छोड़कर चली जाएगी. पाखी की आत्महत्या की चाल के बाद विराट सई से बच्चा छीनकर पाखी को देगा. बताया जा रहा है कि पाखी और सई के बीच इतना झगड़ा होगा कि सई विराट को थप्पड़ मार देगी.

 

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शो में पाखी विराट को छोड़ देगी. विराट से अलग होने के बाद सई अपनी बेटी को अकेले पालेगी. सई अपनी बेटी को बाप की कमी महसूस नहीं होने देगी. तो दूसरी तरफ विराट पाखी के बेटे पर प्यार लुटाएगा.  आखिरकार पाखी को  उसका प्यार मिल जाएगा. कयास लगाया जा रहा है कि रिभू और सई के बीच ऐंगल बनाया जा सकता है.

 

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श्याम खाटू दुघर्टना: दोषी हम या सरकार

देश के अब के बहुचर्चित श्रद्धा के केंद्र मंदिरों में एक खाटू श्याम जो कि राजस्थान में स्थित है में हुई दुर्घटना यह बताती है कि हम चाहे जितनी कोशिश करें यह दुर्घटनाएं होती रहेंगी क्योंकि हम धर्म के अंध पथिक हैं और सुधारना नहीं चाहते या फिर हमें कोई ऐसी ताकत नहीं जो सही रास्ते पर ला सके. हम धर्म के अंधेरे कुएं में रहने के आदी हैं और हमारा देश कुछ इस तरह रचा बसा है कि जीवन में सबसे पहले है धार्मिक आडंबर और इस सब में फंसकर हम दुनिया में जो विकास हो रहा है वैज्ञानिक अनुसंधान हो रहे हैं पिछड़ते चले जाएंगे.

खाटू श्याम बाबा में हुई दुर्घटना एक बार फिर यह हमें बता गई है कि हम अभी भी कई सौ साल पहले जिंदगी जी रहे हैं जो दुर्घटना नहीं होनी चाहिए वह भी हम भुला करके धन और जन दोनों की हानि करने में लगे हुए हैं.

खाटू श्याम के मासिक मेले में 8 अगस्त को सुबह पांच बजे भगदड़ मच गई, इस घटना में 3 महिला भक्तों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तमाम लोग घायल हो गए.सभी घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया .

दरअसल, एकादशी का दिन होने के कारण काफी भीड थी फिर जब मंदिर का प्रवेश द्वार खोला गया तो भीड़ का दबाव बढ़ने से भगदड़ मची थी. फिलहाल जैसा कि हमेशा होता रहा है मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं और सभी घायलों को बेहतर इलाज भी किया जा रहा है.

अगर हम इतिहास देखें तो धार्मिक स्थलों पर बार बार दुर्घटनाएं होती रहती हैं और लोग बिला वजह मृत्यु को प्राप्त होते हैं इस पर न तो समाज संज्ञान देता है और ना ही कोई धार्मिक संस्थान. इसका कोई दोषी भी आज तक सिद्ध नहीं पाया गया है, जिसे सजा दी जाए. दरअसल ऐसे मामलों में पुलिस प्रशासन सरकार और न्यायालय भी मौन धारण किए हुए हैं.

अगर मानवीय सरोकार से हम देखें तो धार्मिक दुर्घटनाओं के संदर्भ में बहुत पहले ही कड़े नियम बन जाने चाहिए थे. क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हिंदुस्तान जैसे इतने बड़े धार्मिक देश में अगर कोई धर्म का चोला पहनकर के, धर्म की जय जयकार करता मंदिर पहुंचे और वहां से उसकी लाश निकले.

धर्म स्थल:दुर्घटना का कौन दोषी ?

अब वह समय आ गया है जब लफ्फाजी से दूर हट करके देश और राज्य सरकारों को धार्मिक स्थलों के लिए कड़े नियम बनाने चाहिए ताकि धर्म की दुकानों पर किसी भी इंसान की बेवजह मृत्यु न हो. अगर हम देश में अन्य धार्मिक स्थलों पर हुई दुर्घटनाओं पर दृष्टिपात करें तो भयावह अनेक दुघर्टनाएं आपको सोचने पर विवश कर देंगी .

विगत समय में नवरात्रि के समय जोधपुर में प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी धार्मिक दुर्घटना हुई थी. 30 सितम्बर 2008 को राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित मेहरानगढ़ के किले में चामुंडा देवी के मंदिर में भगदड़ हुई , दो चार लोग नहीं बल्कि इसमें 224 लोगों की मृत्यु हुई तथा 425 घायल हुए थे.नवरात्री का पहला दिन था, ऐसे में यहां करीब 25 हजार लोग माता चामुंडा देवी का दर्शन करने आए हुए थे. मंदिर 15वीं सदी में बनाया गया था यह मेहरानगढ़ किले में ही स्थित है.

2022 की शुरूआत ही धार्मिक दुर्घटना से हुई थी- नए साल पर जम्मू-कश्मीर स्थित वैष्णो देवी मंदिर में लोग दर्शन के लिए पहुंचे थे लेकिन भवन में 31 दिसंबर यानी शुक्रवार रात 2.45 पर भगदड़ मच गई. इस दुखद हादसे में 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जबकि 20 लोग घायल हो गए .

आगे हम आपको इतिहास के पन्नों की और ले चलते हैं जो बताते हैं कि देश में कब-कब धार्मिक स्थलों पर जो घटनाएं हुई और लोग बेवजह काल कवलित हो गए.

10 अप्रैल 2016

केरल के पूरवर में पुत्तिंगल मंदिर में आतिशबाजी से 110 लोगों की जान चली गई थी 400 लोग इस दुर्घटना में घायल हो गए थे.

14 जुलाई 2015

दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में एक पवित्र नदी के तट पर भगदड़ में कम से कम 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई .

25 अगस्त 2014

मध्य प्रदेश के सतना जिले में चित्रकूट के कामतनाथ मंदिर में भगदड़ मची थी जिसमें 10 लोगों की मौत और करीब 60 लोग घायल हुए.

25 सितंबर 2012

झारखण्ड के देवघर में ठाकुर अनुकूल चंद की 125वीं जयंती पर एक आश्रम परिसर में हजारों की भीड़ एकत्र हो जाने और सभागार में भारी भीड़ के कारण दम घुटने से बारह लोगों की मौत हो गईए जबकि 120 अन्य बेहोश हो गए.

1986

हरि के द्वार कहे जाने वाले “हरिद्वार” में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई.

बहुत पीछे,आजादी के बाद सन् 1954 में इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ से लगभग 800 लोगों की जानें गई थी जो यह बताता है कि लगभग 75 वर्ष की आजादी के इस दौर में धार्मिक स्थलों पर होने वाली दुर्घटनाएं तब से लेकर अब तक अबाध जारी हैं और रोकने के लिए सरकार के पास कोई भी योजना नहीं है.

बिहार: नीतीश कुमार का नरेंद्र दामोदरदास मोदी को करेंट

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजनीतिक परिपक्वता का जैसा परिचय दिया है वह अभूतपूर्व कहा जा सकता है. क्योंकि भाजपा के यह नेता केंद्र में सत्तासीन होने के बाद कांग्रेस सहित अन्य सभी महत्वपूर्ण दलों को समाप्त कर देना चाहते हैं या फिर घुटनों पर बैठाना.

बिहार में जिस तरह रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान को उनके ही चाचा पशुपति पारस  कुमार के हाथों साफ कराने की घटना अभी पुरानी नहीं है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को उनके ही एक प्यादे एकनाथ शिंदे के हाथों पिटवाने की घटना भी हाल ही की है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को खत्म करने के लिए बिछा शतरंज सारा देश देख रहा है. यही हालात दक्षिण के भी हैं, मध्यप्रदेश में भी सत्ता पलट हो गई, राजस्थान में होने ही वाली थी कि रुक गई.

इस संपूर्ण घटनाक्रम को देखा जाए तो भाजपा के यह शीर्ष नेता सिर्फ यह चाहते हैं कि भाजपा के सामने सारी पार्टियां बड़े राजनेता आत्मसमर्पण कर दें अन्यथा प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जैसे संविधानिक संस्थाओं को इशारा कर दिया जाता है.

बिहार में 1 दिन में ही जो कुछ राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है वह अपने आप में राजनीति का आठवां आश्चर्य कहा जा सकता है. भाजपा को जैसा करंट नीतीश कुमार ने यहां दिया है उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है.

अब नवीन परिस्थितियों में नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं. सबसे अनोखी बात यह है कि सिर्फ पांच चुनाव जीतकर ही नीतीश आठवीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

नीतीश कुमार पहली बार तीन मार्च, 2000 को मुख्यमंत्री बने. मजे की बात यह है कि उस समय उनके पास बहुमत नहीं था और केवल सात दिन में ही उनकी सरकार गिर गई. दूसरी बार वे 24 नवंबर, 2005 में मुख्यमंत्री बने और उनका यह कार्यकाल 24 नवंबर, 2010 तक चला. नीतीश ने तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ 25 नवंबर, 2010 को ली लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय हुई. तत्पश्चात उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया.

नीतीश ने चौथी बार 22 फरवरी, 2015 को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी जद ( एकी) और राजद के बीच महागठबंधन बना था जिसने चुनाव में शानदार जीत दर्ज की. इसके बाद पांचवीं बार वह 20 नवंबर, 2015 को मुख्यमंत्री बने.यह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन सरकार थी .

नीतीश कुमार ने लगभग डेढ़ साल बाद ही लालू प्रसाद यादव के युवराज तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर राजद के साथ गठबंधन तोड़ दिया. फिर 27 जुलाई, 2017 को भाजपा के साथ नीतीश छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली .

नीतीश का दांव…

दरअसल, बिहार में जो हुआ वह राजनीतिक दांवपेच का बेजोड़ खेला कहा जा सकता है. भाजपा ने बड़ी ही चतुराई के साथ नीतीश कुमार को आगे बढ़ाया था यह विश्वास दिलाने के लिए कि हम आपके पीछे हैं मगर भाजपा ने अल्प समय में ही जो चालें चली उससे नीतीश कुमार हतप्रभ रह गए थे. उनकी अनुमति के बगैर उनके “खास” को मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बना दिया गया, विधायकों को तोड़ने के लिए करोड़ों के प्रस्ताव दिए  जाने लगे. नीतीश कुमार की यह मंशा भी थी कि उन्हें राष्ट्रपति पद पर आसीन कर दिया जाए मगर राष्ट्रपति तो क्या उन्हें उपराष्ट्रपति भी नहीं बनाया गया क्योंकि भाजपा संघ की एक ऐसी कठपुतली है जो वही करती है जो संघ का इशारा होता है.

ऐसे में राजनीति के संबंध में एक परिपक्व नेता का परिचय देते हुए नितीश कुमार भविष्य में एक ऐसा दांव खेला है जो उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा सकता है. आज कम से कम वे इस पद के सशक्त दावेदार बनकर उभर आए हैं.

बिहार में 9 अगस्त ऐतिहासिक अंग्रेजों भारत छोड़ो दिवस पर जो घटनाक्रम घटित हुआ वह कुछ इस तरह देखा गया.

सुबह 11 बजे जनता दल (एकी) के सांसद और विधायक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर बैठक के लिए एकत्रित हुए. राज्य विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों ने सुबह सवा 11 बजे बैठक की.

राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन जिसमें वामपंथी दल और कांग्रेस शामिल हैं, ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर दोपहर एक बजे बैठक की, जहां विधायकों ने नीतीश कुमार के लिए समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किए। दोपहर दो बजे जद (एकी) ने अपने नेता कुमार

को ‘नए गठबंधन का नेतृत्व’ संभालने के लिए बधाई दी, वाम दल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बगैर गठबंधन में उनके लिए अपना समर्थन दोहराया.

शाम चार बजे कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात की. उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा, जिसके बाद उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दे चुके हैं.

नीतीश कुमार शाम पौने पांच बजे बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर राजद नेता तेजस्वी यादव से बातचीत करने पहुंचे.

हार्ट अटैक के बाद राजू श्रीवास्तव का ब्रेन भी हुआ डैमेज, पढ़ें खबर

मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव (Raju Shrivastva) का दो दिन पहले ही दिल का दौरा पड़ा था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया. राजू श्रीवास्तव को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में राजू श्रीवास्तव की हालत लगातार गंभीर बनी हुई है.

बताया जा रहा है कि दिल का दौरा पड़ने से उनका ब्रेन भी डैमेज हो गया है. रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और वह वेंटिलेटर पर सपोर्ट पर हैं. ब्रेन डैमेज के कारण उनकी हालत और भी ज्यादा गंभीर हो गई है.

राजू श्रीवास्तव का इलाज एम्स की कार्डियोलॉजी एंड एमरजेंसी डिपार्टमेंड टीम द्वारा किया जा रहा है. खबरों के मुताबिक, जिम में वर्कआउट करने के दौरान राजू श्रीवास्तव को दिल का दौरा पड़ा था. उनके ट्रेनर ही उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे थे.

 

रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार की सुबह राजू श्रीवास्तव साउथ दिल्ली के एक जिम में ट्रेडमील पर दौड़ रहे थे, इस दौरान वह गिर पड़े. जल्दबाजी में उन्हें एम्स में भर्ती किया गया. राजू श्रीवास्तव के हार्ट अटैक की खबर से फैन्स काफी दुखी हैं और कॉमेडियन के जल्द ही स्वस्थ होने की दुआ कर रहे हैं.

 

राजू श्रीवास्तव ने अपने करियर की शरुआत फिल्मों में छोटे रोल करने से की थी. फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में कैमियो करते नजर आए थे.  उन्होंने फिल्म ‘बाजीगर’ में भी काम किया.  एक्टर कई पॉपुलर टीवी शोज में भी नजर आए हैं.

मेरा बेटा जल्दी भूल जाता है, क्या करूं?

सवाल

मेरे बेटे की उम्र 14 साल है. पढ़ाईलिखाई में ठीकठाक है. मैं देखती हूं कि वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता है ज्यादा से ज्यादा ग्रेड लाने की, लेकिन पढ़ा हुआ वह जल्दी भूल जाता है. मैं उस के खानपान में ऐसा क्या शामिल करूं जिस से उस की मैमोरी बढ़े?

जवाब

यदि आप को लगता है कि आप के बेटे की याद्दाश्त कमजोर है तो आप को सब से पहले डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इस के अलावा अपनी तरफ से उस की डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें जिन से मैमोरी बढ़ती है. हरी पत्तेदार सब्जियों में कई ऐसे विटामिंस होते हैं जो याद्दाश्त बढ़ाने में कारगर होते हैं. दिमाग को तेज करने के लिए अखरोट का सेवन बेहद मुफीद रहता है. इस में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो दिमाग के लिए बहुत जरूरी माना जाता है. इस में मौजूद अल्फा लिनोलैनिक एसिड दिल और दिमाग दोनों की हैल्थ के लिए अच्छा होता है. औयली फिश में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है. यह मस्तिष्क के विकास और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. सैल्मन, मैकेरल, ताजी टूना और हेरिंग जैसी मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड अधिक होता है और इस का सेवन सप्ताह में एक बार कर सकते हैं. जामुन में कई ऐसे एंटीऔक्सीडैंट होते हैं जिन की मदद से याद्दाश्त की होने वाली कमी को रोका जा सकता है. दिन में करीब 9 से 10 जामुन का सेवन करना बेहतर है. दूध, दही और पनीर में प्रोटीन और विटामिन बी की मात्रा अधिक होती है, जो मस्तिष्क के टिश्यू न्यूरोट्रांसमीटर और एंजाइम्स के विकास के लिए आवश्यक है. ये सभी मस्तिष्क में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

15 August Special: मजाक- आजादी की तीसरी घोषणा के इंतजार में

लेखक – अशोक गौतम

*धन्य* हैं मेरे वे देशवासी जिन्हें 1947 में आजादी मिली थी. वह आजादी नकली थी या असली वे ही जानें, उन दिनों मैं पैदा नहीं हुआ था. पैदा हुआ होता तो आप को बता देता कि वह कैसी आजादी थी. जो उस टाइम किसी वजह से आजाद होने से बच गए थे ठीक उसी तरह जिस तरह सरकारी नौकरी में एकसाथ लगे कुछ पक्के हो जाते हैं और कुछ पक्के होने से रह जाते हैं और बाद में जा कर पक्के होते हैं.

इन की तरह उन्हें भी यह जान कर घोर आश्चर्य होगा कि वे 2014 में आजाद हो चुके हैं. हाय, बेचारों को आजादी की दूसरी नोटिफिकेशन के लिए कितना लंबा इंजार करना पड़ा.

कोई बात नहीं, अपने यहां देर है  अंधेर नहीं. चलो, अब अपनी असली  आजादी का जश्न मनाओ. काश, उन को अपनी आजादी का उसी साल पता चल जाता तो आजादी का मजा ही कुछ और होता. तब 1947 में आजाद हुओं की तरह आज वे भी देश को पता नहीं कहां पहुंचा चुके होते?

देर आए दुरुस्त आए. शुक्र है, उन्हें अपनी आजादी का 7 साल बाद ही सही, पता तो चला. कईयों को तो अपने मरने के बाद भी अपनी आजादी का पता नहीं चल पाता. इसलिए उन्हें भी मेरा प्रणाम. आजादी पर उन्हें मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं. अब उन से एक गुजारिश और है कि वे 2014 में आजाद हुओं को आजादी के सारे लाभ बैक डेट से देने की भी नोटिफिकेशन कर दें ताकि उन के खाते में ढेर सारी आजादी जमा हो जाए और जो मेरे जैसे बचेखुचे 2014 के बाद के अभी भी आजाद होने को तड़प रहे हैं, अब मेरी सारी मूलशूल संवदेनाएं अपने और उन के साथ हैं.

पता नहीं, आजादी की तीसरी नोटिफिकेशन अब कब होगी? कोई करेगा भी या मेरे जैसे शेषअशेष गुलाम ही रह जाएंगे. यों जो आजादी की तीसरी नोटिफिकेशन नहीं हुई तो मेरी तरह वे आजादी के उपभोग से सदासदा को वंचित न रह जाएं कहीं.

*मित्रो,* अपनी गुलामी के बारे में आप को यह बताते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है कि देश 2 बार आजाद होने के बाद भी अभी तक मुझे आजादी नहीं मिली है. न असली, न नकली. असली तो पता नहीं, अपने यहां कुछ है भी या नहीं, जहां नमक तक नकली है.

आज भी घर में बीवी की वही अंगरेजी मैमों वाली गुलामी. औफिस में साहब की वही साबजी वाली गुलामी. घर में वही बीवी की मेम वाली तानाशाही. औफिस में वही साहब की साबजी वाली तानाशाही.

सुबह उठ कर सब से पहले उस के लिए चाय बनाओ. अपनी चाय ठंडी हो जाए तो हो जाए. फिर बिस्तर पर योगा करती, चाय पीती बीवी के आगे भोर का गीत गाओ. उस के बाद जब वह भोर का गीत सुन योगा करतीकरती चाय पी कर सो जाएं तो इस ठंड में ठंडी चाय पी कर अपने भीतर चुस्ती फील करो. उस के बाद अपने लिए औफिस का खुद ही लंच बनाओ. अपने लिए लंच बने या न बने, पर बीवी के लिए ब्रैकफास्ट बना कर हर हाल में छोड़ जाओ. औफिस जाने से पहले सारे घर में झाड़ूपोंछा कर के जाओ.

गिरतेपड़ते औफिस पहुंचो तो वहां काम के बदले साहब के पर्सनल काम. पता नहीं अपने कामों की इतनी लंबी लिस्ट रोज कैसे और कहां से बना कर ले आते हैं? साहब का रौब देखो तो अंगरेजों वाला. बातबात पर उन के रौब को देख कर लगता है जैसे गोरे अंगरेजों ने चोरी से अपना रंग बदल लिया हो यहीं रहने को.

*उन* के घर का काम न करो तो एसीआर खराब करने की धमकी. बातबात पर यों डराना कि मेरे घर के कामों में कोताही बरती तो वे मेरे कैरियर का यह कर देंगे, वे मेरे कैरिअर का वह कर देंगे. पता नहीं तब उन्हें मैं यह कहने से क्यों डरता हूं कि साहब, घर में, औफिस में कैरियर है ही किस का? फिर भी डर के मारे तब दुम दबाए उन के घर जाओ. उन के घर की सब्जीभाजी अपने पैसों से लाओ. जो वे आंखें तरेरते हुए कभी पैसे देने ही लगें तो सिर झुकाए कहो कि साहब, यह भी तो आप के ही पैसे हैं. मेरी जेब आप की जेब…

10 से 5 तक रोज उन के घर का कभी यह काम करो तो कभी वह. शरीर इतना अपने घर के काम करते नहीं टूटता जितना उन के घर के काम करते टूट जाता है. सोच रहा हूं कि इस जन्म में असली आजादी तो शायद मुझे मिलेगी नहीं. भीख में ही जो कहीं से सौपचास वाली आजादी मिल जाती तो मैं भी अपनी आजादी का जश्न मना टशन बना लेता और गाता,”उड़ता फिरूं बन के पंछी मस्त गगन में, आज मैं आजाद हूं उन के अपने किचन में…”

15 August Special: आजाद भारत में आज़ादी नहीं

जब तक आज का युवा पूरा वयस्क होगा, भारत कट्टरपंथी, धार्मिक, सऊदी अरब, पाकिस्तान जैसा देश बन चुका हो, तो बड़ी बात नहीं है. आज भी कमजोर वर्गों के कम पढ़ेलिखे युवाओं के लिए धर्म का धंधा सब से बड़ा काम है जहां खुद की सोचने की आजादी का कोई काम नहीं होता.वाशिंगटन में हैडक्वार्टर वाली संस्था फ्रीडम हाउस ने इस साल भारत का स्टेटस ‘फ्री’ से घटा कर ‘पार्टली फ्री’ कर दिया है. एक तरह से अभी भी उदारपना दिखाया गया है क्योंकि जो माहौल है उस में पार्टली फ्री भी केवल सरकार समर्थक हैं जिन्हें आजादी है कि वे सरकार के आलोचकों को देशद्रोही, अपराधी, खालिस्तानी, पाकिस्तानी, चीनी या कुछ और भी कहने की स्वतंत्रता रखते हैं.

यह संस्था पूर्ण स्वतंत्रता वाले देश को 100 अंक देती है. भारत के अंक 71 से गिर कर इस वर्ष 67 पर आ गए और उस का 211 देशों में से रैंक 83 से घट कर 88 पहुंच गया. यह आज के युवाओं के लिए चौंकाने वाली बात नहीं रह गई है क्योंकि जो 20 और 30 वर्षों की उम्र के बीच हैं, उन्हें तो फ्री का अर्थ ही न के बराबर मालूम है. वे तो सोचते हैं कि जो आज है वही समस्या है जिस में भगवे लठैत की चलती है. वैसे, फ्रीडम तो मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को भी नहीं है जिन्हें जरा सी सरकार की असहमति जताने पर दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल दिया जाता है. जहां धर्म का राज होता है वहां फ्रीडम का क्या काम है क्योंकि जो गुरु ने कह दिया, वही सत्य है और गलीमहल्ले के गुरु वही कह सकते हैं जो महागुरू की सोच है.

उस संस्था का काम ये तथ्य जुटाने हैं कि क्या लोग सरकार व सत्ताधारियों के खिलाफ अपने राजनीतिक विचार रखते हैं और उन्हें वे निर्भीकता से कह सकते हैं या नहीं. और क्या उन्हें पर्याप्त पब्लिसिटी मिलेगी? अगर वे ऐसा करेंगे तो क्या उन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी? आज सरकार के खिलाफ बोलने वाला तकरीबन हर नागरिक अदालत में घसीटा जा रहा है. कोई भी भगवा झंडाधारी एक जरा सी शिकायत पर एक विचारक, पत्रकार, छोटेमोटे राजनीतिक कार्यकर्ता, अपने गुट के प्रतिनिधि पर अभियोग का कोई आरोप लगा सकता है और भगवा सरकार का तंत्र सक्रिय हो जाता है और गिरफ्तारियां शुरू हो जाती हैं.
अदालतों के पास रैडीमेड अरैस्ट वारंट हैं जो एकदम जारी कर दिए जाते हैं. पहली अदालत के पास पूरे अधिकार हैं जमानत देने के पर बिरले ही अदालत इस अधिकार का इस्तेमाल करती है और बोलने वाले को गब्बर सिंह की तरह मान कर फांसी पर चढ़ाने की तैयारी हो जाती है.

युवा आज देश में अपने जीवनसाथी को ढूंढने के लिए फ्री नहीं है. वैलेंटाइन डे पर तुरंत गुंडों की फौज पुलिस की सहायता से एकदूसरे से बतिया रहे जोड़ों पर पिल पड़ती है. देश के हिंदू धर्मग्रंथों में देवीदेवताओं का बिना विवाह के प्रेम का कामुक वर्णन का भरा पड़ा है वहां उन्हीं धर्मग्रंथों का हवाला देते हुए महिलाओं को अकसर सरेआम पीटपीट कर अधमरा कर दिया जाता है. लड़कियों का तो बलात्कार कर उन्हें जीवनभर की सजा दे दी जाती है. इस पर बोलने वालों को भी पकड़ लिया जाता है.

अब तो देशप्रेमियों के वकीलों को पकड़ा जाना शुरू कर दिया गया है. जज जमानत की सुनवाई सप्ताहों तक टाल देते हैं ताकि बिना जुर्म साबित हुए सजा खुल कर दी जा सके. युवा आज घुट कर जीता है, पर वह जैसे समर पौल्यूशन का आदी है, वैसे ही वह पोलीटिकल पौल्यूशन का आदी हो गया है. उस का कल हर तरह से काला है. जब उस ने फ्रीडम की सफेदी देखी नहीं, रोशनी देखी ही नहीं, गरीबी का चश्मा वैसे ही आंखों पर चढ़ा है तो उसे न अपने बारे में फैसले लेने की फ्रीडम है, न फैसले लेने वालों को कुछ कहने की.
यह संस्था अगर गलत है तो इसलिए कि उस ने भारत को 100 में से 67 का स्कोर दिया. हमें तो 30-40 का मिलना चाहिए क्योंकि यहां फ्रीडम केवल सरकार समर्थन की है.

GHKKPM: विराट ने अपनी बहन से बंधवाई राखी, देखें Photos

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी में दिलचस्प मोड़ आ चुका है. शो में बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. प्रोमो के अनुसार शो में जल्द ही 8 साल लंबा लीप आने वाला है. शो में दिखाया जाएगा कि लीप के बाद सई और विराट अलग हो जाएंगे. इसी बीच सोशल मीडिया पर गुम है किसी के प्यार में के सेट की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इन तस्वीरों में विराट अपने चौहान परिवार के साथ धमाल मचाते नजर आ रहे हैं. आइए दिखाते हैं आपको तस्वीर…

नील भट्ट ने अपने ऑनस्क्रीन बहन के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाया है. तस्वीर में आप देख सकते हैं कि नील भट्ट अपनी राखी फ्लॉन्ट कर रहे हैं. शूटिंग के दौरान नील भट्ट अपनी ऑनसक्रीन बहन मिताली नाग के साथ जमकर पोज देते नजर आ रहे हैं.

 

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फोटोज में दोनों भाई-बहन की जोड़ी कमाल की लग रही है. पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा ने भी रक्षाबंधन का त्योहार मनाया है. बता दें कि ऐश्वर्या शर्मा अपने ऑनस्क्रीन बेटे के साथ भी समय बिताती नजर आईं.

 

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सेट से कयूट सी तस्वीर वायरल हो रही है. फोटो में आप देख सकते हैं कि इस छोटे से बच्चे ने अचानक ऐश्वर्या शर्मा का दुपट्टा थाम लिया है. अपने ऑनस्क्रीन बेटे की ये हरकत देखकर ऐश्वर्या शर्मा की हंसी छूट रही है.  सेट पर एक्ट्रेस अपने ऑनस्क्रीन बेटे के साथ खेलती नजर आ रही है.

 

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Top 10 Rakhi 2022 Special Sweet Recipes In Hindi: राखी पर बनाएं ये 10 मिठाईयां

भाई-बहनों के पवित्र रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दिन सभी बहनें अपने भाई को स्पेशल फील करवाने के लिए गिफ्ट के साथ-साथ अपने भाई के लिए उनके पसंद की मिठाई और खाना बनाती हैं. तो अगर आप भी इस राखी पर अपने भाई के लिए बनाना चाहती हैं खास रेसिपी तो पढ़िए सरिता की Top 10 Rakhi Special Sweet Recipes In Hindi.

  1. Rakhi 2022: त्यौहार पर बनाएं पनीर के कोफ्ते

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कोफ्ते के स्वाद तो लजीज होते ही होते है पर पनीर के कोफ्ते की स्वाद की बात ही कुछ और है तो आइए आज इसकी रेसीपी बताते है. तो इस भाई-बहन के त्यौहार पर ये स्पेशल डिश जरूर बनाएं.

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2. Rakhi 2022: दूध और मेवे के साथ घर पर ऐसे बनाएं फिरनी

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फिरनी एक मीठा व्यंजन है. इसे बहुत ही कम समय में बनाया जा सकता है. चावल की खीर की जगह यह खाने में बहुत अलग होती है. फिरनी खाने में जितनी स्वादिष्ठ लगती है, इसे बनाना उतना ही आसान है.

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3. Rakhi 2022: काजू कतली- कम मीठी मिठाई

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आमतौर पर मिठाई के बाजार में उस मिठाई को सब से ज्यादा पसंद किया जाता है, जो ज्यादा दिनों तक चल सके यानी जल्दी खराब न हो. चीनी और काजू से तैयार होने वाली काजूकतली ऐसी ही एक मिठाई है. मिठाई के बाजार में आज इसे बेहद पसंद किया जा रहा है. जिन लोगों को मेवों की मिठाई पसंद आती?है, पर वे ज्यादा घी पसंद नहीं करते, उन के लिए काजूकतली या काजूबरफी सब से बढि़या होती है.

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4. Rakhi 2022: घर में ऐसे बनाएं जलेबी

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रक्षा बंधन के खास मौके पर आप चाहे तो अपने भाई कि फेवरेट डिश बना सकती हैं, ऐसे में इसे बनाने के लिए आप नीचे दिए गए रेसिपी को ट्राई कर सकते हैं.

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5. Rakhi 2022: दूध और शक्कर से घर पर बनाएं टेस्टी कलाकंद

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कलाकंद एक तरह की खोए वाली बरफी होती है. यह दूसरी तरह की तमाम बरफियों से अलग होती है. बाकी बरफियां खोए से तैयार होती हैं, पर यह दूध और छेने से तैयार की जाती है. इस की सब से खास बात यह होती है कि यह खाने में छेने और खोए दोनों के मिलेजुले स्वाद का एहसास कराती है. दानेदार बरफी होने के कारण यह दूसरी बरफियों से अलग होती है.

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6. Rakhi 2022: पूरे भारत में मशहूर है बंगाली रसगुल्ला, ऐसे बनाएं

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रसगुल्ला बंगाली मिठाई है. यह छेने और चीनी से तैयार होती है. अच्छे रसगुल्ले की पहचान यह होती है कि वे एकदम मुलायम होते हैं. रसगुल्ले सफेद और हलका पीलापन लिए बनाए जाते हैं. इन का साइज भी अलगअलग हो सकता है. छोटेछोटे साइज वाले रसगुल्ले ज्यादा पसंद किए जाते हैं.

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7. Rakhi 2022: भाई के लिए ऐसे बनाएं बूंदी के लड्डू

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आप भी करना चाहती हैं अपने भाई को स्पेशल फील तो बनाएं इस आसान विधि से बूंदी  के लड्डू.

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8. Rakhi 2022 : लौंगलता- बारिश में लीजिए इस मिठाई का स्वाद, हमेशा रहेगा याद

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भारत में लौंग की गिनती लोकप्रिय मसालों में होती है. इस की लोकप्रियता का ही प्रमाण इस के नाम पर बनने वाली लौंगलता है. लौंगलता की सब से बड़ी खासीयत उस में लौंग का इस्तेमाल है. लौंगलता को लौंग के जरिए बांधा जाता है, ताकि उस के अंदर भरे मेवे और मसाले बाहर न आ सकें.

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9. Rakhi 2022: ऐसे बनाएं सिंघाड़े का हलवा

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सबसे पहले एक सौस पैन में पानी डालकर गरम होने के लिए रख दें. अब गैस के दूसरे बर्नर में धीमी आंच पर कड़ाही में घी डालकर गरम कर लें.

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10. Rakhi 2022: इस साल राखी पर बनाएं गोल गुझिया

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गुझिया के सामान्य आकार से अलग गोल आकार की गुझिया अब लोगों को पसंद आने लगी है. गोल गुझिया बनाने के लिए अच्छे किस्म के गेहूं के मैदे का प्रयोग किया जाता है. उत्तर प्रदेश के सभी छोटेबड़े जिलों में यह मिठाई खूब बिकती है. गुझिया पूरे साल बाजार में मौजूद रहती है.

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Top 10 Rakhi Tips in Hindi: भाई-बहन के रिश्तों में ऐसे बढ़ाएं प्यार

रिश्ता मांबेटे का हो या भाईबहन का, हर रिश्ते की अपनी गरिमा होती है और मांग भी. जब कोई प्यारा सा रिश्ता हमारी अनजानी गलतियों की वजह से टूट जाता है तब हमें एहसास होता है कि शायद कहीं कोई कमी रह गई थी. तो आइए आपको बताते हैं कि कैसे भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत बनाएं. पढ़ें सरिता की Top 10 Rakhi Tips in Hindi

  1. Rakhi 2022: जिम्मेदारी बहन की सुरक्षा की

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‘‘गुडि़या, अब तुम बड़ी हो गई हो. अब तुम्हारी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी मेरी है. तुम मेरी प्यारी बहन हो. तुम्हें कोई तकलीफ होगी तो मुझे दर्द होगा,’’ सुशांत ने अपनी बहन नेहा को समझाते हुए कहा.

‘‘भाई मैं अब बड़ी हो गई हूं. अपना खयाल रख सकती हूं. आप परेशान न हों, आप भी तो मेरे से केवल 2 साल ही बडे़ हैं,’’ नेहा ने अपना तर्क दिया.

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2. Rakhi 2022: भाई बहन का रिश्ता बनाता है मायका

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पता चला कि राजीव को कैंसर है. फिर देखते ही देखते 8 महीनों में उस की मृत्यु हो गई. यों अचानक अपनी गृहस्थी पर गिरे पहाड़ को अकेली शर्मिला कैसे उठा पाती? उस के दोनों भाइयों ने उसे संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि एक भाई के एक मित्र ने शर्मिला की नन्ही बच्ची सहित उसे अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया.

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3.Rakhi 2022: बहन की गलतियों पर कहीं आप भी तो नहीं डालते परदा

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रेखा हमेशा ऐसे ही फ्रैंड्स बनाती जो उस की हां में हां मिलाते, उस की गलतियों को उजागर नहीं करते और उस की तारीफ के पुल बांधे रहते. अगर कोई उस की कोई भी गलती पौइंटआउट करता तो वह उस से दूरी बना लेती. ऐसा सिर्फ रेखा ही नहीं बल्कि अधिकांश किशोर व युवा करते हैं.

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4. Rakhi 2022: मुंहबोले भाई बहन समय की जरूरत

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स्नेहा अपने मातापिता की एकलौती संतान होने के कारण बहुत लाड़ली थी. स्कूल में उस के दोस्त भी बहुत थे लेकिन इस के बाद भी स्नेहा को अपने भाई की कमी महसूस होती थी. खासकर रक्षाबंधन पर तो वह अपने भाई की कमी बहुत महसूस करती. जैसेजैसे स्नेहा बड़ी हो रही थी उसे भाई की कमी काफी खलने लगी थी.

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5. Rakhi 2022: अनमोल है मुंह बोले भाई-बहन का रिश्ता

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रिश्ते अनमोल होते हैं. हमारे जीवन में रिश्तों की अहमियत फूल में खुशबू की तरह होती है. इंसान के जीवन से यदि रिश्तों को अलग कर दिया जाए तो जिंदगी बेजान और नीरस हो कर रह जाएगी. कुछ रिश्ते जन्मजात तो कुछ हमारी आपसी सहमति और प्यार से विकसित होते हैं. समाज है, दुनिया है तो रिश्ते भी जरूर होंगे. आजकल ऐसे ही एक रिश्ते का प्रचलन हमारी युवा ब्रिगेड में काफी जोरों पर है, वह है मुंहबोले भाईबहन का रिश्ता.

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6. Rakhi 2022: बड़ी बहन की शादी, निभाएं फर्ज

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बड़ी बहन की शादी का मौका हो तो घर में खुशी का माहौल होता ही है. ऐसे में फुल ऐंजौय करने का मौका भी मिलता है, लेकिन अगर हम सिर्फ ऐंजौय करने के चक्कर में सारी जिम्मेदारियों को पेरैंट्स के सिर पर डाल कर खुद फ्री हो जाएं तो यह ठीक नहीं है, क्योंकि इस से जहां उन का स्ट्रैस बढ़ेगा वहीं अकेले होने के कारण वे चीजों को ज्यादा अच्छी तरह से हैंडिल नहीं कर पाएंगे और कोईर् न कोई गलती कर ही जाएंगे, जिस से सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. ऐसे में घर में छोटे होने के बावजूद आप की जिम्मेदारी बनती है कि अपने पेरैंट्स के साथ हाथ बंटाएं ताकि इस बेहतरीन माहौल का सभी मजा ले पाएं औैर किसी को शिकायत का मौका भी न मिले.

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7. Rakhi 2022: भाई-बहन के रिश्ते में ऐसे लाएं मिठास, मजबूत होगा रिश्ता

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अक्सर हर भाई-बहन के बीच नोक-झोक चलता रहता है. भाई-बहन एक-दूसरे की खिंचाई करते रहते हैं, फिर भी हर पल उन्हें एक-दूसरे के सहारे की जरूरत होती है. कई ऐसे भाई-बहन होते हैं, जो बिना कहे एक-दूसरे के मन की बात जान लेते हैं… भाई अपनी बहन की खुशी के लिए हर बाधाओं से लड़ता है और बहन अपने भाई को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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8. Rakhi 2022: भाई को बनाएं जिम्मेदार

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अर्चित 3 भाइयों में सब से छोटा होने के कारण घर में सब का लाड़ला था. यही वजह थी कि वह कुछ ज्यादा ही सिर चढ़ गया था. यदि उसे कोई काम करने को कह दिया जाता तो वह उसे पूरा नहीं करता था या फिर इतने बुरे ढंग से तब करता था जब उस की कोई वैल्यू ही नहीं रह जाती थी. शुरू में तो सभी उस की इन बातों को नजरअंदाज करते रहे, लेकिन अब वह कालेज में था और उस की इन हरकतों से परिवार वालों को सब के सामने शर्मिंदा होना पड़ता था.

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9. Rakhi 2022: कजिन्स का बनाएं व्हाट्सऐप ग्रुप

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आदत के मुताबिक उस दिन भी सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले अपूर्वा ने अपना स्मार्टफोन उठा कर जैसे ही व्हाट्सऐप खोला तो खुद को एक और नए ग्रुप में जुड़ा देख कर झल्ला उठी लेकिन जैसे ही उस ने ग्रुप का नाम देखा तो सुखद आश्चर्य से भर उठी. ग्रुप का नाम था ‘स्वीट कजिन्स’.

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10. Rakhi 2022: मुंहबोले भाई से ऐसे निभाएं रिश्ता

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जब मुंहबोले भाई की हो तो शिष्टाचार कुछ ज्यादा ही महत्त्व रखता है, क्योंकि यह रिश्ता आप बहुत सोचसमझ कर बनाते हैं. इस रिश्ते का शिष्टाचार कायम रहे इस के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखें.

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