बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजनीतिक परिपक्वता का जैसा परिचय दिया है वह अभूतपूर्व कहा जा सकता है. क्योंकि भाजपा के यह नेता केंद्र में सत्तासीन होने के बाद कांग्रेस सहित अन्य सभी महत्वपूर्ण दलों को समाप्त कर देना चाहते हैं या फिर घुटनों पर बैठाना.

बिहार में जिस तरह रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान को उनके ही चाचा पशुपति पारस  कुमार के हाथों साफ कराने की घटना अभी पुरानी नहीं है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को उनके ही एक प्यादे एकनाथ शिंदे के हाथों पिटवाने की घटना भी हाल ही की है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को खत्म करने के लिए बिछा शतरंज सारा देश देख रहा है. यही हालात दक्षिण के भी हैं, मध्यप्रदेश में भी सत्ता पलट हो गई, राजस्थान में होने ही वाली थी कि रुक गई.

इस संपूर्ण घटनाक्रम को देखा जाए तो भाजपा के यह शीर्ष नेता सिर्फ यह चाहते हैं कि भाजपा के सामने सारी पार्टियां बड़े राजनेता आत्मसमर्पण कर दें अन्यथा प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जैसे संविधानिक संस्थाओं को इशारा कर दिया जाता है.

बिहार में 1 दिन में ही जो कुछ राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है वह अपने आप में राजनीति का आठवां आश्चर्य कहा जा सकता है. भाजपा को जैसा करंट नीतीश कुमार ने यहां दिया है उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है.

अब नवीन परिस्थितियों में नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं. सबसे अनोखी बात यह है कि सिर्फ पांच चुनाव जीतकर ही नीतीश आठवीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

नीतीश कुमार पहली बार तीन मार्च, 2000 को मुख्यमंत्री बने. मजे की बात यह है कि उस समय उनके पास बहुमत नहीं था और केवल सात दिन में ही उनकी सरकार गिर गई. दूसरी बार वे 24 नवंबर, 2005 में मुख्यमंत्री बने और उनका यह कार्यकाल 24 नवंबर, 2010 तक चला. नीतीश ने तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ 25 नवंबर, 2010 को ली लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय हुई. तत्पश्चात उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया.

नीतीश ने चौथी बार 22 फरवरी, 2015 को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी जद ( एकी) और राजद के बीच महागठबंधन बना था जिसने चुनाव में शानदार जीत दर्ज की. इसके बाद पांचवीं बार वह 20 नवंबर, 2015 को मुख्यमंत्री बने.यह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन सरकार थी .

नीतीश कुमार ने लगभग डेढ़ साल बाद ही लालू प्रसाद यादव के युवराज तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर राजद के साथ गठबंधन तोड़ दिया. फिर 27 जुलाई, 2017 को भाजपा के साथ नीतीश छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली .

नीतीश का दांव…

दरअसल, बिहार में जो हुआ वह राजनीतिक दांवपेच का बेजोड़ खेला कहा जा सकता है. भाजपा ने बड़ी ही चतुराई के साथ नीतीश कुमार को आगे बढ़ाया था यह विश्वास दिलाने के लिए कि हम आपके पीछे हैं मगर भाजपा ने अल्प समय में ही जो चालें चली उससे नीतीश कुमार हतप्रभ रह गए थे. उनकी अनुमति के बगैर उनके “खास” को मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बना दिया गया, विधायकों को तोड़ने के लिए करोड़ों के प्रस्ताव दिए  जाने लगे. नीतीश कुमार की यह मंशा भी थी कि उन्हें राष्ट्रपति पद पर आसीन कर दिया जाए मगर राष्ट्रपति तो क्या उन्हें उपराष्ट्रपति भी नहीं बनाया गया क्योंकि भाजपा संघ की एक ऐसी कठपुतली है जो वही करती है जो संघ का इशारा होता है.

ऐसे में राजनीति के संबंध में एक परिपक्व नेता का परिचय देते हुए नितीश कुमार भविष्य में एक ऐसा दांव खेला है जो उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा सकता है. आज कम से कम वे इस पद के सशक्त दावेदार बनकर उभर आए हैं.

बिहार में 9 अगस्त ऐतिहासिक अंग्रेजों भारत छोड़ो दिवस पर जो घटनाक्रम घटित हुआ वह कुछ इस तरह देखा गया.

सुबह 11 बजे जनता दल (एकी) के सांसद और विधायक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर बैठक के लिए एकत्रित हुए. राज्य विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों ने सुबह सवा 11 बजे बैठक की.

राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन जिसमें वामपंथी दल और कांग्रेस शामिल हैं, ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर दोपहर एक बजे बैठक की, जहां विधायकों ने नीतीश कुमार के लिए समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किए। दोपहर दो बजे जद (एकी) ने अपने नेता कुमार

को ‘नए गठबंधन का नेतृत्व’ संभालने के लिए बधाई दी, वाम दल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बगैर गठबंधन में उनके लिए अपना समर्थन दोहराया.

शाम चार बजे कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात की. उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा, जिसके बाद उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दे चुके हैं.

नीतीश कुमार शाम पौने पांच बजे बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर राजद नेता तेजस्वी यादव से बातचीत करने पहुंचे.

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