रिश्ते अनमोल होते हैं. हमारे जीवन में रिश्तों की अहमियत फूल में खुशबू की तरह होती है. इंसान के जीवन से यदि रिश्तों को अलग कर दिया जाए तो जिंदगी बेजान और नीरस हो कर रह जाएगी. कुछ रिश्ते जन्मजात तो कुछ हमारी आपसी सहमति और प्यार से विकसित होते हैं. समाज है, दुनिया है तो रिश्ते भी जरूर होंगे. आजकल ऐसे ही एक रिश्ते का प्रचलन हमारी युवा ब्रिगेड में काफी जोरों पर है, वह है मुंहबोले भाईबहन का रिश्ता.

किशोरों में स्कूलकालेज की पढ़ाई, कोर्स या जौब के दौरान एकदूसरे से इतनी करीबी हो जाती है कि पहले वे दोस्त और फिर विचारों के मिलने पर मुंहबोले भाईबहन के रिश्ते में बंध जाते हैं. लेकिन रिश्तों में बंधना आसान है और उन्हें निभाना बहुत मुश्किल. रिश्तों के लिए नई शुरुआत करने से पहले खुद से कुछ कमिटमैंट जरूर करें. यदि इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो रिश्तों में हमेशा ताजगी बनी रहेगी :

सुरक्षा कवच है मुंहबोले भाईबहन का रिश्ता

जन्मजात रिश्तों में उम्र और परिवार की कुछ बंदिशें, सीमाएं और उन्हें हर हाल में निभाने का प्रैशर भी रहता है, जबकि मुंहबोले भाईबहन के रिश्ते तभी पनपते हैं, जब किशोरकिशोरियों में वैचारिक समानता होती है और वे हमउम्र भी होते हैं. साथसाथ रहने और पढ़ने के दौरान बड़े होतेहोते रिश्तों में भी प्रगाढ़ता आती है, साथ ही उन्हें एकदूसरे के स्वभाव के बारे में काफी कुछ पता भी चल जाता है.कोई भी रिश्ता यदि खुले दिल से आपसी विश्वास के साथ जोड़ा जाए तो वह एक सुखद एहसास देता है. भरोसा यदि पक्का हो तो ऐसे रिश्ते वक्त पर काम भी आते हैं. आज के हालात में जहां एक किशोरी को कदमकदम पर अपनी सुरक्षा को ले  कर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मुंहबोला भाई एक सुरक्षा कवच की तरह साबित हो सकता है.

रिश्ते को एवरग्रीन रखने का प्रयास करें

भाईबहन के रिश्ते को एवरग्रीन बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को हमेशा तैयार रहना होगा. रिश्ते की 2 मूल बातें यदि याद रखी जाएं तो वे हमेशा एक हरेभरे फूल की तरह महकते रहेंगे, पहली बात वक्त पर साथ देना. आप के साथ की दूसरे को जब सब से ज्यादा जरूरत हो तब बहानेबाजी कर के मुंह छिपा कर बैठ जाना यह अच्छे रिश्ते की पहचान नहीं है. कहते हैं वक्त पर जो काम आ जाए वही अपना है बाकी सालभर साथ रहने वालों को पराया समझा जाए तो अनुचित नहीं होगा.इस का दूसरा मूलमंत्र है अपनी अपेक्षाओं को कम कर के रखना. हर समय कुछ न कुछ दूसरों से मांगना औरखुद कुछ भी न करना रिश्ते के लिए घातक है. इसलिए खुद करने का प्रयास ज्यादा करें और दूसरों से उम्मीद कम रखें. गलतफहमियों  को आपसी बातचीत से मिटाते रहना जरूरी है ताकि रिश्ता दरक न जाए.

समाज में ऐसे रिश्ते अच्छी नजर से नहीं देखे जाते

हमारा समाज परंपरावादी है. खासतौर पर मध्यवर्ग में एक किशोरी और एक किशोर के रिश्ते को ले कर रूढि़वादी सोच से हमारा समाज मुक्त नहीं हो पाया है. परिवार के अंदर ही किशोरों को इन रिश्तों को ले कर विरोध का सामना करना पड़ता है और जब परिजन ही इस रिश्ते पर संदेह करते हैं तो समाज को बात का बतंगड़ बनाते देर नहीं लगती. समाज में इन रिश्तों पर छींटाकशी का कारण हैं, वे घटनाएं जिन से हम और आप अकसर रूबरू होते रहते हैं, रिश्तों को तारतार करने वाली घटनाओं से आएदिन अखबार और टैलीविजन चैनल्स भरे रहते हैं.

इन्हीं घटनाओं के कारण हम हर रिश्ते को शक की नजर से देखने पर विवश हो जाते हैं, जैसे कि हर रिश्ते में मर्यादा और निष्पक्षता बनाए रखने की जरूरत होती है, वैसे ही मुंहबोले भाईबहन के रिश्ते में भी एकदूसरे की भावनाओं को समझते हुए सामंजस्य के साथ चला जाए तो इस रिश्ते में कोई बुराई नहीं है. समाज खुद इन रिश्तों पर कमैंट करना बंद कर देगा.

बड़े धोखे हैं इस राह में

हर चीज के 2 पहलू होते हैं, रिश्ते भी इन से अछूते कैसे रह सकते हैं. रिश्ते भी दिल और दिमाग के संतुलन के साथबनाए और निभाए जाएं तो कभी कोई श्कियत या ऊंचनीच होने का खतरा ही नहीं रहता. परंतु जब रिश्ते चापलूसी, अकेलापन मिटाने या शारीरिक आकर्षण के मकसद से बनाए जाएं तो उन का अंत दुखद होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. आज अकसर एक चेहरे के अंदर दूसरा चेहरा छिपाए लोग मिल जाते हैं. उन की असलियत जब खुलती है तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है, कभीकभी तो उस नुकसान की भरपाई जान दे कर भी करनी पड़ती है. इन बातों से बचना बहुत आवश्यक है.

खासतौर पर युवाओं में जोश ज्यादा और होश कम रहता है, इस में उन का कुसूर भी नहीं है, यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है और हारमोंस का बदलाव उन्हें एकदूसरे के प्रति आकर्षित करता है. किसी की सलाह व परिजनों का हस्तक्षेप उन्हें नागवार गुजरता है. रोजाना जिन शर्मनाक घटनाओं से हम दोचार होते हैं वे अनुभवहीनता का ही परिणाम हैं.

किशोरियां ऐसे रिश्तों में बरतें सावधानी

ऐसे रिश्तों में सतर्कता बरतने की जरूरत है, रिश्तों में धोखा मिलने के बाद सब से ज्यादा प्रभावित किशोरियों का जीवन ही होता है. पुरुष प्रधान समाज होने से उन्हें सब से ज्यादा नुकसान और मानसिक व शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ती है. समाज की उपेक्षा के साथ परिवार और दोस्तों से भी वे कट जाती हैं. दुष्कर्म, बलात्कार, छेड़छाड़ और झूठी अफवाहों का असर भी किशोरियों पर ही ज्यादा देखा गया है.आत्महत्या, तेजाब के हमलों से भी उन का जीवन बरबाद हो जाता है, जबकि दोषी को सजा दिलवाना भी हमारी कानूनी प्रक्रिया के अंदर एक भारी यंत्रणा जैसा है. अदालतें, कानून, कोर्टकचहरी और पुलिस के सवालजवाबों के आगे मजबूत और बोल्ड लोग भी हिम्मत हार जाते हैं, लेकिन हर समस्या का समाधान भी अवश्य होता है.

बस, थोड़ी सी समझदारी और परिवारजनों की सलाह मान कर चला जाए तो मुंहबोले भाईबहन के रिश्तों में आने वाली बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है. अत: मुंहबोले भाईबहन का रिश्ता बनाने में कोई हर्ज नहीं पर इस रिश्ते को ईमानदारी और निष्ठा से निभाएं ताकि किसी को उंगली उठाने का मौका न मिले.

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