क्षेत्र भले ही कोई भी हो, नई टैक्नोलौजी ने हर काम को आसान बना दिया है. लेकिन सदियों पहले इंसान के पास जब सीमित साधन थे, तब भी तमाम ऐसे निर्माण कार्य हुए, जो आजकल असंभव से लगते हैं. ऐसा ही एक चर्च फ्रांस के नौरमंडी प्रांत में एक टापू पर है, जिस का नाम है मोंट सेंट माइकल चर्च. इस चर्च को यूनेस्को ने 1979 में विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया था.

7 हेक्टेयर में फैला मोंट सेंट माइकल चर्च शिल्पकला का अद्भुत नमूना है. जिस टापू पर यह बना है, 708 ईस्वी में उस की खोज बिशप औबर्ट औफ एवरांचेज ने की थी. उन्होंने यहां चर्च बनवाया, जिसे 1203 में फ्रांस के राजा फिलिप (द्वितीय) ने नष्ट करवा दिया था. बाद में 1863 में इस का पुनरुद्धार कर इसे ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया. बाद में 1979 में इसे विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया.

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मध्यकाल में यह टापू समुद्र से 5 किलोमीटर दूर था, लेकिन धीरेधीरे खाड़ी में गाद जमा होने की वजह से किनारा नजदीक आता गया और इस की दूरी घट कर महज डेढ़ किलोमीटर रह गई. आज भी यह टापू महीने में 2 बार पूरी तरह पानी से घिर जाता है. इस टापू को यूरोप में अपने तीव्र ज्वार के लिए जाना जाता है. अमावस्या और पूर्णिमा को तो यहां 15 मीटर ऊंची लहरें उठती हैं.

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