रिलेशनशिप में रेड फ्लैग्स या कहें लाल झंडी पहचानना बहुत जरूरी है. नहीं नहीं, रेड फ्लैग्स का मतलब सचमुच में लाल झंडियां नहीं है. असल में रेड फ्लैग्स वे साइन होते हैं जो आप को बताते हैं कि आप के रिलेशनशिप और पार्टनर में कौन सी बुराइयां हैं जिन्हें देखना आप के लिए बेहद जरूरी है. जिस तरह लाल झंडी देख कर ट्रेन रुक जाती है उसी तरह रिलेशनशिप में भी जब यह दिखने लगे तो आप को रुक जाना चाहिए. लोग अकसर रेड फ्लैग्स इग्नोर करते हैं जो उन के पार्टनर व रिलेशनशिप के टौक्सिक होने की सब से बड़ी वजह बनता है और आगे जा कर खुद उन्हें ही तकलीफ देता है. कोई भी रिलेशनशिप पर्फेक्ट नहीं होती लेकिन अगर उस में हद से ज्यादा बुराइयां हों तो उसे खत्म कर देना ही अच्छा होता ही. आप के पार्टनर का आप पर हाथ उठाना, ओवर पोस्सेसिव होना, हर दूसरे व्यक्ति से फ्लर्ट करते रहना रेड फ्लैग्स ही तो हैं. आप को ऐसा लगता है कि यह छोटीछोटी बाते हैं जिन्हें नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाना चाहिए. लेकिन, यही रेड फ्लैग्स आगे चल कर इतने गहरा जाएंगे, इतने बढ़ जाएंगे कि बहुत देर हो जाएगी.

सुरभि और रमन की मुलाकात एक फैमिली फंकशन में हुई थी. रमन एक समझदार और स्मार्ट लड़का था. दोनों ने आपस में बात की तो जाना कि दोनों की पसंदनापसंद भी लगभग मिलती है. सुरभि और रमन उस समय 12वीं मे थे और उन दोनों के मातापिता को भी उन के रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं था. सुरभि ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया तो रमन ने आईआईटी में. दोनों अब एकदूसरे को डेट करने लगे. एकदूसरे से मिलने लगे. सुरभि धीरेधीरे रमन को जानने लगी. उसे पता चला कि रमन स्वभाव का गुस्सैल है. उसे सुरभि का किसी और लड़के से बात करना तक पसंद नहीं था. सुरभि को लगता कि रमन को उस से इतना ज्यादा प्यार है कि वह उसे किसी और के साथ नहीं देख सकता. उसे इस में कुछ गलत नहीं लगा. जब रातरात भर बैठके वे दोनों एकदूसरे से बातें किया करते तो रमन अक्सर ही सो जाया करता था. कभीकभी तो यह होता कि सुरभि उस का सुबह 4  बजे तक इंतेजार करती रह जाती.

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