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क्या करें जब नौबत हो तलाक की

अपने वैवाहिक जीवन से असंतुष्ट हो कर तलाक ले लेना बेशक उस समय किसी बंधन से मुक्त होना लगे, पर उस के बाद जीवन आसान हो जाएगा या जीवन में फिर से खुशियां लौट आएंगी, ऐसा सोचना भी एक भूल ही है. इसलिए डाइवोर्स लेने का निर्णय लेने से पहले उस के बाद पैदा होने वाली स्थितियों पर विचार करना निहायत आवश्यक है.

अगर आप डाइवोर्स लेने के बारे में सोच रही हैं, तो यह तो तय है कि आप के और आप के साथी के बीच कुछ गलत हुआ है या फिर छोटीछोटी बातें इतनी बड़ी हो गई हैं कि आप को लगने लगा है कि अब साथ रहना मुमकिन नहीं. ये बातें विचारों के बीच टकराव उत्पन्न होने से ले कर विवाहेतर संबंधों तक से जुड़ी हो सकती हैं या फिर बच्चों की परवरिश या आर्थिक परेशानियों से उपजी भी हो सकती हैं. यानी ये छोटेछोटे झगड़े समय के साथ न सिर्फ युगल के बीच फासला बढ़ाते जाते हैं वरन उन्हें अलग हो जाने के लिए भी मजबूर कर देते हैं.

ऐडजस्ट न कर पाने या मानसिक तौर पर डिस्टर्ब फील करने के कारण अलग हो जाना बेशक एक आसान रास्ता लगे, पर उस के लिए जिन कानूनी, सामाजिक और भावनात्मक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वे भी कम दुखदायी नहीं होती हैं. अगर युगल शादी को यातना मानते हैं, तो उस से छुटकारा पाने के लिए भी कम यातनाएं नहीं सहनी पड़तीं.

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मूल्यांकन करें

डाइवोर्स लेने से पहले ये सोचें कि वे कौन सी बातें हैं जो आप को परेशान कर रही हैं. हो सकता है उन्हें सुधारा जा सके. फिर यह निश्चित करें कि क्या वास्तव में आप उन में बदलाव लाना चाहती हैं? अपने विवाह के साथसाथ आप को अपना भी मूल्यांकन करना होगा कि क्या आप इस विवाह को बचाना चाहती हैं? डाइवोर्स की ओर कदम बढ़ाने से पहले खुद से यह अवश्य पूछें कि क्या जो असंतुष्टि की भावना आप के अंदर पल रही है वह कुछ समय के लिए है, जो समय के साथ दूर हो जाएगी? तलाक देने के बाद क्या आप फिर से एक नए संबंध में जुड़ने को तैयार हैं? आप के बच्चे पर इस का क्या असर पड़ेगा और क्या वह इस निर्णय में आप के साथ है?

कुछ लोग इसलिए अलग होते हैं, क्योंकि वे बहुत जल्दी शादी के बंधन में बंध गए थे और बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे एकदूसरे के लिए बने ही नहीं हैं. कुछ दशकों तक साथ रहते हैं और बच्चों के सैटल हो जाने के बाद उन्हें लगता है कि अब साथ रहना कोई मजबूरी नहीं है और वे अलग हो जाते हैं.

सब से अहम कारण होता है साथी को धोखा देना. कुछ युगलों को लगता है कि अब उन के बीच प्यार नहीं रहा है. पैसे और विचारों में मतभेद होने की वजह से हमेशा झगड़ते रहते हैं. कुछ युगलों को लगता है कि उन्हें जीवन से कुछ और चाहिए. वे अब रिश्ते के साथ और समझौता नहीं कर सकते हैं.

सीनियर क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. भावना बर्मी के अनुसार, ‘‘तलाक की बढ़ती दर का मुख्य कारण है प्रोफैशनल स्तर पर औरत और पुरुष दोनों की लगातार बढ़ती महत्त्वाकांक्षाएं, जिन की वजह से उन की प्राथमिकताएं परिवार व संबंधों से हट कर कैरियर पर टिक गई हैं. आपस में बात करने तक का भी उन के पास टाइम नहीं है. वे काम और परिवार के बीच संतुलन नहीं बैठा पा रहे हैं. दोनों की आर्थिक आजादी ने उन की एकदूसरे पर निर्भरता कम कर दी है. सहने की शक्ति कम हो जाना मैट्रो शहरों में बढ़ते तलाक की सब से बड़ी वजह है. तलाक लेते समय यह पता होना चाहिए कि उन की जिंदगी आपस में बंधी है और इस की टूटन दोनों को ही बिखराव की राह पर ला सकती है. सामाजिक अलगाव भी उत्पन्न होने की संभावना इस से बहुत बढ़ जाती है.’’

क्या आप बदलाव के लिए तैयार हैं

आप का डाइवोर्स लेने का कारण, साथ बीता समय, आप की संपत्ति, बच्चे सब चीजें आप के निर्णय के लिए माने रखती हैं. लेकिन सब से अहम है यह समझना कि आप उसे किस तरह हैंडल करेंगी. इस की वजह से जिंदगी में होने वाले बदलावों का सामना करने को क्या आप तैयार हैं? डाइवोर्स जीवन का एक महत्त्वपूर्ण मोड़ होता है, जिस के बाद आने वाले बदलाव सुखदायी या दुखदायी दोनों ही हो सकते हैं. इसलिए सोचसमझ कर ही इस का फैसला लेना चाहिए. हो सकता है कि मैरिज काउंसलर से मिलने के बाद आप अपना इरादा छोड़ दें.

तलाक का अर्थ ही है बदलाव और यह समझ लें कि किसी भी तरह के बदलाव का सामना करना आसान नहीं होता है. कई बार मन पीछे की तरफ भी देखता है, क्योंकि नए ढंग से जिंदगी की शुरुआत करते समय जब दिक्कतें आती हैं, तो मन बीती जिंदगी को याद कर अपराधबोध से भी भर जाता है. आप को खुद पर भरोसा रखना होगा कि आप किसी भी तरह की मुश्किल का सामना कर लेंगी और आप का निर्णय सही था.

लिस्ट बनाएं

तलाक लेने के कारणों की एक लिस्ट बनाएं. अपने रिश्ते के अच्छे व बुरे दोनों पक्षों के बारे में लिखें. अपने पार्टनर को किसी विलेन के दर्जे में न रखें, क्योंकि कमियां तो आप में भी होंगी. डाइवोर्स लेने के बाद सफल व सुखद जीवन जीने के लिए सोच को पौजिटिव रखना निहायत जरूरी है. यह मान कर चलें कि दोनों की ही गलतियों की वजह से आज अलग हो जाने की नौबत आई है. इसलिए अपने क्रोध और दर्द से एक रचनात्मक ढंग से निबटें.

डाइवोर्स के बाद आप को एक सपोर्ट सिस्टम की जरूरत पड़ेगी, जिस के कंधे पर सिर रख कर आप रो सकें. अपने मित्रों व रिश्तेदारों से सपोर्ट लेने से हिचकिचाएं नहीं. अगर आवश्यकता महसूस करें तो थेरैपिस्ट के पास जाएं और अपने इमोशंस शेयर करें ताकि आप को स्ट्रैस न हो.

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सोच व्यावहारिक रखें

तलाक के बाद सब से बड़ी समस्या फाइनैंस की आती है. अगर आप कमाती हैं, तो भी पैसे से जुड़ी दिक्कतें बनी रहती हैं. अध्ययनों से यह बात सामने आई हैं कि जो औरतें

डाइवोर्स की पीड़ा सहती हैं, उन के जीवनस्तर में 30% गिरावट आ जाती है और पुरुषों के जीवनस्तर में 10%. चाहे औरत इस अलगाव के लिए कितना भी तैयार क्यों न हो, वह आर्थिक स्तर पर अपने को अक्षम ही महसूस करती है.

बेहतर होगा कि अपनी भावनाओं के बस में हो कर डाइवोर्स लेने के बजाय एक व्यावहारिक सोच रखते हुए यह कदम उठाएं. इस से होने वाले लाभ से ज्यादा हानि पर गौर करें. अगर आप आत्मनिर्भर नहीं है तो जाहिर है कि बाद में आप को किसी और पर निर्भर होना पड़ेगा और इस तरह आप के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी.

डाइवोर्स का बच्चों पर गहरा असर पड़ता है, क्योंकि उन के लिए तो मातापिता दोनों ही महत्त्वपूर्ण होते हैं. अलगाव से उन के विश्वास को चोट पहुंचती है और कभीकभी तो वे भटक भी जाते हैं. अकेला अभिवक अपनी ही परेशानियों में ग्रस्त रहने के कारण उन पर सही ध्यान नहीं दे पाता.

कुछ प्रश्न खुद से पूछें

क्या अपने साथी के प्रति अभी भी आप के मन में भावनाएं हैं? मगर ऐसा है तो एक बार रिश्ते को बचाने की कोशिश की जा सकती है.

क्या आप इसलिए साथ रह रहे हैं, क्योंकि समाज का दबाव है वरना हर समय झगड़ते ही रहते हैं?

आप क्या सचमुच तलाक चाहती हैं या सिर्फ यह धमकी है? केवल क्रोध प्रकट करने या इस तरह साथी को इमोशनली ब्लैकमेल करने के लिए ही तो आप यह कदम उठाना चाहतीं. इस तरह संबंध और बिगड़ेंगे ही.

क्या आप शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व भावनात्मक रूप से इस के लिए तैयार हैं? क्या आप ने इस के नकारात्मक परिणामों के बारे में सोच लिया है? तलाक आप के साधनों में कमी कर सकता है, जिस से आप के कई सपने भी टूट सकते हैं.

क्या आप के पास कोई सपोर्ट सिस्टम है? क्या आप बच्चों को समझा पाने व उन की तकलीफ दूर करने में सक्षम हैं?

क्या आप कैरियर और अपनी निजी जिंदगी में बैलेंस कर पाएंगी?

डाइवोर्स लेने के बाद आप को नए अनुभवों, नए रिश्तों व चीजों को नए रूप में लेने के लिए अपने को तैयार करना होगा. अपने जीवन को पुन: गढ़ना होगा. अगर आप यह सोच कर बैठी हैं कि दूसरी शादी करने से आप की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी, आप की समस्याओं का समाधान हो जाएगा तो इस भ्रम से बाहर निकलें, क्योंकि दूसरी शादी सफल हो, इस की क्या गारंटी है. जरूरी नहीं कि इस बार परफैक्ट साथी मिले.

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ऐसे बनाएं वेज पास्ता

मसाला पास्ता आपके हेल्थ के लिए भी अच्छा होता है. आप इसे गर्मा-गरम खाते हैं तो ज्यादा टेस्टी लगता हैं. इसके साथ ही इसे बच्चों को भी आप खाने में दे सकती हैं. तो फिर बिना देरी किए, आप झटपट वेज पास्ता बनाने की रेसिपी नोट करें.

सामग्री :

– पास्ता ( 200 ग्राम)

– शिमला मिर्च (02)

– पास्ता सौस (150 ग्राम)

– ब्रोकली (200 ग्राम)

– मशरूम (200 ग्राम)

– बीन्स ( 50 ग्राम)

– अजीनोमोटो (1/2 छोटा चम्मच)

– ओलिव आइल ( 1/2 बड़ा चम्मच)

– सोया सौस ( 01 छोटा चम्मच)

– आर्गानो पाउडर ( 1/2 छोटा चम्मच)

– चिल्ली फ्लेक्स ( 1/2 छोटा चम्मच)

– नमक ( स्वादानुसार)

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वेज पास्ता बनाने की विधि :

– सबसे पहले बीन्स ब्रोकली को धोकर मीडियम साइज में काट लें.

– और इसमें 2 चुटकी नमक मिलाकर 5 मिनट तक स्टीम कर लें.

– अब मशरूम को धोकर उसके डंठल हटा दें और दो टुकड़ों को काट लें.

– कढ़ाई में जैतून का तेल डालकर गरम करें.

– तेल गरम होने पर उसमें बीन्स डाल दें और एक मिनट तक चलाते हुए भून लें.

– उसके बाद ब्रोकली डालें और उसे भी एक मिनट भून लें.

– इसके बाद मशरूम, अजीनोमोटो, ओरगेनो पाउडर, चिल्ली फ्लेक्स, सोयासास, नमक डालकर, दो मिनट भून लें और ढ़क कर गैस बंद कर दें.

– अब एक बर्तन में पास्ता रखें, फिर उसमें इतना पानी डालें, जिससे वे आसानी से डूब जाएं.

– उसके बाद पानी में आधा छोटा चम्मच नमक और एक छोटा चम्मच तेल डाल दें और मध्यम आंच पर पकाएं.

– लगभग 10 मिनट बाद, जब पास्ता नरम हो जाए, गैस बंद कर दें और बर्तन का पानी छानकर निकाल दें.

– अब शिमला मिर्च धोकर उसके बीज हटा दें और मध्यम आकार के टुकड़े काट लें.

– इसके बाद कढ़ाई में तेल डाल कर उसे गरम करें.

– तेल गरम होने पर उसमें शि‍मला मिर्च डाल दें और 2 मिनट भून लें.

– इसके बाद उबला हुआ पास्ता, पास्ता सौस और अजीनोमोटो डाल दें और 1-2 मिनट चलाते हुए भून लें.

– अब पहले से तैयार की गयी मिक्स वेज पास्ता में मिला दें और अच्छी तरह से चलाकर मिक्स कर लें और गैस बंद कर दें.

– अब आपका मिक्स वेज पास्ता तैयार है और इसे गर्गा-गरम टोमैटो सौस के साथ परोसें.

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नई जिंदगी की शुरुआत : भाग 2

लेखक-अरुणा त्रिपाठी

कहते हैं न कि चोर जब तक पकड़ा नहीं जाता चोर नहीं कहलाता. लोग गलत काम करने से उतना नहीं डरते जितना समाज में होने वाली बदनामी से डरते हैं. समाज के सामने यदि सबकुछ ढकाछिपा है तो सब ठीक. अपनी नजर में अपनी इज्जत की कोई परवा नहीं करता. सुमित्रा अपनी बेटी के दफ्तर व वहां के काम के ढंग से वाकिफ थीं इसलिए उन्होंने निष्कर्ष यही निकाला कि बेटी सयानी है, उस की जितनी जल्दी हो सके शादी कर देनी चाहिए.

सुमित्रा को अब किसी सहारे की जरूरत नहीं थी क्योंकि उन की अपनी दुकान अच्छी चलने लगी थी. बेटी अपने घर चली जाए तो वह एक जिम्मेदारी से छुटकारा पा सकें, यही सोच कर उन्होंने कुछ लोगों से कल्पना के विवाह की चर्चा की. चूंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक होने के बाद वे भी अब सुखदुख के साथी बने खडे़ थे जो तंगी के समय उस के घर की ओर देखते भी नहीं थे. अब खतरा नहीं था कि सुमित्रा अपना दुखड़ा सुना कर उन से अपने लिए कुछ उम्मीद कर सकती हैं. अब कुछ देने की स्थिति में भी वह थीं.

सुमित्रा के बडे़ भाई एक रिश्ता ले कर आए थे. अच्छे खातापीता परिवार था. जमीनजायदाद काफी थी. लड़के के पिता कसबे के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में थे और उन की राजनीतिक पहुंच थी. कल्पना की सुंदरता से प्रभावित हो कर वह यह शादी 1 रुपए में करना चाहते थे. दहेज न ले कर वह चाहते थे लाखों लोगों की वाहवाही व प्रचार, क्योंकि उन की नजर अगले विधानसभा चुनाव पर टिकी थी और सुमित्रा जैसी विधवा दर्जी की सिपाही बेटी के साथ अपने बेरोजगार बेटे का विवाह कर वह न केवल एक विधवा बेसहारा को धन्य कर देना चाहते थे बल्कि उस पूरे इलाके में वाहवाही पाना चाहते थे.

कल्पना का विवाह हो गया. सुमित्रा ने राहत की सांस ली. बेटी के पांव पूज वह अपने को धन्य मान रही थीं. बेटी को विदा करते समय सभी बड़ीबूढ़ी व खुद सुमित्रा उसे समझा रही थीं कि अब वही तुम्हारा घर है. सुख मिले या दुख सब चुपचाप सहना. मां के घर से बेटी की डोली उठती है और पति के घर से अर्थी.

कल्पना की सुहागरात थी. फूलों से महकते कमरे में एक विशेष मादकता बिखरी थी. वह डरीसहमी सेज पर बैठी थी. तमाम कुशंकाओं से उस का जी घबरा रहा था. एक तरफ खुशी तो दूसरी तरफ भय से शरीर में विचित्र संवेदना हो रही थी. नईनवेली दुलहन जैसी उत्तेजना के स्थान पर आशंकित उस का मन उस सेज से उठ कर भाग जाने को कर रहा था. वह अजीब पसोपेश में पड़ी थी कि उस के पति प्रमेश ने कमरे में प्रवेश किया. वह बिस्तर पर सिकुड़ कर बैठ गई और उस का दिल जोर से धड़कने लगा. चेहरे पर रक्तप्रवाह बढ़ जाने से वह रक्तिम हो उठा था. इतने खूबसूरत तराशे चेहरे पर पसीने की बूंदें फफोलों की तरह जान पड़ रही थीं.

प्रमेश ने जैसे ही घूंघट उठाया और दोनों की नजरें मिलीं वह सकते में आ गया. उस का हाथ पीछे हट गया. उस ने कल्पना को परे ढकेलते हुए कहा, ‘‘ऐसा लगता है हम पहले भी कहीं मिल चुके  हैं.’’

‘‘मुझे याद नहीं,’’ कल्पना ने धीमे स्वर में कहा.

क्रोध के मारे प्रमेश की मांसपेशियां तन गईं. उस के माथे पर बल पड़ गए और होंठ व नथुने फड़कने लगे. शरीर कांपने से वह उत्तेजित हो कर बोला, ‘‘तुम झूठ बोल रही हो, तुम्हें सब अच्छी तरह से याद है.’’

कल्पना को जिस बात का भय था वही हुआ. प्रमेश के हावभाव को देखते हुए वह अब अपने को संयत कर चुकी थी. आने वाले आंधी, तूफान व बाढ़ से सामना करने की शक्ति उस में आ गई थी. वह इस सच को जान गई थी कि अब उसे सच के धरातल पर सबकुछ सहना, झेलना व पाना था.

प्रमेश उस के चेहरे को गौर से देखते हुए आगे बोला, ‘‘तुम कालगर्ल हो. स्त्री के नाम पर कलंक. इतना बड़ा धोखा मेरे परिवार के साथ करने की तुम्हारे घर वालों की हिम्मत कैसे हुई? मैं अभी जा कर सब को तुम्हारी असलियत बताता हूं.’’

यह कह कर प्रमेश ने जैसे ही उठने का उपक्रम किया, कल्पना दोनों हाथ बंद दरवाजे पर रख कर सामने खड़ी हो गई और बोली, ‘‘पहले आप मेरी मजबूरी भी सुन लीजिए फिर आप को जो भी फैसला लेना है, लीजिए. मेरा जीवन तो तबाह हो गया जिस की आशंका से मैं कुछ पल पहले तक बहुत विचलित थी. कम से कम अब उस दशा से मुझे मुक्ति मिल गई है. मेरे गले में मेरा अतीत फांस की तरह गड़ रहा था. अफसोस है कि ऐसा कुछ मैं ने शादी की स्वीकृति देने से पहले यदि महसूस किया होता तो आज यह दिन मुझे न देखना पड़ता.

‘‘हर युवा लड़की के दिल में अरमान होते हैं कि उस का एक घर, पति व परिवार हो और यह भावना ही मेरे जीवन की ठोस धरती पर ज्यादा प्रबल हो गई थी, नहीं तो मुझे क्या अधिकार था किसी को धोखा देने का.’’

कल्पना एक पल को रुकी. उस ने प्रमेश को देखा जिस के चेहरे पर पहले जैसी उत्तेजना नहीं थी. वह आगे बोली, ‘‘यह सच है कि मैं कालगर्ल का धंधा करती थी लेकिन यह भी सच है कि मैं कालगर्ल स्वेच्छा से नहीं बनी बल्कि मेरे हालात ने मुझे कालगर्ल बनाया. जब मुझे सिपाही की नौकरी मिली तो मैं बहुत खुश थी. एक दिन मेरे अधिकारी ने मुझे बुलाया और पूछा कि तुम्हारा जाति प्रमाणपत्र कहां है. यदि तुम ने फौरन जाति प्रमाणपत्र नहीं जमा किया तो तुम्हारी नौकरी चली जाएगी. नौकरी जाने का भय मुझ पर इस कदर हावी था कि मैं घबराहट में समझ न सकी कि क्या करूं.

‘‘मेरा जन्म बिहार में हुआ था. वहां आनेजाने में लगभग एक सप्ताह लग जाता. फिर जाते ही प्रमाणपत्र तो नहीं मिल जाता. मेरी आंखों के सामने मेरे छोटे भाईबहन व मां के उम्मीद से भरे चेहरे घूम गए, जिन्हें मेरा ही सहारा था. वैसे भी हम लोग पिता की मृत्यु के बाद घोर गरीबी में दिन गुजार रहे थे. मेरी नौकरी से घर में सूखी रोटी का इंतजाम होता था.

‘‘मैं अपने अधिकारी से बहुत गिड़गिड़ाई कि कम से कम 10 दिन की छुट्टी व कुछ पैसा एडवांस दे दें तो मैं जाति प्रमाणपत्र ला दूंगी किंतु वह टस से मस नहीं हुए. उलटे उन्होंने कहा कि तुम्हारी नई नौकरी है, अभी छुट्टी भी नहीं मिल सकती और न ही एडवांस पैसा.

‘‘यह सुन कर मेरे हाथपैर फूल गए. मैं उन के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाई और शायद यही मेरी सब से बड़ी भूल थी. यदि हड़बड़ाहट के बजाय मैं ने थोड़ा धैर्य से काम लिया होता तो मैं उन के झांसे में आने से शायद बच जाती.

‘‘मैं कुछ भी सोच पाने की स्थिति में न थी और इस का अधिकारी ने पूरापूरा फायदा उठाया और मुझे भरोसा दिया कि यदि मैं उन के आदेशों का पालन करती रही तो मुझे न तो बिहार जाना पडे़गा और न ही एडवांस रुपयों की जरूरत पडे़गी. उन्होंने उस शाम मुझे अपने बताए स्थान पर बुलाया और एक पेय पिलाया जिस से मुझे हलकाहलका नशा छा गया. उस के बाद उन्होंने मेरे शरीर के साथ मनमानी की और मेरे पर्स में कुछ रुपए डाल दिए. इस के बाद तो मैं उन के हाथ की कठपुतली बन गई.

‘‘मैं ने तो अपनी मजबूरी बता दी और आज भी स्वीकारती हूं कि यदि मैं ने धैर्य से काम लिया होता तो इस विनाश से बच जाती पर आप की क्या मजबूरी थी? आप बाहर जा कर अपने रिश्तेदारों के बीच अपनी सफाई में क्या कहेंगे? आप एक कालगर्ल के साथ क्या कर रहे थे, इस का उत्तर आप दे पाएंगे?’’

दरवाजे से अपना हाथ हटाते हुए कल्पना बोली, ‘‘बाहर जाने से पहले मेरा कुसूर बता दीजिए फिर जो सजा आप मुझे देंगे वह मंजूर होगी.’’

प्रमेश अपने सिर को दोनों हाथों में पकडे़ चुपचाप आंखें फाडे़ छत की ओर देख रहा था. कल्पना भी दरवाजा छोड़ कर दीवार से टिक कर जमीन पर बैठ गई. मनमंथन दोनों में चल रहा था. कल्पना आशंकित थी कि समाज में औरत और आदमी के लिए आज भी अलगअलग मापदंड हैं. प्रमेश पुरुष है, घरपरिवार वाले उस का ही साथ देंगे. उस में दोष क्यों देखेंगे? सारी लांछनाकलंक तो उस के हिस्से में आएगा. अब तो मां के यहां भी ठिकाना न रहेगा.

अपने कलंकित जीवन से छुटकारा पाने के लिए उसे यह हक तो कतई न था कि दूसरों को अंधेरे में रखती. यह तो इत्तफाक था कि प्रमेश दूध का धुला नहीं है. आज यदि किसी चरित्रवान युवक के साथ ब्याह दी जाती तो क्या अपने अंत:-करण से कभी सुखशांति पाती. जरूर उस के मन का चोर उसे जबतब घेरता. हमेशा यह भय बना रहता कि कहीं कोई उसे पहचान न ले. इतनी दूर तक सोच कर ही उसे विवाह करना था. क्या पता जीवन के सफर में कोई ऐसा हमराही मिल ही जाता जो सबकुछ जान कर भी उस का हाथ थामने को तैयार हो जाता.

दोनों की आंखों में प्रथम मिलन की खुमारी दूरदूर तक नजर नहीं आ रही थी. फटी आंखों से दोनों सोच में डूबे सुबह होने का इंतजार कर रहे थे. चिडि़यों की चहचहाहट से सुबह होने का आभास होते ही प्रमेश उठा, अपने केशों को हाथ के पोरों से संवार और कमरे से निकलने के पहले कल्पना से बोला, ‘‘देखो, जो हुआ सो हुआ. तुम किसी प्रकार का नाटक नहीं करोगी, समझीं. हमारा परिवार इज्जतदार लोगों का है.’’

यहां जानिए, किचन गार्डन के क्या है फायदे

ऐसा अक्सर देखा गया है कि बागवानी का शौक रखने वाले लोग बहुत खुशनुमा होते हैं, कई लोगों को गार्डनिंग का शौक काफी ज्‍यादा होता है. अगर आपके घर के सामने थोड़ी सी ज़मीन है तो उसे यूं ही खाली न जाने दें और उसका उपयोग करें. आज इस लेख में हम आपको किचेन गार्डन के लाभ बताएंगे.

–  किचेन गार्डन में उगी सब्जियों को बनाने से आपका बजट मेंटेंन रहता है. ये सब्जियां अच्‍छी और सस्‍ती होते हैं. आप अपने मन मुताबिक समय पर उन्‍हे तोड़कर बना सकती हैं.

–  बागवानी करने से तनाव कम होता है. आपका दिमाग उसी में लगा रहता है जिससे आप इधर उधर की बातें सोच नहीं पाती हैं.

–   किचेन गार्डन होने पर आपको मालूम रहता है कि आप क्‍या खा रहे हैं. आजकल बाजार में पेस्टिसाइड पड़ी हुई सब्जियां व साग मिलती है, लेकिन घर पर उगी हुई सब्‍जी, सही होती है.

–   बागवानी करने से आपमें सकारात्‍मक परिवर्तन आ जाता है. आप खुद की केयर करना भी शुरू कर देती हैं. पौधे की देखभाल करने में आपको संतुष्टि मिलती है जिससे आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा हो जाता है.

–   घर में किचेन गार्डन होने से कीट आदि कम पैदा होते हैं क्‍योंकि खाली जगह का सदुपयोग हो जाता है. साथ ही कुछ विशेष प्रकार के पौधे, कीटों को भागने में भी सक्षम होते हैं.

रसीली नहीं थी रशल कंवर: भाग 1

डूंगरदान पत्नी को सुखी और खुश रखने के लिए गांव से शहर ले आया था. वह जितना कमाता था, उतने में गृहस्थी आराम से चल जाती थी, लेकिन दिन भर घर में अकेली रहने वाली पत्नी रसाल कंवर ने अपना सुख खोजा पति के दोस्त मोहन सिंह राव में. इस के चलते कुछ न कुछ तो गलत होना ही था. आखिर…

रविवार 14 जुलाई, 2019 का दिन था. दोपहर का समय था. जालौर के एसपी हिम्मत अभिलाष टाक को फोन पर

सूचना मिली कि बोरटा-लेदरमेर ग्रेवल सड़क के पास वन विभाग की जमीन पर एक व्यक्ति का नग्न अवस्था में शव पड़ा है.

एसपी टाक ने तत्काल भीनमाल के डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई को घटना से अवगत कराया और घटनास्थल पर जा कर काररवाई करने के निर्देश दिए. एसपी के निर्देश पर डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए, साथ ही उन्होंने थाना रामसीन में भी सूचना दे दी. उस दिन थाना रामसीन के थानाप्रभारी छतरसिंह देवड़ा अवकाश पर थे. इसलिए सूचना मिलते ही मौजूदा थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर आसपास के गांव वालों की भीड़ जमा थी. वहां वन विभाग की खाई में एक आदमी का नग्न शव पड़ा था. आधा शव रेत में दफन था. उस का चेहरा कुचला हुआ था. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि उस की हत्या शायद कई दिन पहले की गई है.

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वहां पड़ा शव सब से पहले एक चरवाहे ने देखा था. वह वहां सड़क किनारे बकरियां चरा रहा था. उसी चरवाहे ने यह खबर आसपास के लोगों को दी थी. कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को खबर कर दी.

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खाई से बाहर निकाल कर शिनाख्त कराने की कोशिश की, मगर जमा भीड़ में से कोई भी मृतक की शिनाख्त नहीं कर सका. शव से करीब 20 मीटर की दूरी पर किसी चारपहिया वाहन के टायरों के निशान मिले. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे शव को किसी गाड़ी में ले कर आए और यहां डाल कर चले गए.

पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. शव के पास ही खून से सनी सीमेंट की टूटी हुई ईंट भी मिली. लग रहा था कि उसी ईंट से उस के चेहरे को कुचला गया था. कुचलते समय वह ईंट भी टूट गई थी.

मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी भिजवा दिया. डाक्टरों की टीम ने उस का पोस्टमार्टम किया.

जब तक शव की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. शव की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मृतक के फोटो वाट्सऐप पर शेयर कर दिए. साथ ही लाश के फोटो भीनमाल, जालौर और बोरटा में तमाम लोगों को दिखाए. लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

सोशल मीडिया पर मृतक का फोटो वायरल हो चुका था. जालौर के थाना सिटी कोतवाली में 2 दिन पहले कालेटी गांव के शैतानदान चारण नाम के एक शख्स ने अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

कोतवाली प्रभारी को जब थाना रामसीन क्षेत्र में एक अज्ञात लाश मिलने की जानकारी मिली तो उन्होंने लाश से संबंधित बातों पर गौर किया. उस लाश का हुलिया लापता डूंगरदान चारण के हुलिए से मिलताजुलता था. कोतवाली प्रभारी बाघ सिंह ने डीएसपी भीनमाल हुकमाराम को सारी बातें बताईं.

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मारा गया व्यक्ति डूंगरदान चारण था

इस के बाद एसपी जालौर ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया, इन में एक टीम भीनमाल थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद के नेतृत्व में गठित की गई, जिस में एएसआई रघुनाथ राम, हैडकांस्टेबल शहजाद खान, तेजाराम, संग्राम सिंह, कांस्टेबल विक्रम नैण, मदनलाल, ओमप्रकाश, रामलाल, भागीरथ राम, महिला कांस्टेबल ब्रह्मा शामिल थी.

दूसरी पुलिस टीम में रामसीन थाने के एएसआई विरधाराम, हैडकांस्टेबल प्रेम सिंह, नरेंद्र, कांस्टेबल पारसाराम, राकेश कुमार, गिरधारी लाल, कुंपाराम, मायंगाराम, गोविंद राम और महिला कांस्टेबल धोली, ममता आदि को शामिल किया गया.

डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई दोनों पुलिस टीमों का निर्देशन कर रहे थे. जालौर के कोतवाली निरीक्षक बाघ सिंह ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराने वाले उस के रिश्तेदार शैतानदान को राजदीप चिकित्सालय की मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण के रूप में कर दी.

मृतक की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उस के परिजनों से संपर्क किया तो इस मामले में अहम जानकारी मिली. मृतक की पत्नी रसाल कंवर ने पुलिस को बताया कि उस के पति डूंगरदान 12 जुलाई, 2019 को जालौर के सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे.

वहां से घर लौटने के बाद पता नहीं वे कहां लापता हो गए, जिस की थाने में सूचना भी दर्ज करा दी थी. रसाल कंवर ने पुलिस को अस्पताल की परची भी दिखाई. पुलिस टीम ने अस्पताल की परची के आधार पर जांच की.

पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय जालौर के 12 जुलाई, 2019 के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि डूंगरदान को काले रंग की बोलेरो आरजे14यू बी7612 में अस्पताल तक लाया गया था.

उस समय डूंगरदान के साथ उस की पत्नी रसाल कंवर के अलावा 2 व्यक्ति भी फुटेज में दिखे. उन दोनों की पहचान मोहन सिंह और मांगीलाल निवासी भीनमाल के रूप में हुई. पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जांच के बाद गांव के विभिन्न लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि मृतक डूंगरदान चारण की पत्नी रसाल कंवर से मोहन सिंह राव के अवैध संबंध थे. इस जानकारी के बाद पुलिस ने रसाल कंवर और मोहन सिंह को थाने बुला कर सख्ती से पूछताछ की.

मांगीलाल फरार हो गया था. रसाल कंवर और मोहन सिंह राव ने आसानी से डूंगरदान की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

केस का खुलासा होने की जानकारी मिलने पर पुलिस के उच्चाधिकारी भी थाने पहुंच गए. उच्चाधिकारियों के सामने आरोपियों से पूछताछ कर डूंगरदान हत्याकांड से परदा उठ गया.

पुलिस ने 16 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों मृतक की पत्नी रसाल कंवर एवं उस के प्रेमी मोहन सिंह राव को कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो डूंगरदान चारण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी-

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मृतक डूंगरदान चारण मूलरूप से राजस्थान के जालौर जिले के बागौड़ा थानान्तर्गत गांव कालेटी का निवासी था. उस के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. वह उस जमीन पर खेती के अलावा दूसरी जगह मेहनतमजदूरी करता था. उस की शादी करीब एक दशक पहले जालौर की ही रसाल कंवर से हुई थी.

करीब एक साल बाद रसाल कंवर एक बेटे की मां बनी तो परिवार में खुशियां बढ़ गईं. बाद में वह एक और बेटी की मां बन गई. जब डूंगरदान के बच्चे बड़े होने लगे तो वह उन के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा.

गांव में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा डूंगरदान अपने बीवीबच्चों के साथ गांव कालेटी छोड़ कर भीनमाल चला गया और वहां लक्ष्मीमाता मंदिर के पास किराए का कमरा ले कर रहने लगा. भीनमाल कस्बा है. वहां डूंगरदान को मजदूरी भी मिल जाती थी. जबकि गांव में हफ्तेहफ्ते तक उसे मजदूरी नहीं मिलती थी.

क्रमश: 

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन,  शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट

अंततः 19 दिन बाद भी महाराष्ट्र में किसी भी दल की सरकार न बनते देख महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी है. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाकर इस मसले पर मंत्रणा कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर मुहर लगा दी. राज्यपाल के अनुसार उन्होंने यह कदम संविधान के अनुसार उठाया गया. क्योंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी/ एनसीपी को आज शाम साढ़े आठ बजे तक का वक्त दिया गया था, पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे एनसीपी ने राज्यपाल से तीन दिन का वक्त मांगा था.

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में शिवसेनाः

उधर शिवसेना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल तथा अहमद पटेल से इस मसले पर फोन पर बात की. यूं तो अभी उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बात करने से इंकार कर दिया है. मगर सूत्रों के अनुसार शिवसेना सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल को उनकी मांग के अनुरूप तीन दिन का वक्त न दिए जाने पर घेरने वाली है.

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हर तरफ से घिरी शिवसेनाः

इस पूरे राजनीतिक दंगल में यदि किसी को सबसे बड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है, तो वह शिवसेना को है. शिवसेना पार्टी बुरी तरह से चारो तरफ से घिर गयी है. मुख्यमंत्री बनने के लालच में एनसीपी के आश्वासन पर शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर एनडीए से नाता तोड़ा और राष्ट्रपति ने उनका त्यागपत्र भी स्वीकार कर लिया. अब शिवसेना पुनः भाजपा के पास जाने की हालत में नहीं रही. उधर कांग्रेस अलग से नौटंकी कर रही है. ऐसे में एनसीपी लोगों के सामने अपनी छवि को सुधारने के लिए कांग्रेस को कटघरे में खड़ी करने लगी है.

कांग्रेस व एनसीपी में दरारः

इससे पहले आज सुबह से ही राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज रही. इस सरगर्मी के बीच कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी/एनसीपी के बीच भी दूरियां साफ तौर पर उभर का आ गयीं. कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे ने सुबह मीडिया से कहा कि कांग्रेस अपने नेताओं को एनसीपी से बात करने के लिए दो दिन बाद भेजेगी. इस पर आग बबुला होते हुए शरद पवार की बेटी और एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने मीडिया के सामने आकर कहा- ‘‘हम माणिकराव ठाकरे को नही जाते. हम तो कांग्रेस आलाकमान के संग बात कर रहे हैं.’’ इसके तुरंत बाद एनसीपी नेता अजीत पवार मीडिया के सामने आए और कांग्रेस को विलेन बताते हुए कहा- ‘‘हम तो सरकार बनाने के लिए तैयार है. हम शिवसेना को समर्थन पत्र देने का मन बना चुके थे, पर बिना कांग्रेस के पत्र के हमारा पत्र देना ठीक नही था. पर कांग्रेस इसमें देर कर रही है.’’

कांग्रेस को ठाकरे परिवार का मुख्यमंत्री नामंजूर

इसी बीच कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि सोनिया गांधी ने अहमद पटेल, के सी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र के साथ शरद पवार से विस्तृत बातचीत करने के लिए भेजने का निर्णय किया है. यह लोग शाम छह बजे तक मुंबई पहुंचेंगे और फिर शरद पवार से मिलेंगे. सूत्रों के अनुसार इस तीन पन्ने के समर्थन पत्र के साथ कांग्रेस ने शर्ते लिखी हैं. सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने शर्ते इस प्रकार हैं- 1-मिनिमम कौमन प्रोग्राम पर लिखित सहमति हो. 2-मुख्यमंत्री ठाकरे परिवार का नही होगा. 3-विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस का होगा 4-चार विधायक पर एक मंत्रीपद के अनुसार कांग्रेस के कोटे से मंत्री बनाए जाएं.

संजय राउतः हार नही मानेंगे

इसके बाद अस्पताल में भर्ती संजय राउत ने ट्वीट किया- ‘‘कोषिष करने वालों की हार नही होती.’’

कांग्रेस का अंतर्द्वंद

कांग्रेस अपने अंतर्द्वंद ही  का शिकार है. कांग्रेस को डर है कि जो शिवसेना पार्टी उनकी धुआधार विरोधी रही है, जिससे उनके वैचारिक मतभेद काफी गहरे हैं, उसी के साथ सरकार बनाकर कहीं वह महाराष्ट्र के साथ साथ दूसरे राज्यों में भी अपना बचा खुचा जनाधार न खो दे. दूसरा डर यही सता रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने सपा व बसपा के साथ सरकार बनायी, जिसके चलते कांग्रेस का उत्तर प्रदेश से सफाया हो गया और सपा व बसपा बलवान हो गए. इसी तरह कहीं महाराष्ट्र में शिवसेना व एनसीपी को फायदा तथा कांग्रेस का सफाया न हो जाए. तीसरा डर  कांग्रेस को अपने विधायकों से है. जयपुर में एक रिसोर्ट में ठहराए गए कांग्रेस के तमाम विधायक हर हाल में सरकार का हिस्सा बनकर सत्ता सुख का लाभ लेना चाहते हैं. वह बार बार आलाकमान पर दबाव डाल रहे हैं. यह विधायक मुंबई आने के लिए परेशान हैं. ऐसे में सोनिया गांधी की समझ में नही आ रहा है कि वह क्या करें.

सूत्रों के अनुसासर कांग्रेस की एक लौबी का मानना है कि सेक्युलरिज्म की उसकी छवि शिवसेना के साथ जाने से खराब होगी और लंबे समय में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है.मगर महाराष्ट्र के ज्यादातर नेताओं का कहना है कि यदि राज्य में सरकार में शामिल होते हैं, तो कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा और पार्टी का विस्तार किया जा सकेगा.

शिवसेना पर वारः

उधर कुछ कांग्रेसी यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि बाला साहेब ठाकरे ने खुद कभी इंदिरा गांधी से लेकर किसी भी नेता से बात नहीं की. बाला साहेब हर नेता को मातोश्री पर ही मिलने के लिए बुलाते थे.पर अब मुख्यमंत्री बनने के लिए उद्धव ठाकरे ने स्वयं सोनिया गांधी व शरद पवार सहित कई नेताओं को फोन कर रहे हैं. इतना ही नही खुद मातोश्री से निकल कर शरद पवार से बातचीत करने के लिए एक पांच सितारा होटल पहुंच गए.

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संजय निरूपम का ट्वीट

कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने ट्वीट किया-‘कांग्रेस पर महाराष्ट्र में सरकार गठन की कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं है. हमारे ऊपर कोई भी आरोप लगाया जाना आधारहीन है. यह बीजेपी और शिवसेना की असफलता है, जिन्होंने प्रदेश को राष्ट्रपति शासन की ओर ले जाने का काम किया है.‘

असदुद्दीन भी कूदेः

इसी दंगल में असदुद्दीन भी कूद पड़े. भाजपा व शिवसेना के बहाने उन्होंने कांग्रेस व एनसीपी को लताड़ा और कहा कि कांग्रेस का असली चेहरा सबके सामने आ गया. उन्होंने साफ साफ कहा कि भाजपा व शिवसेना में कोई अंतर नही है. कम से कम वह दोनो को समर्थन नही दे सकते.

स्वर कोकिला की हालत गंभीर

जादुई आवाज की मल्लिका स्वर कोकिला लता मंगेशकर को लेकर खबर आई है कि वो अस्पताल में भर्ती हैं. रविवार को देर रात 2 बजे उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी. जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

आपको बता दें, सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर जी को सीने में वायरल इंफ़ेक्शन की प्रौब्लम थी. इसलिए उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रिपोर्टस मुताबिक़, ”उन्हें सोमवार तड़के दो बजे के क़रीब अस्पताल लाया गया था. उनकी हालत गंभीर है और वो इस वक़्त आईसीयू में हैं.”

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सिंगिंग कैरियर

आपको बता दें, लता मंगेशकर ने 28 सितंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाया था. लता जी अपने सिंगिंग करियर में करीब 1000 से ज्यादा गाने गा चुकी हैं. साल 2001 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया था. उन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में गाने रिकार्ड किए हैं.

ड्रीम गर्ल ने किया ट्वीट

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने लता मंगेशकर की सलामती के लिए किया ट्वीट किया और दुआ मांगी. हेमा मालिनी ने लिखा है- लता मंगेशकर जी के लिए प्रार्थना, जो अस्पताल में भर्ती हैं और खबर है कि उनकी हालत गंभीर है . भगवान उन्हें इस संकट से बाहर निकलने की शक्ति दें जिससे वो हमारे बीच बनी रहें. राष्ट्र की भारत रत्न, भारत की कोकिला लता जी के लिए दुआ करती हूं.

आपको बता दें, लता मंगेशकर ने 28 सितंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाया था. बात अगर उनके सिंगिंग करियर की करें तो वो करीब 1000 से ज्यादा गाने गा चुकी हैं. साल 2001 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया था. उन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में गाने रिकार्ड किए है गायकी के लिए लता जी को 1969 में पद्म भूषण अवार्ड से और 1990 में दादा साहेब फाल्के अवार्ड से नवाजा जा चुका है.

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ये रिश्ता क्या कहलाता है: क्या कायरव के सामने हो जाएगा कार्तिक का पर्दाफाश

स्टार प्लस का मशहूर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’  में आए दिन लगातार दर्शकों को महाट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जिससे दर्शक इस शो को काफी पसंद कर रहे हैं. तो चलिए आपको इस शो के धमाकेदार ट्विस्ट एंड टर्न के बारे में बताते हैं.

हाल ही में आपने देखा कि कार्तिक सरदार जौली सिंह के गेटअप में है. जिससे कायरव को खुश कर सके. इसी बीच नायरा पूल में गिर जाती है. तभी कार्तिक नायरा को बचाने के लिए पूल में कूदता है और उसका सरदार वाला गेटअप उतर जाता है. इससे पहले नायरा को ऐसे अजीब से ख्याल आते हैं. उसे लगता है कि पूल में कोई गिर रहा है. नायरा बेहद परेशान हो जाती है. नायरा को ऐसे परेशान देखकर कार्तिक उसकी परेशानी की वजह पूछता है.

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नायरा उससे बताती है कि उसे पूल में कुछ अजीब सा दिखा, ऐसा लगा कि रस्सी में कोई बंधा है. कार्तिक उससे कहता है, तुम्हे पहले बता देना चाहिए, हम कहीं और बुकिंग करा लेते.

पिछले एपिसोड में आपने देखा कि नायरा ने बौस्केटबौल खेल का आयोजन किया था, जिससे कायरव खुश हो जाए. लेकिन कायरव तो अपने पापा कार्तिक से नाराज है क्योंकि कायरव को लगता है कि कार्तिक नायरा से हमेशा लड़ता है. कायरव ने तो औनलाइन पापा के लिए भी डिमांड कर दी है.

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पत्नी के जाल में हलाल हुआ पति: भाग 2

पत्नी के जाल में हलाल हुआ पति: भाग 1

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एक रोज रानी की नजर बबलू से टकरा गई. बबलू गांव का दबंग युवक था और अपराधी भी. उस पर एक दरजन से अधिक मुकदमे दर्ज थे. उस की तलाश में अकसर पुलिस गांव में आती रहती थी. लेकिन उस के खौफ से कोई गांव वाला जुबान नहीं खोलता था.

उस दिन बबलू आया तो था प्रवीण से मिलने, लेकिन उस का सामना हो गया उस की खूबसूरत बीवी रानी से. पहली ही नजर में रानी बबलू के मन में रच बस गई. बबलू को देख कर रानी के मन में भी उथलपुथल होने लगी.

रानी की खूबसूरती ने बबलू को बेचैन किया तो वह उस से नजदीकियां बनाने के उपाय खोजने लगा. उस ने प्रवीण से दोस्ती कर ली. उस से मिलने उस के घर आने लगा. इतना ही नहीं, उस ने प्रवीण को शराब की लत भी लगा दी तथ उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. प्रवीण, बबलू के अहसानों तले इतना दब गया कि उस का प्रवीण के घर बेरोकटोक आनाजाना होने लगा. कभीकभी पुलिस उस के पीछे पड़ती तो वह प्रवीण के घर में छिप भी जाता था.

घर आतेजाते बबलू अकसर रानी के हुस्न की तारीफ करता तो रानी फूल कर गदगद हो जाती. बबलू रानी से छोटा था, इसलिए वह उसे भाभी कहता था. इस नाते वह उस से हंसीमजाक करता था. रानी को यह सब अच्छा लगता था. वह भी बबलू से खुल कर हंसीमजाक कर लेती थी. कभीकभी तो दोनों की हंसीमजाक सामाजिक मर्यादा तोड़ने पर उतारू हो जाती थी.

इस के बाद बबलू ने प्रवीण की गैरमौजूदगी में भी उस के यहां जाना शुरू कर दिया. एक दिन बातों ही बातों में रानी ने जैसे ही अपने पति की बेरुखी का बखान किया, वैसे ही बबलू ने उस का हाथ थामते हुए कहा, ‘‘भाभी, तुम क्यों चिंता करती हो, मैं तुम्हारा खयाल रखूंगा. आज से तुम्हारे सारे दुख मेरे हैं और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी.’’

‘‘सच बबलू…’’ रानी ने मुसकरा कर पूछा.

‘‘हां भाभी, बिलकुल सच. कभी मुझे सेवा का मौका तो दो.’’ वह बोला.

‘‘तो कल शाम ढलते ही आ जाना. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’ रानी मुसकरा कर बोली.

रानी की बात सुन कर बबलू बहुत खुश हुआ. उस दिन वह अपने घर न जा कर डकोर चला गया. वहां उस का एक अपराधी साथी लाखन रहता था. वह रात उस ने लाखन के घर पर करवटें बदलते गुजारी.

रात भर वह रानी के खयालों में डूबा रहा. सुबह वह देर से जागा. दोपहर बाद उस ने लाखन के साथ होटल में खाना खाया फिर शाम को रानी के घर जा पहुंचा. रानी उसी का इंतजार कर रही थी. बबलू ने पहुंचते ही रानी को अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘आज तो तुम हुस्न की परी लग रही हो, जी चाहता है कि…’’

‘‘मैं भी तुम्हारे इंतजार में पलकें बिछाए बैठी थी.’’ रानी बोली.

इस के बाद दोनों ने इत्मीनान से हसरतें पूरी कीं.

अवैध रिश्तों का यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर इस ने रुकने का नाम नहीं लिया. जब भी दोनों को मौका मिलता, एकदूसरे की बांहों में सिमट जाते. चूंकि बबलू अपराधी था और रात को ही आता था, अत: दोनों के संबंधों की भनक किसी को नहीं लग पाती थी.

प्रवीण ने अपना बसेरा खेतों पर बना लिया था. दरअसल, आवारा जानवर तथा नीलगाय खड़ी फसल को रात में रौंद डालते थे. इसलिए फसल की रखवाली के लिए वह रात में खेत पर चला जाता था. खेत के किनारे उस ने छप्पर डाल रखा था. चारपाई व बिस्तर लगाकर वह छप्पर के नीचे सोता था.

दिन में तो वह कुछ समय के लिए घर पर रहता था, लेकिन शाम ढलते ही खाना खा कर खेत पर चला जाता था. प्रवीण को वैसे भी सैक्स में रुचि नहीं रह गई थी. अत: वह पत्नी के प्रति लापरवाह हो गया था.

प्रवीण की इसी लापरवाही का बबलू और रानी भरपूर फायदा उठाते थे. दोनों एकदूसरे के इस कदर दीवाने बन गए थे कि उन्हें बिना मिले चैन नहीं मिलता था. दोनों बेहद सतर्कता बरतते थे, पर इस के बावजूद एक रोज उन का भांडा फूट गया.

उस रोज शाम को प्रवीण खाना खा कर घर से निकला तो कुछ देर बाद बबलू आ गया. आते ही बबलू ने रानी को बांहों में भरा और बिस्तर पर ले गया. उसी समय प्रवीण घर आ गया. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल प्रवीण अपनी तंबाकू चूने वाली चुनौटी घर में भूल गया था. उसे लेने ही वह घर आया था. लापरवाही में रानी दरवाजा बंद करना भूल गई थी.

रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद बबलू तो चला गया लेकिन रानी कहां जाती. उस ने रानी की जम कर धुनाई कर डाली फिर बड़बड़ाता हुआ खेत पर चला गया. इस के बाद जब भी प्रवीण को शक होता, वह रानी को रूई की तरह धुन देता. कभीकभी तो बातबेबात भी पीट कर अपना गुस्सा उतार देता.

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विषम स्थिति तो उस दिन बन जाती, जिस दिन वह शराब ज्यादा पी लेता था. उस दिन वह हैवान ही बन जाता. रानी को वह इतना पीटता कि उस का शरीर ही काला कर देता.

दरअसल, बबलू दबंग व अपराधी था. प्रवीण उस का सामना नहीं कर सकता था. अत: वह सारा गुस्सा पत्नी पर ही उतारता था. रानी पति के जुल्मों से परेशान हो चुकी थी.

एक रात जब बबलू रानी से मिलने आया तो रानी ने उस से कहा, ‘‘तुम तो यहां से चले जाते हो. पर मुझ पर क्या बीतती है, यह मैं ही जानती हूं. मेरा पति मुझे मारमार कर मेरा शरीर काला कर देता है. मैं कमरे में पड़ी आंसू बहाती रहती हूं. तुम्हें मेरी फिक्र है ही नहीं. अब मैं तुम से तभी बात करूंगी, जब उस हैवान को मिटा दोगे.’’

‘‘ठीक है रानी. मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है.’’ बबलू ने रानी को भरोसा दिया.

बबलू का एक अपराधी दोस्त था लाखन. वह मूलरूप से कानपुर देहात जिले के शिवली कस्बे का रहने वाला था. कानपुर देहात पुलिस ने उस पर शिकंजा कसा तो वह जालौन आ गया था. यहां उस ने उरई तथा डकोर में अपना ठिकाना बना लिया था.

वह बबलू के साथ मिल कर अपराध करता था. बबलू ने अपनी समस्या लाखन को बताई तो वह उस का साथ देने को तैयार हो गया.

9 जुलाई, 2019 की रात 10 बजे लाखन और बबलू ट्रैक्टर ट्रौली ले कर चिली गांव हो कर प्रवीण के खेत के पास पहुंचे. वे ट्रैक्टर ट्रौली लाखन के दोस्त की थी जो उस में गांव से अनाज भर कर उरई मंडी लाता था. उस दिन वह अपनी ट्रैक्टर ट्रौली लाखन के पास छोड़ गया था.

ट्रैक्टर को उन्होंने सड़क किनारे खड़ा कर दिया, फिर हाथ में शराब की 2 बोतलें ले कर प्रवीण के पास पहुंचे. प्रवीण उस समय चारपाई पर लेटा था. बबलू को देख कर वह चारपाई से उठा और बोला, ‘‘बबलू, तुम इस वक्त? क्या पुलिस तुम्हारा पीछा कर रही है?’’

‘‘नहीं प्रवीण भाई, पुलिस पीछा नहीं कर रही. मैं अपने साथी लाखन के साथ इधर से गुजर रहा था, सो तुम्हारी याद आ गई. दवाई साथ में है, सोचा कि तुम्हें भी पिलाता चलूं.’’ बबलू ने शराब की बोतलों की तरफ इशारा करते हुए कहा.

शराब की बोतल देख कर प्रवीण के मुंह में पानी आ गया. वह बोला, ‘‘बबलू, तुम ने यह अच्छा किया, जो यहां आ गए. पैसे न होने की वजह से मैं ने कई दिनों से नहीं पी थी.’’

इस के बाद महफिल जमी और तीनों ने शराब पी. शराब पी कर प्रवीण कुमार जब मदहोश हो गया, तब बबलू ने इशारा कर के लाखन से ट्रैक्टर ट्रौली में रखी कुल्हाड़ी मंगा ली. इस के बाद लाखन ने प्रवीण को जमीन से उठा कर चारपाई पर पटक दिया और बबलू ने कुल्हाड़ी से सिर व चेहरे पर वार कर प्रवीण को मौत के घाट उतार दिया.

सबूत मिटाने के लिए बबलू और लाखन ने प्रवीण का शव बिस्तर सहित चारपाई को ट्रौली पर रखा और कुछ दूर जा कर एक खेत के किनारे आम के पेड़ के नीचे उस की लाश फेंक दी.

इस के बाद मलीहा गांव से पहले एक सूखे कुएं में बिस्तर व चारपाई डाल दी. इस के बाद लाखन ट्रैक्टर ट्रौली ले कर डकोर चला गया और बबलू रात के अंधेरे में रानी के पास.

उस ने रानी को बता दिया कि उस ने शर्त पूरी कर दी है. रास्ते का कांटा हमेशा के लिए निकाल दिया. पति की हत्या की बात सुन कर रानी बहुत खुश हुई.

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अगले दिन 10 जुलाई की सुबह चिली गांव के लोगों ने प्रवीण की लाश देखी. इस के बाद की गई पुलिस काररवाई में केस का परदाफाश हुआ और कातिल पकड़े गए.

14 जुलाई, 2019 को थाना डकोर पुलिस ने अभियुक्त बबलू, लाखन तथा रानी को जालौन की उरई कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया.

  —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

महाराष्ट्र: तो क्या उद्धव ठाकरे खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं?

बौलीवुड की ही तरह राजनीति में भी कोई स्थायी दोस्त व दुश्मन नहीं होता. इसी के चलते महाराष्ट्र राज्य में राजनीतिक समीकरण हर घंटे बदलते हुए नजर आ रहे हैं. यूं तो इस बार ‘महाराष्ट्र राज्य’ का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना दोनों ने मिलकर लड़ा था. 24 अक्टूबर को जब चुनाव के परिणाम आए, तो महाराष्ट्र की जनता ने भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के गठबंधन को 161 सीटों (भारतीय जनता पार्टी 105 और शिवसेना 56) के साथ पूर्ण बहुमत भी दे दिया. मगर आज लगभग 18 दिन हो गए हैं, पुरानी सरकार का कार्यकाल भी नौ नवंबर को खत्म हो गया. मगर अब तक महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं हो पाया है.

वास्तव में चुनाव परिणाम वाले दिन से ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना का दावा ठोंकना शुरू कर दिया था. तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐलान कर दिया था कि मुख्यमंत्री तो भारतीय जनता पार्टी का होगा और वही मुख्यमंत्री होगे. उस दिन से दोनों राजनीतिक दल एक दूसरे पर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते रहे. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के सामने बड़ा पोस्टर लग गया कि ‘‘आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया जाए. ज्ञातव्य है कि उद्धव ठाकरे के बेटे है आदित्य ठाकरे, जो कि पहली बार वरली सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने हैं.

पर आठ नवंबर को मुख्यमंत्री पद से देवेंद्र फड़नवीस के त्यागपत्र के साथ ही लगभग यह तय हो गया था कि अब भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में सरकार नही बनाने जा रही है. मगर डरकर शिवसेना ने अपने चुने हुए विधायकों को मुंबई में ही मड आयलैंड के होटल ‘‘रिट्रीट’’ में एक साथ बंधक सा बनाकर रख दिया. तो वहीं कांग्रेस ने अपने सभी चुने हुए विधायकों को जयपुर के होटल में भेज दिया.

दिन भर राजनीतिक गहमा गहमी और बैठकों का दौर शनिवार नौ नवंबर को महाराष्ट्र’ के राज्यपाल ने सबसे बड़े दल के रूप में भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए न्यौता दिया. उसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से कई तरह के बयान जारी हुए. रविवार, दस नवंबर को मुंबई में जबरदस्त राजनीतिक गहमा गहमी रही. भारतीय जनता पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक दो बार संपन्न हुई. उसके बाद शाम को भारतीय जनता पार्टी के कुछ विधायकों के साथ चंद्रकांत पाटिल व देवेंद्र फड़नवीस ने राज्यपाल से मिलकर स्पष्ट कर दिया कि उनके पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नही है. उन्हें जनता ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया था, मगर अब जनादेश का अपमान करते हुए शिवसेना उनके साथ सरकार नहीं बनाना चाहती.

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आदित्य नहीं उद्धव बनेंगे मुख्यमंत्री
इधर रविवार को दिन भर उद्धव ठाकरे व शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत बैठकें करते रहे. सूत्रों के अनुसार एनसीपी के साथ बैठकों के बाद एक बात निकलकर आई कि एनसीपी आदित्य ठाकरे के मुख्यमंत्री पद को समर्थन नहीं दे सकती.

इसलिए उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के लिए आगे आना होगा. एनसीपी से इस तरह का संकेत मिलते ही ‘मातोश्री’ के सामने लगा ‘आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने’’ का पोस्टर हट गया और वहां पर एक नया पोस्टर‘‘ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.’’ लग गया.

फिर दोपहर में उद्धव ठाकरे अपनी पत्नी के साथ स्वयं कार चलाते हुए ‘रिट्रीट’ होटल पहुंचे और शिवसेना के विधायकों के साथ गहन मंत्रणा करने के बाद ऐलान कर दिया कि मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही बनेगा.

भाजपा ने सरकार न बनाने की बात कही देर शाम तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने से इंकार किए जाने के बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का निमंत्रण भेज दिया. अब ग्यारह नवंबर को शाम साढ़े सात बजे तक शिवसेना को राज्यपाल के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करनी है.

ब्लैमेलिंग करते करते फंस गयी शिवसेना

भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले आधे विधायकों की संख्या के बावजूद शिवसेना हमेशा की तरह भारतीय जनता पार्टी को ब्लैकमेल करके मुख्यमंत्री का पद हथियाना चाहती थी. मगर उद्धव ठाकरे का अड़ियलपना काम न आया और अब शिवसेना खुद ही अपने जाल में बुरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही है. क्योकि शिवसेना को सरकार बनाने के लिए एनसीपवी और कांग्रेस के समर्थन की जरुरत है. कांग्रेस के विधायक दो खेमों में बंटे हुए हैं. जबकि एनसीपी ने कई शर्ते उद्धव के सामने रख दी हैं.

कांग्रेस दुविधा में
जयपुर में ठहराए गए कांग्रेस के विधायकों से बात करने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- ‘‘जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है. हम विपक्ष में बैठना चाहेंगे. हम विधायकों की राय से हाईकमान को अवगत कराएंगे. अंतिम निर्णय तो हाईकमान का होगा. ’’जबकि मुंबई में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहाण व अशोक चौहाण ने कहा- ‘हम राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते’. जबकि संजय निरूपम ने कहा- ‘‘यदि कांग्रेस शिवसेना का सरकार बनाने में समर्थन करती है, तो यह कांग्रेस के लिए विनाशकारी कदम होगा.’’

एनसीपी की शर्ते
एनसीपी ने एक तरफ अपने विधायकों की बैठक 12 नवंबर को बुलायी है. तो दूसरी तरफ एनसीपी नेता नवाब मलिक ने शिवसेना के सामने कुछ शर्तें रख दी हैं.

नवाब मलिक ने कहा है- ‘‘मुख्यमंत्री के नाम का निर्णय एकतरफा नही हो सकता. शिवसेना को एनडीए से अलग होना पड़ेगा. शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत को केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना पड़ेगा.’’

अरविंद सावंत का त्यागपत्र
देर रात तक शिवसेना में मंथन होता रहा और अंततः आज सुबह सुबह अरविंद सावंत ने मराठी भाषा में ट्वीट करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने का ऐलान कर दिया. इससे यह साफ हो रहा है कि मुख्यमंत्री पद पाने के लिए शिवसेना, एनसीपी की हर शर्त मानने को तैयार है. पर यह इतना आसान नही है. शिवसेना को एनडीए से अलग होना पड़ेगा. इससे केंद्र में मोदी सरकार पर असर नहीं पडे़गा. पर शिवसेना को मुंबई महानगर पालिका में भी भाजपा से अलग होना पड़ेगा.

तो अजित पवार होंगे मुख्यमंत्री
इसी बीच सूत्र दावा कर रहे हैं कि शिवसेना व एनसीपी के बीच जो बातचीत में तय हुआ है, उसके अनुसार उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री, एनसीपी नेता अजीत पवार उपमुख्यमंत्री, एनसीपी नेता जयंत पाटिल गृहमंत्री और विधानसभा में अध्यक्ष पद कांग्रेस को मिलेगा.

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शिवसेना एनसीपी व कांग्रेस की सरकार बनने के दूरगामी परिणाम होंगे
यदि शिवसेना ने एनसीपी की सभी शर्तें मान ली और शिवसेना की सरकार बन गयी. तो इसके कई दूरगामी परिणाम होंगे. क्या स्व. बाल ठाकरे के समर्पित लोग यह हजम कर लेंगे कि जिसने उनके नेता को जेल भिजवाया था, उसी के साथ अब सरकार बनाएं.

ज्ञातव्य है कि 2000 में कांग्रेस व एनसीपी गठबंधन की सरकार थी और कभी शिवसेना में रहे छगन भुजबल शिवसेना छोड़कर एनसीपी व कांग्रेस सरकार में गृहमंत्री बने थे, तब बाल ठाकरे को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ मे छपे एक लेख के चलते गिरफ्तार किया गया था. बाल ठाकर को गिरफ्तार करने का श्रेय छगन भुजबल को गया था. उसके बाद दशहरा रैली में बाल ठाकरे ने ऐलान किया था कि वह देश से ‘पंचक’ को खत्म कर देंगे. उस वक्त उनका इशारा शरद पवार, छगन भुजबल, सोनिया गांधी वगैरह की तरफ था. अब छगन भुजबल एनसीपी की टिकट पर विधायक चुने गए हैं. इसी वजह से सूत्र दावा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री बनने के लिए उद्धव ठाकरे यदि एनसीपी व कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाते हैं, तो यह शिवसेना के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है.

प्रफुल पटेल का बयान
एक तरफ शिवसेना ,एनसीपी की हर षर्त आंखमूंदकर मानती जा रही है,तो दूसरी तरफ एनसीपी नेता प्रफुल पटेल ने बयान दिया है कि उनकी पार्टी हर फैसला गंभीरता से सोच समझकर लेगी.

शरद पवार का बयान
उधर अरविंद सावंत द्वारा त्यागपत्र दिए जो कि ट्वीट के बाद शरद पवार ने कहा- ‘‘हमने किसी से भी त्यागपत्र देने के लिए नहीं कहा. मैं आज कांग्रेस से बात करुंगा, उसके बाद ही कोई फैसला लूंगा..’’ कुल मिलाकर शरद पवार व प्रफुल पटेल के बयान से शिवसेना की सरकार को लेकर रहस्य गहरा गया है.

शरद पवार के बयान के बाद संजय राउत बोले
शरद पवार का बयान आने के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने उन्हे उकसाते हुए बयान दिया है- ‘‘महाराष्ट्र के दो अहम पक्ष, कांग्रेस और एनसीपी, बीजेपी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे थे. मैं दोनों पक्षों से आह्वान करता हूं कि आपके लिए यह परीक्षा की घड़ी है. अगर आपको लगता है कि बीजेपी अच्छा काम नहीं कर रही थी तो अब आप सरकार बना सकते हैं.’’

शिवसेना सांसद संजय राउत ने भाजपा हमला करते हुए कहा- ‘‘अगर दोनों में जो बातचीत हुई थी, उसको माना जाता, तो यह स्थिति नहीं बनती. शिवसेना को मुख्यमंत्री पद नहीं देना है, 50-50 के फौर्म्यूले पर अमल नहीं करना है, चाहे विपक्ष में ही क्यों न बैठना पड़े, बीजेपी के इस अहंकार को मैं महाराष्ट्र की जनता का अपमान मानता हूं.‘’

कर्नाटक की राह पर महाराष्ट्र राजनीति के कई जानकार मानते हैं कि शिवसेना सरकार बना ले, पर टिकेगी नही. यहां भी वही कर्नाटक वाला इतिहास दोहराया जाएगा. संजय निरूपम भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

संजय निरूपम का ट्वीट
जबकि कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने ट्वीट किया है- ‘चाहे कोई भी, कैसे भी सरकार बनाए लेकिन महाराष्ट्र में बनी राजनीतिक अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. जल्दी चुनावों के लिए तैयार हो जाइए. चुनाव 2020 में भी हो सकते हैं. क्या हम चुनावों में शिवसेना के पार्टनर के तौर पर जा सकते हैं?‘’

उद्धव ठाकरे ज्योतिष की सलाह पर अड़ गए हैं
ज्योतिष की सलाह पर उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने का निर्णय लिया शिवसेना और एनसीपी के से जुड़े कुछ सूत्र दावा कर रहे हैं कि वास्तव में जब महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव घेरते हुए उसी वक्त गुजरात के एक ज्योतिष रूपेन आर शाह की सलाह पर यह कदम उठाया. रूपेन आर शाह ने भविष्यवाणी की थी कि उद्धव ठाकरे की कुंडली में इस वक्त प्रबल राज योग है और यदि वह मुख्यमंत्री बनने के लिए जिद कर लेंगे, तो इस बार उन्हे मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता. रूपेन आर शाह ने ही भविष्यवाणी की थी कि किसी भी दल को बहुमत नही मिलेगा. चुनाव नतीजे चौंकाने वाले होंगे.

चुनाव के ऐलान के साथ ही शिवसेना ने बढ़ाई थी एनसीपी से नजदीकी
सूत्र बता रहे हैं कि रूपेन आर शाह की इस भविष्यवाणी को सच मानकर उद्धव ठाकरे ने उसी वक्त से अपने सिपहसलाहकारों को काम पर लगा दिया था. एक तरफ वह भाजपा के साथ जुडे़ हुए थे, तो दूसरी तरफ वह एनसीपी के संपर्क में थे. इसी वजह से 11 अक्टूबर को अचानक एनसीपी नेता व शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने कहा था कि बाल ठाकरे को गिरफ्तार करना भूल थी. सूत्रों की माने तो चुनाव की घोषणा के साथ ही शिवसेना व एनसीपी के बीच बंद दरवाजों के अंदर खिचड़ी पकने लगी थी.

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