जब घर का मुखिया ही अंधेरे में जीना चाहे उसे रोशनी की दरकार समझ न हो, तो घर के अन्य प्राणी क्या खा कर उजाला पसंद करेंगे,रोशनी चाहेगे.यही परम सत्य इन दिनों छत्तीसगढ़ में दिखाई दे रहा है. छत्तीसगढ़ के तृतीय मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल ने प्रगतिशील सोच को दरकिनार करते हुए बारंबार रूढ़िवादिता, अंधविश्वास को बढ़ावा दिया है. और यह संदेश छत्तीसगढ़ में प्रसारित किया है की ढोंग,बैगा, गुनिया अंधविश्वास ही आम छत्तीसगढ़िया के लिए विकास का दरवाजा है.

गोवर्धन पूजा के दिन रायपुर से दुर्ग जाकर ग्राम जंजगिरी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुख समृद्धि के नाम पर एक बैगा के हाथों कोडे खाएं और यह संदेश दिया की आज के वैज्ञानिक युग में प्रदेश का आम छत्तीसगढ़ वासी कोड़े खाकर सुख समृद्धि प्राप्त कर सकता है. इसके लिए उसे संघर्ष करने, कर्म करने की आवश्यकता नहीं है. सिर्फ बैगा के कोडे खाओ और पाप काट लो. समृद हो जाओ. यह ढकोसला, यह नाटक बेहद शर्मनाक है. यह और भी विभस्त हो जाता है. जब लोगों को प्रेरणा देने वाली विभूतियां यह धृतकरम करने लगे.

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श्रीमान ने "चाबुक" पड़वाए !

मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल ने जब से छत्तीसगढ़ के मुखिया की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ की अस्मिता संस्कृति को बढ़ावा देने का एकमात्र लक्ष्य तय कर लिया है. और ऐसा कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देते, जिसमें छत्तीसगढ़ के लोगों को यह एहसास हो की डा. रमन सिंह के 15 वर्ष के कार्यकाल के बाद छत्तीसगढ़ का बेटा मुख्यमंत्री बना है जो छत्तीसगढ़ की मिट्टी में रचा बसा है इस सोच और दौड़ में वे कब अंधविश्वास, पोगापंथ के संवाहक बन जाते हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पता ही नहीं चलता. 28 अगस्त 2019 को गोवर्धन पूजा के दिन उन्होंने प्रदेश में गाय के पूजा, गोठान दिवस मनाने की घोषणा की मगर जंजगिरी ग्राम जिला दुर्ग में गौरा गौरी पूजा मे उनके हाथ पर एक बैगा चाबुक मारता रहा यह वीडियो सभी चैनलों में प्रसारित हुआ और यह बताया गया की ऐसा करने से व्यक्ति के ऊपर किसी भी तरह की आफत नहीं आती और जीवन  खुशहाल हो जाता है .

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