अंततः 19 दिन बाद भी महाराष्ट्र में किसी भी दल की सरकार न बनते देख महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी है. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाकर इस मसले पर मंत्रणा कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर मुहर लगा दी. राज्यपाल के अनुसार उन्होंने यह कदम संविधान के अनुसार उठाया गया. क्योंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी/ एनसीपी को आज शाम साढ़े आठ बजे तक का वक्त दिया गया था, पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे एनसीपी ने राज्यपाल से तीन दिन का वक्त मांगा था.

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में शिवसेनाः

उधर शिवसेना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल तथा अहमद पटेल से इस मसले पर फोन पर बात की. यूं तो अभी उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बात करने से इंकार कर दिया है. मगर सूत्रों के अनुसार शिवसेना सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल को उनकी मांग के अनुरूप तीन दिन का वक्त न दिए जाने पर घेरने वाली है.

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र: तो क्या उद्धव ठाकरे खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं?

हर तरफ से घिरी शिवसेनाः

इस पूरे राजनीतिक दंगल में यदि किसी को सबसे बड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है, तो वह शिवसेना को है. शिवसेना पार्टी बुरी तरह से चारो तरफ से घिर गयी है. मुख्यमंत्री बनने के लालच में एनसीपी के आश्वासन पर शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर एनडीए से नाता तोड़ा और राष्ट्रपति ने उनका त्यागपत्र भी स्वीकार कर लिया. अब शिवसेना पुनः भाजपा के पास जाने की हालत में नहीं रही. उधर कांग्रेस अलग से नौटंकी कर रही है. ऐसे में एनसीपी लोगों के सामने अपनी छवि को सुधारने के लिए कांग्रेस को कटघरे में खड़ी करने लगी है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...