Download App

गेहूं की उन्नत खेती कैसे करें

धान्य फसलों में गेहूं की फसल काफी महत्त्वपूर्ण है. भारत में इस का भूसा पशुओं को खिलाते हैं. गेहूं के आटे में खमीर पैदा कर के इस का इस्तेमाल डबलरोटी, बिसकुट वगैरह तैयार करने के लिए किया जाता है. गेहूं प्रोटीन का मुख्य स्रोत है, जिस में औसतन 14.7 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है.

भारत में गेहूं का ज्यादातर क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश वगैरह राज्यों में है. उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक क्षेत्र 82.19 लाख हेक्टेयर में गेहूं पैदा करने वाला राज्य है. उत्तर प्रदेश गेहूं का सालाना उत्पादन 152.85 लाख टन करता है.

फसल की पूरी अवधि के लिए 10-15 सैंटीमीटर बारिश (पानी) और 25-26 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान सही है.

गेहूं को बलुई दोमट, बलुई, भारी दोमट या चिकनी मिट्टी वगैरह में उगा सकते हैं, लेकिन इन सभी मिट्टी में दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है. जमीन का पीएच मान 5.0 से 7.5 तक मुफीद होता है.

खेत की तैयारी

* बोआई के समय जमीन में 16 फीसदी नमी हो.

* खेत खरपतवाररहित हो.

* 21-22 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान हो, इस से कम या ज्यादा तापमान बीजों के अंकुरण के लिए सही नहीं होता है. खेत की अच्छी तैयारी के लिए खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए और 3-4 जुताई देशी हल, हैरो या कल्टीवेटर से करनी चाहिए.

* जमीन में नमी बनाए रखने के लिए हर जुताई के बाद पाटा चलाना चाहिए. गेहूं के लिए खेत तब तैयार मानना चाहिए, जब खेत में गीली मिट्टी का लड्डू बना कर ऊपर से छोड़ा जाए तो वह टूटे नहीं.

ये भी पढ़ें- जानिए, आखिर है क्या हाईड्रोलिक रिवर्सिबल प्लाऊ 

* छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गेहूं की संस्तुति किस्में सुजाता, संगम, राजकंचन डब्लूएच 147, सी 306 वगैरह हैं.

बोआई का सही समय

गेहूं की बोआई का सही समय 15-30 नवंबर?है, लेकिन इस के बाद बोआई की जाए तो उपज में भारी कमी आने लगती?है. बोआई में देरी होने पर सामान्य अरहर और गेहूं फसल चक्र अपनाना सही होता है.

बीज दर : यह बोने की विधि और समय पर निर्भर है. आमतौर पर 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर सही होता है.

बीजोपचार : बीजों को 2.5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित कर लेना चाहिए. इस से फसलों को बीजजनित रोगों से बचाया जा सकता है.

बोआई की गहराई : गेहूं के बीज की बोआई के लिए 5 सैंटीमीटर गहराई सही मानी जाती है. इस से ज्यादा गहराई में बीजों का अंकुरण ठीक से नहीं हो पाता है.

सीड ड्रिल से अच्छी बोआई

गेहूं की बोआई आमतौर पर छिटकवां विधि से, हल के पीछे कूंड़ में, सीड ड्रिल द्वारा या हल के पीछे नाई बांध कर डिब्बर विधियों द्वारा की जाती है. इन सभी विधियों में सीड ड्रिल द्वारा बोआई सब से अच्छी विधि मानी जाती है.

खाद और उर्वरक : मिट्टी जांच के बाद ही खाद की जरूरत का निर्धारण किया जाना चाहिए.

गेहूं की फसल में आमतौर पर 100-200 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40-50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर दिया जाना चाहिए. पोषक तत्त्वों को निम्न ढंग से दिया जाना चाहिए:

* आधा नाइट्रोजन और पूरी फास्फोरस व पोटाश बोआई के समय छिड़काव के रूप में.

* एकचौथाई भाग नाइट्रोजन पहली सिंचाई के बाद (25-30 दिन की अवस्था पर) टौप ड्रैसिंग के दौरान.

ये भी पढ़ें- रोटावेटर खास जुताई यंत्र : मिल रही सरकारी मदद

* बाकी एकचौथाई भाग नाइट्रोजन पर्णीय छिड़काव के समय.

जल प्रबंधन : साधारण गेहूं की फसल में 5-6 बार सिंचाई की जरूरत होती है.

* क्राउन रूट इनिटिएशन पर -बोआई के 20-25 दिन बाद.

* कल्ले फूटने पर – बोआई के 40-50 दिन बाद.

* गांठ बनने की अवस्था पर – बोआई के 60-65 दिन बाद.

* फूल आने के समय – बोआई के 90-95 दिन बाद.

* दानों में दूध पड़ने पर – 110-115 दिन बाद.

* दाना कड़ा होने पर – बोआई के 120-125 दिन बाद.

फसल सुरक्षा

खरपतवार पर नियंत्रण : गेहूं की खरपतवार मुख्य रूप से पोआ घास, जंगली जई, कृष्णनील, हिरनखुटी, गेहूं का मामा (गुल्लीडंडा, बंदराबंदरी) वगैरह पाए जाते हैं. इन की रोकथाम खुरपी से की जा सकती है, इन खरपतवारों को रासायनिक विधि से खत्म करने के लिए भी खरपतवानाशी का उपयोग किया जाता है. कम चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे गेहूं का मामा व जंगली जई के लिए आइसोप्रोट्यूरौन की 0.75 से 1.0 किलोग्राम दवा को 800-1000 लिटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से अंकुरण से पहले या बाद में 30-35 दिन की अवस्था में करना सही होता है.

रोग नियंत्रण : गेहूं में मुख्य रूप से गेरूई और कंडुआ रोग का प्रकोप अधिक होता है.

गेरूई: इसे रतुआ रोग भी कहते?हैं. इस रोग में पत्तियों पर जंग लगा हुआ जैसा लवण दिखाई देता?है, इस की रोधक किस्में हैं:

* एचडी 2009 (अर्जुन), यूपी 262, सोनालिका.

* इस की रोकथाम डाइथेन एम 45 या डाइथेन जैड 78 की दवा को 0.2 फीसदी के हिसाब से पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए.

कंडुआ रोग : इस रोग में बालियों पर काला चूर्ण बन जाता है, जिस से पूरी बाली खराब हो जाती है. इस की रोकथाम के लिए केवल प्रमाणित बीज ही बोएं.

बीजोपचार के लिए 0.25 फीसदी की दर से थीरम या बीटावैक्स का इस्तेमाल करना चाहिए.

कीट नियंत्रण

गेहूं का एफिड : यह कीट पौधों में दाना पड़ने की अवस्था में लगता?है, जो बालियों में पड़े दानों का रस चूसता है. इस की रोकथाम बीएचसी या 0.2 फीसदी फौलीडौल के छिड़काव से की जाती?है.

दीमक : इस कीट की रोकथाम के लिए एल्ड्रिन की 5 फीसदी धूल 20-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करनी चाहिए.

कटाई : फसल पकने पर पत्तियां व बालियां सूख जाती हैं और बालियां मुड़ कर झुक जाती हैं. ऐसी अवस्था में फसल की कटाई की जानी चाहिए.

उपज : बौनी किस्मों में 40-50 क्विंटल दाना प्रति हेक्टेयर और 60-65 क्विंटल भूसा हासिल किया जा सकता है. देशी किस्मों से 25-30 क्विंटल दाना ही मिल पाता है.

ये भी पढ़ें- सरसों की फसल: समय पर बोआई भरपूर कमाई

पत्नी के जाल में हलाल हुआ पति: भाग 1

10जुलाई, 2019 का सवेरा था. उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के चिली गांव के कुछ लोग खेतों की तरफ जा रहे थे. जैसे ही वे लोग राजवीर शर्मा के बाग की पगडंडी पर पहुंचे तो

उन में शामिल रामप्रसाद की नजर आम के एक पेड़ के नीचे पड़ी लाश पर गई.

रामप्रसाद ने अपने साथ वाले लोगों को इस बारे में बताया तो सभी उत्सुकतावश लाश के नजदीक पहुंच गए. लाश को देख कर वे सभी चौंक गए. क्योंकि लाश उसी गांव के रहने वाले प्रवीण कुमार की थी.

लाश की खबर मिलते ही उधर से गुजरने वाले लोग भी वहां जमा होने लगे. सभी इस बात पर अचरज में थे कि इतने भले इंसान की पता नहीं किस ने हत्या कर दी. कुछ ही देर में गांव में खबर फैली तो लोगों का वहां मजमा लगना शुरू हो गया.

उसी दौरान किसी ने मृतक के छोटे भाई नवीन तथा मृतक की पत्नी रानी को उस के कत्ल की जानकारी दे दी. पति की हत्या की खबर सुनते ही रानी छाती पीटपीट कर रोने लगी. नवीन ने उसे समझायाबुझाया. वह देवर के साथ बिलखती हुई उस जगह पहुंची जहां पति की रक्तरंजित लाश पड़ी थी.

उसी दौरान किसी ने इस की सूचना फोन कर के थाना डकोर को दे दी. थोड़ी देर में थानाप्रभारी विनोद मिश्रा, एसआई त्रिलोकी नाथ और 4 सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए.

ये भी पढ़ें- मौजमौज के खेल में हत्या

घटनास्थल पर पहुंच कर विनोद मिश्रा और त्रिलोकी नाथ मौकामुआयना करने में लग गए. प्रवीण का शव खेत के किनारे आम के पेड़ के नीचे पड़ा था. उस के चेहरे और गरदन पर कटने के गहरे घाव थे. लगता था उस पर किसी धारदार हथियार से वार किया गया था.

प्रवीण की उम्र यही कोई 50 वर्ष के आसपास थी, वह शरीर से हृष्टपुष्ट था. देखने से ऐसा लगता था कि उस की हत्या कहीं और कर के शव वहां फेंका गया था.

थानाप्रभारी विनोद मिश्रा ने मृतक के भाई नवीन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि प्रवीण ज्यादातर खेत पर ही सोता था. वहां उस ने छप्पर डाल रखा था. उसी के नीचे चारपाई डाल कर सोता था. वह नशे का आदी था. प्रवीण की लाश जहां पड़ी थी, उस से 10 खेत दूर ही उस का खेत था.

थानाप्रभारी वहां पहुंचे तो यह देख कर दंग रह गए कि वहां न प्रवीण की चारपाई थी और न ही बिस्तर. यहां, शराब की 2 खाली बोतलें तथा डिसपोजेबल गिलास जरूर पड़े थे. छप्पर के नीचे जमीन पर खून भी पड़ा था.

यह देख कर थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि प्रवीण की हत्या इसी स्थान पर की गई थी और शव वहां ले जा कर फेंक दिया. सबूत मिटाने के लिए हत्यारों ने मृतक की चारपाई तथा बिस्तर भी गायब कर दिया था. उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि हत्यारे प्रवीण के परिचित ही होंगे क्योंकि उस ने उन के साथ शराब पी होगी. पुलिस ने वहां मिले सबूत जब्त कर लिए.

थानाप्रभारी ने गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला प्रवीण कुमार निहायत शरीफ और नेक चालचलन का था. गांव में या बाहर उस की किसी से रंजिश या दुश्मनी नहीं थी. कुछ सालों से उस में एक बुराई घर कर गई थी कि वह शराब पीने लगा था. इसी वजह से उस का पत्नी से विवाद रहता था, जिस से वह खेतों पर सोने लगा था.

इसी बीच सूचना मिलने पर एसपी स्वामी प्रसाद  एएसपी अवधेश सिंह और डीएसपी संतोष कुमार भी वहां आ गए. इन पुलिस अधिकारियों ने भी मौकामुआयना किया. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

मामले की जांच का भार विनोद मिश्रा ने अपने ही हाथों में रखा. उन्होंने मृतक प्रवीण कुमार की पत्नी रानी से बात की. प्रवीण के भाई नवीन ने उस के कुशल व्यवहार की तो तारीफ की लेकिन शराब की लत को बुरा बताया. उस ने यह भी बताया कि प्रवीण भैया कुछ समय से किसी बात को ले कर परेशान रहते थे. परेशानी की वजह क्या थी, यह उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया था.

पत्नी रानी ने बताया कि नीलगाय वगैरह फसल को नुकसान पहुंचाती थीं, इसलिए उन्होंने खेत पर छप्पर डाल लिया था. वह रात को वहीं सोते थे. कभीकभी जब वह यारदोस्तों के साथ ज्यादा शराब पी लेते थे तो घर पर भी नहीं आते थे. कल रात भी वह खाना खाने नहीं आए थे. देवरभाभी दोनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस को ऐसा कोई क्लू नहीं मिला, जिस से जांच आगे बढ़ाई जा सके.

पुलिस को मृतक की पत्नी रानी और भाई नवीन पर शक हो रहा था. लिहाजा थानाप्रभारी ने मुखबिरों को लगा दिया. 13 जुलाई, 2019 को एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को बताया कि मृतक की पत्नी रानी और बबलू के बीच चक्कर चल रहा था और 9 जुलाई की रात को बबलू रानी के घर आया था. कुछ देर वहां रुकने के बाद वह चला गया था.

बबलू का नाम सुनते ही थानाप्रभारी विनोद मिश्रा चौंके. क्योंकि बबलू पेशेवर अपराधी था. थाना डकोर के अलावा भी उस के खिलाफ कई थानों में मुकदमे दर्ज थे. मामले की तह में जाने के लिए थानाप्रभारी ने उसी दिन दोपहर के समय रानी को पूछताछ के लिए थाने बुलवाया.

रानी ने थाने में पहले वाला बयान ही दोहरा दिया. उन्होंने उस से 2 घंटे तक पूछताछ की लेकिन वह टस से मस नहीं हुई. तब उन्होंने 2 महिला कांस्टेबलों को बुला लिया. महिला पुलिस ने रानी से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सच उगल दिया. उस ने स्वीकार किया कि उस ने ही प्रेमी से पति की हत्या बबलू व उस के साथी लाखन की मदद से कराई थी.

रानी द्वारा पति की हत्या का जुर्म कबूल करने के बाद थानाप्रभारी विनोद मिश्रा ने बबलू तथा उस के साथी लाखन को डकोर बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. दोनों कहीं फरार होने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे.

ये भी पढ़ें- मन का खोट

थाने में जब उन से प्रवीण की हत्या के संबंध में पूछा गया तो दोनों साफ मुकर गए. लेकिन जब थाने में उन का सामना रानी से कराया तो लाखन और बबलू का चेहरा लटक गया. फिर उन दोनों ने भी सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बरामद कर ली. वह उन्होंने कुल्हाड़ी एक सूखे कुएं में फेंक दी थी. उसी कुएं से पुलिस ने मृतक की चारपाई तथा खून सना बिस्तर भी बरामद कर लिया. यही नहीं, कातिलों ने वह ट्रैक्टर ट्रौली भी बरामद करा दी, जिस पर रख कर वह लाश, बिस्तर व चारपाई लाद कर ले गए थे.

हत्यारोपियों के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने उन के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. केस का खुलासा व अभियुक्तों को गिरफ्तार करने की जानकारी थानाप्रभारी ने एसपी स्वामी प्रसाद को दे दी थी.

एसपी ने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता कर के अभियुक्तों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. पुलिस पूछताछ में एक ऐसी औरत की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने जिस्म की भूख के लिए अपना सुहाग मिटा दिया.

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का एक बड़ा कस्बा उरई है. यहां बड़े पैमाने पर गल्ले का व्यापार होता है. जालौन में आवागमन के साधन कम होने से सभी सरकारी काम उरई में ही संपन्न होते हैं. यहां तक कि जिला न्यायालय भी उरई में ही है. अत: यहां हर रोज चहलपहल रहती है. इसी उरई कस्बे में स्टेशन रोड पर अरविंद कुमार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रामवती के अलावा 3 बेटियां थीं, जिस में रानी तीसरे नंबर की थी. अरविंद कुमार की स्टेशन रोड पर चाय की दुकान थी.

रानी अपनी अन्य बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी. उस का स्वभाव भी चंचल था. 20 साल की उम्र पार करते ही अरविंद कुमार ने रानी का विवाह जालौन के डकोर थाना क्षेत्र के गांव चिली निवासी बिंदा प्रसाद के बड़े बेटे प्रवीण कुमार के साथ कर दिया. प्रवीण कुमार पिता के साथ खेतीकिसानी करता था. उस का छोटा भाई नवीन पढ़ रहा था. घर में संपन्नता थी.

रानी जब अपनी ससुराल पहुंची तो उस का वहां मन नहीं लगा. क्योंकि वह शहर में पलीबढ़ी थी, इसलिए उसे गांव का माहौल पसंद नहीं आया. उस ने पति पर दबाव डाला कि वह गांव छोड़ कर शहर चले. वहां कोई नौकरी या व्यवसाय करे. लेकिन प्रवीण ने पत्नी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और शहर जाने से साफ मना कर दिया. उस के बाद रानी मन मार कर रह गई.

रानी गांव में रह तो गई लेकिन उस ने धीरेधीरे पति को अपनी अंगुलियों पर नचाना शुरू कर दिया था. प्रवीण रानी को खुश रखने के लिए हरसंभव प्रयास करता था लेकिन तुनकमिजाज रानी खुश नहीं रहती थी. कभी वह खर्चा न मिलने का रोना रोती तो कभी अपने भाग्य को कोसती.

समय बीतते परिवार का खर्च बढ़ा और खेती की उपज से दोनों भाइयों का गुजारा होना मुश्किल हो गया. घर में कलह शुरू हो गई. रानी वैसे भी सासससुर और देवर को पसंद नहीं करती थी. वह उन से झगड़ा करती रहती थी. अत: बिंदा प्रसाद ने दोनों बेटों का  बंटवारा कर दिया.

बंटवारे के बाद प्रवीण रानी के साथ अलग मकान में रहने लगा. अलग रहने पर रानी स्वच्छंद हो गई. जब उस का मन करता, मायके चली जाती और जब मन करता वापस आ जाती. उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था.

कालांतर में रानी 2 बच्चों एक बेटे और एक बेटी की मां बनी. बच्चों के बाद घर में खुशियां बढ़ गईं. वे दोनों बच्चों को बेहद प्यार करते थे और उन्हें खुश रखने का हर प्रयास करते थे. रानी खुद तो ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी लेकिन वह बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती थी.

ये भी पढ़ें- कुदरत को चुनौती: भाग 2

गांव में प्राथमिक शिक्षा के बाद रानी ने दोनों बच्चों को अपने मायके उरई भेज दिया. प्रवीण बच्चों को अपने से दूर नहीं भेजना चाहता था, लेकिन पत्नी के आगे उस की एक न चली. लिहाजा बच्चे ननिहाल में रह कर पढ़ने लगे.

प्रवीण की जैसेजैसे उम्र बढ़ती जा रही थी, वह पत्नी से दूर होता जा रहा था. अब वह पत्नी का उतना ध्यान नहीं रखता था, जिस से रानी के पैर देहरी लांघने के लिए उतारू हो गए.

क्रमश:

  —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

इन खास टिप्सों को अपनाकर बनाएं रिश्तों में ताजगी

शादी के कई साल बाद भी एकदूसरे की बातें, स्पर्श और शरारतें उत्साहित करती रहें और साथ गुजारे पल की खूबसूरत यादें व रोमांटिक पल बासी न होने पाएं, इस के लिए आप को इन्हें सहेजना होगा ताकि रिश्तों में मिठास बनी रहे.

आप की शादी के कुछ साल हो गए. अब आप दिन में कितनी बार एकदूसरे का हाथ थामते हैं? आंखों से कितनी बार एकदूसरे को मौन निमंत्रण देते हैं? कितनी बार एकदूसरे को गले लगाते हैं? अगर आप का जवाब नकारात्मक है, तो संभल जाएं क्योंकि यह आप के रिश्तों की मिठास को कड़वाहट में बदलने की शुरुआत है. वैसे घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि रिश्तों की ताजगी कहीं जाती नहीं. बस, भीड़ भरे रास्तों पर गुम हो जाती है. इसे ढूंढ़ने के लिए यहां दी गई बातों पर अमल करेंगे, तो बदलाव खुद ब खुद महसूस करेंगे.

ये भी पढ़ें- 9 टिप्स : ऐसे बनाएं बच्चों को हेल्दी और एक्टिव

करें कुछ नया

कहा जाता है कि प्यार एक एहसास है, लेकिन सच तो यह है कि शादी के बाद प्यार सिर्फ एक एहसास नहीं होता. बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में जिन बातों को अपनाने से हमारे जीवनसाथी को खुशी, संतुष्टि, नयापन मिलता हो, वही प्यार है. पति को गिफ्ट देना, मदद करना, लैटर लिखना आम बातें हैं. अब यह परिपाटी बहुत पुरानी हो चुकी है.

आप कुछ ऐसा अलग हट कर करें, जिस में नयापन हो. जैसे, विशेष अवसरों पर अपने पति को गिफ्ट तो सभी देते हैं, लेकिन शौपिंग कांपलैक्स में जब आप उन की पसंद की चीज उन्हें रोमांटिक अंदाज में देंगी, तो उपहार का मजा दोगुना हो जाएगा.

बीती बातों को याद करें

रोजरोज की जाने वाली एक जैसी बातों से अकसर बोरियत होने लगती है. ऐसे में कुछ अलग हट कर करें. जैसे, अगर आप की लव मैरिज है तो पति से सवाल करें कि अगर घर वाले आसानी से शादी के लिए न माने होते, तो? अगर हमारी शादी न हुई होती, तब तुम क्या करते? क्या तुम मेरे बिना रह पाते? ऐसे सवाल करने पर वे सोच में पड़ जाएंगे, पर बातों के जवाब अच्छे मिलेंगे, जो आप की बातचीत को एक नयापन देंगे. इसी तरह दोनों एकदूसरे को अपने कुछ अच्छे पलों को याद दिलाएं. यदि आप दोनों कामकाजी हैं, तो दफ्तर में फुरसत पाते ही मौका ढूंढ़ कर एकदूसरे को फोन करें. वह भी उसी शिद्दत के साथ, जैसे शादी के शुरुआती दिनों में आप किया करते थे.

हमेशा की तरह फाइव स्टार होटल में कैंडल लाइट डिनर करने के बजाय किसी छोटे से पुराने रेस्तरां में सरप्राइज डिनर पर जाएं, जहां आप शादी से पहले भी जाया करते थे. आप दोनों कालेज के उन पुराने दोस्तों को बुला कर, जिन्होंने आप का हर पल साथ दिया हो, छोटी सी पार्टी दें. ऐसा करने से आप की पुरानी यादें ताजा होंगी. कभीकभी पति के लिए भी तैयार हो जाएं. यकीन मानिए, वे खुश हो जाएंगे आप का यह रूप देख कर.

छेड़छाड़ का सहारा लें

इस के साथ ही आप छोटीमोटी चुहलबाजी और छेड़खानी करना शुरू कर दें. पति से फ्लर्ट करने पर जो मजा आएगा, वह कभी कालेज में लड़कों को छेड़ने पर भी नहीं आया होगा. पति को कोई अजनबी लड़का समझ छेड़ें और परेशान करें. कभी उन के औफिस बैग में बेनाम लव लैटर और कार्ड रख दें, तो कभी एक दिन में कई बार उन के फोन पर अननोन नंबर से मिस्ड कौल दें. फिर देखिएगा, यह पता लगते ही कि यह शरारत करने वाली आप थीं, वे कैसे आप से मिलने के लिए बेचैन हो उठते हैं.

सजना के लिए सजना

पार्टी या शादी में जाने के लिए तो सभी सजते हैं, लेकिन क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप अपने पति के लिए तैयार हुई हों. इसे बेकार की झंझट मत समझिए. जब आप बिना किसी मौके के उन के मनपसंद रंग में सज कर उन के पास जाएंगी, जो सिर्फ उन के लिए होगा, तो यकीनन उन की नजरें आप पर से हटेंगी नहीं.

ये भी पढ़ें- जानें ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के साईड इफैक्ट्स

इन्हें नजरअंदाज न करें

– वे जोड़े ज्यादा खुश रहते हैं, जो शाम को अपनी शिकायतों का पिटारा नहीं खोलते. शिकायत करने पर पतिपत्नी एकदूसरे से बचने के बहाने ढूंढ़ने लगते हैं.

– वे पतिपत्नी ज्यादा खुश रहते हैं जिन का कम से कम एक शौक आपस में मिलता हो. ऐसी रुचियां उन्हें आपस में बांधे रखती हैं तथा रिश्तों में प्रगाढ़ता लाती हैं.

– कुछ शब्दों को बारबार कहना और सुनना अच्छा लगता है. जैसे, ‘आई लव यू’, ‘आई एम औलवेज विद यू’ आदि. इस से पार्टनर को एहसास होता है कि आप कितने लविंग और केयरिंग हैं.

– कुछ शारीरिक स्पर्श ऐसे होते हैं, जो पार्टनर को आप की भावना समझने में मदद करते हैं. जैसे, जातेजाते कंधा टकराते जाना, पार्टनर का हाथ दबाना या छू लेना और खाना खाते समय टेबल के नीचे से पैरों का स्पर्श या हाथ पकड़ लेना.

इस दिशा में बहती है यह नदी

देश की अधिकतर नदियां एक ही दिशा में बहती हैं. यह दिशा है पश्चिम से पूर्व. सारी नदियों का बहाव पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर ही है. पर क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसी भी नदी  है, जो पश्चिम से पूर्व नही बहती है.  आपको बता दें, यह नदी पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर बहती है. विपरीत दिशा में बहने वाली उस नदी का नाम है नर्मदा.

नर्मदा नदी का एक अन्य नाम रेवा भी है.गंगा सहित अन्य नदियां जहां पश्चिम से पूर्व की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं, वहीं नर्मदा नदी बंगाल की खाड़ी की बजाय अरब सागर में जाकर मिलती है.

ये भी पढ़ें- एक डौक्‍टर जो भिखारियों का करता है मुफ्त इलाज

नर्मदा नदी भारत के मध्य भाग में पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली मध्य प्रदेश और गुजरात की एक मुख्य नदी है, जो मैखल पर्वत के अमरकंटक शिखर से निकलती है. इस नदी के उल्टा बहने का भौगोलिक कारण इसका रिफ्ट वैली में होना है, जिसकी ढाल विपरीत दिशा में होती है. इसलिए इस नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर है.

ये भी पढ़ें- दुनिया का सबसे बुजुर्ग मगरमच्छ

वो लौट कर आएगा : भाग 2

नीलमणि तब ग्रेजुएशन के द्वितीय वर्ष में थी. पढ़ाई में तो तेज थी ही, सुन्दरता में भी किसी रूपसी राजकुमारी से कम नहीं लगती थी. गोरी रंगत, लम्बे रेशमी बाल, ऊंचा कद, छरहरा बदन और सबसे खूबसूरत थीं उसकी आंखें. उसकी नीली-हरी आंखों के कारण ही मां-बाप ने उसका नाम नीलमणि रखा था. विजय सिंह और उनकी पत्नी शारदा की इकलौती संतान थी नीलमणि. पूरे लाड-प्यार में पली बच्ची. गांव में विजय सिंह के पास काफी खेतीबाड़ी थी. बड़ा नाम-सम्मान भी था. चाहते तो ठाठ से गांव वाली हवेली में रहते, मगर बीए की डिग्री प्राप्त विजय सिंह को जब इलाहाबाद की एक इन्शोरेंस कम्पनी से नौकरी का ऑफर आया तो गांव वाली जमीनें और हवेली छोटे भाई के हवाले कर पत्नी सहित इलाहाबाद चले आये. यहां उन्होंने चार कमरों का बड़ा मकान ले लिया. दोनों पति-पत्नी आराम से रहने लगे. पैसे की तंगी कभी रही नहीं, मगर एक कमी थी जो दूर नहीं हो रही थी. उनके घर का आंगन बच्चे की किलकारी के बिना सूना-सूना सा था.

आखिर शादी के बारह बरस बाद जब बड़ी मिन्नत-आरजू और दवा-दारू के बाद विजय सिंह और शारदा को नीलमणि के रूप में कन्या-रत्न की प्राप्ति हुई तो दोनों की खुशियों का तो जैसे कोई ठिकाना ही न रहा. पूरे मोहल्ले में देसी घी की मिठाईयां बंटवायीं गयीं. खूब गाना-बजाना हुआ. किन्नरों की टोलियों को मुट्ठी भर-भर के रुपये बांटे थे विजय सिंह ने और खूब दुआएं ली थीं. उनके घर में तो जैसे साक्षात लक्ष्मी आयी थी. इतनी सुन्दर कन्या पाकर विजय सिंह निहाल हुए जाते थे. दूध सी गोरी, रेशम सी कोमल और नीलम सी नीली-नीली आंखों वाली बच्ची को देखते ही उन्होंने उसका नाम नीलमणि रख दिया था. विजय और शारदा के दिन-रात अपनी बच्ची को पालने-पोसने में गुजरने लगे. नीलमणि को प्यार से घर में सब नीलू कहकर पुकारते थे. नीलू पापा की बड़ी दुलारी थी. उसकी अच्छी-बुुरी, सही-गलत सारी मांगें वह हंस-हंसकर पूरी करते थे. अपनी लाडली बेटी की आंखों में आंसू का एक कतरा भी विजय सिंह बर्दाश्त नहीं कर पाते थे. उनकी बड़ी इच्छा थी कि वह अपनी बेटी को खूब पढ़ाएं और किसी डॉक्टर या इंजीनियर से उसका ब्याह कराएं. नीलमणि पढ़ाई में बहुत अच्छी थी. हर कक्षा में अव्वल. हाईस्कूल और इंटरमीडियट की परीक्षाएं भी उसने बहुत अच्छे अंकों में पास कीं. कॉलेज में आने के बाद जहां उसकी सहेलियां फैशनपरस्ती की चपेट में आकर पढ़ाई में पिछड़ रही थीं, वहीं नीलमणि पर कॉलेज के खुले-खुले वातावरण का कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ा था. पढ़ाई के प्रति उसका जुनून पहले जैसा ही था, बस जरा अंग्रेजी विषय में उसे थोड़ी परेशानी थी. अंग्रेजी के बड़े साहित्यकारों के लेख, कविताएं और कहानियां समझने में थोड़ी परेशानी होती थी, पर उसने भी जिद पकड़ ली थी कि ग्रेजुएशन की पढ़ाई वह अंग्रेजी विषय लेकर ही करेगी.

उन्हीं दिनों की बात है जब एक दिन शरद किराये का कमरा ढूंढते-ढूंढते उसके घर आया था. मोहल्ले में किसी ने उसको बताया था कि विजय सिंह के मकान में ऊपर वाला कमरा खाली पड़ा है. किराया भी कम है. सो शरद पूछते हुए चला आया था. लम्बी देह, गोरी रंगत, गोल चेहरे पर पतली-पतली मूंछें, कुल मिलाकर एक कड़ियल नौजवान था. पूरा नाम था – शरद सिंह चौहान. रामपुर से आया था. इलाहाबाद की एक प्राइवेट फर्म में सेल्स मैनेजर के पद पर नियुक्ति मिली थी. अकेला था. दो साल पहले मां-बाप की एक ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गयी थी. रामपुर में मां-बाप की यादें जीने नहीं देती थीं, तो अपना शहर छोड़ कर यहां नौकरी तलाश ली थी. उसके मुख से उसकी यह करुण कथा सुनकर विजय सिंह का हृदय पसीज गया. उन्होंने अपनी पत्नी शारदा से ऊपर वाले कमरे की चाबी मंगवा कर उसके हाथ पर रख दी. पहले एक परिवार उस कमरे में किराये पर रहता था. उनके जाने के बाद से ही वह कमरा खाली पड़ा था. थोड़ी झाड़पोछ की जरूरत थी, जिसके लिए उन्होंने शारदा को बोल दिया था. विजय सिंह को शरद बहुत ही संस्कारी और सलीकेदार लड़का लगा था. फिर उसकी नौकरी भी अच्छी थी. मैनेजर के पद पर कार्यरत था. लम्बे समय तक इलाहाबाद में रहने वाला था. उसने किराये में भी किसी तरह की कटौती की बात नहीं की थी, वरना किरायेदार तो किराया सुनते ही मोलभाव करने लगते हैं. विजय सिंह के मन में भी लालच था, उनका भी रिटायरमेंट करीब था, चलो इसी बहाने किराये के दस हजार रुपये हर महीने मिलते रहेंगे, फिर अपनी ही जात-धर्म का लड़का है, पढ़ा-लिखा और बातचीत में सभ्य-सुशील है. शरद के पास ज्यादा सामान भी नहीं था. एक बैग और एक बड़ा सूटकेस ही था. दस हजार किराया और दस हजार रुपये सिक्योरिटी के देकर उसने चाबी ले ली.

शाम को नीलू कौलेज से लौटी तो आंगन में पिता के साथ बैठे आगन्तुक को देखकर सकुचा गयी. शरद को धीरे से नमस्ते करके वह अपने कमरे की तरफ मुड़ी ही थी कि पिता ने उसको रोक कर शरद से उसका परिचय करवाया. नीलमणि को पहली ही नजर में शरद की पर्सनैलिटी भा गयी थी. उसके चेहरे की मासूमियत और झुकी-झुकी नजरें उसे बहुत भली लगी थी. वरना कॉलेज में तो नीलू को देखकर लड़के अपनी पलकें झपकाना भूल जाते थे. मां से नीलू को पता चला कि शरद ऊपर वाले कमरे में रहेगा. वह कमरा नीलू के कमरे के ठीक ऊपर था और सीढ़ियां उसके कमरे के बगल से होकर जाती थीं.

चार-पांच दिन तक तो शरद के चाय-खाने का इंतजाम नीलू की मां ने ही किया, फिर शरद ने पास के होटल से अपने खाने का बंदोबस्त कर लिया. हां, सुबह की चाय जरूर कभी नीलू की मां तो कभी नीलू उसके कमरे में पहुंचा जाती थीं. नीलू और शरद के बीच काफी समय तक सकुचाहट बनी रही थी. सुबह-सुबह नीलू शरमाई-शरमाई सी उसके कमरे के दरवाजे पर आकर प्याला पकड़ा जाती थी और वह भी नजरें नीचे किये चुपचाप प्याला उसके हाथ से ले लेता था. दोनों के बीच बस हां… हूं… तक ही बात सीमित थी. सुबह का वक्त ही दोनों का आमना-सामना होता था. विजय सिंह के घर में नीचे के आंगन के कोने में ही टायलेट-बाथरूम बना हुआ था. सुबह नीलू को भी कौलेज जाने की जल्दी होती थी और विजय सिंह और शरद को भी निकलना होता था. शुरू के दिनों में जब शरद तौलिया कंधे पर डाले बाथरूम की ओर आता तो पता चलता कि नीलू अन्दर है, कभी नीलू को जल्दी होती तो शरद अन्दर नहा रहा होता. कभी-कभी विजय सिंह भी बाथरूम के आगे लेफ्ट-राइट करते नजर आते, मगर धीरे-धीरे सब एडजस्ट हो गया. नीलू सुबह जल्दी उठने लगी. सात बजे से पहले ही वह नित्यक्रम निपटा कर बाथरूम खाली कर देती थी. इससे विजय सिंह और शरद दोनों को आसानी हो गयी. नीलू के जल्दी उठने से उसकी मां को भी किचेन में थोड़ी मदद मिलने लगी. एक बाहरी व्यक्ति के आ जाने से घर में कुछ-कुछ दूसरे बदलाव भी शुरू हो गये थे. नीलू कॉलेज से लौट कर पूरे घर को थोड़ा टाइडी कर देती थी. सारी चीजें अब जगह पर नजर आती थीं. किसी चीज पर धूल का कण भी नहीं दिखता था. कपड़े-तौलिये पहले आंगन में कपड़े सुखाने की रस्सी पर ही लटके रहते थे, मगर अब नीलू घर आते ही सारे कपड़े तह करके अलमारी में रख देती थी. खाने की मेज पर रखा गुलदान भी अब हमेशा ताजे फूलों से सजा रहता था. नीलू लौटते समय कुछ फूल पार्क से तोड़ लाती थी. नीलू अपना कमरा भी खूब साफ-सुथरा और सजा कर रखने लगी थी. दरअसल शरद के कमरे में जाने के लिए सीढ़ियां नीलू के कमरे के बगल से ही जाती थीं और उसके साथ लगी बड़ी सी खिड़की से नीलू के कमरे का पूरा दृश्य साफ दिखता था. नीलू नहीं चाहती थी कि शरद उसके कमरे को कभी गंदा पड़ा देखे. इसलिए वह हर चीज करीने से सजा कर रखने लगी थी. साफ और सुन्दर-चटक रंगों वाली बेडशीट बिस्तर पर डालने लगी थी. यह बदलाव इस बात का संकेत थे कि नीलू शरद की पर्सनेलिटी से प्रभावित थी.

एक डाली के तीन फूल : भाग 2

‘‘मीना, जिस तरीके से हम दीवाली मनाते हैं उसे दीवाली मनाना नहीं कहते. सब में हम अपने इन रीतिरिवाजों के मामले में इतने संकीर्ण होते जा रहे हैं कि दीवाली जैसे जगमगाते, हर्षोल्लास के त्योहार को भी एकदम बो िझल बना दिया है. न पहले की तरह घरों में पकवानों की तैयारियां होती हैं, न घर की साजसज्जा और न ही नातेरिश्तेदारों से कोई मेलमिलाप. दीवाली से एक दिन पहले तुम थके स्वर में कहती हो, ‘कल दीवाली है, जाओ, मिठाई ले आओ.’ मैं यंत्रवत हलवाई की दुकान से आधा किलो मिठाई ले आता हूं. दीवाली के रोज हम घर के बाहर बिजली के कुछ बल्ब लटका देते हैं. बच्चे हैं कि दीवाली के दिन भी टेलीविजन व इंटरनैट के आगे से हटना पसंद नहीं करते हैं.’’

थोड़ी देर रुक कर मैं ने मीना से कहा, ‘‘वैसे तो कभी हम भाइयों को एकसाथ रहने का मौका मिलता नहीं, त्योहार के बहाने ही सही, हम कुछ दिन एक साथ एक छत के नीचे तो रहेंगे.’’ मेरा स्वर एकदम से आग्रहपूर्ण हो गया, ‘‘मीना, इस बार भाई साहब के पास चलो दीवाली मनाने. देखना, सब इकट्ठे होंगे तो दीवाली का आनंद चौगुना हो जाएगा.’’

मीना भाई साहब के यहां दीवाली मनाने के लिए तैयार हो गई. मैं, मीना, कनक व कुशाग्र धनतेरस वाले दिन देहरादून भाईर् साहब के बंगले पर पहुंच गए. हम सुबह पहुंचे. शाम को गोपाल पहुंच गया अपने परिवार के साथ.

मुझे व गोपाल को अपनेअपने परिवारों सहित देख भाई साहब गद्गद हो गए. गर्वित होते हुए पत्नी से बोले, ‘‘देखो, मेरे दोनों भाई आ गए. तुम मुंह बनाते हुए कहती थीं न कि मैं इन्हें बेकार ही आमंत्रित कर रहा हूं, ये नहीं आएंगे.’’

‘‘तो क्या गलत कहती थी. इस से पहले क्या कभी आए हमारे पास कोई उत्सव, त्योहार मनाने,’’ भाभीजी तुनक कर बोलीं.

‘‘भाभीजी, आप ने इस से पहले कभी बुलाया ही नहीं,’’ गोपाल ने  झट से कहा. सब खिलखिला पड़े.

25 साल के बाद तीनों भाई अपने परिवार सहित एक छत के नीचे दीवाली मनाने इकट्ठे हुए थे. एक सुखद अनुभूति थी. सिर्फ हंसीठिठोली थी. वातावरण में कहकहों व ठहाकों की गूंज थी. भाभीजी, मीना व गोपाल की पत्नी के बीच बातों का वह लंबा सिलसिला शुरू हो गया था, जिस में विराम का कोई भी चिह्न नहीं था. बच्चों के उम्र के अनुरूप अपने अलग गुट बन गए थे. कुशाग्र अपनी पौकेट डायरी में सभी बच्चों से पूछपूछ कर उन के नाम, पते, टैलीफोन नंबर व उन की जन्मतिथि लिख रहा था.

सब से अधिक हैरत मु झे कनक को देख कर हो रही थी. जिस कनक को मु झे मुंबई में अपने पापा के बड़े भाई को इज्जत देने की सीख देनी पड़ रही थी, वह यहां भाई साहब को एक मिनट भी नहीं छोड़ रही थी. उन की पूरी सेवाटहल कर रही थी. कभी वह भाईर् साहब को चाय बना कर पिला रही थी तो कभी उन्हें फल काट कर खिला रही थी. कभी वह भाई साहब की बांह थाम कर खड़ी हो जाती तो कभी उन के कंधों से  झूल जाया करती. भाई साहब मु झ से बोले, ‘‘श्याम, कनक को तो तू मेरे पास ही छोड़ दे. लड़कियां बड़ी स्नेही होती हैं.’’

भाई साहब के इस कथन से मु झे पहली बार ध्यान आया कि भाई साहब की कोई लड़की नहीं है. केवल 2 लड़के ही हैं. मैं खामोश रहा, लेकिन भीतर ही भीतर मैं स्वयं से बोलने लगा, ‘यदि हमारे बच्चे अपने रिश्तों को नहीं पहचानते तो इस में उन से अधिक हम बड़ों का दोष है. कनक वास्तव में नहीं जानती थी कि पापा के बिग ब्रदर को ताऊजी कहा जाता है. जानती भी कैसे, इस से पहले सिर्फ 1-2 बार दूर से उस ने अपने ताऊजी को देखा भर ही था. ताऊजी के स्नेह का हाथ कभी उस के सिर पर नहीं पड़ा था. ये रिश्ते बताए नहीं जाते हैं, एहसास करवाए जाते हैं.’’

दीवाली की संध्या आ गई. भाभीजी, मीना व गोपाल की पत्नी ने विशेष पकवान व विविध व्यंजन बनाए. मैं ने, भाई साहब व गोपाल के घर को सजाने की जिम्मेदारी ली. हम ने छत की मुंडेरों, आंगन की दीवारों, कमरों की सीढि़यों व चौखटों को चिरागों से सजा दिया. बच्चे किस्मकिस्म के पटाखे फोड़ने लगे. फुल झड़ी, अनार, चक्कर घिन्नियों की चिनगारियां उधरउधर तेजी से बिखरने लगीं. बिखरती चिनगारियों से अपने नंगे पैरों को बचाते हुए भाभीजी मिठाई का थाल पकड़े मेरे पास आईं और एक पेड़ा मेरे मुंह में डाल दिया. इस दृश्य को देख भाई साहब व गोपाल मुसकरा पड़े. मीना व गोपाल की पत्नी ताली पीटने लगीं, बच्चे खुश हो कर तरहतरह की आवाजें निकालने लगे.

कुशाग्र मीना से कहने लगा, ‘‘मम्मी, मुंबई में हम अकेले दीवाली मनाते थे तो हमें इस का पता नहीं चलता था. यहां आ कर पता चला कि इस में तो बहुत मजा है.’’

‘‘मजा आ रहा है न दीवाली मनाने में. अगले साल सब हमारे घर मुंबई आएंगे दीवाली मनाने,’’ मीना ने चहकते हुए कहा.

‘‘और उस के अगले साल बेंगलुरु, हमारे यहां,’’ गोपाल की पत्नी तुरंत बोली.

‘‘हां, श्याम और गोपाल, अब से हम बारीबारी से हर एक के घर दीवाली साथ मनाएंगे. तुम्हें याद है, मां ने भी हमें यही प्रतिज्ञा करवाई थी,’’ भाई साहब हमारे करीब आ कर हम दोनों के कंधों पर हाथ रख कर बोले.

हम दोनों ने सहमति में अपनी गर्दन हिलाई. इतने में मेरी नजर छत की ओर जाती सीढि़यों पर बैठी भाभीजी पर पड़ी, जो मिठाइयों से भरा थाल हाथ में थामे मंत्रमुग्ध हम सभी को देख रही थीं. सहसा मु झे भाभीजी की आकृति में मां की छवि नजर आने लगी, जो हम से कह रही थी, ‘तुम एक डाली के 3 फूल हो.’

फेस्टिवल स्पेशल: घर पर बनाएं क्रिस्पी भुट्टे के पकौड़े

भुट्टे के पकौड़े काफी करारे और स्वादिष्ट होते हैं. भुट्टे को कद्दूकस कर के पकौड़े बनाएं जाते है. जब भी आपको कुछ अलग खाने का मन हो तो आप शाम के नाश्ते में भुट्टे के पकौड़े बना सकती हैं. तो आपको झटपट बताते हैं भुट्टे के पकौड़े की बनाने की विधि.

सामग्री

कौर्न फ्लोर (2-3 टेबल स्पून)

हरा धनिया (2-3 टेबल स्पून बारीक कटा हुआ)

अदरक  (1 चम्मच पेस्ट)

हरी मिर्च (2 बारीक कटी हुई)

कश्‍मीरी दम आलू की रेसिपी

धनिया पाउडर ( 1छोटी चम्मच)

नरम भुट्टे (4)

लाल मिर्च पाउडर (1 छोटी चम्मच)

नमक (स्वादानुसार)

तेल (तलने के लिए)

ये भी पढ़ें- डिनर में बनाएं ये टेस्टी सब्जी

बनाने की विधि

सबसे पहले भुट्टों को कद्दूकस कर लें और कद्दूकस करके पल्प निकाल लीजिए.

पल्प को प्याले में निकाल लें, इसमें कौर्न फ्लोर डालकर मिक्स कर दीजिए.

फिर, इसमें धनिया पाउडर, अदरक का पेस्ट, बारीक कटी हुई हरी मिर्च, लाल मिर्च, नमक और थोड़ा सा बारीक कटा हुआ हरा धनिया डाल दें.

सभी सामग्रियों को अच्छे से मिला लें.

कढा़ई में तेल डालकर गरम कीजिए और जब तेल गरम हो जाय तो उसमें से थोडा़-थोडा़ मिश्रण चम्मच से लेकर डाल दें.

जितने पकौड़े एक बार में कढा़ई में आ जाएं उतने पकौड़े डाल कर तल लीजिए.

पकौड़ों को पलट-पलट कर गोल्डन ब्राउन होने तक तल लें.

ये भी पढ़ें- ब्रेकफास्ट में झटपट बनाएं हेल्दी और टेस्टी पोहा

गोल्डन ब्राउन होने के बाद पकौड़ों को किसी प्लेट में बिछे नेपकिन पेपर पर निकाल लें, इसी तरह से बाकी पकौड़े भी तल लें.

इन पकौड़ों को आप हरे धनिये की चटनी के साथ परोसें.

posted by- Saloni

मेकअप व हेयरस्टाइल से पा सकती हैं सैक्सी लुक

कई बार ऐसा होता है कि आप पार्टी में लेटैस्ट फैशन की ड्रैस पहन कर जाती हैं. मैचिंग ज्वैलरी व ऐक्सैसरीज भी कैरी करती हैं, लेकिन फिर भी लोग आप की तारीफ करने के बजाय आप की फ्रैंड की तारीफ करते हैं जिस की वजह से आप का मूड खराब हो जाता है और आप ऐंजौय नहीं कर पातीं.

लेकिन क्या आप ने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है. लोग क्यों आप की फ्रैंड की तारीफ करते हैं? दरअसल, अलग व खास दिखने के लिए सिर्फ ड्रैस ही काफी नहीं होती बल्कि आप का मेकअप व हेयरस्टाइल भी जरूरी है. इन का परफैक्ट कौंबिनेशन ही लोगों का ध्यान आकर्षित करता है और सब तारीफ करते नहीं थकते.

अगर आप पार्टी में सैल्फी क्वीन के साथसाथ ब्यूटी क्वीन भी बनना चाहती हैं तो मेकअप ऐक्सपर्ट कपिल बंसल द्वारा बताए गए निम्न मेकअप टिप्स फौलो करें :

फेस मेकअप

मेकअप लगाने से पहले चेहरा वैट टिशू से क्लीन करें. इस के बाद चेहरे पर कंसीलर लगाएं, कंसीलर आप ब्रश और हाथ से भी लगा सकती हैं. यदि चेहरे पर डार्क सर्कल व दागधब्बे हैं तो कंसीलर हाथ से ही लगाएं. इस से ये सही से कवर हो जाते हैं.

कंसीलर के बाद चेहरे पर बेस लगाएं. बेस लगाते समय कभी भी चेहरे की मसाज न करें. इस से चेहरे पर पैचेज आते हैं, इसलिए मसाज के बजाय टैब कर के मिक्स करें. अब चेहरे पर मेकअप स्टूडियो का लूज पाउडर लगाएं. इस से 15-20 मिनट में चेहरे पर ग्लो आ जाता है. पर एक बात का ध्यान रखें, लूज पाउडर सिर्फ गरमियों में लगाएं, सर्दियों में लगाने पर पैचेज आते हैं.

ये भी पढ़ें- क्या घर की इन चीजों को आप भी करते हैं नजरअंदाज ?

स्मोकी आई मेकअप

पार्टी लुक हो या कैजुअल लुक, स्मोकी आई मेकअप कभी भी किया जा सकता है. स्मोकी आई के लिए सब से पहले आंखों पर गोल्डन आई बेस लगाएं. फिर ब्राउन व रैड शैडो लगाएं. इस के बाद ब्लैक लाइनर लगाएं, लाइनर पतला नहीं बल्कि मोटा लगाएं तभी आंखों पर स्मोकी इफैक्ट आएगा. ब्लैक लाइनर के बाद ब्लैक शैडो लगा कर स्मज करें. वैसे तो स्मोकी आई मेकअप ज्यादातर ब्लैक और ग्रे टोन में ही किया जाता है, लेकिन फिर भी अगर किसी और कलर से स्मोकी लुक देना चाहती हैं तो दे सकती हैं.

आप ब्लैक के साथ अन्य डार्क कलर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन एक बात का ध्यान रहे, डार्क कलर में उसी कलर का चुनाव करें जो कलर आप की ड्रैस में हो वरना मेकअप काफी अटपटा लगेगा. इस के बाद आईब्रो डिफाइन करें. आईब्रो डिफाइन करने के लिए कभी भी ब्लैक शैडो का इस्तेमाल न करें. इस से आईब्रो ज्यादा हाइलाइट हो जाती हैं और नैचुरल नहीं दिखतीं. इसलिए ब्लैक की जगह डार्कब्राउन शेड का इस्तेमाल करें. आईब्रो डिफाइन करने के बाद आंखों पर काजल लगाएं.

काजल लगाते समय अगर आंखों में पानी आ जाए तो कपड़े से पोंछने के बजाय किनारों पर इयर बड लगाएं, यह पानी सोख लेता है और काजल फैलने नहीं देता. काजल थोड़ा सा बाहर निकाल कर लगाएं. काजल लगाने के बाद आंखों के नीचे ब्राउन आईशैडो लगाएं.

अब स्मोकी लुक को फाइनल टच देने के लिए पलकों पर मसकारा लगाना न भूलें.

फेस कंटूरिंग

कंटूरिंग का साधारण मतलब है मेकअप से चेहरे के फीचर्स को उभारना, जिस से फीचर्स शार्प नजर आएं. कंटूरिंग के लिए हमेशा अपनी स्किन टोन से 2 शेड डार्क इस्तेमाल करें. नाक की कंटूरिंग के लिए पहले दोनों तरफ डार्क शेड लगाएं और बीच में लाइट शेड लगा कर मर्ज करें. नाक के अलावा जौ लाइन व चिन की भी कंटूरिंग करें. इस से आप के फेस की शेप परफैक्ट लगेगी.

चिक्स मेकअप

चिक्स ब्लशर से उभारें. इस के लिए पीच, पिंक व बेज शेड का ब्लशर लगाएं. ध्यान रहे इसे नीचे तक न फैलाएं. ऐसा करने से चेहरा अजीब लगता है और पैचेज नजर आते हैं. ब्लशर आप जितना सौफ्ट तरीके से लगाएंगी वह उतना ही नैचुरल दिखेगा.

लिप मेकअप

अंत में लिपस्टिक लगाएं. लिपस्टिक लगाते समय अकसर हम सब एक गलती करते हैं आप भी वही गलती न करें. हम सोचते हैं कि डार्क लिपस्टिक में हम ज्यादा खूबसूरत लगेंगे पर अगर आप ने आंखों पर डार्क कलर का शैडो लगाया है तो लिपस्टिक न्यूड शेड की लगाएं.

पार्टी के लिए डिफरैंट हेयरस्टाइल

–       सब से पहले इयर टू इयर पार्टिशन करें. फिर हर सैक्शन में अच्छी तरह से कंघी करें. इस के बाद पीछे के सैक्शन को भी 2 भागों में बांटें. अब छोटेछोटे सैक्शन ले कर टौंग मशीन से कर्ल कर के क्लिप लगाएं. जब बालों में कर्ल बन जाए तब क्लिप निकाल कर सारे कर्ल को फैला लें. अब आगे से हाफ बालों को ले कर क्लिप लगा लें और नीचे के बालों में रबड़ बैंड लगा कर पोनी टेल बनाएं. इस के बाद पोनी के अंदर बन लगा कर पिन से अच्छी तरह से सैट करें. फिर फ्रंट के बालों में इयर टू इयर पार्टिशन करें और सैंटर के बालों को फोल्ड कर के पिन लगाएं.

इस के बाद पोनी के ऊपर के बालों को ट्विस्ट कर के पोनी के पास पिनअप करें. आगे के बालों के साथ भी ऐसा ही करें. अब आगे के बालों को थोड़ा मैसी लुक देने के लिए हेयर स्प्रे करें और हेयर ऐक्सैसरीज से सजाएं.

–       हेयरस्टाइल बनाने से पहले बालों में अच्छी तरह कंघी कर लें ताकि बाल उलझें नहीं. अब इयर टू इयर पार्टिशन करें. फिर पीछे के सैक्शन से थोड़े से बाल निकाल लें और क्राउन एरिया पर ट्विस्ट कर के पिन लगा लें. अब नीचे के बालों को बैक कौमिंग कर के पफ बनाएं और पिन से सैट करें, अब आगे के बालों में छोटेछोटे सैक्शन ले कर ट्विस्ट ऐंड टर्न करें. फिर हलकाहलका खींचें और पीछे की तरफ पिन लगाएं. ऐसा करने के बाद पीछे के बालों से छोटेछोटे सैक्शन ले कर टौंग मशीन से कर्ल करें. फिर राउंड डोनट इन कर्ल के अंदर डाल कर अच्छी तरह से पिन से सैट करें ताकि डोनट फिक्स हो जाए. अब इस में से छोटेछोटे सैक्शन ले कर हलकाहलका घुमाएं और पफ के पास ला कर पिन लगाएं.

–       सब से पहले इयर टू इयर पार्टिशन करें फिर छोटेछोटे सैक्शन ले कर बैक कौमिंग करें. जब सारे बालों में बैक कौमिंग हो जाए तब हेयर स्प्रे करें और हलके हाथों से कंघी कर लें.

ये भी पढ़ें- सर्दियों में इन 4 नेचुरल तरीकों से रखें घर को गर्म

अब 2 पिन ले कर रबड़ के बीच में लगाएं. इस के बाद सारे बालों को ले कर पोनीटेल बनाएं और पिन लगे हुए रबड़ से टक करें. अब 4 जूड़ा नैट लें. फिर एक पिन में इन चारों नैट को लगा लें और पोनी के बीच में फिक्स करें. ध्यान रहे पिन को इस तरह से लगाएं कि पिन पोनी के बीच में लगे. इस के बाद चोटी को 4 पार्ट में डिवाइड करें. अब हर पार्ट से छोटेछोटे सैक्शन ले कर बैक कौमिंग करें. फिर ऊपर से हलकाहलका स्मूद कर लें और पिन में लगे एक नैट से बालों को कवर करें. अब बाकी के सैक्शन में भी ऐसा ही करें. जूड़ा नैट को नीचे से पिन से टक कर लें ताकि वह हिले नहीं. अंत में ऐक्सैसरीज से सजाएं.

–       छोटे बालों में हेयरस्टाइल बनाने के लिए इयर टू इयर पार्टिशन करें. फिर पीछे के बालों को ले कर पोनी बना लें. अब फ्रंट से बालों को ले कर बैक कौमिंग करें और ऊपर से फ्लैट कर के पोनी के पास पिन लगाएं. अब क्राउन एरिया से बालों को ले कर बैक कौमिंग करें, स्टफिंग लगा कर रोल कर के पिन से सैट करें. इस के बाद पोनी में डोनट लगा कर बालों से डोनट को कवर करें.

नेपाल की बारिश से भारत बेहाल पर क्यों?

कुदरत के साथ खेलना हंसीखेल नहीं है, यह बात किसी नेता को समझ में आई हो या न, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के जेहन में जरूर घर कर गई होगी. जाते मानसून ने इस बार देश के कई राज्यों का खेल बिगाड़ दिया था. बिहार उन में से एक था. लगातार बरसते पानी ने राजधानी पटना को भी लील लिया था.

दरअसल, ऊंचे पहाड़ों पर बसे खूबसूरत नेपाल में बारिश के मौसम में वहां की नदियां जब उफनती हुई तराई में भारत की तरफ बढ़ती हैं तो अपने साथ विनाश भी लाती हैं. लेकिन यह इस मुसीबत का एक ही पहलू है. जानमाल को उजाड़ती, घरों को लीलती, संचार के साधनों को ठप करती ये नदियां उतनी भयावह नहीं होतीं जितनी इंसान की लापरवाही उन्हें बना देती है.

नेपाल के सरकारी महकमे की मानें तो भारत की तरफ से बनाए गए तटबंधों के चलते बारिश से नेपाल में ज्यादा नुकसान होता है. नेपाल की नदियां पूरे वेग से भारत की तरफ बहती हैं और तटबंधों से पानी रुकने से नेपाल के गांवों में पानी भर जाता है.

ये भी पढ़ें- सर्जिकल कैस्ट्रेशन : समाधान या नई समस्या

इतना ही नहीं, नेपाल के एक सरकारी महकमे के मुताबिक, इस साल जुलाई महीने की बाढ़ में नेपाल की गुजारिश के बावजूद भारत ने अपने तटबंधों को काफी समय तक बंद रखा था. इस से नेपाल के गौर इलाके के साथसाथ दूसरी सरहदी बस्तियों में तालाब जैसे हालात हो गए थे. इस से वहां भारी तबाही हुई थी. तब तकरीबन 20 लोग मारे गए थे.

इस मुद्दे पर नेपाल के विदेश मंत्री ने अपने लोगों के इस तरह मारे जाने पर दुख और चिंता जाहिर की थी. इस के उलट भारत के सरकारी अफसरों ने कहा कि दोनों देशों की आपसी रजामंदी के बाद ही तटबंधों को कवर कर के रखा गया था. इस का नेपाल को भी फायदा होता है. बारिश से दोनों देशों के किसानों को कुदरती तौर पर उपजाऊ मिट्टी मिलती है. यहां तक कि दोनों देशों ने गौर इलाके के पास बने तटबंध के बारे में लिखित तौर पर अपनी मंजूरी दी हुई है.

कुदरत के कहर के ये दिन नेपाल और भारत के बीच तनातनी का माहौल पैदा कर देते हैं.

भारत और नेपाल के बीच तकरीबन 1,800 किलोमीटर लंबी सरहद है. तकरीबन 600 नदियां और छोटी धाराएं नेपाल से बहते हुए भारत में दाखिल होती हैं. जब ये नदियां उफान पर होती हैं, तब नेपाल और भारत के मैदानी इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं.

मानसून में जब गंगा की सहायक नदियां कोसी और गंडक पानी से लबालब भर जाती हैं तो बिहार में इस का बुरा असर पड़ता है.

भारत के सरकारी अफसर इस का कुसूरवार नेपाल को यह कहते हुए ठहरा देते हैं कि उस ने फ्लडगेट खोल कर नदी के निचले हिस्से में रहने वाली आबादी को खतरे में डाल दिया, मगर सचाई यह है कि इन दोनों नदियों पर बने बैराज नेपाल में होने के बावजूद इन का प्रबंधन भारत सरकार ही करती है. दोनों देशों के बीच साल 1954 में हुई कोसी संधि और साल 1959 में हुई गंडक संधि के तहत ऐसा किया जाता है.

भूकंप वाले पर्वतीय देश नेपाल में पिछले कुछ तकरीबन 20 सालों में पत्थर की खुदाई और जंगलों की बेतहाशा कटाई के चलते हालात बिगड़े हैं. साल 2002 से साल 2018 तक नेपाल 42,513 हेक्टेयर जंगल की जमीन गंवा चुका है. रेत माफिया ने नदियों को खोदखोद कर गड्ढों में बदल दिया है.

बिहार में 7 जिले पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज नेपाल से जुड़े हैं. नेपाल के पहाड़ों पर जब बारिश होती है, तो उस का पानी नदियों के जरीए नीचे आ कर पहले नेपाल के मैदानी इलाकों में और उस के बाद भारत के सरहदी इलाकों में भर जाता है.

20 जुलाई को राज्यसभा के शून्यकाल में जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर ने बिहार में आई बाढ़ के मुद्दे को उठाते हुए सरकार से अनुरोध किया था कि इसे आपदा घोषित किया जाए. साथ ही, नेपाल और भारत के बीच बांध को जल्द बनवाया जाए.

इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने नेपाल से बाढ़ के रूप में आने वाली तबाही के सिलसिले में एक चिट्ठी के जरिए सरकार को अवगत कराया था कि नेपाल ने भालू बांध जलकुंडी परियोजना को ले कर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.

ये भी पढ़ें- मन का खोट

साल 1997 में भालू बांध जलकुंडी परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए तब के विधायक धनराज यादव ने एक चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखी थी और बाद में जय प्रताप सिंह ने भी 17 मार्च, 1999 को राप्ती और उस की सहायक नदियों की भयंकर विनाशलीला की तरफ ध्यान खींचने और समस्या के समाधान में राप्ती के उद्गम स्थान के पास पक्के बांध बनाने के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी. पर भालू बांध जलकुंडी परियोजना पर अब तक भारत और नेपाल की तरफ से कोई सार्थक पहल नहीं हो पाई है.

कुछ इन दोनों देशों की लापरवाही और कुछ यहां के भौगोलिक हालात के चलते हर साल मानसून के सीजन में भारी बारिश कहर बन कर टूटती है. इस बार तो बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपाई नेता सुशील कुमार मोदी ने भी इस सैलाब का स्वाद चख लिया है. उम्मीद है वे केंद्र में बैठे अपने आकाओं को इस मुसीबत से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाएंगे जिस से आम लोगों का भी कुछ भला हो जाएगा.

क्या हों उपाय

तटबंधों का उचित रखरखाव होना चाहिए और उन की लगातार निगरानी की जानी चाहिए.

अगर ऐसे उपाय नहीं किए जाते हैं, तो जवाबदेह के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए. तटबंध तोड़ने वालों या अपनेआप टूटने के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने के लिए कानून बनाया जाए.

प्रभावित राज्य को अपनी राहत नियमावली को दुरुस्त कर लेना चाहिए.

तटबंधों की मरम्मत का काम हर साल बारिश के मौसम से पहले पूरा कर लिया जाए. काम कागजों पर न हो.

बाढ़ से प्रभावित जिलों में जानमाल, घरेलू सामान, पशुपालन, रोजगार, उद्योगधंधों, बागबगीचों, पोखरतालाब वगैरह का जो भी नुकसान हो, सरकार उस का पूरा मुआवजा दे.

बाढ़ के पानी को रोकने के लिए तालाब वगैरह बनाए जाएं, टीलों पर राहत केंद्र बनाने की तैयारी रहे, नावों का खास इंतजाम हो, जिस से फंसे लोगों को राहत शिविर तक पहुंचाया जा सके.

बाढ़ के चलते अपना घरबार छोड़ कर आए लोगों को दोबारा बसाने की योजना पहले से तैयार रहे. जहां लोगों को ठहराया जाए वहां पानी और शौचालय का समुचित इंतजाम रहना चाहिए.

नदी बेसिन इलाके में छोटे जलाशय और चेक डैम बनाने को बाढ़ रोकने का असरदार उपाय माना जा रहा है. इन से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता, साथ ही इन पर लागत भी कम आती है.

ये भी पढ़ें- संस्कृति का सच और अश्लीलता पर हल्ला

मुझे कई सालों से पीरियड्स टाइम पर नहीं आते हैं. मैं क्या करूं ?

सवाल
मेरी उम्र 24 वर्ष है और मैं एमबीए कर रही हूं. मुझे कई सालों से पीरियड्स टाइम पर नहीं आते हैं जिस से मैं बहुत परेशान हूं. मुझे लग रहा है कि कहीं मुझे कोई बड़ी बीमारी तो नहीं है. इस डर से मैं डाक्टर के पास भी नहीं गई हूं?

जवाब
जब आप को कई वर्षों से पीरियड्स की समस्या है तो आप ने डाक्टर से सलाह क्यों नहीं ली. आप जैसी पढ़ीलिखी युवती से ऐसी गलती की उम्मीद नहीं की जा सकती. वैसे लड़कियों में तो यह आम समस्या है, तो फिर कैसा डर.

लेकिन अब आप बिना देर किए गाइनोकोलौजिस्ट को दिखाएं जिस से सारी स्थिति क्लीयर हो सके.

कई बार सिस्ट का प्रौब्लम या फिर हार्मोंस डिसबैलेंस होने से पीरियड्स टाइम पर नहीं आते हैं जिस से दर्द होने के साथसाथ चिड़चिड़ापन आने लगता है. इस के लिए जरूरी है कि चैकअप करा कर प्रौपर ट्रीटमैंट लें ताकि बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकें.

ये भी पढ़ें…

अनियमित माहवारी

औरतों को हर माह पीरियड से दोचार होना पड़ता है, इस दौरान कुछ परेशानियां भी आती हैं. मसलन, फ्लो इतना ज्यादा क्यों है? महीने में 2 बार पीरियड क्यों हो रहे हैं? हालांकि अनियमित पीरियड कोई असामान्य घटना नहीं है, किंतु यह समझना आवश्यक है कि ऐसा क्यों होता है.

हर स्त्री की मासिकधर्म की अवधि और रक्तस्राव का स्तर अलगअलग है. किंतु ज्यादातर महिलाओं का मैंस्ट्रुअल साइकिल 24 से 34 दिनों का होता है. रक्तस्राव औसतन 4-5 दिनों तक होता है, जिस में 40 सीसी (3 चम्मच) रक्त की हानि होती है.

कुछ महिलाओं को भारी रक्तस्राव होता है (हर महीने 12 चम्मच तक खून बह सकता है) तो कुछ को न के बराबर रक्तस्राव होता है.

अनियमित पीरियड वह माना जाता है जिस में किसी को पिछले कुछ मासिक चक्रों की तुलना में रक्तस्राव असामान्य हो. इस में कुछ भी शामिल हो सकता है जैसे पीरियड देर से होना, समय से पहले रक्तस्राव होना, कम से कम रक्तस्राव से ले कर भारी मात्रा में खून बहने तक. यदि आप को प्रीमैंस्ट्रुल सिंड्रोम की समस्या नहीं है तो आप उस पीरियड को अनियमित मान सकती हैं, जिस में अचानक मरोड़ उठने लगे या फिर सिरदर्द होने लगे.

असामान्य पीरियड के कई कारण होते हैं जैसे तनाव, चिकित्सीय स्थिति, अतीत में सेहत का खराब रहना आदि. इन के अलावा आप की जीवनशैली भी मासिकधर्म पर खासा असर कर सकती है.

कई मामलों में अनियमित पीरियड ऐसी स्थिति से जुड़े होते हैं जिसे ऐनोवुलेशन कहते हैं. इस का मतलब यह है कि माहवारी के दौरान डिंबोत्सर्ग नहीं हुआ है. ऐसा आमतौर पर हारमोन के असंतुलन की वजह से होता है. यदि ऐनोवुलेशन का कारण पता चल जाए, तो ज्यादातर मामलों में दवा के जरीए इस का इलाज किया जा सकता है.

इलाज संभव

जिन वजहों से माहवारी अनियमित हो सकती है या पीरियड मिस हो सकते हैं वे हैं: अत्यधिक व्यायाम या डाइटिंग, तनाव, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, युटरिन पोलिप्स या फाइब्रौयड्स, पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज, ऐंडोमिट्रिओसिस और प्रीमैच्योर ओवरी फेल्योर.

कुछ थायराइड विकार भी अनियमित पीरियड का कारण बन सकते हैं. थायराइड एक ग्रंथि होती है, जो वृद्धि, मैटाबोलिज्म और ऊर्जा को नियंत्रित करती है. किसी स्त्री में आवश्यकता से अधिक सक्रिय थायराइड है, इस का रक्तपरीक्षण से आसानी से पता किया जा सकता है. फिर रोजाना दवा खा कर इस का इलाज किया जा सकता है. हारमोन प्रोलैक्टिन का उच्च स्तर भी इस समस्या का कारण हो सकता है.

यदि किसी महिला को पीरियड के दौरान बहुत दर्द हो, भारी रक्तस्राव हो, दुर्गंधयुक्त तरल निकले, 7 दिनों से ज्यादा पीरियड चले, योनि में रक्तस्राव हो या पीरियड के बीच स्पौटिंग, नियमित मैंस्ट्रुअल साइकिल के बाद पीरियड अनियमित हो जाए, पीरियड के दौरान उलटियां हों, गर्भाधान के बगैर लगातार 3 पीरियड न हों तो अच्छा यही होगा कि तुरंत चिकित्सीय परामर्श लिया जाए. अगर किसी लड़की को 16 वर्ष की आयु तक भी पीरियड शुरू न हो तो तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए.

– डा. मालविका सभरवाल, स्त्रीरोग विशेषज्ञा, नोवा स्पैशलिटी हौस्पिटल्स

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें