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प्यार का विसर्जन : भाग 3

मैं पागलों सी सड़क पर जा पहुंची. चारों तरफ जगमगाते ढेर सारे मौल्स और दुकानें थीं. आते समय ये सब कितने अच्छे लग रहे थे, लेकिन अब लग रहा था कि ये सब जहरीले सांपबिच्छू बन कर काटने को दौड़ रहे हों. पागलों की तरह भागती हुई घर वापस आ गई और दरवाजा बंद कर के बहुत देर तक रोती रही. तो यह था फोन न आने का कारण.

मेरे प्यार में ऐसी कौन सी कमी रह गई कि दीपक ने इतना बड़ा धोखा दिया. मैं भी एक होनहार स्टूडैंट थी. मगर दीपक के लिए अपना कैरियर अधूरा ही छोड़ दिया. मैं ने अपनेआप को संभाला. दूसरे दिन दीपक के जाने के बाद मैं ने उस बिल्ंिडग और कालेज में खोजबीन शुरू की. इतना तो मैं तुरंत सम?ा गई कि ये दोनों साथ में रहते हैं. इन की शादी हो गई या रिलेशनशिप में हैं, यह पता लगाना था. कालेज में जा कर पता चला कि यह लड़की दीपक की पेंटिंग्स में काफी हैल्प करती है और इसी की वजह से दीपक की पेंटिंग्स इंटरनैशनल लैवल में सलैक्ट हुई हैं. दीपक की प्रदर्शनी अगले महीने फ्रांस में है. उस के पहले ये दोनों शादी कर लेंगे क्योंकि बिना शादी के यह लड़की उस के साथ फ्रांस नहीं जा सकती.

तभी एक प्यारी सी आवाज आई, लगा जैसे हजारों सितार एकसाथ बज उठे हों. मेरी तंद्रा भंग हुई तो देखा, एक लड़की सामने खड़ी थी.

‘‘आप को कई दिनों से यहां भटकते हुए देख रही हूं. क्या मैं आप की कुछ मदद कर सकती हूं.’’  मैं ने सिर उठा कर देखा तो उस की मीठी आवाज के सामने मेरी सुंदरता फीकी थी. मैं ने देखा सांवली, मोटी और सामान्य सी दिखने वाली लड़की थी. पता नहीं दीपक को इस में क्या अच्छा लगा. जरूर दीपक इस से अपना काम ही निकलवा रहा होगा.

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‘‘नो थैंक्स,’’ मैं ने बड़ी शालीनता से कहा.

मगर वह तो पीछे ही पड़ गई, ‘‘चलो, चाय पीते हैं. सामने ही कैंटीन है.’’ उस ने प्यार से कहा तो मु?ा से रहा नहीं गया. मैं चुपचाप उस के पीछेपीछे चल दी. उस ने अपना नाम नीलम बताया. मु?ो बड़ी भली लगी. इस थोड़ी देर की मुलाकात में उस ने अपने बारे में सबकुछ बता दिया और अपने होने वाले पति का फोटो भी दिखाया. पर उस समय मेरे दिल का क्या हाल था, कोई नहीं सम?ा सकता था. मानो जिस्म में खून की एक बूंद भी न बची हो. पासपास घर होने की वजह से हम अकसर मिल जाते. वह पता नहीं क्यों मु?ा से दोस्ती करने पर तुली हुई थी. शायद, यहां विदेश में मु?ा जैसे इंडियंस में अपनापन पा कर वह सारी खुशियां समेटना चाहती थी.

एक दिन मैं दोपहर को अपने कमरे में आराम कर रही थी. तभी दरवाजे की घंटी बजी. मैं ने ही दरवाजा खोला. सामने वह लड़की दीपक के साथ खड़ी थी. ‘‘स्वाति, मैं अपने होने वाले पति से आप को मिलाने लाई हूं. मैं ने आप की इतनी बातें और तारीफ की तो इन्होंने कहा कि अब तो मु?ो तुम्हारी इस फ्रैंड से मिलना ही पड़ेगा. हम दोनों वैलेंटाइन डे के दिन शादी करने जा रहे हैं. आप को इनवाइट करने भी आए हैं. आप को हमारी शादी में जरूर आना है.’’

दीपक ने जैसे ही मुझे देखा, छिटक कर पीछे हट गया. मानो पांव जल से गए हों. मगर मैं वैसे ही शांत और निश्च्छल खड़ी रही. फिर हाथ का इशारा कर बोली, ‘‘अच्छा, ये मिस्टर दीपक हैं.’’ जैसे वह मेरे लिए अपरिचित हो. मैं ने दीपक को इतनी इंटैलिजैंट और सुंदर बीवी पाने की बधाई दी.

दीपक के मुंह पर हवाइयां उड़ रही थीं. लज्जा और ग्लानि से उस के चेहरे पर कईर् रंग आजा रहे थे. यह बात वह जानता था कि एक दिन सारी बातें स्वाति को बतानी पड़ेंगी. मगर वह इस तरह अचानक मिल जाएगी, उस का उसे सपने में भी गुमान न था. उस ने सब सोच रखा था कि स्वाति से कैसेकैसे बात करनी है. आरोपों का उत्तर भी सोच रखा था. पर सारी तैयारी धरी की धरी रह गईर्.

नीलम ने बड़ी शालीनता से मेरा परिचय दीपक से कराया, बोली, ‘‘दीपक, ये हैं स्वाति. इन का पति इन्हें छोड़ कर कहीं चला गया है. बेचारी उसी को ढूंढ़ती हुई यहां आ पहुंची. दीपक, मैं तुम्हें इसलिए भी यहां लाई हूं ताकि तुम इन की कुछ मदद कर सको.’’ दीपक तो वहां ज्यादा देर रुक न पाया और वापस घर चला गया. मगर नींद तो उस से कोसों दूर थी. उधर, नीलम कपड़े चेंज कर के सोने चली गई. दीपक को बहुत बेचैनी हो रही थी. उसे लगा था कि स्वाति अपने प्यार की दुहाई देगी, उसे मनाएगी, अपने बिगड़ते हुए रिश्ते को बनाने की कोशिश करेगी. मगर उस ने ऐसा कुछ नहीं किया. मगर क्यों…?

स्वाति इतनी समझदार कब से हो गई. उसे बारबार उस का शांत चेहरा याद आ रहा था. जैसे कुछ हुआ ही नहीं था. आज उसे स्वाति पर बहुत प्यार आ रहा था. और अपने किए पर पछता रहा था. उस ने पास सो रही नीलम को देखा, फिर सोचने लगा कि क्यों मैं बेकार प्यारमोहब्बत के जज्बातों में बह रहा हूं. जिस मुकाम पर मु?ो नीलम पहुंचा सकती है वहां स्वाति कहां. फिर तेजी से उठा और एक चादर ले कर ड्राइंगरूम में जा कर लेट गया.

दिन में 12 बजे के आसपास नीलम ने उसे जगाया. ‘‘क्या बात है दीपक, तबीयत तो ठीक है? तुम कभी इतनी देर तक सोते नहीं हो.’’ दीपक ने उठते ही घड़ी की तरफ देखा. घड़ी 12 बजा रही थी. वह तुरंत उठा और जूते पहन कर बाहर निकल पड़ा. नीलम बोली, ‘‘अरे, कहां जा रहे हो?’’

‘‘प्रोफैसर साहब का रात में फोन आया था. उन्हीं से मिलने जा रहा हूं.’’

दीपक सारे दिन बेचैन रहा. स्वाति उस की आंखों के आगे घूमती रही. उस की बातें कानों में गूंजती रहीं. उसी के प्यार में वह यहां आई थी. स्वाति ने यहां पर कितनी तकलीफें ?ोली होंगी. मु?ो कोई परेशानी न हो, इसलिए उस ने अपने आने तक का मैसेज भी नहीं दिया. क्या वह मु?ो कभी माफ कर पाएगी.

मन में उठते सवालों के साथ दीपक स्वाति के घर पहुंचा. मगर दरवाजा आंटी ने खोला. दीपक ने डरते हुए पूछा, ‘‘स्वाति कहां है?’’

आंटी बोलीं, ‘‘वह तो कल रात 8 बजे की फ्लाइट से इंडिया वापस चली गई. तुम कौन हो?’’

‘‘मैं दीपक हूं, नीलम का होने वाला पति.’’

‘‘स्वाति नीलम के लिए एक पैकेट छोड़ गई है. कह रही थी कि जब भी नीलम आए, उसे दे देना.’’

दीपक ने कहा, ‘‘वह पैकेट मुझे दे दीजिए, मैं नीलम को जरूर दे दूंगा.’’

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दीपक ने वह पैकेट लिया और सामने बने पार्क में बैठ कर कांपते हाथों से पैकेट खोला. उस में उस के और स्वाति के प्यार की निशानियां थीं. उन दोनों की शादी की तसवीरें. वह फोन जिस ने उन दोनों को मिलाया था. सिंदूर की डब्बी और एक पीली साड़ी थी. उस में एक छोटा सा पत्र भी था, जिस में लिखा था कि 2 दिनों बाद वैलेंटाइन डे है. ये मेरे प्यार की निशानियां हैं जिन के अब मेरे लिए कोई माने नहीं हैं. तुम दोनों वैलेंटाइन डे के दिन ही थेम्स नदी में जा कर मेरे प्यार का विसर्जन कर देना…स्वाति.

इतना बुरा भी नहीं है चौकलेट

चौकलेट खाने से शरीर में दर्द का एहसास कम करा कर प्रसन्नता का अनुभव कराने वाले हार्मोन एंडोर्फिंन उत्सर्जित होने लगता है जो कि तनाव आदि की स्थिति में भी हमारे शरीर में प्राकृतिक दर्द निवारक का काम करता है. इसके अलावा बहुत-से अन्य रोगों में भी चौकलेट लाभ पहुंचाता है.

हृदय रोग में सहायकः चौकलेट हृदय रोग से लड़ने में भी सहायक हो सकती है. चौकलेट में ऑक्सीकरणरोधी फ्लेवोनायड होता है जो कि रक्त को पतला बना कर धमनियों में उसके थक्के बनने से रोकता है. जिससे हृदयाघात की आशंका कम हो जाती है.

रक्तचाप में लाभकारी :चौकलेट के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के संदर्भ में किए गए  कुछ अध्ययन बताते हैं कि गहरे रंगों वाली चौकलेट खाने से स्वस्थ लोगों के रक्तचाप में कमी आती है और इंसुलिन के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि गहरे रंग की चौकलेट में बड़ी मात्रा में मौजूद फ्लेवोनायड अपने एंटी औक्सीडेंट गुणों की वजह से धमनियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं. अध्ययन बताते हैं कि गहरे रंग की चौकलेट धमनियों के फैलने की क्षमता को बढ़ाती है और प्लेटलेटं के जमाव को कम कर देती है.

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खांसी को दूर भागने में उपयोगी : लंबे समय से खांसी की परेशानी झेलने वाले लोगों के लिए आसान इलाज. चौकलेट खाइए, खांसी दूर भगाइए. लंदन के चिकित्सा शोधकर्ताओं ने कोको में मिलने वाले थियोब्रोमाइन तत्व से भरपूर ऐसी चौकलेट तैयार की है जिसके सेवन से पुरानी खांसी से छुटकारा पाया जा सकता है.  एक  शोध में पता लगाया है कि थियोब्रोमाइन खांसी से राहत दिलाने में विशेष समझे जाने वाले क्वकोडीनं से भी 3 गुना अधिक प्रभावशाली होता है.

 अतिसार का उपचार में कारगर :  हाल ही में किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में पता चला है कि अतिसार या दस्त की परेशानी से निजात दिलाने में भी चौकलेट का सेवन बहुत कारगर होता है. दरअसल चौकलेट में उपस्थित फ्लेवोनायड अतिसार की रोकथाम में उल्लेखनीय कार्य करता है तथा चौकलेट बनाने के लिए प्रयुक्त होने वाली  की फलियां इस स्वास्थ्यवर्धक फ्लेवोनायड से भरपूर होती हैं. एक शोध दल ने चौकलेट में पाए जाने वाले फ्लेवोनायड तथा आन्तों पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का अध्ययन करते हुए पाया है कि कोकोआ में उपस्थित फ्लेवोनायड अतिसार में भी असरदार भूमिका निभाता है. माना जा रहा है कि इस खोज से अतिसार के उपचार हतु और भी अच्छी औषधियों के निर्माण में सहायता मिले सकेगी.

सुंदरता के लिए चौकलेट का उपयोग : सुंदरता बढ़ाने के लिए चौकलेट के प्रयोग की बात खासतौर पर महिलाओं को बहुत खुश कर देगी. फ्रांस की राजधानी पेरिस के ब्यूटी पार्लरों में सुंदरता के लिए चौकलेट की मसाज (मालिश) की जाती है. यहां के कुछ थैरेपिस्टों का मानना है कि चौकलेट में एंटी एजिंगं कारक होते हैं जिनसे चेहरे की झुर्रियां कम हो जाती हैं और इसके साथ-साथ शरीर में चुस्ती-फूर्ति भी आती है. चौकलेट मसाज करने-वाले लोगों का मानना है कि इससे शरीर के सभी अंगों को आराम मिलता है और दिनभर ताजगी भी रहती है. इस मसाज के लिए चौकलेट के टब में डुबकी लगानी पड़ती है.

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प्यार का विसर्जन : भाग 1

अलसाई आंखों से मोबाइल चैक किया तो देखा 17 मिस्ड कौल्स हैं. सुबह की लाली आंगन में छाई हुई थी. सूरज नारंगी बला पहने खिड़की के अधखुले परदे के बीच से ?ांक रहा था. मैं ने जल्दी से खिड़कियों के परदे हटा दिए. मेरे पूरे कमरे में नारंगी छटा बिखर गई थी. सामने शीशे पर सूरज की किरण पड़ने से मेरी आंखें चौंधिया सी गई थीं. मिचमिचाई आंखों से मोबाइल दोबारा चैक किया. फिर व्हाट्सऐप मैसेज देखे पर अनरीड ही छोड़ कर बाथरूम में चली गई. फिर फै्रश हो कर किचन में जा कर गरमागरम अदरक वाली चाय बनाई और मोबाइल ले कर चाय पीने बैठ गई.

ओह, ये 17 मिस्ड कौल्स. किस की हैं? कौंटैक्ट लिस्ट में मेरे पास इस का नाम भी नहीं. सोचा कि कोई जानने वाला होगा वरना थोड़े ही इतनी बार फोन करता. मैं ने उस नंबर पर कौलबैक किया और उत्सुकतावश सोचने लगी कि शायद मेरी किसी फ्रैंड का होगा.

तभी वहां से बड़ी तेज डांटने की आवाज आई, ‘‘क्या लगा रखा है साक्षी, सारी रात मैं ने तुम को कितना फोन किया, तुम ने फोन क्यों नहीं उठाया? हम सब कितना परेशान थे. मम्मीपापा तुम्हारी चिंता में रातभर सोए भी नहीं. तुम इतनी बेपरवाह कैसे हो सकती हो?’’

‘‘हैलो, हैलो, आप कौन, मैं साक्षी नहीं, स्वाति हूं. शायद रौंग नंबर है,’’ कह कर मैं ने फोन काट दिया और कालेज जाने के लिए तैयार होने चली गई.

आज कालेज जल्दी जाना था. कुछ प्रोजैक्ट भी सब्मिट करने थे, सो, मैं ने फोन का ज्यादा सिरदर्द लेना ठीक नहीं सम?ा. बहरहाल, उस दिन से अजीब सी बातें होने लगीं. उस नंबर की मिस्ड कौल अकसर मेरे मोबाइल पर आ जाती. शायद लास्ट डिजिट में एकदो नंबर चेंज होने से यह फोन मु?ो लग जाता था. कभीकभी गुस्सा भी आता, मगर दूसरी तरफ जो भी था, बड़ी शिष्टता से बात करता, तो मैं नौर्मल हो जाती. अब हम लोगों के बीच हाय और हैलो भी शुरू हो गई. कभीकभी हम लोग उत्सुकतावश एकदूसरे के बारे में जानकारी भी बटोरने लगते.

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एक दिन मैं क्लास से बाहर आ रही थी. तभी वही मिस्ड कौल वाले का फोन आया. साथ में मेरी फ्रैंड थी, तो मैं ने फोन उठाना उचित न सम?ा. जल्दी से गार्डन में जा कर बैठ कर फोन देखने लगी कि कहीं फिर दोबारा कौल न आ जाए. मगर अनायास उंगलियां कीबोर्ड पर नंबर डायल करने लगीं. जैसे ही रिंग गई, दिल को अजीब सा सुकून मिला. पता नहीं क्यों हम दोनों के बीच एक रिश्ता सा कायम होता जा रहा था. शायद वह भी इसलिए बारबार यह गलती दोहरा रहा था. तभी गार्डन में सामने बैठे एक लड़के का भी मोबाइल बजने लगा.

जैसे मैं ने हैलो कहा तो उस ने भी हैलो कहा. मैं ने उस से कहा, ‘‘क्या कर रहे हो?’’ तो उस ने जवाब दिया, ‘‘गार्डन में खड़ा हूं और तुम से बात कर रहा हूं और मेरे सामने एक लड़की भी किसी से बात कर रही है.’’ दोनों एकसाथ खुशी से चीख पड़े, ‘‘स्वाति, तुम?’’ ‘‘दीपक, तुम?’’

‘‘अरे, हम दोनों एक ही कालेज में पढ़ते हैं. क्या बात है, हमारा मिलना एकदम फिल्मी स्टाइल में हुआ. मैं ने तुम को बहुत बार देखा है.’’

‘‘पर मैं ने तो तुम्हें फर्स्ट टाइम देखा है. क्या रोज कालेज नहीं आती हो?’’

‘‘अरे, ऐसा नहीं. मैं तो रोज कालेज आती हूं. मैं बीए फर्स्ट ईयर की स्टूडैंट हूं.’’

‘‘और मैं यहां फाइन आर्ट्स में एमए फाइनल ईयर का स्टूडैंट हूं.’’

‘‘ओह, तब तो मु?ो आप को सर कहना होगा,’’ और दोनों हंसने लगे.

‘‘अरे यार, सर नहीं, दीपक ही बोलो.’’

‘‘तो आप को पेंटिंग का शौक है.’’

‘‘हां, एक दिन तुम मेरे घर आना, मैं तुम्हें अपनी सारी पेंटिंग्स दिखाऊंगा. कई बार मेरी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी लग चुकी है.’’

‘‘कोई पेंटिंग बिकी या लोग देख कर ही भाग गए.’’

‘‘अभी बताता हूं.’’ और दीपक मेरी तरफ बढ़ा तो मैं उधर से भाग गई.

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कुछ ही दिनों में हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए. कभीकभी दीपक मुझे पेंटिंग दिखाने घर भी ले जाया करता. मेरे मांबाप तो गांव में थे और मेरा दीपक से यों दोस्ती करना अच्छा भी न लगता. कभी हम दोनों साथ फिल्म देखने जाते तो कभी गार्डन में पेड़ों के ?ारमुट के बीच बैठ कर घंटों बतियाते रहते और जब अंधेरा घिरने लगता तो अपनेअपने घोंसलों में लौट जाते.

एक जमाना था कि प्रेम की अभिव्यक्ति बहुत मुश्किल हुआ करती थी. ज्यादातर बातें इशारों या मौन संवादों से ही समझ जाती थीं. तब प्रेम में लज्जा और शालीनता एक मूल्य माना जाता था. बदलते वक्त के साथ प्रेम की परिभाषा मुखर हुई. और अब तो रिश्तों में भी कई रंग निखरने लगे हैं. अब तो प्रेम व्यक्त करना सरल, सहज और सुगम भी हो गया है. यहां तक कि फरवरी का महीना प्रेम के नाम हो गया है.

अगले भाग में पढ़ें – घर में सभी समझते कि उस के पास काम का बोझ ज्यादा है. 

जैतून है लाभकारी

 लेखक : डा. नवीन कुमार बोहरा

औलिव औयल यानी जैतून के तेल के बारे में ज्यादातर सभी लोग जानते हैं. जैतून तेल के अनेक प्राकृतिक उपयोगों से अनेक सौंदर्य प्रसाधन बनाए जाते हैं.

जैतून सब से पहले स्पेन में उगाया गया था और उस के बाद यह धीरेधीरे दक्षिण अमेरिका, आस्ट्रेलिया और उत्तरी अफ्रीका तक फैल गया.

भारत में उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में 3,000 से 4,500 फुट की ऊंचाई वाली घाटियों में खासतौर से त्यूनी देहरादून और काणाताल टिटरी में जंगली जैतून जिसे काव कहते हैं, बहुतायत में पाया जाता है.

भारत यूरोपियन देशों से हर साल करोड़ों रुपए का जैतून तेल और अचार आयात करता है. दुनिया में सब से ज्यादा जैतून का उत्पादन स्पेन, इटली, ग्रीस, फ्रांस, पुर्तगाल, ट्यूनीशिया, टर्की वगैरह देशों में किया जाता है.

जैतून की खेती माली नजरिए से भी काफी अहम है, क्योंकि वह जमीन जो खेती योग्य और दूसरे फलों के लिए मुफीद नहीं होती, वहां इस को रोपा जा सकता है. भूमध्य सागरीय देशों में इस की खेती का व्यावसायीकरण किया जा रहा है.

जैतून को आमतौर पर 2 वैज्ञानिकों के नाम यथा आलिया सातिवा और आलिया यूरोपा से जाना जाता है. यह आमतौर पर समुद्र तल से 1,000 से 1,500 मीटर ऊंचाई वाली जगहों पर, जहां अधिकतम तापमान 35 डिगरी सैंटीग्रेड तक पहुंचता है, पाया जाता है. सर्दी में यह कुछ घंटों के लिए 5 डिगरी से 6 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान भी सहन कर सकता है.

जैतून में पुष्पन काल में पूरे पादप सफेद रंग के मीठी खुशबू बिखेरते फूलों से लद जाते हैं. इस के बाद ये फूल अक्तूबर से जनवरी माह के मध्य छोटेछोटे गहरे हरे रंग के फूलों में बदल जाते हैं और पकने पर बैगनी व काला रंग ले लेते हैं. जैतून के फल में 45-55 फीसदी पानी,

13-28 तेल, 1.5 से 2 फीसदी नाइट्रोजन यौगिक, 18-24 फीसदी कार्बोहाइड्रेट यौगिक, 5 से 8 फीसदी फाइबर और 1 से 2 फीसदी राख पाई जाती है.

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जैतून की खेती : जैतून के लिए 60 फीसदी बालू, 20 फीसदी लोमी और 20 फीसदी क्ले वाली मिट्टी सही रहती है. यह 6.5 से 8 पीएच मान वाली मिट्टी में भी उग सकता है.

मिट्टी में जुताई के बाद 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद डालें और 6×6 मीटर की दूरी पर गड्ढे के मुताबिक कीटनाशक डालें. उन में 50 ग्राम प्रति गड्ढे के मुताबिक कीटनाशक मिट्टी में मिला कर भर देते हैं.

जैतून के लिए खाद जरूरी है और पहले साल में 20 किलोग्राम प्रति गड्ढे के हिसाब से गोबर की खाद, 50 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस और 50 ग्राम पोटाश तत्त्व के रूप में देना चाहिए.

इस के अलावा 2 से 5 साल तक के पौधों में अमोनियम सल्फेट 500 से 1,000 ग्राम प्रति पादप, सुपर फास्फेट 200-500 ग्राम प्रति पादप और पोटैशियम 200-400 ग्राम प्रति पादप देना सही रहता है.

जैतून पेड़ के पादपों में वसंत मौसम में नमी रहने पर 5वें से 6ठे साल के बाद अमोनियम सल्फेट 1.5 से 2.5 किलोग्राम प्रति पेड़, सुपर फास्फेट 0.5 से 1.5 किलोग्राम प्रति पेड़ जनवरी माह में और पोटैशियम सल्फेट 0.4 से 0.8 किलोग्राम प्रति पेड़ पुष्पन के बाद और यूरिया 0.2 से 0.4 किलोग्राम प्रति पेड़ सिंचाई के बाद डालना चाहिए.

प्रवर्धन : जैतून का प्रवर्धन ग्राफ्टिंग और बडिंग के द्वारा व बीजों की बोआई कर तैयार किए जाते हैं. आमतौर पर बीजों के अच्छे जमाव के लिए सितंबर व अक्तूबर माह में सोडियम कार्बोनेट के 3 फीसदी घोल से 5 घंटे तक उपचारित कर लगाना उचित रहता है. कटिंग विधि में 2 इंच लंबी कटिंग, जिस में 4 से 8 गांठें और 2 से 4 पत्तियां हों, काट लें.

ब्यूटारिक अम्ल के 2,500 पीपीएम घोल में डुबो कर लगाना सही रहता है. अच्छी उपज के लिए परागण किस्मों को लगाना चाहिए. पेंडोलियो किस्म परागण करने वालों के रूप में सही रहती है. इसी प्रकार कई किस्मों को एकसाथ लगाने से उपज अच्छी होती है.

जैतून की खेती में पहले 3-4 सालों में नीबू, आड़ू और सब्जियों की खेती 2 पेड़ों के बीच वाली जगह में की जा सकती है, परंतु पानी तने के पास रुकना नहीं चाहिए और पानी के निकलने का पुख्ता बंदोबस्त होना चाहिए.

जैतून की कई किस्में क्षेत्र विशेष के आधार पर मालूम हो चुकी हैं जैसे कोराटिना, फ्रांटोयो, लोसिनो, पेंडालिनो, बियाकोलिला, सिंप्रेसिनो वगैरह.

उपयोग : जैतून की लकड़ी और फल दोनों ही उपयोगी हैं. लकड़ी को अन्य इमारती लकडि़यों की तरह उपयोग किया जा सकता है. इस के फलों को सीधे खाया जा सकता है या फिर इन का अचार भी बनाया जा सकता है. जैतून में फल 5वें साल से उगना शुरू होते हैं, जो हर साल 5 से 10 किलोग्राम तक हासिल हो सकते हैं. जैतून के फलों से तेल भी निकाला जाता है.

जैतून तेल के कई स्तर होते हैं, जो हर स्तर पर अपनी विशेषता रखते हैं. जैतून के फल की ऊपरी सतह को जैसे ही तोड़ा जाता है, वैसे ही तेल की कुछ बूंदें हाथ में आ जाती हैं, यही सब से अच्छा होता है और वर्जिन औलिव औयल कहलाता है.

जैतून के तेल का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधनों, साबुन, परफ्यूम, दवाएं वगैरह बनाने में किया जाता है. छोटे बच्चों की मालिश में यह सब से अच्छा माना जाता है. खाना पकाने में यह कम उपयोग में आता है, परंतु सलाद में बहुतायत में इस्तेमाल होता है.

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आधुनिक शोध से मिली जानकारी के मुताबिक, हर दिन एक चम्मच औलिव औयल खाने में इस्तेमाल करने से रक्तचाप यानी ब्लडप्र्रैशर कम होता है और कौलेस्ट्रौल लेवल में कमी आती है. इस तरह दिल के मरीजों के लिए भी और धमनियों की रुकावट दूर करने में यह बेहद उपयोगी है.

आधुनिक दिनचर्या में फास्ट फूड और दूसरी वजहों से दिल और दूसरे रोगों में वृद्धि के मद्देनजर जैतून बेहद उपयोगी है. आज इस की उपयोगिता को देखते हुए इटली, स्पेन, यूनान और पुर्तगाल में इस का इस्तेमाल बहुतायत से हो रहा है.

जैतून को शांति का प्रतीक भी माना गया है और इस की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा दे कर न केवल माली हालत में सुधार लाया जा सकता है, बल्कि विदेशी पैसों की बचत भी की जा सकती है.

‘लड़कियों से ज्यादा लड़कों को सेक्स एजुकेशन की जरूरत’- मल्हार

स्वास्थ्य और सेक्स का आपस में गहरा रिश्ता है. सेक्स की सही जानकारी ना होने पर बहुत सारी बीमारियां शरीर को घेर कर बीमार बना देती है. सबसे अधिक युवा उम्र में यह परेशानी खड़ी होती है. इसका प्रमुख कारण यह है कि घर और समाज में सेक्स पर बातचीत नहीं होती. इसको लेकर ही ‘एमटीवी निषेध’ नाम से एक टीवी शो तैयार किया है. शो के कलाकार वरूण सूद, मल्हार राठौर और शिवम पाटिल जयपुर, लखनऊ और पटना जैसे शहरों में गये और शो के बारे में बात की. सेक्स को लेकर युवाओं की परेशानियो और सोंच पर ‘एमटीवी निषेध’ में आस्था का किरदार निभा रही मल्हार राठौर से बातचीत हुई. पेश है उसके प्रमुख अंश:-

सवाल:एमटीवी निषेधजैसे शो को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

एमटीवी की रिसर्च टीम को पता चला था कि उत्तर प्रदेश में 38 फीसदी पुरूष मानते है कि गर्भनिरोध करना महिलाओं का काम होता है. पुरूषों को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है. 15 से 19 साल की अशिक्षित युवा महिलाओं को गर्भधारण की संभावना अधिक होती है. बड़ी होती लड़कियों को गर्भधारण की जानकारी ज्यादा होती है. यह बातें नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे 2015-16 में सामने आ चुकी है. इससे यह पता चलता है कि यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य के मामले में भारत की हालत बहुत खराब है. आज के समय में सेक्स, कंडोम, गर्भपात और टीबी जैसे शब्दों को बोलने में लोगों को झिझक और संकोच होता है.‘एमटीवी निषेध’ के जरीये युवाओं के स्वास्थ्य की सबसे गंभीर समस्याओं पर खुलकर बोलने और सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.

 

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You are that ‘nothing’ when people ask me what I’m thinking about ! ?

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सवाल: आपका शो में क्या किरदार है?

मेरे किरदार का नाम आस्था है. मैं बिजनेस करने वाली लड़की की भूमिका में हूं. अति महत्वाकांक्षा के चलते मुम्बई शहर पहुंचती हूं. जहां मुझे जिदंगी की कठोर सच्चाइयों का सामना करना पडता है. हम अपनी परेशानियों के जरिए युवा के उन मुद्दों को दिखाते हैं जिन पर समाज मे कोई खुलकर नहीं बोलता है.

सवाल: आप को क्या लगता है कि किन मुद्दों पर बात करने की ज्यादा जरूरत है?

मुझे लगता है कि सुरक्षित सेक्स, गर्भनिरोधक, मेडिकल गर्भपात पर खुलकर बात करने की जरूरत है. जिससे युवा सही निर्णय लेने में समर्थ हो. अब समय आ गया है कि हम सेक्स को सामान्य व्यवहार मानकर इसके बारे में खुलकर चर्चा करे. शो में अलग अलग कहानियों के जरीये हम इस मुद्दे पर जागरूकता का काम कर रहे है.

सवाल: सेक्स के मुद्दों पर सबसे अधिक परेशानी लड़कियों में है या लड़कों में?

हमारी रिसर्च टीम को जो पता चला उसके अनुसार लड़कियां तो अपने घर में मां या बहन या करीबी रिश्तेदार से कुछ जानकारियां हासिल भी कर लेती हैं. पर लड़कों को यह जानकारी नहीं मिलती. इंटरनेट या इधर-उधर की आधी-अधूरी जानकारी लाभ के बजाय नुकसान ही करती है. ऐसे में जरूरी है कि वह जानकार डाक्टरों से मिले. वहीं से सही जानकारी मिल सकती है. समय की जरूरत है कि लोग सेक्स और कंडोम की बात करे तभी तमाम बीमारियों से बच सकेंगे.

 

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सवाल: यह शो आपको कैसे मिला?

मैं मुम्बई की रहने वाली हूं. मॉस कम्यूनिकेशन से ग्रेजुएट करने के समय ही मुझे मौडलिंग का शौक हुआ. मुझे प्रिंट और वीडियो में विज्ञापन करने को मिले. इसके बाद बिंदास टीवी का शो मिला. एमटीवी पर एक शो किया. यह मेरा तीसरा शो है. इसको करके मुझे खुशी मिली क्योकि यह मनोरंजन के साथ ही साथ सेहत के लिये जागरूक भी करता है. मैं आधुनिक महिला के जीवन में आने वाली हर चुनौती को अपने किरदार के माध्यम से दिखाने का काम करती हूं.

सवाल: एक्टिंग में आपकी आगे क्या योजनायें है?

मै वेब सीरिज में काम करना चाहती हूं. इसके अलावा फिल्म, टीवी और रियल्टी शो में काम कर सकती हूं. जरूरत यह है कि मेरा किरदार अहम होना चाहिये. मुझे पेटिंग और स्केटिंग का भी शौक है. अभी कैरियर की शुरूआत है. जितना सीख लेंगे उतना ही आगे के लिये अच्छा होगा.

नरमुंड का रहस्य

मुरादाबाद आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक गांव है शिमलाठेर, जो थाना कुंदरकी के अंतर्गत आता है. 9 सितंबर, 2017 को इसी गांव के रहने वाले 2 भाई लक्ष्मण और ओमकार अपने भतीजे शिवम के साथ अपने खेत में पानी लगाने पहुंचे. उन्हें दिन में ही पानी लगाना था, लेकिन दिन में बिजली नहीं थी, इसलिए वे रात में गए थे. रात होने की वजह से वे टौर्च भी ले गए थे.

वे खेत पर पहुंचे तो उन्हें कुछ आहट सी सुनाई दी. टौर्च की रोशनी में उन्होंने देखा तो वहां 4 आदमी खड़े थे. उन के हाथों में हथियार थे. उन्होंने गांव के ही बबलू को बांध कर बैठा रखा था. बबलू संपन्न आदमी था. उन्हें समझते देर नहीं लगी कि ये बदमाश हैं. डर के मारे वे जाने लगे तो एक बदमाश ने उन पर टौर्च की रोशनी डालते हुए चेतावनी दी, ‘‘अगर भागे तो गोलियों से छलनी कर दिए जाओगे. जहां हो, वहीं रुक जाओ.’’

तीनों निहत्थे थे, इसलिए अपनीअपनी जगह खड़े हो गए. बदमाश उन को वहीं ले आए, जहां बबलू बंधा बैठा था. उन्होंने उन्हें भी बांध कर बबलू के साथ बैठा दिया. बदमाशों ने बबलू के साथ मंत्रणा कर के लक्ष्मण को खोल दिया. 3 बदमाश लक्ष्मण को ले कर चले गए और एक राइफलधारी बदमाश बंधे हुए लोगों के पास चौकसी से खड़ा रहा.

कुछ देर बाद वह लक्ष्मण को ले कर लौटा तो उन में से एक ने कहा, ‘‘लड़का तो अच्छा है.’’

इस के बाद बदमाशों ने आपस में कुछ बातें की और वही 3 बदमाश उसे फिर से ले कर जंगल में चले गए. करीब 20 मिनट बाद वे लौटे तो उन के साथ लक्ष्मण नहीं था. उन में से एक बदमाश ने कहा, ‘‘काम हो गया.’’

बदमाश के मुंह से यह बात सुन कर ओमकार और शिवम घबरा गए. लक्ष्मण को ले कर उन के दिमाग में तरहतरह के खयाल उठने लगे.

इस के बाद बदमाशों ने बबलू, ओमकार और शिवम की तलाशी ली. उन के पास जो मिला, उसे ले कर उन बदमाशों ने तीनों को औंधे मुंह लिटा कर उन के ऊपर चादर डाल कर धमकी दी कि वे अपनी खैर चाहते हैं तो इसी तरह पड़े रहें. डर की वजह से वे उसी तरह पड़े रहे.

जब उन्हें लगा कि बदमाश चले गए हैं तो बबलू ने चादर हटा कर इधरउधर देखा. वहां कोई नहीं दिखा तो उस ने ओमकार और शिवम से कहा, ‘‘लगता है, वे चले गए.’’

जब मिली लक्ष्मण की सिरकटी लाश

किसी तरह बबलू ने अपने हाथ खोल कर उन दोनों के हाथ भी खोले. इस के बाद सभी तेजी से गांव की ओर भागे. गांव जा कर उन्होंने बताया कि बदमाशों ने उन्हें बंधक बना कर लूट लिया और लक्ष्मण को अपने साथ ले गए हैं. उन के इतना कहते ही गांव में शोर मच गया. लाठीडंडा व अन्य हथियार ले कर गांव वाले खेतों की तरफ दौड़ पड़े.

सब लक्ष्मण और बदमाशों को खोजने लगे. थोड़ी देर में एक खेत के पुश्ते पर गड्ढे में लक्ष्मण की सिरकटी लाश मिल गई. इस की सूचना बबलू ने वहीं से फोन द्वारा थाना कुंदरकी को दे दी. उस समय थानाप्रभारी धीरज सिंह सोलंकी हाईवे पर गश्त पर थे. सूचना मिलते ही वह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस वारदात की जानकारी एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (देहात) उदयशंकर सिंह, सीओ (बिलारी) अर्चना सिंह को दे दी.

लक्ष्मण की हत्या की बारे में पता चलने पर उस के घर में कोहराम मच गया था. उस की पत्नी अमरवती और दोनों बच्चे बिलख रहे थे. एसएसपी के निर्देश पर रात में ही घटनास्थल के आसपास सघन चैकिंग अभियान शुरू कर दिया गया, लेकिन न बदमाशों का सुराग मिला और न ही लक्ष्मण का सिर.

सवेरा होने पर पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए मुरादाबाद भिजवा दिया. हालांकि बबलू लक्ष्मण के घर वालों के दुख में शरीक हो कर हर काम में बढ़चढ़ कर भाग ले रहा था, लेकिन उन्हें यही लग रहा था कि लक्ष्मण की हत्या में बबलू का हाथ है, क्योंकि वह उन से अदावत रखता था.

जैसेजैसे आसपास के गांवों में बदमाशों द्वारा शिमलाठेर गांव के लक्ष्मण का सिर काट कर ले जाने वाली बात पता चली, वे घटनास्थल की तरफ चल पड़े.

वहां पहुंच कर पता चला कि इस घटना के विरोध में लोग शिमलाठेर गांव में जमा हो रहे हैं तो वे भी वहीं चले गए. लक्ष्मण के घर के सामने इकट्ठा लोगों का पुलिस के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा था. लक्ष्मण का सिर न मिलने से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने मुरादाबादआगरा राजमार्ग पर जाम लगा दिया.

कुछ ही देर में राजमार्ग के दोनों तरफ कई किलोमीटर लंबा जमा लग गया. सूचना मिलने पर थाना पुलिस के अलावा सीओ अर्चना सिंह भी वहां पहुंच गईं. उन्होंने भीड़ को समझाने की कोशिश की, पर लोग वहां से नहीं हटे. तब एसएसपी प्रीतिंदर सिंह और एसपी (देहात) उदयशंकर सिंह भी वहां पहुंच गए. एसएसपी ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि पुलिस को कुछ समय दो, लक्ष्मण का सिर व कातिल जल्द से जल्द पकड़े जाएंगे.

उन के समझाने के बाद उत्तेजित लोगों ने जाम खोल दिया. 10 सितंबर को पोस्टमार्टम के बाद लक्ष्मण का शव उस के घर वालों को सौंप दिया गया तो उसी दिन उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया. उस समय भारी संख्या में पुलिस भी मौजूद थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया था कि लक्ष्मण का सिर किसी तेज धारदार हथियार से एक ही झटके में काटा गया था. मरने से पहले उस ने बचाव के लिए संघर्ष किया था, क्योंकि उस की कलाइयों पर गहरे चोट के निशान थे.

मृतक के भाई ओमकार की तहरीर पर पुलिस ने गांव के ही बबलू और 4 अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. अगले दिन यह मामला अखबारों की सुर्खियों में आया तो इलाके में सनसनी फैल गई.

उधर एसपी देहात उदयशंकर सिंह व सीओ अर्चना सिंह जंगलों में सर्च औपरेशन चला कर लक्ष्मण का सिर ढूंढ रहे थे. जब सफलता नहीं मिली तो एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने सीओ अर्चना की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम का गठन कर दिया.

टीम में थानाप्रभारी धीरज चौधरी, एसआई राजेश कुमार पुंडीर, ऋषि कपूर, कांस्टेबल अफसर अली, मोहम्मद नासिर, केशव त्यागी, कपिल कुमार, वेदप्रकाश दीक्षित के अलावा सर्विलांस टीम के एसआई नीरज शर्मा, कांस्टेबल अजय, राजीव कुमार, रवि कुमार, चंद्रशेखर आदि को शामिल किया गया था. एसओजी को भी टीम के साथ लगा दिया गया था. टीम का निर्देशन एसपी (देहात) उदयशंकर सिंह कर रहे थे.

चूंकि रिपोर्ट बबलू के नाम दर्ज थी, इसलिए पूछताछ के लिए उसे थाने ले आया गया. पूछताछ में वह खुद को बेकसूर बताने के अलावा यह भी कह रहा था कि वह दिशामैदान के लिए गया था, तभी बदमाशों ने उसे बंधक बना लिया था. उस ने बताया कि बदमाश उस की जेब से 3 हजार रुपए निकाल ले गए हैं. जब बबलू से कोई क्लू नहीं मिला तो पुलिस ने उसे घर भेज दिया.

सर्विलांस से पकड़े गए लक्ष्मण के हत्यारे

पुलिस का पहला काम लक्ष्मण का सिर ढूंढना था. अपने स्तर से वह सिर तलाश रही थी. पीडि़त परिवार के दबाव में पुलिस बबलू को जब थाने बुलाती, कोई न कोई राजनैतिक रसूख वाला उस की हिमायत में थाने पहुंच जाता. पुलिस ने उस से सख्ती से भी पूछताछ की, पर रोरो कर वह खुद को निर्दोष बताता रहा.

इस के बाद उसे इस हिदायत के साथ छोड़ दिया गया कि वह गांव में ही रहेगा और जब भी जरूरत पड़ेगी, उसे थाने आना पड़ेगा. बबलू ने पूरे गांव व पुलिस से कहा था, ‘‘अगर लक्ष्मण की हत्या में मेरा हाथ पाया जाए तो मुझे सरेआम फांसी पर लटका देना. यह बात सभी जानते हैं कि मैं ने इस परिवार की कितनी मदद की है.’’

पुलिस ने बबलू का फोन सर्विलांस पर लगा रखा था. पिछले एक महीने में उस ने जिनजिन नंबरों पर बात की थी, वे सभी सर्विलांस पर थे. जांच में पता चला कि घटना से पहले बबलू के मोबाइल पर छंगा उर्फ अकबर, निवासी इमरतपुर ऊधौ, थाना मैनाठेर से बात हुई थी. पुलिस ने मुखबिर के द्वारा छंगा के बारे में पता कराया तो जानकारी मिली कि वह घर पर नहीं है.

इस हत्याकांड को 27 दिन हो चुके थे, परंतु लक्ष्मण का सिर नहीं मिला था. पुलिस की हिदायत की वजह से बबलू सतर्क था. वह कहीं आताजाता भी नहीं था.

6 अक्तूबर, 2017 को बबलू ने किसी से फोन पर कहा कि वह गांव शिमलाठेर के बाहर अमरूद के बगीचे में आ जाए, वहीं बात करेंगे. यह बात सर्विलांस टीम को पता चल गई. थानाप्रभारी ने मुखबिर से गांव के बाहर की अमरूद की बाग के बारे में पूछा और उस पर नजर रखने को कहा.

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने गांव शिमलाठेर के बाहर अमरूद के बाग में दबिश दे कर वहां से बबलू के अलावा 3 अन्य लोगों को हिरासत में ले लिया, जबकि 3 लोग भाग गए. हिरासत में लिए गए लोगों को थाने ला कर पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम शबाबुल निवासी इमरतपुर ऊधौ, फरीद निवासी लालपुर गंगवारी और गुलाम नबी निवासी डींगरपुर बताया.

उन्होंने बताया कि फरार होने वाले छंगा उर्फ अकबर, राशिद निवासी इमरतपुर ऊधौ और पिंटू उर्फ बिंटू निवासी दौलतपुर थे. उन सभी से पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो न सिर्फ उन्होंने लक्ष्मण की हत्या का अपराध स्वीकार किया, बल्कि उन की निशानदेही पर एक जगह गड्ढे में दबाया हुआ लक्ष्मण का सिर भी बरामद कर लिया. उस पर उन्होंने ऐसा कैमिकल लगा रखा था, जिस से वह करीब एक महीने तक जमीन में दबा रहने के बावजूद खराब नहीं हुआ था. लक्ष्मण की हत्या की उन्होंने जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी.

उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद से कोई 18 किलोमीटर दूर है थाना कुंदरकी. इसी थाने के गांव शिमलाठेर में बबलू अपने परिवार के साथ रहता था. वह संपन्न आदमी था. उस के पास 4 ट्रैक्टर और 6 ट्रक हैं. वह टै्रक्टरों से खेतों की जुताई करता है और ट्रकों से मुरादाबाद के रेलवे माल गोदाम में आने वाले सीमेंट को अलगअलग गोदामों तक पहुंचवाता था. इस सब से उसे अच्छी कमाई हो रही थी.

लक्ष्मण का छोटा भाई टिंकू बबलू के ट्रक पर पल्लेदारी करता था. वह मेहनती और ईमानदार था. बबलू उस पर बहुत विश्वास करता था, जिस की वजह से उस का बबलू के घर भी आनाजाना था. बबलू अपने कामधंधे में व्यस्त रहता था, इसलिए बबलू की पत्नी कमलेश टिंकू से ही घर के सामान मंगाती थी. ऐसे में ही कमलेश के टिंकू से संबंध बन गए.

हालांकि दोनों की स्थिति में जमीनआसमान का अंतर था. कमलेश के सामने टिंकू की कोई औकात नहीं थी. इस के बावजूद कमलेश का टिंकू पर दिल आ गया था. शुरू में तो उन के संबंधों पर किसी को शक नहीं हुआ. लेकिन ऐसे संबंधों में कितनी भी सावधानी बरती जाए, देरसवेर उजागर हो ही जाते हैं. कमलेश और टिंकू के संबंधों की बात भी गांव में फैल गई.

3 लाख रुपए में टिंकू की मौत का सौदा

बबलू गांव का रसूखदार व्यक्ति था. टिंकू की वजह से उस की गांव में अच्छीखासी बदनामी हो रही थी. इसलिए उस ने तुरंत टिंकू को पल्लेदारी से हटा दिया. इस के बाद टिंकू का कमलेश के घर आनाजाना बंद हो गया. कमलेश किसी भी हाल में टिंकू को छोड़ना नहीं चाहती थी. लिहाजा फोन पर संपर्क कर के वह टिंकू को अपने खेतों पर बुला लेती. बबलू ने पत्नी को भी समझाया, पर वह नहीं मानी. इस पर बबलू ने टिंकू को ठिकाने लगवाने की ठान ली.

बबलू के गांव के नजदीक ही इमरतपुर ऊधौ गांव है. इसी गांव में अकबर उर्फ छंगा रहता था. वह वहां का माना हुआ बदमाश था. कई थानों में उस के खिलाफ दरजन भर मामले दर्ज थे. बबलू ने उस से बात कर 3 लाख रुपए में टिंकू की हत्या का सौदा कर डाला.

छंगा का एक भतीजा शबाबुल सुपारी किलर था. उस पर भी 10-12 केस चल रहे थे. छंगा ने शबाबुल से बात की. वह मुरादाबाद के जयंतीपुर में अपनी 2 बीवियों के साथ रहता था. उसे अपना मकान बनाने के लिए पैसों की जरूरत थी, इसलिए वह 2 लाख रुपए में टिंकू की हत्या करने को राजी हो गया.

चूंकि शबाबुल पेशेवर अपराधी था, इसलिए उसी बीच लालपुर गंगवारी के फरीद और डींगरपुर के गुलाम नबी ने शबाबुल से किसी नवयुवक के कटे हुए सिर की डिमांड की. इस के लिए उन्होंने शबाबुल को 2 लाख रुपए भी दे दिए. वह नरमुंड उन्हें सालिम के मार्फत दिल्ली के सीलमपुर में रहने वाले एक बड़े तांत्रिक महफूज आलम के पास पहुंचाना था. फरीद संपेरा और तांत्रिक है.

महफूज आलम ने नरमुंड पहुंचाने पर गुलाब नबी और सालिम को 20 लाख रुपए देने की बात कही थी. पर इन दोनों ने शबाबुल से 2 लाख रुपए में ही सौदा कर लिया था. तांत्रिक महफूज उस नरमुंड का क्या करता, यह किसी को पता नहीं था.

शबाबुल को दोहरा फायदा उठाने का मौका मिल गया था. उसे टिंकू की हत्या 2 लाख रुपए में करनी थी. उस का सिर काट कर गुलाम नबी को देना था यानी एक तीर से उस के 2 शिकार हो रहे थे.

इस तरह टिंकू की हत्या से 4 लोगों को फायदा हो रहा था. पहला फायदा बबलू को था, क्योंकि उस की पत्नी से उस के अवैध संबंध थे. दूसरा फायदा छंगा को था, जिस ने 3 लाख रुपए में टिंकू की हत्या की बात तय कर के 2 लाख रुपए में अपने भतीजे को कौन्ट्रैक्ट दे दिया था. तीसरा फायदा शबाबुल को था, जिसे टिंकू की हत्या पर 2 लाख रुपए छंगा से मिलने थे और 2 लाख नरमुंड देने पर फरीद से मिलने थे. चौथा और सब से बड़ा फायदा गुलाब नबी और सालिम को था, क्योंकि उन्हें दिल्ली के तांत्रिक महफूज आलम से नरमुंड पहुंचाने पर 20 लाख रुपए मिलने थे और उन्होंने 2 लाख में शबाबुल से बात कर ली थी. उन्हें 18 लाख रुपए बच रहे थे.

इस के बाद बबलू टिंकू की हर गतिविधि पर नजर रखने लगा. उसे कहीं से पता चल गया था कि 9 सितंबर की रात टिंकू अपने खेत में पानी लगाने जाएगा. यह बात उस ने छंगा को बता दी. छंगा ने शबाबुल को सूचित कर दिया. पूरी योजना बना कर छंगा, शबाबुल, फरीद, गुलाब नबी और बबलू टिंकू के खेत के पास पहुंच गए. रास्ते में उन्होंने ठेके से शराब खरीदी. बबलू के अलावा उन सब ने खेत के किनारे बैठ कर शराब पी. योजना के अनुसार उन्होंने बबलू के हाथ बांघ कर वहीं बैठा दिया.

9 सितंबर, 2017 की शाम को खाना खाने के बाद यादराम ने अपने दोनों बेटों लक्ष्मण और ओमकार को खेत में पानी लगाने को कहा. क्योंकि उस दिन उन का तीसरा बेटा टिंकू डीसीएम गाड़ी में तोरई भर कर दिल्ली की आजादपुर मंडी गया था. लक्ष्मण और ओमकार अपने चचेरे भाई शिवम को भी साथ ले गए थे. वे अपने साथ टौर्च भी ले गए थे.

जब वे खेत पर पहुंचे तो उन्हें वहां 4 बदमाश मिले और बबलू उन के पास बैठा था. उस के हाथ पीछे की ओर बंधे थे. बदमाशों ने धमकी दे कर उन तीनों को भी बांध दिया. बबलू ने देखा कि उन तीनों में टिंकू नहीं है तो वह चौंका, क्योंकि उसी की हत्या के लिए तो उस ने यह ड्रामा रचा था. बदमाशों ने बबलू के साथ मंत्रणा की. बबलू ने जब देखा कि खेल बिगड़ रहा है तो उस ने बदमाशों को बता दिया कि इन में से जो बीच में है, उसी का काम तमाम कर दिया जाए. बीच में लक्ष्मण था.

इस के बाद एक बदमाश ने लक्ष्मण के हाथ खोल दिए और 3 लोग शबाबुल, फरीद और गुलाम नबी लक्ष्मण को अंधेरे में अपने साथ ले गए. छंगा राइफल लिए बाकी के पास खड़ा रहा. करीब 5 मिनट बाद वे लक्ष्मण को ले कर वापस आ गए. उन्होंने बबलू से फिर बात की और कहा कि लड़का अच्छा है. बबलू ने उन से कहा कि कोई बात नहीं, इसी का काम कर दो. तब शबाबुल, फरीद व गुलाम नबी लक्ष्मण को फिर जंगल में ले गए.

तीनों ने लक्ष्मण को जमीन पर गिरा दिया. लक्ष्मण जान पर खेल कर उन से भिड़ गया. पर वह अकेला तीनों का मुकाबला नहीं कर सका. लिहाजा बदमाशों ने उसे फिर नीचे गिरा दिया. वह उठ न सके, इस के लिए फरीद ने उस के पैर पकड़े और गुलाम नबी ने सिर के बाल पकड़ लिए. तभी शबाबुल ने फरसे से एक ही वार में उस का सिर धड़ से अलग कर दिया. लक्ष्मण चिल्ला भी न सका. उस का सिर कलम कर के वे उन बंधकों के पास आ कर बोले, ‘‘काम हो गया.’’

यह काम करने में उन्हें केवल 20 मिनट लगे थे. इस के बाद वे बंधकों को उलटा लिटा कर उन के ऊपर चादर डाल कर चले गए. वह चादर ओमकार अपने साथ घर से लाया था. शबाबुल ने लक्ष्मण का सिर गुलाम नबी तांत्रिक के हवाले कर दिया. गुलाम नबी ने कैमिकल का लेप लगा कर उस के सिर को डींगरपुर के जंगल में एक बेर के पेड़ के नीचे दबा दिया था.

करीब आधे घंटे बाद ओमकार, बबलू और शिवम ने किसी तरह खुद को खोला और तेजी से गांव की तरफ भागे. उन के शोर मचाने पर गांव वाले जंगल की तरफ बदमाशों की तलाश में निकले. जंगल में लक्ष्मण की लाश मिलने पर बबलू ने ही कुंदरकी पुलिस को फोन कर के सूचना दी थी.

इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद भी बबलू लक्ष्मण की अंतिम क्रिया तक में साथ रहा. सभी कर्मकांडों में उस ने अपना सहयोग दिया. लक्ष्मण की चिता के फूल चुनने के समय भी वह उस के घर वालों के साथ था.

गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों से पूछताछ कर पुलिस ने उन की निशानदेही पर फरसा भी बरामद कर लिया. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने 2 अन्य अभियुक्तों इमरतपुर ऊधौ के राशिद और सालिम को भी गिरफ्तार कर लिया था. सालिम पूर्व ग्रामप्रधान था. इन सभी से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

फरार अभियुक्तों की तलाश में पुलिस ने कई स्थानों पर दबिशें डालीं, पर पुलिस को सफलता नहीं मिल सकी. इसी बीच अभियुक्त छंगा उर्फ अकबर ने 12 अक्तूबर, 2017 को मुरादाबाद की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने कोर्ट में दरख्वास्त दे कर छंगा को पुलिस रिमांड पर लिया और पूछताछ कर के जेल भेज दिया था.

इस के अलावा पुलिस सीलमपुर दिल्ली के तांत्रिक महफूज आलम को भी तलाश रही थी, जिस ने 20 लाख रुपए में नरमुंड लाने की बात डींगरपुर के तांत्रिक गुलाम नबी से तय की थी. महफूज की गिरफ्तारी के बाद ही यह पता चल सकेगा कि तांत्रिक 20 लाख रुपए में उस कटे हुए सिर को खरीद कर क्या करता? पुलिस जब तांत्रिक के दिल्ली ठिकाने पर पहुंची तो वह फरार मिला. लोगों ने बताया कि महफूज तांत्रिक के पास देश के अलगअलग राज्यों से ही नहीं, बल्कि अरब के शेख भी आते थे.

इस से पुलिस को शक है कि कहीं तांत्रिक ने इस से पहले तो नरमुंड के लिए किसी की हत्या तो नहीं कराई थी. बहरहाल, पुलिस फरार अभियुक्तों की तलाश कर रही है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल का हुआ तलाक, किया ये ट्वीट

महिलाओं को वाजिब हक दिलाने में सक्रिय रहने वाली स्वाति मालिवाल किसी परिचय की मुहताज नहीं हैं. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल के बारे में एक दिन उन के पति ने लिखा था,”स्वाति शेरनी हैं. मुरदा नहीं मरदानी हैं.” अब मीडिया रिपोर्ट आई है कि इन दोनों का तलाक हो चुका है.

स्वाति ने अपने ट्विटर पर इस की जानकारी देते हुए लिखा,”जिस वक्त आप की परियों की कहानियां खत्म हो जाएं, वे बेहद दर्दनाक होती हैं. मेरी भी खत्म हो गईं. मैंने और नवीन ने तलाक ले लिया है.” स्वाति ने लिखा,”कई बार शानदार लोग भी साथ नहीं रह पाते. उन्हें और भविष्य में जितनी भी जिंदगी उन के साथ जी, उन्हें काफी मिस करूंगी.”

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पति नवीन जयहिन्द आम आदमी पार्टी से जुङे हैं…

उन के पूर्व पति नवीन जय हिंद आम आदमी पार्टी से जुङे हैं और स्वाति मालिवाल की नियुक्ति भी दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने किया था. स्वाति मालिवाल अपनी सक्रियता की वजह से काफी चर्चित चेहरा रही हैं और उन्होंने महिला सशक्तिकरण के साथसाथ नशामुक्ति अभियान भी जोरशोर से चलाया था.

महिला हक के लिए मुखर रही हैं स्वाति

स्वाति महिला हक के लिए आवाज उठाने वाली ऐसी महिला शक्ति रही हैं जिन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को भी हिला कर दिया था जब बलात्कारियों को फांसी देने की मांग पर उन्होंने पिछले साल दिसंबर माह में आमरण अनशन किया था. तब नवीन जयहिन्द ने स्वाति को शेरनी और मरदानी बताया था.

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अगर आप भी हैं जाह्नवी कपूर के फैन तो ये हैं उनसे मिलने का खास मौका

हाल ही में आलिया भट्ट ने अपने फैन के लिए उसके बर्थडे पर केक बनाया था. अब जाह्नवी कपूर जल्द ही अपने किसी फैन को उनकी लाइफ का स्पेशल मोमेंट देंगी. जाह्नवी उन्हें अपने साथ हेलीकॉप्टर राइड पर ले जाएंगी. ये सब करने में उनकी मददद करेंगी उनकी सौतेली बहन अंशुला कपूर.

दरअसल अंशुला अपने एनजीओ फैन काइंड के जरिए सेलिब्रेटीज और उनके फैंस को मिलवाने का काम करती हैं. इसके जरिए वे चेरिटेबल कॉज के लिए पैसे जमा करती हैं. इसके जरिये जमा होने वाले फंड साथ फाउंडेशन को दिए जायेंगे जो अहमदाबाद के एक अंडरप्रिवलेज्ड स्कूल के लिए काम करता है, वह इस फंड से स्कूली बच्चो के लिए एजुकेशन का सामान इकठ्ठा करेंगे.

ऐसे मिल सकते हैं जाह्नवी से…

फैन काइंड के वेबसाइट पे 19 फरवरी से इच्छुक फंड डोनेट कर सकते है यह साइट 31 मार्च तक खुली रहेगी. इसी दौरान फैन काइंड एक लकी डोनर को चुनेगा. यह वह लकी फैन होगा जिसे जाह्नवी के साथ हवाई सैर करने का मौका मिलेगा.


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जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर का हुआ ब्रेकअप

 बौलीवुड में अपनी पहली फिल्म ‘धड़क’ से फैंस का दिल जीतने वाले स्टार्स जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) और शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) के छोटे भाई ईशान खट्टर (Ishaan Khatter) का रिलेशनशिप किसी से छिपा नही हैं. दोनों कई महीनों से एक दूसरे को डेट कर रहे थे, लेकिन अब खबरें हैं कि दोनों का Valentine’s  से पहले दोनों स्टार्स का ब्रेकअप हो गया है. आइए आपको बताते हैं क्या है सच….

 

हो गया है जाह्नवी और ईशान का ब्रेकअप

हाल ही में दोनों की करीबी दोस्त ने कहा है कि जाह्नवी (Janhvi) और ईशान (Ishaan) ने अपने काम और वर्क कमिटमेंट्स के चलते ब्रेकअप कर लिया है. सूत्र ने यह भी बताया है कि दोनों इस वक्त अपने काम पर ध्यान देना चाहते हैं और इसीलिए फिलहाल अपने काम पर ही फोकस करना चाहते हैं. लेकिन दूसरी खबरों की मानें तो कहा जा रहा है कि ईशान खट्टर (Ishaan Khatter)  का ओवरपजेसिव बर्ताव उनके ब्रेकअप का कारण है.

 पहली फिल्म में आए थे करीब
साल 2018 में फिल्म धड़क (Dhadak) के साथ डेब्यू करने वाले जाह्नवी और ईशान फिल्म की शूटिंग के दौरान करीब आए थे और दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी. हालांकि दोनों ने हमेशा अपने रिलेशनशिप की खबरों से इंकार किया, लेकिन लगातार एक साथ दिखना और फैमिली फंग्शन्स में पहुंचना इनके रिलेशनशिप का सबूत बन गया था.

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जाह्नवी कपूर की बात करें तो वह इन दिनों अपनी फिल्म गुंजन सक्सेना को लेकर सुर्खियों में हैं, जिसमें वह पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) के साथ काम कर रही हैं. वहीं दूसरी तरफ वो राजकुमार राव (Rajkumar Rao) संग फिल्म रूहीआफ्जाना (Roohi Afzana) में नजर आने वाली हैं.

जब शराब पी कर डीजे की तेज आवाज में नाचना पड़ गया भारी

शादीविवाह या अन्य किसी पार्टी में कानफोड़ू आवाज में डीजे की धुन पर नाचतेथिरकते लोगों को आप ने जरूर देखा होगा. पर नाचतेनाचते किसी की मौत हो जाए और खुशियां मातम में बदल जाएं, जान कर आश्चर्य भी होगा और दुख भी.

खुशियां बदल गईं मातम में

घटना उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर स्थित एक गांव की है जब शादी की खुशियां पलभर में मातम और शोरशराबे में बदल गई जब डीजे की तेज आवाज पर नाचते 2 लोगों की तत्काल मौत हो गई. मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है.

मीडिया के हवाले से आई एक खबर के अनुसार इस गांव में धूमधाम से एक शादी हो रही थी. बरात में आए बराती पहले तो ढोल में नाचे फिर शादी वाली जगह पर तेज आवाज में डीजे पर जम कर नाचने लगे. नाचने से पहले कुछ लोगों ने जम कर शराब भी पी और फिर खापी कर फिर से नाचने पहुंच गए.

नाचना पड़ गया भारी

पहले एक बराती नाचते हुए गिर पङा तो लोगों ने समझा कि शायद ज्यादा शराब पीने की वजह से गिरा होगा. तभी एक और बराती भी गिरा तो लोग दोनों को सहारा दे कर उठाने की असफल कोशिश करने लगे.

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जब पानी के छींटे मारने पर भी दोनों के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो लोगों को शक हुआ.

मौके पर पहुंची पुलिस

मौके पर पुलिस भी पहुंची. शवों को पोस्टमार्टम में भेजने के लिए परिवार वालों को समझाया गया. आगे की पुलिस तफ्तीश जारी है पर इतना तो तय है कि शादी के अवसर पर शराब पी कर हुङदंग करना भारी पङ सकता है.

बीच सङक पर शराब पी कर नाचतेगाते लोगों को न तो अपनी सुरक्षा का खयाल रहता है न ही सङक पर चलते लोगों की.

शादी में नाचना आम बात है और खुशी के मौके पर नाचना परंपरा भी है और शौक भी. मगर शराब पी कर डीजे की तेज आवाज पर नाचने से किसी की मौत हो जाए तो यह कोई नई बात नहीं है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

साईं पोलिक्लिनिक, दिल्ली के डा. सत्यम कुमार भास्कर कहते हैं,”शराब पी कर नाचना वह भी तेज आवाज में, बेहद खतरनाक होता है.

“ऐसा देखा गया है कि शिकार व्यक्ति की मौत ब्रेन हेमरेज से हो जाती है. दरअसल, शराब पीने के बाद ब्लड का पीएच लैवल बदल जाता है. अगर इस के बाद कुछ खाया गया है तो यह और भी खतरनाक होता है.

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“इस दौरान शरीर में कैमिकल बैलेंस बनतेबदलते रहते हैं. दोगुना घातक तेज आवाज में बजता डीजे भी हो सकता है, जिस का डेसिबल उस वक्त इतना हाई होता है जो एक सामान्य व्यक्ति के लिए बरदाश्त करना आसान नहीं होता और हार्ट अटैक अथवा ब्रेन हेमरेज से उस की मौत भी हो सकती है.”

डा. भास्कर बताते हैं कि शादीविवाह या अन्य किसी भी अवसर पर तेज आवाज में बजते संगीत से दूरी बना कर रखें. शराब पी कर तो भूल कर भी नृत्य न करें.”

टमाटर की इस नई किस्म से होगी दोगुनी पैदावार 

आमतौर पर सामान्य प्रजाति के टमाटरों का उत्पादन 400 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है, लेकिन अब टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक ऐसी नई किस्म तैयार की है, जिस से प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 1,200 से 1,400 क्विंटल तक ली जा सकती है. टमाटर की इस किस्म को नामधारी 4266 का नाम दिया गया है, जो अब किसानों के लिए उपलब्ध है.

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त निदेशक प्रोफैसर डीपी सिंह ने बताया कि आमतौर पर टमाटर की खेती में निराई, गुड़ाई, बोआई, सिंचाई और खाद वगैरह के खर्च में तकरीबन 50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर का खर्च आता है.

उन्होंने बताया कि हम पौलीहाउस में नामधारी 4266 प्रजाति के टमाटर की खेती कर सकते हैं. इस किस्म की खूबी यह है कि इस में रोग व कीट नहीं लगते हैं और टमाटर की फसल लगभग 45 दिनों में तैयार हो जाती है.

उन्होंने आगे बताया कि सितंबर व अक्तूबर माह में इस की नर्सरी लगाई जाती है और दिसंबर से फरवरी माह के बीच फसल तैयार हो जाती है. प्लास्टिक ट्रे में पौध तैयार करने के लिए कोकोपिट यानी नारियल के छिलके का बुरादा वर्मीकुलाइट व परलाइट को 3:1:1 के अनुपात में मिला कर बनाया जाता है. इसे पौध तैयार करने वाली प्लास्टिक ट्रे में डाल कर बीज द्वारा पौध तैयार की जाती है. इस से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्त्व पौधों को मिलता है. इस की सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती.

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इस किस्म के टमाटर का वजन सामान्य से ज्यादा : जानकारी में बताया गया कि इस का परीक्षण कामयाबी पूर्वक हो गया है और आसपास के जिलों से किसानों को पौलीहाउस में टमाटर की फसल को देखने को बुलाया गया है. बाहर के किसान भी इस की नर्सरी ले जा सकते हैं.

यह प्रजाति बेलटाइप की है. पौलीहाउस में इस की खेती इसलिए करते हैं कि इस में तापमान लता के हिसाब से होता है. एक गुच्छे में 4 से 5 और पूरे पौधे में 50 से 60 ही होते हैं. टमाटर का वजन भी 100 से 150 ग्राम है, जबकि सामान्य टमाटर का वजन 50 से 80 ग्राम का ही होता है. यह किसानों के लिए बहुत लाभकारी है.

इस प्रजाति को उद्योग के रूप में अपना सकते हैं. प्रोफैसर डीपी सिंह ने बताया कि आने वाले दिनों में दूसरे विश्वविद्यालयों व कालेजों के छात्रों को इस प्रजाति की खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस के अलावा उद्यमिता में रुचि रखने वाले नौैजवान भी इस का प्रशिक्षण हासिल कर इसे उद्योग के रूप में अपना सकेंगे.

उन्होंने कहा कि हम अपने यहां से प्रशिक्षित छात्रों को दूसरी जगह इस विधि को सिखाने के लिए भेजेंगे, जिस से आगे चल कर वे किसी पर आश्रित न रहें.

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कैसे लें टमाटर की अधिक पैदावार

टमाटर के पौधों की रोपाई समय पर की जानी चाहिए, वरना पैदावार पर बुरा असर होता है. अच्छी किस्म के बीजों की बोआई समय पर करें. साथ ही, पौधों को लाइनों में उचित दूरी पर लगाना चाहिए. रोपाईर् सुबह या शाम के समय करनी चाहिए. पौध रोपण के साथ हलकी सिंचाई करनी चाहिए, ताकि पौधों की भलीभांति जमीन में पकड़ बन जाए.

टमाटर के प्रमुख तनों पर कल्ले निकल आने पर उन्हें ऊपर से हटा दें. ऐसा करने से पौधों में अच्छा फुटाव होता है और अनेक नई शाखाएं बनती हैं जिन पर अधिक फल लगेंगे.

टमाटर की फसल में अनेक खरपतवार उग आते हैं, उन की रोकथाम जरूरी है अन्यथा पौधों की बढ़वार रोक कर खुद खेत में हावी हो जाते हैं और खेत की जमीन से नमी, पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है. कीट और रोगों की रोकथाम के लिए निराईगुड़ाई जरूर करनी चाहिए. निराईगुड़ाई करने से खरपतवारों की रोकथाम तो होती ही है, साथ ही, जमीन में हवा का आनाजाना बना रहता है जो पौधों व जड़ों का विकास करते हैं.

सही समय पर सिंचाई करनी चाहिए. यदि बारिश के मौसम में टमाटर के खेत में अधिक पानी जमा हो जाए तो उसे निकालना चाहिए, वरना फसल पीली पड़ कर मर जाएगी.

टमाटर की फसल में अनेक प्रकार के कीट व बीमारी का प्रकोप भी होता है. इस के लिए जैविक तरीकों से रोकथाम करें. अगर फिर भी बात नहीं बन रही है तो विशेषज्ञ को पीडि़त फसल दिखा कर उचित मात्रा में उचित रसायन का प्रयोग करें.

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