सत्य प्रकाश, धीरज कटियार और प्रदीप कुमार सैनी
मटर का स्थान शीतकालीन सब्जियों में प्रमुख है. इस का इस्तेमाल आमतौर पर हरी फली की सब्जी के तौर पर जाना जाता है, वहीं साबुत मटर और दाल के लिए भी किया जाता है. मटर की खेती सब्जी और दाल के लिए उगाई जाती है.
मटर दाल की जरूरत की भरपाई के लिए पीले मटर का उत्पादन करना बहुत जरूरी है. इस का प्रयोग दाल, बेसन व छोले के रूप में अधिक किया जाता है.
आजकल मटर की डब्बाबंदी भी काफी लोकप्रिय है. इस में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, रेशा, पोटैशियम व विटामिन पाया जाता है. देशभर में इस की खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है.
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जलवायु
मटर की फसल के लिए नम व ठंडी जलवायु की जरूरत होती है, इसलिए हमारे देश में ज्यादातर जगहों पर मटर की फसल रबी सीजन में उगाई जाती है. बीज अंकुरण के लिए औसत तापमान 22 डिगरी सैल्सियस और अच्छी बढ़वार व विकास के लिए 10-18 डिगरी सैल्सियस की जरूरत होती है.
अगर फलियों के बनने के समय गरम या शुष्क मौसम हो जाए तो मटर के गुणों व उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. उन सभी जगहों पर जहां सालाना बारिश60-80 सैंटीमीटर तक होती है, मटर की फसल कामयाबी से उगाई जा सकती है. मटर के बढ़ोतरी के दौरान ज्यादा बारिश का होना बहुत ही नुकसानदायक होता है.
भूमि
इस की सफल खेती के लिए उचित जल निकास वाली, जीवांश पदार्थ मिट्टी सही मानी जाती है, जिस का पीएच मान 6-7.5 हो, तो ज्यादा सही होती है.
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