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पालघर मौब लिंचिंग: इन्हें याद क्यों नहीं आए तबरेज, अखलाक और पहलू खान

पालघर मौब लिंचिंग के सच का सच:

हादसा बीती 16 अप्रेल की देर रात का है . साल 2014 में महाराष्ट्र के नए जिले के रूप में अस्तित्व में आए  पालघर जो मुंबई से महज 87 किलोमीटर की दूरी पर है में गाँव बालों ने 2 साधुओं की बेरहमी से पीट पीट कर हत्या कर दी . एक वायरल हो रहे वीडियो में भीड़ के वहशीपन का नंगा सच साफ साफ दिख रहा है कि बेकाबू और बेलगाम भीड़ ने किस तरह एक और दर्दनाक और निर्मम वारदात को अंजाम दिया . पूरे देश की तरह पालघर में भी लाक डाउन है वहाँ भी कोरोना के मरीज मिले हैं .

यह थी घटना –

18 अप्रेल तक इस घटना के बारे में किसी को कोई खास जानकारी नहीं थी सिवाय पालघर प्रशासन के , लेकिन 19 अप्रेल को जैसे ही उक्त घटना का वीडियो वायरल हुआ तो हल्ला मचना शुरू हो गया .  वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि पिटने बाले लोग साधु संत हैं जो कि गेरुए कपड़े पहने हुए हैं . हल्ला मचा तो पालघर के जिलाधिकारी कैलाश शिंदे ने विस्तार से घटना की जानकारी दी . उनके मुताबिक मृतक साधु मुंबई के कांदीबाली स्थित एक आश्रम के हैं जिनके नाम 35 वर्षीय सुशील गिरी और 70 वर्षीय चिकने महाराज कल्पवृक्ष गिरी   हैं . ये दोनों ड्राइवर नीलेश के साथ मुंबई से सूरत के लिए किराए की गाड़ी लेकर एक मित्र संत की अंत्येष्टि में भाग लेने जा रहे थे .

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जल्दी पहुँचने की गरज से इन लोगों ने महाराष्ट्र के अंदरूनी हिस्सों से होकर जाना पसंद किया . केंद्र शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली की सीमा पर बसे गाँव गढ़चिचले के नजदीक वन विभाग के एक संतरी ने इनकी गाड़ी को रोक लिया . इस इलाके में पिछले कुछ दिनों से यह अफवाह फ़ैली हुई थी कि आसपास बच्चा चोरों और चोरी से फसल काटने बालों का गिरोह सक्रिय है .

इस गिरोह से बचने गाँव बालों ने एक निगरानी दल बना लिया था जो खासतौर से रात में निगरानी का काम कर रहा था . वन विभाग का संतरी अभी इन लोगों से पूछताछ कर ही रहा था कि तभी यह निगरानी दल आ गया जिसने कुछ देर बाद साधुओं की धुनाई शुरू कर दी . देखते ही देखते वहाँ कोई 400 लोग इकट्ठा हो गए जिनहोने बगैर सोचे समझे डंडों और लात घूंसों से सुशील गिरी और चिकने महाराज कल्पवृक्ष गिरी  की पिटाई शुरू कर दी . बख्शा नीलेश को भी नहीं गया . मौजूद कुछ लोगों ने मार पिटाई के वीडियो भी बनाए.

संतरी ने अपनी ड्यूटी बजाते हो रहे हादसे की खबर 35 किलोमीटर दूर कासा थाने में दी .  पुलिस आई भी लेकिन कुछ कर नहीं पाई क्योंकि भीड़ अपनी पर उतारू हो चुकी थी और पुलिस बालों की संख्या 3-4 ही थी .  हालांकि वीडियो में एक पुलिस बाला ही साधुओं को भीड़ से बचाने की नाकाम कोशिश करता नजर आ रहा है . भीड़ तब तक गाड़ी भी तोड़ चुकी थी और शायद उसे यह इल्म तक भी नहीं था कि साधु तो कब के मर चुके हैं . जैसे तैसे पुलिस बालों ने घायल ड्राइवर और साधुओ को अपनी गाड़ी में पटका और ले गए .

जब मचा हल्ला –

इस घटना पर संत समाज ने खासा गुस्सा जताया . अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने उद्धव ठाकरे सरकार को चेतावनी दी कि अगर हत्यारों पर काररवाई नहीं हुई तो महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आंदोलन होगा . भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने आरोपियों पर रासुका यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने की मांग की और ऐसा न होने पर महाराष्ट्र सरकार को साधुओं के कोप का सामना करने की धौंस भी दी . साधु संत ही नहीं बल्कि भाजपाइयों ने भी उद्धव सरकार को निशाने पर लिया . महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर डाली .

जबाब में उद्धव ठाकरे ने ट्वीट के जरिये जानकारी दी कि आरोपी घटना दिनांक को ही गिरफ्तार कर लिए गए और 30 अप्रेल तक पुलिस हिरासत में रहेंगे .

लेकिन इस घटना पर जो ट्वीट हुए वे जरूर घटना से ज्यादा चिंताजनक हैं . किसी ने दलाल मीडिया को कोसा तो किसी ने गोदी मीडिया को किसी ने सनातन धर्म को खतरा इसे बताया तो किसी ने कहा कि यही सब कुछ अगर यूपी के किसी मुल्ले के साथ हुआ होता तो अब तक  प्रियंका गांधी रोने पहुँच गई होतीं .

भाजपा नेता संबित पात्रा ने पालघर का वीडियो शेयर किया और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया – हृदयविदारक …. बेबस संत पुलिस के पीछे अपनी जान बचाने भाग रहा है और ऐसा साफ साफ दिख रहा है कि पुलिस न केवल अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट रही है अपितु ऐसा लगता है कि बेचारे संत को भीड़ में धकेला जा रहा है . ये महाराष्ट्र में क्या हो रहा है .

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वही हुआ जो …….

लाख हल्ले के बाद भी भगवा गेंग अच्छी बात है इस मसले पर हिन्दू मुस्लिम रंग नहीं दे  पाई (क्योंकि ऐसा कुछ करने लायक मसाला वहाँ था भी नहीं ) पर मुकम्मल हल्ला मचाने में जरूर कामयाब रही लेकिन किसी को पहलू खान या अखलाक याद नहीं आए जो कभी इसी तरह की मोब लिंचिंग का शिकार हुए थे . किसी को यह भी याद नहीं आया कि मोब लिंचिंग में अक्सर दलित और मुस्लिम ही क्यों मारे जाते रहे हैं और इनसे भी ज्यादा अहम बात यह कि  मोब लिंचिंग का सिलसिला नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद ही क्यों बढ़ा . किसी को यह भी याद नहीं आया कि गुजरात के उंझा में क्या हुआ था . दो साधु मोब लिंचिंग का शिकार हुए तो ऐसी कई बातों को छोडकर बाकी सब हर किसी को याद आया . यह ट्वीट किसी ने नहीं किया कि किसने मोब लिंचिंग की प्रवृति को शह दी और अधिकतर अहम मामलों में आरोपी साक्ष्य के अभाव में अदालत से बरी हो गए .

कुछ अहम बातें यहाँ सरकारी आंकड़ों के हवाले से साझा की जा रहीं हैं जिससे आपको सहज एहसास हो जाये कि जो कहा जा रहा है वह भी कम कड़वा और सोचने को मजबूर कर देना बाला नहीं . साल 2014 से लेकर 2018 तक देश भर में मोब लिंचिंग की 134 वारदातें हुईं जिनमे 68 लोग मारे गए . इन वारदातों में दलित अत्याचार की वारदातें भी शामिल हैं जिनमें दलितों को भीड़ ने मारा . यह मसला जब संसद में उठा था तब तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जबाब में जो कहा था पहले वह सुनिए – सबसे बड़ी मोब लिंचिंग की घटना तो देश में 1984 में हुई थी .

क्या यह एक सटीक जबाब , सवाल पर माना जाना चाहिए ?

आइये अब देखते हैं आंकड़े जो कहते हैं कि 2014 से लेकर 2018 तक गौ रक्षा के नाम पर 87 ऐसी वारदातें मोब लिंचिंग की हुईं जिनमें 50 फीसदी शिकार मुस्लिम थे 11 फीसदी दलित समुदाय के लोग शिकार हुए और 9 फीसदी मामलों में दूसरी जाति के हिन्दू शिकार हुए . 20 फीसदी मामलों में पीड़ितों की जाति का पता नहीं चल पाया जबकि 1 फीसदी मामलों में दलित और आदिवासी भी शिकार हुए .

पालघर में नया कुछ नहीं हुआ है बल्कि पुराने हादसों का दोहराब भर हुआ है .  नया इतना भर है कि मृतक साधु थे जिनके गेरुए वस्त्रों का लिहाज भी भीड़ ने नहीं किया तो जरूर कहा जा सकता है कि इन वस्त्रों की छवि क्या रह या हो गई है . 2015 और 2018 के बीच के चर्चित मामलों के जिक्र के पहले जिक्र झारखंड के तबरेज अंसारी का का जो सरायकेला खरसावा के कदमडीह का है . 24 वर्षीय तबरेज पर भीड़ ने बाइक चोरी के शक में 17 जून 2019 को  हमला किया था और उसे जय श्रीराम बोलने मजबूर किया था , 22 जून को अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी . तबरेज की शादी 2 महीने पहले ही हुई थी जिसकी पत्नी शाइस्ता गर्भवती थी सदमे के चलते उसका गर्भपात हो गया था .  पेट में पल रहा बच्चा भी शायद समझ गया था कि बाहर बहुत खतरे हैं .

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  • 20 जुलाई 2018 को गौ तस्करी के शक में राजस्थान के अलवर में भीड़ ने रकबर खान नाम के शख्स को पीट पीट कर मार डाला था
  • इसके पहले अलवर में ही गौ रक्षकों की भीड़ ने उमर खान नाम के नौजबान 10 नवंबर 2017 को गोली मार कर हत्या कर दी थी
  • 29 जून 2017 को झारखंड में गौ मांस ले जाने के शक में भीड़ ने असगर अंसारी को पीट पीट कर मार डाला था
  • हैरतअंगेज तरीके से झारखंड में ही 12 से लेकर 18 मई 2017 के बीच 4 अलग अलग वारदातों में 9 लोगों की हत्या की गई थी
  • 1 मई 2017 को असम में गाय चोरी के शक में गौ रक्षकों ने एक युवक को पीट पीट कर मार डाला था
  • 20 अप्रेल 2017 को असम में गौ रक्षकों ने गाय चोरी के आरोप में दो युवकों की पीट पीट कर हत्या कर दी थी .
  • इसके ठीक 15 दिन पहले यानि 5 अप्रेल 2017 को राजस्थान के अलवर में गौ रक्षकों की सेना ने दूध व्यापारी पहलू खान को मार डाला था जिसका जिक्र शीर्षक में किया गया है
  • 18 मार्च 2016 को झारखंड के लातेहर में भीड़ ने इम्तियाज़ खान और मजलूम अंसारी को पेड़ से लटकाकर मार डाला था . तब ये दोनों अपने मवेशी बाजार में बेचने ले जा रहे थे
  • 14 अक्तूबर 2015 को हिमाचल प्रदेश में गौ रक्षकों ने 22 साल के एक युवक को महज गाय ले जाने के शक में ही पीट पीट कर मार डाला था
  • 28 सितंबर 2015 को उत्तरप्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक को गौ मांस खाने के शक में भीड़ ने पत्थरों और डंडों से पीट पीट कर मार डाला था इसका जिक्र भी शीर्षक में किया गया है
  • 2 अगस्त 2015 को उत्तरप्रदेश में ही भैंसे ले जा रहे लोगों को गौ रक्षकों ने पीट पीट कर मात डाला था
  • 20 मई 2015 को राजस्थान में मांस की दुकान चलाने बाले एक 60 साल के एक शख्स को भीड़ ने लोहे की राडों और डंडों से मार डाला था .

ये तो वे चर्चित मामले थे जो गौ रक्षा से संबन्धित थे और जिनमें मरने बाले अधिकतर मुसलमान ही थे और दिलचस्प बात ये कि अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकारें थीं .   लेकिन इनसे इतर भी मोब लिंचिंग की घटनाएँ होती रहती हैं जो यह साबित करती हैं कि भीड़ जब कानून अपने हाथ में लेती है तो कुछ नहीं देखती हालांकि यह नया रिवाज 2019 में शुरू हुआ जिसकी धमक पालघर में दिखी तो इसके निर्माता ही तिलमिलाते न्याय की मांग कर रहे हैं इसके पहले जाने क्यों इनके कानों पर जूं तक भी नहीं रेंगती थी .

मिसाल मध्यप्रदेश की लें तो दिसंबर 2018 में वजूद में आई कमलनाथ के नेतृत्व बाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी जमकर मोब लिंचिंग की घटनाएँ हुईं .  जुलाई 2019 में ही तीन अलग अलग  वारदातों में 2 लोगों को भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था इनमें से एक शख्स  नीमच में और एक भोपाल के नजदीक मंडीदीप में मारा गया था . तब सनातन धर्म खतरे में नहीं आया था क्योंकि मारने और मरने बाले दोनों हिन्दू थे पर उनमे से कोई साधु संत नहीं था.

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आज जब खुद का तीर खुद पर आकर लगा तो इन्हें दर्द हो रहा है जिसे सहज समझा जा सकता है लेकिन 2014 से लेकर 2018 तक ये मुंह में दही जमाये न बैठे रहते तो शायद सुशील और कल्पवृक्ष गिरी यूं न मारे जाते .

#lockdown: अभिनेत्री विद्या बालन ने घर पर मास्क बनाना सिखाया, लोग कर रहे हैं फॉलो

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि मास्क सभी के लिए अनिवार्य है , जो भी लोग सामान खरीदने के लिए या जरूरी सेवाओं के लिए घर से बाहर निकल रहे है उन सब को मास्क पहना जरूरी है. साथ मे यह भी कहा गया है, जरूरी नही है कि आप तैयार मास्क या एन95 मास्क ही पहने आप अपने घर पर बनाया हुआ मास्क भी इस्तेमाल कर सकते हो.

अभिनेत्री विद्या बालन ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया है. उन्होंने यह वीडियो सभी के लिए साझा किया है , वीडियो में विद्या बालन उनके एक ब्लाऊज पीस से कुछ मिनटों के भीतर ही मास्क बनाना सीखा रही है.विद्या बालन ने मास्क बनाने का बहुत ही सरल तरीका दिखाया है , विद्या ने वीडियो में कहा है कि जैसे कि पीएम मोदी ने कहा कि घरेलू मास्क इस्तेमाल कीजिए , आप घरेलु मास्क साड़ियों से या स्कार्फ से भी बना सकते है. घेरलू मास्क से भी आप उतने ही सुरक्षित रहोगे जैसे की किसी और मास्क से रहते है. विद्या के दिखाए इस मास्क को हर कोई बना सकता है और अपनी खुद की तथा अपने परिवार की सुरक्षा कर सकता है. विद्या ने यह वीडियो #अपना देश अपना मास्क #होम मेड मास्क (#ApnaDeshApnaMask #HomeMadeMask) इस हैशटेग के साथ शेयर किया है.

 

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Lets put a #LockDownOnDomesticViolence !! #Dial100 @CMOMaharashtra @DGPMaharashtra @AUThackeray @aksharacentre

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अभिनेत्री विद्या बालन समय समय पर जागरूकता ला रही है , वे गरीब लोंगो की सहायता के लिए सभी से अपील करते हुए भी नजर आरही है. हालही में विद्या ने एक वीडियो अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर साझा किया था इस वीडियो में विद्या एक महिला सफाई कर्मचारी को बड़े ही प्यार से शुक्रिया कह रही थी है तो वैसे ही एक वीडियो में वे मेडिकल में काम कर रहे सारे स्टाफ को भी धन्यवाद दे रही थी.

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विद्या जानती है कि इस समय मे सभी का हौसला बढ़ाने की जरूरत है और वे बखूब ही वे लोगों का हौसला बांधते हुए नजर आरही है और लोगों को सतर्क कर रही है कि अपने मास्क में ही अपनी सुरक्षा है.

#coronavirus: लौकडाउन में पाएं खूबसूरत त्वचा

मौसम करवट बदल रहा है. गरमी का मौसम आ चुका है. लौकडाउन के चलते सभी अपने घरों में दुबके हुए हैं. वे बाहर की धूल, प्रदूषण से फिलहाल बचे हुए हैं, पर गांवदेहात और छोटे कसबों में घर से बाहर निकलना हो ही जाता है. पर उस में भी सावधानी बरतनी चाहिए. बाहर जाते समय मास्क का इस्तेमाल करें और वापस आने पर अच्छे से अपना हाथमुंह धो लें.

जवान लड़कियों की समस्या तो लौकडाउन ने और भी बढ़ा दी है. चूंकि अब छोटे शहरों, कसबों और गांवों में भी ब्यूटीपार्लर खुल गए हैं जहां कम पैसे में लड़कियां अपनी खूबसूरती को बरकरार रख सकती हैं. पर अब तो ब्यूटीपार्लर भी बंद हैं, लिहाजा कम खर्चीली खूबसूरती भी उन से दूर हो गई है.

पर चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि घर में ही कुछ ऐसी चीजें मिल सकती हैं जिन से लड़कियां घर बैठे खुद को खूबसूरत बना सकती हैं और उन का अच्छा टाइमपास भी हो जाएगा.

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इस सिलसिले में बस्ती, उत्तर प्रदेश में अपना ब्यूटीपार्लर चलाने वाली शालिनी सिंह ने बताया, “लौकडाउन के इस दौर में लड़कियां रसोई में मिलने वाली चीजों से फेस पैक बना सकती हैं. यह बहुत सस्ता और फायदेमंद होता है.

“सब से पहले एक आलू लें और उसे कद्दूकस कर के सूती कपड़े की मदद से उस का रस निचोड़ लें. उस में एक चम्मच बेसन और थोड़ा सा शहद मिला कर पेस्ट बना लें.

“अब उस पेस्ट को अच्छी तरह से चेहरे पर लगा लें और 10 से 15 मिनट तक लगा रहने दें. फिर उसे साफ और ठंडे पानी से धो लें. कुछ दिनों तक इस फेस पैक के रोजाना इस्तेमाल से चेहरे की रंगत बदल जाएगी, दाग और धब्बे दूर हो जाएंगे.”

दिल्ली में अपना ब्यूटीपार्लर चलाने वाली पायल खंडेलवाल ने बताया, “हलदी और टमाटर से से भी अच्छा फेस मास्क बनाया जा सकता है. एक चम्मच हलदी और एक चम्मच टमाटर के जूस को एक कटोरी में इस तरह मिलाएं कि पेस्ट बन जाए. फिर उस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगा लें और 15 मिनट के लिए छोड़ दें. उस के बाद उसे सादा ठंडे पानी से धो लें.”

शालिनी सिंह ने एक और बात बताई कि गरमी में चेहरा ही रूखा नहीं होता है, बल्कि हाथपैर भी तपन की वजह से झुलसे से दिखते हैं. पर इस का भी सस्ता घरेलू इलाज है.

हाथों की सफाई के लिए शालिनी सिंह ने बताया, “एक चम्मच हलदी, एक चम्मच बेसन और थोड़े से दही को एक कटोरी में मिला कर पेस्ट बना लें और अपने हाथों पर मलते हुए मसाज कर लें और 15 मिनट के लिए छोड़ दें. उस के बाद उसे सादा पानी से धो लें और मॉश्चराइजर लगा लें. इस से हाथ कोमल हो जाएंगे.

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“पैरों के लिए आप एक टब में कुनकुना पानी लें और उस में एक पाउच शैम्पू मिला लें. उस में एक नीबू का रस और एक चम्मच नमक के साथ एक चुटकी बेकिंग पाउडर मिला कर झाग बना लें. उस में अपने पैर डालें और उन्हें रगड़रगड़ कर धो लें. ऐसा एक हफ्ते तक करें और अपने पैरों में नया निखार देखें.”

पायल खंडेलवाल ने बताया कि अगर घर में टमाटर नहीं हैं तो आप चिंता मत करें. एक चम्मच नीबू के रस और थोड़े से दही को मिला कर पेस्ट बना लें और 10 मिनट के लिए अपने चेहरे पर लगा लें. उस के बाद उसे सादा ठंडे पानी से धो लें.

ये कुछ टिप्स हैं जिन्हें आजमा कर लड़कियां अपने चेहरे और हाथपैरों में निखार ला सकती हैं.

 

#lockdown: मौलाना के जनाजे पर उमड़ी भीड़,उठे सवाल, सरकार चुप

आम आदमी जब किसी काम से घर से बाहर निकलता है तो सरकार द्वारा लगाई गई तमाम बंदिशों को ध्यान में रखता है. वहीं हर नुक्कड, हर चौराहे पर पुलिस खड़ी रहती है. साथ ही, न मानने पर सरकार के लॉकडाउन का खौफ दिखाती है. साथ ही, सोशल डिस्टेंस का पालन करने की हिदायत भी देती है.

पर, बांग्लादेश में तो बिलकुल ही उलटा हो गया. वहां लॉक डाउन लगा हुआ है, फिर भी तमाम लोगों का जुटना सरकार की उदासीनता दर्शाता है. वजह, एक धार्मिक नेता के जनाजे में सरकार की तूती बोलने के बजाय पीपनी भी नहीं बज रही.

सरकार की बेबसी भीड़ को काबू करने में नाकाम रही, वहीं सोशल मीडिया पर फोटो वायरल होते ही सवालों की बौछार होने लगी.

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यह भीड़ 18 अप्रैल की सुबह  ब्राह्मणबारिया में एक धार्मिक नेता मौलाना जुबैर अहमद अंसारी के जनाजे में जुटी थी. इस जनाजे में 50,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे.

बांग्लादेश खिलाफत मजलिस के नायब-ए-अमीर (उप) मौलाना जुबैर अहमद अंसारी (55 साल) का 17 अप्रैल, 2020 की रात बेरताला गांव में निधन हो गया था. इसी में शरीक होने के लिए काफी लोग जुट गए और सोशल डिस्टेंस की जम कर धज्जियां उड़ गईं. इतना ही नहीं, लॉक डाउन के नियमों को भी ताक पर रख दिया गया.

वहीं कोरोना वायरस नियंत्रण और बचाव समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘जनाजे में ऐसे समय में भीड़ एकत्र हुई, जब सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने के तहत लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।’

बता दें कि लॉकडाउन में सभी तरह की सभाओं पर बैन लगा होने के बावजूद भी बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया में जनाजे में जुटी भीड़ को ले कर बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया और बेवकूफ सरकार तक कह डाला.

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि लॉकडाउन में सामूहिक सभाओं पर बैन होने के बावजूद बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया में एक धार्मिक नेता मौलाना जुबैर अहमद अंसारी के जनाजे में 50,000 से ज्यादा लोग जमा हुए. बेवकूफ सरकार ने इन बेवकूफ लोगों को रोकने की कोशिश भी नहीं की.

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वहीं तस्वीरें सामने आने के बाद सारायल पुलिस के एक अधिकारी मोहम्मद हुसैन ने कहा कि कई सारे लोग यहां तक कि ढाका से भी कई लोग इस जनाजे में शामिल होने के लिए आए थे. हम ने कभी नहीं सोचा था कि इतने लोग इस जनाजे में आएंगे. इतनी भीड़ जमा हो गई कि हम कुछ कर नहीं सकते थे.’

इस मौलाना के जनाजे में आ कर लोगों ने न तो लॉकडाउन का पूरी तरह पालन किया और न ही सोशल डिस्टेंस का खयाल रखा. इन अनुयायियों ने क्यों नहीं माना सरकार का आदेश? सरकार ने भी क्यों नहीं रोका इतनी भीड़ को? अपने नेता से हम ने यही सीखा है क्या? नेता को अपना आदर्श मानने वाले इन अनुयायियों ने सरकार के नियम को न मान कर एक तरह से कानून का उल्लंघन किया है. क्या सरकार इन पर शिकंजा कस पाएगी, संदेह है.

#coronavirus: काम नहीं आ रहा कोई यज्ञ

एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना को रोकने के लिए दिन रात काम करने का दावा कर रहे है, दूसरी तरफ उनके अफसर आधे शहरों में ही फेल होते नजर आ रहे है.असल मे अफसरों को यह लग रहा कि मुख्यमंत्री अपने प्रभाव और शक्तियों के बल पर कोरोना को रोक लेगे उनको काम करने की जरूरत ही नही है. धर्म मे कर्मकांड अगर कोरोना को रोकने में सफल होते तो चर्च, मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों और गुरुद्वारा को बन्द करने की जरूरत ही नही पड़ती .

जिस “लाक डाउन” के बल पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना वायरस को परास्त करने का सपना देख रहा है उसकी जमीनी हकीकत अलग ही है. उत्तर प्रदेश में सभी जिलों की समीक्षा करते समय जो रिपोर्ट जिलाधिकारियों ने भेजी उसका अध्ययन करने के बाद यह पता चला उत्तर प्रदेश के 40 जिलों में लॉक डाउन का पालन मापदंड के अनुसार नहीं किया जा रहा है. इसका मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश के आधे जिले लॉक डाउन के प्रभाव में नहीं वहां पर लॉक डाउन के बाद भी वह चीजें हो रही हैं जो कोरोनावायरस को बढ़ाने के मददगार हो सकते हैं.

असुरक्षित राजधानी :

यूपी के इन 40 जिलो में राजधानी लखनऊ सहित 39 और शहर शामिल है. लॉकडाउन का पालन न होने से शासन नाराज है. अवनीश अवस्थी ने 40 जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिख कर सरकार की नाराजगी से अवगत कराया है.

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इन जिलों में मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, नोयडा, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, शामली, आगरा, मथुरा, सहारनपुर, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, सम्भल, लखनऊ, लखीमपुर, सीतापुर, बाराबंकी, कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, जालौन, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, कुशीनगर, बस्ती,गोंडा, बहराइच, बलरामपुर प्रमुख है.

बिना योजना हुआ काम

लॉक डाउन को लागू करने में जिस तरह से जल्दबाज़ी की गई उसकी वजह से यह लोक डाउन पूरी तरह से सफल नही हो सका है.

उत्तर प्रदेश के 40 जिलों में लॉकडाउन का सही तरीके से उपयोग ना होने से सामान्य नागरिकों के लिए कोरोना वायरस का खतरा बढ़ गया है.  लॉकडाउन के फेल होने की सबसे बड़ी वजह जनता का सड़कों पर होना है.कहीं पर लोग भूखों को खाना खिलाने के नाम पर, कहीं पर दूसरे शहरों से अपने गांव घर को जाने के नाम पर यह भीड़ पहले दिन से सड़कों पर दिखाई दे रही है. अगर सरकार ने भूखे गरीबों और दूसरे शहरों से अपने गांव घर को जाने वाले लोगों को ध्यान में रखकर लॉक डाउन की योजना बनाती तो  सड़कों पर भीड़ दिखाई नहीं देती और लॉक डाउन सही मायनों में सफल हो जाता. सरकार ने इसके लिए कोई भी सही इंतजाम नहीं किया लॉक डाउन का लगभग एक महीना बीत रहा है इसके बाद भी अभी भी बड़ी संख्या में लोग दूसरी जगहों पर फंसे हुए हैं। इनको वहां से लाने के लिए अलग अलग तरीके के प्रयास हो रहे हैं. इन प्रयासों में कोरोना वायरस को फैलने में मदद मिल रही है. अगर एक झटके में लॉक डाउनलोड नहीं किया गया होता और पहले लोगों को अपने घरों तक पहुंचने के लिए कॉलेज और कोचिंग कर रहे बच्चों को अपने घरों तक पहुंचाने का इंतजाम कर लिया गया होता उसके बाद लॉक डाउन किया जाता तो शायद इससे बेहतर परिणाम सामने आते और लॉक डाउन के जरिए कोरोनावायरस को रोकने में सफलता मिल जाती है.

#lockdoown: यूपी के प्राइमरी स्कूलों ऑन लाइन पढ़ाई का शिगूफा, गरीब का बच्चा कैसे करेगा पढ़ेगा

उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के टीचर्स बच्चों से दूर रहने के उपाय की ताक में रहते हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के समय जैसे ही नेताओ औऱ अफसरों ने उनको ऑन लाइन क्लासेस करने का शिगूफा छेड़ा टीचर्स को मन माँगी मुराद मिल गई.

सभी टीचर्स ऑन लाइन पढ़ाई के दावे करने लगे. सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट देख कर ऐसा लगने लगा जैसे स्कूलों में नही पढ़ाया जाता था उतना अब पढ़ाया जाएगा.

निजी स्कूलों में ऑन लाइन क्लासेज और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पढ़ाई के तर्ज पर उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों में भी इसे लागू करने का आदेश जारी कर दिया.

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सरकार के कर्मचारी आदेश के पालन में लग गए। सफलता की रिपोर्ट भी बनने लगी। सरकार खुश है कि “लोक डाउन” में बिना स्कूल जाए  बच्चे ऑन लाइन पढ़ाई पढ़ रहे है. अब उनकी पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा.

ऑन लाइन पढ़ाई मतलब वाट्सएप पर पढ़ाई

उत्तर प्रदेश में ऑन लाइन पढ़ाई का मतलब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नही वट्सअप ग्रुप में पढ़ाई करना है. प्राइमरी स्कूलों में ऑन लाइन कलेसेस का जोर शोर से प्रचार होने लगा. इधर सरकार की मंशा पता चलते ही कई स्कूलों से यह खबर आने भी लगी कि प्राइमरी स्कूलों में ऑन लाइन क्लासेज चलने लगी हैं. कुछ बच्चो को ऑन लाइन एप भेजे जाने लगे. टीचर्स अपने वीडियो बना कर भेजने लगे।.सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया.

असल मे ऑन लाइन पढ़ाई के शिगूफे में टीचर्स को सबसे अधिक लाभ दिख रहा है.कोरोना वायरस के डर से उनको अपने घर मे रह कर पढ़ाना होगा. ऊँची जातियों के यह पढ़ाने वाले दलितों को छूना नही पड़ेगा.उनके खाने के लिए मिड डे मील का इंतजाम नहीं करना होगा.इसका एक बड़ा लाभ होगा कि वो कम्प्यूटर और लैपटॉप अपने घर ले आ सकेंगे.

गरीब बच्चों के साथ भेदभाव

“राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने प्रदेश में सरकार द्वारा सरकारी बेसिक शिक्षा विद्यालयो में ऑनलाइन अथवा व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई को गरीब के साथ भद्दा मजाक बताया है.

अनिल दुबे ने बताया कि संकि प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री बता रहे है कि प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर पढ़ाई शुरू कर दी गई है प्रदेश सरकार को धयान करना चाहिए कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयो में गरीब मज़दूर ओर मजबूर के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है, उनके घर मे खाना भी नही बन पाता है इसलिए सरकार ने मिड डे मील की व्यवस्था की हुई है,

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जब सरकार ने स्वयं माना है कि उनके यहाँ भोजन तक कि व्यवस्था नही है, तो उनके घरों में एंड्रॉयड फोन और रिचार्ज कहा से होगा, अगर कुछ लोगो के पास होगा भी तो, बाकी बच्चे शिक्षा में पिछड़ जाएंगे.

अनिल दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश सरकार से मांग करता है कि प्रदेश में बेसिक शिक्षा का दूरदर्शन के उत्तर प्रदेश चैनल पर प्रसारण करना चाहिए, जिससे बच्चे टेलीविजन से शिक्षा ग्रहण कर सके, बच्चो के साथ ऑनलाइन अथवा व्हाट्सएप के नाम से छळ न करे, बच्चो के हित मे निर्णय ले.

सम्भव नही है वाट्सएप पर पढ़ाई

उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो की हालत बहुत खराब है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे बेहद गरीब है.इनके पास स्मार्ट फोन नही है.सरकार को यह बताना चाहिए कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कुछ बच्चो में से कितने लोगो के पास स्मार्टफोन है.यह आंकड़ा सामने आते ही प्राइमरी स्कूलों में ऑन लाइन पढ़ाई के शिगूफे की सच्चाई खुल कर सामने जा जाएगी.

दिन में सपने देखने वाली सरकार को ऐसे सवालों के जवाब देने में रुचि नहीं है. वो यह दिखाना चाहती है कि उसके गांव में रहने वाला और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला वह बच्चा भी ऑन लाइन पढ़ाई कर रहा है जिसके पास स्कूल में देने भर की फीस भी नही है.

ज्यादातर सरकारी योजनाओं का यही हाल होता है कि वहां पर जमीनी हकीकत को परखे बिना कामकाज की शुरुआत कर दी जाती है. केवल शुरुआत ही नहीं होती बल्कि उसकी सफलता के आंकड़े भी मनचाहे ढंग से बनाकर पेश कर दिए जाते हैं. प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के मामले में भी यही देखा जाता है.मंत्री से लेकर कक्षा अध्यापक तक यह साबित करने में लगा हुआ है कि उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई से बहुत लाभ हो रहा है.गांव का बच्चा बच्चा इसके उपयोग से अपने को परीक्षाओं के लिए तैयार कर रहा है.कोई यह बताने को तैयार नही है कि वास्तव में कुल बच्चो में से कितने बच्चो के पास यह सुविधा हासिल है.

पिछड़ जायेगे गरीब बच्चे :

जिस तरह राजा की हां में हां हर दरबारी मनाता है ठीक उसी तरीके से सरकार में भी मंत्री से लेकर कर्मचारी तक केवल अपने से ऊपर के अधिकारी की हां में हां मिलाने का का काम करता है. कोई नहीं सोचता की जमीनी हकीकत क्या है.इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और हो और उसको बयान कुछ और किया जा रहा हो उसका सकारात्मक परिणाम कभी सामने नहीं आ सकता.

उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास के लिए ना तो स्मार्टफोन है ना उनके पास इंटरनेट है और ना ही उनके परिवार इतने सक्षम हैं कि वह अपने बच्चों को महंगे स्मार्टफोन दिला सकें. अगर यह परिवार इतनी सक्षम होते तो सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को नहीं पाते वह भी महंगी फीस वाले निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने लगते.

हो सकता है हो सकता है की पढ़ने वाले 4 बच्चों में से कुछ के पास स्मार्टफोन हो और वह व्हाट्सएप के जरिए या वीडियो मैटर के जरिए यह काम कर भी लें पर 90 फ़ीसदी से अधिक बच्चे इस सुविधा का लाभ उठाने में वंचित रह जाएंगे क्योंकि उनके पास इसके साधन नहीं है.केवल 10 फ़ीसदी बच्चों के लिए अगर क्लास चलाकर उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग यह मान लेता है कि उसके बच्चे स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं तो इससे बड़ा धोखा और कुछ नहीं होगा.जरूरत इस बात की है कि सरकार इस बात को समझे और इसके अनुरूप बच्चों को शिक्षा देने की व्यवस्था बनाए जिससे कि ब्लॉक डाउन का कोई नुकसान बच्चों को न हो सके.

ऑन लाइन पढ़ाई की यह व्यवस्था गरीबो पिछड़ों को और भी पीछे करने में वरदान साबित हो जायेगी. सरकारी स्कूलों की व्यवस्था तब से और बिगड़ी है जब से वँहा पढ़ने वाले बच्चे गरीब और मजदूरो के घरों के ही बचे है. मिड डे मील को लेकर छुआछूत की कई घटनाएं सामने आई है. मिड डे मील के खाने की क्वालिटी से पूरा देश वाकिब है. असल मे ऊंची जातियों के लोग यह नही चाहते कि गांव के गरीब और मजदूर का बच्चा पढ़ लिख कर उनकी बराबरी कर सके इस लिए वो सरकारी स्कूलों को किसी ना किसी बहाने पिछड़ने में लगे रहते है. कोरोना वायरस ने एक और मौका दे दिया जंहा केवल 10 फीसदी बच्चो को वाट्स पर पढा कर बाकी को अनपढ़ ही छोड़ दिया जाएगा.

उस का अंदाज: भाग 3

शाम को लौटी नेहल कमरे में पहुंची ही थी कि मोबाइल बजा, ‘‘क्लास बंक करना अच्छी बात नहीं है, खासकर आप जैसी लड़की से तो कतई ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती. क्या कोई खास खुशी सैलिबे्रट की जा रही थी?’’

‘‘टु हैल विद यू. मैं क्या करती हूं, कहां जाती हूं तुम से मतलब? क्यों मुझे परेशान कर रहे हो, सामने क्यों नहीं आते?’’ नेहल नाराज हो उठी.

‘‘सौरी, आप को परेशान करना मेरा मकसद नहीं था.’’

इतना कहते ही फोन कट गया.

नेहल ने अपने मोबाइल पर आए नंबरों से उस फोन करने वाले का पता करना चाहा था, पर फोन हर बार किसी नए पीसीओ से किया गया था. उस ने ठीक कहा था, उसे पकड़ पाना कठिन था. कभी नेहल को फिल्मों में देखे गए कुछ पात्र याद आते जो पागल की तरह किसी लड़की के पीछे पड़, उस लड़की को परेशान कर देते थे. नेहल कभी सोचती, कहीं वह भी वैसा ही इंसान तो नहीं, पर उस की किसी भी बात से पागलपन नहीं झलकता था बल्कि बातों से वह पढ़ालिखा व्यक्ति लगता था.

‘‘आप से कोई मिलने आए हैं, विजिटर रूम में बैठे हैं,’’ होस्टल की केयरटेकर ने आ कर नेहल को सूचित किया.

‘‘ठीक है, मैं आती हूं,’’ कह कर नेहल ने सरसरी नजर अपने कपड़ों पर डाली. अब चेंज करने का सवाल नहीं था, निश्चय ही वह इंद्रनील ही होगा. बालों पर हाथ फेर

वह विजिटर रूम की ओर चल दी.

विजिटर रूम में एक सौम्य युवक उस की प्रतीक्षा कर रहा था. नेहल के प्रवेश करते ही वह खड़ा हो गया. एक नजर में ही नेहल समझ गई, उस के व्यक्तित्व से कोई भी प्रभावित हो जाएगा. स्लेटी सूट के साथ सफेद शर्ट में उस का व्यक्तित्व और भी निखर आया था. चेहरे की मुसकान किसी को भी मोहित कर सकती थी.

‘‘प्लीज, बैठिए. मैं नेहल और आप शायद इंद्रनीलजी हैं,’’ मीठी आवाज में नेहल बोली.

‘‘ओह, तो आप मेरे बिग ब्रदर का इंतजार कर रही हैं. सौरी, उन्हें किसी जरूरी काम की वजह से शहर के बाहर जाना पड़ गया. आप उन्हें एक्स्पैक्ट करेंगी इसलिए उन्होंने आप को अप्रूव करने की जिम्मेदारी मुझे दे दी है. हां, अपना परिचय देना तो भूल ही गया, मैं नीलेश, इंद्रनीलजी का छोटा भाई.’’

‘‘कमाल है, आप के भाई ने अपनी जगह आप को भेजा है. कैसे हैं आप के सो कौल्ड बिग ब्रदर?’’ नेहल के शब्दों में व्यंग्य स्पष्ट था.

‘‘अरे, उन के गुणों के लिए तो शब्द कम पड़ जाएंगे. वे बेहद गंभीर, तेजस्वी, मेधावी, स्नेही, योग्य अधिकारी और न जाने क्याक्या हैं. मुझ पर उन्हें अगाध विश्वास है. उन की तुलना में मैं तो उन के पांवों की धूल भी नहीं हूं.’’

‘‘भले ही वे आप के शब्दों में गुणों की खान हों, पर जिस के साथ जीवनभर का साथ निभाना है उस से मिलना भी जरूरी नहीं समझते. यह कैसा विश्वास है? शायद विवाह में उन की ज्यादा रुचि नहीं है,’’ नेहल ने स्पष्ट शब्दों में अपनी राय दे डाली.

‘‘वे जानते हैं कि आप की हर तरह की परीक्षा लेने के बाद ही मैं आप को अप्रूव करूंगा. वैसे मैं दावे के साथ कह सकता हूं, आप उन के लिए बहुत उपयुक्त जीवनसाथी हैं. बिग ब्रदर को भी यही बात समझाई है.’’

‘‘रुकिए, क्या कहा, आप मेरी परीक्षा लेंगे? आप मेरी परीक्षा लेने वाले होते कौन हैं?’’ नेहल का चेहरा तमतमा आया.

‘‘परीक्षा तो हो चुकी, और आप उस में पूरे अंक पा चुकी हैं,’’ फिर वही हंसी.

उस हंसी ने नेहल को किसी और की हंसी और बात करने के तरीके की याद दिला दी. निश्चय ही यह वही था जो फोन कर के उसे परेशान किया करता था. नेहल सोच में पड़ गई, उस जैसी बुद्धिमान लड़की पहले ही उसे क्यों नहीं पहचान गई.

अब शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी.

‘‘तुम…तुम, वही हो न जो मुझे फोन करते थे? क्या यही सब करने को तुम्हारे धीरगंभीर भाई ने इजाजत दी थी? साफसाफ सुन लो, मुझे तुम्हारे भाई या तुम्हारे साथ कोई भी रिश्ता मंजूर नहीं है,’’ नेहल का चेहरा लाल हो उठा.

‘‘भाई न सही, मेरे बारे में क्या राय है? आप की कितनी डांट सुनी है. सच कहता हूं, जिंदगीभर आप का गुलाम बन कर रहूंगा. अच्छीभली नौकरी है, आप को जिंदगी की हर खुशी देने का वादा रहेगा.’’

‘‘अपने आदरणीय बिग ब्रदर को क्या जवाब दोगे? तुम पर उन्हें अगाध विश्वास है. उन का विश्वास तोड़ना क्या ठीक होगा. नहीं मिस्टर नीलेश, आप अपने भाई का दिल नहीं तोड़ सकते. सच कहूं तो मुझे उन से हमदर्दी हो गई है. जो इंसान अपने भाई पर इतना विश्वास रखता है, वह अपनी पत्नी के तो सात खून भी माफ कर देगा. मुझे इंद्रनीलजी के साथ अपना रिश्ता मंजूर है.’’

‘‘शुक्रिया, आप ने मेरी आंखें खोल दीं. मैं सचमुच अपराध करने जा रहा था. अब मेरा मकसद पूरा हो गया. बिग ब्रदर तक आप की स्वीकृति पहुंच जाएगी,’’ फिर उस की मीठी हंसी देखसुन नेहल जैसे चिढ़ गई.

‘‘थैंक्स, मैं इंद्रनीलजी की प्रतीक्षा करूंगी और उन से कहिएगा मैं उन से मिलने को उत्सुक हूं. नमस्ते,’’ हाथ जोड़ नेहल ने अभिवादन किया.

नीलेश को और बात करने का अवसर न दे, नेहल तेजी से कमरे के बाहर चली गई. मुसकराते चेहरे के साथ नेहल पूजा के कमरे में जा पहुंची.

‘‘हाय नेहल, कैसी रही तेरी मुलाकात? लगता है, बात जम गई,’’ पूजा ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘मुलाकात की छोड़, आज उस फोन करने वाले का रहस्य खुल गया.’’

‘‘सच, कौन है वह? उसे पुलिस के हवाले क्यों न कर दिया?’’

‘‘अरे, वह तो मेरे लिए मां द्वारा चुना गया उम्मीदवार इंद्रनील था. उस की बातों से समझ गई थी, अपने भाई का नाम ले कर मेरी परीक्षा ले रहे थे, जनाब. मैं ने भी अच्छा जवाब दिया है. देखें, अब उस दूसरे इंद्रनील को कहां से लाते हैं.’’

‘‘वाह, तेरी तो प्रेमकहानी बन गई नेहल. वैसे, कैसा लगा अपना मजनूं?’’

‘‘मुझे तो यही खुशी है, उसे करारा जवाब मिला है. वैसे देखने में खासा हीरो दिखता है. बातें भी अच्छी कर लेता है. पर अब मजा आएगा, मुझे बनाने चले थे और खुद बन गए,’’ नेहल के चेहरे पर शरारतभरी मुसकान थी.

‘‘मुझे तो यकीन है उस ने तेरा दिल चुरा लिया,’’ पूजा हंस रही थी.

‘‘जी नहीं, मेरा दिल यों आसानी से चोरी नहीं हो सकता. चलती हूं, शायद मां का फोन आए,’’ नेहा अपने कमरे में जाने को उठ गई.

किताब खोलने पर नेहल का मन नहीं लग रहा था. नीलेश का चेहरा आंखों के सामने आ रहा था. उस का क्या रिऐक्शन होगा, कहीं वह निराश तो नहीं हो गया, शायद वह हर दिन की तरह फोन करे और कहे, ‘आज आप ने मायूस कर दिया. इतना बुरा तो नहीं हूं मैं.’ देर रात तक कोई फोन न आने से नेहल ही निराश हो गई.

कल रविवार है, देर तक सोने के निर्णय के साथ न जाने कब सोई थी कि मोबाइल की घंटी सुनाई पड़ी. जरूर उसी का फोन होगा, पर दूसरी ओर से एक गंभीर पुरुषस्वर सुनाई दिया.

‘‘हैलो, नेहलजी, मैं इंद्रनील, जयपुर से बोल रहा हूं. माफ कीजिएगा, मैं आप से मिलने खुद नहीं पहुंच सका, बहुत जरूरी काम था, टाला नहीं जा सकता था. आप के बारे में नीलेश ने विस्तृत जानकारी दी है, मानो मैं स्वयं आप से मिला हूं. नीलेश ने आप का संदेश दिया है, जल्दी ही आप से मिलने पहुंचूंगा. मेरे बारे में नीलेश ने बताया ही होगा. और कुछ जानना चाहें तो बेहिचक पूछ सकती हैं.’’

‘‘जी नहीं, आप के भाई ने आप की बहुत प्रशंसा की है. एक बात पूछना चाहती हूं, आप अपने भाई पर इतना विश्वास रखते हैं कि अपनी जगह उसे भेज दिया, पर क्या आप जानते हैं कि आप की जगह वे खुद मेरे साथ अपनी शादी के लिए उत्सुक थे?’’

‘‘अरे, आप उस की बातों को सीरियसली न लें, मजाक करना उस का स्वभाव है. हां, आप ने मेरे साथ अपनी शादी की सहमति दी है, उस के लिए आभारी हूं. जल्द ही हम जरूर मिलेंगे. नीलेश ने जयपुर से आप के मनपसंद रंग की साड़ी लाने को कहा है, वह ला रहा हूं. यहां से और कुछ चाहिए तो बताइए.’’

‘‘थैंक्स, मुझे कुछ नहीं चाहिए, बाय.’’

फोन बंद करतेकरते नेहल का मन रोनेरोने का हो आया. यह क्या हो गया. फोन जयपुर से ही आया था. कौन है यह इंद्रनील, उस से बिना मिले, बिना फोन पर बात किए उस के साथ शादी के लिए स्वीकृति दे बैठी. तभी मां का फोन आ गया, ‘‘आज मेरी चिंता दूर हो गई, बेटी. इंद्रनील जैसा दामाद और तेरे लिए वर, कुदरती तौर पर ही मिलता है. उस ने तुझ से होली के बाद मिलने की इजाजत मांगी है. तेरी परीक्षा के पहले वाली प्रिपरेशन लीव में ही पहुंचेगा.’’

‘‘मां, मुझ से गलती हो गई, मैं इंद्रनील से शादी नहीं कर सकती.’’

‘‘पागल मत बन. तू ने खुद सहमति दी है, किसी ने जबरदस्ती तो नहीं की है?’’

‘‘तुम नहीं समझोगी मां, मैं किसी और से…’’

‘‘मुझे कुछ समझना भी नहीं है. बहुत मनमानी कर ली. हम तेरे दुश्मन तो नहीं हैं, नेहल, इंद्रनील हर तरह से तेरे लिए उपयुक्त है. अब हमें परेशान मत कर, बेटी. बचपना छोड़, किसी को वचन दे कर वचन तोड़ना अक्षम्य अपराध है. मेरा यकीन कर, इंद्रनील के साथ तू बहुत सुखी रहेगी.’’

नेहल की समझ में नहीं आ रहा था, वह क्या करे? यह तो अपने पांव खुद कुल्हाड़ी मारने वाली बात हो गई. पूजा भी परेशान थी, पर उस का एक ही सुझाव था, फोन पर इंद्रनील को सचाई बता दे. जयपुर से इंद्रनील वापस जा चुका था, अब तो उस के फोन का इंतजार करना था.

प्रिपरेशन लीव की छुट्टियां शुरू हो गईं. नेहल का मन बेचैन था. इंद्रनील उस से मिलने कभी भी आ सकता है, क्या वह उस से कह सकेगी कि वह उस से नहीं, उस के छोटे भाई से विवाह करना चाहती है. छुट्टी के 3 दिनों बाद सुबहसुबह कलावती केयरटेकर ने आ कर कहा, ‘‘कोई नील बाबू आप से मिलने आए हैं. उन का पहला नाम याद नहीं रहा.’’

धड़कते दिल के साथ नेहल इंद्रनील से मिलने की हिम्मत जुटा पहुंची थी. सामने खड़े व्यक्ति को देख वह चौंक गई. अपनी उसी मोहक हंसी के साथ नीलेश खड़ा था. नेहल समझ नहीं सकी वह क्या कहे, पर खुद नीलेश आगे बढ़ आया.

‘‘कैसी हैं? चाहता तो था होली पर आ कर आप को रंगता, पर आ नहीं सका. अब तो बस कहना चाहूंगा जिंदगी की सारी खुशियां आप के जीवन में रंग भरती रहें.’’

‘‘इंद्रनीलजी की जगह क्या आज फिर उन की ओर से कोई नया संदेश लाए हैं?’’

‘‘नहीं, उन्होंने अपनी जगह हमेशाहमेशा के लिए मुझे दे दी, आखिर बिग ब्रदर को इतना तो करना ही चाहिए. वैसे भी वे जान गए थे कि आप मुझे चाहती हैं. आप का पीछा करने के लिए पूरे 10 दिन होम किए हैं, नेहलजी. सच कहिए, क्या मेरा फोन करना आप को खराब लगता था? मुझे तो लगता है, आप को मेरे फोन का इंतजार रहता था.’’

‘‘यह तुम्हारा भ्रम है, वैसे भी किसी के विकल्परूप में तुम्हें क्यों स्वीकार करूंगी? मैं ने तो इंद्रनील से मिलने आने का अनुरोध किया था, उन के विकल्प का नहीं.’’

‘‘अगर ऐसा है तो मिस नेहल, मैं किसी का विकल्प नहीं, स्वयं इंद्रनील हूं, अपने मातापिता का बड़ा बेटा. अब कहिए, क्या इरादा है? सौरी, मैं चाह कर भी आप के पास किसी दूसरे इंद्रनील को नहीं ला सकता. अब तो यही नील चलेगा, नेहल.’’

‘‘तुम इतने बड़े चीट हो, इंद्रनील? तुम से तो शादी करने में भी खतरा है.’’

‘‘फिर वही गलती कर रही हैं. मैं धोखेबाज नहीं, जीनियस इडियट हूं और मैं ने कहा था, मुझे आप पकड़ नहीं सकेंगी.’’

‘‘पर मैं ने तो तुम्हें पकड़ ही लिया. तुम्हें पहले दिन ही पहचान लिया था, मुझे फोन करने वाले तुम ही थे.’’

‘‘पर यह तो नहीं समझ सकी थीं कि मैं ही इंद्रनील था, वरना मां से उस इंद्रनील से शादी न करने को क्यों कह रही थीं. धोखा खा गई थीं न? मां को मुझे ही सचाई समझानी पड़ी थी, वरना तुम ने तो उन्हें भी डरा दिया था.’’

‘‘मानती हूं, इस जगह तो मैं धोखा खा ही गई, पर इसे मेरी हार मत समझना. तुम ने मेरी मां को अपने मोहजाल में बांध लिया वरना…’’

‘‘तुम किसी बेचारे इंद्रनील का ही इंतजार करती रहतीं. अब तुम्हारी इस गलती के बदले तुम्हें सजा देने का अधिकार तो मुझे मिलना ही चाहिए,’’ इंद्रनील शरारत से मुसकराया.

‘‘क्या सजा दोगे, नील? इतने दिनों तक फोन कर के परेशान करते रहे, सजा तो तुम्हें मिलनी चाहिए,’’ नेहल ने मानभरे स्वर में कहा.

‘‘अच्छाजी, जैसे मैं जानता नहीं था, मोहतरमा को फोन का कितना इंतजार रहता था.’’

‘‘यह तुम्हारा भ्रम है, अगर पकड़ पाती तो तुम्हारे हाथों में हथकड़ी जरूर पहनवाती,’’ नेहल के चेहरे पर परिहास की हंसी खिल आई.

‘‘तो अब सजा दे दो, पर लोहे की हथकड़ी की जगह तुम्हारे प्यार का बंधन मंजूर है.’’

बात खत्म करते इंद्रनील ने नेहल के माथे पर स्नेह चुंबन अंकित कर दिया. नेहल के गुलाबी चेहरे पर सिंदूरी आभा बिखर गई.

 

 

उस का अंदाज: भाग 2

बिस्तर पर लेटी नेहल की आंखों से नींद उड़ गई. उस से ऐसी गलती कैसे हो गई, किसी अजनबी के फोन को तुरंत काट क्यों नहीं दिया, क्यों उस की बातें सुनती रही, जवाब देती रही. वह उस के कपड़ों को भी नोटिस करता है. जरूर उस के होस्टल के आसपास रहने वाला कोई आवारा है. कल उस के नंबर से पता करना होगा. काफी देर बाद ही वह सो सकी. सुबहसुबह मां के फोन से नींद टूटी थी.

‘‘क्या हुआ, मां, घर में सब ठीक तो हैं?’’ नेहल डर गई थी.

‘‘सब ठीक हैं, तुझ से एक जरूरी बात करनी थी. देख, कुछ दिनों में एक इंद्रनील नाम का लड़का तुझ से मिलने आएगा. तू उस से अच्छी तरह से बात करेगी. उस के बारे में जो जानना चाहे, पूछ लेना. अपना रोब जमाने की कोशिश मत करना.’’

‘‘क्यों मां, क्या मैं किसी से ठीक से बात नहीं करती? वैसे वह मुझ से मिलने क्यों आ रहा है, कहीं तुम ने फिर मेरी शादी का सपना देखना तो शुरू नहीं कर दिया? मुझे अभी शादी नहीं करनी है.’’

‘‘बस नेहल, बहुत हो गया. तू ने कहा था, पढ़ाई पूरी करने के बाद शादी करेगी. तेरा एमए फाइनल 2 महीने बाद पूरा हो जाएगा. अब अगर तू ने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुझ से कभी बात नहीं करूंगी.’’

‘‘ठीक है मां, पर इंद्रनील हैं क्या चीज?’’

‘‘अरे, वह तो हीरा है. ऐसा प्यारा लड़का कि क्या बताऊं. हम से ऐसे मिला मानो बरसों से परिचित है. सब को हंसाना ही जानता है. आस्ट्रेलिया की एक बड़ी कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी पर जा रहा है. जाने से पहले उस की मां उस की शादी कर देना चाहती हैं. जब तू उस से मिलेगी तब मेरी बातों की सचाई जान सकेगी, बेटी.’’

‘‘इस का मतलब है कि उस की मां को डर है कहीं वह आस्ट्रेलियन बहू न ले आए.’’

‘‘फिर तू ने अपनी बकवास शुरू कर दी. बस, इतना जान ले अगर तू ने मेरा कहा नहीं माना तो मैं भी तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी,’’ इस बार मां का स्वर तीखा था.

‘‘ओके मां, मैं तुम्हारे इंद्रनीलजी से जरूर मिल लूंगी और कोई गलती भी नहीं करूंगी. अब तो खुश? हां, इतने लंबे नाम की जगह उसे कोई छोटा नाम नहीं मिला?’’

‘‘शादी के बाद तू उसे चाहे जिस नाम से पुकार, मुझे कोई लेनादेना नहीं है. अब तेरे कालेज का टाइम हो रहा है, बस, मेरी बातें याद रखना.’’

‘‘भला तुम्हारी बातें कभी भूली हूं मां, बाबा को प्रणाम कहना,’’ फोन रख, नेहल तैयार होने बाथरूम में घुस गई. कौन है यह इंद्रनील जिस ने मां को इस तरह मोह लिया है. वैसे उस को शादी की कोई जल्दी नहीं है, पर मां की बातों ने उस के मन में उत्सुकता जगा दी, जरा देखें तो कौन हैं यह इंद्रनील. पूजा से बातें करने का निर्णय ले नेहल चल दी. मां के फोन की वजह से वह पूजा से कैंटीन में भी नहीं मिल सकी थी. पूजा नेहल का इंतजार कर रही थी.

‘‘क्या हुआ, आज कैंटीन में नहीं आई? कहीं तेरे उस नए आशिक का फोन तो नहीं आ गया था?’’ पूजा के चेहरे पर हंसी थी.

‘‘आया था, रात के 2 बजे, चांद का दीदार कराने, पर सच वह दृश्य बड़ा सुंदर था. नहीं देख पाती तो इतनी सुंदर चांदनी में नहाई प्रकृति को मिस करती. शायद, जनाब को शायरी करने का शौक है. ऐसा लगता है उसे मेरे बारे में बहुतकुछ मालूम है, यहां तक कि मैं कविता लिखती हूं.’’

‘‘तब तो वह तेरा सच्चा आशिक है, नेहल.’’

‘‘सच्चे आशिक को अपना नामपता छिपाने की जरूरत नहीं होती, पूजा. वैसे एक बात है, वह बातें बड़े अंदाज से करता है. पता नहीं कहां से छिप कर मेरे बारे में सारी बातें पता कर लेता है. यहां तक कि मेरे पहने हुए कपड़ों के रंग भी याद रखता है.’’

‘‘सच कह, नेहल, तू उस की बातें एंजौय करती है या नहीं?’’

‘‘जब उस का फोन आता है तब तो गुस्सा आता है, पर बाद में उस की बातों पर हंसी आती है. वैसे, आज तक कभी उस ने कोई अश्लील बात नहीं कही है, जैसे कि अकसर सड़कछाप लड़के कहते हैं.’’

‘‘मुझे तो वह कोई सच्चा प्रेमी लगता है, नेहल. संभल के रहना.’’

‘‘अरे, क्या मुझे पागल समझती है? ये बातें छोड़, आज मां का फोन आया था, मेरी शादी के लिए मुझ से मिलने कोई आने वाला है. समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं? पता नहीं मांबाप को बेटियों की शादी की इतनी जल्दी क्यों होती है.’’

‘‘वाह, यह तो गुड न्यूज है. कोई है वह जो हमारी नेहल को ले जाएगा. काश, मेरी शादी यहां आने के पहले ही तय न हो गई होती,’’ पूजा ने आह भरी.

‘‘क्यों? क्या नितिन से कोई शिकायत है या किसी और पर दिल आ गया है?’’

नेहल ने पूजा को छेड़ा.

‘‘अरे नहीं, नितिन तो बहुत अच्छा है. बस, कभी लगता है, मैं प्रेमविवाह करती. शादी के पहले के रोमांस का मजा ही और होता है.’’

‘‘प्रेम शादी के बाद कर लेना. हमारे देश में कितनी लड़कियों को प्रेमविवाह की अनुमति मिलती है. किसी न किसी बात को ले कर, अकसर प्रेम का धागा तोड़ ही दिया जाता है. मेरी एक बात मानेगी पूजा, जब वह मुझ से मिलने आएगा तब तू मेरे साथ रहेगी?’’

‘‘न बाबा, मैं क्यों कबाब में हड्डी बनूं, और हर डिबेट में जीतने वाली नेहल किसी से डरे, असंभव. चल, आज इस खुशी में क्लास छोड़ ही दें, चाट चलेगी?’’

‘‘ठीक है, आज इंद्रनील के नाम पर तेरी ही सही.’’

19 दिन 19 टिप्स: वैडिंग गिफ्ट क्या दें और क्या नहीं

उपहार का चयन किस तरह करना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप जिस की शादी अटैंड करने जा रहे हैं उस का और आप का क्या संबंध है. उस के बाद यह बात माने रखती है कि आप उस हिसाब से कितने का उपहार उसे देना चाहते हैं. गिफ्ट अच्छा हो, इस बात का खयाल अवश्य रखें, पर इस के लिए आप को अपने बजट से समझौता न करना पड़े. अगर आप दूल्हे या दुलहन की पसंद से परिचित हैं तो उस के अनुसार ही गिफ्ट खरीदें और अगर ऐसा नहीं हो सके तो कोई ऐसी चीज दे सकते हैं जो भविष्य में उन के काम आए. उन की गृहस्थी में जो चीजें काम आएं वे ही दें वरना आप का गिफ्ट उन के घर के एक कोने में पड़ा रहेगा.

पेश हैं गिफ्ट चुनाव के लिए कुछ टिप्स:

डैकोरेटिव आइटम्स

नए घर को सजाने के लिए डैकोरेटिव चीजों की बहुत आवश्यकता पड़ती है, इसलिए गिफ्ट में आप इन्हें भी दे सकते हैं. बाजार में सजावटी वस्तुओं की बहुत वैराइटीज मिल जाएंगी. शोपीसेज, फोटो फ्रेम, कलात्मक वस्तुएं, पेंटिंग और हैंडीक्राफ्ट का सामान दिया जा सकता है. पर इन चीजों को देते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि जिन्हें आप इन्हें उपहार में दे रहे हैं वे ऐसी चीजों को पसंद करते हैं या नहीं वरना उन के लिए आप का सामान किसी कूड़े से कम नहीं होगा.

सिल्वर गुड्स

चांदी की वस्तुएं इस अवसर के लिए सब से बेहतरीन उपहार साबित होती हैं, क्योंकि उन की एक ट्रैडिशनल वैल्यू होती है. चांदी की वस्तुओं की खास बात यह है कि ये दूल्हादुलहन दोनों को भेंट में दी जा सकती हैं. सिल्वर ज्वैलरी चाहे वह अंगूठी हो या इयररिंग्स, नेकलैस, ब्रैसलेट या फिर पायल दुलहन के लिए  बेहतरीन रहती हैं. सिल्वर ज्वैलरी बहुत ही ऐलिगैंट लगती है खास कर जब उस में डायमंड, रूबी जैसे स्टोन जड़े हों. चांदी की हेयर पिन्स, ब्रोचेस या घड़ी भी दी जा सकती है. ऐसे हैंडबैग जिन पर सिल्वर वर्क किया हो, उपयोगी होने के साथसाथ ट्रैंडी लुक भी देते हैं. दूल्हे को सिल्वर चेन, रिंग और ब्रेसलेट दे सकते हैं. जोड़े को सिल्वर का कटलरी सैट, सिल्वर पेपर व साल्ट शेकर्स या फिर सिल्वर बौटल ओपनर भी दिया जा सकता है.

इलैक्ट्रौनिक वस्तुएं

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आज के जमाने में जब पतिपत्नी दोनों ही कामकाजी हैं और आधुनिक गैजेट्स पर उन की निभर्रता बहुत अधिक बढ़ गई है, तो ऐसे में वैडिंग गिफ्ट के लिए इलैक्ट्रौनिक वस्तुओं से बेहतर और क्या विकल्प हो सकता है. दूल्हादुलहन की आवश्यकताओं को समझते हुए इन वस्तुओं को कस्टमाइज्ड करा कर भी दिया जा सकता है. किचन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण जैसे मिक्सर, फूड प्रोसैसर, जूसर, टोस्टर, माइक्रोवैव, ओवन, इलैक्ट्रिक कैटल, वाशिंग मशीन आदि बहुत ही उपयुक्त गिफ्ट रहते हैं. इन के अलावा टीवी, फ्रिज, म्यूजिक सिस्टम, सैलफोन आदि भी ऐसी चीजें हैं जो हमेशा उन के काम आएंगी.

ज्वैलरी

हालांकि इन दिनों सोने का दाम आसमान छू रहा है, फिर भी नजदीकी रिश्तेदारी में ज्वैलरी देने का चलन है. आजकल बाजार में ज्वैलरी की इतनी वैराइटीज मौजूद हैं कि आप अपने बजट के हिसाब से इसे खरीद सकते हैं. स्वरोस्की क्रिस्टल, टाइटेनियम, विभिन्न स्टोंस वाली ज्वैलरी गिफ्ट में दी जा सकती है. प्लैटिनम भी ऐसा मैटल है जिस की ज्वैलरी इन दिनों बहुत फैशन में है. कामकाजी महिलाएं इसे बहुत पसंद करती हैं. प्लैटिनम एक क्लासी टच देता है, जिसे आधुनिक दुलहन बहुत पसंद करती है.

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दूल्हे के लिए गिफ्ट

दूल्हे को आप ऐक्सैसरीज जैसे टाई, कफलिंक्स या स्कार्फ दे सकते हैं. अगर उस की पसंद से अनजान हैं तो किसी लाइफस्टाइल ब्रैंड या इलैक्ट्रौनिक स्टोर का गिफ्ट वाउचर देना अच्छा औप्शन है. आमतौर पर इलैक्ट्रौनिक ऐक्ससैरीज हमेशा दूल्हे को पसंद आती हैं.

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दुलहन के लिए गिफ्ट

दुलहन के लिए वैडिंग गिफ्ट के बहुत विकल्प हैं जैसे कपड़े, गहने, ऐक्सैसरीज या फिर गिफ्ट वाउचर्स. विवाह से पहले स्पा या ब्राइडल मेकअप के गिफ्ट वाउचर्र्स उस के बहुत काम आएंगे. इस के अतिरिक्त उसे कौस्मैटिक किट, हेयर ड्रायर, परफ्यूम, गिफ्ट हैंपर्स, चूडि़यों का सैट आदि भी दिया जा सकता है.

कपल के लिए गिफ्ट

दूल्हादुलहन के लिए इस से बेहतर वैडिंग गिफ्ट और क्या हो सकता है, जिसे वे दोनों मिल कर उपयोग कर सकें. आप उन्हें ट्रैवेल पैकेज गिफ्ट दे सकते हैं, या उन दोनों के हनीमून टिकट या फिर होटल बुकिंग का इंतजाम कर सकते हैं. किसी होटल के फूड वाउचर या वीकैंड हौलिडे के टिकट भी गिफ्ट में दिए जा सकते हैं. फर्नीचर जो आजकल बहुत वैराइटीज जैसे वुड, राट आयरन, लैदर आदि में उपलब्ध है, कपल के लिए बैस्ट गिफ्ट औप्शन है. उन्हें आप डबल बैड, सोफा सैट, डाइनिंग टेबल दे सकते हैं, पर उस से पहले उन के होम डैकोर व घर के साइज के बारे में जानकारी अवश्य ले लें.

कैश सब से परफैक्ट

वैडिंग गिफ्ट के रूप में कैश देना सब से बेहतर विकल्प है. इस से दूल्हादुलहन अपनी पसंद व जरूरत के अनुसार जब चाहें चीज खरीद सकते हैं या चाहें तो उसे बैंक में डाल फ्यूचर के लिए सेविंग भी कर सकते हैं. वैसे भी शादी के तुरंत बाद सैटल होने या हनीमून पर जाने के लिए उन्हें बहुत कैश की जरूरत पड़ती है, इसलिए कैश उन के बहुत काम आता है.

खूबसूरत पैकिंग

उपयुक्त गिफ्ट्स के साथसाथ खूबसूरत पैकिंग भी एक अलग प्रभाव छोड़ती है. गिफ्ट रैपिंग में थोड़े से पैसे खर्चना अच्छा ही रहता है. आप इस के लिए किसी स्पैशल वैडिंग गिफ्ट रैपर की मदद भी ले सकते हैं. पैकिंग विकल्पों की आजकल कोई कमी नहीं है. गिफ्ट जिसे दे रहे हैं वह हमेशा आप की शुभकामनाओं और प्यार को याद रखे, इस के लिए गिफ्ट की पैकिंग पर भी विशेष ध्यान दें. सोने या चांदी के सिक्कों को खूबसूरत से बौक्स में रख कर दे सकते हैं.

आजकल तो बहुत सुंदर पोटलियां मिलती हैं, गिफ्ट इन में भी रखा जा सकता है. रैप करने के लिए प्रयोग करने वाले पेपर भी हर वैराइटी में मिलते हैं, जिन्हें मनचाहे ढंग से कपड़े के फूलों आदि से सजाया जा सकता है. इन दिनों पैकिंग को ले कर लोग बहुत ही कांशस हो गए हैं. इसलिए ड्रैस से ले कर ज्वैलरी और गिफ्ट हर चीज को खास अंदाज में प्रेजैंट करने के लिए पैकिंग में नएनए प्रयोग पसंद कर रहे हैं.

कार्डबोर्ड के नक्काशीदार बौक्स में चीजें रख कर दी जाती हैं. पत्तों को पेंट कर, खास कर केले के पत्तों से गिफ्ट रैप किया जाता है. इस के अलावा गिफ्ट आकार के अनुसार लकड़ी या मैटल की टोकरियों या ट्रे का भी उपयोग किया जा रहा है.

क्या न दें

अंदाजा लगाएं कि उस नवविवाहित जोड़े को उस समय कैसा लगता होगा जब वह बहुत उत्साहित हो कर अपने प्रियजनों, मित्रों या रिश्तेदारों द्वारा दिए गए उपहारों को बहुत उत्साह से खोलने बैठता होगा और 1-1 गिफ्ट खोलतेखोलते उस के सामने 6 लगभग एकजैसे लगने वाले बाउल सैट, 10 घडि़यां, 10 वाल हैंगिंग्स, 7-8 लैंप शेड, आइसक्रीम कप, क्रौकरी सैट आदि का ढेर लग जाता होगा. जिन्हें या तो फिर से पैक कर के रखना पड़ता है या फिर घर के स्टोर में फेंक देना पड़ता है.

बेहतर होगा कि वैडिंग में ऐसे गिफ्ट न दें जो खुद आप की नजरों में उपयोगी नहीं हैं. बुके देने से बचें, क्योंकि वे भी बेकार ही जाते हैं. बुके भेंट करना पैसों की बरबादी है. उस के बदले कैश दें.

#lockdown: कहां से लाएं सैनिट्री पैड्स जब खाने तक को पैसे नहीं

दिल्ली के बुराङी में अलगअलग सरकारी स्कूलों में बङी संख्या में प्रवासी मजदूरों को रखा गया है.ये वही मजदूर हैं जो पिछले दिनों एक अफवाह के बाद दिल्ली के आनंद विहार में अपने गांव लौट जाने की आस लिए बङी संख्या में इकट्ठे हो गए थे तो हड़कंप मच गया था.

यहां बङी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी हैं जिन्हें सरकार भोजन तो करा रही है पर महिलाओं की जरूरी चीज सैनिट्री पैड्स की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा.
बुराङी में ही पहचान संस्था के संयोजक देव कुमार ने बताया,”जब से इन मजदूरों को यहां लाया गया है तब से इन्हें बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है.इस से खासकर महिलाओं को बङी मुश्किलों का सामना करना पङ रहा है.हालांकि मैडिकल स्टोर खुले हैं पर इन के पास न तो पैसा है और न बाहर निकलने की छूट.ऐसे में साथ रह रहीं महिलाएं सैनिट्री पैड्स की जगह कपङे का इस्तेमाल कर रही हैं. इस से दूसरी तरह का संक्रमण फैलने का खतरा है.”

परेशान हैं स्कूल की लङकियां

बिहार के कटिहार जिले के एक गांव की रहने वाली पिंकी 11वीं की छात्रा है. उस के साथ गांव की ही लगभग 17-18 लङकियां भी साथ ही पढ़ती हैं.पहले इन्हें सैनिट्री पैड्स स्कूल से ही मिल जाते थे पर लौकडाउन में स्कूल बंद होने और गांव से 3-4 किलोमीटर दूर मैडिकल स्टोर होने की वजह से ये सैनिट्री पैड्स नहीं खरीद पा रहीं. इन्होंने कोई 3-4 साल में पहली बार सैनिट्री पैड्स की जगह कपड़ों का इस्तेमाल किया है. यों भी जब देश की राजधानी दिल्ली में जब इस तरह की दिक्कतें हैं तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि बिहार, झारखंड, राजस्थान जैसे राज्यों की स्थिति क्या होगी.

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दिल्ली प्रैस के शैलेंद्र सिंह ने लखनऊ से फोन पर बताया,”लखनऊ के आसपास के गांवों की भी यही स्थिति है.लौकडाउन की वजह से दूरदराज के गांवों की रहने वाली लङकियोंमहिलाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पङ रहा है.लौकडाउन में आवश्यक चीजों की आपूर्ति के लिए मैडिकल स्टोर्स और किराने की दुकानें जरूर खुली हुई हैं पर दूरदराज के गांवों में यह सुविधा नहीं पहुंच पा रही है.इस से उन के सामने सैनिट्री पैड्स की समस्या पैदा हो गई है. उत्तर प्रदेश में आंगनवाड़ी केंद्रों से भी सैनिट्री पैड्स मिल जाया करता था पर अब ये भी बंद हैं.

विकट स्थिति

बिहार के ही एक गांव की रहने वाली कविता भी इस समस्या से जूझ रही है. पिता मजदूर है और घर में पहले ही खानेपीने की समस्या आ खङी हुई है. मां नयना भी पहले दूसरे के घरों में काम कर कुछ पैसा कमा लेती थी. पर कोरोना वायरस के कहर के बीच घर के लोगों ने बाहरी व्यक्ति को आने से मना कर रखा है.इस से इन के पास जरूरी पैसे भी नहीं हैं कि सैनिट्री पैड्स जैसी जरूरत की चीजें खरीद सकें.
यों बिहार के सरकारी स्कूलों में छठी से 12वीं तक की लङकियों को साल में 300 रूपए सैनिट्री पैड्स के लिए सरकार देती है यानी प्रत्येक महीना सिर्फ 25 रूपए जो बेहद कम हैं.
वैसे भी सैनिट्री पैड्स को ले कर लङकियों में जागरूकता का भी अभाव है और वे इस मुद्दे पर मां अथवा बङी बहन से भी खुल कर बात नहीं करतीं। ऐसे में घर के किसी पुरूष सदस्य से इस के बारे में बताना तो सोच भी नहीं सकतीं.

घरघर पहुंचाए सरकार

आम आदमी पार्टी की दिल्ली प्रदेश महिला उपाध्यक्ष यस भाटिया बताती हैं,”कोरोना वायरस को ले कर हालांकि मोदी सरकार की लौकडाउन के फैसले का हमारी पार्टी ने समर्थन किया है पर मुझे लगता है कि इस कठिन समय में देश की महिलाओं के लिए मोदी सरकार को और राहत देनी चाहिए थी. जनधन खातों में सरकार ने जो 3 महीने 500-500 रूपए देने की घोषणा की है वह अधिक होना चाहिए था. साथ ही बेहतर होता कि सैनिट्री पैड्स घरों तक पहुंचाए जाते.”

काम नहीं आ रही वैंडिंग मशीनें

वहीं देश के कई जगहों के स्कूलों में सैनिट्री पैड्स के लिए वैंडिंग मशीनें तो लगी हैं पर अभी स्कूल बंद होने की वजह से लङकियां पैड्स नहीं ले पा रहीं.आंगनबाड़ी में काम करने वाली शशि ने बताया,”अभी तो आंगनबाड़ी भी बंद हैं.पहले हम पैड्स को जरूरतमंद महिलाओं के बीच बांटते थे पर कुछ दिनों से यह बंद है. कई महिलाओं के फोन आते हैं पर हम कर भी क्या सकते हैं.”

महिलाओं की मदद कर रही है सरकार

बिहार जनता दल यू (जदयू) की प्रदेश महिला अध्यक्ष श्वेता विश्वास बताती हैं,”देखिए यह सही है कि आम लोगों के साथसाथ लङकियोंमहिलाओं को दिक्कतें आ रही हैं पर नीतीश सरकार ने इन जरूरतों को समझते हुए प्रदेश के संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी परिस्थिति में इन की हर तरह से मदद करें.”
उन्होंने बताया,”सैनिट्री पैड्स एक जरूरी चीज है पर अभी के हालात में पूरे देश में लौकडाउन है तो जाहिर है कुछ दिक्कतें हमारी बहनों को हो रही होंगी पर हमारी सरकार प्रयासरत है कि राज्य की महिलाओं की जरूरतों का ध्यान रखा जाए.”

सरकार से सवाल

इन जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ महिलाएं स्वयं सेवी संस्थाओं से भी मदद मांग रही हैं पर पहले से ही तंगहाली के दौर से गुजर रही महिलाओं के लिए यह भी एक विकट समस्या है. समस्या यह भी है कि पहले वे पेट की भूख शांत करें, घर में जरूरी राशन जुटाएं या सैनिट्री पैड्स खरीदें?
समस्या वाकई गंभीर है और केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 500-500 रूपए देना कतई पर्याप्त नहीं. ऐसे में क्या सरकार को गरीब महिलाओं की सुध नहीं आनी चाहिए?

 

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