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तलाक के बाद फिर हुई शादी, 7 साल की बेटी ने कहा- थैंक यू कोरोना

मानव स्वभाव भी बङा अजीब होता है. सुख के समय उसे सहीगलत का आभास नहीं होता. वह खुद पर इतराता है, महाभारत का पात्र दुर्योधन की तरह अहंकार करता है, अपनों की पहचान खत्म कर लेता है पर दुख के समय उसे न सिर्फ अपनी गलतियों का एहसास होता है, वह खुद पर पश्चाताप भी करता है. पतिपत्नी का रिश्ता भी इस से अछूता नहीं.

पूरी दुनिया में जहां कोरोना वायरस की वजह से भय का माहौल है, लाखों लोग मारे जा चुके हैं, कइयों के घर उजङ चुके हैं, वहीं इस दौरान कुछ अच्छी खबरों से मन को बेहद सुकून मिलता है.

प्यार की जगह तकरार

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसी ही घटना घटी जिस ने कोरोना वायरस के बीच लोगों के चेहरों पर मुसकान बिखेर दी.

कहते हैं, पतिपत्नी में प्यार और तकरार दांपत्य जीवन का हिस्सा होते हैं मगर जब रिश्ते में प्यार की जगह सिर्फ तकरार ही हावी हो जाए तो बात तलाक तक पहुंच जाती है.

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2012 में हुई शादी के बाद पतिपत्नी में यही तकरार तलाक की वजह बना और सिर्फ 7 साल ही में शादी खत्म हो गई. साल 2017 में दोनों के बीच तलाक हुआ तो तभी इस जोङे के साथ 7 साल की एक बेटी भी थी.मगर कहानी यहीं खत्म नहीं हुई.सास नहीं है खलनायिका

आमतौर पर टीवी धारावाहिकों में सास को एक खलनायिका ही पेश किया जाता है. इन धारावाहिकों में सास काफी खङूस होती हैं और जो बातबेबात बहू को नीचा दिखाने की कोशिश में लगी रहती हैं.

मगर तलाक ले चुके पतिपत्नी के बीच सास ने ही मध्यस्थता की और कोरोना महामारी के बीच दोनों में सुलह कराने की कोशिशों में लग गई. साथ दिया दोनों से जन्मीं बेटी ने जो मांबाप के बीच पिस कर रह गई थी मगर वह न तो मां को छोङने को तैयार थी न पिता को.

सुलह का बीङा सास ने उठाया

बहू को समझाने का बीङा उठाया सास ने. तलाक को 3 साल हो चुके थे मगर गनीमत थी कि बेटी के प्यार की खातिर न तो मां ने दूसरी शादी की न पिता ने.

सास चाहती थी कि दोनों फिर से एक हो जाएं और दोबारा शादी कर गृहस्थी संभालें.

बहू को मनाने का दौर आरंभ हुआ तो सास बहू के मायके में धरने तक पर बैठ गई. उस ने हर बात के लिए माफी मांगी, मासूम बेटी की जिंदगी का वास्ता दिया.

सास ने जब बहू से कहा कि तुम अब भी मेरे बेटे को चाहती हो तो बहू टूट गई और बुरी तरह रो पङी.

टूट गईं अहंकार की दीवारें

तलाक के बाद बहू की जिंदगी भी कहां आराम से कट रही थी. जब तक दोनों साथ थे दोनों के बीच दंभ और अहंकार की दीवारें खड़ी थीं. लेकिन जब दोनों अलग हुए तो अकेले में अपनीअपनी कमियों को जान कर पश्चाताप भी करने लगे.

गनीमत यह कि 7 साल की बेटी दोनों के बीच की कङियां बनी हुई थी.

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तब सास ने उसी फैमिली कोर्ट की काउंसलर से बात की जिस की काउंसिलिंग के बाद भी दोनों साथ रहने को तैयार नहीं थे.

कोरोना ने मिलाया!

उस के बाद सास बहू से मिली और कहा कि कोरोना वायरस के चलते न जाने कब क्या हो जाए, इसलिए अपना घर संभालो.

सास ने बहू के मातापिता को भी मनाने की पूरी कोशिश की, उन्हें अपनी बेटी का वास्ता दिया तो वे दोबारा शादी करने को तैयार हो गए.

उधर बहू भी दोबारा घर बसाने को तैयार हो गई.दोनों की शादी हो गई और सादगी से बहू और पोती का गृहप्रवेश हुआ.

कोरोना वायरस की वजह से लागू लौकडाउन ने दोनों परिवारों को फिर से आपस में मिला दिया.

लोगों ने जाना तो सब ने इस कदम की सराहना की और दोनों को शुभकामनाएं दीं.

बेटी को फिर से मिला मातापिता का साथ

लेकिन इस शादी से सब से अधिक खुश थी वह मासूम बेटी जो किसी भी हाल में न तो मां से अलग रहने को तैयार थी न पिता से.

एक बेटी को फिर से मातापिता का साथ मिल गया. अब उस के मन में कोरोना को ले कर डर नहीं होगा, क्योंकि इसी कोरोना की वजह से लौकडाउन में उसे अपने मम्मीपापा जो मिल गए थे.

lockdown धर्मेन्द्र के घर आया नया मेहमान वीडियो शेयर कर जताई खुशी

फिल्मों से दूरी बना कर रह रहे अपने समय के सदाबहार अभिनेता 84 वर्षीय धर्मेंद्र कोरोना के चलते लगाए गए Lockdown के चलते अपना पूरा समय अपने  फार्म हाउस पर ही बिता रहें हैं. जहाँ से वह अक्सर खेती करते और मवेशियों की देखभाल करते हुए के फोटोज और वीडियो शेयर करते रहतें हैं.

इसी कड़ी में उन्होंने एक वीडियो शेयर किया है जिसके कैप्शन में लिखा है ‘बधाई, कल रात, बछड़ा दिया है मेरी साहीवाल गाय ने. मुझे भी पास नहीं आने देती. इस बछड़े की दादी को, मैं बैनी साहिब को साहनेवाल से लेकर आया था. हर मां अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती है. मैं इन लोगों को लेकर बहुत खुश हूं.

इस वीडियो में उनकी गाय बछड़े को दुलारते हुए नजर आ रही है. जिसमें वह अपने बच्चे के शरीर को चाट रही है. उस गाय के बगल में एक भैंस भी नजर आ रही है. बतातें चलें की धर्मेंद्र को जानवरों से बहुत प्यार है.

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इसी लिए उन्होंने अपने फार्म हॉउस पर ढेर सारी गायें पाल रखी हैं उन्होंने हाल ही में उसी से जुड़ा एक और वीडियो शेयर किया जिसमें वह बछड़े को प्यार से चारा खिलाते नजर आते हैं. इस दौरान बछड़े के आवाज लगाने पर धर्मेंद्र भी उसी अंदाज में आवाज निकालते नजर आ रहें हैं.

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फॉर्महाउस पर करते हैं फल और सब्जियों की ऑर्गेनिक खेती
धर्मेन्द्र का यह फार्महाउस मुंबई से सटे लोनावला में करीब 100 एकड़ में फैला हुआ है. जहाँ वह ऑर्गेनिक तरीके से फल और सब्जियों की खेती करते हैं. उन्होंने हाल ही में एक वीडियो शेयर किया था जिसमें  वह ढेर सारी सब्जियों के साथ नजर आये थे. इन सब्जियों का उन्होंने तौल भी किया था इस दौरान उन्होंने कहा था की ‘दोस्तों ब्रोकली भी होने लगी है, साइज देखो, क्या साइज है. बैंगन, टमाटर, गिल्खी, टमाटर सबको तराजू पर तौलता हूं, कि आज कितनी सब्जी हुई है.

 

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Extremely happy, with these beautiful people ?

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खुशी होती है, जितनी ज्यादा बढ़ा सकूं, अभी कोरोना ने बंद कर दिया है यहां. तो इसमें ही लगा रहता हूं.खुश रहो, टेक केयर.”उन्होंने इस Lockdown के दौरान कई वीडियो जारी किये थे जिसमें वह किसी में घास की कटाई करते हुए किसानों के परिश्रम के बारे में बता रहे थे तो किसी में फूलों को पानी देते नजर आये.

लॉकडाउन गुडन्यूज: जल्द शादी करेंगे ‘बाहुबली’ के ‘भल्लालदेव’, जानें कौन है दुल्हन?

Lockdown के बीच सभी तरह के सामूहिक गतिविधियों सहित, शादी-विवाह जैसे फंक्शन पर ब्रेक लगा हुआ है. जिन आम लोगों से लेकर ख़ास लोगों की शादियों की डेट मार्च से लेकर जून तक फिक्स थीं सभी की डेट को कैंसिल कर इसे अगले साल के लिए खिसका दिया गया है. इसमें कई फ़िल्मी हस्तियों का नाम भी शामिल है जिनकी शादी होने वाली थी लेकिन Lockdown के चलते डेट को कैंसिल करना पड़ा.
भारतीय सिनेमा के इतिहास सबसे अधिक कमाई करनें वाली फिल्म बाहुबली  में भल्लालदेव का किरदार निभाने वाले राणा डग्गुबती का अभिनेत्री तृष्‍णा कृष्‍णन और अनुष्का शेट्टी से अफेयर की खूब चर्चाएं थीं. माना जा रहा था की वह इन्हीं में से किसी को अपना जीवन साथी बनायेंगे लेकिन उन्होंने लॉकडाउन के बीच सारे कयास को विराम लगाते हुए मिहिका बजाज के साथ अपनी सगाई की घोषणा कर सबको चौंका दिया है.

राणा डग्गुबती ने बिजनेसमैन मिहिका बजाज के साथ मुस्कराते हुए अपनी एक फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर की है. इस पोस्ट के कैप्शन में उन्होंने लिखा है और “उसने हां कर दी”. राणा नें अपने कैप्शन में मिहिका बजाज के नाम के साथ हैजटैग लगाते हुए दिल का सिम्बल भी बनाया है.

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And she said Yes 🙂 ❤️#MiheekaBajaj

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फिल्म सेलेब्रेटीज से मिल रहीं बधाइयाँ
राणा डग्गुबती के सगाई की घोषणा के बाद उनके लिए बधाइयों का तांता सा लग गया है. बधाई देंने वालों में साऊथ से लेकर हिंदी फिल्‍म जगत के कई बड़े एक्टर्स का नाम भी शामिल है. इसमें अनिल कपूर, कृति खरबंदा, कियारा आडवाणी, श्रुति हासन, हंसिका मोटवान, काजल, तमन्ना भाटिया,राम चरन, दुल्कर जैसे सेलिब्रिटीज का नाम शामिल है.

 

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Happy happy to you brother ?❤️

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बॉलीवुड फिल्म अभिनेता अनिल कपूर नें बधाई देते हुए लिखा है “बधाई हो मेरे हैदराबाद के बेटे, मैं बहुत खुश हूं, सबसे शानदार चीज जो तुम दोनों के साथ हुई है” काजल अग्रवाल नें लिखा है बधाई हो राणा और महिका. कीर्ति खरबंदा ने लिखा “राणा ये जानकर आपके लिए मुझे बहुत खुशी हुई. बधाई.”

कौन है मिहिका बजाज
राणा डग्गुबती नें जिसके साथ शादी रचाने का फैसला किया है उसके बारे में जाननें के लिए उनके फैन्स में काफी उत्सुकता देखी जा रही है. इंटरनेट पर मिहिका बजाज के बारे में सर्च करनें वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.

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न्यूज एजेंसी आईएएनएस से मिहिका बजाज के बारे में जो जानकारी मिली है उससे यह पता चला है की मिहिका की इवेंट मैनेजमेंट डेकोरेशन की कम्पनी है, जिसका नाम डियू ड्रॉप डिज़ाइन स्टूडियो है.  मिहिका नें इस एरिया में डिप्लोमा भी कर रखा है.  वह सोनम कपूर की अच्छी दोस्त हैं.

राणा डग्गुबती हिंदी फिल्मों में भी हैं सक्रिय
राणा डग्गुबती साऊथ के साथ बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में भी सक्रिय हैं. उन्होंने हिंदी की कई फ़िल्में की हैं. लेकिन उन्हें असल पहचान बाहुबली के भल्लालदेव  के रोल से मिली. उन्होंने हिंदी में “दम मारो दम से” से डेब्यू किया था इस फिल्म में वह अभिषेक बच्चन के साथ नजर आये थे. फ़िल्म में उनके अपोजिट बिपाशा बसु थीं. इस फिल्म के बाद वह हिंदी आई फिल्म डिपार्टमेंट, यह जवानी है दीवानी और बेबी में नज़र आये. उनकी आने वाली फिल्म ‘हाथी मेरा साथी’  है जो रिलीज होने वाली थी लेकिन  Lockdown के चलते इसकी रिलीजिंग डेट को टाल दिया गया है.
सगाई के घोषणा का लिंक

Short Story: कोरोना के बहाने पति-पत्नी शोध प्रबंध

लेखक-डाॅ. आलोक सक्सेना

‘तुम को सौगंध है कि आज मोहब्बत बंद है…’, ‘शायद मेरी शादी का खयाल दिल में आया है इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है…’ फिल्म ‘आप की कसम’ की मोहब्बत भी क्वारंटीन यानी संगरोध में हो कर बंद होगी. और फिल्म ‘सौतन’ के गीत में तो राजेश जी को पंछी अकेला देख कर चाय पर बुलाया गया था, लेकिन आजकल छींक, खांसी और किसी के नजदीक जा कर बात तक करना किसी सौतन से कम नहीं है.

जो मित्र बातबात पर मिलते ही गले लग कर हग करते थे, वह भी आजकल दूर से ही ‘नमस्ते जी’ कह कर पास से निकल जाते हैं.

अब नकारा लोगों को तो छींक मारने जैसा एक अहिंसक हथियार मिल गया है, वह अपने बौस के पास जा कर बस छींक या खांस देते हैं तो बौस खुद अपनी जेब से नया रूमाल निकाल कर दूर से पकड़ाते हुए उन्हें अपने चैंबर से बिना कुछ कहे तुरंत बाहर भेज देते हैं. खुद ही उन के घर पर रहो और ‘वर्क फ्राॅम होम’ का आर्डर भी निकाल देते हैं.

कोरोना संपर्क में आने पर मार डालता है, पत्नी संपर्क में आ कर मरने नहीं देती. जिन्हें घर से बाहर रह कर हाथ साफ करने की आदत थी, वह भी अब घर पर रह कर पत्नी से नजरें मिलते ही हाथ धोने बाशरूम में भाग जाते हैं, क्योंकि आंखों का पुराना इशारा कहीं उन्हें भावनाओं में बहा कर नजदीक ला कर गले न मिला दे.

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आपने  सुना ही होगा, -‘पति, पत्नी और वो’. तो जनाब, ये कोरोना भी पति, पत्नी को ‘वो‘ की तरह ही परेशान करता है.

मगर यहां एक नई परेशानी यह है कि यह ‘वो’ ऐसी है जो किसी को भी कहीं भी दिखती ही नहीं ससुरी. अदृश्य रहती है.

कोरोना के सामने सांस लेना दूभर होता है, तो पत्नी के सामने बात करना. ऐसे में किसी की पत्नी यदि चिड़चिड़ी, तुनकमिजाज हो तो उस बेचारे को तो दूर से ही बातबात पर एक के बाद एक इतने आदेश मिलते हैं कि वह उस के आदेशानुसार प्रत्येक काम  करने के बाद खुद ही बारबार कई बार हाथ धोता है. वह सारे झूठे बरतन और बाथरूम के सेनेटरी पाॅट भी खुद धोता है. बाद में बारबार हाथ धोता है. सेनेटाइजर लगाता है, जनाब.

आजकल कोरोना ने पतियों को घर में क्वारंटाइन कर रखा है, तो पत्नियां तो पहले भी बातबात पर अपने पति से नाराज हो कर अपनेआप को धाड़ से तुनक कर शयन कक्ष में बंद कर लेतीं थीं यानी जबतब शयन कक्ष का ‘कोप पलंग’  उन्हें अपने आगोश में शांत रखता था. और फिर घर का कामकाज बेचारे पति को ही संभालना पड़ता था.

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हां, यह बात अलग है कि इस बार क्वारंटाइन में रह कर समस्त पति प्रजाति अपने नाकमुंह को मास्क से ढक कर व कानों में मोबाइल का ईयर फोन ठूंस कर गीतसंगीत सुनते हुए आराम से चुपचाप एकांतवास फीलिंग में काम कर रही है. बेचारे पति जाएं भी तो जाएं कहां. घर में तुनकमिजाज पत्नी है, बाहर जानलेवा कोरोना. दोनों तरफ ही उस की जान पर बन आई है, जी. बस, उस ने अपने कोरोनाघात निरोध के लिए सेनेटाइजर की बोतल को अपनी जेब में सुरक्षित कर रखा है और दिनभर में कई बार अपने हाथों पर मल कर भविष्य हेतु पुनः समर्थ और सुरक्षित महसूस करता है.

लौकडाउन अवस्था में क्वारंटाइन में रह कर भी मोहब्बत बंद है. एकांतवास में रह कर सबकुछ डाउन है, इसलिए पहले अपनेअपने फेफड़ों और सांसों को बचाने का लगाव है. क्या करें, जान है तो जहान है, न जनाब मेरे भाई.

कोरोना से बचने का सही और सुरक्षित इलाज है कि लौकडाउन में रहते हुए पत्नी से भी 1 मीटर की शारीरिक दूरी बनानी बहुत जरूरी है.

वैसे जो समझदार अच्छे पति हैं, वह पत्नी के नजदीक खास मौके पर पहले ही सुरक्षित हो कर आते हैं या सुरक्षित साधनों को जेब में रख कर ही उन के नजदीक आते हैं. सावधानी हटी, परिवार बढ़ा का सिद्धांत यहां लगता है.

समझदार पति तो प्रत्येक माह की पहली और दूसरी तारीख को अपनी पत्नी के नजदीक बिलकुल भी नहीं फटकना चाहता. फिर भी पत्नी समझदार होती है, इसलिए वह इन दिनों में पति से ज्यादा उस के बटुए पर अपनी पैनी नजर रखती है. कार्यालय से पति बेचारे को घर पहुंचते ही अपनी तनख्वाह से हाथ धोना पड़ता है.

समझदार पत्नी कुछ रुपए तो घरेलू मासिक खर्च के नाम पर ले लेती हैं और कुछ अच्छे सौंदर्य प्रसाधनों की खरीद के नाम पर. वह बेचारा पति इसलिए भी दे देता है कि आज नहीं तो कल जब नजदीकियां बढ़ेंगी तो इन के सौंदर्य प्रसाधन काम तो मेरे ही आने हैं. वह जानता है कि अच्छा सौंदर्य प्रसाधन पत्नी के चेहरे की सुंदरता के साथसाथ पति के स्वास्थ्य को भी नुकसान नहीं पहुंचाता.

वैसे, कोराना ने परमाणु बमों की ताकत को भी बौना बना दिया. कोराना अदृश्य दानव बन कर सामने आया तो हम सब उस से बचने के लिए अपनेअपने घरों में छिपने लगे. घरों में ही रहना एकमात्र सहारा बताया गया. बाहर निकले तो हमारी सांसों पर ऐसा आक्रमण हो सकता है कि सांसें फूल कर समाप्त हो सकती हैं और हमारी विश्व रंगमंच की पात्रता एकदम समाप्त हो सकती है. रोल खत्म हो सकता है यानी खेल समाप्त न हो, इसलिए बड़ेबड़े परिवारों तक में लोग ‘दालरोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ’ को अब फोलो कर रहे हैं. यहां ’बने रहो अपनी कुटिया में वरना दिखाई दोगे लुटिया में‘ का कोरोनायुग नवसिद्धांत जगहजगह लागू हो गया है.

कुल मिला कर, हमारे फेफड़ों पर हुआ इस भयानक वायरस का आक्रमण हमें अपने परस्पर मानवीय मूल्यों, आपसी संबंधों, जीवजंतुओं, पेड़पौधों और तरहतरह के भूगर्भ वैज्ञानिकी शोध, रहस्य और विज्ञान को फिर से समझने का मौका दे गया.

आज नहीं तो कल कोरोनासुन वापस जाएंगे और हम पुनः नवसंदर्भों के साथ जीवनयापन फिर शुरू कर देगें. जो इस बार तामसिक नहीं, पवित्र और सात्विक होगा. और मेरा विश्वास है कि मेरे नव शोध प्रबंध को भी जरूर गति मिलेगी.

Online शादी का आया जमाना

‘‘कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए कृपया मेरी बेटी की शादी में शरीक न हों. हम ने इस आयोजन को साधारण रखने का फैसला करते हुए रिसैप्शन कैंसिल कर दिया है. स्वयं को जोख़िम में न डालें और विवाह में शामिल न हों,” यह संदेश कोल्हापुर के रहने वाले संजय शेलार ने सारे आमंत्रित मेहमानों को भेजा था. इन की बेटी की शादी 18 मार्च, 2020 को होने वाली थी.
इन्होंने आमंत्रण भेजते हुए सब से कहा था कि शादी में अवश्य आएं, पर कोरोना महामारी ने उन्हें सारे आयोजन रद्द करने पर मजबूर कर दिया है.
यह स्थिति तब की है जब लौकडाउन की घोषणा नहीं हुई थी, हालांकि सोशल डिस्टैंसिंग की हिदायतें जरूर दी जा रही थीं.

दूल्हा-दुलहन दोनों ही शादी को ले कर बहुत उत्साहित थे, लेकिन विवाह को स्थगित करने के बजाय उन्होंने औनलाइन शादी करने का फैसला किया. जूम पर दोनों पक्षों ने सारी रस्में निभाईं. अब दोनों लौकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे साथ रह सकें.

औनलाइन शुभकामनाएं

यह वह समय है जब भारत में शादियों का सीजन शुरू हो चुका होता है, लेकिन इस वर्ष विवाह का सीजन बिलकुल ठंडा पड़ गया है और आगे भी काफी समय तक यही हालात रहने वाले हैं. कोरोना महामारी ने लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है. कुछ लोगों ने अपनी शादियों को स्थगित कर दिया है और वे इंतजार कर रहे हैं कि महामारी खत्म होने के बाद वे विवाह करेंगे. लेकिन अधिकांश युगल औनलाइन या वर्चुअल विवाह द्वारा शादी की रस्में निभा रहे हैं.

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मध्य प्रदेश के रहने वाले अविनाश की सतना में धूमधाम से शादी होने वाली थी, जिस में 8 हजार से अधिक मेहमानों के आने की उम्मीद थी. लेकिन लौकडाउन के चलते सब तरह की चीजों में बदलाव आ गया. अविनाश और उस की होने वाली पत्नी नहीं चाहते थे उन की शादी अप्रैल से आगे बढ़े. इसलिए उन्होंने औनलाइन शादी की. लड़की गाजियाबाद में रहती है, इसलिए वीडियो काल के जरीए उन्होंने विवाह किया और पंडित ने अपने घर से ही शादी को विधिपूर्वक संपन्न कराया. मेहमानों ने युगल को अपनेअपने घरों से औनलाइन शुभकामनाएं दीं.

युगल के मातापिता को शुरू में तो यह विचार अजीब लगा पर उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया कि कोई भी रीतिरिवाज छोड़ा नहीं जाएगा. विवाह संबंधी एक प्लेटफौर्म द्वारा आयोजित कराई इस शादी में 10 देशों के 200 से अधिक लोगों ने भाग लिया.

समारोह के बाद मेहमानों को मिठाइयां तथा भोजन देने के लिए उन के घरों पर फूड डिलीवर किया गया. 14 मई की फ्लाइट बुक थी, जो उन्हें रद्द करनी पड़ी. हालांकि बुकिंग कंपनी ने उन्हें पैसे नहीं लौटाए और उन्हें इस नुकसान को उठाना पड़ा.

समय ने बदला ट्रैंड

मुंबई में शेरवानी पहन कर सजा दूल्हा और डेढ़ हजार किलोमीटर दूर घाघराचुन्नी पहन कर सोलह श्रृंगार की हुई युवती ने बरेली में रह कर फेरे लिए. दूल्हादुलहन ने सैकड़ों किलोमीटर दूर रहते हुए भी मोबाइल और लैपटौप पर औनलाइन रह कर एकदूसरे के साथ सातों वचन निभाने का वादा किया.

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इन की शादी 4 अप्रैल को तय थी, लेकिन लौकडाउन के कारण न तो बारात ले कर बरेली जा सकते थे और न ही बरेली से लड़की वाले मुंबई जा सकते थे. कोई रिश्तेदार भी शामिल नहीं हो पाता. ऐसे में तय हुआ कि शादी औनलाइन की जाए, जिस में सभी रिश्तेदार आपस में जुड़े रहें. औनलाइन विवाह में लगभग डेढ़ घंटे तक रस्में हुईं. विवाह के बाद औनलाइन नजारा देख रहे लगभग 200 रिश्तेदारों ने दूल्हादुलहन को शुभकामनाएं दीं.

मुंबई के मर्चेंट नेवी अफसर प्रीत सिंह और उन की मंगेतर, जो बरेली में रहती हैं, का विवाह 4 अप्रैल को होने वाला था और पिछले 6 महीनों से वे विवाह की तैयारियों में जुटे थे. उन्होंने 4 तारीख को ही विवाह किया, लेकिन बिलकुल अलग तरह से. न बैंड था न बाजा, न बारात न ही भव्य भोजन का प्रबंध. उन्होंने औनलाइन विवाह किया और दुनिया के विभिन्न कोनों से उन के परिवार के सदस्यों और मित्रों ने औनलाइन लौग कर उन्हें शुभकामनाएं दीं.
लगभग ढाई घंटे तक चलने वाले इस विवाह में युगल ने सारी रस्में निभाईं. मेहंदी और संगीत सैरेमनी होने के साथसाथ विभिन्न रस्मों के बीच वीडियो काल पर विवाह संपन्न हुआ. उन के दोस्तों और रिश्तेदारों ने संगीत समारोह के लिए औनलाइन कई प्रस्तुतियां तैयार कीं.

उन के दोस्तों के अलावा औनलाइन की गई इस शादी के लाइव टैलीकास्ट को 16 हजार से अधिक लोगों ने देखा.
अब यह युगल लौकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहा है ताकि मुंबई में दोनों एक नए सफर की शुरुआत कर सकें.

जूम पर हो रहे हैं सादे विवाह

कहां बड़े पैमाने पर, पैसा बहा कर और पूरे दिखावे के साथ विवाह किए जाते थे. बड़ेबड़े होटल बुक कराए जाते थे और खूब धूमधड़ाका होता था. बाजारों में खरीदारी करने वालों की भीड़ उमड़ी रहती थी. लेकिन लौकडाउन ने विवाह करने के तरीकों को ही बदल दिया और साथ ही फुजूलखर्ची पर भी रोक लगा दी है. न डिजाइनर परिधान पहने जा रहे हैं, न ही 100 किस्म के भोजन परोसे जा रहे हैं और न ही मेहमानों की भीड़ जुट रही है. सब कुछ थम सा गया है और विवाह सादे हो गए हैं. न आमंत्रणपत्र भेजने की जरूरत रही है और न ही मिठाइयों के आदानप्रदान की. विवाह एकदम साधारण ढंग से जूम या औनलाइन के अन्य माध्यमों से हो रहे हैं.

आमतौर पर भारत में शादी बड़ी धूमधाम से की जाती है, जिस में मातापिता बढ़चढ़ कर खर्च करते हैं. सैकड़ों मेहमानों को आमंत्रित किया जाता है और कई दिनों तक जश्न समारोह चलते हैं. अब जब इस में बदलाव आया है तो लगता है आने वाले समय में यह ट्रैंड बना रह सकता है कि कम से कम लोगों को आमंत्रित किया जाए और फुजूलखर्ची बिलकुल न की जाए.

आधुनिक दौर में वैवाहिक परंपराओं का स्वरूप अब बदलता प्रतीत हो रहा है. संकट की घड़ी में जब पूरा देश बंद है, पूरी दुनिया एक संक्रमण के दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में युवाओं ने भारतीय परंपराओं को कायम रखते हुए यह नई परंपरा शुरू की है, जो आने वाले दिनों में लंबे समय तक कायम रहने वाली है.

ऐसे समय में वैवाहिक परिधानों की खरीदारी, आभूषण, मेकअप, होटल बुकिंग, सजावट पर खर्च होने वाले लाखों रुपए और मेहमानों को दिए जाने वाले उपहारों के लेनदेन में तो कमी आएगी ही, साथ ही हो सकता है कि दहेज और दिखावे पर भी रोक लग जाए और लोगों को इस तरह के विवाह ज्यादा लुभाने लगें जो बेशक वर्चुअल न हों, पर सादे ढंग से किए जाएं.

मदर्स डे स्पेशल: पापा प्लीज मम्मी से न झगड़ो

मोबाइल और कंप्यूटर के युग में शराब का सेवन भी एक फैशन बन गया है. अगर किसी पार्टी में शराब न हो तो वह पार्टी अधूरी मानी जाती है. फिर चाहे वह पार्टी नवयुवकों के बीच हो या बड़ी उम्र अथवा वृद्धों के बीच. लेकिन इसी शराब की बदौलत एक बचपन चिंता की आग में जलता नजर आता है और अपने पिता से ही गुहार लगाता है कि पापा प्लीज शराब पी कर मम्मी से झगड़ा न करो… मम्मी को न मारो… हमें दुखी न करो… आज की युवा पीढ़ी ही नहीं छोटे बच्चे भी शराब के कारण होने वाले घरेलू झगड़ों की आग में झुलस रहे हैं. ऐसे ही कुछ बच्चों से की गई बातचीत के दौरान यह जानकारी प्राप्त हुई कि वे अपने मातापिता के आपसी झगड़ों से कितने आहत हैं. मातापिता के झगड़ों ने उन का बचपन तो छीना ही, उन की जवानी भी इन के कारण दांव पर लगी है.

घर की तबाही

शराब के कारण हुई घर की तबाही को बयां करते हुए 17 वर्षीय मेघना श्रीवास्तव अपना दुख बताते हुए कहती है, ‘‘मेरे मम्मीपापा में बहुत प्यार है. लेकिन जब भी पापा शराब पीते हैं, तो उन्हें मम्मी बुरी लगने लगती हैं और वे उन से झगड़ा करने लगते हैं, क्योंकि पापा को ज्यादा से ज्यादा शराब पीनी होती है और मम्मी पापा को ज्यादा शराब पीने से रोकती हैं. बस इसीलिए कई बार झगड़ा तूतू, मैंमैं से मारपीट तक पहुंच जाता है. मम्मी ने पापा को कई बार तलाक देने की भी धमकी दी. लेकिन पापा शराब का नशा उतरते ही एकदम शरीफ बन जाते हैं. मम्मी के सामने इस वादे के साथ कि अब वे कल से शराब एकदम छोड़ देंगे, गिड़गिड़ाने लगते हैं. लेकिन मजे की बात तो यह है कि वह कल आज तक नहीं आया. अब मैं 17 साल की हो गई हूं. बचपन से ही मम्मीपापा का झगड़ा सुनती आ रही हूं, अब तो आदत सी पड़ गई है. पापा की शराब की बढ़ती लत के कारण मम्मी जहां डिप्रैशन का शिकार हो गई हैं वहीं पापा का लिवर भी जवाब देने लगा है. मैं हमेशा मम्मीपापा को ले कर टैंशन में रहती हूं. भले ही मौका कितनी भी खुशी का क्यों न हो.’’

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गम भुलाना एक बहाना

मेघना की तरह 24 वर्षीय विक्रांत ने शराब की बदौलत अपने पापा को खो दिया. विक्रांत अपने पिता के बारे में बताते हुए कहता है, ‘‘मेरे पापा बेहद खुशमिजाज इंसान थे. शराब पी कर भी किसी को टैंशन नहीं देते थे. बस मजाक करते रहते थे. उन का सब से बड़ा गम यह था कि वे आर्थिक रूप से कमजोर थे. पैसों की कमी ने उन्हें न सिर्फ मानसिक तौर पर, बल्कि शारीरिक तौर पर भी कमजोर बना दिया था. इस का नतीजा यह हुआ कि अपना गम भुलाने के लिए वे शराब में डूबते चले गए. मुझ से भी ज्यादा हैंडसम मेरे पापा मरते दम तक एकदम फिट ऐंड फाइन थे. लेकिन ज्यादा शराब पीने की वजह से उन का लिवर खराब हो गया और वे 50 साल की उम्र में मुझे इस दुनिया में अकेला छोड़ गए. मैं अपने पापा से बहुत प्यार करता था, इसलिए मुझे शराब से सख्त नफरत है. पापा की मौत के बाद मैं ने अपनेआप से वादा किया कि मैं जीवन में बहुत अमीर आदमी बनूंगा.’’

जीवन की बरबादी

विक्रांत ने शराब की बदौलत जहां अपने पापा को खो दिया, वहीं 24 वर्षीय रुपाली ने शराब की वजह से अपनी मां को खो दिया. रुपाली कहती है, ‘‘शराब मेरे जीवन में अभिशाप की तरह है. मैं जब छोटी थी तब हमेशा अपने पिता को शराब पी कर अपनी मां के साथ लड़तेझगड़ते देखती थी. कई बार पापा शराब के नशे में मुझे और मेरी छोटी बहन को भी पीट डालते थे. पापा के इस व्यवहार से हम दोनों बहनें और मम्मी बहुत दुखी रहती थीं. लिहाजा, एक दिन जब पापा शराब पी कर घर आए और मम्मी को मारने लगे तो मम्मी ने अपने शरीर पर मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा ली. हम दोनों बहनें मां को आग में जलते देखती रह गईं, मगर कुछ कर नहीं पाईं. देखते ही देखते हमारी मां पापा की शराब की भेंट चढ़ गईं और हम दोनों बहनों का जीवन बरबाद हो गया.’’

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नासूर बनती शराब

कहने की जरूरत नहीं कि शराब की लत कई घरों को बरबादी की तरफ धकेलती जा रही है. शराब जीवन का वह नासूर बनता जा रहा है जो युवा पीढ़ी के जीवन को अंदरूनी तौर पर खोखला कर रहा है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि अपने लिए ही जीने की चाह रखने वाले शराब के गुलाम अपने परिवार के बारे में भी सोचें, जिस की जिम्मेदारी उन्होंने खुद अपने कंधों पर ली होती है. अपने लिए तो सभी जीते हैं, अच्छी बात तो तब है जब शराब पीने वाला अपने परिवार के लिए जीए, बच्चों को अच्छा भविष्य दे और खुद भी अच्छी जिंदगी जीए.

Crime Story : घातक त्रिकोण

हरियाणा के जिला मेवात के गांव सुधराना का रहने वाला 35 वर्षीय सुरेंद्र कुमार नूंह कोर्ट में टाइपिस्ट के पद पर कार्यरत था. उस के परिवार में पत्नी सीमा के अलावा 11 साल का एक बेटा आलोक था. गांव में उस का अपना पैतृक मकान और सरकारी नौकरी होने के कारण उस के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. घर में सब कुछ ठीक था.

22 दिसंबर, 2019 को शनिवार का दिन था. शाम वह कोर्ट की ड्यूटी समाप्त करने के बाद अपने गांव लौटा तो सीमा उसे देख कर बहुत खुश हुई. क्योंकि सुरेंद्र जब कोर्ट खुला होता तो नूंह में ही रुक जाता था और सप्ताहांत में बीवीबच्चों से मिलने गांव आ जाता था. सीमा एक खूबसूरत मिलनसार स्वभाव की औरत थी. उस दिन उस ने पति की पसंद का खाना बनाया था. रात को खाना खाने के बाद तीनों अपने कमरे में सोने चले गए.

रात थोड़ी गहरी हुई तो अचानक सुरेंद्र के घर से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं. ये आवाजें सीमा की थीं. सीमा चीखचीख कर शोर मचा रही थी कि कुछ बदमाश रात के अंधेरे में उस के घर के पिछवाड़े की दीवार फांद कर घर में घुस आए और उस के पति सुरेंद्र के ऊपर घातक हथियारों से हमला कर दिया. शोर सुन कर कुछ लोग उस के घर आ गए थे. वहां वास्तव में सुरेंद्र घायल अवस्था में था. सुरेंद्र को गांव के लोग आननफानन में नजदीक के अस्पताल में ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

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सीमा ने रात घटना के फौरन बाद अपने मोबाइल फोन से स्थानीय पुलिस को सूचित कर दिया था. लेकिन जब काफी देर के बाद भी पुलिस वहां नहीं पहुंची तो उस ने नूंह कोर्ट के रीडर को अपने पति पर हुए हमले की बात बता कर पुलिस को जल्दी घर पर भेजने के लिए उन से सहायता मांगी.
नूंह कोर्ट के रीडर के द्वारा कोसली थाने में घटना की सूचना दी तो इस के 2 घंटे बाद कोसली के थानाप्रभारी जगबीर सिंह अपने मातहतों के साथ घटनास्थल सुधराना गांव पहुंचे.

थानाप्रभारी जगबीर सिंह ने मृतक सुरेंद्र की पत्नी सीमा से घटना के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि रात को 10 बजे घर का दरवाजा बंद कर के वह पति और बेटे के साथ सो रही थी. कुछ देर बाद 3 बदमाश उस के घर की पिछली दीवार फांद कर कमरे में घुस गए और उस के पति को लाठीडंडों से बुरी तरह पीटने लगे. वह रोरो कर बदमाशों से अपने पति को छोड़ देने की गुहार लगाती रही लेकिन जब तक वह निढाल नहीं हो गए, तब तक वे उन्हें मारते रहे.

सुरेंद्र के साथ जी भर कर मारपीट करने के बाद तीनों बदमाश फरार हो गए. तीनों के चेहरे कपड़े से बंधे थे. इस कारण वह किसी का मुंह नहीं देख पाई. सीमा का बयान दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी जगबीर सिंह अस्पताल पहुंचे और सुरेंद्र की लाश का मुआयना किया.सुरेंद्र के सिर पर किसी तेजधार हथियार से वार किया गया था, जिस से उस की मौत हो गई थी. थानाप्रभारी जगबीर सिंह ने सुरेंद्र की लाश कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के बाद वह थाने लौट गए.

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अगले दिन मृतक की पत्नी सीमा के बयान पर थाने में 3 अज्ञात हत्यारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया. इस केस की विवेचना थानाप्रभारी ने स्वयं संभाली. सीमा ने अपने बयान के दौरान पति की हत्या का शक एक पड़ोसी पर लगाया था, जिस से कुछ दिन पहले नाली को ले कर आपस में मारपीट हुई थी.सुरेंद्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उस की मौत सिर पर हुए घातक वार के कारण अधिक खून बह जाने की वजह से हुई थी.

थानाप्रभारी ने अब तक घटना के बारे में डीएसपी जमाल खान को जानकारी दी तो उन्होंने जल्द से जल्द तहकीकात कर अपराधियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया. चूंकि मामला नूंह कोर्ट के कर्मचारी की हत्या से जुड़ा था, इसलिए पुलिस इस केस को जल्द से जल्द हल करना चाहती थी.थानाप्रभारी जगबीर सिंह ने मृतक सुरेंद्र के पड़ोसियों को थाने बुलवा कर उन से पूछताछ की तो पता चला कि नाली के झगड़े का फैसला तो नाहड़ पुलिस चौकी में पहले ही निपट चुका था और सुरेंद्र की हत्या में उन का कोई हाथ नहीं है. फिर भी पुलिस ने उन्हें थाने बुला कर हिदायत दी कि जब तक इस केस का खुलासा न हो जाए, वे शहर छोड़ कर कहीं बाहर नहीं जाएंगे.

थानाप्रभारी जगबीर सिंह ने हत्याकांड में शामिल अपराधियों तक पहुंचने के लिए गंभीरता से विचार करना शुरू किया और उन संभावित कारणों को तलाशने की कोशिश में जुट गए, जिस के कारण सुरेंद्र की हत्या की जा सकती थी.सुरेंद्र हत्याकांड के बारे में उन्हें एक बात बड़ी अजीब लग रही थी कि हत्यारों ने सुरेंद्र की हत्या को अंजाम दिए जाने के दौरान सीमा को कोई क्षति नहीं पहुंचाई थी और न ही उस के घर में किसी प्रकार की लूटपाट ही की थी. इस का मतलब साफ था कि हत्यारे केवल सुरेंद्र की हत्या करने के लिए ही उस के घर में दाखिल हुए थे.

उन्होंने कुछ सोच कर सीमा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर गहराई से छानबीन की तो यह देख कर चौंक गए कि सीमा एक खास मोबाइल नंबर पर बारबार फोन करती थी.जब उक्त मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला कि यह नंबर अनिल नाम के एक युवक का था और घटना वाली रात उस की लोकेशन सुरेंद्र के गांव में थी. वह जींद के पांडू पिंडारा का था. जब अनिल को थाने बुला कर उस से सुरेंद्र की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि सुरेंद्र तो उस के दूर के रिश्ते में दामाद लगता था. उस की हत्या का उसे भी बहुत दुख है. लेकिन जब उस से सीमा के साथ लगातार फोन करने और फोन पर लंबीलंबी बातें करने का कारण पूछा गया तो उस ने चुप्पी साध ली. यह देख थानाप्रभारी जगबीर सिंह समझ गए कि सुरेंद्र की हत्या में इस का हाथ हो सकता है.

जब थानाप्रभारी ने अनिल को थोड़ी पुलिसिया झलक दिखलाई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के सीमा के साथ अवैध संबंध थे. उस से शादी करने की नीयत से ही उस ने सीमा और अपने ही गांव के 2 युवकों के साथ मिल कर सुरेंद्र को मौत के घाट उतारा था.अनिल के द्वारा सुरेंद्र की हत्या स्वीकार किए जाने के बाद उसे हिरासत में ले लिया गया और उसी दिन अनिल की निशानदेही पर उस के गांव पांडू पिंडारा में दबिश दे कर हत्या में शामिल विकास और मनीष को गिरफ्तार कर लिया. सब से अंत में थानाप्रभारी जगबीर सिंह सीमा के गांव सुधराना पहुंचे और उसे भी गिरफ्तार कर थाने ले आए. जहां तीनों ने अपने जुर्म स्वीकार कर लिए.

सीमा, अनिल, मनीष और विकास के बयानों और पुलिस की तहकीकात के बाद सुरेंद्र हत्याकांड के पीछे जो प्रेम कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है.सुधीर कुमार हरियाणा के जिला हिसार में रहते हैं, जहां उन का अपना पुश्तैनी मकान है. उन की बेटी सीमा का विवाह सन 2007 में मेवात जिले के सुधराना गांव के निवासी सुरेंद्र यादव से हुआ था. सुरेंद्र सरकारी नौकरी करता था. शादी के बाद सीमा बेहद खुश थी, क्योंकि सुरेंद्र बिलकुल वैसा ही था जैसे भावी पति की कल्पना उस ने की थी.सुरेंद्र गोरा, सुंदर तथा स्मार्ट था जो उसे बेइंतहा प्यार करता था. वह भी सुरेंद्र को दिलोजान से प्यार करती थी. शादी के एक साल बाद सीमा ने एक बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म से सुरेंद्र बहुत खुश था.

अब उसे जीवन में वह सब सुख प्राप्त था, जिस की कल्पना एक आदमी अपने लिए करता है. एक सुंदर प्यार करने वाली पत्नी, चांद सा प्यारा बेटा और जीवनयापन करने के लिए हरियाणा सरकार की नौकरी. उस की जिंदगी बड़े खुशनुमा माहौल में आगे बढ़ रही थी. इस तरह देखते ही देखते कई साल गुजर गए.
सन 2015 में सीमा पांडू पिंडारा जिला जींद में स्थित अपनी ननिहाल गई तो वहां उस की मुलाकात शादी के पहले के प्रेमी अनिल से हुई. अनिल को देखते ही उस के जहन में उस का अतीत उभर कर सामने आ गया, जिसे अब लगभग भूलने के कगार पर थी.

दरअसल, अनिल दूर के रिश्ते में उस का मामा लगता था. शादी के पहले जब वह ननिहाल में रह कर आईटीआई कर रही थी, तब अनिल भी उस के साथ पढ़ाई कर रहा था. एक उम्र का होने के कारण दोनों मामाभांजी के रिश्ते को दरकिनार कर कब एकदूसरे को दिल दे बैठे, इस का उन्हें पता ही नहीं चला.
जल्द ही उन के बीच आंतरिक संबंध बन गए. दोनों अब शादी कर के एक होने के तानेबाने बुनने में मशगूल हो गए, तभी उन के अमर्यादित रिश्ते की जानकारी ननिहाल के लोगों को हो गई. उन लोगों ने सीमा और अनिल को उन के रिश्ते को याद दिलाते हुए एकदूसरे से दूर रहने के लिए कहा.

लेकिन सीमा ननिहाल में रह कर अपनी नानी और सगे मामा की आंखों में धूल झोंक कर अनिल के साथ प्रेम की पींग बढ़ाती रही. जैसे ही सीमा का आईटीआई डिप्लोमा पूरा हुआ, उसे ननिहाल पांडू पंडारा से वापस उस के पैतृक घर हिसार भेज दिया गया. इस के बाद 2007 में सीमा की शादी सुरेंद्र से हो गई.
आज जब अचानक सीमा की अनिल से मुलाकात हुई तो अनिल ने उसे अकेले में ले जा कर बताया कि वह अब भी उसे प्यार करता है, इसलिए उस ने अब तक शादी नहीं की. यह सुन कर सीमा का दिल पसीज गया और वह अनिल को अपना मोबाइल नंबर दे कर बोली कि जब उस का पति घर में नहीं रहेगा, तब वह उसे अपने यहां बुला लेगी फिर अपनी हसरतों की प्यास बुझा लेना.

सीमा की बात सुन कर अनिल की आंखों में एक अनोखी चमक उभर आई. उस का 12 साल पहले का खोया प्यार आज वापस मिल गया था. सीमा कुछ दिनों ननिहाल में रह कर वापस अपनी ससुराल सुधराना लौट आई.जब उस का पति सुरेंद्र कोर्ट में रहता तो वह अनिल के मोबाइल पर फोन कर उसे अपने घर बुला लेती. इस तरह पति की गैरमौजूदगी में वह अपने पूर्वप्रेमी अनिल के साथ पिछले 4 सालों से गुलछर्रे उड़ा रही थी.
अनिल इन दिनों एक कुरियर कंपनी में काम कर रहा था. अब घर वाले उस पर शादी के लिए दबाव बनाने लगे थे. जबकि वह सीमा के अलावा किसी भी लड़की से शादी नहीं करना चाहता था. सीमा ने अपनी ओर से लाचारगी जताते हुए कहा कि वह तो शादीशुदा और एक बच्चे की मां है. इस पर अनिल ने उसे सुरेंद्र से तलाक लेने की सलाह दी.

सीमा ने अनिल से कहा कि सुरेंद्र उसे किसी भी कीमत पर तलाक नहीं देगा. यह सुनने के बाद अनिल ने सीमा की सहमति से सुरेंद्र की हत्या की योजना तैयार की और अपने ही गांव के 2 युवकों मनीष और विकास को रुपयों का लालच दे कर योजना में शामिल कर लिया.22 दिसंबर की रात सीमा ने फोन कर अपने प्रेमी अनिल और उस के दोस्तों को बुला लिया. उस समय उस के घर में जब वे तीनों आए तब तक सुरेंद्र गहरी नींद में था. योजना के अनुसार सीमा ने घर के सारे दरवाजे खुले छोड़ दिए थे. अनिल ने मनीष और विकास की मदद से सुरेंद्र को नींद में ही मौत की आगोश में सुला दिया तथा सीमा और उस की बगल में सो रहे उस के बेटे को कुछ नहीं किया.

अगले दिन सीमा ने अपने पति की हत्या का शक झूठमूठ पड़ोसी पर लगा दिया, जबकि पड़ोसी का इस हत्याकांड से कोई मतलब नहीं था.लेकिन हत्यारों की फ्रैंडली एंट्री और सीमा को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचाए जाने के कारण सीमा पहले दिन से पुलिस के रडार पर थी.6 जनवरी, 2020 को सुरेंद्र कुमार के चारों हत्यारों सीमा, उस का प्रेमी अनिल, मनीष और विकास को कोर्ट में पेश कर उन्हें 4 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. इस अवधि में हत्या में प्रयुक्त मोबाइल फोन, कुल्हाड़ी, लोहे की रौड, रक्तरंजित कपड़े आदि बरामद करने के बाद 10 जनवरी को उन्हें फिर से कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

नौजवान किसान ने खेती में जमाई धाक

आज के दौर में जहां किसान परिवारों के नौजवान खेती से दूर होते जा रहे हैं, वहीं किसान भी नहीं चाहता है कि उन का बेटा खेती में उलझ कर पैसों की तंगी झेले. यही वजह है कि छोटेबड़े समेत सभी किसान परिवारों में बच्चों को पढ़ालिखा कर ऊंचे ओहदों पर भेजने की ललक बढ़ रही है.

इस की खास वजह है खेती का पूरी तरह से व्यावसायिक न हो पाना. कृषि उपज के मूल्य निर्धारण और मार्केटिंग में सरकार की लचर नीति, मौसम की अनिश्चितता और खादबीज का संकट किसानों का खेती से मुंह मोड़ने की एक अहम वजह है, वहीं तकनीकी जानकारी की कमी भी किसानों की तरक्की में आड़े आती है. फिर भी जिन किसानों ने खेती में समय के साथ बदलाव लाने की कोशिश की, उन्होंने खुद
की तरक्की तो की ही, साथ ही, दूसरे किसानों को भी तरक्की का रास्ता दिखाने के लिए
आगे आए.

ऐसे ही एक 24 साला नौजवान ने पढ़ाई के साथसाथ अपने पुरखों की खेती को ऐसे संवारा कि आधुनिक खेती के लिए चर्चा का विषय
बन गए.

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बस्ती जिले के बहादुरपुर ब्लौक के नरायनपुर गांव के रहने वाले अनुराग पांडेय की उम्र महज 24 साल है और इन्होंने हाल ही में कौमर्स विषय में ग्रेजुएशन भी पूरा किया है. लेकिन 4 साल पहले इंटरनैट के जरीए एक कामयाब किसान की कहानी पढ़ कर अनुराग के मन में भी खेती के प्रति जो लगाव पैदा हुआ, वह आज उन के और दूसरे परिवारों की तरक्की की कहानी लिख रहे हैं. बारबार नुकसान के बाद भी
हार नहीं मानी अनुराग पांडेय ने अपने पढ़ाई के साथसाथ खेती करने की बात जब अपने पिता को बताई, तो उन के पिता एक बार चौंके जरूर थे, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी भी हुई कि उन का बेटा खेती में दिलचस्पी रखता है. ऐसे में पिता ने अनुराग को खेती करने के लिए आगे आने में भरपूर मदद करने का भरोसा दिया और हौसला भी बढ़ाया.

अनुराग पांडेय ने पहली बार अपने 42 बीघा खेत में से महज एक बीघा खेत में गेंदे के फूलों की खेती करने की ठानी. पिता से मिले 7,000 रुपयों से उन्होंने एक बीघा खेत में गेंदे के फूलों की पौध को रोपा. लेकिन पाले के चलते उन की पूरी फसल बरबाद हो गई.

अनुराग ने एक बार फिर से गेंदे की फसल रोपी. लेकिन सही जानकारी न होने के चलते उन्हें फिर से नुकसान उठाना पड़ा. इस बार के नुकसान से अनुराग के परिवार ने उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आसपास के जिलों के कामयाब किसानों के खेतों में जा कर खेती की बारीकियों को सीखा और फिर से दोगुने जोश के साथ खेती में जुट गए.

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इस बार अनुराग ने अपने खेतों में पपीते की फसल ली, लेकिन भारी बारिश के चलते पपीते की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा. इस के चलते लागत के 5 लाख रुपए भी डूब गए.इस नुकसान से एकबारगी तो अनुराग का हौसला डगमगा गया था और खेती छोड़ कर फिर से पढ़ाई पर ध्यान देने का मन बनाया. लेकिन अनुराग के गांव के 35 साला नौजवान कौशलेंद्र पांडेय ने फिर से अनुराग का हौसला बढ़ाया और खेतों में केले की फसल रोपने की सलाह दी, क्योंकि कौशलेंद्र पिछले कुछ सालों से अपने खेतों में केले की खेती से अच्छा मुनाफा ले रहे थे.

अनुराग पांडेय ने जब अपने घर वालों से फिर से खेती करने की बात बताई, तो उन के घर वाले पिछले तजरबे को देखते हुए कुछ हिचके जरूर, लेकिन अनुराग का हौसला देख कर एक बार फिर से केले की खेती के लिए आगे आने में सहयोग किया.

पत्रिकाओं और यूट्यूब से बन गई बात
अनुराग भी खेती में पिछले नुकसान को देखते हुए कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे, इसलिए उन्होंने कौशलेंद्र पांडेय के बताए गए नुसखों के अलावा केले के खेती में बरती जाने वाली सावधानियां, पौधों की नई किस्में और देखभाल से जुड़ी जानकारी के लिए खेती से जुड़ी कई पत्रिकाओं और यूट्यूब का सहारा लिया. उस पर केले की खेती से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी हासिल कर फसल की सुरक्षा की नजर से एक हेक्टेयर खेत में केले की ग्रैंड 9 प्रजाति के पौधों की रोपाई की. इस बार अनुराग ने पूरी तैयारी से केले की फसल ली थी. इस के चलते अनुराग के केले की फसल अच्छी रही और उत्पादन भी अच्छा रहा.
इस बार केले की खेती में मिली सफलता ने अनुराग का हौसला बढ़ा दिया था, इसलिए अनुराग ने सफल किसानों के खेतों में जा कर दूसरी व्यावसायिक फसलों के बारे में जानकारी ली और उन फसलों को अपने खेतों में रोपने का फैसला किया.

खेतों में लहलहा रही सब्जियों की फसल
अनुराग पांडेय केले की फसल के अलावा आलू, लहसुन, प्याज, चना, मटर धनिया, टमाटर, बैगन, शिमला मिर्च, अचार की भरवां मिर्च समेत कई फसलों को ले रहे हैं. इस बार बोई गई फसल से अनुराग को हजारों रुपए की आमदनी हुई है.

आधुनिक तकनीक का ले रहे हैं सहारा
महज 24 साल के अनुराग अपने खेतों में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग के चलते आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. फसल की सिंचाई वे कम से कम लागत पर करते हैं. इस के लिए उन्होंने सोलर पंप के अलावा ड्रिप सिस्टम लगवा रखा है, जिस से पानी की बरबादी से भी बचाव कर पाते हैं.
इस के अलावा फसल में खरपतवार और कीड़ों से बचाव के लिए अनुराग फसल में मल्चिंग का सहारा लेते हैं. फसल की बोआई और प्रोसैसिंग के लिए वे ट्रैक्टर समेत सभी आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल करते हैं.

अनुराग ने जिस तरह से अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए खेती में कामयाबी पाई है, उस से उन के परिवार के लोग काफी खुश नजर आते हैं. उन के पिता वीरेंद्र पांडेय कहते हैं कि मुझे खुशी है कि मेरा बेटा खेती की विरासत को संभालने के लिए आगे आया है. उस ने खेती में आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए खेती को फायदेमंद बना कर यह साबित कर दिया है कि खेती किसी नौकरी से कम नहीं है.

वे आगे कहते हैं कि मुझे पूरा यकीन है कि अनुराग जैसे लोग अगर खेती में आगे आएं, तो खेती को बरबाद होने से बचाया जा सकता है.

युवा किसान कौशलेंद्र को मानते हैं प्रेरणास्रोत

अनुराग पांडेय अपने ही गांव के किसान कौशलेंद्र पांडेय को खेती में कामयाबी का प्रेरणास्रोत मानते हैं. 35 साल के कौशलेंद्र पांडेय बीते कई सालों से केला, मटर, टमाटर, शिमला मिर्च, बैगन, अचार की भरवां मिर्च सहित कई तरह की फसलें ले रहे हैं, जिस से वे हर साल लाखों रुपए की आमदनी लेते हैं.

कौशलेंद्र पांडेय बताते हैं कि जब अनुराग को गेंदे और पपीते की फसल में नुकसान हो गया, तो एक बार वे निराश हो गए थे. ऐसे में अनुराग ने मेरे द्वारा की जा रही उन्नत फसल तकनीकी को न केवल समझा, बल्कि दोगुने जोश के साथ वे फिर से खेती में जुट गए. समयसमय पर खेती में आने वाली समस्याओं के निदान के लिए वे मुझ से जानकारी लेते रहते हैं, जिस का नतीजा है कि वे आज खेती में अच्छा मुनाफा ले रहे हैं.

अनुराग पांडेय के पिता वीरेंद्र पांडेय कहते हैं कि अनुराग और कौशलेंद्र जैसे युवा किसानों का खेती के प्रति रुझान और उस से मिली सफलता ने यह साबित कर दिया है कि खेती को अगर व्यावसायिक लैवल पर
किया जाए, तो यह किसी दूसरे रोजगार से बेहतर है.

Dr Pk Jain: ऐसे लौटी सेक्सुअल लाइफ में खुशहाली

आनंद और माला एक खुशहाल दपंति हैं. आनंद की उम्र 30 और और माला की उम्र 25 साल है. दोनों का 5 साल का एक बेटा है. आनंद का घर कानपुर में है और वो दिल्ली में नौकरी करता है. जिसकी वजह से उसे अपनी पत्नी से दूर रहना पड़ता है. लेकिन पिछले काफी वक्त से आनंद घर नहीं जाना चाहता. उसका परिवार और करीबी लोग इस बात से बेहद परेशान थे. आनंद के भाई ने जब इस बारे में उससे बात करनी चाही तो ये बात सामने आई-

“मेरी समस्या यह है कि पिछले दिनों जब मैं घर गया तो पत्नी के साथ सैक्स संबंध बनाते समय खुद में पहले जैसा जोश नहीं पाया. मुझे लगा मेरे साथ कोई शारीरिक परेशानी हो गई है. मैं डरने लगा हूं कि क्या मैं पहले की तरह सैक्सुअली ऐक्टिव हो पाऊंगा. मेरे स्पर्म काउंट को ले कर तो कोई समस्या नहीं है? क्या मुझे किसी डाक्टर से संपर्क करना चाहिए?”

आनंद के भाई को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने आनंद को लखनऊ के डॉ पी के जैन के बारे में बताया जो पिछले 40 सालों से ऐसी ही समस्या का इलाज कर रहे हैं. आनंद बिना देर किए डॉ पी के जैन से मिलने पहुंचा. जहां उसे अपनी समस्या का हल मिला. आनंद के शब्दों में जानते हैं उसका अनुभव-

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जब मिले डॉक्टर पी के जैन

मैं डॉक्टर पी के जैन से मिलने पहुंचा. जहां मैं डॉक्टर पी के जैन और उनकी टीम डॉक्टर पीयूष जैन, डॉक्टर संचय जैन से मिला. डॉक्टर पी के जैन ने मुझे बताया कि मेरी प्रॉब्मल कोई बड़ी बात नहीं है. पहले भी उनके पास ऐसे कई पेशेंट आ चुके हैं. डॉक्टर पी के जैन ने मेरा पूरा डायगनोसिस किया और मेरी बीमारी को अच्छे से समझने के बाद मुझे उसके हिसाब से दवा दी. अपनी कामयाब आयुर्वेदिक दवाओं के जरिए उन्होंने मेरा सफल इलाज किया. डॉक्टर पी के जैन की वजह से ही आज मैं और मेरी पत्नी अपना वैवाहिक जीवन खुशी खुशी बिता रहे हैं.

मैं तो यही कहूंगा कि आपकी सेक्स लाइफ में भी अगर कोई समस्या है तो बिना यहां वहां भटकने के बजाय सीधे डॉक्टर पी के जैन से मिले और अपना इलाज करवाएं.

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लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. पी. के. जैन द्वारा.

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आप पहले से ही हुंडई वेन्यू के एक्सीलेंट वारंटी के बारे में जानते हैं, लेकिन इसके बारे में अभी और जानना बाकी है. वेन्यू 3 साल के स्टेंडर्ड रोडसाइड वारंटी के साथ आता है. इसका मतलब है, सड़क पर आपातकालीन स्थिती में, चाहे आप कही भी हों, कोई आपकी सहायता करने के लिए वहां होगा.

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इसमें व्हील चेंज, 5 लीटर तक फ्यूल डिलिवरी, टैक्सी को-ऑर्डिनेशन, चाबी लॉक आउट होने की स्थिति में वाहन खोलना, बैटरी और फ्यूज से संबंधित बिजली की समस्याओं को दूर करना, और कुछ उन शिकायतों के लिए ऑन-स्पॉट मरम्मत जैसी सेवाएं भी शामिल हैं. किसी दुर्घटना या गाड़ी खराब होने के मामलों में कार को पास के वर्कशॉप में भी ले जाया जाएगा.

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